मेरे प्यारे दोस्तो, कैसे है आप सब!
उम्मीद करती हूँ मजे में ही होंगे. ऐसे ही मजे लेते रहिए और मजे देते रहिए।
मैं निकिता आप सबके लिए अपनी नई सेक्स स्टोरी लेकर हाजिर हूँ।
उम्मीद है अब तक आप लोगो ने मेरी पिछली कहानियाँ तो पढ़ ही ली होंगी। जो नए पाठक पहली बार मेरी कहानी पढ़ रहे हैं वो मेरे बारे में अधिक जानने के लिए मेरी पिछली कहानियाँ जरूर पढ़ें।
मैं आज फिर आप सब के लिए अपनी एक और सेक्सी कहानी ले कर हाजिर हूँ।
अब सेक्स मेरे लिए कोई आश्चर्य की चीज़ नहीं रह गयी थी. मैंने और मेरे बॉयफ्रेंड केशव ने कई बार सेक्स किया होगा. पर आज की कहानी केशव की नहीं है।
तो चलिये आज की कहानी पे आगे बढ़ते हैं।
हर साल की तरह हमारे कॉलेज ने विश्वविद्यालय स्तर की क्विज़ प्रतियोगिता में भाग लिया था. जिसमें मैं और मेरे साथ कॉलेज के 5 होनहार छात्र भी थे।
मैं इस प्रतियोगिता में सिर्फ इस वजह से थी क्योंकि एक तो टीम में 1 सदस्य कम पड़ रहा था. ऊपर से मैं इतनी खूबसूरत हूँ और सारे मर्द टीचर की पसंदीदा हूँ।
अब वो बेचारे भी क्या करें हैं तो इंसान ही, खूबसूरत और जवान लड़की देख के फिसल जाते हैं।
हमारे कॉलेज में इतने बुद्धिमान छात्र थे. फिर भी हमारा कॉलेज हर साल ये प्रतियोगिता हारता आ रहा था. हर साल सेमीफ़ाइनल में आकर हमारा कॉलेज हार जाता था।
कॉलेज के डाइरेक्टर ने कहा “चाहे इस बार कुछ भी करना पड़े, इस बार हमें ही ये प्रतियोगिता जीतनी है, वरना देख लेना।
टीम का लीडर भी मुझे ही चुना गया क्योंकि बाकी सब पढ़ाकू बच्चे थे. उन्हें लीडर बनने का कोई लालच नहीं था. मुझे मेरे खूबसूरत होने की वजह से ही चुना गया था बस।
इस बार टीम को जिताने की पूरी ज़िम्मेदारी मेरे कंधों पे थी।
हमारी टीम को एक हफ्ते तक चलने वाली इस प्रतियोगिता के लिए दूसरे कॉलेज जाना था।
हम सब ने अपना समान पैक किया और चल पड़े कॉलेज की गाड़ी से।
जब हम दूसरे कॉलेज पहुंचे तो सभी टीम का अच्छे से रहने खाने का इंतजाम किया हुआ था।
अगले दिन प्रतियोगिता शुरू हुई और हमें शुरू से ही बहुत कठिनाई होने लगी प्रतियोगिता में बने रहने के लिए।
हम लोग जैसे तैसे बने तो रहे. पर हमारे पॉइंट बिल्कुल बाहर होने के करीब थे। हालांकि मेरी टीम बहुत मेहनत कर रही थी पर फिर भी पिछड़ती जा रही थी।
मैं हर दिन की रिपोर्ट अपने कॉलेज के सर को देती थी।
उन्होंने कहा- चाहे कुछ भी हो जाए, कुछ भी करना पड़े. निकिता इस बार कॉलेज की इज्ज़त तुम और तुम्हारी टीम के हाथ में है।
मैंने कहा- सर, हम अपनी तरफ से पूरी कोशिश करेंगे और जीत के रहेंगे. ये मेरा वादा है।
मैंने वादा तो कर लिया था पर मुक़ाबला हर दिन के साथ बहुत मुश्किल होता जा रहा था. हमें अपनी हार दिखने भी लगी थी।
मेरी टीम में 3 लड़के थे और मुझे मिला के 3 लड़कियां थी। प्रतियोगिता दोपहर तक हो जाती थी और शाम को हम उनके कॉलेज कैम्पस में घूम लेते थे थोड़ा बहुत।
मेरी सहेली रिया ने मुझे बताया- निकिता, दूसरी टीम का कप्तान तुझे पूछ रहा था।
मैंने पूछा- क्यूँ पूछ रहा था, क्या हुआ?
