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निशा की पारिवारिक चुदाई

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हाय, मेरा नाम राखी है। आज मैं आपको अपनी एक सहेली की कहानी बताने जा रही हूँ। मेरी सहेली का नाम निशा है और वह खुद सामने नहीं आना चाहती, इसलिए उसने मुझसे ये कहानी साझा की। अब मैं आपको उसकी ही ज़ुबानी ये कहानी सुनाती हूँ।

मेरा नाम निशा है, मेरी उम्र 25 साल है और मेरा फिगर 37-26-36 है। मेरी शादी को दो साल हो चुके हैं, और मेरे पति एक सिविल इंजीनियर हैं। वो हमेशा मुझे खुश रखते हैं, लेकिन पिछले डेढ़ साल से वो अमेरिका में हैं और मैं यहां मुंबई में अकेली रह रही हूं।

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मेरा मायका नासिक में है, वहीं मेरा बचपन बीता है। छोटी उम्र में कुछ घटनाएं मेरे साथ घटीं, जिनका मुझे तब खास मतलब नहीं समझ आया था। उस वक्त मुझे लगता था कि ये सब बस खेल जैसा था।

जैसे-जैसे मैं बड़ी होती गई, मेरी ज़िन्दगी में अलग-अलग लोग आये और मेरी सोच बदलती गई। जब मैं 19 साल की थी, तब मुझे सेक्स के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी। ये वो साल था जब मेरी जिंदगी में पहली बार एक पुरुष आया।

वो शख्स कोई और नहीं बल्कि मेरा भाई था। उस वक्त उसकी उम्र 22 साल थी और मेरी फर्स्ट ईयर की परीक्षाएं खत्म हुई थीं। मैं घर लौट आई थी।

मेरी मां हमेशा काम में व्यस्त रहती थीं, और पापा भी ऑफिस चले जाते थे। भाई अक्सर घर में बैठकर टीवी देखता रहता था। एक दिन मैंने मां से कहा, “मुझे बाहर घूमने जाना है।” वो बोलीं, “अभी 2 दिन ही तो हुए हैं, आई है तू!”

मैंने कहा, “पढ़ाई से थक गई हूं, और एग्जाम्स भी खत्म हो चुके हैं। एक महीने से बाहर नहीं निकली हूं।” मां ने जवाब दिया, “ठीक है, तो अपने भाई के साथ पास वाले तालाब तक चली जा।”

मां की बात सुनकर मैं खुश हो गई। मैंने जल्दी से नहाने के कपड़े लिए और भाई के साथ साइकिल पर बैठकर निकल पड़ी। तालाब हमारे घर से लगभग डेढ़ घंटे की दूरी पर था, लेकिन भाई ने शॉर्टकट लिया।

रास्ता उबड़-खाबड़ था। एक जगह पर हमारी साइकिल एक गहरे गड्ढे में फंस गई, और भाई ने फुर्ती से मुझे पकड़ लिया। उसका हाथ मेरे सीने पर था। हम दोनों घबरा गए, मगर उसने साइकिल संभाल ली। लेकिन उसका हाथ अब भी मेरे बूब्स पर था और वो हल्के-हल्के दबा रहा था।

उस वक्त मेरे बूब्स का साइज 31 था। उस पल मुझे एहसास हुआ कि वो सिर्फ मेरे भाई नहीं, बल्कि एक पुरुष भी है। मैंने उसे अपने सीने से हाथ हटाने के लिए कहा, और हम आगे बढ़ गए।

शॉर्टकट लेने की वजह से हम आधे घंटे में तालाब पहुंच गए। वहां जाकर हमने तालाब के नज़ारों का मज़ा लिया और खूब मस्ती की। थोड़ी देर बाद हमने पानी में उतरने का सोचा।

दोपहर का वक्त हो चला था और घड़ी में एक बज रहा था। कुछ हल्का-फुल्का खाकर हमने तालाब में जाने की तैयारी की। तभी मुझे याद आया कि मैं स्विमिंग सूट लाना भूल गई हूं।

इस बात पर मैं काफी परेशान हो गई और गुस्से में बैठ गई। भैया पहले ही अपनी शर्ट-पैंट उतारकर निक्कर पहनकर पानी में जा चुका था। उसने मुझे भी बुलाया और मैंने उसे अपनी दिक्कत बताई।

