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ताऊ के लड़के ने तेल मालिश कर मेरी जवानी लूटी

4.9
(1987)

दोस्तों, मैं अपने दिल की बात आप सबके सामने खोल रही हूँ। मेरा नाम शालिनी है, और मैं एक ऐसी लड़की हूँ जिसे देखकर लड़कों के लंड तन जाते हैं। मेरी कातिल जवानी और हुस्न की तारीफ हर कोई करता है। मेरे बदन में इतनी आग भरी है कि तीन-चार लंड एक साथ ले लूँ, फिर भी मेरी चूत की प्यास नहीं बुझती। अब तक मेरे नौ बॉयफ्रेंड्स रह चुके हैं, और हर एक के मोटे-मोटे लंड ने मेरी चूत को जमकर ठोका है। मेरा फिगर है 36-28-38, और मेरे रसीले मम्मे 36 इंच के इतने टाइट हैं कि सलवार-कमीज हो या टॉप-जींस, हर कपड़े में उभरकर सामने आते हैं। मेरी गोल-मटोल गांड को देखकर तो हर मर्द की नीयत डोल जाती है। दोस्तों, हर लड़का अलग मज़ा देता है, और ऐसा ही कुछ हुआ मेरे साथ, जब मेरे ताऊ के लड़के ने मुझे चोदकर मेरी जवानी का रस निचोड़ लिया।

मेरे ताऊ का लड़का, राकेश, एकदम गबरू जवान है। जब वो छुट्टियों में हमारे घर आया, तो उसकी मर्दानी बॉडी देखकर मेरी चूत में खुजली शुरू हो गई। जिम में कसरत करके उसने ऐसा जिस्म बनाया था कि वो किसी हीरो से कम नहीं लगता था। उसकी चौड़ी छाती, मज़बूत बाहें, और वो चेहरा—हाय, बिल्कुल रणवीर सिंह जैसा! उसे देखते ही मेरे दिल में लड्डू फूटने लगे। वो थोड़ा शर्मीला था, बी.टेक. का स्टूडेंट, और बिल्कुल सीधा-सादा। लेकिन मैंने ठान लिया था कि इस बार उसका लंड मेरी चूत में लेके ही रहूँगी।

एक शाम राकेश छत पर टहल रहा था। मैंने मौका देखा और एक टाइट सलवार-कमीज पहन ली, बिना दुपट्टे के, ताकि मेरे बड़े-बड़े मम्मे उसे ललचा लें। छत पर कोई और नहीं था। मैं उसके पास जाकर खड़ी हो गई। वो मुझे देखकर थोड़ा घबरा गया, उसकी नज़रें बार-बार मेरी गहरी गलियों में उतर रही थीं।

“क्या देख रहा है, भाई?” मैंने नखरे से पूछा, होंठों पर हल्की मुस्कान लाकर।

“शालिनी, तू तो अब एकदम बम हो गई है! बिल्कुल जवान माल लग रही है,” उसने हकलाते हुए कहा।

“हाँ, जवान तो हो गई, अब बस कोई मज़ेदार लड़का मिल जाए,” मैंने आँख मारते हुए कहा।

वो मेरी बात सुनकर और शरमा गया, लेकिन उसकी आँखें मेरे मम्मों पर अटक गई थीं। मैंने देखा, उसका लोअर हल्का-हल्का तंबू बन रहा था।

“तेरी कोई गर्लफ्रेंड है कि नहीं?” मैंने मज़ाकिया लहजे में पूछा।

“हाँ, थी एक, पर अब वो किसी और के साथ चली गई। अब तो मैं बिल्कुल सिंगल हूँ,” राकेश ने उदास होकर कहा।

“अच्छा? तो तेरा लंड चूत के लिए तरसता नहीं?” मैंने हँसते हुए पूछा।

वो मेरी बात सुनकर लाल हो गया और हँसने लगा। बस, यहीं से मैंने उसे फँसाना शुरू कर दिया। जब भी मौका मिलता, मैं उसके पास चली जाती। कभी टाइट टॉप पहनकर, कभी हल्की सी सलवार में, जिसमें मेरी गांड का उभार साफ दिखे। मैं चाहती थी कि वो पहले बोले, लेकिन राकेश इतना शर्मीला था कि कुछ करता ही नहीं। आखिरकार, मुझे ही आगे बढ़ना पड़ा।

