राखी पर भाई ने बहन को 9 इंच का गिफ्ट दिया

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(19902)

Rakshabandhan/Rakhi Bhai Behen sex story – पलक की साँसें तेज थीं जब वो नोएडा के उस तपते हुए अगस्त की सुबह हरीश के फ्लैट के बाहर खड़ी थी। उसका दिल जोर-जोर से धड़क रहा था, न सिर्फ इस वजह से कि वो अपने भाई को रक्षाबंधन पर सरप्राइज देने आई थी, बल्कि इसलिए भी कि पिछले साल की नाराजगी को वो मिटाना चाहती थी। पलक, 24 साल की, गोरी, लंबी, और एक ऐसी फिगर वाली लड़की थी जिसे देखकर कोई भी मर्द पलटकर दोबारा देखे। उसकी 34D की चूचियाँ उसकी टाइट कुरती में उभरी हुई थीं, जैसे दो पके हुए आम, जो कुरती के पतले कपड़े को और भी तंग कर रहे थे। उसकी कमर पतली थी, और गांड इतनी गोल-मटोल कि लेगिंग्स में हर कदम पर लचक रही थी। उसने जानबूझकर ये टाइट कपड़े चुने थे—क्योंकि उसे पता था कि भैया की नजरें उस पर टिकेंगी।

पलक उत्तर प्रदेश के एक छोटे शहर में बैंक में नौकरी करती थी। वो कुंवारी थी, शादी की बात अभी तक नहीं चली थी। उसका किराए का फ्लैट छोटा सा था, पर वो अपनी जिंदगी से खुश थी। दूसरी तरफ, हरीश, 28 साल का, नोएडा में एक मल्टीनेशनल कंपनी में इंजीनियर था। लंबा, गठीला, और चेहरे पर एक रफ-टफ मर्दानगी, जो उसकी काली आँखों में चमकती थी। मम्मी-पापा कानपुर में रहते थे, और भाई-बहन की जिंदगी अपने-अपने शहरों में बंटी हुई थी। पिछले साल राखी के समय पलक बैंक की ट्रेनिंग में फंसी थी, और हरीश को राखी नहीं बांध पाई थी। हरीश ने फोन पर नाराजगी जताई थी, “तू तो भूल ही गई अपने भाई को, पलक!” उसकी आवाज में मज़ाक था, पर पलक को उसकी नाराजगी चुभ गई थी। इस बार वो कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती थी।

सुबह के सात बजे थे। नोएडा की सड़कों पर हल्की-हल्की हलचल शुरू हो रही थी। पलक ने अपने बैग से राखी निकाली और हरीश के फ्लैट की बेल बजाई। दरवाजा खुलते ही हरीश का चेहरा चमक उठा। “पलक! अरे, तू यहाँ?” उसने खुशी से चिल्लाते हुए उसे जोर से गले लगा लिया। उसका गठीला बदन पलक के नरम जिस्म से टकराया, और पलक को लगा कि हरीश की बाहों में कुछ ज्यादा ही जोर था। उसकी चूचियाँ हरीश की छाती से दब गईं, और वो थोड़ा सा हड़बड़ा गई। हरीश ने उसे छोड़ा, पर उसकी आँखें पलक के जिस्म पर टिक गईं। वो बार-बार उसकी चूचियों की तरफ देख रहा था, फिर उसकी गांड पर नजरें फेर रहा था। पलक को उसकी नजरें महसूस हुईं, और उसके गाल लाल हो गए। “क्या भैया, ऐसे क्यूँ देख रहे हो?” उसने मज़ाक में कहा, पर अंदर से उसका दिल तेज़ी से धड़क रहा था।

हरीश ने हँसते हुए कहा, “अरे, मेरी बहन तो अब और भी हॉट हो गई है! ये कुरती तुझ पर कमाल लग रही है।” पलक ने शरमाते हुए नजरें झुका लीं, पर उसकी चूचियाँ और भी उभर आईं जब उसने सीधा खड़े होने की कोशिश की। हरीश का फ्लैट छोटा था, पर साफ-सुथरा। एक किनारे पर सोफा, बीच में एक ग्लास टेबल, और दीवार पर टीवी। खिड़की से सुबह की धूप आ रही थी, और बाहर सड़क पर गाड़ियों की हल्की-हल्की आवाज़ सुनाई दे रही थी। पलक ने बैग रखा और कहा, “चलो भैया, तैयार हो जाओ। राखी बांधनी है।” हरीश ने मुस्कुराते हुए कहा, “हाँ, हाँ, बस दो मिनट में नहाकर आता हूँ।”