भैया बोला, “कोई बात नहीं, तुमने अंदर से ब्रा और निक्कर तो पहनी ही होगी?” मैंने कहा, “हाँ, पहनी है।” वो बोला, “तो फिर तुम तौलिए का इस्तेमाल कर सकती हो, जल्दी आओ।”

मैंने कहा, “लेकिन भैया, मुझे शर्म आ रही है।” वो हंसकर बोला, “अरे, यहां तो हम दोनों ही हैं। और मौसम भी कितना अच्छा हो रहा है।”

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मैं सोचने लगी कि मैं किसी मर्द के सामने इस तरह आधी नंगी कैसे हो सकती हूं। फिर ख्याल आया कि ये तो मेरे अपने भाई हैं, उनके सामने क्या शर्माना?

मैंने थोड़ा संकोच करते हुए अपनी ब्रा और निक्कर में ही तालाब में उतरने का फैसला कर लिया। पानी में जाने के बाद मैं और भैया दोनों मज़े से खेलने लगे। हम पानी के छींटे एक-दूसरे पर मारते और खूब हंसी-मजाक चल रहा था। लेकिन जब मैं पानी से बाहर आने लगी, तभी मेरी ब्रा अचानक से बहकर पानी में कहीं चली गई।

मैं एकदम घबरा गई और अपनी छातियों को हाथों से ढकते हुए वहीं पानी में बैठ गई।
भैया ने मेरी तरफ देखा और बोले, “क्या हुआ, ऐसे क्यों बैठ गई?”

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नीचे गर्दन किए मैंने कहा, “मेरी ब्रा पानी में बह गई है।”

भैया ने मुस्कुराते हुए कहा, “तो इसमें कौन सी बड़ी बात है?”
मैंने जवाब दिया, “मैं पूरी नंगी हो गई हूं भैया!”

भैया हंसते हुए बोले, “अरे! तो क्या हो गया, कुछ नहीं होगा। चल, खेलते हैं।”

फिर उन्होंने एक अजीब सी बात कही, “चल, मैं भी अपनी निक्कर उतार देता हूं, तू भी उतार दे। फिर हम दोनों एक जैसे हो जाएंगे, तुझे शर्म भी नहीं आएगी।”

मैंने थोड़ा झिझकते हुए उनकी बात मान ली। पहले भैया ने अपनी निक्कर पानी के नीचे ही उतार दी और उसे किनारे पर फेंक दिया। फिर मैंने भी अपनी निक्कर उतार दी। अब हम दोनों पूरी तरह से नंगे थे।

भैया बोले, “अब मैं तैरता हूं, तू मुझे पकड़।”

हम दोनों पानी में खेलने लगे। कुछ देर बाद भैया पानी से बाहर भागने लगे, और मैं भी उनके पीछे-पीछे दौड़ी, यह भूलते हुए कि मैं पूरी नंगी थी। जैसे ही बाहर आई, मुझे अपनी हालत का एहसास हुआ। मैं हड़बड़ाकर अपने अंगों को ढकने लगी, लेकिन भैया ने मुझे देख लिया और मेरी ओर बढ़ने लगे।

भैया की टांगों के बीच में कुछ बड़ा और लटका हुआ दिखाई दे रहा था। मेरी नजर अनजाने में उस पर टिक गई। पास आते ही मैंने पूछा, “भैया, ये क्या है?”

भैया मेरी ओर ध्यान से देख रहे थे, और बोले, “ये लंड है, इसे जादुई छड़ी भी कहते हैं।”

मैं हैरान होकर बोली, “जादुई छड़ी!”

वो हंसते हुए बोले, “हां, अगर यकीन न हो तो इसे अपने हाथ में लेकर देख ले।”

मैंने हिचकिचाते हुए उसे हाथ में लिया, और सच में, वो लटकता हुआ अंग सख्त होने लगा। कुछ ही देर में वो लोहे जैसा कड़ा हो गया।
मैंने उत्सुकता से पूछा, “इसका क्या करते हैं?”

भैया ने मेरी चूत पर हाथ रखते हुए कहा, “इसे यहां डालते हैं, और कभी मुंह में भी।”

मैं शरमाकर उठने लगी तो भैया बोले, “किधर जा रही हो?”

