Shadi se pahle chudai – हेल्लो दोस्तों, ये मेरी दूसरी कहानी है, और मैं आपको बता दूँ कि मैं पुणे में पूरी तरह सेट हो चुका हूँ। मेरी उम्र अभी 24 साल है, और मैं नैनीताल का हूँ, यानी पहाड़ी इलाके से। मेरी गोरी चमड़ी और अलग लुक की वजह से मैं अपने प्रोजेक्ट में सबसे जुदा दिखता हूँ। बाकी सब या तो मराठी हैं या मध्यप्रदेश के। मेरे प्रोजेक्ट में एक लड़की थी, नेहा, जो मुझसे चार साल बड़ी थी, यानी 27 की। वो जम्मू से थी, गोरी, मस्त फिगर वाली, 34-28-36 का बदन, और उसकी आँखों में एक ऐसी चमक थी कि हर लड़का उसका दीवाना था। प्रोजेक्ट के सारे लड़के उसके पीछे पड़े रहते थे, लेकिन उसे यहाँ के लड़के बिल्कुल पसंद नहीं थे। चूँकि मैं भी पहाड़ी था, वो मुझसे खुलकर बात करती थी।
हम दोनों अच्छे दोस्त बन गए थे। मैं उसे हमेशा मैडम बुलाता था, और कभी उसके बारे में गलत नहीं सोचा। लेकिन कुछ समय पहले उसकी शादी फिक्स हो गई थी। उसने पूरे प्रोजेक्ट को शादी का न्योता दिया, पर कोई नहीं जा पाया। मेरे पास छुट्टियाँ थीं, और मुझे अपने घर नैनीताल जाना था, तो मैंने सोचा कि नेहा के साथ जम्मू चलूँ, फिर वहाँ से अपने घर। हम दिल्ली तक फ्लाइट से गए। फ्लाइट में पहले आधा घंटा हम चुपचाप बैठे रहे। फिर मैंने उससे पूछा, “मैडम, आपको वो लड़का पसंद भी है, या बस सरकारी नौकरी वाला देखकर शादी कर रही हो?” वो पहले हँसी, फिर उदास हो गई और बोली, “मुझे ये शादी नहीं करनी।”
मैंने पूछा, “ऐसा क्यों?” उसने बताया, “वो लड़का मुझसे पाँच साल बड़ा है, और शक्ल से बूढ़ा लगता है। लेकिन वो मेरे पापा के दोस्त का बेटा है, और पापा उनके यहाँ नौकरी करते थे। मेरी पढ़ाई का खर्चा भी उन्हीं ने उठाया, तो मैं मना नहीं कर सकती।” ये कहते-कहते उसकी आँखें भर आईं, और उसने मेरा हाथ कसकर पकड़ लिया। उसने मुझे अपनी छाती से लगाया, और रोने लगी। मैंने उसे सांत्वना दी, “सब ठीक हो जाएगा, मैडम।” लेकिन उसी पल उसके बूब्स मेरी छाती से टकराए, और मेरा लंड जींस में तंबू बनाकर खड़ा हो गया। उसकी 34 साइज की छाती का स्पर्श मेरे लिए नया था, और मैं खुद को रोक नहीं पाया।
मैं उठकर बाथरूम गया, वहाँ नेहा के बदन का ख्याल करके मुठ मारी। उसका गोरा रंग, 34 की छाती, 28 की कमर, और 36 की गोल-मटोल गांड मेरे दिमाग में घूम रही थी। मैंने सोचा, ये मौका है। अगर मैंने नेहा की चुदाई कर ली, तो कितना मज़ा आएगा। बाथरूम से लौटकर मैं उसके पास बैठा। उसने मुझे देखकर स्माइल की और बोली, “शादी तक मेरे साथ मेरे घर चलो, फिर अपने घर चले जाना।” मैंने पहले मना किया, लेकिन उसकी छाती पर नज़र पड़ते ही मेरे मुँह से हाँ निकल गया। वो खुश हो गई।
