ससुर और बहू का खतरनाक खेल – भाग 4

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नेहा और रामपाल के बीच अब नजदीकियां और भी बढ़ चुकी थीं। पिछले अनुभवों के बाद, नेहा को अब अपनी ताकत और भी ज्यादा महसूस होने लगी थी। वह जानती थी कि रामपाल अब पूरी तरह से उसके नियंत्रण में है, और इसी कारण उसने एक और नया खेल शुरू करने का फैसला किया।

कहानी का पिछला भाग: ससुर और बहू का खतरनाक खेल – भाग 3

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इस बार वह अपने ससुर को और भी अधिक चौंकाने और रोमांचित करने का मन बना चुकी थी। आज की योजना थी कि वे दोनों खेतों के बीच, जहाँ दूर-दूर तक कोई नहीं था, वहां जाकर खेल खेलें। नेहा ने रामपाल को पहले से ही बता दिया था कि आज का खेल पिछले बार से कहीं ज्यादा मजेदार और जोखिम भरा होने वाला है। रामपाल अब किसी भी हालत में नेहा का मना नहीं कर सकता था। दोपहर के वक्त नेहा ने घर से निकलने की योजना बनाई।

उसने एक हल्की साड़ी पहनी थी, जिससे उसका गोरा बदन साफ-साफ झलक रहा था। उसकी कमर से नीचे की हर हरकत रामपाल को और भी ज्यादा पागल कर रही थी। दोनों खेतों में एक सुनसान जगह पर पहुंच गए। चारों तरफ हरियाली थी और दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था। नेहा ने जैसे ही खेत में कदम रखा, उसने साड़ी का पल्लू उठाया और अपने पैरों की तरफ इशारा करते हुए रामपाल से कहा, “बाबूजी, देखो ये पैर… इनसे आपको आज और भी ज्यादा मजा मिलने वाला है।” रामपाल पहले से ही गर्म था। नेहा के इशारे पर वह और भी उत्तेजित हो गया। उसने तुरंत नेहा को अपनी ओर खींचा और उसके होंठों पर अपना मुंह रख दिया।

नेहा ने भी अपने होठों से रामपाल के होंठों को पूरी तरह से चूसना शुरू कर दिया। वह धीरे-धीरे रामपाल के लंड को पकड़ने लगी और उसे अपने हाथों से सहलाने लगी। रामपाल का लंड अब और भी सख्त हो चुका था। नेहा ने रामपाल को एक पेड़ के सहारे खड़ा किया और खुद उसकी पैंट की ज़िप खोलने लगी। “बाबूजी, आज आपको खेतों की मिट्टी का असली मज़ा दूंगी,” उसने कहा और रामपाल का लंड बाहर निकाल लिया। उसने अपने होंठों से रामपाल के लंड पर किस करना शुरू किया, और धीरे-धीरे उसे अपने मुंह में लेना शुरू कर दिया। रामपाल ने एक जोरदार सिसकारी ली और नेहा की कमर को कसकर पकड़ लिया। “आह… बहू, आ……तूने मुझे पागल कर दिया,” रामपाल ने तड़पते हुए कहा।

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नेहा ने उसकी गांड को सहलाना शुरू किया और फिर अपनी जीभ से उसके लंड को चाटने लगी। उसके हाथ अब रामपाल की गांड पर जोर-जोर से फिर रहे थे, और रामपाल का लंड उसकी मुंह में अन्दर-बाहर हो रहा था और उसकी सांसें तेज हो गई थीं। खेतों की ताजगी और खुले आसमान के नीचे इस तरह का खेल उन्हें और भी ज्यादा रोमांचक बना रहा था। रामपाल की आंखें बंद थीं, और नेहा उसके लंड को अपने होंठों और जीभ से सहला रही थी।

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थोड़ी देर बाद नेहा ने अपने होंठ हटाए और रामपाल की ओर शरारती नजरों से देखा। “बाबूजी, अभी तो खेल शुरू हुआ है। आज आपको मेरी गांड का असली मजा मिलेगा,” नेहा ने कहा। रामपाल की आंखों में और भी ज्यादा उत्तेजना आ गई। नेहा ने अपनी साड़ी को उठाया और अपनी चिकनी गांड को रामपाल के सामने कर दिया। उसने कहा, “बाबूजी, अब इसे अंदर डालो, देखती हूँ तुम कितना मर्द हो।” रामपाल ने बिना कोई समय गंवाए नेहा की गांड को पकड़ लिया और अपने लंड को उसके पास ले गया। नेहा की गांड अब पूरी तरह से रामपाल के लंड के लिए तैयार थी।