मैंने कहा, “कपड़े पहनने के लिए।”
भैया ने हंसते हुए कहा, “अरे, खाना ऐसे अधूरा नहीं छोड़ते।”

मैंने आश्चर्य से पूछा, “खाना?”
भैया बोले, “हां, जो तुमने अभी गर्म किया है, उसे ठंडा तो करना ही पड़ेगा ना!”

फिर भैया मेरे पास आकर मेरे होंठों पर अपने होंठ रखकर किस करने लगे और धीरे-धीरे मेरे बूब्स को दबाने लगे। मुझे यह सब अच्छा लगने लगा क्योंकि इससे पहले किसी ने मेरे शरीर के साथ ऐसा नहीं किया था।

भैया ने कहा, “अब घूम कर झुक जाओ।” मैंने पूछा, “क्यों भैया?” वो बोले, “इसमें डालना है, तब ही इसे चैन मिलेगा।” मैंने घबराते हुए कहा, “नहीं भैया, मुझे डर लग रहा है।”

भैया ने हंसते हुए कहा, “डरने की कोई जरूरत नहीं, बस चुपचाप इसका मजा लो। मैं कब से इस पल का इंतजार कर रहा था।” फिर उन्होंने मुझे पलटा और मेरी पीठ को झुका दिया, और अपनी लंड को मेरी गांड के बीच रगड़ने लगे।

इसके बाद उन्होंने अपनी लंड को मेरी चूत पर रगड़ना शुरू किया। भैया का लंड मेरी चूत के हिसाब से काफी बड़ा था। मैंने कहा, “ये तो नहीं जाएगा, भैया।” भैया गुस्से में बोले, “चुप रह, अब मुझे मत सिखा कि क्या बड़ा है और क्या छोटा।”

फिर धीरे-धीरे भैया ने जोर लगाया और उनका आधा लंड मेरी चूत में चला गया। मैंने इसे हटाने की कोशिश की, लेकिन भैया ने मुझे कसकर पकड़ लिया और मेरी चूचियों को मसलने लगे।

मैंने दर्द से कहा, “भैया, बहुत दुख रहा है।” भैया बोले, “सिर्फ शुरुआत में दर्द होता है, फिर बहुत मजा आएगा।” इतना कहते हुए भैया ने पूरा जोर लगाया और अपना 9 इंच का लंड मेरी चूत के अंदर धकेल दिया।

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दर्द के मारे मेरी चीख निकल गयी, लेकिन धीरे-धीरे भैया ने लंड को मेरी चूत में हिलाना शुरू किया। शुरुआत में दर्द था, पर थोड़ी देर बाद मुझे भी आनंद आने लगा।

अब मैं खुद ही कहने लगी, “भैया, और जोर से करो… आह्ह… और डालो… वाह, मजा आ रहा है!” भैया भी मेरी चूत में पूरी ताकत से लंड घुसाने लगे।

फिर भैया ने अपनी लंड को मेरी चूत से बाहर निकाल कर मेरे मुंह में डाल दिया और मुझे चूसने के लिए कहा। मैंने उनके लंड को मुंह में लिया और चूसने लगी। इससे मुझे भी अच्छा महसूस हो रहा था। कुछ देर बाद भैया का पानी मेरे मुंह में निकल गया, जिसे मैंने पी लिया और मुझे इससे काफी अच्छा लगा।

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उस दिन के बाद से मेरा और भैया का रिश्ता भाई-बहन से ज्यादा पति-पत्नी जैसा हो गया। घर लौटने पर भैया ने पापा को तालाब वाली बात बता दी, जो मुझे बाद में पता चली।

तीन दिन बाद मुझे चाचा के घर जाना था, और पापा ने फैसला किया कि वे मुझे वहां छोड़ने जाएंगे। हम ट्रेन से जा रहे थे और हमारा सेकंड क्लास का केबिन था, जिसमें हमारे साथ दो अमरीकी यात्री बैठे थे। एक आदमी और एक औरत।

हमने सोचा कि वे पति-पत्नी होंगे, क्योंकि उनके बर्ताव से ऐसा ही लग रहा था। ट्रेन चलते ही कुछ देर बाद दोनों ने एक-दूसरे को किस करना शुरू कर दिया। लगभग दस मिनट तक वो एक-दूसरे के होंठों पर किस करते रहे। पापा उन्हें देख रहे थे, लेकिन फिर नजरें घुमा लेते थे।

कुछ देर बाद उस औरत ने आदमी की पैंट में हाथ डाल कर उसे सहलाना शुरू कर दिया। फिर वे दोनों रुक गए। पापा ने उनसे पूछा, “आप कहां जा रहे हैं?” तभी उस लड़की ने उस आदमी को पापा कह कर पुकारा।

हम दोनों हैरान रह गए। पापा ने पूछा, “ये आपकी बेटी है?” वो आदमी बोला, “हां।” पापा ने चौंक कर पूछा, “तो फिर आप लोग ऐसा क्या कर रहे थे?”