उसने कहा- कैसे बात कर रही है ? तू हमारे कॉलेज की सबसे खूबसूरत लड़की है. शायद तुझसे फ्रेंड्शिप करने को ही पूछ रहा होगा।
मैंने कहा- छोड़ ना हमें क्या! कौनसा यहीं बसना है? अगले हफ्ते वापस चले जाना है।
रिया बोली- बात तो कर ले फिर भी! क्या पता कुछ इंपोर्टेंट सवाल या सुझाव ही दे दे।
फिर मैंने सोचा कि मिल ही लेती हूँ. क्या पता कुछ फायदा ही मिल जाये प्रतियोगिता में।
मुझे ज्यादा मेहनत भी नहीं करनी पड़ी और वो सामने से आता हुआ दिख गया।
रिया ने कहा- देख हमारी तरफ ही आ रहा है.
मैंने कहा- हम्म … तू एक काम कर. टीम के पास वापस जा के तैयारी कर. मैं इसे शीशे में उतार के आती हूँ।
रिया के जाते ही वो मेरे पास आ गया और मुझे ‘हाय’ कहा।
मैंने भी उसको ‘हाय’ किया और फिर हम दोनों टहलते हुए बात करने लगे।
उस लड़के का नाम सुनील था। उसने मुझे बधाई दी और कहा- आपकी टीम बहुत अच्छा खेल रही है।
मैंने भी कहा- थैंक यू, पर क्या करें … इतना अच्छा खेलने के बाद भी हम हारते जा रहे हैं आपकी टीम से।
उसने कहा- हाँ, अब क्या करें? जीतेगा तो कोई एक ही। रोज़ एक टीम बाहर होती जा रही है।
मैंने मायूस होते हुए कहा- हाँ शायद कल हमारी टीम भी बाहर हो जाए।
उसने कहा- मतलब कल के बाद आप वापस चले जाओगे?
मैंने मजबूरी सी दिखाते हुए कहा- जाना तो नहीं चाहती. पर हारे तो जाना ही पड़ेगा। कोई बात नहीं, चलो मैं चलती हूँ, कल की तयारी करनी है।
जैसे ही मैं जाने लगी उसने आवाज लगाई- एक मिनट सुनो निकिता जी!
तो मैं पलटी और कहा- हाँ बोलो?
उसने कहा- एक बात कहूँ, बुरा तो नहीं मानोगी?
मैंने कहा- नहीं बोलो, मैं किसी का बुरा नहीं मानती।
उसने कहा- क्या आप मेरे साथ कॉफी पीने चलोगी?
मुझे समझते हुए देर नहीं लगी कि लड़का मेरी अदाओं पे मर मिटा है।
पर फिर भी मैंने शरीफ लड़कियों वाले बहाने से करते हुए प्यार से मना कर दिया, कहा- आज तो टाइम नहीं है, और कल के बाद मैं नहीं रहूंगी इस कॉलेज में.
और फिर पलट के जाने लगी।
उसने फिर से कहा- और अगर कल आपकी टीम बाहर नहीं हुई तो चलोगी?
मैंने हल्का सा मुस्कुराते हुए कहा- अगर कल मेरी टीम बाहर नहीं हुई तो मैं पिलाऊँगी तुम्हें कॉफी।
सुनील ने कहा- अगर आप चाहो तो कल आप टीम से बाहर नहीं होगी।
मैंने शक से और उत्सुकतावश पूछा- वो कैसे?
