Office sex story :ऑफिस की फ्रेंड को चोदा

0
(0)

Office sex story :

नमस्कार दोस्तों, मैं राजस्थान के सीकर का रहने वाला हूँ. आजकल में जयपुर में रह रहा हूँ. इस कहानी के सभी पात्रों के नाम काल्पनिक हैं, परंतु कहानी हकीकत है.

शादी से पहले चूत चोदने की चाहत किसको नहीं होती, परन्तु नसीब किसी को ही होती है. आपके लौड़ों और चूतों को ज्यादा इंतजार ना करवाते हुए मैं, विराज आपके सामने पेश हूँ. मेरी उम्र 25 साल है. मेरा रंग गोरा है. मेरा लंड भी गोरा है और चुदाई में भी जबरदस्त है. मेरा लंड भी घाट घाट का पानी पीने का बहुत शौक़ीन है. मैंने एक कहानी पहले भी लिखी है, लेकिन कुछ सुरक्षा कारणों की वजह से बता नहीं सकता.

ये बात तब की है, जब मैं अजमेर में एक निजी कंपनी में काम करता था. मैं उस कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत था. मेरे ऑफिस में 6 लोगों का स्टाफ़ था और चूंकि ऑफिस को एक लेडीज़ स्टाफ की आवश्यकता थी, तो हमने न्यूज़ पेपर में विज्ञापन दिलवा दिया.

साक्षात्कार शुरू हुए और हमने जरीना नाम की एक लड़की को चुन लिया. अब क्योंकि मैं मैनेजर था तो जरीना मुझसे ज्यादा ही बात करती थी. मैंने उसको लेकर शुरुआत में कुछ भी गलत नहीं सोचा था, क्योंकि वो मुझसे कुछ न कुछ नया सीखती रहती थी.

एक दिन एक बड़ी सी शीट में हम दोनों कोई रिपोर्ट बना रहे थे, तब वो बिल्कुल मेरे पास बैठी थी. ये पहली बार था, जब उसके बारे में मुझे बुरा ख्याल आया कि इसके रसीले और हॉट से होंठों को चूस डालूँ.

जरीना की फिगर का जरा ब्यौरा दे दूँ, ताकि लंड खड़ा होने में कुछ सहारा मिल सके. जरीना की फिगर 34-28-36 की थी. उसकी चूचियां एकदम सामने को तनी हुई थीं. कमर एकदम बलखाती थी और चूतड़ों के उठाव ऐसे, मानो दो पहाड़ रगड़ रहे हों. मतलब जरीना जन्नत की हूर थी. भरी हुई चुदास उसकी आंखों से, प्यास उसकी केले के तने सी चिकनी टाइट जांघों से … और हवस उसके बोबों से झर झर कर बहती थी.

मतलब उसके हुस्न को सोचते हुए मैं ये कहानी लिख रहा हूं, तब भी मेरा लंड फड़फड़ा रहा है.

एक महीने के अंतराल में हम दोनों में काफी नजदीकियां बढ़ीं, लेकिन हम दोनों ही कभी ये कह नहीं पाए.

फिर अचानक कंपनी को मेरे ट्रांसफर की आवश्यकता हुई और मुझे बात करने के लिए जयपुर बुलाया गया.

यह बात मैंने पूरे स्टाफ को बताई, तो जरीना सबसे ज्यादा उदास हो गयी. उसने अकेले में मुझसे कहा- आप यहां से जाओगे, तो मैं भी जॉब नहीं करूँगी.
मैं उसकी तरफ देख कर चुप रह गया.

खैर मैं निकल गया. मैं बस में बैठा जरीना से चैट कर रहा था और जरीना ने अचानक से मुझे एक किस वाला इमोजी भेजा.
मैंने पूछा- ये क्या शायद गलती से भेज दिया है?
उसने कहा- नहीं … मैं आपके बिना जॉब नहीं करूँगी और आपको यहीं आना पड़ेगा.
ये सुनकर मेरा लंड फड़फड़ा कर उठक बैठक करने लगा.

मैंने बॉस को बोलकर अपना ट्रांसफर एक महीने के लिए रुकवा लिया और जरीना को कॉल करके बता दिया.
वो खुशी से चहक उठी और बोली- आप आओगे, तब मैं आपको हग करूँगी.
यह बोलकर वो शांत हो गयी, शायद उसने जल्दबाजी में बोल दिया था.

इसे भी पढ़ें:  Lockdown Mein Girlfriend Ki Chudai

खैर … मैं अपने खड़े लंड और चुदासे सपनों के साथ वापस ऑफिस आ पहुँचा. मैंने देखा कि ऑफिस में जो सबसे ज्यादा खुश थी, वो थी मेरी जरीना.
मैंने उसे अपने केबिन में बुला कर कहा- हग तो मुझे भी तुम्हें करना है.
इतना सुनते ही वो मुस्कुराते हुए चली गयी और मेरा लंड उसकी चूत के सपने देखने लगा.

इसके दो दिन बाद ही मुझे मौका मिल ही गया. उस दिन स्टाफ के सारे लोग छुट्टी पर थे. मैं अजमेर से सीकर अपने घर नहीं गया था.

