निकिता का स्वयंवर – भाग 5 – मेरी दूसरी सुहागरात

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“मैं आपकी सखी रानी, निकिता, फिर एक बार मेरी नई कहानी में आपका स्वागत करती हूं।”

पिछली कहानी में आपने पढ़ा कि कैसे मदिरा के नशे में, हमने स्विंगर्स सेक्स किया हालांकि होश में रहते हुए हम ऐसा कभी नहीं करने वाले थे। फिर मैं नंगी ही सो गई और प्रताप और रागिनी भी अपने कमरे में चले गए ।

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अगली सुबह राजा प्रताप अपने राज्य की ओर जाने की तैयारी में थे।
प्रताप ने मुस्कुराते हुए मेरी ओर देखा, और कहा, “रानी निकिता, हमारी मुलाकात जल्द ही फिर होगी।” । मैंने हल्की सी मुस्कान के साथ उन्हें विदा दी, और भीतर से महसूस किया कि कुछ बदल चुका था। कुछ ऐसा, जो सिर्फ मुझे समझ में आ रहा था।

जैसे ही प्रताप और रागिनी अपने रथ पर सवार हुए और महल से बाहर निकले, मैं खिड़की पर खड़ी थी। हवा में एक अजीब सी ठंडक थी, और मेरी आँखों के सामने बीती रात की घटनाएँ घूमने लगीं। वह रात अब तक मेरे दिमाग में गूंज रही थी। खेल-खेल में, जब हम सब एक साथ नंगे थे,

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और फिर, मुझे अचानक वो याद आया—प्रताप के हाथों की गर्मी मेरे पिछवाड़े पर। वह पल, जब प्रताप ने मुझे अपनी बाहों में समेट लिया था । अब भी मुझे अपने बूब्स पर उसके हाथों की छाप महसूस हो रही थी। वह स्पर्श, वह अहसास, अब तक मेरे शरीर में कहीं गहरे समाया हुआ था। क्या यह वही था, जो मैं चाहती थी? क्या यह उस खेल का हिस्सा था, जो हम सभी ने मिलकर खेला था?

दो दिन बीत गए और सब सामान्य होने लगा सिवाय मेरे..

यह रात का वक्त था। मैंने देखा कि हमारे कमरे से कुछ अहम दस्तावेज, जो हमारे राज्य की रक्षा और रणनीति के लिए आवश्यक थे, अचानक गायब हो गए थे। यह एक सामान्य घटना नहीं हो सकती थी, इसमें किसी बड़ी साजिश का हाथ था।

मैंने गहरी सांस ली और एक नज़र केशव पर डाली। “यह प्रताप की चाल हो सकती है क्योंकि वही लोग हमारे बेडरूम में आए थे,” मैंने कहा, गुस्से से। “यह एक साज़िश है ।

केशव ने गंभीरता से मुझे देखा और कहा, “तुम्हारा शक सही हो सकता है, निकिता। हमें जल्द ही कुछ करना होगा, और इसे हल करना होगा। वह हमें घेरने की कोशिश कर रहा है।”

मेरे दिल में एक घबराहट सी थी, लेकिन इससे पहले कि हम कुछ और सोचते, एक और बुरी खबर आई। कालीनाथ, जो युद्ध में हारकर हमारे क़ब्ज़े में था, अचानक गायब हो गया था।

राजा प्रताप का आक्रमण

अगली सुबह केशव और अपना मन ठीक करने के लिए मैं नग्न नृत्य कर रही थी

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तभी खबर मिली कि प्रताप ने हमारे राज्य पर हमला कर दिया। उसकी सेना विशाल थी, और उसकी चालाकियाँ भी बेहद खतरनाक थीं क्योंकि उसके पास अहम दस्तावेज लग चुके थे । मुझे महसूस हो रहा था कि हम खतरे में थे।

केशव के नेतृत्व में हमारी सेना प्रताप के खिलाफ युद्ध में उतरी और जमकर युद्ध करने लगी, परन्तु प्रताप को हराना मुश्किल हो रहा था। तभी काव्या अपनी सेना लेकर आ गई और अब केशव की सेना विशाल हो चुकी थी प्रताप अचानक मैदान से भागने लगा। और देखते ही देखते गायब हो गया ।

लेकिन प्रताप की सेना पीछे नहीं हट रही थी, और प्रताप की तरफ से कालीनाथ अब हमारी सेना के खिलाफ युद्ध कर रहा था। उसकी आँखों में गुस्सा और बदला था, और वह हमसे हार मानने को तैयार नहीं था। “तुम हमें हराकर क्या समझते हो?” उसने चिल्लाते हुए कहा। “मेरे पास अब और ताकत है!”