सुनील ने जवाब दिया- मैं आपकी हेल्प कर सकता हूँ. बस मेरे इशारे समझते रहना और वही ऑप्शन बोल देना।
मैं कन्फ्यूज हो गयी थी इसलिए कुछ नहीं कहा और फिर अपनी टीम के पास आ गयी।
मैंने रात भर सोचा और सुबह तक उसकी मदद लेने का फैसला ले चुकी थी।
प्रतियोगिता में पहुँचते ही मैंने सुनील को इशारों में हामी भर दी।
वो जैसे जैसे उत्तर बता रहा था, मैं जवाब देती जा रही थी।
हमारी टीम ऊपर उठती चली गयी और बाकी टीम की परफॉर्मेंस कम हो गयी और किसी तरह से हमारी टीम जीत गयी.
उस दिन और दूसरे किसी कॉलेज की टीम बाहर हो गयी।
मेरी टीम के सदस्यों ने पूछा- क्या बात है! आज तो बहुत पढ़ के आयी हो तुम निकिता?
और उन सब ने मुझे बधाई दी।
सुनील ने भी दूर से अपनी डेस्क से ही मुझे इशारों में बधाई दी।
प्रतियोगिता के बाद वो मेरे पास आया और मेरी टीम को बधाई दी।
हमने उसे शुक्रिया कहा और फिर मैंने रिया को इशारा किया। वो बाकी के सदस्यो को लेकर चली गयी।
सुनील ने कहा- तो कॉफी कहाँ पिला रही हो आप निकिता जी?
मैं अपने वादे से नहीं मुकर सकती थी. हम दोनों एक कॉफी शॉप में कॉफी पीने चले गए।
वहाँ हम दोनों कॉफी पीते पीते बातें करने लगे।
थोड़ी देर में उसने इधर उधर बातें घुमाते हुए मुझे प्रपोज़ कर दिया गर्लफ्रेंड बनने के लिए।
मैंने प्यार से मना कर दिया और बोला- तुम्हारे ऑफर के लिए थैंक्स! पर मैं इन सब चक्करों में नहीं पड़ना चाहती. इसलिए नहीं बन सकती तुम्हारी गर्लफ्रेंड।
फिर हम प्रतियोगिता की बात करने लगे।
मैंने कहा- तुम तो हर साल जीत जाते हो. इस बार भी हमारी टीम को हरा के जीत जाओगे।
सुनील ने कहा- अगर तुम चाहो तो तुम जीत सकती हो इस बार।
मैंने खुश होते हुए पूछा- कैसे?
सुनील ने बोला- मैं जिताऊंगा तुम्हें।
मैंने आश्चर्य से पूछा- तुम मुझे क्यूँ जिताने लगे?
सुनील ने बोला बिना झिझक बोला- देखो निकिता, तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो. इतनी खूबसूरत हो कि पहली बार जब देखा तो मेरा दिल धक् से रह गया. मैं फैसला नहीं कर पाया कि मैं होश में हूँ या कोई सपना देख रहा हूँ।
मैं अपनी तारीफ सुन के खुश होती जा रही थी और सुनील बोलता जा रहा था।
फिर आगे वो बोला- देखो फुल टाइम गर्लफ्रेंड तो आपको बनना है नहीं. तो क्यूँ ना आप मेरी मदद कर दो? और मैं आपकी।
मैंने पूछा- कैसे?
उसने कहा- देखो बुरा मत मानना, पर मेरी और मेरे दोस्तो की शर्त लगी है कि मैं आपको पटा के दिखाऊँ। अब मुझे शर्त हारना बिल्कुल बर्दाश्त नहीं है। तो जब तक हम सब यहाँ है तब तक के लिए आप मेरी असली न सही, नकली ही गर्लफ्रेंड बन जाइए. मेरे दोस्तो को दिखाने के लिए प्लीज प्लीज।
मैंने थोड़ा सोचा कि यार अगर मैं इसका इस्तेमाल करूँ और ये मेरा! और नतीजा यह कि हमारा कॉलेज ये प्रतियोगिता जीत जाता है तो इसमें क्या बुराई है।
आखिर मैंने हाँ कर दी और वो खुश हो गया।
हमारी डील हुई कि वो और मैं उसके दोस्तों को दिखाने के लिए गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड बन जाते हैं. इसके बदले में वो मुझे प्रतियोगिता में सही उत्तर बता के हमें जिताएगा।
दिन में प्रतियोगिता होती और शाम को सब घूमते रहते इधर उधर या फिर अगले दिन की तैयारी में लग जाते।
एक दिन शाम को ऐसे ही टहलते हुए सुनील ने मुझसे मेरे बॉयफ्रेंड के बारे में पूछा।
तो मैंने केशव के बारे में बता दिया।
फिर ऐसे ही बात करते हुए उसने मुझसे पूछा- क्या तुम दोनों ने कुछ किया है?