वो आदमी बोला, “हमारे यहाँ यह नहीं देखा जाता कि सामने भाई-बहन हैं या पिता-पुत्री। सेक्स तो सेक्स ही होता है, और इसे अनुभव करना चाहिए।”

फिर उसने मेरी ओर देखते हुए पापा से कहा, “आप भी मेरी तरह इसका आनंद ले सकते हैं। इसमें आपको खुशी मिलेगी।” इतना कहकर उसने हमें एक गोली दे दी।

पापा मेरी ओर मुस्कुराने लगे, और मैंने भी उन्हें देखकर मुस्कुराया। उसके बाद पापा मेरे पास आ गए और उन्होंने मुझे किस करना शुरू कर दिया। मैं पहले ही भैया के साथ सेक्स का अनुभव ले चुकी थी, इसलिए पापा के साथ भी मुझे कोई परेशानी नहीं हुई। उन्होंने मेरे कपड़े उतारने लगे।

सीट छोटी होने के कारण हम ठीक से कुछ नहीं कर पा रहे थे। फिर हम सीट के नीचे बैठ गए। पापा ने मुझे अपनी गोदी में बिठाकर मेरी चूत में लंड डालकर चोदना शुरू कर दिया। मैं भी उनका साथ देने लगी। थोड़ी देर बाद, पापा ने लंड बाहर निकाल लिया और उनका पानी निकल गया, और वह एक तरफ बैठ गए। लेकिन मैं अभी भी प्यासी थी और और सेक्स करना चाहती थी।

तभी वो ओल्ड मैन बोला, “क्या हुआ, क्या तुम इतनी जल्दी थक गई? मैं तो तीन बार करने के बाद ही रुकता हूँ।” फिर वो लड़की उस आदमी के पास गई और उसके लंड को पकड़कर मसलने लगी।

उस आदमी का लंड खड़ा हो गया, और वो लड़की उसे मुंह में लेकर चूसने लगी। उसे लंड चूसते देख कर मैं भी सेक्स की भूख से उसे देखने लगी।

फिर उस आदमी ने अपने कपड़े उतारना शुरू कर दिया और मेरे पास आकर मेरे चेहरे पर लंड को रगड़ने लगा। मैंने उसके लंड को मस्ती से पकड़कर चूसना शुरू कर दिया। इसके बाद उसने मुझे नीचे लिटा दिया और मेरी टांगों को पकड़कर लंड मेरी चूत में डाल दिया और मुझे पकड़कर चोदने लगा।

मेरे मुँह से आहें निकलने लगीं। “आह्ह… आऊऊ… हूह्…” कहकर मैं चुदाई का आनंद लेने लगी।

मुझे चोदने के बाद उसने लंड बाहर निकाल लिया और फिर अपनी लड़की को चोदने लगा।

तब उसने पापा से पूछा, “मजा आया?” पापा ने कहा, “हाँ।”

एक व्यक्ति ने पूछा- क्या तुमने अपने लंड का पानी अंदर नहीं डाला?
पिता ने उत्तर दिया- तुम पागल हो गए हो? वह मेरी बेटी है।
व्यक्ति बोला- तो क्या हुआ, यह भी मेरी बेटी है। अब यह मेरे बच्चे की मां बनने वाली है। इससे बड़ी वाली तो शादी कर चुकी है, लेकिन वह अपने पति से नहीं, बल्कि मुझसे बच्चे चाहती थी। इसलिए मैंने उसे भी चोदा और अब यह मेरे बच्चे की मां बन गई है।