केशव ने युद्ध जारी रखा, और कालीनाथ को श्वेतनगर तक खदेड़ दिया। वहाँ हमारी सेना ने उसे पूरी तरह से हराया ।

लेकिन यही समय था जब प्रताप ने नग्न नगर पर हमला कर दिया।

नग्न नगर, जहाँ मैं रानी थी, अब प्रताप के निशाने पर था। मैं जानती थी कि अगर नग्न नगर को खो दिया, तो यह हमारी पूरी शक्ति को नुकसान पहुंचा सकता था। “मैं वहां जा रही हूँ,” मैंने अपनी आवाज़ में दृढ़ता भरते हुए कहा। “मुझे नग्न नगर की रक्षा करनी होगी।”

रिया ने मुझे गंभीरता से देखा और कहा, “यह तुम्हारी सुरक्षा के लिए बहुत खतरनाक हो सकता है, निकिता। तुम अकेली कैसे जाओगी?”

मैंने उसकी आँखों में दृढ़ता से देखा और कहा, “मेरे पास कोई और रास्ता नहीं है । मुझे जाना होगा। यह मेरी जिम्मेदारी है।”

उन दोनों ने मुझे साफ मना कर दिया पर मैं कहा मानने वाली थी ।

मैंने अपना रथ तैयार किया और नग्न नगर की ओर रवाना हो गई।

केशव और उसकी सेना श्वेतनगर के किले की ओर बढ़ रहे थे, और श्वेतनगर पहुंचते-पहुंचते केशव की सेना ने कालीनाथ को पूरी तरह से हराया और दोबारा बंदी बना लिया था। “अब यह हमारा राज्य है, तुम आत्मसमर्पण कर दो” केशव ने रागिनी से कहा।

दूसरी ओर प्रताप ने नग्न नगर पर हमला किया, और इस बार बागी सेनाएँ भी उसे समर्थन दे रही थीं। वे चाहते थे कि नग्न नगर में स्त्रियाँ शासन न करें और सत्ता पुरुषों के हाथों में हो। यही कारण था कि बागी सेनाएँ प्रताप के साथ थीं और मेरे विरुद्ध।

केशव की श्वेतनगर पर बेरहम जीत

केशव ने श्वेतनगर और रागिनी को जीत लिया। केशव रागिनी के करीब आने लगा।

रागिनी- देखो, मेरे करीब मत आओ। तुम जानते हो ना कि मैं किसकी पत्नी हूँ। अगर मुझे कुछ किया तो तुम जानते हो कि तुम बच नहीं पाओगे। रागिनी की बात सुनकर केशव जोर से हँसने लगा।

तभी वहां वहाँ और सैनिक आ गए और रागिनी को महल के बाहर ले आए थे ।

रागिनी ने उससे माफियां माँगी मगर वो कुछ सुनने को तैयार ही नहीं था।

केशव- “रानी रागिनी एक समझौता करते हैं। आप हम सबके सामने नाचें और मेरे लण्ड को चूसकर उसका पानी निकल दें, तभी हम आपको जाने देंगे…”

केशव बोला- “आए रण्डी … अगर तूने 5 गिनने तक नाचना शुरू नहीं किया तो हम सब तेरे कपड़े फाड़कर तुझे यहीं चोदना शुरू कर देंगे- 1… 2… 3… 4…

और रागिनी ने नाचना शुरू कर दिया। उसे नाचना तो नहीं आता था लेकिन उसने अपनी कमर और चूतड़ों को सेक्सी तरह से हिलना शुरू कर दिया। उसने देखा कि सब अपने लण्ड बाहर निकालकर हिला रहे हैं।

केशव ने उसे अपने पास बुलाया- “ओ … इधर आ और मेरा लण्ड मुँह में ले…”

रागिनी उसकी तरफ जाने लगी।

तो वो बोला- “साली, चारों हाथों-पैरों पे कुतिया की तरह आ…”

वह चारों हाथों-पैरों पे कुतिया बनकर उसकी तरफ गई। उसके लण्ड को हाथ में पकड़ने लगी।

तभी केशव ने जोर से रागिनी के मुँह पर थप्पड़ मार दिया और बोला- “साली, तुझे किसने बोला लण्ड को हाथ लगाने को?”

रागिनी का दिमाग घूम गया। केशव ने उसे बालों से पकड़कर खींचा तो उसकी चीख निकल गई और आँखों में आँसू आ गए।

उसने रागिनी को अपने लण्ड पे झुकाया तो रागिनी ने अपना पूरा मुँह खोल दिया और उसके लण्ड का टोपा मुँह में लेकर चूसने लगी। उसने रागिनी का मुँह पकड़कर अपने लण्ड पे दबा दिया। उसने रागिनी को बालों से पकड़कर अपना लण्ड रागिनी के मुँह में अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया। 5 मिनट में ही उसके जबड़े दर्द करने लग गए।

तभी उसने अपना लण्ड रागिनी के मुँह से निकाल लिया। रागिनी के मुँह से उसके लण्ड तक प्री-कम की वजह से तार सी बनी हुई थी। चल साली मेरी गोटियां चूस… केशव बोला और उसके सिर को अपनी गोटियों से लगा दिया।

