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मोहल्ले की काली लेकिन भरे हुए जिस्म वाली लड़की को पटाकर चूत चोदी

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हाय दोस्तों, मेरा नाम अनुपम सिंह है, और मैं अमेठी का रहने वाला हूँ। मेरे मोहल्ले में एक लड़की रहती थी, नाम था गुंजन। काली थी वो, लेकिन यार, उसका जिस्म ऐसा भरा हुआ था कि बस देखते ही लंड खड़ा हो जाए। 34-28-30 का फिगर, बिल्कुल मस्त माल। बड़े-बड़े 34 इंच के मम्मे, जो सलवार सूट में भी उभरकर बाहर झाँकते थे। उसकी गांड इतनी रसीली थी कि चलते वक्त लचकती थी, मानो हर कदम पर लंड को बुला रही हो। काली थी, लेकिन चेहरा प्यारा, हँसी में वो ठहाका, और आँखों में वो चुदास भरी चमक, जो किसी का भी दिल चुरा ले। पिछले कई महीनों से वो मोहल्ले के लड़कों को लाइन दे रही थी, पर साले सब गोरी-चिट्टी लड़कियों के पीछे पड़े थे। कोई उसकी तरफ देखता भी नहीं था।

गुंजन ने मुझे भी लाइन मारनी शुरू की। मेरे पास कोई माल थी नहीं, लेकिन मैं भी बाकी लड़कों की तरह सोचता था कि गोरी-चिकनी लड़की ही चाहिए। पर यार, लंड तो लंड है, कब तक मुठ मारकर काम चलाएगा? हर रात खड़ा होता था, और मन करता था कि किसी की चूत फाड़ दूँ। गुंजन के पास मेरा नंबर था। पहले तो मैं उसकी कॉल से भागता था, फोन नहीं उठाता था। सोचता था, काली लड़की को कौन पाले? लेकिन धीरे-धीरे उसका भरा हुआ जिस्म मेरे दिमाग में चढ़ने लगा। वो सलवार सूट में जब निकलती थी, तो उसकी गांड और मम्मे ऐसे हिलते थे कि मेरा लंड पैंट में तंबू बना देता। उसकी हँसी, वो चुलबुलापन, और वो चूत का वादा करने वाली नजरें, सब मुझे खींचने लगे।

एक दिन गुंजन ने व्हाट्सएप पर एक वीडियो भेजा। मैंने खोला तो मेरे होश उड़ गए। 10 मिनट का वीडियो था, जिसमें गुंजन अपनी चूत दिखा रही थी। काली, चिकनी, भरी हुई चूत, बिल्कुल मक्खन जैसी। वो उंगली डालकर चूत को रगड़ रही थी, और माल निकालते वक्त उसकी सिसकारियाँ सुनकर मेरा 7 इंच का मोटा लंड पत्थर हो गया। मैंने वो वीडियो बार-बार देखा, और हर बार मुठ मारी। सोचने लगा, ये माल तो चुदने को तैयार है, और मैं मूरख बनकर गोरी लड़की के चक्कर में पड़ा हूँ। उस रात मैंने फैसला कर लिया कि गुंजन को अपनी माल बनाऊँगा, और उसकी रसीली चूत को रोज चोदकर इसका रस पियूँगा।

अगले दिन मैंने उसे कॉल किया। एक घंटे तक बात हुई। उसकी आवाज में वो चुदास भरी मिठास थी, जो मेरे लंड को और तड़पा रही थी। मैंने उसका प्रपोजल एक्सेप्ट कर लिया और बोल दिया, “गुंजन, आई लव यू।” वो खुश हो गई। धीरे-धीरे हम डेटिंग शुरू करने लगे। मैं उसे फिल्म दिखाने ले जाता, चाय-पकौड़े खिलाता। हमारी फोटो फेसबुक पर डाली, व्हाट्सएप पर दोस्तों को भेजी। मोहल्ले के लड़के हैरान थे कि अनुपम ने काली लड़की को कैसे पटा लिया, लेकिन मुझे अब फर्क नहीं पड़ता था। गुंजन की चूत का ख्याल मेरे दिमाग में दिन-रात घूमता था।

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हमारी नजदीकियाँ बढ़ने लगीं। पहले हल्की-फुल्की छेड़छाड़, फिर किस शुरू हुई। गुंजन के होंठ इतने रसीले थे कि चूसते वक्त लगता था, जैसे अमृत पी रहा हूँ। उसकी गर्म साँसें मेरे चेहरे पर पड़तीं, तो लंड और जोश में आ जाता। एक दिन उसके घरवाले कहीं बाहर गए थे। गुंजन ने मुझे लंच पर बुलाया। उसने मेरे लिए चिकन बनाया था, मसालेदार, वैसा ही जैसे उसका जिस्म। खाना खाने के बाद हम सोफे पर बैठे, टीवी देखने लगे। लेकिन मेरा ध्यान तो उसकी जाँघों पर था, जो सलवार में भी उभरी हुई दिख रही थीं। धीरे-धीरे माहौल गरम होने लगा। मैंने टीवी बंद कर दी और उसे बाहों में भर लिया।