मैंने जरीना को ऑफिस बुला लिया. उसके आते ही मैं खड़ा हुआ और उससे बोला कि आज हम दोनों एक दूसरे को हग करने की अपनी इच्छा पूरी कर लेते हैं.
उसने कुछ नहीं कहा, सिर्फ गर्दन झुका कर मेरे पास आ गयी.

अब यहां शब्दों की जरूरत खत्म हो गयी थी. मीटर की दूरी सेंटीमीटर में और सेंटीमीटर से जीरो हो गयी. मतलब हम उस पल इतने करीब हो गए थे, जहां उसके मम्मे मेरे सीने से दबाव बनाए हुए थे. धड़कनें तेज सुनाई दे रही थीं. मेरे लंड का उठाव होने लगा था, आंखें बंद थीं. मेरा एक पैर उसकी दोनों जांघों के बीच आ गया और उसकी पीठ दीवार से टिक गई. उसके दीवार से टिक जाने से मेरा पूरा वजन उसके बोबों पर होने लगा था.

उसकी हल्की सी आंखें खुलीं. हम दोनों की नजर से नजर मिली, चेहरे पास आए और दोनों के होंठों के बीच की दूरी भी जीरो हो गयी. हम दोनों के होंठ एक दूसरे से चिपके रहे. हरकत हम में से कोई नहीं कर रहा था. हमारी गर्म गर्म सांसें टकरा रही थीं. मेरे हाथ उसकी कमर को पकड़ चुके थे. मैं अपना लंड और वो अपनी चूत एक दूसरे की तरफ दबा रहे थे.

मेरा लंड फटने की कगार पर था, मदहोशी अपने चरम पर थी. मैंने अपने होंठों को हटाकर उसकी गर्दन पर कान के नीचे चिपका दिया और चूसना चालू कर दिया.

जरीना मदहोश थी, मैं भी बेहोश था. उसके कान इतने सेक्सी लग रहे थे कि मेरे चूमते ही वो मचल उठी. उसके हाथ मेरे बालों में आ गए थे और मेरे हाथ उसके बोबों पर लग गए थे.

भैनचोद क्या चूचे थे … मतलब क्या बताऊँ मुझे ऐसा लग रहा था कि बस खा जाऊं इनको. माहौल हम दोनों के नियंत्रण से बाहर था. इधर मेरा लंड पैंट फाड़कर बाहर आने को बेताब था, तो उधर उसके बोबे भी.

ऑफिस में सिर्फ गर्म सांसें और चुदास से भरी आहें सुनाई दे रही थीं. मैंने उसकी टी-शर्ट उतारकर अलग कर दी.
ओह … मैं तो नशे में डूब गया.
उसकी काली चोली में टाइट मम्मे … आह इसकी माँ को चोदूं … ऐसे दिलकश मम्मे मैंने पहली बार देखे थे.

मेरा अब दूध पीना चालू हो चुका था. मैंने जरीना की चूत पर कपड़ों के ऊपर से ही हाथ फेरना चालू कर दिया. वो अपनी आंखें बंद किए बस हाथ रगड़वाने में मस्त थी.

इसे भी पढ़ें:  Gay Sex Story :मुलायम गांड चोदने का सुख

अब उसका असली रंग सामने आ रहा था. उसके होंठ दांतों तले दबे हुए थे और आंखों में सिर्फ सेक्स की लालसा दिख रही थी.

मैंने उसको मेज पर आधा लेटा रखा था. मेरा मुँह उसके बोबों पर लगा था. मैंने एक हाथ से उसको सहारा दे रखा था. एक हाथ उसकी चूत मसलने में लगा था. उसका एक हाथ मेरे सर पर था.

अब उसकी पैंट के बटन खोलने की बारी थी. पैंट का बटन खुला, चैन खुली और काले रंग की पैंटी, उसकी चूत से गीली होकर चिपकी हुई मेरे सामने थी. मैं ज्यादा सहन कर नहीं सका और अपने गर्म होंठ उसकी चूत पर लगा बैठा.

आहहहह … की मादक ध्वनि के साथ उसने दोनों जांघों से मेरा सर दबा लिया और दबी हुई आवाज में बोली- चूस ले मादरचोद …
ये शब्द मेरे लिए चकित करने वाला था. लेकिन मैं क्यों पीछे रहता.

मैंने अपनी जीभ उसके भोसड़े में डाली और बोला- ले तेरी माँ की चूत … साली रंडी … आज इस चूत को फाड़ ना डालूं, तो बोलना … तेरी माँ का भोसड़ा साली …
वो बोली- पैंट खोल ना बहन के लौड़े..

बस एक मिनट के बाद हम दोनों पूरे नंगे थे. उसने मुझे पास खींचा और होंठ पर होंठ रख दिए. उसका एक हाथ मेरे लंड को सहला रहा था.
ओह्ह जरीना … मैं कभी उसके मम्मे, तो कभी चूत में उंगली करता. हम दोनों के बीच गालियों की बौछार चल रही थी.

मैंने कहा- नीचे बैठ जा भैनचोदी.