बाकी पूरी सेना इस नजारे को एंजाय कर रहे थे। जब रागिनी उसके गोटे चूस रही थी तभी उसने रागिनी के मुँह जो कि आधा खुला था, में अपनी थूक फेंकी और उसे घुटने पे झुका दिया। वह थूक बाहर निकालने लगी तो उसने जबरदस्ती मुँह बंद कर दिया। मजबूरन उसको थूक निगलना पड़ा। उसने रागिनी के मुँह में एक और बार थूका और दोबारा अपने लण्ड पे झुका दिया। तभी उनमें से किसी ने रागिनी के हाथ पीछे खींच लिए। और उन्होंने रागिनी के दोनों हाथ बाँध दिए। इधर केशव तेजी से रागिनी के मुँह को चोद रहा था।

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बाकी सैनिकों ने भी अपने कपड़े निकाल दिए, और रागिनी के आस-पास घेरा बनाकर मूठ मरने लगे। फिर सैनिकों ने उसकी चोली को फाड़ना शुरू कर दिया। रागिनी विरोध करना चाह रही थी, मगर मुँह की चुदाई और हाथ बँधे होने की वजह से कुछ ना कर सकी।

रागिनी केशव का लण्ड मुँह से निकालना चाह रही थी मगर उसकी मजबूत पकड़ ने ऐसा नहीं करने दिया। तभी उसे महसूस हुआ कि कोई उसका घाघरा भी फाड़ रहा है। वह बचना चाह रही थी मगर उसके मुँह से सिवाए ‘म्‍म्म्मह… न्‍नहिँ’ के सिवा कुछ नहीं निकल सका। अब वह बिल्कुल नंगी उस पूरी सेना के सामने थी। वह हिल भी नहीं पा रही थी।

तभी केशव का लण्ड उसके मुँह में फूलने लगा और उसकी आवाज आई- “साली रंडी, अगर एक भी बूँद नीचे गिरी तो हम तेरी गाण्ड में 2-2 लण्ड घुसेड़ेंगे और वो भी बिना तेल के… पी जा मेरा पानी… साली रांड…” इसके साथ ही 1… 2… 3… 4… 5…

5 मिनट तक उसने पिचकारियां छोड़ी होंगी। उसने फिर भी लण्ड रागिनी के मुँह से नहीं निकाला और अगले 5 मिनट तक धक्के मारता रहा। उसके बाद उसने लण्ड बाहर निकाला तो रागिनी को बहुत जोर से खाँसी आने लगी।

इस बीच इन सैनिकों में से कोई उसे किस कर रहा था, कोई चूतर दबा रहा था, कोई गाण्ड में उंगली कर रहा था, कोई चूचियों के साथ खेल रहा था। मतलब ये कि रागिनी के जिश्म का कोई हिस्सा ऐसा नहीं था जो मसला ना गया हो और वह घुटनों के बल जमीन पे बैठी थी… या ऐसे कहूँ कि उन्होंने रागिनी को जबरदस्ती बिठा दिया था और उसे मुँह खोलकर जबान बाहर निकालने को कहा।

इनकार किया तो एक जोरदार थप्पड़ गालों को लाल कर गया और रागिनी को उनकी बात माननी पड़ी।

अब बाकी लोग उसके इर्द-गिर्द खड़े होकर मूठ मार रहे थे। थोड़ी देर बाद सब ने झड़ना शुरू कर दिया। सब लोग झड़ रहे थे और रागिनी को कुतिया, रांड़, आदि बोलते जा रहे थे। और अपना पानी रागिनी के बदन पर निकालते गए। वह सबके पानी से पूरी तरह गीली हो चुकी थी। उसके जिश्म का कोई हिस्सा ऐसा नहीं था जिस पे उन लोगों का पानी ना लगा हो। वह अपनी आँखें भी नहीं खोल सकती थी। फिर सभी सैनिक रागिनी को देखकर हँसने लगे ।

अब उन्होंने रागिनी के हाथ खोल दिए, और एक घड़ा पानी लाकर उसके जिश्म को अच्छी तरह रगड़-रगड़कर धोया। उसकी चूत और गाण्ड में उंगलियां भी कीं।

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सब लोग रागिनी के आस-पास खड़े हो गए और उसे चूमने लगे। जिश्म का अंग-अंग उन्होंने चूमा चूसा।

इतनी देर में एक सैनिक रागिनी की चूत को हाथ से सहलाने लगा। उसकी चूत से पानी बह रहा था। ये देखकर वो बोला- “साली छिनाल को मजा आ रहा है। ऐसे ही नखरे कर रही है…” और वो सब हँसने लगे।

फिर केशव ने रागिनी को जमीन पर लिटा दिया

उसने रागिनी की चूत पे अपना लण्ड रखा और उसको रगड़ने लगा। रागिनी ने अपनी कमर उचकानी शुरू कर दी। ये देखकर केशव ने अपना लण्ड पीछे खींच लिया। उसने 2-3 दफा ऐसा किया।

फिर आखिर में रागिनी बोल पड़ी- “आआअह्ह… प्लीज़्ज़… डाल दो ना… आआअह।ह…”

केशव- क्या डालूँ, मेरी रण्डी? “तू जब तक नहीं कहेगी कि तुझे क्या चाहिए? मुझे कैसा पता चलेगा?”

