सहेली के बेटे ने मुझे पटाया और चोदा

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मेरा नाम पंखुड़ी है। मैं 35 साल की शादीशुदा औरत हूं, लेकिन मेरी ज़िंदगी अधूरी है। एक औरत की सबसे बड़ी जरूरत होती है—उसकी जबरजस्त चुदाई। अगर यह नहीं मिले, तो बाकी सारे सुख फीके लगते हैं। पैसे, घर, गहने—ये सब कुछ होकर भी मेरी ज़िंदगी में वो गर्मजोशी और वो संतोष नहीं था, जो सिर्फ एक मर्द के प्यार भरे स्पर्श और उसकी चुदाई से आता है।

Mummy ki saheli ki tight chut ki pyas bujhai

यह मेरी पहली कहानी है, या कहो तो मेरी जीवन की सच्ची घटना लिखने का पहला प्रयास है, अगर कोई गलती हो तो माफ़ करें।

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मेरे पति अरुण अच्छे इंसान हैं, लेकिन वो कभी मेरे शरीर और मेरी इच्छाओं को नहीं समझ पाए। उनकी दुनिया बस उनके ऑफिस और दोस्तों तक सीमित है। मेरी चाहतें, मेरी चूत की प्यास, उनके लिए कोई मायने नहीं रखती। हर रात मैं उम्मीद करती कि वो मुझे प्यार करेंगे, मेरी चूत की प्यास बुझाएंगे, लेकिन हर बार वो मुझे अनदेखा करके सो जाते।

इन्हीं अधूरी ख्वाहिशों के बीच मेरी जिंदगी में रोहित की एंट्री हुई। रोहित मेरी सहेली मीनाक्षी का 22 साल का बेटा था—लंबा, चौड़ा और ऐसा जवान लड़का, जिसे देखकर कोई भी औरत अपनी पैंटी गीली कर ले। उसकी मर्दाना काया और मुस्कुराहट किसी को भी उसका दीवाना बना सकती थी।

पहली बार जब मीनाक्षी उसे लेकर मेरे घर आई थी, तो मैंने उसे सिर्फ एक लड़के के तौर पर देखा था। लेकिन धीरे-धीरे जब वो अकेला आने लगा, उसकी नजरें, उसकी बातें, और उसका मेरे करीब आना—इन सबने मुझे एहसास दिलाया कि वो सिर्फ एक लड़का नहीं है। उसकी हरकतों से मेरी चूत की प्यास और बढ़ने लगी।

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एक दिन, मीनाक्षी के बिना, रोहित मेरे घर आया। मैंने दरवाजा खोला तो वो मुस्कुराता हुआ बोला, “पंखुड़ी आंटी, मम्मी आज नहीं आ पाईं, तो मैंने सोचा, आपसे मिलने आ जाऊं।” उसकी नजरें मेरे चेहरे पर टिक गईं, और फिर धीरे से मेरी साड़ी के पल्लू की तरफ खिसक गईं।

मैंने उसे अंदर बुलाया। बातचीत के दौरान उसने अचानक कहा, “आंटी, आपको देखकर तो कोई नहीं कह सकता कि आप 35 की हैं। आप तो मेरी कॉलेज की लड़कियों से भी ज्यादा हॉट हैं।” उसकी इस बात पर मैं गुस्से से आगबबूला हो गई।

“रोहित, ये क्या बकवास कर रहे हो? तुम्हें तमीज नहीं है?” मैंने तेज आवाज में कहा। उसने माफी मांगने की कोशिश की, लेकिन मैं और गुस्से में आ गई। “तुरंत यहां से निकलो!” मैंने दरवाजा खोला और उसे बाहर जाने को कहा।

वो थोड़ी देर तक खड़ा रहा, लेकिन फिर चला गया। जैसे ही दरवाजा बंद किया, मेरा गुस्सा धीरे-धीरे कम हुआ। लेकिन अंदर से मैं महसूस कर रही थी कि उसकी बातें, उसकी नजरें, और उसका आत्मविश्वास कहीं न कहीं मुझे अच्छा लग रहा था। मेरी चूत हल्की सी गीली हो चुकी थी, लेकिन मैंने खुद को संभाल लिया।

अगले दिन, मेरे फोन पर एक मैसेज आया। “आंटी, मुझसे गलती हो गई। प्लीज माफ कर दीजिए। मैं फिर कभी ऐसा नहीं करूंगा। बस आपसे बात करना चाहता था।” मैंने तुरंत उसका नंबर ब्लॉक कर दिया। लेकिन अंदर ही अंदर मुझे उसकी बातों की कमी महसूस हो रही थी।