“अनुपम, सच-सच बताओ, तुम मुझसे प्यार करते हो, या बस मेरी चूत मारना चाहते हो और मेरे मम्मे चूसना चाहते हो?” गुंजन ने चुलबुले अंदाज में पूछा, उसकी आँखों में शरारत थी।

“जान, सच कहूँ तो तेरी चूत और मम्मे ही मेरे दिमाग में घूमते हैं। वो वीडियो देखकर तो मैं पागल हो गया हूँ,” मैंने हँसते हुए कहा।

उसका चेहरा थोड़ा लटक गया। शायद उसे बुरा लगा। मैंने फटाक से माहौल संभाला, “अरे मेरी जान, मजाक कर रहा था। मैं तो तुझसे सच्चा प्यार करता हूँ।” ये सुनकर वो मुस्कुराई, और मैंने उसे गोद में बिठा लिया। “मेरा बाबू, मेरा बच्चा,” कहकर मैं उसके गालों पर चूमने लगा। गुंजन का रंग काला था, लेकिन उसकी त्वचा इतनी चिकनी थी कि मखमल लगती थी। मैंने उसके गालों पर प्यार की बरसात शुरू कर दी। फिर हम फ्रेंच किस करने लगे। उसके होंठों का स्वाद, उसकी गर्म साँसें, सब कुछ मुझे पागल कर रहा था।

किस करते-करते हम दोनों का जोश चढ़ने लगा। गुंजन का दुपट्टा बार-बार बीच में आ रहा था, तो मैंने उसे खींचकर किनारे फेंक दिया। अब वो मेरी गोद में थी, और मैं उसके होंठ चूस रहा था। मेरे हाथ धीरे-धीरे उसके 34 इंच के मम्मों पर चले गए। उफ्फ, कितने कसे हुए, भरे हुए मम्मे थे। मैंने उन्हें सहलाना शुरू किया। गुंजन सिसकारी, लेकिन कुछ बोली नहीं। उसे भी मजा आ रहा था। मैंने उसकी कमीज ऊपर उठाई, तो वो खिलखिलाकर हँसने लगी और भागने की कोशिश करने लगी।

“नहीं, अनुपम, मुझे शर्म आती है,” उसने शरमाते हुए कहा।

“अरे जान, इसमें शर्म कैसी? तू तो मेरी माल है,” मैंने उसे मनाया।

वो बार-बार हँस रही थी, जैसे चुदाई उसके लिए कोई मजाक हो। बड़ी मुश्किल से मैंने उसकी कमीज उतारी। उसकी ब्रा इतनी टाइट थी कि मम्मे बाहर निकलने को बेताब थे। मैंने ब्रा भी खींचकर उतार दी। अब गुंजन मेरे सामने ऊपर से पूरी नंगी थी। बाप रे, क्या माल थी वो! काले, लेकिन कसे हुए, गोल-गोल मम्मे, जिनके निप्पल गहरे काले और सख्त हो चुके थे। वो अपने मम्मों को हाथों से छुपाने लगी, लेकिन मैंने उसके हाथ हटा दिए। मैं तो बस उन मम्मों को देखकर ललचा गया।

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मैंने दोनों मम्मों को हाथों में भरा और मसलने लगा। फिर एक मम्मे को मुँह में लिया और चूसने लगा। उफ्फ, क्या स्वाद था! जैसे कोई बच्चा माँ का दूध पी रहा हो। गुंजन अब शांत हो गई थी। वो मेरी गोद में बैठी थी, और मैं उसके मम्मे चूस रहा था। उसकी सिसकारियाँ शुरू हो गईं, “आह्ह, अनुपम, धीरे…” लेकिन मैं कहाँ रुकने वाला था? मैंने एक मम्मा चूसा, फिर दूसरा। दोनों को बारी-बारी से मसला, चाटा, और निप्पलों को दाँतों से हल्का-हल्का काटा। गुंजन की साँसें तेज हो रही थीं, और उसकी चूत से गीलापन सलवार में दिखने लगा था।

मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खींचा और उसे उतार दिया। उसकी काली चड्डी भी गीली हो चुकी थी। मैंने चड्डी भी उतार दी। अब गुंजन मेरे सामने पूरी नंगी थी। उसने शरम से अपनी चूत को दोनों हाथों से ढक लिया। मैंने उसके हाथ हटाए, और उसकी चूत को देखकर मेरे मुँह में पानी आ गया। वही चूत, जो मैंने वीडियो में देखी थी। काली, चिकनी, भरी हुई, और अब गीली। मैंने उसे सोफे पर लिटाया और उसकी चूत पर टूट पड़ा।

