ऑफिस कर्मचारी की हॉट वाइफ ने पेलवाया

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Office employee wife sex मेरा नाम जिग्नेश है, मैं दिल्ली में रहता हूँ। मैं 26 साल का हूँ, दिखने में ठीक-ठाक, नॉर्मल बॉडी, और मेरा लंड 7 इंच का है, जो किसी भी औरत को संतुष्ट करने के लिए काफी है। ये मेरी पहली और सच्ची कहानी है, अगर कोई गलती हो जाए तो माफ करना। मैं एक प्राइवेट मैन्युफैक्चरिंग कंपनी में इंजीनियर हूँ, जहाँ ढेर सारे कर्मचारी काम करते हैं। उनमें से एक था संदीप, उम्र करीब 32 साल, साधारण कद-काठी, लेकिन बातचीत में माहिर। उसने मेरे साथ दोस्ती बढ़ाने की कोशिश की और अपने बेटे के जन्मदिन पर मुझे अपने घर बुलाया।

जब मैं संदीप के घर पहुँचा, तो दरवाजा उसकी बीवी ने खोला। उसका नाम रीना था, उम्र होगी कोई 28-29 साल, गोरी-चिट्टी, चेहरा नशीला, और फिगर ऐसा कि क्या बताऊँ—32-28-34 का कातिलाना बदन, साड़ी में लिपटी हुई, जिसमें उसकी भारी चूचियाँ और गोल-मटोल गांड साफ झलक रही थी। उसकी साड़ी का पल्लू हल्का-सा खिसका हुआ था, जिससे उसकी गहरी नाभि दिख रही थी। उसे देखते ही मेरा लंड पैंट में तन गया, लेकिन मैंने खुद को संभाला। मैंने पूछा, “संदीप कहाँ है?” उसने मुस्कुराते हुए कहा, “अंदर हैं, आइए।” उसकी आवाज़ में एक अजीब-सी मिठास थी, जो मुझे और उकसा रही थी।

अंदर जाकर संदीप से मुलाकात हुई, हमने खाना खाया, कुछ इधर-उधर की बातें कीं। लेकिन मेरा ध्यान बार-बार रीना भाभी की तरफ जा रहा था। उसकी चूचियाँ साड़ी के ऊपर से उभरी हुई थीं, और जब वो चलती थी तो उसकी गांड का उछाल मेरे होश उड़ा रहा था। एक-दो बार उसने मुझे अपनी चूचियों को घूरते हुए पकड़ लिया, लेकिन उसने बस हल्की-सी मुस्कान दी, जैसे उसे बुरा न लगा हो। थोड़ी देर बाद मैंने उनसे विदा लिया और अपने फ्लैट पर वापस आ गया। लेकिन रीना भाभी का चेहरा मेरे दिमाग में घूमता रहा। उसकी वो गीली-गीली आँखें, वो मुलायम होंठ, और वो कातिलाना फिगर—मैं दिन-रात उसी के बारे में सोचने लगा।

कुछ दिन बाद संदीप ने कंपनी छोड़ दी और लुधियाना में नई नौकरी जॉइन कर ली। उसे अकेले ही जाना था, तो रीना और उनके बच्चे दिल्ली में ही रह गए। एक शाम संदीप का फोन आया, उसने बताया कि रीना की तबीयत ठीक नहीं है, सिरदर्द और हल्का बुखार है। उसने मुझसे रिक्वेस्ट की कि मैं उनके घर जाकर देख लूँ। मैंने हाँ कह दी और 20 मिनट की दूरी तय करके उनके घर पहुँच गया। रास्ते में मैंने रीना के लिए फ्रूट जूस और बच्चों के लिए चॉकलेट्स ले लिए।

जब मैं उनके घर पहुँचा, तो रीना ने दरवाजा खोला। उसने लाल रंग की सिल्की नाइटी पहनी थी, जो उसके बदन से चिपकी हुई थी। उसकी चूचियाँ नाइटी के ऊपर से साफ दिख रही थीं, और उसकी गोरी टाँगें नाइटी के साइड कट से झाँक रही थीं। मैंने उसकी हालत पूछी, तो उसने बताया कि सिरदर्द और बुखार है। मैं पास के मेडिकल स्टोर से दवा ले आया और उसे दिया। थोड़ी देर बाद उसे कुछ आराम मिला। हम सोफे पर बैठकर टीवी देखने लगे। बच्चे भी टीवी देखते-देखते वहीं सो गए। रीना ने मेरी मदद से बच्चों को उठाकर उनके कमरे में सुला दिया। इस दौरान मेरा हाथ गलती से उसकी कमर और चूचियों से टच हो गया। उसका बदन इतना गर्म और मुलायम था कि मेरा लंड फिर से तन गया।