जब हरीश नहाने गया, पलक ने फ्लैट को देखा। टेबल पर एक खाली चाय का कप पड़ा था, और पास में हरीश की कंपनी का लैपटॉप खुला हुआ था। पलक ने सोचा, “भैया तो अब बड़े आदमी हो गए हैं।” उसने अपने बैग से राखी की थाली निकाली—राखी, रोली, चंदन, और कुछ मिठाइयाँ। उसने अपनी कुरती ठीक की, जो बार-बार उसकी चूचियों पर चिपक रही थी। उसे थोड़ा अजीब लग रहा था, क्योंकि हरीश की नजरें उसे पहले कभी इतनी गौर से नहीं देखती थीं। वो सोचने लगी, “क्या मैं सचमुच इतनी बदल गई हूँ? या भैया का मूड कुछ और है?”

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हरीश नहाकर बाहर आया। उसने एक ढीली टी-शर्ट और ट्रैक पैंट पहनी थी, पर उसका गठीला बदन साफ झलक रहा था। पलक ने उसे राखी बांधी। पूजा की थाली में दीया जल रहा था, और हरीश ने बड़े प्यार से अपनी कलाई आगे की। पलक ने राखी बांधते हुए कहा, “भैया, तुम हमेशा मेरी रक्षा करना, ठीक है?” हरीश ने हँसते हुए कहा, “अरे, मेरी रानी, तू टेंशन मत ले। तेरा भाई है ना।” फिर उसने पलक को पांच हज़ार रुपये का लिफाफा थमाया और कहा, “ये ले तेरा गिफ्ट। अब मेरी बारी है। मुझे भी गिफ्ट चाहिए।” पलक ने मज़ाक में कहा, “अरे वाह, भैया! बोलो, क्या चाहिए? मैं भी तो कमाती हूँ।” हरीश की आँखों में एक अजीब सी चमक थी। उसने धीरे से कहा, “रात को बताऊँगा।”

पलक को लगा कि हरीश मज़ाक कर रहा है, पर उसकी आवाज़ में कुछ ऐसा था कि उसका दिल धक-धक करने लगा। दिन बीता, और दोनों ने साथ में खाना बनाया। पलक ने अपनी कुरती की आस्तीन ऊपर चढ़ाई, और हरीश की नजरें बार-बार उसकी गोरी बाँहों और उभरी हुई चूचियों पर जा रही थीं। शाम होते-होते हरीश ने बाहर से खाना और चार बियर की बोतलें मंगवा लीं। पलक ने हँसते हुए कहा, “भैया, ये क्या? राखी के दिन बियर?” हरीश ने पलक की तरफ देखा और कहा, “अरे, थोड़ा मज़ा तो बनता है। तू भी तो पीती है ना कभी-कभी?” पलक ने शरमाते हुए हामी भरी।

रात के आठ बज चुके थे। फ्लैट में हल्की-हल्की ठंडक थी, क्योंकि हरीश ने एसी चला रखा था। दोनों सोफे पर बैठे, बियर की बोतलें हाथ में लिए। बाहर बारिश शुरू हो गई थी, और खिड़की पर बारिश की बूंदों की हल्की आवाज़ आ रही थी। पलक ने एक घूँट लिया, और ठंडी बियर उसकी गले से उतरते हुए उसे हल्का नशा देने लगी। हरीश ने भी एक लंबा घूँट लिया और पलक की तरफ देखा। उसकी नजरें अब और भी बेकाबू हो रही थीं। वो बार-बार पलक की चूचियों और जांघों पर देख रहा था। पलक ने अपनी लेगिंग्स ठीक की, पर उसकी जांघें और भी उभर आईं।

“पलक, तू सचमुच बहुत बदल गई है,” हरीश ने धीरे से कहा, उसकी आवाज़ में एक अजीब सी गर्मी थी। पलक ने हँसकर बात टालने की कोशिश की, “हाँ भैया, अब मैं बड़ी हो गई हूँ।” पर हरीश ने उसकी बात काट दी, “नहीं, मेरा मतलब… तेरा फिगर… मेरा मतलब, तू बहुत खूबसूरत हो गई है।” पलक के गाल लाल हो गए। उसने बियर का एक और घूँट लिया, और उसे लगा कि कमरा गर्म होने लगा है। हरीश की नजरें अब उसकी चूचियों पर टिक गई थीं, और वो अपने होंठ चाट रहा था।

