मेरी दीदी की सास चुदक्कड़ निकली

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Didi ki chudakkad saa chudai – Hot mother-in-law sex: मैं रवि, 24 साल का जवान, तगड़ा, और गाँव का दिलकश नौजवान। मेरी सांवली, मांसल देह, चौड़ा सीना, और मजबूत बाहें गाँव की औरतों की नजरों को ललचाती थीं। मेरा 9 इंच का मोटा लंड, जिसकी नसें उभरी हुई थीं और गुलाबी सुपारा चमकता था, किसी भी औरत की चूत में आग लगा सकता था। मेरी दीदी, सोनम, 28 साल की थी, और उसकी शादी को तीन साल हो चुके थे। वो अपने ससुराल में खुश थी, और उसका पति, मेरा जीजा, राकेश, 32 साल का एक सौम्य, लेकिन जिद्दी मर्द था। दीदी की सास, रमा, 42 साल की थी, मगर उसकी जवानी ऐसी थी कि 25 की लड़कियां भी फीकी पड़ जाएं। रमा की गोरी, चमकती त्वचा, भारी-भरकम चूचियां, जिनके भूरे निप्पल्स साड़ी के ऊपर से भी उभरते थे, और मोटी, गोल गांड, जो टाइट साड़ी में मटकती थी, किसी का भी लंड खड़ा कर देती थी। उसकी कातिलाना मुस्कान और गहरी काली आँखें मेरे दिल में आग लगा देती थीं।

हमारी पुरानी हवेली में दीदी और जीजा कभी-कभी आते थे, और रमा भी उनके साथ होती थी। रमा मेरे साथ खुलकर हंसती-बोलती थी, कभी मेरी जांघ पर चिकोटी काटती, तो कभी शरारती नजरों से मेरे पायजामे के ऊपर उभरे लंड को ताकती। मैं उसकी चूचियों को चोरी-छिपे निहारता, और मेरी चूत उसकी जवानी की भूखी थी। मगर मैं अपनी वासना को दबाता, क्योंकि वो मेरी दीदी की सास थी। उसकी हरकतें मुझे तड़पाती थीं, खासकर जब वो लाल या हरी रेशमी साड़ी पहनती, जो उसकी गोरी देह पर चिपककर उसकी चूचियों और गांड को और उभारती थी।

एक रात, दीदी और जीजा को शहर जाना पड़ा। रमा हवेली में रुक गई। उस रात बिजली गुल थी, और चांदनी छत पर बिछी थी। मैं छत पर चारपाई पर लेटा था, पतला कुरता और पायजामा पहने, हल्की हवा मेरे चेहरे को सहला रही थी। रमा ऊपर आई, उसने पारदर्शी, पतली पीली साड़ी पहनी थी, जिसके नीचे उसका काला ब्लाउज और पेटीकोट साफ दिख रहा था। उसकी चूचियां ब्लाउज में कैद थीं, और निप्पल्स उभरकर मुझे ललचा रहे थे। उसकी साड़ी का पल्लू हल्का सा सरक गया, और उसकी गहरी नाभि चांदनी में चमक रही थी।

“रवि, इतनी रात को छत पर अकेले?” रमा ने रसीली आवाज में कहा, और मेरे पास चारपाई पर बैठ गई। उसकी जांघ मेरी जांघ से सट गई, और उसकी साड़ी का किनारा मेरे घुटने पर गिर गया। “रमा जी, आपकी जवानी मुझे नींद कहाँ लेने देती है,” मैंने हिम्मत जुटाकर कहा, और उसकी गोरी, मुलायम जांघ पर हाथ रख दिया। उसकी सांसें तेज हो गईं, और उसने मेरी आँखों में देखा। “रवि, तू शरारती है, मगर मेरी चूत भी तेरे लिए तड़प रही है,” उसने सिसकते हुए कहा, और मेरे पायजामे के ऊपर से मेरे लंड को सहलाया। मेरा लंड तुरंत तन गया, उसका गुलाबी सुपारा पायजामे में उभर आया।

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“रमा जी, आप मेरी दीदी की सास हैं, ये गलत है,” मैंने सिसकते हुए कहा, मगर मेरी नजरें उसकी चूचियों पर टिकी थीं। “सास नहीं, रवि, मैं तेरी रानी बनना चाहती हूँ,” उसने कामुक लहजे में कहा, और मेरे होंठों पर अपने गुलाबी होंठ रख दिए। उसका चूमन गर्म और गीला था, उसकी जीभ मेरी जीभ से उलझ गई, और उसने मेरे होंठों को चूस लिया। “उफ्फ, रवि, तेरे होंठ मेरी चूत में आग लगा रहे हैं,” रमा ने सिसकारी भरी, और मेरी कमर को जकड़ लिया। मैंने उसकी साड़ी का पल्लू धीरे से खींचा, वो फिसलकर नीचे गिर गया, और उसकी भारी चूचियां काले ब्लाउज में उभर आईं।