रागिनी- “प्लीज़… आआअह्ह… अपना लण्ड म्‍म्म्मेरी चूत मेंई डालो नाअ… ऊऊऊईई…”

इतनी बात पूरी होते ही केशव ने एक बहुत जोर का धक्का मारा था और उसका लण्ड 4 इंच तक रागिनी की चूत में घुस गया था और रागिनी के मुँह से बहुत जोर की चीख निकल गई।

अब वो पूरा लण्ड अंदर डालकर तेज़-तेज़ धक्के मार रहा था और
रागिनी मजे से हवाओं में उड़ रही थी। और धक्के लगते रहे और रागिनी झड़ गई ।

लेकिन उसके धक्कों में कोई कमी नहीं आई थी। फिर केशव ने अपना लण्ङ रागिनी की चूत से बाहर निकला और उसकी गेंद चोदने लगा सब मजे ले रहे थे फिर केशव भी झड़ गया। तभी एक सैनिक आया और रागिनी के गले में पट्टा बांध कर केशव के हाथ मे पकड़ा दिया, रागिनी की चुदाई अभी अधूरी थी और वह बिल्कुल नंगी ही चारों हाथ पैरों पर कुतिया बनकर केशव के साथ उसके राज्य की और चलने लगी, पीछे से सैनिक उसकी गांड़ पर चमाट मारे जा रहे थे ।

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नग्न नगर में युद्ध और मेरी कठिन परीक्षा

यह सब कुछ होते हुए मैं नग्न नगर में प्रताप और उसके बागियों के खिलाफ लड़ाई कर रही थी पर क्योंकि मैने केशव को नही बताया था उसे इस भावक कुछ पता नहीं था। लेकिन, जैसे ही बागियों का समर्थन बढ़ा, मैंने महसूस किया कि मैं अकेली पड़ गई हूँ। युद्ध की स्थिति ने पलटते हुए मुझे हार का सामना करना पड़ा। बागियों ने हमारी सेना को कमजोर किया और प्रताप को नग्न नगर में फिर से मजबूत कर दिया।

केशव के खिलाफ नग्न नगर की जनता में आक्रोश फैलने लगा क्योंकि उसने सत्ता मुझे दे दी थी। लोग महसूस करने लगे थे कि हमारी सत्ता यहाँ पर नहीं चल सकती। वे प्रताप के पक्ष में बोलने लगे थे और उनका प्यार बढ़ने लगा था। प्रताप को नग्न नगर में एक नेता के रूप में देखा जाने लगा। उसकी सेना और बागियों ने मिलकर राज्य की व्यवस्था पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली थी। और मै यह युद्ध और राज्य हार चुकी थी ।

जैसे ही प्रताप नग्न नगर पर पूरी तरह से विजय प्राप्त कर चुका था, मैं अपने कक्ष में अकेली बैठी हुई थी। हार का बोझ मेरे कंधों पर था, और हर ओर सन्नाटा पसरा हुआ था। मेरे मन में कई भाव उमड़ रहे थे—क्रोध, दुख, और असमंजस। इस किले में अब मेरे पास कुछ भी नहीं बचा था जो मुझे मेरी शक्ति का अहसास दिला सके।

तभी कक्ष का दरवाज़ा खुला, और प्रताप भीतर आया।

प्रताप ने धीरे से आगे बढ़कर मेरे पास आकर कहा, “रानी निकिता, तुम चाहो तो अब भी इस राज्य की रानी बनी रह सकती हो। तुम्हारे पास एक आखिरी मौका है। लेकिन उसके लिए तुम्हें मेरी रानी बनना होगा।”

मेरे दिल की धड़कनें तेज हो गईं। उसकी इस शर्त में मेरे सम्मान और अस्तित्व के बीच एक नाज़ुक सी डोर बंधी थी। मैं उसकी आँखों में देख रही थी, जैसे कुछ कहना चाह रही थी, पर वह पहले ही समझ गया था।

उसने गंभीर स्वर में कहा, “अगर तुम मेरा प्रस्ताव स्वीकार नहीं करतीं, तो मजबूरन मुझे वही करना होगा जो एक हारी हुई रानी के साथ होता है और तुम्हे आम जनता से चुदाना पड़ेगा । ये बागी लोग यहाँ बस तुम्हारे हारने का जश्न नहीं मना रहे; वे इंतज़ार कर रहे हैं। और अगर मैंने तुम्हारी रक्षा का अधिकार छोड़ दिया, तो ये तुम्हें नोच-नोच कर खा जाएंगे।”

उसकी बातों में एक ठंडा सच था, जिससे बच पाना अब असंभव लग रहा था। मैंने घबराकर उसकी ओर देखा, पर उसकी आँखों में किसी तरह की दया नहीं थी। उसने बस हल्की सी मुस्कान के साथ कहा, “तुम इस राज्य में रहोगी तो मेरी रानी बनकर, लेकिन जब तुम केशव के राज्य में जाओगी, तब भी तुम्हारा दर्जा वही रहेगा जो केशव की रानी का है। लेकिन नग्न नगर की भूमि पर मैं तुम्हारा राजा रहूँगा और तुम मेरी रानी। तुम्हारा सम्मान और तुम्हारी शक्ति दोनों बने रहेंगे।”

