मेरा नाम राधिखा है और मैं एक मध्यमवर्गीय परिवार से हूँ। हम घर में चार लोग हैं – मेरे माता-पिता, मेरा भाई और मैं। पापा का खुद का काम है, मम्मी घर संभालती हैं और भाई भी जॉब करता है। भाई ने ही मेरी नौकरी लगवाई और हम दोनों रोज़ साथ में ऑफिस जाते और लौटते हैं।
मुझे खुद को सँवार कर रखना बहुत पसंद है और लोग अक्सर मुझे घूरते रहते हैं। मैं कह सकती हूँ कि मेरा फिगर काफी आकर्षक है। मेरी सेक्सी कूल्हे और बड़ी चूचियाँ हमेशा ध्यान खींचती हैं। आप यह GF BF की चुदाई की कहानी हमारी इंडियन सेक्स सेक्स स्टोरीज की ऑफिशल वेबसाइट दी इंडियन सेक्स स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है।
ऑफिस में मेरी दोस्त पल्लवी बहुत चालू लड़की है। उसके कई बॉयफ्रेंड्स हैं और वो उनके साथ सेक्स का पूरा मज़ा लेती है। वो मुझे हमेशा अपनी चुदाई की कहानियाँ सुनाती थी, जिससे मेरी भी वासना जाग उठी। पल्लवी की बातों का असर मुझ पर ऐसा हुआ कि मैं भी खुले तौर पर बॉयफ्रेंड बनाने के बारे में सोचने लगी।
ऑफिस में अरुण नाम का एक लड़का है, जिससे मेरी भी बातें होने लगीं। अरुण मुझे पसंद आने लगा था, और पल्लवी के कहने पर मैंने उसके साथ डेटिंग शुरू कर दी। एक दिन अरुण ने मुझे अपनी गर्लफ्रेंड बनने का प्रस्ताव दिया और पल्लवी से सलाह लेने के बाद मैंने हाँ कह दी। अब हम दोनों रोज़ बात करने लगे थे।
मुझे चुदाई की बातें सुनकर अब खुद भी सेक्स करने की इच्छा होने लगी थी। रोज़ रात को मैं पोर्न वीडियो देखकर अपनी चूत में उंगली डालती, लेकिन अब मुझे असली लंड चाहिए था। एक दिन अरुण ने भी मुझसे कहा कि वो मुझसे सेक्स करना चाहता है। मैं भी चाहती थी कि मेरा शरीर उसके लंड से तृप्त हो, इसलिए हमने एक दिन होटल में मिलने का प्लान बनाया।
हम दोनों उस दिन होटल में पहुँचे। अरुण ने रूम बुक किया और हम अंदर चले गए। अंदर पहुँचते ही उसने मुझे गले लगाया और किस करने लगा। उसके होंठ मेरे होंठों से मिलते ही मेरी सासें तेज हो गईं। उसके हाथ मेरी गांड को दबाते हुए मुझे और उत्तेजित कर रहे थे। मैंने खुद से सारे कपड़े उतार दिए और नंगी हो गई। मैं इतनी गर्म हो गई थी कि मेरी चूत पूरी गीली हो चुकी थी, मानो बारिश हो रही हो।
अरुण ने मुझे बिस्तर पर लेटाकर मेरी बड़ी-बड़ी चूचियाँ चूसनी शुरू कीं। उसकी जीभ जब मेरी नाभि पर आई तो मैं सिहर उठी। मेरे होंठों से आह्ह… सिसकारियाँ निकलने लगीं। जब उसने अपनी जीभ मेरी चूत में डाल दी, मैं और भी ज्यादा जोश में आ गई। उसका हर स्पर्श जैसे आग लगा रहा था। मैं अपनी उंगलियाँ उसके बालों में फंसा कर मस्ती से भरने लगी।
अब वो अपनी जीभ से मेरी चूत को चाट रहा था, और मेरी सिसकारियाँ तेज हो गईं। “उहह… आह… आह” मेरी आवाजें रूम में गूंजने लगीं। हम दोनों अब सेक्स के लिए बेताब थे। उसने अपना लंड निकाल कर मेरी चूत में धीरे-धीरे डाला। शुरू में हल्का दर्द हुआ, लेकिन जब उसने पूरा लंड डाल दिया तो दर्द की जगह अब आनंद लेने लगा। उसने मेरे होंठों पर फिर से अपने होंठ रख दिए, ताकि मेरी सिसकारियाँ बाहर न जाएं।
