Tharki Nana aur poti ka chudai मेरा नाम हनी है, और मैं 19 साल की एक मॉडल हूँ। मेरा फिगर 34-26-36 है, मेरी हाइट 5 फीट 6 इंच है, और मेरी गोरी, चिकनी त्वचा, लंबे घने बाल, और बड़ी-बड़ी आँखें मेरी खूबसूरती को और निखारती हैं। मैं अपने परिवार के साथ रहती हूँ, जिसमें मेरी माँ, मेरा 17 साल का छोटा भाई, और मेरे नाना (माँ के पिता) हैं। मेरी माँ 42 साल की हैं, लेकिन उनकी खूबसूरती ऐसी है कि वो 30 की लगती हैं। उनके लंबे बाल, टोंड फिगर, और स्टाइलिश अंदाज मुझे हमेशा इंस्पायर करते हैं। मेरे पिताजी की मृत्यु हो चुकी है, और माँ अब उनका बिजनेस संभालती हैं। इसके लिए वो ज्यादातर बाहर रहती हैं, क्योंकि उनका काम और पढ़ाई का शेड्यूल बहुत टाइट है। मेरे नाना, जो 65 साल के हैं, घर से ही माँ के बिजनेस में मदद करते हैं। उनकी हाइट 6 फीट 2 इंच है, और नियमित जिम करने की वजह से उनका शरीर गठीला और ताकतवर है। उनकी छाती पर घने बाल और मजबूत बाहें उन्हें और आकर्षक बनाती हैं। उनकी आँखों में एक अजीब सी चमक और मुस्कान रहती है, जो मुझे हमेशा थोड़ा उलझन में डालती थी।
हमारे घर में छोटे कपड़े पहनने की कोई पाबंदी नहीं थी। माँ भी अपनी जवानी में छोटे-छोटे कपड़े पहनती थीं, और नाना बहुत खुले विचारों वाले थे। शायद यही वजह थी कि मुझे घर में कभी असहज नहीं लगा। मेरी खूबसूरती और स्टाइल की वजह से कॉलेज के दिनों में मुझे मॉडलिंग के ऑफर जल्दी मिल गए। मैं अपने इंस्टाग्राम पर हर तरह की तस्वीरें डालती हूँ—कभी बिकिनी में, कभी टाइट ड्रेस में, तो कभी ट्रेडिशनल लुक में। मेरा परिवार, खासकर नाना, मेरी हर तस्वीर पर लाइक और कमेंट करते थे। नाना के कमेंट्स में हमेशा कुछ ज्यादा ही तारीफ होती थी, जैसे “मेरी गुड़िया सबसे सुंदर है” या “तेरे जैसी कोई नहीं”। पहले मुझे ये प्यार भरा लगता था, लेकिन धीरे-धीरे मुझे उनकी नजरों में कुछ और नजर आने लगा।
ज्यादातर समय मैं और नाना घर पर अकेले होते थे। हमारी बॉन्डिंग बहुत अच्छी थी। नाना मुझे बहुत प्यार करते थे, मेरी हर छोटी-बड़ी इच्छा पूरी करते थे, चाहे वो नई ड्रेस हो या मॉडलिंग के लिए कोई सामान। मैं घर पर ज्यादातर छोटे कपड़े पहनती थी—शॉर्ट्स, टैंक टॉप, टाइट टी-शर्ट, या फिर स्पोर्ट्स ब्रा और पैंटी में योगा करती थी। सुबह जब मैं योगा करती, तो नाना पास में कुर्सी पर बैठकर मुझे देखते। उनकी नजरें मेरे शरीर पर टिकी रहतीं, खासकर जब मैं स्ट्रेचिंग करती और मेरी शॉर्ट्स में मेरी चूत की हल्की-सी शेप दिखाई देती। पहले मुझे उनकी नजरें अजीब लगती थीं, लेकिन मेरे ताजा ब्रेकअप के बाद मैं सेक्स की प्यासी थी। कहीं न कहीं, उनकी नजरें मुझे उत्तेजित करने लगी थीं। मैं जानबूझकर और हॉट पोज देती, ताकि वो मुझे और देखें।
