टीचर के साथ मेरी चुदाई की सच्ची कहानी

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अब तक आपने पढ़ा..
तो मैं ये बता रही थी कि मेरे टयूटर मुझे रोज़ 3-4 बजे के क़रीब पढ़ाने आते थे।

एक दफ़ा जब वो आए तो लाइट नहीं थी और उन दिनों गर्मी भी बहुत पड़ रही थी। उस दिन मैंने हल्के कलर की बहुत ही झीनी सी शर्ट पहन रखी थी और उसके नीचे कुछ भी नहीं पहना था.. क्योंकि गर्मी बहुत तेज थी।
अब आगे..

जब मैं पढ़ रही थी.. तो गर्मी की वजह से मेरी कमीज़ पसीने में भीगने लगी और शर्ट मेरे पसीने से तरबतर हो गई। बेख्याली में मैंने अपनी कमीज़.. जो पसीने से चिपक रही थी.. को पकड़ कर कुछ आगे किया और फ्री कर ली। मेरा कहने का मतलब मैंने अपनी कमीज को कुछ आगे की तरफ करके लूज सी की ताकि कुछ हवा अन्दर जा सके और इससे मुझे कुछ आराम भी मिला।

मुझे पता नहीं चला कि मेरी क़मीज़ का गला काफ़ी आगे बढ़ गया है और मेरे पसीने में भीगे मस्त मम्मे.. जिन पर मेरे पसीने की बूँदें चिपकी थीं.. का ऊपरी हिस्सा बिल्कुल नंगा सा देखने लगा था। मेरे अन्दर का बाकी हिस्सा.. जो पसीने की वजह से कमीज़ के गीला होने की वजह से कमीज़ के साथ चिपका हुआ था.. वो सब साफ़ नज़र आने लगा था। मैं उस वक़्त भी अपनी ब्रा नहीं पहने हुई थी।

अचानक मुझ ऐसा लगा कि सर के होंठ कुछ लरज़ रहे हों.. और उनकी नज़रें मेरी तरफ बार-बार उठ रही थीं।

जब मुझे अहसास हुआ कि वो मेरी किताब की बजाए मेरे सीने की तरफ देख रहे हैं.. तो मैंने अपने सीने की तरफ देखा.. तो मुझे पता चला कि वो मेरे लगभग नंगे चूचों को देख रहे थे।

मैंने जल्दी से घबरा कर अपना दुपट्टा उठाया.. जो कि पास ही पड़ा था और उसे अपने सीने पर डाल लिया।

तो सर ने कहा- गर्मी बहुत है.. रिलॅक्स हो कर बैठो.. परेशान मत हो.. इतना तो चलता है.. मैं तुम्हारा टीचर हूँ.. मुझसे क्या घबराना और कैसी शर्म?
मैं यह सुनकर क्या कहती.. बस मुस्कुरा दी।

इस इन्सिडेंट के बाद वो मुझसे काफ़ी खुल गए और मैं भी काफ़ी खुल गई थी। वो अक्सर किताब या पेन देते वक़्त जानबूझ कर अपना हाथ मेरे जिस्म के किसी भी हिस्से से टच करते.. यहाँ तक कि कभी-कभी मेरी रानों पर भी हाथ रख देते थे।

पहले तो मुझे ये सब अजीब लगा.. मगर फिर आहिस्ता-आहिस्ता मैं रिलॅक्स होती गई कि मेरा क्या जाता है.. इतनी छोटी-छोटी बातों से।

उनको मुझे टयूशन देते हुए तकरीबन दो महीने हो गए थे। तभी एक बार मेरी दादी की तबीयत खराब हो गई और उनको हस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा। पापा ऑफिस जाते थे.. इसलिए मम्मी को दादी के पास हॉस्पिटल में ही रहना पड़ा। भाई भी स्कूल से आकर खाना खाकर मम्मी के पास हॉस्पिटल चला जाता था कि कोई बाहर से किसी काम की जरूरत हो तो पूरा किया जा सके।

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इस तरह मैं उन दिनों अक्सर घर पर अकेली रहती थी।

एक बार उन्हीं दिनों मैं घर पर जबकि कोई नहीं था.. मैं बहुत बोर हो रही थी कि क्या किया जाए.. तो मैंने नेट चालू किया।
उस दिन मैंने नेट पर कुछ सेक्सी साइट्स खोल लीं और सेक्सी पिक्चर्स देखने लगी।