एक दोपहर की बात है। घर में सब लोग अपने कमरों में सो रहे थे। राकेश अपने रूम में बिस्तर पर लेटा था। मैंने सोचा, इससे अच्छा मौका नहीं मिलेगा। मैंने चुपके से उसका कमरा खोला, अंदर गई, और दरवाजा लॉक कर लिया। वो गहरी नींद में था, और उसके लोअर में उसका लंड एकदम खड़ा था, जैसे कोई मोटा डंडा तंबू बनाए हुए हो। मैंने धीरे से उसका लोअर नीचे खींचा, फिर उसका अंडरवियर भी। माँ कसम, दोस्तों, उसका लंड देखकर मेरी साँस रुक गई! 11 इंच लंबा, 3 इंच मोटा, ऐसा काला नाग, जो मेरी चूत को फाड़ने को तैयार था। मैंने उसे हाथ में लिया और धीरे-धीरे मुठ मारने लगी। फिर झुककर उसे मुँह में ले लिया। उसका लंड इतना गर्म था कि मेरे होंठ जलने लगे। मैं जीभ से उसके सुपाड़े को चाट रही थी, जैसे कोई लॉलीपॉप चूस रही हो।

पंद्रह मिनट तक मैंने उसका लंड चूसा, और उसे कुछ पता ही नहीं चला। फिर उसकी आँख खुली। मुझे देखकर वो चौंक गया।

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“शालिनी! ये क्या कर रही है? कोई आ जाएगा!” उसने डरते हुए कहा।

“अरे, चुप कर! सब सो रहे हैं। तू बस मज़ा ले,” मैंने हँसकर कहा।

“तू तो कमाल की लंड चूसती है, यार,” उसने शरमाते हुए तारीफ की।

“हाँ, अपने बॉयफ्रेंड्स के लंड ऐसे ही चूसती थी, फिर उनकी गांड मारती थी,” मैंने आँख मारते हुए कहा।

बस, फिर क्या था! राकेश का डर गायब हो गया। वो मेरे ऊपर चढ़ गया, और हम दोनों एक-दूसरे के होंठों को चूमने लगे। उसकी जीभ मेरे मुँह में थी, और मेरी जीभ उसके मुँह में। वो मेरे होंठों को ऐसे चूस रहा था, जैसे कोई रसीला आम खा रहा हो। मैं उसकी गर्म साँसों को अपने चेहरे पर महसूस कर रही थी। फिर उसने मेरा टॉप उतारा, मेरी ब्रा खींचकर फेंक दी, और मेरी पैंटी भी नीचे कर दी। अब मैं उसके सामने पूरी नंगी थी।

“शालिनी, तेरी जवानी तो कयामत है!” उसने मेरे मम्मों को देखकर कहा।

“तो आज इसे चख ले, मेरे राजा!” मैंने उसे ललकारा।

राकेश ने अपनी टी-शर्ट और अंडरवियर उतार दिया। उसका नंगा बदन देखकर मेरी चूत में आग लग गई। वो मेरे ऊपर लेट गया और मेरे गालों को चूमने लगा। उसने मेरे गालों पर हल्के-हल्के दाँत गड़ाए, जिससे मेरी सिसकारियाँ निकलने लगीं। “आह… माँ… उह… उह…” मैं सिसक रही थी। फिर उसने मेरे 36 इंच के मम्मों को दोनों हाथों में लिया और ज़ोर-ज़ोर से मसलने लगा। मेरे निप्पल कड़क हो गए थे, और वो उन्हें उंगलियों से रगड़ रहा था। मैं तड़प रही थी, क्योंकि कई महीनों बाद कोई मेरे मम्मों से खेल रहा था।

“राकेश, मेरे मम्मे सिर्फ दबाएगा, या चूसेगा भी?” मैंने कामुक आवाज़ में पूछा।

वो झट से मेरे एक मम्मे को मुँह में ले गया और ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगा। उसकी जीभ मेरे निप्पल पर गोल-गोल घूम रही थी, और वो उसे हल्के से काट रहा था। मैं सिसक रही थी, “आह… माँ… चूस ले… मेरे दूध पी जा, राकेश!” उसने मेरे दोनों मम्मों को बारी-बारी से चूसा, इतना कि मेरे निप्पल लाल हो गए। मेरी चूत से रस टपकने लगा था। मैं चुदने को बेताब थी।