एक दिन की बात है, मैं वर्कआउट के बाद पसीने से लथपथ थी। मैं नहाने के लिए बाथरूम गई, और जल्दबाजी में दरवाजे की कुंडी लगाना भूल गई। नहाते समय मैं अपनी चूत में उंगली कर रही थी, जैसे मैं अक्सर करती हूँ। मेरा ब्रेकअप हुए महीनों हो गए थे, और मेरी चूत में आग लगी थी। मैं अपनी आँखें बंद करके अपनी चूत को रगड़ रही थी, और जोर-जोर से कराह रही थी, “आह्ह… उह्ह…”। अचानक मेरी नजर बाथरूम के शीशे पर पड़ी, और मैंने देखा कि नाना दरवाजे की छोटी-सी फटी हुई जगह से मुझे झांक रहे थे। उनका लंड बाहर निकला हुआ था, और वो उसे जोर-जोर से हिला रहे थे। उनका लंड इतना विशाल था कि मैं एक पल के लिए ठिठक गई। कम से कम 10.5 इंच लंबा, मोटा, और नसों से भरा हुआ—ये मेरे किसी भी एक्स-बॉयफ्रेंड के लंड से कहीं बड़ा था।
पहले तो मुझे झटका लगा। मेरे अपने नाना मुझे नहाते हुए देख रहे थे, वो भी इतने ठरकी अंदाज में। लेकिन मेरी चूत में आग और तेज हो गई। मैंने जानबूझकर अपने स्तनों को और जोर से मसला, अपनी चूत में दो उंगलियाँ डालीं, और जोर से कराहा, “आह्ह… ओह्ह… मेरी चूत…”। मैं चाहती थी कि नाना मुझे और देखें। मैंने देखा कि उनका लंड और सख्त हो गया था। वो उसे और तेजी से हिला रहे थे, और उनकी साँसें तेज चल रही थीं। कुछ देर बाद नाना ने अपना वीर्य अपने हाथ में निकाला—कम से कम 50 मिली होगा। मैं भी अपनी चरम सीमा पर थी, और मैंने अपनी चूत का रस निकाला और उसे चाट लिया। मेरे मन में एक तीव्र इच्छा जागी—मैं नाना के उस विशाल लंड को अपनी चूत में लेना चाहती थी। लेकिन साथ ही एक हल्का सा डर भी था—वो मेरे नाना थे। क्या ये गलत नहीं था? फिर मैंने सोचा, ये तो बस मेरी इच्छा है, और ये इन्सेस्ट (इन्सेस्ट) तो आजकल आम है।
अब मैंने नाना को रिझाने का प्लान बनाया। अगले दिन सुबह योगा करते समय मैंने जानबूझकर पैंटी नहीं पहनी। मेरी शॉर्ट्स इतनी टाइट थीं कि मेरी चूत की फांक साफ दिख रही थी। मैंने हॉट योगा पोज दिए—कभी झुककर अपनी गांड को हवा में उठाया, कभी अपने पैर फैलाए ताकि मेरी चूत की शेप और साफ दिखे। नाना पास में बैठे थे, और उनकी नजरें मेरे शरीर पर जम गई थीं। मैंने देखा कि उनके पैंट में उनका लंड सख्त हो रहा था, लेकिन वो चुप रहे। मैं नहाने गई और जानबूझकर दरवाजा खुला छोड़ दिया। मैं नंगी खड़ी होकर अपनी चूत को रगड़ रही थी, और जोर-जोर से कराह रही थी, “आह्ह… नाना जी… उह्ह… मेरी चूत…”। मुझे पता था कि वो मुझे देख रहे हैं। मैंने अपने स्तनों को जोर से दबाया, अपने निप्पलों को मसला, और जानबूझकर अपनी गांड को हिलाया ताकि वो और उत्तेजित हों।
हर दिन मैं कुछ न कुछ ऐसा करती। कभी पारदर्शी टॉप पहनती, जिसमें मेरे निप्पल साफ दिखते। कभी जानबूझकर नाना के सामने झुकती, ताकि मेरे स्तन उनके चेहरे के पास हों। कभी उनके गले लगती और अपने स्तनों को उनकी छाती पर दबाती, ताकि मैं उनके लंड का उभार महसूस कर सकूँ। एक बार तो मैंने जानबूझकर उनके सामने अपनी शॉर्ट्स उतारी और सिर्फ स्पोर्ट्स ब्रा और पैंटी में बैठ गई। नाना की आँखें मेरी चूत पर टिकी थीं, लेकिन वो कुछ बोले नहीं। मुझे लग रहा था कि वो डर रहे हैं, क्योंकि मैं उनकी पोती हूँ।