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अब हम फिर से सोफे पर बैठे और टीवी देखने लगे। मेरा ध्यान टीवी से ज्यादा रीना पर था। उसकी नाइटी का गला थोड़ा ढीला था, जिससे उसकी चूचियों की गहरी खाई दिख रही थी। मैंने हिम्मत करके कहा, “भाभी, आपका सिरदर्द अब भी है? मैं आपका सिर दबा दूँ, आराम मिलेगा।” वो थोड़ा हिचकिचाई, लेकिन फिर मुस्कुराते हुए बोली, “ठीक है, दबा दो।” वो सोफे पर लेट गई, और मैंने उसका सिर दबाना शुरू किया। उसने आँखें बंद कर लीं, और मैं उसकी गदराई जवानी को निहारने लगा। उसकी चूचियाँ साँसों के साथ ऊपर-नीचे हो रही थीं, और नाइटी के नीचे उसकी गोरी जाँघें मेरे लंड को और बेकाबू कर रही थीं।

सिर दबाते-दबाते मैं उसकी गर्दन तक पहुँच गया। उसकी त्वचा इतनी मुलायम थी कि मेरे हाथ काँपने लगे। मैंने हल्के-हल्के उसके कंधे भी दबाए। उसे मज़ा आ रहा था, वो आँखें बंद किए हुए हल्की-सी सिसकारियाँ ले रही थी, “उम्म… आह…”। मेरा लंड अब पैंट में तंबू बना रहा था। मैंने हिम्मत करके अपने हाथ उसकी चूचियों की तरफ बढ़ाए, लेकिन डर भी रहा था कि कहीं वो गुस्सा न हो जाए। फिर भी, मैंने हल्के से उसकी एक चूची पर हाथ रखा। उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, बस आँखें बंद रखीं और सिसकारी लेती रही। ये मेरे लिए हरी झंडी थी।

मैंने अब दोनों हाथों से उसकी चूचियों को सहलाना शुरू किया। वो इतनी मुलायम थीं कि मेरे हाथों में समा नहीं रही थीं। मैंने हल्के-हल्के दबाया, और वो “आह… जिग्नेश…” कहकर सिसकने लगी। मैं समझ गया कि वो भी गर्म हो चुकी है। मैंने झट से उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उसे चूमने लगा। उसने तुरंत मेरा साथ देना शुरू किया, उसकी जीभ मेरी जीभ से टकरा रही थी। हम 7-8 मिनट तक एक-दूसरे को चूमते रहे, उसका गर्म साँस मेरे चेहरे पर लग रहा था। मैंने उसकी नाइटी में हाथ डालकर उसकी चूचियाँ पकड़ लीं और ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगा। वो सिसक रही थी, “आह… उफ्फ… जिग्नेश… धीरे…” लेकिन उसकी आवाज़ में मज़ा साफ झलक रहा था।

मैंने उसकी नाइटी को खींचकर उतार दिया। अब वो सिर्फ काली ब्रा और पैंटी में थी। उसकी गोरी चूचियाँ ब्रा से बाहर निकलने को बेताब थीं, और उसकी पैंटी में उसकी चूत का उभार साफ दिख रहा था। मैंने भी अपने कपड़े उतारे और सिर्फ अंडरवियर में रह गया। मैं उसके ऊपर लेट गया और उसकी गर्दन, कंधों और चूचियों पर चूमने लगा। उसकी सिसकारियाँ और तेज हो गईं, “आह… उह… जिग्नेश… मज़ा आ रहा है…”। मैंने उसे उल्टा किया और उसकी कमर पर चूमना शुरू किया। मेरा लंड अंडरवियर के अंदर से उसकी मोटी गांड पर रगड़ रहा था। वो अपनी गांड को पीछे धकेल रही थी, जैसे मेरा लंड अपनी गांड से और रगड़वाना चाहती हो। मैंने उसकी ब्रा खोल दी और उसे सीधा करके उसकी चूचियों को मुँह में ले लिया। उसकी निप्पल्स गुलाबी और सख्त हो चुकी थीं। मैं उन्हें चूसने लगा, और वो तड़पने लगी, “आह… ओह… जिग्नेश… चूसो… और ज़ोर से…”।