उसके प्रस्ताव ने मेरे मन को झकझोर दिया था। यह हार का एक अनोखा पहलू था—मैं अपने अस्तित्व को बचा सकती थी, लेकिन उसकी शर्तों पर।

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कुछ क्षणों तक मैंने गहरी साँस ली कहा मुझे कुछ समय चाहिए।

प्रताप के कक्ष से जाने के बाद मैं बिस्तर पर बैठ गई, मन में एक अजीब सी कशमकश और बेचैनी थी। मैंने कल्पना भी नहीं की थी कि कभी इस तरह का निर्णय मेरे सामने आएगा। तभी मेरी चारों नंगी मंत्रियाँ मेरे पास आकर बैठ गईं। उनके चेहरों पर चिंता और हल्की सी उम्मीद झलक रही थी।

मधु ने मेरे हाथ को थामते हुए कहा, “रानी निकिता, यह जीवन में एक नया मोड़ है। प्रताप ने तुम्हें एक सम्मानपूर्ण प्रस्ताव दिया है। अगर तुम उसकी रानी बनती हो, तो हमें भी इस राज्य में जगह मिलेगी। वरना हमारी हालत रंडियों से भी बुरी हो जाएगी ।

कंचन ने आगे कहा, “सोचो रानी, केशव की भी तो कई रानियाँ हैं। क्या तुम दो राजाओं की रानी नहीं हो सकतीं? केशव तुम्हें वो समय दे ही नहीं पाता जो तुम्हें चाहिए, उसे सब रानियों को चोदना पड़ता है। लेकिन प्रताप ने जो कहा, उसमें तुम्हारे प्रति उसकी पूरी निष्ठा और अपने राज्य के प्रति उसकी समझदारी नजर आती है। वह चाहता है कि तुम उसके साथ नग्न नगर की रानी बनो, और वह अपना सारा वक्त तुम्हें समर्पित करना चाहता है।”

उनकी बातें सुनकर मेरे भीतर कहीं कुछ पिघलने लगा।

शीतल ने धीरे से कहा, “और देखो रानी, प्रताप ने जो कहा वो मज़ाक नहीं था। यहाँ बागियों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। अगर तुम्हारे निर्णय में थोड़ी सी भी देरी होती है, तो तुम्हारी सुरक्षा के लिए खतरा बढ़ सकता है। प्रताप ने तुम्हारे लिए जो रास्ता दिखाया है, वह तुम्हारी शान और सलामती दोनों का ख्याल रखता है। और वैसे भी तुम किस्मत वाली हो जो दो लण्ङ का मजा ले पाओगी वरना हमे देखो इंतजार करना पड़ता है कि जब केशव आयेगा और हमें चोदेगा”

कुछ क्षणों की गहरी सोच के बाद मैंने अपनी चारों सहेलियों की ओर देखा। उन्होंने मेरी आँखों में मेरे निर्णय को पढ़ लिया था। मैंने धीरे से कहा, “ठीक है, मैं प्रताप का प्रस्ताव स्वीकार करती हूँ।”

उनके चेहरों पर मुस्कान आ गई। मेरे निर्णय ने मेरी सोच और मेरे भविष्य की दिशा को एक नई मंजिल दे दी थी। अब मैं केशव के साथ उसकी रानी रहूंगी और नग्न नगर में प्रताप की रानी बनकर अपना कर्तव्य निभाऊंगी।

प्रताप का राज्याभिषेक और रंगीली रात

प्रताप का राज्याभिषेक होने लगा था, और हम दोनों का शृंगार शुरू हो रहा था।** महल में हर्षोल्लास का माहौल था। जैसे ही शृंगार की प्रक्रिया शुरू हुई, महल के हर कोने में चमक और रौनक फैल गई। यह एक ऐतिहासिक क्षण था, जब प्रताप और मैं एक साथ अपनी संपूर्ण सुंदरता में सजे रहे थे।

अब क्योंकि मैं सिर्फ प्रताप की रानी थी और कार्यभार प्रताप संभालने वाला था तो मुझे भी नग्ननगर के नियम का पालन करते हुए नग्न श्रृंगार करवाना था ।

मधु के कहने पर मैने मेरे सभी कपड़े उतार दिए और नंगी हो गई, चारों मंत्री मुस्कुरा रही थी।

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शृंगार की प्रक्रिया की शुरुआत हुई थी, और सबसे पहले मेरे
गुलाबी, मुलायम और कोमल एवं नंगे बदन पर हलके से तेल की परत लगाई जा रही थी। यह तेल मेरी त्वचा को और भी चमकदार बना रहा था,
मेरे लंबे, काले और रेशमी बाल अब चांदी की कंघी से सहेजे जा रहे थे।
मेरी आकर्षक आँखों में गहरा काजल और मस्कारा डाला गया था, होंठों पर लाल रंग की लिपस्टिक को हलके से लगाया गया था, जिससे वे और भी आकर्षक और आकर्षक दिखने लगे थे।