मैंने रमा के कंधों को सहलाया, और उसका ब्लाउज धीरे-धीरे खोलना शुरू किया। हर बटन खुलने के साथ उसकी गोरी चूचियां और साफ दिख रही थीं। आखिरी बटन खुलते ही ब्लाउज खुल गया, और उसकी भारी, गोल चूचियां आजाद हो गईं। उनके भूरे निप्पल्स सख्त थे, चांदनी में चमक रहे थे। “रमा, तेरी चूचियां तो अमृत के घड़े हैं,” मैंने कामुक लहजे में कहा, और उसकी चूचियों को अपने मजबूत हाथों में भरा। मैंने उन्हें धीरे-धीरे मसला, और रमा की सिसकियां हवेली में गूंजने लगीं। “हाय, रवि, मेरी चूचियां तेरे हाथों में पिघल रही हैं,” उसने सिसकारी भरी, और मेरी पीठ को नाखूनों से खरोंचा।

मैंने रमा के निप्पल्स को अपनी उंगलियों से सहलाया, उन्हें हल्के से मरोड़ा, और फिर अपनी जीभ से चाटना शुरू किया। उसका भूरा निप्पल मेरे मुँह में था, मैंने उसे चूसा, और रमा की सिसकियां चीखों में बदल गईं। “उफ्फ, रवि, मेरी चूचियां चूस, और जोर से!” उसने चिल्लाया, और मेरे बालों में उंगलियां फंसा दीं। मैंने उसकी दूसरी चूची को अपने हाथ से दबाया, और निप्पल को जीभ से चाटा। उसकी सिसकियां अब “आह्ह… ऊह्ह…” में बदल गई थीं। मैंने उसका पेटीकोट का नाड़ा खींचा, और वो नीचे सरक गया। उसकी गोरी, चिकनी चूत चांदनी में चमक रही थी, उसका छोटा सा दाना उभरा हुआ था, और चूत गीली होकर रस टपका रही थी।

“रमा, तेरी चूत तो रस का सागर है,” मैंने कहा, और अपनी दो उंगलियां उसकी चूत में डाल दीं। उसकी चूत इतनी गर्म और गीली थी कि मेरी उंगलियां फिसल रही थीं। “हाय, रवि, मेरी चूत तेरे लिए तड़प रही है!” रमा ने चिल्लाया, और उसकी मोटी गांड चारपाई पर उछलने लगी। मैंने उसकी चूत के दाने को अपनी जीभ से सहलाया, और उसे चाटने लगा। उसका रस नमकीन और मीठा था, मेरी जीभ उसकी चूत के अंदर तक गई। “आह्ह… रवि, मेरी चूत चाट, इसे अपने प्यार से भिगो दे!” रमा चिल्ला रही थी, और उसकी चूत रस से लबालब हो गई। मैंने अपनी उंगलियों को तेजी से अंदर-बाहर किया, और उसकी चीखें “ऊह्ह… आह्ह…” छत पर गूंज रही थीं।

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मैंने अपना पायजामा उतारा, मेरा मोटा लंड चांदनी में चमक रहा था। उसका गुलाबी सुपारा फूल चुका था, और नसें उभरी हुई थीं। रमा ने मेरे लंड को देखा, और उसकी आँखें चमक उठीं। “उफ्फ, रवि, तेरा मोटा लंड तो मेरी चूत का राजा है,” उसने कहा, और मेरे लंड को अपने नाजुक हाथों में लिया। उसने उसे धीरे-धीरे सहलाया, और फिर अपने गुलाबी होंठों से चूसना शुरू किया। उसकी जीभ मेरे सुपारे पर घूम रही थी, और मेरी सांसें रुक रही थीं। “रमा, तू मेरे लंड को जन्नत दिखा रही है,” मैंने गुर्राया, और उसके बालों को जकड़ लिया। उसने मेरे लंड को गीला कर दिया, और फिर चारपाई पर लेट गई। उसकी चूत रस टपका रही थी, और उसकी मोटी गांड मेरे सामने थी।