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मैंने उसकी पैंटी भी उतार दी, और अब वो मेरे सामने पूरी नंगी थी। उसकी चूत गीली हो चुकी थी, और उसका दाना साफ दिख रहा था। मैंने उसे सोफे से उठाया और गोद में लेकर बेडरूम में ले गया। वहाँ मैंने उसे बेड पर लिटाया और उसकी जाँघों को चूमना शुरू किया। उसकी चूत की खुशबू मुझे पागल कर रही थी। मैंने उसकी चूत पर अपनी जीभ रखी और चाटना शुरू किया। वो तड़प उठी, “आह… उफ्फ… जिग्नेश… ये क्या कर रहे हो… आह…”। मैंने उसकी चूत का दाना मुँह में लिया और चूसने लगा। वो ज़ोर-ज़ोर से सिसक रही थी, “आह… ओह… हाय… मत रुको…”। उसने मेरा अंडरवियर उतार दिया और मेरा लंड पकड़ लिया। मेरा 7 इंच का लंड अब पूरी तरह तन चुका था। उसने उसे अपने मुँह में ले लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी। हम 69 की पोजीशन में थे। मैं उसकी चूत चाट रहा था, और वो मेरा लंड चूस रही थी। उसकी जीभ मेरे लंड के टोपे पर घूम रही थी, और मैं उसकी चूत का रस पी रहा था।

करीब 10 मिनट तक हमने एक-दूसरे को ओरल सुख दिया। वो झड़ गई, और उसका रस मेरे मुँह में आ गया। मैंने भी अपना सारा माल उसके मुँह में छोड़ दिया। वो सारा रस पी गई और फिर से मेरा लंड चाटकर खड़ा कर दिया। अब मैं उसकी चूत में लंड डालने को तैयार था। मैंने उसकी कमर के नीचे तकिया लगाया, उसकी टाँगें फैलाईं, और अपने लंड को उसकी चूत पर रगड़ना शुरू किया। वो तड़प रही थी, “जिग्नेश… अब डाल दो… और मत तड़पाओ…”। मैंने उसके चूत के छेद पर लंड रखा और एक ज़ोरदार धक्का मारा। मेरा लंड उसकी गीली चूत में पूरा घुस गया। वो चीख पड़ी, “आह… उफ्फ… कितना मोटा है…”। मैंने उसे कसकर पकड़ लिया और धक्के मारने शुरू किए। कमरे में पच-पच की आवाज़ गूँज रही थी। वो अपनी कमर उछाल-उछालकर मेरा लंड और अंदर ले रही थी, “आह… ओह… चोदो मुझे… और ज़ोर से…”।

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मैं उसकी चूचियाँ चूसते हुए उसे चोद रहा था। उसकी सिसकारियाँ और चीखें मुझे और जोश दिला रही थीं, “आह… हाय… जिग्नेश… मज़ा आ गया…”। करीब 15 मिनट तक मैंने उसे अलग-अलग पोजीशन में चोदा—कभी उसे ऊपर बिठाया, कभी पीछे से उसकी गांड पकड़कर धक्के मारे। आखिर में मैंने अपनी स्पीड बढ़ाई और सारा माल उसकी चूत में छोड़ दिया। वो भी उसी वक्त झड़ गई और मुझसे लिपटकर चूमने लगी। मैंने पूछा, “कैसा लगा, भाभी?” उसने हाँफते हुए कहा, “जिग्नेश, इतना मज़ा मुझे आज तक नहीं मिला। तुमने मुझे जन्नत दिखा दी।”

थोड़ी देर बाद हम बाथरूम में गए। हमने एक-दूसरे को नहलाया। शावर के नीचे उसका गीला बदन और भी सेक्सी लग रहा था। मैंने उसके पूरे बदन को चाटा, और वो फिर से गर्म हो गई। उसने घुटनों पर बैठकर मेरा लंड चूसना शुरू किया। मैंने उसे दीवार के सहारे झुकाया और पीछे से उसकी चूत में लंड डाल दिया। वो फिर से सिसकने लगी, “आह… ओह… जिग्नेश… और ज़ोर से…”। पच-पच की आवाज़ बाथरूम में गूँज रही थी। हम दोनों फिर से एक साथ झड़ गए।

उस रात मैं उसके घर ही रुका। हमने रात में तीन बार और चुदाई की। हर बार वो और जोश में थी। हमने कई दिनों तक ऐसा ही सेक्स किया, लेकिन बाद में वो अपने पति के साथ लुधियाना चली गई। मैं यहाँ अकेला रह गया। अब हम सिर्फ फोन पर बात करते हैं और कभी-कभी फोन सेक्स करते हैं।

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