मेरे नाज़ुक स्तन पर सोने की चूड़ियाँ डाली जा रही थीं, जिनकी हलकी खनक मेरे शरीर को और भी मोहक बना रही थी। ये चूड़ियाँ मेरी स्तनाग्र यानी चूची की सुंदरता को और भी निखार रही थीं। फिर मेरी नंगी कमर को सोने की करधनी से सजाया गया, जो मेरे शरीर की आकर्षकता को और बढ़ा रही थी। करधनी के कड़े हर एक कदम के साथ खनक रहे थे जो कि मेरी गांड़ को छुटे थे और चूत से ऊपर तक लटकते थे, और मेरी कमर को और भी संपूर्ण और आकर्षक बना रहे थे।

मेरी नाभि में हलके से हीरे का स्टड डाला गया था, जो अब मेरी शाही सुंदरता का प्रतीक बन चुका था। फिर जांघों में चांदी की पायलें डाली गईं, जिनकी खनक मेरे हर कदम के साथ गूंज रही थी। पायलें अब मेरी जांघों को और भी निखार रही थीं, और हर कदम के साथ उनका संगीत जैसे मेरे रूप को और भी मोहक बना रहा था।

अब बारी थी उस खास माला की, जो मेरे गले से होते हुए मेरे स्तनाग्र तक पहुंचती थी। यह माला सोने की थी, और हीरे और मोतियों से सजी हुई थी। जैसे ही यह माला मेरे गले में लटक रही थी, उसकी कड़ी मेरे रूप को एक अद्वितीय ठाठ दे रही थी। यह माला मेरे स्तनाग्र के बीच में रुकते हुए नाभि के ऊपर तक जाती थी पर मेरी चूत अभी भी नंगी थी वह माला एक शाही आभूषण की तरह चमक रही थी,

मेरे कूल्हों की खूबसूरती को उभारने के लिए हलके संगठित तेल का इस्तेमाल किया गया था, जिससे त्वचा मुलायम और चमकदार हो गई थी। इसके बाद फूलों की पंखुड़ियों को नितंबों के आस-पास बिछाया गया था, ताकि उनका आकार और भी सुंदर दिखे। नितंबों को इस तरह से संजोया गया था कि वे शाही रूप में परिपूर्ण, आकर्षक और सजीव दिख रहे थे। मुझे जो सबसे अजीब लग रहा था वह यह कि मेरे नितंभ के बीच के छेद को छुपाने के लिए कुछ नहीं किया गया ।

मेरी चूत के शृंगार में विशेष रूप से मुलायम, शुद्ध तेल का उपयोग किया गया था, ताकि उसकी त्वचा को और भी निखारा जा सके। इसके साथ ही हसीन फूलों के इत्र का भी छिड़काव किया गया था, जो मेरी त्वचा को एक प्राकृतिक और आकर्षक खुशबू से महकाने वाला था। पर मेरी चूत बिल्कुल नंगी थी और यह ऐसे ही रहने वाली थी ।

इस प्रकार, मेरी **शृंगार की प्रक्रिया** पूरी हुई, जिसमें हर अंग और हर आभूषण ने मुझे एक रानी के रूप में पूरी तरह से सजा दिया था। हर एक शृंगार ने मेरे शरीर और रूप को शाही ठाठ और आकर्षण से भर दिया था, और अब मैं अपने राज्याभिषेक के लिए पूरी तरह से तैयार थी और प्रताप के बगल में बैठी थी ।

राज्याभिषेक की प्रक्रिया शुरू हुई।

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प्रताप के सिर पर सोने की मुकुट रखा गया, जो हीरे और मोतियों से जड़ा हुआ था। जैसे ही वह राजा के रूप में स्वीकार किए गए, महल में तालियों की गड़गड़ाहट गूंज उठी। प्रताप के शृंगार में एक शाही जोड़ा और स्वर्ण आभूषण उसे एक शक्तिशाली और गौरवमयी रूप दे रहे थे।

राजतिलक के पश्चात, सेविकाओं ने मुझे सूचित किया कि सुहागरात के लिए कक्ष तैयार कर दिया गया है। उस कक्ष में प्रवेश करते ही मैंने देखा कि चारों ओर फूलों की महक और दीपों की हल्की रोशनी फैली हुई थी। प्रताप ने मेरे पास आकर धीरे से मेरा हाथ थामा और मुझे पास बिठाया।

मेरी दूसरी सुहागरात प्रताप के साथ

उसने कहा, “आज से तुम सिर्फ नग्न नगर की रानी नहीं, बल्कि मेरे जीवन का अभिन्न हिस्सा हो। इस नए रिश्ते में हमारे बीच कोई अवरोध नहीं होगा। हम यहाँ एक-दूसरे के साथ पूरी सच्चाई और निकटता के साथ रहेंगे।”