उस रात, अरुण हमेशा की तरह जल्दी सो गए। मैं बिस्तर पर लेटी हुई थी, लेकिन मेरा दिमाग रोहित की बातों और उसके स्पर्श के बारे में सोच रहा था। मेरी उंगलियां अनजाने में मेरी नाभि और मेरी चूत के पास जा रही थीं। मैंने खुद को रोकने की कोशिश की, लेकिन मेरी चूत पूरी तरह गीली हो चुकी थी।

रोहित ने कोशिशें जारी रखीं। उसने मीनाक्षी के बहाने से कई बार फोन किया। कभी उसने मुझसे माफी मांगी, तो कभी मीनाक्षी का हाल पूछने की आड़ में मुझसे बातें करने की कोशिश की। हर बार मैंने उसे टालने की कोशिश की, लेकिन उसकी बातें और उसका अंदाज मुझे अंदर तक छू जाता।

कुछ दिनों बाद, जब मैं अकेली थी, तो उसने अचानक मेरे घर आकर घंटी बजाई। मैंने दरवाजा खोला और उसे देखा। उसके हाथ में एक गुलदस्ता था। “आंटी, ये सिर्फ माफी के लिए है। प्लीज मुझे माफ कर दीजिए।” मैंने उसे अंदर आने दिया, लेकिन उसे यह जताया कि मैं अभी भी नाराज हूं।

वो धीरे-धीरे मेरे पास बैठा और बोला, “आंटी, मुझे सच में आपसे बात करना अच्छा लगता है। मुझसे एक बार और दोस्ती का मौका दीजिए।” उसकी आवाज और उसकी नजरों में वो गहराई थी, जिसने मुझे अंदर तक पिघला दिया।

रोहित के माफी मांगने के अंदाज और उसकी मासूमियत ने कहीं न कहीं मेरा गुस्सा कम कर दिया था, लेकिन मैंने उसे ये जाहिर नहीं होने दिया। मैंने उसकी बातें सुनीं, मगर खुद को उससे दूर रखने की पूरी कोशिश की।

“बस अब ये आखिरी बार है, रोहित। अगर फिर कोई गलत हरकत की, तो मैं मीनाक्षी से सब कह दूंगी,” मैंने कड़े स्वर में कहा। उसने सिर झुकाकर हामी भर दी और मुस्कुराते हुए बोला, “आंटी, बस आपका भरोसा वापस पाना चाहता हूं।”

उसकी मुस्कान और उसकी आवाज ने फिर से मेरे अंदर कुछ हलचल पैदा कर दी। मैंने उसे ज्यादा देर रुकने नहीं दिया और साफ कह दिया कि अब उसे जाना चाहिए।

उस रात जब मैं सोने गई, तो मेरा दिमाग बार-बार रोहित की बातों और उसकी नजरों के बारे में सोच रहा था। मैंने खुद को समझाने की कोशिश की कि ये सब गलत है, लेकिन मेरा शरीर और मेरी चूत मेरी सोच को अनदेखा कर रहे थे।

मैं बिस्तर पर लेटी, और जैसे ही अरुण ने करवट लेकर दूसरी तरफ मुंह किया, मेरी उंगलियां अनजाने में मेरी नाभि के पास जाने लगीं। मैंने अपनी आंखें बंद कीं और रोहित की मुस्कुराहट और उसकी आंखों की गहराई को याद करने लगी। मेरी सांसें तेज हो गईं और मेरी चूत पूरी तरह गीली हो चुकी थी।

अगले दिन, मैंने खुद को शांत और सामान्य रखने की कोशिश की। लेकिन दोपहर में अचानक रोहित का फोन आया। “आंटी, आप नाराज तो नहीं हैं न?” उसकी आवाज में एक अजीब सी मिठास थी।

“रोहित, तुम बार-बार क्यों कॉल कर रहे हो? ये ठीक नहीं है,” मैंने सख्ती से कहा।
“आंटी, बस आपसे बात करके अच्छा लगता है। प्लीज एक बार मिल लीजिए। बस पांच मिनट के लिए,” उसने मिन्नत की।

मैंने गहरी सांस ली और कहा, “ठीक है, पर ज्यादा देर नहीं।”

वो शाम को घर आया। मैंने सोचा था कि उसे सख्ती से कह दूंगी कि अब वो मुझसे दूर रहे। लेकिन जब मैंने दरवाजा खोला और उसकी नजरें मुझसे मिलीं, तो मेरे दिल की धड़कनें तेज हो गईं। वो गुलदस्ता लेकर आया था और बोला, “आंटी, ये सिर्फ आपके लिए।”

हम दोनों सोफे पर बैठे। मैं खुद को शांत रखने की कोशिश कर रही थी, लेकिन उसकी बातें और उसकी मौजूदगी मुझे पिघला रही थीं। उसने मेरी आंखों में देखते हुए कहा, “आंटी, आप नहीं जानतीं कि आप कितनी खूबसूरत हैं। कोई भी मर्द आपके लिए पागल हो सकता है।”