एक दिन मैं बाहर से लौटी, और नाना के कमरे से कुछ बुदबुदाहट की आवाजें आईं। मैं दबे पाँव उनके दरवाजे के पास गई और देखा कि दरवाजा हल्का खुला था। नाना अपनी कुर्सी पर पूरी तरह नंगे बैठे थे। उनके एक हाथ में उनका विशाल लंड था, जो अब और भी बड़ा लग रहा था—लगभग 10.5 इंच। उनके दूसरे हाथ में मेरी लाल रंग की पैंटी थी, जिसे वो सूँघ रहे थे। उनकी आँखें बंद थीं, और वो बड़बड़ा रहे थे, “उह्ह… हनी, तू कितनी मस्त रंडी है। मेरी गुड़िया, अगर तू मेरी पोती न होती, तो मैं तेरी चूत फाड़ देता। तेरे मम्मों को चूसता, तेरी गांड मारता। तुझे अपनी रखैल बना लेता।” ये सुनकर मेरी चूत गीली हो गई। नाना ने मेरी पैंटी पर अपना वीर्य निकाला, और उसकी मात्रा देखकर मैं दंग रह गई।
मैंने सोचा, अब मौका है। मैं नाराज होने का नाटक करते हुए उनके कमरे में घुस गई। “नाना जी! ये क्या कर रहे हो?” मैंने चिल्लाकर कहा। नाना एकदम घबरा गए। उन्होंने जल्दी से मेरी पैंटी से अपना लंड छुपाने की कोशिश की। “हनी… प्लीज… ऐसा नहीं है… गलत मत समझो…” वो हकलाने लगे, और उनकी आवाज में डर साफ झलक रहा था।
“नाना जी, ये सब क्या है? शर्म नहीं आती? अपनी ही पोती के बारे में ऐसी गंदी बातें सोचते हो? मेरी पैंटी लेकर ये सब करते हो?” मैंने गुस्से का नाटक किया, लेकिन मेरी चूत पूरी तरह गीली थी। नाना शर्म से सिर झुकाए बैठे थे। “मैं तुमसे सबसे ज्यादा प्यार करती थी, और तुम मेरे बारे में ये सब सोचते हो?” मैंने कहा, और उनके सामने बैठ गई। मैंने उनकी पैंटी छीन ली और उनका लंड पकड़ लिया। “नाना जी, आप मुझे बता सकते थे। मैं आपसे सबसे ज्यादा प्यार करती हूँ।” ये कहते हुए मैंने उनके लंड को अपने मुँह में ले लिया।
उनका लंड इतना बड़ा था कि सिर्फ उसका सुपारा ही मेरे मुँह में जा पा रहा था। मैंने उसे चूमा, चाटा, और धीरे-धीरे चूसना शुरू किया। “आह्ह… हनी… मेरी गुड़िया…” नाना की सिसकारी निकली। वो मुझे आश्चर्य से देख रहे थे, लेकिन अब उन्हें मजा आने लगा था। “मेरा लंड चूसो, मेरी परी। अपने नाना के लंड को प्यार करो,” उन्होंने कहा। मैं उनके लंड को आइसक्रीम की तरह चूस रही थी। उसका सुपारा इतना मोटा था कि मेरी साँसें फूल रही थीं। मैंने उसे और गहराई तक लिया, और मेरी जीभ उसके लंड की नसों पर फिर रही थी। “आह्ह… उह्ह… मेरी रंडी… तू तो जादू कर रही है…” नाना ने कहा।
“नाना जी, आपने मुझे इतना तड़पाया। मैं आपकी हर तस्वीर देखकर गीली हो जाती थी। आपका ये विशाल लंड… मैं इसे अपनी चूत में लेना चाहती हूँ,” मैंने कहा, और उनका लंड और जोर से चूसने लगी। नाना ने मेरे बाल पकड़े और मेरे मुँह को अपने लंड पर दबाने लगे। “हनी, तू मेरी रंडी है। मैं तुझे रोज चोदना चाहता था, लेकिन डरता था,” उन्होंने कहा।
“अब डरने की कोई बात नहीं, नाना जी। मैं आपकी हूँ। मुझे जैसे चाहो चोदो,” मैंने कहा और खड़ी होकर उनकी गोद में नंगी बैठ गई। मैंने उनके होंठों को चूमना शुरू किया, और वो मेरे चेहरे को चूमने लगे। उनकी छाती के घने बालों में मेरी उंगलियाँ खेल रही थीं। मैं उनके लंड को अपनी चूत पर रगड़ रही थी, और वो और सख्त हो रहा था। “आह्ह… नाना जी… आपका लंड मेरी चूत को छू रहा है… उह्ह…” मैं कराह रही थी।