उस वक़्त मैंने ये बात किसी तरह टाल दी।
फिर उसने अपनी और पुरानी गर्लफ्रेंड की बातें बताई और बिना झिझक उसके साथ किए सेक्स की बात भी बताई।
मुझे मन में शक होने लगा कि सुनील मेरे साथ सेक्स करना चाहता है। और थोड़ी देर में ही मेरा शक यकीन में बदल गया।
वो मुझे रात को मिलने को बोलने लगा।
मैंने बहाना सा करके टालने की कोशिश की पर मन तो मेरा भी करने सी लगा था।
उसने बोला- यार, मैं तुम्हें प्रतियोगिता जिताऊंगा, तुम मेरे साथ सेक्स कर लो, सेमीफाइनल जीतने के लिए अलग और फ़ाइनल जिताने के लिए अलग।
मेरे तो मानो कान सुन्न हो गए ये सुन के।
मैंने भड़क के कहा- दिमाग खराब है तुम्हारा, क्या बकवास कर रहे हो? अभी तुम्हारी कम्प्लेंट कर दूँगी तो जेल जाओगे सीधा।
सुनील ने बिना डरे कहा- मुझे जेल पहुंचा के तुम ट्रॉफी तो नहीं जीत पाओगी. पर हमारा कॉलेज तो जीतेगा ही। और वैसे भी मैं जो चीज़ मांग रहा हूँ, वो कभी खत्म नहीं होगी तुम्हारे पास से। अगर जीत गयी तो तुमसे सब खुश हो जाएंगे, सोचो तुम्हारे दोस्तो में, कॉलेज में, परिवार में कितनी इज्ज़त बढ़ जाएगी. सबको लगेगा की निकिता कितनी होशियार है। सोच लो, वरना मैं तो जीतूँगा ही हर बार की तरह. वैसे भी एक बार हार जाता तो कोई खास फर्क नहीं पड़ता। अगर तुम्हारा मन बदले तो मुझे बता देना, वरना थैंक्स फॉर कॉफी!
और फिर सुनील उठ के चला गया मुझे कन्फ्यूज छोड़ के।
अब ज़िंदगी में कभी कभी हमें सही-गलत में से नहीं, सिर्फ हार-जीत में से किसी एक को चुनना पड़ता है।
मैंने अपनी मम्मी को फोन लगाया.
तो मम्मी ने मुझे सलाह दी- इसमें कोई बुराई नहीं है, जो भी होगा तुम दोनों के अलावा किसी को नहीं पता होगा। इसमें कोई इज्ज़त बेचने जैसी चीज़ नहीं है, बस लेन-देन की बात है। वरना तू हार ही तो जाएगी. सोच अगर तू जीत के आई तो तू और फ़ेमस हो जाएगी कॉलेज के टीचर्स की नज़र में! बाकी तेरी मर्ज़ी।
उस रात मैं यही सोच रही थी कि क्या करूँ।
मैंने रात को 1 बजे फैसला लिया और सुनील को फोन किया और हामी भर दी।
सुनील ने खुश होते हुए कहा- ठीक है तो कल सेमीफ़ाइनल है. उसके लिए तुम्हें अभी आना होगा चुदवाने।
मैंने कहा- नहीं, सेमीफिनल के बाद करूंगी।
सुनील ने कहा- नहीं सॉरी, या तो अभी … वरना मैं तो पढ़ ही रहा हूँ कल जीतने के लिए।
मैंने सोचा चुदवाना तो अब भी है और कल भी. तो क्या फर्क पड़ता है।
तो मैंने कहा- ठीक है, बताओ कहाँ आना है?