हम 69 की पोजीशन में आ गए। मैंने अपना 7 इंच का लंड उसके मुँह में डाल दिया, और खुद उसकी चूत चाटने लगा। गुंजन ने मेरा लंड ऐसे चूसा, जैसे कोई लॉलीपॉप हो। उसकी जीभ मेरे सुपाड़े पर घूम रही थी, और वो मेरे टट्टों को भी चाट रही थी। मैं भी उसकी चूत को जीभ से चोद रहा था। उसका दाना सख्त हो चुका था, और मैं उसे चूस-चूसकर तड़पा रहा था। उसकी चूत का रस मेरे मुँह में आ रहा था, और मैं उसे चाट-चाटकर पी रहा था। करीब एक घंटे तक हम एक-दूसरे की चूत और लंड को चूसते रहे।

“अनुपम, मेरी जान, अब चोद दो मुझे। मेरी चूत की प्यास बुझा दो,” गुंजन ने सिसकारते हुए कहा।

“मेरी रानी, आज तेरी चूत को इतना लंड खिलाऊँगा कि तू जिंदगी भर याद रखेगी,” मैंने कहा।

मैंने उसे सीधा लिटाया और उसकी टाँगें चौड़ी कीं। उसकी चूत गीली और गर्म थी। मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ा, और फिर एक जोरदार धक्का मारा। मेरा आधा लंड उसकी चूत में घुस गया। गुंजन चीखी, “आह्ह, धीरे, अनुपम!” लेकिन मैंने एक और धक्का मारा, और मेरा पूरा 7 इंच का लंड उसकी चूत में समा गया। मैंने उसे जोर-जोर से चोदना शुरू किया। उसकी चूत इतनी कसी थी कि मेरा लंड हर धक्के में मजे ले रहा था। गुंजन की सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं, “आह्ह, अनुपम, चोदो, और जोर से चोदो!”

मैंने उसके कंधे पकड़े और खपाखप उसे पेलने लगा। उसकी चूत हर धक्के के साथ फच-फच की आवाज कर रही थी। मैंने उसके मम्मे चूसते हुए उसे चोदा। उसकी चूत का गीलापन मेरे लंड को और फिसलन दे रहा था। करीब 20 मिनट तक मैंने उसे चोदा, और फिर उसकी चूत में ही झड़ गया। मेरा गर्म माल उसकी चूत में भर गया। गुंजन मुझसे लिपट गई, और हम दोनों एक-दूसरे के होंठ चूसने लगे।

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जब मेरा लंड उसकी चूत से निकला, तो वो उसे फिर से चूसने लगी। “गुंजन, तू इतना मस्त लंड चूसती है, ये कहाँ सीखा?” मैंने पूछा।

“अनुपम, मैं एक बार अपने मामा के यहाँ थी। वहीँ उन्होंने मुझे चुदाई सिखाई। कई रात मुझे चोदा और लंड चुसवाया। वहीँ से ये सब सीखा,” उसने बताया।

मैंने सोचा, इसका मतलब इसकी चूत पहले ही फट चुकी थी। खैर, मुझे तो मजे मिल रहे थे। कुछ देर बाद मेरा लंड फिर खड़ा हो गया। मैंने गुंजन को घोड़ी बनाया और उसकी गांड चाटने लगा।

“अनुपम, ये क्या कर रहे हो? मेरी गांड क्यों चाट रहे हो?” उसने पूछा।

“तेरी गांड मारूँगा, और क्या, मादरचोद!” मैंने कहा।

“नहीं, प्लीज, मेरी गांड मत मारो,” वो गिड़गिड़ाने लगी और अपनी गांड का छेद छुपाने लगी।

“हट, मादरी, हाथ हटा,” मैंने ने डांटा।

उसने बड़ी मुश्किल से हाथ हटाया। मैंने अपनी जीभ उसकी गांड के छेद पर फिराई। फिर अपने लंड पर थूक लगाया और उसकी गांड पर सुपाड़ा रखा। एक जोरदार धक्के में मेरा आधा लंड उसकी गांड में घुस गया। वो दर्द से चीखी। मैंने एक और धक्का मारा, और मेरा पूरा लंड उसकी गांड में समा गया। गुंजन दर्द से कराह रही थी, “आह, अनुपम, निकालो, दर्द हो रहा है!” लेकिन मैंने उसे पकड़ रखा था। मैंने 40 मिनट तक उसकी गांड मारी। उसकी गांड इतनी कसी थी कि मेरा लंड हर धक्के में स्वर्ग के दर्शन कर रहा था।

पहली चुदाई के बाद गुंजन मुझसे पूरी तरह खुल गई। अब वो मेरी माल थी, और रोज अपनी चूत और गांड मरवाती थी।।

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