उसने धीरे-धीरे एक जोर का धक्का मारा, और रामपाल का लंड नेहा की गांड में घुसने लगा। “आह… बाबूजी, और जोर से… मेरी गांड फाड़ दो,” नेहा ने सिसकारी लेते हुए कहा। रामपाल ने अब अपनी पूरी ताकत से नेहा की गांड में धक्के मारने शुरू कर दिए। दोनों के शरीर पसीने से तर हो चुके थे, और दोनों ही एक-दूसरे को पूरी ताकत से भोग रहे थे। नेहा की सिसकारियां खेतों की खामोशी को तोड़ रही थीं। “आह… बाबूजी, और तेज़ धक्के मारो… मेरी गांड को पूरा भर दो,” नेहा ने कराहते हुए कहा।

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रामपाल ने अब अपनी गति और बढ़ा दी, और उसके जोर के धक्कों से नेहा की गांड के अंदर उसका लंड और गहराई तक चला गया। नेहा की सिसकारियां और तेज़ हो गईं, और वह रामपाल को और धक्के मारने के लिए प्रेरित करने लगी। कुछ ही देर में, रामपाल और नेहा दोनों चरम सीमा पर पहुंच गए। रामपाल का लंड नेहा की गांड के अंदर पूरी तरह से घुसा हुआ था, और वह जोर-जोर से धक्के मार रहा था। नेहा का शरीर भी तड़पते हुए हर धक्के पर हिल रहा था।

रामपाल और नेहा दोनों ही चरम सीमा तक पहुंच चुके थे। नेहा की गांड रामपाल के लंड से भरी हुई थी। जैसे ही रामपाल ने आखिरी जोर का धक्का मारा और उसकी गांड के अंदर ही स्खलित हो गया, नेहा की सिसकारियां और तेज़ हो गईं। पर तभी एक अजीब घटना घटी। रामपाल का लंड जब नेहा की गांड से बाहर आया, तो उसके लंड पर थोड़ा गंदगी लग गई थी।

नेहा को भी इस बात का एहसास हुआ, लेकिन वह शर्माने के बजाय शरारत में मुस्कुराई। “बाबूजी, लगता है आप मेरी गांड को फाड़ने के चक्कर में कुछ ज्यादा ही अंदर तक चले गए,” नेहा ने हंसते हुए कहा। रामपाल ने भी स्थिति को हल्के में लिया और हंसते हुए बोला, “बहू, यह सब तुम्हारी मस्ती का नतीजा है।” नेहा ने अपने हाथ से रामपाल के लंड को पकड़ लिया और उसे धीरे-धीरे साफ करना शुरू किया। “कोई बात नहीं बाबूजी, मैं इसे साफ कर दूंगी,” उसने कहा और अपने होंठों से रामपाल के लंड को चूमने लगी।

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उसकी जीभ अब रामपाल के लंड पर लगी गंदगी को चाटने लगी, और उसने धीरे-धीरे उसे पूरी तरह से साफ कर दिया। नेहा अब और भी उत्तेजित हो चुकी थी। “बाबूजी, अब मैं पूरी तरह से तैयार हूं। आप जब चाहो, मेरी चूत और गांड दोनों तुम्हारे लिए हमेशा खुली रहेंगी,” उसने कहा। रामपाल ने नेहा की इस बेजोड़ वफादारी को देखते हुए उसकी पीठ पर एक प्यार भरी थपकी दी और कहा, “बहू, तूने मुझे वो मजा दिया है जो मैं कभी नहीं भूल सकता।” नेहा ने रामपाल की ओर देखा और शरारत से मुस्कुराई। “बाबूजी, अभी तो यह सिर्फ शुरुआत है। अभी तो और भी मजेदार खेल बाकी हैं।”

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रामपाल ने नेहा को अपनी बाहों में भर लिया और दोनों ने एक-दूसरे को आखिरी बार चूमा। फिर उन्होंने अपने कपड़े पहने और खेत से वापस घर की ओर चल दिए, यह सोचते हुए कि अगली बार और भी ज्यादा खतरनाक खेल खेलेंगे।
कहानी का अगला भाग: ससुर और बहू का खतरनाक खेल – भाग 5

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