अचानक हरीश ने कहा, “पलक, तूने सुबह कहा था ना कि तू मुझे गिफ्ट देगी? अब समय आ गया है।” पलक ने हँसते हुए कहा, “हाँ, हाँ, बोलो ना, क्या चाहिए?” हरीश ने अपनी बियर की बोतल टेबल पर रखी और पलक के करीब सरक आया। उसकी आँखों में एक अजीब सी भूख थी। “मुझे एक किस चाहिए,” उसने धीरे से कहा। पलक ने मज़ाक में कहा, “बस? एक किस? ले लो।” उसने अपना गाल आगे कर दिया। हरीश ने हल्के से उसके गाल पर किस किया, पर फिर उसका चेहरा पलक के होंठों की तरफ बढ़ने लगा।

पलक ने उसे रोकने की कोशिश की, “भैया, ये क्या? होंठ पर कौन किस करता है?” हरीश ने उसकी आँखों में देखा और कहा, “पलक, मैं जानता था तू गिफ्ट नहीं देगी।” उसकी आवाज़ में एक नकली नाराजगी थी, पर उसकी आँखें कुछ और कह रही थीं। पलक का दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। उसे लगा कि वो गलत कर रही है, पर बियर का नशा और हरीश की गर्म नजरें उसे बेकाबू कर रही थीं। “ठीक है, ले लो,” उसने धीरे से कहा।

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हरीश ने तुरंत अपने होंठ पलक के गुलाबी होंठों पर रख दिए। उसका चुंबन इतना गर्म और भूखा था कि पलक की साँसें रुक गईं। वो कुछ पल तक शांत रही, अपने हाथ मुट्ठी में बंद किए, पर फिर उसका जिस्म जवाब देने लगा। उसने हरीश के बाल पकड़े और जोर से उसके होंठ चूसने लगी। दोनों के होंठ एक-दूसरे में डूब गए, जैसे कोई भूखा शिकारी अपने शिकार को चख रहा हो। हरीश की जीभ पलक के मुँह में घुसी, और पलक ने भी उसकी जीभ को चूसना शुरू कर दिया। कमरे में सिर्फ उनकी साँसों की आवाज़ और बाहर बारिश की टप-टप सुनाई दे रही थी।

हरीश का हाथ धीरे-धीरे पलक की चूचियों पर चला गया। उसने कुरती के ऊपर से ही उसकी भारी चूचियाँ दबाईं, और पलक के मुँह से एक हल्की सी सिसकारी निकल गई, “आह्ह…” उसका जिस्म कांप रहा था। हरीश ने उसकी कुरती के बटन खोलने शुरू किए, पर पलक ने उसे रोक लिया। “भैया, ये गलत है… तुम मेरे भाई हो,” उसने कांपती आवाज़ में कहा। हरीश ने उसकी आँखों में देखा और कहा, “पलक, आजकल ये सब होता है। तू टेंशन मत ले। तेरा भाई तुझे सिर्फ प्यार देना चाहता है।” उसकी आवाज़ में एक अजीब सी मादकता थी।

पलक का दिमाग कह रहा था कि ये गलत है, पर उसका जिस्म कुछ और चाह रहा था। हरीश ने अपनी टी-शर्ट उतार दी, और उसका गठीला सीना पलक के सामने था। उसका लंड ट्रैक पैंट में तंबू बना रहा था, और पलक की नजरें उस पर टिक गईं। “भैया, ये… इतना बड़ा?” उसने बुदबुदाते हुए कहा। हरीश ने हँसते हुए कहा, “हाँ, मेरी रानी, ये तेरा गिफ्ट है।” उसने अपना ट्रैक पैंट भी उतार दिया, और उसका 9 इंच का मोटा लंड बाहर आ गया। पलक की आँखें फटी की फटी रह गईं। उसका लंड लोहे की तरह सख्त था, और उसकी नसें उभरी हुई थीं।

पलक का जिस्म गर्म हो रहा था। उसने अपने आप को रोकने की कोशिश की, पर हरीश का लंड देखकर उसकी चूत में हलचल शुरू हो गई थी। उसने धीरे से अपनी कुरती उतारी, और उसकी ब्रा में कैद चूचियाँ बाहर आ गईं। हरीश ने उसकी ब्रा के हुक खोले, और पलक की भारी चूचियाँ आज़ाद हो गईं। उसकी निप्पल गुलाबी और सख्त थीं। हरीश ने एक निप्पल को अपने मुँह में लिया और चूसने लगा। पलक की साँसें तेज हो गईं, “आह्ह… भैया… ये क्या कर रहे हो… आह्ह…” उसकी आवाज़ में शर्म और मस्ती दोनों थी।