नाना ने मुझे गोद में उठाया और बिस्तर पर पटक दिया। उनका लंड अब पूरी तरह खड़ा था, और उसका आकार डरावना लग रहा था। वो मेरे ऊपर चढ़ गए और मेरे टॉप के ऊपर से मेरे स्तनों को मसलने लगे। “आह्ह… नाना जी… और जोर से दबाओ…” मैंने कहा। उन्होंने मेरा टॉप फाड़ दिया और मेरी ब्रा उतार दी। मेरे 34C के स्तन उनके सामने थे, और मेरे निप्पल सख्त हो चुके थे। नाना ने मेरे एक निप्पल को मुँह में लिया और उसे चूसने लगे। “आह्ह… उह्ह… नाना जी… मेरे मम्मों को चूसो… और जोर से…” मैं कराह रही थी। उन्होंने मेरे निप्पल को दाँतों से हल्का सा काटा, और मैं दर्द और मजा दोनों में चीख उठी। “ओह्ह… मादरचोद… और काटो… मेरे निप्पल को चबा डालो…” मैंने कहा।
नाना ने मेरे दोनों स्तनों को बारी-बारी चूसा, मसला, और काटा। मेरी चूत पूरी तरह गीली थी, और मैं अपने हाथ से अपनी चूत को रगड़ रही थी। “नाना जी… मेरी चूत देखो… ये आपके लंड के लिए तरस रही है…” मैंने कहा। नाना नीचे सरके और मेरी शॉर्ट्स और पैंटी उतार दी। अब मैं पूरी तरह नंगी थी। उन्होंने मेरी चूत को देखा और कहा, “हनी, तेरी चूत तो गुलाब की पंखुड़ी जैसी है। एकदम गुलाबी और टाइट।” मैं शर्मा गई, लेकिन मेरी चूत में आग लगी थी।
नाना ने अपना मुँह मेरी चूत पर रखा और अपनी जीभ से उसे चाटना शुरू किया। “आह्ह… उह्ह… नाना जी… और चाटो… मेरी चूत को चूस डालो…” मैं कराह रही थी। उनकी जीभ मेरी चूत की फांकों में घूम रही थी, और वो मेरे दाने को चूस रहे थे। “ओह्ह… मादरचोद… और जोर से… मेरी चूत का रस निकाल दो…” मैं चिल्ला रही थी। नाना ने अपनी एक उंगली मेरी चूत में डाली और उसे अंदर-बाहर करने लगे। “आह्ह… नाना जी… और डालो… दो उंगलियाँ डालो…” मैंने कहा। उन्होंने दो उंगलियाँ डालीं और मेरी चूत को चाटते रहे। करीब 15 मिनट तक वो मेरी चूत चाटते रहे, और मैंने अपना रस छोड़ दिया। नाना ने मेरा सारा रस चाट लिया। “हनी, तेरा रस तो अमृत है,” उन्होंने कहा।
अब मैंने नाना को धक्का देकर बिस्तर पर लिटाया। “नाना जी, अब मेरी बारी है। मैं आपके इस विशाल लंड को प्यार करूँगी,” मैंने कहा और उनके लंड को अपने हाथ में लिया। मैंने उसे सहलाया, चूमा, और फिर चूसना शुरू किया। उनका लंड इतना मोटा था कि मेरा मुँह पूरा खुल रहा था। “आह्ह… हनी… चूस… और जोर से चूस…” नाना कराह रहे थे। मैंने उनके लंड पर थूक लगाया और उसे और गीला किया। मैं उनकी गोटियों को सहलाने लगी, और उनके लंड के सुपारे को अपनी जीभ से चाट रही थी। “उह्ह… मेरी गुड़िया… तू तो मेरे लंड को पागल कर रही है…” नाना ने कहा।
“नाना जी, आपका लंड इतना बड़ा कैसे है? ये तो घोड़े के लंड जैसा है,” मैंने कहा और उसे और जोर से चूसने लगी। मैंने उनके लंड को गले तक लिया, और मेरी साँसें रुक रही थीं। “हनी, नीचे से चाट… मेरी गोटियों को चूस…” नाना ने कहा। मैंने उनकी गोटियों को मुँह में लिया और उन्हें चूसने लगी। नाना की सिसकारियाँ और तेज हो गई थीं। “आह्ह… मेरी रंडी… तू तो जन्नत दिखा रही है…” उन्होंने कहा।
