मेरी माँ की करतूत मुझे पापा के पास चुदने के लिए भेजा

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Papa ne choda मेरा नाम रूचि है। मैं 20 साल की हूँ, कॉलेज में पढ़ती हूँ। मेरी मम्मी की उम्र 38 साल है, और मैं उनकी इकलौती बेटी हूँ। मेरी मम्मी का नाम रीना है, और वो दिखने में अभी भी जवान और हॉट हैं, गोरी चमड़ी, भरे हुए जिस्म के साथ। मेरे नए पापा, जिनका नाम संजय है, 45 साल के हैं, लंबे-चौड़े, गठीले बदन वाले, और दिल्ली की एक पॉश कॉलोनी में रहते हैं। उनके पास गाड़ियाँ, फ्लैट, शिमला में होटल, और फार्महाउस है—यानी पैसे की कोई कमी नहीं। लेकिन मेरी और मम्मी की जिंदगी में ऐसा मोड़ आया कि मुझे अपने ही नए पापा के साथ बिस्तर पर जाना पड़ा। ये कहानी उसी रात की है, जब मम्मी ने मुझे पापा के पास भेजा और जो हुआ, वो मैं कभी नहीं भूल सकती।

ये मेरी मम्मी की दूसरी शादी थी। मेरे असली पापा एक नंबर के कमीने थे। वो हर रात घर पर कॉल गर्ल्स लाते थे, और उनकी चुदाई की आवाजें—आह्ह… उह्ह… ओह्ह—मेरे और मम्मी के कानों तक पहुँचती थीं। मैं उस वक्त छोटी थी, लेकिन इतना समझती थी कि ये सब गलत है। एक दिन वो किसी और औरत के साथ भाग गए, और हमारा पुराना घर, जो बैंक लोन पर था, वो भी कुर्क हो गया। हम माँ-बेटी रोड पर आ गए थे। तभी मम्मी को इंटरनेट पर संजय मिले। मम्मी ने मुझसे पूछा, “बेटी, वो मुझसे शादी करना चाहता है। कर लूँ?” मैंने हाँ कह दी, क्योंकि हमारे पास और कोई रास्ता नहीं था। दो-तीन महीने में मम्मी ने संजय से शादी कर ली, और हम उनके नए घर में आ गए।

नया घर किसी महल से कम नहीं था। बड़ा-सा फ्लैट, चमचमाती गाड़ियाँ, और हर सुख-सुविधा। संजय की पहली पत्नी की मौत हो चुकी थी, और वो अकेले रहते थे। शादी के बाद मम्मी की सुहागरात थी। मैं दूसरे कमरे में सो रही थी। रात को हल्की-हल्की म्यूजिक की आवाज आ रही थी, और दरवाजा बंद था। सुबह जब पापा किसी काम से बाहर गए, तो मम्मी ने मुझसे कहा, “रूचि, मैं उसे खुश नहीं कर पाई। वो वाइल्ड सेक्स चाहता है, गाँड मारना चाहता है, लेकिन मेरे में अब इतनी हिम्मत नहीं कि मैं उसकी हर इच्छा पूरी कर सकूँ।” मम्मी उदास थीं। मैंने उन्हें समझाया, “मम्मी, कुछ दिन की बात है, सब नॉर्मल हो जाएगा।” मम्मी मान गईं, लेकिन अगली रात फिर से दरवाजा बंद हुआ, और इस बार अंदर से लड़ाई की आवाजें आईं।

सुबह मम्मी ने बताया कि संजय ने धमकी दी, “अगर तुम मुझे खुश नहीं कर सकतीं, तो मैं तुम्हें तलाक दे दूँगा।” ये सुनकर मम्मी टूट गई थीं। उसी दिन मम्मी ने मुझसे कहा, “रूचि, शायद वो तुम्हें चाहता है। इसलिए इतने नखरे कर रहा है। हमारी जिंदगी का सवाल है। अगर दो दिन में ही वो हमें छोड़ दे, तो दुनिया क्या कहेगी? तू सोच ले, अगर हमारी इज्जत बचानी है, तो आज रात तू पापा के साथ सो जा। बस थोड़े दिन की बात है, फिर हम इसकी जूती बनाएँगे। इसे कुत्ते की तरह रखेंगे।” मम्मी की बात सुनकर मेरा दिल बैठ गया। मैंने सोचा, ये गलत है। मैं किसी की बीवी बनूँगी, तो उसे क्या मुँह दिखाऊँगी? लेकिन फिर लगा, अगर मैं मम्मी को खुश नहीं कर पाई, तो ये भी गलत होगा। और हाँ, मैं भी उस अरबपति जिंदगी का हिस्सा बनना चाहती थी। बस, मुझे अपनी कुंवारी चूत की कुर्बानी देनी थी।

