ससुर और बहू का खतरनाक खेल – भाग 1

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नेहा की शादी को कुछ ही महीने हुए थे, लेकिन उसका मन एक अजीब सी बेचैनी से घिरा हुआ था। शादी के बाद से विनोद के साथ उसका संबंध ठीक नहीं चल रहा था।

वह अपने काम में इतना व्यस्त रहता था कि नेहा को समय ही नहीं दे पाता था। नेहा को शादी से पहले ही ख्वाब थे कि उसका पति उसे खूब प्यार करेगा, लेकिन अब वह दिन-रात अकेलेपन का शिकार होती जा रही थी। नेहा का मन अब घर के कामों में भी नहीं लग रहा था।

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उसकी सास कुछ दिनों पहले ही गांव गई हुई थी और ससुर रामपाल अकेले घर में थे। घर का माहौल बिल्कुल ठंडा और सूनसान हो गया था। नेहा की मुलाकात रामपाल से कम ही होती थी, लेकिन अब जब घर में केवल वही और उसके ससुर थे, तो उनके बीच एक अजीब सा माहौल बनने लगा।

रामपाल, विनोद के पिता, एक बुजुर्ग थे, लेकिन उनकी आंखों में अब भी एक अजीब सी चमक थी। नेहा ने कई बार महसूस किया कि रामपाल की निगाहें उस पर अटक जाती थीं। वह अपनी जवानी और खूबसूरती से अनजान नहीं थी, लेकिन कभी उसने इस पर ध्यान नहीं दिया।

लेकिन अब वह देख रही थी कि रामपाल की आंखों में उसे लेकर एक अजीब सी चाहत थी। नेहा को यह बात खटकने लगी। वह अब घर में अकेले रामपाल के सामने जाने से कतराने लगी थी। लेकिन एक दिन, जब वह किचन में खाना बना रही थी, रामपाल अचानक वहां आ गए।

रामपाल ने नेहा की ओर देखते हुए कहा, “बहू, तुम बहुत अच्छा खाना बनाती हो।” नेहा ने सिर झुका कर धन्यवाद कहा, लेकिन उसकी निगाहें रामपाल के चेहरे पर टिकी रहीं। उसने देखा कि रामपाल के होंठों पर हल्की सी मुस्कान थी और उनकी निगाहें उसकी कमर पर टिकी हुई थीं। वह इस तरह का ध्यान कभी विनोद से नहीं पाई थी।

कुछ दिनों तक ऐसा ही चलता रहा। नेहा के अंदर एक अजीब सी बेचैनी बढ़ने लगी थी। उसे अब रामपाल का ध्यान कुछ अच्छा लगने लगा था। एक दिन, नेहा ने देखा कि रामपाल उसे बिना झिझक घूर रहे थे, जैसे वह उसके शरीर का हर हिस्सा देख रहे हों। नेहा को यह महसूस हुआ कि वह भी अब रामपाल की नजरों को नजरअंदाज नहीं कर पा रही थी। नेहा का मन उलझने लगा था। क्या वह अपने ससुर के प्रति कुछ महसूस करने लगी थी?

उसके दिल में कई सवाल उठने लगे। एक दिन, नेहा ने हिम्मत जुटाई और रामपाल से बात करने का फैसला किया। उसने सोचा कि इस माहौल को साफ करना जरूरी है, वरना यह गलत दिशा में जा सकता है। जब विनोद घर नहीं था, नेहा ने रामपाल से बात की। नेहा ने कहा, “बाबूजी, क्या आप मुझसे कुछ कहना चाहते हैं?”

रामपाल ने एक पल के लिए उसकी ओर देखा, फिर गंभीरता से कहा, “बहू, मैं तुमसे कुछ नहीं छुपाना चाहता। तुम्हारी खूबसूरती ने मुझे मोह लिया है। मैं जानता हूं कि यह गलत है, लेकिन मैं अपने दिल के हाथों मजबूर हूं।” नेहा की सांसें तेज हो गईं। उसे नहीं पता था कि क्या जवाब दे। उसका दिल तेज धड़कने लगा। रामपाल के शब्दों ने उसके अंदर कुछ हिला दिया था। उसे खुद पर काबू रखना मुश्किल हो रहा था।

नेहा ने रामपाल की बात सुनकर खुद को संभालने की कोशिश की। उसके अंदर एक तूफान चल रहा था, लेकिन वह जानती थी कि हालात ऐसे थे कि उसे सोच-समझकर ही आगे बढ़ना होगा। उसने अपनी निगाहें झुका लीं और कमरे से बाहर जाने लगी, लेकिन रामपाल ने उसका हाथ पकड़ लिया।