मैंने उसे झिड़कते हुए कहा, “बस, रोहित। ये सब बातें बंद करो। मैं तुम्हारी आंटी हूं।”
लेकिन उसने धीरे से मेरा हाथ पकड़ लिया। “आंटी, मैं आपको खुश देखना चाहता हूं। बस एक बार मेरी बात सुनिए।”

उसकी उंगलियों का स्पर्श मेरे शरीर को गर्म कर रहा था। मेरी चूत फिर से गीली होने लगी, लेकिन मैंने खुद को संभाल लिया। “रोहित, अब तुम जाओ,” मैंने सख्ती से कहा।

वो बिना कुछ कहे उठ गया, लेकिन जाते-जाते उसने कहा, “आंटी, मैं आपकी खुशी के लिए कुछ भी करूंगा। बस आप मुझ पर भरोसा करें।”

रोहित के जाने के बाद मैं लगातार बेचैन महसूस कर रही थी। उसके शब्द, उसकी नजरें, और उसका छूना बार-बार मेरे दिमाग में घूम रहे थे। मैंने खुद को समझाने की कोशिश की कि ये सब गलत है, लेकिन मेरा शरीर मेरी बात नहीं सुन रहा था।

रात का समय था। अरुण हमेशा की तरह जल्दी सो गए थे। मैं बिस्तर पर लेटी हुई थी, लेकिन मेरी आंखों में नींद नहीं थी। मेरा दिल तेजी से धड़क रहा था, और मेरी चूत में एक अजीब सी जलन महसूस हो रही थी।

मैंने अपनी आंखें बंद कीं और रोहित की मुस्कान और उसकी बातें याद करने लगी। उसकी वह आंखों की गहराई, जब उसने मेरा हाथ पकड़ा था, और उसके शब्द, “आंटी, आप कितनी खूबसूरत हैं,” मेरे कानों में गूंजने लगे। मेरी उंगलियां धीरे-धीरे मेरी नाभि के पास जाने लगीं।

मैंने अपनी साड़ी को थोड़ा ऊपर खिसकाया और अपनी उंगलियों को अपनी नाभि के चारों तरफ घुमाने लगी। रोहित की वह नजरें, जो मेरे ब्रेस्ट को घूर रही थीं, मुझे और पागल कर रही थीं। मैंने अपनी ब्लाउज की हुक खोली और अपने बूब्स को बाहर निकाल लिया। मेरे निप्पल सख्त हो चुके थे।

मैंने धीरे-धीरे अपने ब्रेस्ट को मसलना शुरू किया। मेरी उंगलियां मेरे निप्पल को घुमा रही थीं, और मैं हल्के-हल्के कराहने लगी। मेरी चूत पूरी तरह गीली हो चुकी थी। मैंने अपनी साड़ी और पैंटी को एक तरफ खिसकाया और अपनी उंगलियां अपनी चूत के ऊपर फिराने लगी।

“रोहित…,” मैं उसके नाम को धीमे से बुदबुदाई। उसकी मुस्कान और उसके हाथों का स्पर्श मेरे दिमाग में घूम रहा था। मैंने अपनी उंगली को अपनी चूत के अंदर डाला और हल्के-हल्के उसे अंदर-बाहर करने लगी। मेरी सांसें तेज हो रही थीं।

“अगर रोहित यहां होता, तो वो मेरे साथ क्या करता?” मैंने अपनी कल्पना में उसे अपनी चूत को चूसते हुए देखा। उसकी बड़ी, मजबूत उंगलियां मेरी चूत को छू रही थीं, और उसका 10-इंच का लंड मेरी चूत के अंदर जा रहा था।

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मैंने अपनी उंगलियों की गति तेज कर दी। मेरी चूत से गीला रस बाहर आने लगा था। मैंने अपने बूब्स को और जोर से मसलना शुरू कर दिया। “रोहित, और करो… और अंदर डालो,” मैंने अपनी कल्पना में खुद को चीखते हुए देखा।

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मैंने अपनी उंगलियां और गहरी डालीं, और मेरी पूरी बॉडी कांपने लगी। मेरी चूत ने उस समय एक तेज झटके के साथ सारा रस छोड़ दिया। मैं बिस्तर पर लेटी हुई हांफ रही थी, और मेरा शरीर पसीने से भीग चुका था।

उस रात खुद को संतुष्ट करने के बाद, मैं घंटों तक जागती रही। रोहित का चेहरा, उसकी आवाज, और उसकी मर्दानगी मेरे ख्यालों में बार-बार लौट रही थी। मैंने खुद से कहा कि यह सब गलत है, लेकिन मेरे दिल और शरीर को अब रोक पाना मुश्किल हो रहा था। मुझे एहसास हो गया था कि यह होने वाला है। मैं खुद को और ज्यादा रोक नहीं पाऊंगी, और रोहित भी हार मानने वालों में से नहीं था।