राकेश ने मेरे पूरे बदन को चूमना शुरू किया। मेरे कंधों पर, मेरी गर्दन पर, मेरे पेट पर—वो हर जगह अपने होंठ ले जा रहा था। मेरी गोरी चमड़ी पर उसके दाँतों के निशान बन रहे थे। उसने मेरे पेट को चूमा, मेरी नाभि में जीभ डालकर चाटा, और मैं सिसक रही थी, “उह… आह… राकेश… और कर…!” वो मेरी पीठ पर भी हाथ फेर रहा था, मेरे चूतड़ों को सहला रहा था। मैं एकदम नंगी, उसके सामने संगमरमर की मूर्ति की तरह चमक रही थी।

“राकेश, मेरी चूत को चाट ना!” मैंने उससे मिन्नत की।

“हाँ, मेरी रानी, तेरी चूत का रस आज मैं पी जाऊँगा!” उसने जोश में कहा।

उसने मेरे पैर फैलाए और मेरी चूत को देखने लगा। मैंने अपनी चूत को पहले ही शेव कर लिया था, ताकि वो एकदम चिकनी और गुलाबी दिखे। राकेश ने पाँच मिनट तक मेरी चूत को बस देखा, जैसे कोई खज़ाना मिल गया हो। फिर वो पागल हो गया। उसने अपनी जीभ मेरी चूत पर रख दी और ज़ोर-ज़ोर से चाटने लगा। उसकी जीभ मेरी चूत के दाने को छू रही थी, और मैं सिसक रही थी, “आह… माँ… चाट ले… मेरी चूत को खा जा… उह… उह…” वो मेरे रस को चूस रहा था, जैसे कोई भूखा शेर अपनी शिकार पर टूट पड़ा हो। उसने मेरी चूत में जीभ डाल दी और अंदर-बाहर करने लगा। मेरी कमर उछल रही थी, मेरा बदन पसीने से तर हो गया।

“सी… सी… तेरी जीभ तो जादू कर रही है… और चाट, मेरी चूत को चूस ले!” मैं चिल्लाई।

राकेश ने मेरी चूत के दाने को हल्के से काट लिया। मेरे बदन में बिजली दौड़ गई। मैं चीख रही थी, “आह… मर गई… और कर…!” उसने अपनी एक उंगली मेरी चूत में डाल दी और ज़ोर-ज़ोर से अंदर-बाहर करने लगा। मेरी चूत में आग लग रही थी। मैं सिसक रही थी, “मम्मी… उह… सी… सी… राकेश… मुझे चोद दे अब!” मैं झड़ने वाली थी। उसने और ज़ोर से उंगली चलाई, और मैं “आह… हा… हा…” करते हुए झड़ गई। मेरी चूत से रस की धार निकली, और राकेश ने उसे चाट लिया।

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“मज़ा आया, रंडी?” उसने हँसकर पूछा।

मैं हाँफ रही थी, कुछ बोल नहीं पाई। उसने फिर अपनी उंगली मेरी चूत में डाली और मेरे रस को मेरे मुँह में डाल दिया। मैंने अपनी चूत का नमकीन रस चाट लिया। मेरी साँसें तेज थीं, और मैं अब चुदने को बेताब थी।

“राकेश, अब चोद दे मुझे! अपना लंड डाल दे!” मैंने चिल्लाकर कहा।

उसने मेरे पैर और फैलाए और अपने 11 इंच के मोटे लंड को हाथ में लिया। वो उसे ज़ोर-ज़ोर से मुठ मारने लगा। फिर उसने मेरी चूत पर सुपाड़ा रखा और धक्का मारा। लेकिन दोस्तों, मेरी चूत इतनी टाइट थी कि लंड अंदर गया ही नहीं। कई महीनों से मैं चुदी नहीं थी, तो चूत एकदम कसी हुई थी।