दो घंटे बाद हम दिल्ली पहुँचे। रात 9 बजे थे, और हमें 10 घंटे की बस यात्रा करनी थी। हमने बस का टिकट लिया और बैठ गए। बस रात 10 बजे निकली। मैंने बात शुरू की, “मैडम, अब तो आप ऑफिस में कम और घर पर ज़्यादा रहेंगी। बेचारे लड़कों का दिल टूट जाएगा।” वो हँसी और बोली, “नहीं, मेरा पति दिल्ली में नौकरी करता है। मैं पुणे में ही रहूँगी जब तक तबादला नहीं होता।” मैंने हिम्मत करके पूछा, “लेकिन शादी के बाद अकेले कैसे रहेंगी?” उसने शरारती अंदाज़ में जवाब दिया, “तुम हो ना मेरे साथ।” मैं हँस पड़ा।
रात गहरी हो चुकी थी। एक बजे तक सब सो गए, लेकिन हमें नींद नहीं आ रही थी। नेहा बिल्कुल फ्री होकर बैठी थी। उसका टॉप थोड़ा नीचे खिसका हुआ था, और उसकी गोरी छाती साफ दिख रही थी। मैं बार-बार उसी को देख रहा था। उसने मुझे पकड़ लिया और पूछा, “क्या देख रहे हो?” मैंने कहा, “कुछ नहीं, मैडम। आप इतनी सुंदर हैं, फिर ये शादी क्यों कर रही हैं? आपको उससे अच्छा लड़का मिल जाएगा।” वो फिर उदास हो गई। इस बार मैंने उसका हाथ पकड़ा और बोला, “मैडम, आप परेशान मत हो। मैं हूँ ना आपके साथ।” उसने पूछा, “तू क्या कर लेगा?”
मैंने कहा, “जो आप बोलेंगी, वो कर दूँगा।” उसने कहा, “लेकिन शादी के बाद तो पति ही लड़की को खुश रखता है।” उसका हाथ धीरे-धीरे मेरी जांघों पर खिसक रहा था, और मेरा लंड पहले से ही टाइट था। मैंने हिम्मत करके उसका हाथ अपने लंड पर रख दिया। जैसे ही उसने मेरा लंड महसूस किया, उसने झट से हाथ हटा लिया और बोली, “तू बहुत अच्छा है।” फिर उसने मेरे गाल पर एक चुम्मी दे दी। मुझसे अब रहा नहीं गया। मैंने भी उसके होंठों पर चुम्मी ले ली। वो चौंक गई, लेकिन चुप रही। मैंने मौका देखकर उसके गले पर चुम्मी दी। उसने कहा, “ये क्या कर रहा है?” मैंने जवाब दिया, “मैडम, आपने मुझे किस किया, तो मैंने भी। अब आपकी बारी।” उसने मेरे होंठों पर फिर से चुम्मी दे दी।
अब मुझसे रुका नहीं गया। मैंने उसे कसकर पकड़ा और स्मूच करना शुरू कर दिया। वो भी मज़े ले रही थी। मैंने उसके निचले होंठ को चूसना शुरू किया, और वो गहरी साँसें लेने लगी। मेरे हाथ उसके टॉप के ऊपर से उसके बूब्स पर चले गए। मैंने दोनों बूब्स को धीरे-धीरे मसलना शुरू किया। उसने अपनी आँखें बंद कर लीं और सिसकारियाँ लेने लगी, “आह्ह… उह्ह…” मैंने मौका देखकर उसके टॉप के अंदर हाथ डाला और ब्रा का हुक खोल दिया। उसकी ब्रा ढीली हो गई, और मैंने उसके नंगे बूब्स को दबाना शुरू कर दिया। उसके निप्पल टाइट हो चुके थे, और मैं उन्हें ज़ोर-ज़ोर से मसल रहा था। उसे दर्द हो रहा था, लेकिन मज़ा भी आ रहा था। उसने अचानक मुझे पीछे धकेल दिया और बोली, “नहीं, ये गलत है। मुझे ये नहीं करना।”
मैंने कहा, “मैडम, यही सही है। बाद में आप इसे याद करके मुस्कुराएँगी।” मैंने फिर से उसका हाथ अपने लंड पर रखा और उसके होंठ चूसने लगा। इस बार वो भी जोश में आ गई। उसने मेरी जींस के अंदर हाथ डाला और मेरा लंड पकड़ लिया। मेरा 7 इंच का लंड उसके हाथ में आते ही वो डर गई और बोली, “ये तो बहुत बड़ा है!” मैंने उसे चुप कराया और उसके बूब्स को और ज़ोर से मसला। मैंने उसका टॉप ऊपर किया और एक बूब्स को बाहर निकाला। उसकी गुलाबी निप्पल को मैंने अपने मुँह में लिया और चूसने लगा। मेरी जीभ उसकी निप्पल के चारों ओर घूम रही थी, और वो सिसकारियाँ ले रही थी, “आह्ह… धीरे… उह्ह…” वो मेरा लंड ज़ोर-ज़ोर से हिलाने लगी। तभी मेरा वीर्य उसके हाथ पर गिर गया। उसने मेरा हाथ पकड़ा और अपनी जींस के ऊपर रख दिया।