प्रताप के इन शब्दों ने मुझे उसके प्रति और भी अधिक आकर्षित किया। हम दोनों ने उस रात नए जीवन की शुरुआत की, और उस समय मुझे एहसास हुआ कि प्रताप की निकटता में एक अजीब सा अपनापन और सच्चाई थी, जिसने मुझे भीतर तक छू लिया।

मैंने धीरे-धीरे अपने गहने उतारने शुरू किए और अपनि माला को सीने से हटा दिया।

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मेरे सफ़ेद बड़े-बड़े खरबूजे देख कर प्रताप की जुबान रुक गई। उसने मुझे बिना कुछ कहे उठा कर अपनी गोद में घसीटा और मेरे लिपस्टिक से रंगे होंठ बिना लिपस्टिक के कर दिए।

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मैं तो उनके होंठों में ही गुम थी कि अचानक से एक ‘चटाक..’ से मेरे चूतड़ों में एक चपत सी महसूस हुई।

मैंने बिलबिला कर उनके होंठ छोड़ दिए और उसकी तरफ सवालिया निगाहों से देखा.. तो वो मुस्कुरा रहा था, बोले- माफ़ कर देना.. मुझे सेक्स करते समय मुझे कुछ भी होश नहीं रहता।
मैंने भी मुस्कुरा दिया और कहा- कोई बात नहीं.. मैं सब सहन कर लूँगी।

मगर मुझे पता नहीं था कि आगे जो होगा.. वो सहन कर पाना सबके बस की बात नहीं है।
मैंने अपने ऊपर ध्यान दिया तो पता चला कि मैं उनके ऊपर नंगी बैठी हूँ.. मैंने अपने हाथ उनके सीने पर टिका रखे हैं।

मैं पूरी नंगी.. प्रताप की गोद में किसी बच्चे की तरह बैठी हुई थी।

मैं उनकी गोद से उतरने ही वाली थी कि उन्होंने मुझे अपनी बाँहों में भर लिया और बोले- तुम मुझे विदेशी और खिलौने जैसी कुतिया की तरह लगती हो.. एकदम मासूम सी..
मैंने भी कहा- और तुम मुझे देसी कुत्ते के जैसे लग रहे हो..
वो हंस दिए।

वो फिर मुझे चुम्बन करने लगे और मेरी चूचियों को पकड़ कर मींजने और सहलाने लगे।
उन्होंने फिर से मेरी गांड में एक चपत मारी.. फिर मुझे अपनी गोद से उतार कर बिस्तर पर ही खड़े हो कर बोले- लो.. अब तुम्हारी बारी..
मैं शर्मा गई.. मेरा सर उनकी जाँघों के पास था।
मैं बोली- आज नहीं.. ये सब कल..

उन्होंने बिना कुछ कहे मेरा सर पकड़ कर अपने लण्ड पर रगड़ना चालू कर दिया।
मेरे दिमाग में अजीब सी गंध भर गई. मैं भी मदहोश सी होने लगी, सिकुड़ा हुआ भी उनका लण्ड करीब 5 इंच का था।

वो मेरा सर पकड़ कर अपने लन्ड पर रगड़ने लगे।

मैंने जोर लगाने की कोशिश की.. मगर वो ज्यादा ताकतवर थे। मेरे होंठ न चाहते हुए भी उनके लन्ड पर फिर रहे थे।

एक मिनट बाद मुझे भी अच्छा लगने लगा, मैंने भी जोर लगाना बंद कर दिया।
तभी उन्होंने मेरे बाल जोर से खींचे तो मेरा मुँह खुल गया। जैसे ही मेरा मुँह खुला वैसे ही उन्होंने अपना लण्ड अन्दर करके मेरा सर अपने लण्ड पर दबा लिया।
मुझे लगा कि जैसे मेरा पूरा मुँह भर गया हो।

तभी उनके लण्ड ने अपना आकार बढ़ाना शुरू कर दिया.. मुझे लगा कि मेरा मुँह फट जाएगा.. मैं छटपटा उठी.. हाथ-पांव पटकने लगी.. मगर उन्होंने मुझे नहीं छोड़ा!

अब मुझे साफ-साफ महसूस हुआ कि उनका लण्ड मेरे गले से होता हुआ सीने तक चला गया है।
मेरी आँखों से आंसुओं की धार नि अब मुझे साफ-साफ महसूस हुआ कि उनका लण्ड मेरे गले से होता हुआ सीने तक चला गया है।
मेरी आँखों से आंसुओं की धार निकल पड़ी। मैं उनकी जाँघों पर मर रही थी.. नाखून गड़ा रही थी.. मगर उन पर कोई असर न हुआ।
वो मेरा सर दबाये हुए थे।

मैंने हाथ जोड़ लिए और उनसे लण्ड निकालने के लिए विनती वाली नजरों से देखा।
मेरी आँखों के आगे अब तक अँधेरा छाने लगा था। इतने में मेरे गाल पर एक झन्नाटेदार तमाचा पड़ा।
मैंने तिलमिला कर ऊपर देखा तो मेरे प्रताप की आँखों में कठोरता लिए मुस्कुरा रहे थे।
वो बोले- अब बता.. जैसे बोलूँगा.. वैसे ही करेगी न?
मैंने तुरंत आँखों से हामी भरी।
उन्होंने मेरा सर छोड़ दिया..