“शालिनी, तेरी चूत तो बहुत टाइट है!” राकेश ने कहा।

“तो तेल लगा ले, भोसड़ी के!” मैंने गुस्से में कहा।

उसने तुरंत अलमारी से सरसों का तेल निकाला। उसने अपने लंड पर ढेर सारा तेल डाला और ज़ोर-ज़ोर से मालिश करने लगा। दस मिनट तक उसने अपने लंड को चिकना किया। अब उसका लंड और भी खतरनाक लग रहा था—11 इंच लंबा, 3 इंच मोटा, एकदम चमकता हुआ खीरा। उसने मेरी चूत पर फिर से लंड रखा और धीरे-धीरे दबाया। इस बार लंड फिसलता हुआ मेरी चूत में घुस गया। मैं चीख पड़ी, “आह… माँ… धीरे… फट जाएगी!” लेकिन राकेश को अब कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। उसने ज़ोर का धक्का मारा, और उसका आधा लंड मेरी चूत में समा गया।

वो धीरे-धीरे धक्के मारने लगा। उसका मोटा लंड मेरी चूत की दीवारों को रगड़ रहा था। मैं सिसक रही थी, “उह… उह… आह… राकेश… और चोद…!” उसने अपनी स्पीड बढ़ाई। उसका लंड मेरी चूत की गहराई तक जा रहा था, और मेरे बदन में बिजली दौड़ रही थी। मेरी चूत रस से गीली थी, और हर धक्के के साथ “पच… पच…” की आवाज़ कमरे में गूँज रही थी। मैं अपनी गांड उछाल-उछालकर उसका साथ दे रही थी। उसकी आँखों में सिर्फ हवस थी, वो मुझे किसी जंगली जानवर की तरह चोद रहा था।

“मज़ा आ रहा है, मेरी रानी?” उसने पूछा।

“हाँ… और चोद… मेरी चूत फाड़ दे… आह… सी… सी…” मैं चिल्ला रही थी।

उसने अपना लंड बाहर निकाला और मेरी चूत में दो उंगलियाँ डाल दीं। वो ज़ोर-ज़ोर से उंगलियों से मुझे चोदने लगा। मेरी चूत फिर से रस छोड़ने लगी। उसने अपनी उंगलियाँ मेरे मुँह में डाल दीं, और मैंने अपने रस को चाट लिया। फिर उसने दोबारा अपना लंड मेरी चूत में पेल दिया। इस बार वो और ज़ोर से धक्के मारने लगा। उसका लंड मेरी बच्चेदानी को ठोक रहा था। मैं चीख रही थी, “आह… मम्मी… मर गई… और चोद… फाड़ दे मेरी चूत को!” मेरे मम्मे उछल रहे थे, और वो उन्हें मसल रहा था। उसने मेरे निप्पल को चुटकी में लेकर खींचा, और मैं दर्द और मज़े में सिसक रही थी।

पंद्रह मिनट तक उसने मुझे ऐसे ही चोदा। मेरी चूत लाल हो गई थी, और मैं दो बार झड़ चुकी थी। फिर उसने कहा, “शालिनी, मेरा होने वाला है!”

“अंदर ही झड़ जा, मैं गोली खा लूँगी!” मैंने हाँफते हुए कहा।

उसने अपनी स्पीड और बढ़ा दी। उसका लंड मेरी चूत में तूफान मचा रहा था। फिर वो चीखा, “आह… ले…!” और उसका गर्म-गर्म माल मेरी चूत में छूट गया। मेरी चूत उसके माल से लबालब भर गई। मैंने अपनी पैंटी से चूत पोंछी, लेकिन वो अभी रुका नहीं। वो बेड पर खड़ा हो गया और बोला, “अब मेरा लंड चूस, रंडी!”