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मैंने मन बना लिया। उस रात मैं पापा के कमरे में गई। कमरा किसी फाइव-स्टार होटल जैसा था। बड़ा-सा बेड, उस पर मखमली चादर, और टेबल पर महँगी शराब की बोतल। संजय नाइट सूट में थे, गिलास में शराब लिए हुए, जैसे कोई करोड़पति फिल्मों में दिखता है। उन्होंने मुझे देखा और पास बुलाया। बोले, “रूचि, देख, मैं अकेला हूँ, और तुम दोनों भी अकेली थीं। तो ऐसा काम करो कि सबका काम बन जाए। फिर भी, मैं पूछना चाहता हूँ, तुम्हें मेरे साथ संबंध बनाने में कोई दिक्कत तो नहीं?” उनकी बात सुनकर मेरा दिल धक-धक कर रहा था। मैंने हिम्मत जुटाई, उनके करीब गई, और उनके होंठों को चूम लिया।

उनके होंठ गर्म थे, शराब की हल्की-सी महक आ रही थी। मैंने उनकी आँखों में देखा, और धीरे-धीरे वो मेरे कपड़े उतारने लगे। मैंने भी उनके नाइट सूट के बटन खोल दिए। उनका सीना चौड़ा था, हल्के-हल्के बालों से भरा। मैं उनकी छाती पर हाथ फेरने लगी, और वो मेरी कमर को सहलाने लगे। मेरी साँसें तेज हो रही थीं। उन्होंने मेरी टी-शर्ट उतारी, और मेरी ब्रा के ऊपर से मेरी चूचियों को दबाने लगे। “आह्ह…” मेरे मुँह से हल्की-सी सिसकारी निकली। मैंने उनकी पैंट खींची, और उनका लौड़ा बाहर आ गया—आठ इंच लंबा, तीन इंच मोटा, जैसे कोई हथियार। मेरी छोटी-सी चूत के लिए वो किसी सजा से कम नहीं था। फिर भी, मैंने हिम्मत नहीं हारी।

वो मुझे बेड पर लिटा दिए। मेरी ब्रा उतार फेंकी, और मेरी चूचियों को देखकर बोले, “क्या माल है तू, रूचि। तेरी मम्मी तो इसके सामने कुछ भी नहीं।” उनकी बात सुनकर मुझे गुस्सा भी आया, लेकिन मैं चुप रही। वो मेरी चूचियों को चूसने लगे, मेरे निप्पल को दाँतों से हल्का-हल्का काट रहे थे। “उह्ह… पापा, धीरे…” मैंने कहा, लेकिन वो रुके नहीं। उनकी जीभ मेरे निप्पल पर गोल-गोल घूम रही थी, और मेरी चूत गीली होने लगी थी। मैंने उनकी पैंट पूरी तरह उतार दी, और उनका लौड़ा मेरे हाथ में आ गया। मैंने उसे सहलाना शुरू किया, और वो सिसकारने लगे, “आह्ह… रूचि, तू तो जादूगरनी है।”

वो मेरे ऊपर चढ़ गए, और मेरी जींस उतार दी। मेरी पैंटी के ऊपर से मेरी चूत को सहलाने लगे। उनकी उँगलियाँ मेरी चूत के होंठों को रगड़ रही थीं, और मैं तड़प रही थी। “पापा, ये गलत है…” मैंने हल्के से कहा, लेकिन मेरे जिस्म ने मेरा साथ नहीं दिया। मेरी चूत उनकी उँगलियों के लिए तरस रही थी। उन्होंने मेरी पैंटी उतारी, और मेरी चूत को देखकर बोले, “क्या टाइट फुद्दी है तेरी, रूचि। आज इसका भोसड़ा बनाऊँगा।” उनकी गंदी बातें सुनकर मेरा जिस्म और गर्म हो गया।

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वो नीचे झुके, और मेरी चूत पर अपनी जीभ रख दी। “आह्ह… उह्ह… ओह्ह…” मैं सिसकारने लगी। उनकी जीभ मेरी चूत के दाने को चाट रही थी, और मैं अपने कूल्हे हिलाने लगी। वो मेरी चूत को चूस रहे थे, जैसे कोई भूखा शेर। मैंने उनके बाल पकड़ लिए, और उनकी जीभ को और गहराई में धकेलने लगी। “पापा… और करो… आह्ह…” मैं चिल्लाई। करीब दस मिनट तक वो मेरी चूत चाटते रहे, और मैं दो बार झड़ गई। मेरी चूत पूरी तरह गीली थी, और मेरा जिस्म काँप रहा था।

फिर वो उठे, और बोले, “अब तेरा बुर फाड़ता हूँ।” मैं डर गई, लेकिन उत्साह भी था। मैंने अपने पैर फैलाए, और वो मेरे ऊपर चढ़ गए। उनका लौड़ा मेरी चूत के मुँह पर था। “पापा, धीरे डालना…” मैंने कहा, लेकिन वो हँसे और बोले, “अब तू मेरा माल है, रूचि। जो मैं चाहूँगा, वही होगा।” उन्होंने धीरे-धीरे अपना लौड़ा मेरी चूत में डाला। “आह्ह… उह्ह… दर्द हो रहा है…” मैं चिल्लाई। उनकी मोटी लंड मेरी टाइट चूत को चीर रही थी। वो रुके नहीं, और धीरे-धीरे पूरा लौड़ा अंदर डाल दिया। मैं दर्द से कराह रही थी, लेकिन वो मेरी चूचियों को दबाते हुए धक्के मारने लगे। “चप… चप… चप…” बेड की आवाज कमरे में गूँज रही थी।