सुनील ने कहा- अपने रूम से निकलो और हॉस्टल के बेसमेंट के पास आ जाओ चुपचाप।
मैं चुपचाप सबकी नज़र बचा के वहाँ पहुँच गयी और सीढ़ियों के नीचे छुप के इंतज़ार करने लगी।
5 मिनट बाद सुनील भी स्टोर रूम की चाबी लेके आ गया।
मैंने कहा- चाबी कहाँ से मिली तुम्हें?
उसने बताया- मुझे पता था तुम जरूर मान जाओगी, इसलिए गार्ड रूम से पहले ही चुरा ली थी. वैसे भी ये पुराना वाला स्टोर रूम है, महीनों महीनों में खुलता है. और इतनी नीचे गार्ड भी चक्कर लगाने नहीं आते।
उसने ताला खोला और हम दोनों अंदर चले गए।
क्यूँकि स्टोर रूम बेसमेंट में था और बंद था इसलिए धूल वूल तो थी नहीं. वहाँ टूटी कुर्सियाँ, मेज, पुराने गद्दे, अलमारी वगैरह पड़े थे।
मैं सोच रही थी ‘वाह निकिता, आज यहाँ भी चुदवाने को आ गयी. लगता है बहुत आगे जाएगी।’
इतने में सुनील ने कहा- मेरी मदद करो इन गद्दों को फर्श पे डालने में. और अब शरमाना छोड़ दो, चुदोगी तो जीतोगी भी।
अब लड्डू मर्ज़ी से खाओ या बिना मर्ज़ी के! लगता तो मीठा ही है.
तो मैं हल्के से मुस्कुराई और उसकी मदद करने लगी।
हम दोनों ने 3-4 मोटे मोटे गद्दे रख के अस्थायी बेड बना दिया. उसपे दीवारों के पर्दे चादर की तरह बिछा दिये।
मैं अब भी हल्के हल्के मुस्कुरा रही थी, शायद सेक्स करने की खुशी हो रही थी अंदर ही अंदर।
सुनील ने कहा- तुम मुस्कुराते हुए बहुत प्यारी लगती हो, हमेशा स्माइल करते रहा करो।
मैंने कहा- ठीक है.
और मुस्कुराने लगी।
सुनील ने पूछा- तुमने पहले सेक्स तो किया हुआ ही है, इतनी खिल रही हो, इतनी खूबसूरत हो, बिना सेक्स के तो नहीं हो सकता. और वैसे भी आज कल खूबसूरत लड़कियों को कौन सही सलामत छोड़ता है।
उसके जवाब में मैंने हाँ में सिर हिला दिया और चप्पल उतार के गद्दे पे बैठ गयी।
भले ही वो मेरा बॉयफ्रेंड ना हो पर ऐसे हालात में मन तो करने ही लगता है।
सुनील ने कहा- चलो शुरू करते हैं.
तो मैंने कहा- हम्म… ठीक है।
सुनील ने मेरे दोनों हाथ पकड़े और मुझे खड़ा करके अपने पास ले गया।
उसने अपने हाथ को मेरे सिर के पीछे ले जा के मेरे जूड़े का क्लचर खोल दिया और मेरे बाल झूलते हुए खुल गए।
मैं मुस्कुराती हुई नीचे देखने लगी तो साइड से थोड़े से बाल आगे भी आ गए।
सुनील तो मानो मुझे ऐसे देख के पिघला ही जा रहा था. वो कुछ देर तक तो मानो मुझे चुपचाप देखता ही रहा और ख्यालों में कहीं खो गया।
मैं सोचने लगी क्या हुआ, आगे क्यूँ नहीं बढ़ रहा?
तो सिर उठा के देखा तो वो मुझे देखता हुआ पता नहीं क्या सोच रहा था।
मैंने दबी हुई सी आवाज में पूछा- क्या हुआ?