अगले दिन सुबह जब मैं उठी, तो मैंने खुद को शीशे में देखा। पिछले कुछ सालों में मैंने अपने शरीर का ख्याल रखना बंद कर दिया था। अरुण के साथ सेक्स न के बराबर हो गया था, तो मैंने अपनी साफ-सफाई और ग्रूमिंग पर ध्यान देना भी छोड़ दिया था।

लेकिन आज मैंने फैसला किया कि मुझे अपने आपको फिर से तैयार करना होगा। मैंने अपने बालों को अच्छे से धोया, अपने पूरे शरीर को साबुन से मल-मल कर साफ किया। मेरी चूत और मेरी बाहों के नीचे बाल उग आए थे, जिन्हें मैंने आज पहली बार अच्छे से शेव किया।

शावर के दौरान मेरी उंगलियां मेरी गीली चूत को छू गईं। मैं रुक गई और रोहित का ख्याल फिर से मेरे दिमाग में आ गया। मेरी सांसें तेज हो गईं, लेकिन मैंने खुद को संभाल लिया। मैंने खुद से कहा, “नहीं पंखुड़ी, ये आसान नहीं होगा। मैं रोहित को इतनी जल्दी खुद तक नहीं पहुंचने दूंगी।”

तभी मेरा फोन बजा। रोहित का मैसेज था: “आंटी, आप नाराज तो नहीं हैं न? बस आपको खुश देखना चाहता हूं।”
मैंने जवाब नहीं दिया, लेकिन मेरे होठों पर एक हल्की मुस्कान आ गई। वो हार मानने वाला नहीं था, और मैं भी अब जानती थी कि मैं उसे रोकने की कोशिश नहीं करूंगी।

दिन में मैंने उसके मैसेज का जवाब नहीं दिया। लेकिन जब रात हुई और अरुण सोने चले गए, तो मैंने अपना फोन उठाया और रोहित का नंबर देखा। “क्यों न इसे थोड़ा और परेशान करूं?” मैंने सोचा।

मैंने उसे एक छोटा सा मैसेज किया: “रोहित, तुम्हारी बातों से परेशान होती हूं, लेकिन मुझे अच्छा भी लगता है कि तुम मेरी इतनी परवाह करते हो।”

उसका जवाब तुरंत आ गया: “आंटी, मैं बस आपको खुश देखना चाहता हूं। क्या मैं आपको कॉल कर सकता हूं?”
मैंने कुछ देर इंतजार किया और फिर जवाब दिया: “ठीक है, पर ज्यादा देर नहीं।”

रोहित ने कॉल किया। उसकी आवाज में वो मर्दानगी और गर्मी थी जो मुझे अंदर तक छू रही थी।
“आंटी, आप कितनी खूबसूरत हैं, ये आपको कोई बताता क्यों नहीं?” उसने कहा।
“रोहित, ये बातें बंद करो,” मैंने उसे टोका, लेकिन मेरी आवाज में वो सख्ती नहीं थी।
“आंटी, सच कहूं, तो आप मेरी सोच से बाहर नहीं जातीं। आप मेरे लिए सबकुछ हैं।”

उसकी बातों ने मेरी सांसें तेज कर दीं। मैं फोन पर हल्के-हल्के मुस्कुराई और कहा, “रोहित, ये सब बातें तुम किसी और से किया करो। मैं तुम्हारी आंटी हूं।”
“आंटी, मेरी आंखें और दिल आपसे कुछ और कहते हैं।”

उसकी आवाज में एक अजीब सी खिंचाव था। मैंने उसकी बातें सुनते हुए हल्के से अपने ब्रेस्ट को छुआ और खुद को शांत रखने की कोशिश की।
“आंटी, क्या मैं आपको एक बात पूछ सकता हूं?” उसने पूछा।
“क्या?” मैंने धीमे से कहा।
“अगर मैं आपको छू लूं, तो आपको कैसा लगेगा?” उसकी आवाज अब और गहरी हो गई थी।

मेरी चूत पहले से ही गीली हो चुकी थी, लेकिन मैंने उसे जाहिर नहीं होने दिया।
“रोहित, ये सब बकवास है। तुम ये बातें बंद करो,” मैंने कहा और कॉल काट दिया।

फोन काटने के बाद, मैं बिस्तर पर बैठी। मेरा शरीर गर्म हो चुका था। मेरी उंगलियां मेरी नाभि के पास जाने लगीं। मैंने फिर से खुद को छूना शुरू किया, रोहित की बातों और उसकी आवाज को याद करते हुए।