“आह्ह… पापा… धीरे… उह्ह…” मैं चिल्ला रही थी, लेकिन वो रुके नहीं। वो मेरी चूचियों को निचोड़ रहे थे, मेरे निप्पल को दाँतों से काट रहे थे। “तेरी चूत तो जन्नत है, रूचि। इतनी टाइट… आह्ह…” वो बोले। मैं भी अब दर्द को भूलकर मजा लेने लगी थी। मैंने अपने कूल्हे हिलाने शुरू किए, और उनके धक्कों का जवाब देने लगी। “हाँ… पापा… और जोर से… चोदो मुझे…” मैंने कहा। उनकी आँखों में एक जंगली चमक थी। वो और तेज धक्के मारने लगे। “थप… थप… थप…” मेरी चूत और उनका लौड़ा एक रिदम में चल रहे थे।

करीब पंद्रह मिनट तक वो मुझे मिशनरी स्टाइल में चोदते रहे। फिर उन्होंने मुझे घोड़ी बनाया। “रूचि, अब तेरी गाँड की बारी है,” वो बोले। मैं डर गई, लेकिन विरोध नहीं किया। मैंने घुटनों के बल बेड पर पोजीशन ले ली, और वो मेरे पीछे आ गए। उन्होंने मेरी गाँड पर थप्पड़ मारा, “क्या मस्त गाँड है तेरी!” फिर उन्होंने मेरी गाँड के छेद पर थूक लगाया, और अपनी उंगली अंदर डाल दी। “आह्ह… पापा… नहीं…” मैं चिल्लाई, लेकिन वो नहीं रुके। उनकी उंगली मेरी गाँड में अंदर-बाहर हो रही थी, और मैं दर्द और मजा दोनों महसूस कर रही थी।

फिर उन्होंने अपना लौड़ा मेरी गाँड के छेद पर रखा और धीरे-धीरे अंदर धकेला। “उह्ह… ओह्ह… मर गई…” मैं चिल्लाई। उनकी मोटी लंड मेरी टाइट गाँड को फाड़ रही थी। वो धीरे-धीरे धक्के मारने लगे, और मैं दर्द से कराह रही थी। “बस कर, रूचि… थोड़ा बर्दाश्त कर… मजा आएगा,” वो बोले। करीब दस मिनट तक वो मेरी गाँड मारते रहे, और धीरे-धीरे दर्द कम होने लगा। मैं भी अब मजा लेने लगी थी। “हाँ… पापा… और मारो… आह्ह…” मैंने कहा। वो और जोर से धक्के मारने लगे। “थप… थप… थप…” कमरे में सिर्फ चुदाई की आवाजें गूँज रही थीं।

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फिर वो मुझे दोबारा लिटा दिए, और मेरे पैर अपने कंधों पर रख लिए। “अब तेरी चूत का भोसड़ा बनाता हूँ,” वो बोले। उन्होंने अपना लौड़ा मेरी चूत में डाला, और इस बार इतनी जोर से धक्के मारे कि मैं चीख पड़ी। “आह्ह… उह्ह… ओह्ह… पापा… बस… और नहीं…” लेकिन वो रुके नहीं। वो मेरी चूचियों को निचोड़ रहे थे, मेरे निप्पल को चूस रहे थे, और मेरी चूत को पेल रहे थे। मैं बार-बार झड़ रही थी, और मेरा जिस्म काँप रहा था।

आधे घंटे की चुदाई के बाद वो बोले, “रूचि, मेरा माल निकलने वाला है।” मैंने कहा, “पापा, मेरी चूचियों पर गिराओ।” उन्होंने अपना लौड़ा बाहर निकाला, और सारा माल मेरी चूचियों पर गिरा दिया। फिर वो नीचे झुके, और मेरी चूचियों को चाटने लगे। मेरी चूत को भी अपनी जीभ से साफ किया। मैं थककर चूर हो चुकी थी, लेकिन मेरे जिस्म में एक अजीब-सी तृप्ति थी।

सुबह मम्मी मुझे मिलीं। उन्होंने मुझे गले लगाया और बोलीं, “धन्यवाद, बेटी। तूने हमारी इज्जत बचा ली। अब हम इस कुत्ते को पट्टे में बाँधकर रखेंगे। दो-चार साल रुक, फिर इसकी गाँड फाड़ेंगे।” इतने में संजय पीछे से आए और बोले, “चलो, तुम दोनों के लिए सोने की चेन और अँगूठी खरीदता हूँ। अब तुम्हें किसी चीज की कमी नहीं होगी। रानी की तरह रहोगी।” मैं और मम्मी एक-दूसरे का मुँह देखकर मुस्कुराने लगीं।

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