मैंने उसकी जींस का बटन खोला और उसकी पैंटी में हाथ डाला। उसकी चूत पूरी तरह गीली थी। वो इतनी गरम हो चुकी थी कि कुछ चाहिए था उसे। उसने मेरा हाथ पकड़कर अपनी चूत पर दबाया। मैंने समझ लिया कि वो क्या चाहती है। मैंने अपनी दो उंगलियाँ उसकी चूत में डालने की कोशिश की, लेकिन वो वर्जिन थी, और उसे दर्द होने लगा। मैंने उसके होंठ चूसना शुरू किया और एक हाथ से उसके बूब्स दबाने लगा। धीरे-धीरे मेरी एक उंगली उसकी चूत में चली गई। उसने मुझे रोका और बोली, “घर भी जाना है। ये ट्रेन नहीं है कि मैं कपड़े चेंज कर लूँ।” मैंने ऊपर से ही उसकी चूत को रगड़ना शुरू किया। थोड़ी देर में वो झड़ गई। उसने रूमाल से अपनी चूत साफ की और बाहर फेंक दिया।
सुबह के तीन बज चुके थे। पीछे वाली सीट पर दो लड़कियाँ जाग गई थीं और कंडक्टर को भी उठा दिया। बस की लाइट जल गई। हमने जल्दी से कंबल ओढ़ लिया। पाँच मिनट बाद बस फिर से चली, और कंडक्टर सो गया। नेहा ने कंबल थोड़ा नीचे किया। मैंने देखा, उसके बूब्स लाल हो चुके थे, और निप्पल अभी भी टाइट थे। ड्राइवर ने लाइट बंद की, और हम फिर से शुरू हो गए। मैंने उसके बूब्स को लंबे समय तक चूसा, और वो सिसकारियाँ लेती रही, “आह्ह… और चूसो… उह्ह…” सुबह 5 बजे कुछ लोग जाग गए। मैंने उसके कान में कहा, “अब कुछ नहीं कर सकते।” कंबल के अंदर मैंने उसकी ब्रा और कपड़े ठीक किए। जब भी मौका मिलता, हम चुपके से किस कर लेते।
सुबह 8 बजे हम जम्मू पहुँचे। नेहा के दो भाई उसे लेने आए थे। उसने मेरा परिचय करवाया, और मैंने जल्दी ही उनके साथ दोस्ती कर ली। मौका मिलते ही मैं नेहा के बूब्स दबा देता। कभी-कभी ज़ोर से दबाता, और वो शरमाकर मुस्कुरा देती। पाँच दिन ऐसे ही बीत गए। अब शादी में सिर्फ दो दिन बचे थे। मैं घर का खास मेहमान बन गया था। मेरा कमरा अलग था, परिवार के कमरों के पास।
शादी से एक दिन पहले एक रस्म थी, जिसमें नेहा ने लहंगा पहना। वो गुलाबी लहंगे में इतनी सेक्सी लग रही थी कि मैं उसे देखकर पागल हो गया। उसका टाइट ब्लाउज उसकी छाती को उभार रहा था, और उसकी नाभि शरारती अंदाज़ में झाँक रही थी। रात को 2 बजे उसका फोन आया। उसने कहा, “दरवाजा खोलो।” मैंने खोला, तो सामने नेहा उसी लहंगे में थी, बिना दुपट्टे। उसका ब्लाउज इतना टाइट था कि उसकी निप्पल्स साफ दिख रही थीं। उसकी गांड लहंगे में और उभरी हुई थी।