मैं बिस्तर पर गिर पड़ी, मेरा दिमाग ही काम नहीं कर रहा था, मैं एक दमे के मरीज की तरह हांफ रही थी।
इतने में पड़ताल बोले- हाँ.. अब तू पूरी कुतिया लग रही है।

वो मेरे दोनों हाथ फैला कर उनके ऊपर घुटने रख कर मेरे सीने पर बैठ गए और कहा- इस लण्ड को हड्डी समझ और चाट।
अब मेरा दिमाग कुछ समझने के काबिल हुआ था.. तो प्रताप का लण्ड मेरे मुँह पर रखा हुआ था, इतने में मेरे गाल पर फिर एक जबरदस्त चांटा पड़ा, प्रताप बोले- चाट इसे जल्दी।
मैंने जल्दी से जीभ निकाल कर लण्ड चाटना शुरू कर दिया।
वो बोले- हाँ.. अब तू पूरी कुतिया बनी।

मैं रोती जा रही थी और लंड चाटती जा रही थी, मेरे दोनों हाथ उनके पैरों के नीचे दबे हुए थे।
बीच बीच में वो लण्ड को पकड़ कर मेरे चेहरे पर मार देते थे, मेरे गोरे गालों पर उनका भारी लण्ड मुक्के की तरह पड़ रहा था।
लगभग पांच मिनट बाद वो उठे और मुझे उठा कर गोद में बिठा लिया।
बोले- अपनी चूचियों से मेरे चेहरे पर मसाज कर..

मैं एक गुलाम की तरह महसूस कर रही थी, मैंने अपनी चूचियाँ पकड़ कर उनके क्लीन शेव चेहरे पर रगड़ना शुरू कर दिया।
उनका लण्ड ठीक मेरी चूत के नीचे था, अब तक दर्द थोड़ा कम हो गया था।
तभी उन्होंने मेरी कमर पकड़ कर एक जोरदार धक्का मारा.. मैं उछल पड़ी.. तब तक मगर उनका टोपा मेरी चूत में फंस चुका था।

मैं जैसे किसी लोहे की सलाख पर बैठी हुई थी। उन्होंने जोर लगाया तो मैं चिल्ला पड़ी। उन्होंने मुझे खिलौने की तरह उठाया और खड़े हो कर एक और झटका दिया।
मुझे लगा कि मैं मर जाऊँगी, इतना अधिक दर्द मुझे कभी नहीं हुआ था, मैं बेहोश सी होने लगी।

तभी वो मुझे ले कर बैठ गए और मेरे होंठ चूसने लगे, लगभग दो मिनट तक वो ऐसे ही बैठे रहे, दो मिनट बाद मुझे थोड़ा आराम मिला.. तो वो बोले- चूत को ऊपर-नीचे कर..

मैं रोते-रोते अपनी चूत को ऊपर-नीचे करने लगी, बीस-पच्चीस बार ऊपर-नीचे करने के बाद मुझे अच्छा लगने लगा।

बस यह देखते ही उन्होंने मेरी कमर पकड़ कर मुझे हल्का सा ऊपर उठाया और नीचे से जोर-जोर से धक्के लगाने लगे।
मेरे बड़े-बड़े कोमल मम्मे किसी फुटबॉल की तरह उछाल मार रहे थे। चूत भी अब गीली हो गई थी।
प्रताप बोले- चल.. अब कुतिया बन जा।

मैं उनके ऊपर से उठ कर हाथ-पैरों के बल झुक गई। उन्होंने पीछे आकर लण्ड को चूत पर रख कर जोर से झटका मारा और एक ही बार में पूरा लण्ड अन्दर डाल दिया।
मैं अब किसी कुतिया की तरह चुद रही थी।
मैं अब झड़ने वाली थी।

उन्होंने कहा- बोल.. तू मेरी कुतिया है।
मैं चुदाई के नशे में मशगूल थी, उन्होंने एक करारा चांटा मेरे चूतड़ों पर मारा।
‘हाँ.. मैं आपकी कुतिया हूँ। मुझे कुतिया बना दो.. चोद-चोद के..’

मुझे जैसे जन्नत का मज़ा आ रहा था। मैंने ढेर सारा पानी उनके लंड पर छोड़ दिया.. दो-तीन झटकों बाद उन्होंने भी अपना लण्ड निकाल लिया और मुझे लिटा कर मेरे ऊपर आ गए।
अपना लण्ड पकड़ कर मेरे मुँह के पास हिलाने लगे, बोले- मुँह खोल कर लेट जा।
जैसे ही मैंने मुँह खोला.. उनका भी छूट गया.. जो निकला.. वो मुझे पीना पड़ा।

Rani Ragini ka Sainiko ke sath gangbang- Indian Sex Story

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