अब मेरी चूत में आग लग रही थी। “नाना जी, अब और बर्दाश्त नहीं होता। अपनी इस रंडी की चूत में अपना लंड डाल दो। मेरी चूत फाड़ दो,” मैंने कहा। नाना ने मुझे बिस्तर पर पटका और अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ने लगे। “आह्ह… नाना जी… प्लीज… इसे अंदर डाल दो…” मैं गिड़गिड़ा रही थी। “पहले बोल, तू मेरी रंडी है,” नाना ने कहा।
“हाँ, मैं तुम्हारी रंडी हूँ। तुम्हारी रखैल। मैं तुम्हारे लंड पर रोज कूदूँगी। बस अब डाल दो,” मैंने कहा। नाना ने मेरी कमर पकड़ी और अपना लंड मेरी चूत में एक झटके में घुसा दिया। “आह्ह… मर गई… तुमने मेरी चूत फाड़ दी…” मैं दर्द से चीख उठी। उनका लंड इतना बड़ा था कि मेरी टाइट चूत उसे पूरा लेने में मुश्किल हो रही थी। “चुप रह, मेरी रंडी। तू ही तो मेरे लंड के लिए तड़प रही थी,” नाना ने कहा और धीरे-धीरे धक्के मारने लगे।
“आह्ह… उह्ह… नाना जी… और जोर से… मेरी चूत को चोद डालो…” मैं कराह रही थी। नाना ने अपनी स्पीड बढ़ा दी। उनकी हर धक्के के साथ मेरा पूरा शरीर हिल रहा था। “पच-पच… पच-पच…” की आवाजें कमरे में गूँज रही थीं। “हनी, तेरी चूत इतनी टाइट है… तू तो मेरे लंड को निचोड़ रही है…” नाना ने कहा। वो मुझे बेरहमी से चोद रहे थे, और मैं हर धक्के का मजा ले रही थी। “आह्ह… मादरचोद… और जोर से… मेरी चूत को फाड़ दो…” मैं चिल्ला रही थी।
कुछ देर बाद नाना ने मुझे अपनी गोद में उठा लिया। मैं उनके लंड पर उछल रही थी, और मेरे स्तन उनके चेहरे के सामने हिल रहे थे। “आह्ह… नाना जी… चोदो… और जोर से…” मैं कराह रही थी। नाना ने मेरे एक निप्पल को मुँह में लिया और उसे चूसते हुए मुझे चोद रहे थे। “पच-पच… थप-थप…” की आवाजें और तेज हो गई थीं। मैंने उनके बाल पकड़े और उनके होंठों को चूम लिया। “नाना जी, आप मुझे जवान लड़के की तरह चोद रहे हो… आह्ह…” मैंने कहा।
नाना ने मुझे फिर से बिस्तर पर पटका और कहा, “चल, मेरी रंडी, अब कुतिया बन जा।” मैं डॉगी पोजीशन में आ गई। नाना ने पीछे से अपना लंड मेरी चूत में घुसा दिया। “आह्ह… नाना जी… और गहरा… मेरी चूत को पूरा भर दो…” मैं चिल्ला रही थी। नाना ने मेरे बाल पकड़े और जोर-जोर से धक्के मारने लगे। “पच-पच… थप-थप…” की आवाजें पूरे कमरे में गूँज रही थीं। “हनी, तू कितनी मस्त माल है। तेरी चूत चोदने का मजा ही अलग है। मैं तुझे रोज देखता था, जब तू योगा करती थी। तेरी चूत की शेप देखकर मेरा लंड खड़ा हो जाता था,” नाना ने कहा।
“हाँ नाना जी, मैं आपकी रंडी हूँ। मुझे रोज चोदो। मेरी चूत को अपनी रखैल बना लो,” मैंने कहा। नाना और जोर से धक्के मारने लगे। मेरी चूत उनके विशाल लंड को पूरा ले रही थी, और हर धक्के के साथ मैं चरम सुख की ओर बढ़ रही थी। “आह्ह… उह्ह… नाना जी… और जोर से… मेरी चूत फट रही है…” मैं कराह रही थी।