मैंने पूछा, “क्या हुआ?” वो बोली, “मुझे डर लग रहा है। मेरी जिंदगी बर्बाद हो रही है।” मैंने उसे अपनी बाहों में भर लिया। वो मेरी छाती पर सर रखकर रोने लगी। मैंने कहा, “डरो मत, मैडम। पुणे में तो हम साथ होंगे।” वो थोड़ा शांत हुई और मेरे होंठों पर चुम्मी लेने लगी। मैंने उसकी लिपस्टिक चूस-चूसकर साफ कर दी। उसे बेड पर लिटाया और उसकी छाती पर चुम्मी दी। वो सिसकारियाँ लेने लगी, “आह्ह… और करो…” मैं बेड पर लेट गया और बोला, “मेरे पेट पर बैठो।” वो मेरे ऊपर दोनों तरफ पैर करके बैठ गई। मैंने उसके बूब्स दबाने शुरू किए। उसने मेरी शर्ट के बटन खोले और मेरी निप्पल्स से खेलने लगी।
उसने कहा, “मुझे भी आज कुछ करना है।” मैंने कहा, “ठीक है, चलो मज़ा करते हैं।” मैंने उसकी पैंटी उतारी और अपनी जींस व अंडरवियर निकाल दिया। मैंने कहा, “आज मैं तुम्हें खूब मज़ा दूँगा।” उसे लिटाकर मैं 69 की पोजीशन में आ गया। मेरा लंड उसके मुँह पर था, और उसने मेरे लंड के टोपे को चूसना शुरू किया। उसकी गर्म जीभ मेरे लंड पर लग रही थी, और मैं पागल हो रहा था। मैंने उसका लहंगा ऊपर किया और उसकी चूत को रगड़ा। वो सिसकारी, “आह्ह… उह्ह…” मैंने उसकी चूत में जीभ डाली, और वो मेरे लंड को और ज़ोर से चूसने लगी। मैं उसकी चूत को चाट रहा था, और उसकी जाँघें काँप रही थीं। मैंने उसकी जाँघों को दबाया, और वो ढीली पड़ गई। मेरी जीभ उसकी चूत के अंदर-बाहर हो रही थी, और वो मेरा लंड चूस रही थी।
थोड़ी देर में वो झड़ गई, और उसने मेरा लंड चूसकर मेरा वीर्य निकाल दिया। मैंने कहा, “अब तुम तैयार हो, आज रात तुम मेरी बीवी हो।” उसने कहा, “जल्दी करो, लेकिन ध्यान से।” मैंने उसे बेड पर लिटाया और उसका ब्लाउज व लहंगा उतार दिया। वो सिर्फ पैंटी में थी, जो पहले ही उतर चुकी थी। मैंने अपना लंड उसकी चूत के मुँह पर टिकाया और उसके बूब्स पकड़कर उसके ऊपर लेट गया। मैंने उसके होंठ चूसने शुरू किए और धीरे-धीरे लंड अंदर डालने लगा। उसे दर्द हो रहा था, और उसने बेडशीट कसकर पकड़ ली। मैंने धीरे-धीरे पूरा लंड अंदर डाला। उसकी आँखों से आँसू निकल आए, और हम दोनों पसीने से तर हो गए।
मैं थोड़ी देर रुका, फिर धीरे-धीरे आगे-पीछे करने लगा। उसे दर्द हो रहा था, लेकिन मैंने उसके होंठ चूसकर उसे चुप रखा। थोड़ी देर बाद उसे मज़ा आने लगा, और वो सिसकारियाँ लेने लगी, “आह्ह… और ज़ोर से… उह्ह…” मैंने धक्कों की रफ्तार बढ़ाई। उसकी चूत टाइट थी, और मेरा लंड उसे पूरा खोल रहा था। मैंने उसे कसकर पकड़ा और 15 मिनट तक चोदा। फिर मैं झड़ गया और सारा वीर्य उसकी चूत में डाल दिया। उसने मुझे कसकर गले लगाया।
सुबह के तीन बज चुके थे। मैंने कहा, “जल्दी साफ-सफाई करो और अपने रूम में जाओ।” मैंने उसकी चूत को गर्म पानी से साफ किया, कपड़े पहनाए, और एक बार फिर उसके बूब्स दबाए। मैंने कहा, “बाकी मज़ा पुणे में लेंगे।” उसने हाँ में सर हिलाया और चली गई। अगले दिन उसकी शादी हो गई, और मैं अपने घर आ गया।
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