रोहित की बातें मेरे दिमाग में हर वक्त घूम रही थीं। उसकी आवाज, उसके शब्द, और उसकी मर्दाना अंदाज ने मेरे अंदर कुछ ऐसा जगा दिया था, जिसे मैंने सालों से महसूस नहीं किया था। मैं जानती थी कि यह सब जल्द ही होने वाला है, लेकिन मैंने ठान लिया था कि उसे इतना आसान मौका नहीं दूंगी।

सुबह जब मैं तैयार हुई, तो मैंने अपनी साड़ी थोड़ी कमर के ऊपर बांधी। ऐसा पहली बार था कि मैंने खुद को रोहित के सामने और ज्यादा आकर्षक बनाने की कोशिश की।

दोपहर में उसने फिर से मैसेज किया:
“आंटी, आप नाराज तो नहीं हैं न? कल मैंने आपको परेशान किया।”
मैंने कुछ देर तक उसका मैसेज देखा और फिर जवाब दिया:
“नाराज नहीं, लेकिन तुम्हें अपनी हद में रहना चाहिए।”

उसने तुरंत जवाब दिया:
“आंटी, मैं कोशिश करता हूं, लेकिन आप इतनी खूबसूरत हैं कि खुद को रोक नहीं पाता।”

इस बार मैंने जवाब नहीं दिया, लेकिन अंदर से मैं मुस्कुरा रही थी। मैंने उसे परेशान करने का प्लान बनाया।

शाम को जब मैं घर पर अकेली थी, तो मैंने रोहित को कॉल कर दिया।
“हां, रोहित। क्या हाल हैं?” मैंने सामान्य लहजे में पूछा।
“आंटी, आपसे बात करके ही अच्छा लगता है,” उसने कहा। उसकी आवाज में वही गर्मजोशी थी, जो मेरे अंदर एक अजीब सी सनसनी पैदा कर रही थी।

“तुम्हारी बातें हमेशा कुछ ज्यादा होती हैं,” मैंने उसे टोकते हुए कहा।
“क्योंकि आप हमेशा मेरी सोच से ज्यादा खूबसूरत और खास लगती हैं।”

“अब तुम्हें ये सब बंद करना चाहिए,” मैंने हंसते हुए कहा।
“अगर आप चाहती हैं तो बंद कर दूंगा, लेकिन सच कहूं, तो आपको देखकर मेरी नींद उड़ जाती है।”

मैंने उसे हल्का सा छेड़ते हुए कहा, “अच्छा? इतनी बड़ी-बड़ी बातें मत किया करो। तुम अभी बच्चे हो।”
उसने तुरंत जवाब दिया, “आंटी, मैं बच्चा नहीं हूं। आपको यह बात साबित करने का मौका दीजिए।”

“तुम्हें क्या लगता है कि मैं तुम्हारी बातों में आ जाऊंगी?” मैंने उसे छेड़ते हुए कहा।
“आंटी, आप चाहें तो मुझे रोक सकती हैं, लेकिन आपकी आवाज से ही मेरी हालत खराब हो जाती है।”
“अच्छा? क्या हालत खराब होती है?” मैंने हल्के से मुस्कुराते हुए पूछा।

“आंटी, अगर मैं सच बताऊं, तो आपकी आवाज सुनकर मेरा लंड खड़ा हो जाता है।”
उसकी यह बात सुनकर मेरा शरीर गर्म हो गया। मैं जानती थी कि मुझे कॉल काट देनी चाहिए, लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सकी।

“रोहित, ये सब बकवास है,” मैंने कहा, लेकिन मेरी आवाज में सख्ती नहीं थी।
“बकवास नहीं, आंटी। आपसे बस एक बार प्यार करना चाहता हूं। आपकी चूत को अपने लंड से भरना चाहता हूं।”

उसकी बात सुनकर मेरी सांसें तेज हो गईं। मैंने कुछ नहीं कहा, बस फोन काट दिया।

फोन काटने के बाद, मैं बिस्तर पर बैठ गई। मेरा दिल तेजी से धड़क रहा था, और मेरी चूत पूरी तरह गीली हो चुकी थी। मैंने अपनी उंगलियां अपनी नाभि के पास ले गईं और हल्के-हल्के अपनी चूत के ऊपर फिराने लगी।

“रोहित, तुम्हारी ये बातें मुझे पागल कर देंगी,” मैंने खुद से कहा। मैंने अपनी उंगलियां अपनी चूत के अंदर डालीं और उसकी बातें और उसकी आवाज याद करने लगी। मेरी सांसें तेज हो रही थीं, और मेरी उंगलियां तेज गति से चलने लगीं।