वो पिक्चर्स देख कर मैं इतनी गरम हो गई कि मुझे पता ही ना चला कि मैंने कब अपनी शर्ट और सलवार उतार दी.. मैं सिस्टम के सामने बिल्कुल नंगी बैठी अपने मुसम्मियों और अपनी चूत को रगड़ने लगी और बहुत ज़्यादा गरम हो गई।
चुदास की मस्ती से मेरा सारा जिस्म काँप रहा था और मैं पसीने से लगभग गीली हो गई थी।

अभी मैं सेक्स में पूरी तरह डूबी भी ना थी कि इसी दौरान डोरबेल बजी.. मेरा मूड ऑफ हो गया कि इस वक़्त कौन चूतिया आ गया है।

मैंने जल्दी से अपनी शर्ट और सलवार पहनी.. फिर मैंने गेट पर जाकर देखा.. तो मेरे मास्टरज़ी आए हुए थे।

मेरा उस दिन पढ़ने का बिल्कुल भी मूड नहीं हो रहा था। बस दिल ये ही चाह रहा था कि नेट पर नंगी-नंगी पिक्चर्स देखूं और खूब सेक्स एंजाय करूँ।

मास्टरज़ी अन्दर आ गए और दादी का हाल-चाल पूछा.. मैंने कहा- बस ठीक है।
मैं उनके लिए पानी लेने रसोई में गई और मास्टरज़ी मेरे कमरे में आ गए।

मुझसे एक ग़लती हो गई कि मैं नेट बंद करना भूल गई थी। मास्टरज़ी जैसे ही कमरे में घुसे.. कम्प्यूटर स्क्रीन पर एक लड़की की गाण्ड चूत और मुँह को तीन काले आदमी चोद रहे थे।

मास्टर ज़ी ब्लू फिल्म देखते रह गए और कुछ ना बोल पाए.. इतने में मैं भी पानी लेकर आ गई।
मैंने देखा कि मास्टर ज़ी का लण्ड 100 तोपों की सलामी दे रहा था और वो जोश में आ चुके थे।

मेरे होश उड़ गए कि अब क्या होगा.. ये मेरी शिकायत पापा से ना कर दें.. तो मैंने अनजान की तरह उनको पानी का गिलास दिया।

उन्होंने पानी पिया और बोले- ये क्या चल रहा है.. मुझे तुझसे यह उम्मीद नहीं थी।
मैंने मास्टरज़ी के पैर छूकर माफी माँगी और पापा से ना कहने को कहा.. तो उन्होंने मेरी बात मान ली और कहा- तुझे एक काम करना पड़ेगा।
मैंने कहा- क्या?
तो उन्होंने कहा- इसी तरह मैं तेरी चूत चोदूँगा।

मैं तो खुद यही चाहती थी.. तो मैं मुस्कुराते हुए राज़ी हो गई।

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उन्होंने फट से अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए और 15 मिनट तक मुझे लिपकिस करते रहे। फिर मेरी शर्ट में हाथ डाल दिए और मेरे चूचों को दबाने लगे।
वो और भी जोश में आते जा रहे थे.. मेरे चूचे दबाते-दबाते उन्होंने मेरी टी-शर्ट खींच कर हटा दी.. और मुझे बिस्तर पर लिटाकर मेरे चूचों को चूसने लगे।

उसके बाद वो मेरे पेट को चाटने लगे.. फिर मेरी नाभि में जीभ डालकर खेलने लगे।

फिर उनकी नज़र फिर स्क्रीन पर गई वहाँ तीनों कलूटों ने मिलकर उस इंग्लिश लड़की के मुँह पर अपना माल गिरा दिया था। ये देख कर पता नहीं उन्हें क्या हुआ और वो मेरे ऊपर चढ़कर मेरे मम्मों को बुरी तरह मसलने लगे और कुछ ही देर में मेरी सलवार फाड़ दी।

‘उईईईई.. सर..!’ मैं चीखती ही रह गई।

उसके बाद उन्होंने मेरी पैन्टी को भी फाड़ दिया और मेरी चूत को चाटने लगे।
अब मैं मस्त होकर सिसकारियां ले रही थी- आहह.. आहह.. उहह..