उसने कहा- हमारे घर में मेरी एक पत्नी और दो बेटियाँ हैं। एक बेटी का पति रविवार को मेरे साथ मिलकर सेक्स का आनंद लेता है। मेरी पत्नी अस्पताल में है और मेरी बेटी के पति के बच्चे की मां बनने वाली है।
मेरी यह बेटी शादी नहीं करना चाहती। वह कहती है कि अगर सेक्स चाहिए तो पापा और जीजा हैं, इसलिए यह बिना शादी के ही मां बनना चाहती है।

उनकी बात सुनकर मैं और पिता हैरान रह गए। फिर हमारा स्टेशन आ गया और हम नीचे उतर गए। फिर हम चाचा के घर पहुँचे।
चाचा के पास दो लड़कियाँ थीं और उनकी पत्नी, यानी मेरी चाची, गुजर चुकी थीं।

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चाचा की दो जवान बेटियाँ थीं। मेरे पिता ने ट्रेन में हुई सारी घटना चाचा को बताई और कहा कि अब मैं सेक्स के बारे में पूरी तरह सहमत हूं कि अपने घर वालों के साथ भी यह किया जा सकता है।

यह सुनकर चाचा ने मेरी ओर देखा। पिता भी चाचा को देख रहे थे। फिर पिता बोले- आज रात हम भी इसी तरह से सेक्स का आनंद लेंगे।
फिर खाने के बाद हम लोग बगीचे में बैठे हुए थे।
चाचा ने कहा- मेरी बड़ी बेटी को इस बारे में कैसे मनाया जाए?

मैं बोली- यह मैं देख लूंगी।
उसके बाद मैं चाची की बेटी के पास गई। मैंने उससे सेक्स के बारे में बात की और उसे गर्म किया, फिर उसके साथ लेस्बियन सेक्स करने लगी। मैंने उसकी चूत में उंगली और जीभ देकर उसे पूरी तरह गर्म कर दिया।

इतने में ही पिता और चाचा भी वहाँ आ गए। दोनों ने मिलकर मेरी और चाचा की बेटी, यानी मेरी बहन को एक साथ चोदा। चाचा के लंड में जितना वीर्य रुका हुआ था, सब निकल आया और चाचा ने मेरी चूत को भर दिया।

कुछ दिनों बाद मुझे अजीब सा महसूस हुआ, तो मैंने डॉक्टर को बुलाया। उन्होंने कहा- बधाई हो, आप मां बनने वाली हैं।
यह सुनकर मेरे होश उड़ गए। फिर मेरा गर्भपात कराया गया।

इलाज के बाद कुछ महीनों तक मैं चाचा के पास रही। मैंने दो महीने से सेक्स नहीं किया था, इसलिए मेरे पूरे शरीर में सेक्स की तड़प जाग गई थी।

एक दिन मैं दोपहर को सोकर उठी तो देखा कि चाचा और बाकी सब लोग घर में नहीं थे। तभी मेरी नजर घर के नौकर पर गई, जिसकी उम्र करीब 42 साल थी।

मैंने उसे चाय लाने के लिए कहा और फिर अपने कमरे में आ गई। मैंने दरवाजा खुला रखा और सारे कपड़े उतार दिए। मैं अपने शरीर पर तेल लगाने लगी।

पांच मिनट बाद नौकर मेरे कमरे में चाय लेकर आया। उसने मुझे पूरी नंगी देखा।
वह सॉरी बोलकर जाने लगा।
मैं बोली- कोई बात नहीं, रामू।

यह कहकर मैं उसके पास गई और उसकी धोती में हाथ डालकर उसके 2 इंच चौड़े और 7 इंच लंबे लंड को हाथ में लेकर सहलाने लगी।

उसका लंड तनाव में आने लगा। फिर मैं उसके घुटनों में बैठ गई और उसके लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी। मुझे उसका लंड बहुत अच्छा लगा। उसे भी मजा आ रहा था, लेकिन वह घबरा भी रहा था।

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मैंने नौकर के लंड को चूसकर उसे एकदम कठोर कर दिया और उसने मुझे बिस्तर पर पटककर मेरे ऊपर चढ़ गया। उसने मेरी टांगें खोलीं और मेरी चूत में लंड डालकर मुझे जोर से चोदने लगा।

मेरी सेक्स की प्यास बुझने लगी। मैं 10 मिनट में झड़ गई और फिर रामू भी मेरी चूत में ही झड़ गया।

 

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