सुबह मैं उठी तो रोहित की बातें मेरे दिमाग में गूंज रही थीं। उसकी गंदी बातें, उसकी आवाज, और उसकी बेताब नजरें मेरे दिल और दिमाग पर छाई हुई थीं। मैंने रात को कॉल काटने के बाद खुद को शांत करने की कोशिश की थी, लेकिन मेरे शरीर की बेचैनी थमने का नाम नहीं ले रही थी।

मैं किचन में चाय बना रही थी कि अचानक डोरबेल बजी। मैंने दरवाजा खोला तो सामने रोहित खड़ा था। उसकी आंखों में वही बेचैनी थी जो मैंने पिछली बार देखी थी।

“रोहित! तुम यहां क्यों आए हो? मैंने कहा था, मुझसे दूर रहो,” मैंने गुस्से में कहा।
“आंटी, आपसे बात किए बिना मुझे चैन नहीं आता। कल आपने कॉल काट दी थी, इसलिए मैं खुद आ गया,” उसने आत्मविश्वास से कहा।

“तुम्हें कोई तमीज नहीं है? अगर अरुण घर पर होते तो?” मैंने उसे डांटते हुए कहा।
“मैंने देखा, उनकी गाड़ी बाहर नहीं है। मुझे पता था कि आप अकेली होंगी,” उसने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।

मैंने उसे अंदर आने नहीं दिया। “तुम्हें यहां नहीं आना चाहिए था। जाओ यहां से!” मैंने दरवाजा बंद करने की कोशिश की।
लेकिन तभी पड़ोस की आंटी ने मुझे आवाज दी, “पंखुड़ी, क्या सब ठीक है?”

मैंने जल्दी से दरवाजा थोड़ा और बंद कर लिया और कहा, “हां, सब ठीक है, दीदी।” रोहित ने उनकी आवाज सुनकर एक कदम पीछे हट लिया, लेकिन उसकी आंखों में वो आत्मविश्वास अभी भी था।

“आंटी, मैं बाद में आता हूं,” उसने कहा और चला गया।

दोपहर के समय, जब मैं बिस्तर पर लेटी हुई थी, तो मेरा फोन फिर से बजा। “रोहित का मैसेज होगा,” मैंने सोचा। लेकिन यह अरुण का कॉल था।

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“पंखुड़ी, आज ऑफिस में काम ज्यादा है, तो देर हो जाएगी,” उसने कहा।
“ठीक है,” मैंने जवाब दिया, लेकिन मेरी आवाज में कोई खुशी नहीं थी।

शाम होने से पहले ही मेरा फोन फिर से बजा। इस बार सच में रोहित का मैसेज था:
“आंटी, माफ करना अगर मैंने आपको परेशान किया। बस एक बार बात कर लीजिए।”

मैंने जवाब नहीं दिया।

शाम को, जैसे ही अंधेरा होने लगा, दरवाजे पर फिर से दस्तक हुई। इस बार मैं जानती थी कि यह रोहित होगा। मैंने दरवाजा खोला, और वो फिर से वहां खड़ा था।

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“आंटी, बस पांच मिनट,” उसने कहा।
“रोहित, तुम समझते क्यों नहीं?” मैंने गुस्से से कहा।
“आंटी, आप खुद को क्यों रोक रही हैं? मैं जानता हूं, आप भी यही चाहती हैं,” उसने आत्मविश्वास से कहा।

मैंने उसे अंदर आने दिया, लेकिन मेरी नजरें हर तरफ देख रही थीं कि कोई हमें देख न ले।

वो मेरे सामने बैठ गया और धीरे-धीरे मेरी आंखों में देखने लगा। “आंटी, आप इतनी खूबसूरत हैं कि मुझे कुछ और सोचने का मन ही नहीं करता।”
“रोहित, ये सब गलत है। मुझे ऐसा महसूस मत कराओ,” मैंने धीमी आवाज में कहा।

वो धीरे-धीरे मेरी तरफ झुका। “आंटी, एक बार मेरी बात सुन लीजिए। मैं आपसे कुछ नहीं छीनना चाहता। बस आपकी खुशी चाहता हूं।”

उसकी ये बातें मेरे दिल को छू गईं। मैं चाहकर भी उसे खुद से दूर नहीं कर पा रही थी। उसकी नजरें मेरे होंठों पर टिक गईं।

लेकिन तभी बाहर किसी के आने की आवाज हुई। “पंखुड़ी! दरवाजा खुला है क्या?” ये मेरी पड़ोसन की आवाज थी।

मैंने तुरंत खुद को रोहित से दूर किया और दरवाजे के पास गई। “हां, दीदी, मैं किचन में थी। कुछ काम था क्या?” मैंने जल्दी से जवाब दिया।