फिर उन्होंने मेरी चूत में उंगली डाली और उंगली से मुझे चोदने लगे।
जब मेरी चूत थोड़ी गीली हो गई.. तो उन्होंने अपने सारे कपड़े निकाल दिए और मेरे हाथ में अपना लंड दे दिया। मैंने आज से पहले इतना मोटा लंड नहीं देखा था.. इसलिए मन ही मन मैं मुस्कारने लगी।

उन्हें पता नहीं क्या हो गया था.. उन्हें अपना लंड मेरे मुँह में दे दिया। उनका लंड 3.5 इंच मोटा होने के कारण मैं अपने मुँह में नहीं ले पा रही थी।

उन्होंने दो झटकों में ही लंड मेरे मुँह के अन्दर पेल दिया और मैं उसे लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी।

वो मुझे गालियाँ दे रहे थे- आह्ह.. रंडी.. चूस इसे.. आज तेरी सारी भूख मिटा दूँगा.. बहन की लौड़ी.. आज तेरी कुतिया से भी बुरी चुदाई करूँगा।

कुछ देर तक अपना लौड़ा मुझसे चुसवाने के बाद बाद वो मेरे मुँह में ही झड़ गए।

फिर उन्होंने मेरे चूचे चूसने शुरू कर दिए और 20 मिनट बाद उनका लंड फिर तन गया। अब उन्होंने मुझे घोड़ी बनाकर मेरी चूत में अपना मूसल लौड़ा पेल दिया।
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उनका लंड मेरी चूत में नहीं जा पा रहा था.. पर वो तो पागल हो चुके थे।
उन्होंने मेरी चूत में ज़ोर से झटका मारा और उनका आधा लंड मेरी चूत में जा घुसा.. और मैं ज़ोर-ज़ोर से चीखने लगी।
‘आआहह.. ओहह.. उहह.. उहह.. आ..’

पर वो ना रुके और मुझे बुरी तरह चोदते रहे।
थोड़ी देर बाद मुझे भी मजा आने लगा और मैं भी उनका साथ देने लगी।
काफ़ी लम्बी चुदाई के बाद वो झड़ गए।

फिर हम दोनों बिस्तर पर यूँ ही पड़े रहे, मैंने देखा उनका लंड लाल हो गया था.. तो मैं समझ गई कि आज मेरी सील टूट चुकी है।

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थोड़ी देर बाद हम दोनों बाथरूम में गए, हम दोनों फव्वारे के नीचे नहाए।
फिर उन्होंने फव्वारे के नीचे ही मेरी गाण्ड खोलने की पेशकश की.. मैं गाण्ड नहीं मरवाना चाहती थी.. तो उन्होंने मुझे एक झापड़ मारा और मैं टब में जा गिरी।

वो बोले- साली रंडी इतने दिनों से मेरी आग भड़का रही है.. तीन महीने से एक टॉप डालकर पढ़ने बैठ जाती है.. और मुझे गर्म करके भगा देती है.. साली आज तो तुझे निहाल कर दूँगा।

उन्होंने मुझे उठा कर नीचे झुकाया और मेरी गाण्ड के छेद को दोनों हाथों से खोला.. और अपने लंड को घुसाना चाहा.. पर वो नहीं गया। दो-तीन बार ट्राइ करने के बाद उनने अपने लंड पर बहुत सा तेल लगाया और मेरी गाण्ड में एक बार में ही पूरा लंड घुसेड़ दिया।

मैं बुरी तरह रोने लगी.. लेकिन वो तो मुझे चोदते ही जा रहे थे और देर तक मुझे चोदते रहे।

उसके बाद वो निढाल हो चुके थे और अपने कपड़े पहन कर बाहर आकर बिस्तर पर बैठ गए।
थोड़ी देर बाद मैं नहाकर नंगी ही वहाँ आ गई.. तो उन्होंने मुझे बहुत से किस किए और मुझे अपने हाथों से कपड़े पहनाए।
उसके बाद मैंने एक कप में ही हमने कॉफ़ी पी। फिर वो मुझे लिप किस करके चले गए।

आधे घंटे बाद उनका फोन आया.. उन्होंने मुझे ‘सॉरी’ कहा और मुझे अगले दिन अपने घर बुलाया।
उनके घर पर क्या हुआ.. वो अगली कहानी में बताऊँगी।

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