“रवि, मेरी प्यासी चूत में अपना मोटा लंड डाल, और मुझे जमकर चोद!” उसने चिल्लाया, और अपनी गांड को ऊपर उठाया। मैंने उसकी चूतड़ों पर हल्के से थप्पड़ मारे, और अपनी उंगलियों से उसकी चूत को और गीला किया। “रमा, तेरी चूत मेरे मोटे लंड की रानी है,” मैंने कहा, और अपना लंड उसकी चूत के मुँह पर रखा। मैंने धीरे से धक्का मारा, और मेरा सुपारा उसकी चूत में घुस गया। “आह्ह… रवि, तेरा लंड मेरी चूत फाड़ देगा!” रमा ने चीखा, मगर उसकी चूत मेरे लंड को लय में ले रही थी। मैंने धीरे-धीरे धक्के मारे, हर धक्के के साथ उसकी चूत रस छोड़ रही थी। “फच… फच…” की आवाजें हवेली में गूंज रही थीं।

मैंने रमा की चूचियों को पकड़ा, और उसकी चूत को जोर-जोर से चोदना शुरू किया। “आह्ह… ऊह्ह… रवि, चोद मुझे! मेरी चूत को अपने मोटे लंड का गुलाम बना दे!” रमा चिल्ला रही थी। मैंने उसकी एक टांग उठाई, और उसे रेलिंग के सहारे खड़ा किया। उसकी चूचियां उछल रही थीं, और उसकी चूत मेरे लंड को जकड़ रही थी। “फच… फच…” की आवाजें तेज हो गईं। “रवि, तेरा मोटा लंड मेरी चूत की जिंदगी है!” उसने चीखा, और मेरे होंठों को चूसने लगी। मैंने उसकी चूत में गहरे धक्के मारे, और उसकी चूतड़ों को जोर-जोर से दबाया।

अब मेरी नजर रमा की मोटी गांड पर थी। मैंने उसे चारपाई पर उल्टा लिटाया, और उसकी गांड को अपने सामने देखकर पागल हो गया। “रमा, तेरी गांड तो चांद का टुकड़ा है,” मैंने कहा, और उसकी गांड पर थप्पड़ मारे। मैंने उसकी चूत का रस अपनी उंगलियों से लिया, और उसकी टाइट गांड के छेद को गीला किया। “रवि, मेरी गांड में मत डाल, मैं टूट जाऊंगी!” रमा ने सिसकते हुए कहा, मगर उसकी गांड मेरे लंड की प्यासी थी। मैंने अपने लंड को उसकी चूत के रस से गीला किया, और धीरे से उसकी गांड में डाला। “आह्ह… हाय राम! तेरा मोटा लंड मेरी गांड चीर देगा!” उसने चीखा, मगर उसकी गांड अब मेरे लंड को लय में ले रही थी। “पट… पट…” की आवाजें गूंज रही थीं।

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मैंने रमा की चूचियों को पीछे से पकड़ा, और उसकी गांड को जोर-जोर से चोदा। “आह्ह… ऊह्ह… चोद मेरी गांड, रवि! मेरी चूत और गांड दोनों तेरे मोटे लंड की गुलाम हैं!” रमा चिल्ला रही थी। मैंने उसे अपनी गोद में उठाया, और चारपाई के किनारे चोदने लगा। उसकी चूचियां उछल रही थीं, और उसकी चूत मेरे लंड को जकड़ रही थी। “रवि, तू मेरी चूत और गांड का राजा है,” रमा ने सिसकते हुए कहा। मेरा लंड अब फटने को था। मैंने उसकी चूत में आखिरी धक्का मारा, और अपना गर्म माल उसकी चूत में उड़ेल दिया। “आह्ह…” रमा की चीख चरम सुख में बदल गई।

हम दोनों पसीने से तर-बतर चारपाई पर गिर पड़े। मैंने रमा की चूचियों को फिर से सहलाया, और बोला, “रमा, तू सच्ची चुदक्कड़ है।” रमा ने मेरे लंड को चूमा, और कहा, “रवि, तू मेरा असली मर्द है।”

कुछ दिन बाद, दीदी और जीजा हवेली लौटे। एक रात, जब मैं और रमा चुदाई कर रहे थे, जीजा ने हमें देख लिया। मैं डर गया, मगर जीजा ने हंसते हुए कहा, “रवि, अगर मम्मी को तू सुख दे सकता है, तो मैं भी कोशिश करूंगा।” उसने अपना लंड निकाला, और रमा की चूत में डाल दिया। मैंने रमा की गांड में अपना लंड डाला, और दोनों ने उसे एक साथ चोदा। “आह्ह… ऊह्ह… चोदो मुझे, तुम दोनों!” रमा चिल्ला रही थी। उस रात, रमा ने वो सुख पाया जो उसने कभी नहीं सोचा था।

अब रमा दिन में दीदी की सास थी, और रात में मेरी और जीजा की रानी। उसकी चूत और गांड की प्यास हर रात बुझती थी।

क्या आपको लगता है कि रमा की जवानी की प्यास कभी पूरी होगी? अपनी राय कमेंट में बताएं।

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