“नहीं, बस आपसे मिलना था,” उसने कहा।
“अभी आती हूं,” मैंने जवाब दिया और रोहित को इशारा किया कि वो जल्दी से पीछे वाले दरवाजे से बाहर निकल जाए।

रोहित के जाने के बाद, मैं खुद को शांत करने की कोशिश कर रही थी। लेकिन उसकी मुस्कान, उसकी नजरें, और उसकी बातें मेरे दिमाग से हट नहीं रही थीं। मेरा दिल तेजी से धड़क रहा था। मैंने खुद को समझाने की कोशिश की, “पंखुड़ी, ये सब गलत है। तुम एक शादीशुदा औरत हो।” लेकिन मेरी चूत की जलन और मेरे शरीर की बेचैनी मुझे बार-बार उसकी याद दिला रही थी।

रात के खाने के बाद, अरुण हमेशा की तरह जल्दी सो गए। मैं बिस्तर पर लेटी हुई थी, लेकिन नींद मुझसे कोसों दूर थी।

जैसे ही अरुण की हल्की खर्राटों की आवाज आने लगी, मेरा फोन बज उठा। मैंने फोन उठाया, देखा—रोहित का कॉल था।

पहले तो मैं थोड़ा हिचकिचाई, लेकिन फिर कॉल रिसीव कर ली।

“आंटी, क्या मैं आपको परेशान कर रहा हूं?” उसकी आवाज में वही गर्मजोशी थी।

“रोहित, इतनी रात को कॉल क्यों किया?” मैंने धीमी आवाज में पूछा, ताकि अरुण न जाग जाए।
“आंटी, बस आपकी आवाज सुनने का मन कर रहा था। क्या आप सो रही थीं?”

“नहीं, लेकिन अरुण यहीं सो रहे हैं। अब बात करना ठीक नहीं,” मैंने जवाब दिया।
“आंटी, प्लीज एक बार मुझसे बात कीजिए। मैं कुछ और नहीं सोच पा रहा,” उसने मिन्नत की।

मैंने फोन को म्यूट किया और सोचा। मेरे दिल और शरीर की हालत पहले ही खराब थी। मैंने हल्के कदमों से दूसरे कमरे में जाने का फैसला किया।

मैंने धीरे से बेडरूम से निकलकर दरवाजा बंद किया और किचन के पास वाले छोटे से कमरे में चली गई। यह अरुण का स्टोर रूम था, जहां वो अपने पुराने सामान रखते थे।
“अब बोलो, क्या बात करनी है?” मैंने फोन पर कहा, लेकिन मेरी आवाज में सख्ती नहीं थी।

“आंटी, आपकी आवाज सुनकर ही मेरी हालत खराब हो रही है।”
“रोहित, ये सब बातें बंद करो,” मैंने हल्की मुस्कान के साथ कहा।
“आंटी, अगर मैं आपको कुछ बताऊं, तो आप नाराज तो नहीं होंगी?” उसकी आवाज अब और गहरी हो गई थी।

“क्या बताना है?” मैंने पूछा।
“आंटी, आपकी साड़ी में झलकते आपके बूब्स और आपकी कमर मुझे दीवाना बना देते हैं। आप मेरी सोच से बाहर ही नहीं जातीं।”

उसकी बात सुनकर मेरी सांसें तेज हो गईं। मैंने खुद को शांत रखने की कोशिश की। “रोहित, ये बातें ठीक नहीं हैं। तुम समझते क्यों नहीं?”
“आंटी, अगर आप मेरी जगह होतीं, तो शायद आप भी खुद को रोक नहीं पातीं।”

उसकी बातों ने मेरे अंदर की गर्मी और बढ़ा दी। मैंने अपने ब्रेस्ट पर अपनी उंगलियां फेरीं और महसूस किया कि मेरे निप्पल सख्त हो चुके थे।

“आंटी, अगर मैं यहां होता, तो मैं आपके बूब्स को अपने हाथों से मसलता। उन्हें चूसता और आपके निप्पल को अपने दांतों से दबाता।”
उसकी ये बातें सुनकर मेरा हाथ मेरी साड़ी के नीचे चला गया। मेरी चूत पूरी तरह गीली हो चुकी थी।

“रोहित, तुम पागल हो गए हो। ये सब बकवास बंद करो,” मैंने कहा, लेकिन मेरी आवाज में सख्ती नहीं थी।
“आंटी, आपकी चूत कितनी नरम और गीली होगी। काश मैं अपनी उंगली से उसे महसूस कर सकता।”

मैंने अपनी उंगली अपनी चूत के ऊपर फिराई और हल्के-हल्के उसे रगड़ने लगी। “रोहित, तुम जानते हो, ये सब गलत है।”
“गलत कैसे, आंटी? मैं तो बस आपकी खुशी चाहता हूं। अगर मैं आपका लंड चूसने को कहूं, तो आप मना करेंगी?”