रामपाल ने धीमे से कहा, “बहू, मुझसे डरने की जरूरत नहीं है। मैं तुम्हें तकलीफ नहीं दूंगा। अगर तुम्हें मेरी बात बुरी लगी हो, तो मुझसे माफी मांगता हूं।” नेहा का दिल तेज़ी से धड़कने लगा। उसके शरीर में अजीब सी गर्मी महसूस हो रही थी। उसने धीरे से कहा, “बाबूजी, मैं कुछ समझ नहीं पा रही हूं। आप मेरे ससुर हैं, यह सब गलत है।” रामपाल ने उसे और करीब खींचते हुए कहा, “नेहा, मुझे पता है कि ये गलत है, लेकिन मैं तुमसे दूर नहीं रह पा रहा। तुमने भी महसूस किया होगा, मैंने तुम्हारी तरफ कैसे देखा है।” नेहा अब पूरी तरह से उसके पास थी।

रामपाल का हाथ उसकी कमर पर था, और उसकी सांसें तेज़ हो गई थीं। वह जानती थी कि वह अब इस आग से बच नहीं पाएगी। उसने खुद को रामपाल की तरफ खींचते हुए पाया, उसकी उंगलियाँ उसकी कमर को दबा रही थीं, और उसके होंठ रामपाल के करीब आ रहे थे। रामपाल ने उसे और करीब खींचते हुए अपने होंठ नेहा के होंठों पर रख दिए।

नेहा ने पहली बार किसी और पुरुष के होंठ अपने होंठों पर महसूस किए थे। उसकी सांसें और तेज हो गईं, और उसका शरीर कांपने लगा। रामपाल ने उसके गालों को सहलाते हुए कहा, “तुम्हारी ये मुलायम त्वचा, ये जवानी, मुझे पागल कर देती है।” नेहा के होठों से सिसकारी निकली, “बाबूजी… क्या कर रहे हैं आप?” लेकिन उसकी आवाज में अब कोई विरोध नहीं था। उसकी आंखें बंद हो चुकी थीं और उसका शरीर खुद को रामपाल के हवाले कर चुका था।

रामपाल ने धीरे से नेहा का दुपट्टा हटाया और उसकी गर्दन पर होंठ रख दिए। नेहा का बदन अब उसकी गिरफ्त में था, और उसकी आंखों में अब कोई संकोच नहीं था। उसने अपने हाथ रामपाल की कमर के चारों ओर लपेट लिए और उसकी ओर पूरी तरह से खिंच गई। रामपाल ने उसे अपने सीने से लगा लिया और उसकी पीठ पर हाथ फिराते हुए उसे बिस्तर की ओर खींच लिया।

नेहा की सांसें अब और तेज हो गई थीं। उसने अपने ससुर के साथ इस तरह का रिश्ता कभी नहीं सोचा था, लेकिन अब वह खुद को रोक नहीं पा रही थी। उसकी उंगलियाँ रामपाल की शर्ट के बटन खोलने लगीं, और उसका शरीर रामपाल की हर हरकत का जवाब दे रहा था। रामपाल ने नेहा को बिस्तर पर लिटा दिया और धीरे-धीरे उसके कपड़े उतारने लगा। नेहा ने अपनी आंखें बंद कर लीं और अपने आप को पूरी तरह से रामपाल के हवाले कर दिया।

रामपाल ने उसके बदन को निहारा, और उसकी आंखों में वासना की लपटें उठने लगीं। अब वह पूरी तरह से तैयार था नेहा के साथ अपने संबंध को आगे बढ़ाने के लिए। नेहा ने महसूस किया कि वह अब और इंतजार नहीं कर सकती। उसके शरीर में आग लगी हुई थी, और वह इस आग को बुझाने के लिए अपने ससुर के पास आ चुकी थी। नेहा की सिसकारियां कमरे में गूंजने लगीं, और रामपाल ने अपनी उंगलियाँ उसकी कमर से नीचे की ओर सरकाईं। उसके बदन में एक अजीब सी मस्ती थी, और वह पूरी तरह से रामपाल के हवाले हो चुकी थी।