तो वो वापस होश में आया और बोला- कुछ नहीं, तुम्हारी खूबसूरत और मासूमियत पे फिसल गया।
मैंने कहा- फिसलने से कोई फायदा नहीं है. तुम प्यार व्यार में मत पड़ जाना. मैं तुम्हें बॉयफ्रेंड नहीं बनाऊँगी, क्योंकि मेरा है पहले से ही।
सुनील ने कहा- पता नहीं साले को कैसे मिल गयी तुम, खैर जाने दो, आज उसकी मोहब्बत को मैं चोदूँगा पूरी रात।
इतना कह के उसने ज़बरदस्ती अपने होंठ मेरे नर्म गुलाबी होंठों पे रख के ज़ोर से दबा दिये. वो मुझे धकेल के दीवार से सटा के ज़बरदस्त किस करने लगा।
शुरू में तो मैं भी हल्का सा विरोध सा कर रही थी. मैं उनहह… उन्नहह… करते हुए उसे धकेलने की कोशिश कर रही थी. पर फिर धीरे धीरे वासना में डूबने लगी तो विरोध बंद कर दिया और उसका साथ देने लगी।
सुनील पागलों की तरह मेरे नर्म होंठों को चूसे जा रहा था, मैं भी अब उसका साथ दे रही थी।
पूरे स्टोर रूम में पुच्छह … पुच्छह … पुच्छ … उम्महह … हम्म … की हल्की हल्की आवाजें आ रही थी।
उस वक़्त उसने लगभग दो ढाई मिनट तक तो किस ही किया.
और जब हटा तो बोला- क्या बात है निकिता, तुम तो बहुत अच्छा किस करती हो।
मैंने कहा- तो तुमने क्या समझा है मुझे कि मुझे कुछ नहीं आता? इस सब में मुझे तुमसे ज्यादा अनुभव है.
और फिर ज़बरदस्ती मैं उससे चिपक गयी और किस करने लगी उसके होंठों को।
अब हम दोनों ही गर्म होने लगे थे। उसका लंड पैंट में खड़ा होने लगा था. और मुझमें भी चुदवाने की जबरदस्त इच्छा जाग चुकी थी।
मैं उसे चूम रही थी. वह अपने हाथ मेरी टीशर्ट पे रख के मेरे बूब्स को भींच रहा था. जिससे मेरी उत्तेजना और बढ़ती जा रही थी।
फिर जैसे ही मैं किस कर के हटी, उसने मेरी टी शर्ट को ऊपर को उठा के निकाल दिया. मैं ऊपर से अर्धनग्न अवस्था में आ गयी।
मेरी काली ब्रा में फंसे मेरे बूब्स आज़ाद होने के लिए तड़प रहे थे।
मैंने भी जोश जोश में अपनी पीठ पे हाथ ले जा के हुक खोल दिये और ब्रा उतार फेंकी।
ब्रा उतरते ही मेरे गोरे और मोटे मोटे बूब फूल के आज़ाद हो गए।
सुनील उन्हें हैरानी से देखने लगा पहले तो … पर फिर तुरंत ही उन पे टूट पड़ा और बेदर्दी से भींचने लगा। मैं भी अब वासना में डूबते हुए और तेज़ तेज़ सीई … सी … सिसकारियाँ लेने लगी. और लंबी लंबी आहें भरने लगी।
वो कभी कभी मेरे निप्पल यानि चुचूक को भी मसल दे रहा था. जिससे मेरी ज़ोर की सीईई… निकल जा रही थी।
मैं अभी अपना हाथ उसके पाजामे पे फिरा रही थी और उसके लंड को उकसा रही थी।
फिर उसने तुरंत ही अपने सारे कपड़े उतार दिये. वो अपनी छाती मेरी छाती से चिपका के हमारे जिस्म रगड़ने लगा। मुझे इससे बहुत मजा आ रहा था. उसका लंड मेरी लोअर में छुपी चूत पे रगड़ कर रहा था और उसमें गीलापन आता चला गया।
अब मैंने भी देर ना करते हुए अपनी लोअर पैंटी सहित उतार दी और उसके सामने नंगी हो गयी बिल्कुल। मेरी चिकनी नंगी चूत नुमाया हो गयी.