अचानक नाना ने कहा, “हनी, क्या तूने कभी अपनी गांड मरवाई है?” मैं डर गई। “नहीं नाना जी, और मैं मरवाना भी नहीं चाहती। मैंने सुना है कि इसमें बहुत दर्द होता है,” मैंने कहा। “अरे, मेरी गुड़िया, ये तो चूत की तरह ही है। बस थोड़ा सा दर्द, फिर मजा,” नाना ने कहा। “नहीं नाना जी, आपने मेरी चूत तो फाड़ ही दी है। आपका ये घोड़े जैसा लंड मेरी गांड में नहीं जाएगा,” मैंने कहा।
“चुप रह, रंडी। अब तू मेरी है। मैं तेरी सील पैक गांड चोदूँगा,” नाना ने कहा और मेरी गांड के छेद पर तेल लगाया। उन्होंने अपना लंड धीरे-धीरे मेरी गांड में डालना शुरू किया। “आह्ह… नाना जी… प्लीज… निकाल लो… मैं मर जाऊँगी…” मैं दर्द से चीख रही थी। नाना ने मेरे माथे को सहलाया और कहा, “बस थोड़ा सा दर्द, मेरी गुड़िया।” उन्होंने अपना लंड मेरी गांड में पूरा डाल दिया और कुछ देर रुके। मैं दर्द से कराह रही थी, लेकिन धीरे-धीरे मुझे मजा आने लगा। “आह्ह… नाना जी… अब अच्छा लग रहा है… धीरे-धीरे चोदो…” मैंने कहा।
नाना ने धीरे-धीरे मेरी गांड चोदना शुरू किया। “पच-पच…” की आवाजें फिर से गूँजने लगीं। “हनी, तेरी गांड तो तेरी चूत से भी टाइट है,” नाना ने कहा। धीरे-धीरे उनकी स्पीड बढ़ने लगी, और अब वो मेरी गांड को पूरी ताकत से चोद रहे थे। “आह्ह… उह्ह… नाना जी… और जोर से… मेरी गांड मार डालो…” मैं कराह रही थी।
कुछ देर बाद नाना ने मुझे मेज की ओर खींचा। उन्होंने मेरी एक टांग मेज पर रखी और पीछे से मेरी चूत में अपना लंड डाला। “आह्ह… नाना जी… ये तो और गहरा जा रहा है…” मैं चिल्ला रही थी। नाना ने मेरे स्तनों को पकड़ा और मेरी चूत को चोदने लगे। फिर उन्होंने अपना लंड मेरी गांड में डाला और दोनों छेदों को बारी-बारी चोदने लगे। “पच-पच… थप-थप…” की आवाजें और मेरी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं। “आह्ह… मादरचोद… मेरी चूत और गांड दोनों फाड़ दो…” मैं चिल्ला रही थी।
करीब 10 मिनट तक ऐसे ही चोदने के बाद नाना कराहने लगे। “हनी, मेरी रंडी… मेरा रस निकलने वाला है… तेरा मुँह खोल…” उन्होंने कहा। मैं उनके सामने बैठ गई और अपना मुँह खोल लिया। नाना ने जोर से चिल्लाया और अपना सारा वीर्य मेरे मुँह में उड़ेल दिया। मैंने उनका सारा रस पी लिया। “नाना जी, आपका वीर्य तो बहुत मीठा है,” मैंने कहा। “इसलिए तो मैं रोज फल खाता हूँ,” नाना ने हँसते हुए कहा।
मैं उठी और नाना के गले में हाथ डालकर उनके होंठों को चूमने लगी। फिर मैं उन्हें बिस्तर पर ले गई और नंगी ही उनसे लिपट गई। “नाना जी, दादी ने आपका इतना बड़ा लंड कैसे लिया?” मैंने पूछा। “अरे, मेरी गुड़िया, तेरी दादी मेरे लंड की दीवानी थी,” नाना ने कहा। “मतलब?” मैंने पूछा। “अभी छोड़, मेरी रंडी। समय आएगा तो बताऊँगा,” उन्होंने कहा। मैंने नाना को चूमा, उन्हें गले लगाया, और उनके सीने पर सिर रखकर सो गई। सेक्स के बाद का वो सुकून मेरे लिए एकदम नया और खूबसूरत था।
आपको मेरे और मेरे ठरकी नाना की कहानी कैसी लगी? क्या आपको भी ऐसा अनुभव हुआ है? कमेंट में जरूर बताएँ।