नेहा अब पूरी तरह से रामपाल के नियंत्रण में थी। रामपाल ने धीरे-धीरे नेहा की सलवार को उतारना शुरू किया, और उसकी गर्म सांसें नेहा के बदन को और भी तड़पाने लगीं। नेहा ने अपने होंठ काटते हुए सिसकारियाँ लीं, उसकी सांसें और तेज हो गईं। रामपाल ने नेहा की जांघों को सहलाते हुए उसे अपने पास खींचा। नेहा ने अपनी आँखें बंद कर लीं और अपने शरीर को रामपाल के स्पर्श के हवाले कर दिया। उसका पूरा बदन गर्मी से तप रहा था।

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रामपाल ने धीरे-धीरे नेहा की चूचियों पर अपने होंठ रख दिए और उन्हें चूसने लगा। नेहा ने अपने बालों को पीछे की ओर झटका और अपने ससुर की हरकतों का पूरी तरह से मजा लेने लगी। नेहा के होंठों से फिर एक जोरदार सिसकारी निकली, “आह… बाबूजी… बस… और…” उसकी आवाज में अब पूरी तरह से चाहत और तड़प थी।

रामपाल ने उसकी हर बात को ध्यान से सुना और अपनी हरकतों को तेज कर दिया। अब रामपाल ने नेहा की चूत के पास अपनी उंगलियों को सरकाना शुरू किया। नेहा की चूत पहले ही गीली हो चुकी थी, और वह रामपाल के हर स्पर्श से और भी ज्यादा तड़प उठी थी। उसने खुद को बिस्तर पर थोड़ा और फैलाया, ताकि रामपाल उसे पूरी तरह से महसूस कर सके। रामपाल ने अपनी उंगलियों को नेहा की चूत के अंदर डाला और धीरे-धीरे उसे सहलाने लगा।

नेहा अब और भी बेकाबू हो चुकी थी। उसने अपने ससुर के कंधों को पकड़ कर खींच लिया और जोर से कराहने लगी। “आह… बाबूजी… अब और इंतजार नहीं हो रहा।” रामपाल ने नेहा के इस जवाब को सुनते ही अपनी पैंट उतार दी और नेहा के ऊपर आ गया। नेहा ने उसकी गर्मी को अपने शरीर पर महसूस किया और अपने दोनों हाथों से उसे और करीब खींच लिया। रामपाल ने अपने लिंग को नेहा की चूत के पास रखा और धीरे-धीरे उसे अंदर डालने की कोशिश की।

नेहा ने अपने पैरों को चौड़ा किया और अपने ससुर को पूरी तरह से अंदर लेने के लिए तैयार हो गई। जैसे ही रामपाल का लिंग नेहा की चूत के अंदर घुसा, नेहा के होंठों से एक लंबी सिसकारी निकली। “आह… बाबूजी… बहुत अच्छा लग रहा है…” उसकी आवाज में अब पूरी तरह से वासना और आनंद था।

रामपाल ने अब अपनी रफ्तार तेज कर दी, और नेहा का पूरा शरीर उसकी हरकतों से हिलने लगा। नेहा की आंखें बंद थीं, और उसका पूरा बदन रामपाल के हर धक्के के साथ कांप रहा था। कुछ ही देर में दोनों की सांसें तेज हो गईं, और उनके शरीरों ने एक दूसरे का साथ पूरी तरह से दे दिया। रामपाल ने अपनी रफ्तार और भी तेज की, और नेहा की सिसकारियाँ कमरे में गूंजने लगीं। नेहा ने अपने नाखून रामपाल की पीठ में गड़ा दिए और एक जोरदार आवाज के साथ झड़ गई।

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रामपाल ने भी अपने लिंग को नेहा की चूत में जोर से घुसाया और दोनों ने एक साथ अपनी वासना का विस्फोट किया। नेहा और रामपाल अब एक दूसरे के ऊपर निढाल होकर लेटे थे। उनकी सांसें धीरे-धीरे सामान्य हो रही थीं, लेकिन दोनों के चेहरों पर संतुष्टि का भाव साफ नजर आ रहा था। नेहा ने धीरे से रामपाल के कंधे पर सिर रखा और कहा, “बाबूजी, आप वाकई में कमाल के हैं।” रामपाल ने मुस्कुराते हुए कहा, “और तू भी, मेरी रानी। ये तो बस शुरुआत है, आगे तो और भी मजा आने वाला है।” नेहा ने मुस्कुराते हुए अपनी आँखें बंद कर लीं और अपने ससुर के साथ इस नए रिश्ते में पूरी तरह से डूब गई।

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