हम अब भी दीवार से सटे हुए ही थे और एक दूसरे के बदन को चूम रहे थे। वो चूमते चूमते मेरी नंगी चूत पे आ गया. उसने मेरी चिकनी चूत को पहले सूंघा और फिर किस करने लगा पागलों की तरह।
मैं दीवार में सिर गड़ाए उम्महह … उम्मह … उम्हह … उमम्ह … करती हुई उस पल का भरपूर आनंद लेने लगी।
उसकी जीभ के स्पर्श में मेरी चिकनी नंगी चूत में खलबली मची थी. चिकनी चूत चाटने का मजा आ रहा था और उसने गीला होने भी शुरू कर दिया था।
मैं वासना में खोयी हुई आँखें बंद किए और ऊपर सिर किए उसका नाम भी भूल गयी. मैं उसे केशव बुलाते हुए बोलने लगी- आहह … केशव और चाटो मेरी चिकनी नंगी चूत. आहह … केशव … प्लीज केशव … आहह।
सुनील एक पल के लिए रुका और बोला- चाट तो रहा हूँ! और हाँ, केशव नहीं सुनील बोलो ना प्लीज! मुझे और जोश आयेगा। चिकनी चूत चाटने का मजा ही कुछ और है!
मेरा ध्यान टूटा और मैंने मुस्कुराते हुए कहा- ओह सॉरी सुनील … और फिर बस उमम्ह सुनील … उम्महह … प्लीज. सुनील … आहह … लव यू बेबी … आहह।
मेरी नंगी चूत इतनी गीली हो चुकी थी कि सुनील का मुंह भी गीला हो चुका था। उसने अपने होंठों को हाथ से पौंछा और हट गया और खड़ा हो गया।
मैं अपने होश में आयी और पूछा- क्या हुआ?
तो उसने बोला- अब तुम भी तो मुझे खुश कर दो, ये लो!
और उसने अपना लंड मेरी तरफ बढ़ा दिया।
अब तक तो मुझे इतना अनुभव हो ही चुका है कि आगे क्या करना था, पता था।
मैं पालथी मार के फर्श पे ही बैठ उसकी टाँगों के बीच और लंड को किस करने लगी धीरे धीरे। मैंने ऊपर को देखा तो सुनील की आँखें बंद हो गयी थी आनंद में।
मैंने अपने कोमल हाथों से उसके लंड की खाल पीछे सरका दी और लिंगमुंड को बाहर निकाल लिया. मैंने देखा कि वो फड़फड़ा रहा था।
अब मैंने सिर्फ लिंगमुंड को अपने बंद होंठों पे रखा और धीरे धीरे से अपने होंठों पे दबाते हुए मुंह खोलते हुए अंदर ले गयी।
सुनील ने तो बस आह … करी और मैंने उसका लंड बाहर निकाल दिया।
मैंने उसकी सिसकरी सुनी तो ऊपर देखा. उसे बहुत मजा आ रहा था और मेरे चेहरे पे भी मुस्कुराहट आ गयी ये देख के।
अब मैंने देर करना उचित नहीं समझा क्योंकि मेरे अंदर भी सेक्स यानि चुदाई की जबर्दस्त इच्छा जाग चुकी थी।
इसलिए मैं गुप्प … गुप्प … उसका लंड मुंह में अंदर बाहर करते हुए चूसने लगी.
और सुनील भी उम्महह… उमह्ह… उमम्ह… उमम्ह… करता हुआ मजे ले ले के लंड चुसवाता रहा।
करीब 3 – 4 मिनट तक मैंने उसका लंड चूसा. और फिर ऊपर देख के कहा- अब तो ठीक है ना? चुदाई शुरू करें?
सुनील ने कहा- लगता है बहुत सेक्स है तुम्हारे अंदर? जो इतनी आग लगी हुई है।
मैंने कहा- सब में होता है. तुम ज्ञान मत दो बस चोदना शुरू करो।
सुनील ने कहा- ठीक है जानेमन, आओ ऊपर आओ.
तो मैं अपनी चिकनी नंगी चूत लेकर खड़ी हो गयी उसके सामने।
कहानी जारी रहेगी
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