वो मुझे लगातार चोद रहा था और मैं उसकी लय के साथ अपनी गांड उठाकर उसकी तरफ धकेल रही थी। हम दोनों एक दूसरे को दीवाने की तरह चूम रहे थे, जैसे हमारी पूरी दुनिया बस इसी पल में सिमट गई हो। उसके चूचियाँ दबाने और चूत में जोर से धक्के मारने से मैं उत्तेजना के चरम पर पहुँच गई थी। कुछ देर बाद हम दोनों एक साथ झड़ गए और थक कर बिस्तर पर गिर गए।
एक ब्रेक के बाद अरुण ने कॉफी ऑर्डर की। वेटर कॉफी लेकर आया, और मैं बाथरूम में चली गई ताकि वेटर मुझे नंगी न देख सके। कॉफी पीने के बाद हमने टी.वी. देखना शुरू किया। टीवी पर रोमांटिक गाने चल रहे थे, और हम दोनों नंगे थे। अरुण ने मुझे अपनी बाँहों में लेकर फिर से मेरी चूचियों को मसलना शुरू कर दिया। फिर से हम दोनों एक दूसरे के ऊपर टूट पड़े।
अब हम दोनों फिर से गर्म हो चुके थे। अरुण ने मेरी चूत पर उँगलियाँ चलाते हुए मेरी चूत को चाटना शुरू कर दिया। उसकी उँगलियों के अंदर बाहर होने से मेरी चूत और भी गीली हो चुकी थी। मैं लगातार सिसकारियाँ ले रही थी, “आह… उफ्फ… आह…”. वो बिना रुके मेरी चूत के अंदर अपने लंड को धकेलता जा रहा था।
उसने मेरी चूत में धक्का मारा तो मैं तेज़ आवाज़ में चीख उठी, लेकिन दर्द के साथ-साथ एक अजीब सा मज़ा भी महसूस हुआ। अरुण ने अपनी पूरी ताकत लगाकर धक्के मारने शुरू कर दिए और मैं भी अपनी गांड उठाकर उसकी हर हरकत का जवाब दे रही थी। मेरी चूत के अंदर लंड बार-बार घुस रहा था और मेरे होंठों से तेज सिसकारियाँ निकल रही थीं। अब हम दोनों एक दूसरे को पूरी तरह से महसूस कर रहे थे। इसके बाद हमने पोजीशन बदली, मैं घोड़ी बन गई और अरुण ने पीछे से मेरी चूत में लंड घुसा दिया। उसने मेरी गांड को मसलते हुए जोर-जोर से धक्के मारे।
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थोड़ी देर बाद हम दोनों फिर से एक साथ झड़ गए। हमारी सांसें थमने का नाम नहीं ले रही थीं। हम दोनों बिस्तर पर एक दूसरे के नंगे शरीर से लिपटे हुए थे। जब हम उठे, शाम हो चुकी थी। मैंने अपनी चूत को साफ़ किया और कपड़े पहन लिए। अरुण भी तैयार हो गया। हमने कुछ देर बातें की और फिर होटल से बाहर निकल आए। मैं अपने मुंह पर कपड़ा बांध कर अपना चेहरा छुपाए हुए थी ताकि किसी को शक न हो। बाहर आकर हम एक गार्डन में बैठे और एक-दूसरे को फिर से किस किया।
इसके बाद मैं और अरुण अपने-अपने घर लौट आए। मैंने होटल में हुई इस सेक्स की कहानी अपनी सहेली पल्लवी को बताई, और वो भी अगले दिन अपने बॉयफ्रेंड के साथ होटल चली गई। अब हम दोनों सहेलियाँ अपनी-अपनी चुदाई की बातें शेयर करती हैं। पल्लवी तो कई बॉयफ्रेंड्स बदल चुकी है, लेकिन मैं अभी भी अरुण से ही चुदवाती हूँ। आशा है आपको मेरी होटल सेक्स की कहानी पसंद आई होगी। जल्द ही मैं अपनी और भी कहानियाँ आपसे शेयर करूंगी।
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