मैं तुरंत उसके सामने बैठ गई। उसका लंड अभी भी टनटना रहा था, उसका माल टपक रहा था। मैंने उसे मुँह में लिया और ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगी। मेरी जीभ उसके सुपाड़े पर गोल-गोल घूम रही थी। मैंने उसके लंड को गले तक उतारा, और वो सिसक रहा था, “आह… शालिनी… तू तो कमाल है… चूस ले…!” मैं उसके लंड को मुठ मारते हुए चूस रही थी। फिर मैंने उसकी गोलियों को मुँह में लिया और उन्हें टॉफी की तरह चूसा। राकेश मज़े में पागल हो रहा था।

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“शालिनी, तू तो लंड चूसने की मशीन है!” उसने तारीफ की।

मैंने और ज़ोर से चूसा, और दस मिनट बाद वो फिर से मेरे मुँह में झड़ गया। उसका माल मेरे होंठों पर गिरा, और मैंने उसे चाट लिया। लेकिन राकेश का जोश अभी खत्म नहीं हुआ था।

“अब कुतिया बन जा!” उसने हुक्म दिया।

मैं तुरंत घोड़ी बन गई। उसने मेरी गांड को दोनों हाथों से फैलाया और उसे चाटना शुरू कर दिया। उसकी जीभ मेरे गांड के छेद में घूम रही थी, और मैं सिसक रही थी, “आह… उह… राकेश… क्या कर रहा है…!” वो मेरी गांड को किसी भूखे कुत्ते की तरह चाट रहा था। फिर उसने मेरी गांड में अपनी मोटी उंगली डाल दी। मैं दर्द से चीख पड़ी, “आह… माँ… निकाल… दर्द हो रहा है!” लेकिन उसे मेरी चीखों से मज़ा आ रहा था। उसने उंगली से मेरी गांड को दस मिनट तक चोदा, और मैं आँसुओं के साथ सिसक रही थी।

“गांड चुदवानी है, तो तेल लगा लूँ?” उसने पूछा।

“हाँ, प्लीज़… बिना तेल के मर जाऊँगी!” मैंने रोते हुए कहा।

उसने फिर से अपने लंड पर ढेर सारा तेल डाला। उसने पंद्रह मिनट तक अपने लंड को मालिश की, ताकि वो चिकना हो जाए। अब उसका लंड एकदम फिसलन भरा था। उसने मेरी गांड पर सुपाड़ा रखा और धीरे-धीरे दबाया। मैं चीख रही थी, “आह… धीरे… फट जाएगी…!” लेकिन उसने एक ज़ोर का धक्का मारा, और उसका आधा लंड मेरी गांड में घुस गया। मेरी आँखों से आँसू निकल आए। वो धीरे-धीरे मेरी गांड चोदने लगा। उसका मोटा लंड मेरी गांड को फाड़ रहा था। मैं सिसक रही थी, “उह… माँ… राकेश… धीरे…!”

लेकिन उसने स्पीड बढ़ा दी। उसने मेरी गांड में थूक डाला, और अब उसका लंड और आसानी से अंदर-बाहर हो रहा था। वो मेरे चूतड़ों पर चटाक-चटाक थप्पड़ मार रहा था, और मेरी गांड लाल हो गई थी। मैं दर्द और मज़े के बीच झूल रही थी। उसका लंड मेरी गांड की गहराई तक जा रहा था, और मेरे बदन में बिजली दौड़ रही थी। वो चीख रहा था, “ले… तेरी गांड मार रहा हूँ… मज़ा आ रहा है!” मैं भी कामवासना में चिल्लाई, “हाँ… मार ले… मेरी गांड फाड़ दे…!”

उसने बीस मिनट तक मेरी गांड चोदी। मेरी गांड का छेद ढीला हो गया था, और मैं हाँफ रही थी। फिर उसने अपना लंड बाहर निकाला और मेरे चेहरे पर अपना माल छोड़ दिया। उसका गर्म माल मेरे होंठों, गालों, और मम्मों पर गिरा। मैंने उसे चाट लिया और हाँफते हुए बिस्तर पर लेट गई।

राकेश मेरे पास लेट गया और मेरे मम्मों को सहलाने लगा। “शालिनी, तू तो माल है! ऐसा मज़ा पहले कभी नहीं मिला,” उसने कहा।

“हाँ, तेरा लंड भी कमाल का है। मेरी चूत और गांड दोनों ठोक दी,” मैंने हँसकर कहा।

उसके बाद हमने कई बार चुदाई की। हर बार वो मेरी चूत और गांड को नए अंदाज़ में चोदता। दोस्तों, आपको मेरी कहानी कैसी लगी, ज़रूर बताना।

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