वो समझ गयी थी कि उसे क्या करना है. उसने घुटनों के बल बैठकर मेरे लंड को प्यार से सहलाया, फिर मेरी तरफ देखा.

मैंने कहा- देख क्या रही है रंडी … चूस इसको.

उसने मुँह खोला, उतने में मैंने उसके सर को पकड़ कर घअप्प घअप्प घअप्प उसके मुँह में दो तीन बार लंड अन्दर बाहर कर दिया.
उसकी सांसें फूल गईं.

इतने में मैंने एक झटका और दे दिया, जो मेरे लंड को उसके कंठ की जड़ों तक ले गया. उसकी सांसें कुछ पल के लिए रुक गईं और जब लंड बाहर आया, तब उसकी लार में सना हुआ था.

जरीना ने कहा- मारेगा क्या भोसड़ी के … रुक अब चूस के दिखाती हूँ.

इतना कह कर उसने एक इशारा किया और हम दोनों अब सिक्स नाइन वाली अवस्था में आ गए थे. उसकी चूत मेरे होंठों पर … और मेरा लंड उसके होंठों पर लग गए थे. फिर शुरू हुआ चुसाई का जबरदस्त खेल … मैं सपड़ सपड़ करके उसकी चूत चूस रहा था और वो घअप्प घअप्प करके मेरा लंड चचोर रही थी.

कोई पांच मिनट की चुसाई के बाद मैंने टेबल पर उसके एक पैर को और दूसरे को अपने हाथ में ले लिया.

अब मेरा लंड और उसकी चूत की दूरी बिल्कुल शून्य के लगभग थी.

उसकी आंखें बंद थीं. मैंने चुत पर अपना लंड रगड़ा, तो वो बोली- मादरचोद चोद इसको … साले भड़वे, क्यों तड़पा रहा है … आह हहहहह भैंचोद … फाड़ देईईईई … उम्म्ह… अहह… हय… याह… क्या सोच रहा है मादरचोद … आह … मर गईई..

इसे भी पढ़ें:  निकिता का स्वयंवर -भाग 6 - मेरे दो पति (अंत)

उसने शुरू की आधी लाइन जब बोली थी, तब मेरा लंड चूत की फांकों में घस्सा मार रहा था और बाद में ‘आह मर गई..’ तब बोला, जब मेरा मूसल उसकी चूत को फाड़ता हुआ अन्दर घुस गया था.

मेरा लंड उसकी चुत को चीरता हुआ काफी अन्दर जा चुका था. उसकी आँखें उबल पड़ी थीं और उसकी चीख मानो उसके कंठ में ही कहीं खो गई थी.

मैंने लंड बाहर निकाला और फिर घप्प से पेल दिया.
‘ओऊऊ माँ के लौड़े … मर गईईई … निकालल्लल बाहरर … भोसड़ी के..’

मैंने लंड निकाला और फिर घपप्प घअप्प घअप्प पेल दिया. हम दोनों की भयंकर वाली चुदाई चालू हो गयी.

‘ले तेरी माँ की चूत … साली रंडी..’

मैं जरीना की दोनों टांगों को ऊपर करके उसे टेबल पर लिटा कर खप्पा खप गच्चा गच्च चोदे जा रहा था.

जरीना- चोद मादरचोद … ऊऊह फाड़ड़ड़ दे चूऊऊत को कमीने …

थोड़ी देर में मेरे धक्के तेज होने लगे और वो भी कमर के झटके मारने लगी.

‘मार भैंचोऊऊऊद … तेज और तेजज्ज पेल … आहहहहह..’
‘ले रंडी … और ले आह..’
‘उहहह और तेज मादरचोद … फाड़ दे … औह..’

करीब दस मिनट की धकापेल चुदाई के बाद फचाफच की भयंकर आवाज के साथ मेरे लौड़े का पानी उसकी चूत को भर रहा था.

वो मुझसे कस कर चिपक गयी थी और गर्म आहें भर रही थी. हम दोनों की गर्मागर्म सांसें अब धीरे धीरे ठंडी हो रही थीं.

जरीना को मैंने बढ़िया सा किस किया, उसके कपड़े पहनाये और फिर गोद में लेकर बैठ गया. क्योंकि चुदाई के बाद प्यार कम नहीं होना चाहिए.

अब रोज चुदाई का काम चलता था, आज भी जब कभी अजमेर जाता हूं, तो जरीना से जरूर मिलता हूँ.

तो दोस्तो, आपके लंडों को पिघलाने और भाभियों की चूतों को चमचम बनाने के बाद, मैं आपका दोस्त विराज आपसे कुछ समय के लिए विदा चाहूंगा. जल्द ही मिलूंगा नई चुदाई की कहानी के साथ और ये कहानी आपको कैसी लगी, ये जरूर बताएं.

Related Posts💋

आपको यह कहानी कैसी लगी?

स्टार्स को क्लिक करके आप वोट कर सकते है।

Average rating 0 / 5. Vote count: 0

अभी तक कोई वोट नहीं मिला, आप पहला वोट करें

We are sorry that this post was not useful for you!

Let us improve this post!

Tell us how we can improve this post?

Leave a Comment