हरीश ने पलक को सोफे पर लिटा दिया। उसने उसकी लेगिंग्स खींचकर उतार दी, और अब पलक सिर्फ अपनी पैंटी में थी। उसकी चूत पैंटी के ऊपर से गीली दिख रही थी। हरीश ने उसकी पैंटी को सूंघा और कहा, “साली, तेरी चूत की खुशबू तो जन्नत है।” पलक ने शरमाते हुए कहा, “भैया, ऐसी बातें मत करो…” पर उसकी आवाज़ में एक अजीब सी मस्ती थी। हरीश ने उसकी पैंटी उतार दी, और पलक की गुलाबी चूत उसके सामने थी। उसने अपनी जीभ से उसकी चूत को चाटना शुरू किया। पलक का जिस्म सिहर उठा, “आह्ह… ऊऊ… भैया… ये… आह्ह…” उसकी सिसकारियाँ कमरे में गूंज रही थीं।

हरीश ने अपनी जीभ को पलक की चूत के अंदर तक डाला, और उसकी चूत से गर्म-गर्म रस निकलने लगा। पलक की टाँगें कांप रही थीं। उसने हरीश के बाल पकड़े और जोर से दबाया, “आह्ह… भैया… और चाटो… आह्ह…” हरीश ने उसकी चूत को चाटते हुए उसकी गांड के छेद को भी सहलाया। पलक पागल हो रही थी। उसका जिस्म अब पूरी तरह हरीश के हवाले था।

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करीब दस मिनट तक हरीश ने उसकी चूत और गांड को चाटा, और फिर वो उठा। उसने अपना 9 इंच का लंड पलक की चूत पर रगड़ा। पलक की चूत पहले से ही गीली थी। “भैया, धीरे… मैंने पहले कभी नहीं किया…” पलक ने कांपती आवाज़ में कहा। हरीश ने कहा, “टेंशन मत ले, मेरी रानी। तेरा भाई सब संभाल लेगा।” उसने अपने लंड का सुपारा पलक की चूत के छेद पर रखा और एक हल्का सा धक्का दिया। पलक के मुँह से चीख निकल गई, “आह्ह… दर्द हो रहा है…” पर हरीश ने उसकी चूचियाँ दबाईं और उसके होंठ चूसने लगा। उसने एक और जोरदार धक्का दिया, और उसका पूरा 9 इंच का लंड पलक की चूत में समा गया।

पलक की आँखों में आंसू थे, पर उसका जिस्म अब मस्ती में डूब रहा था। हरीश ने धीरे-धीरे धक्के शुरू किए, और पलक की चूत उसके लंड के साथ ताल मिलाने लगी। “आह्ह… भैया… और जोर से… आह्ह…” पलक की सिसकारियाँ तेज हो गईं। हरीश ने उसे उलट दिया और अब वो उसे कुतिया की तरह चोद रहा था। उसकी गांड हवा में थी, और हरीश का लंड उसकी चूत में बार-बार अंदर-बाहर हो रहा था। “साली, तेरी चूत तो बहुत टाइट है… तेरा भाई तुझे आज जमकर पेलेगा,” हरीश ने कहा। पलक ने जवाब दिया, “हाँ भैया… पेलो… अपनी बहन की चूत फाड़ दो… आह्ह…”

करीब एक घंटे तक हरीश ने उसे अलग-अलग पोज़ में चोदा—कभी कुतिया स्टाइल में, कभी उसे गोद में उठाकर, कभी दीवार के सहारे। पलक की सिसकारियाँ कमरे में गूंज रही थीं, “आह्ह… ऊऊ… भैया… और जोर से… आह्ह…” आखिरकार हरीश का माल पलक की चूत में गिर गया। दोनों हाँफते हुए सोफे पर गिर पड़े। पलक की चूत सूज गई थी, और उसमें हल्का-हल्का खून भी निकल रहा था।

दो घंटे बाद पलक की नींद खुली। उसने हरीश को जगाया और अपनी चूत दिखाई। हरीश ने फिर से उसका दर्द भूलकर अपना लंड हिलाना शुरू कर दिया। उसने पलक को बाथरूम में ले जाकर नहाते हुए चोदा। तीन दिन तक पलक नोएडा में रही, और हरीश ने उसकी चूत का सत्यानाश कर दिया। उसकी चूचियों पर दांतों के निशान थे, उसकी टाँगें दर्द से कांप रही थीं, पर उसे मज़ा ऐसा आया कि वो भूल गई कि हरीश उसका भाई है।

अब पलक अपने शहर लौट आई है। हरीश उसे फिर बुला रहा है, और वो भी जाने को बेकरार है। दोस्तों, आपको मेरी कहानी कैसी लगी? क्या आपने भी कभी ऐसा कुछ अनुभव किया? नीचे कमेंट में ज़रूर बताएँ।

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