मैंने अपनी उंगलियां अपनी चूत के अंदर डाल दीं। रोहित की बातें और उसकी आवाज मुझे पागल कर रही थीं।
“आंटी, बताइए, अगर मैं आपकी चूत चाटूं, तो आपको कैसा लगेगा?”
“रोहित, बंद करो…,” मैंने धीरे से कहा, लेकिन मेरी उंगलियां अब तेज गति से चल रही थीं।

“आंटी, आप भी मुझे महसूस कर रही हैं, है न?” उसने पूछा।
“शायद,” मैंने हांफते हुए जवाब दिया।

मेरे शरीर ने उस रात खुद को पहली बार इतनी गर्मी में महसूस किया। मैं हांफने लगी, और मेरी चूत ने एक तेज झटके के साथ सारा रस छोड़ दिया।

“आंटी, आप अब सोने जाएंगी या मुझसे और बातें करेंगी?” उसने पूछा।
“रोहित, अब बहुत हो गया। मुझे सोने दो,” मैंने कहा और फोन काट दिया।

अगली सुबह जब मैं उठी, तो मेरे अंदर एक अजीब सी बेचैनी थी। रात जो कुछ हुआ था, वो बार-बार मेरे दिमाग में आ रहा था। रोहित की बातें, उसकी आवाज, और मेरी अपनी हरकतें—सबकुछ जैसे एक अधूरी कहानी की शुरुआत थी।

अरुण हमेशा की तरह ऑफिस के लिए जल्दी निकल गए। उनके जाने के बाद मैंने खुद को संभालने की कोशिश की। “पंखुड़ी, ये सब मत सोचो। ये गलत है।” लेकिन मेरा दिल और मेरा शरीर मेरी बात नहीं मान रहे थे।

तभी फोन पर एक मैसेज आया। रोहित था।
“आंटी, मैं आज फिर आऊंगा। आपसे कुछ जरूरी बात करनी है।”

मैंने उसे जवाब नहीं दिया। लेकिन अंदर ही अंदर मुझे पता था कि अगर वो आया, तो मैं उसे रोक नहीं पाऊंगी।

दोपहर में दरवाजे की घंटी बजी। मैंने दरवाजा खोला, तो सामने रोहित खड़ा था। उसकी आंखों में वही बेताबी और मुस्कान थी।
“आंटी, क्या मैं अंदर आ सकता हूं?” उसने पूछा।
“रोहित, मैंने कहा था, यहां मत आओ,” मैंने सख्ती से कहा।
“आंटी, बस पांच मिनट। मैं आपके बिना रह नहीं पा रहा,” उसने धीमी आवाज में कहा।

मैंने एक गहरी सांस ली और दरवाजा थोड़ा खोलकर उसे अंदर आने दिया।

वो मेरे सामने सोफे पर बैठ गया। मैंने चाय बनाने के लिए किचन की तरफ कदम बढ़ाए।
“आंटी, आप मुझसे इतनी दूर क्यों रहती हैं? क्या आप मुझे पसंद नहीं करतीं?” उसने पूछा।
“रोहित, ये सब बातें बंद करो। मैं तुम्हारी आंटी हूं,” मैंने उसे टोकते हुए कहा।
“आंटी, रिश्ते तो समाज ने बनाए हैं। मेरे लिए आप सिर्फ पंखुड़ी हैं—सबसे खूबसूरत औरत।”

उसकी बातें सुनकर मेरा दिल तेजी से धड़कने लगा। मैंने चाय उसके सामने रखी और खुद दूसरी तरफ बैठ गई।

बातचीत के दौरान, उसने धीरे-धीरे मेरी तरफ अपना हाथ बढ़ाया और मेरा हाथ पकड़ा।
“आंटी, आप क्यों खुद को रोक रही हैं? क्या आपको अच्छा नहीं लगता, जब मैं आपके करीब आता हूं?” उसने धीरे से पूछा।
“रोहित, ये सब गलत है,” मैंने कहा, लेकिन मैंने अपना हाथ नहीं हटाया।

उसने धीरे-धीरे मेरे हाथ को सहलाना शुरू किया। उसकी उंगलियों का स्पर्श मेरे शरीर में एक अलग ही गर्मी पैदा कर रहा था।
“आंटी, बस एक बार मुझे मौका दीजिए। मैं आपको खुश देखना चाहता हूं,” उसने कहा।

मैंने अपनी आंखें बंद कर लीं और उसकी उंगलियों का स्पर्श महसूस किया। उसने धीरे-धीरे मेरे पास आकर मेरे कंधे पर हाथ रखा।
“रोहित, बस। ये सब बंद करो,” मैंने कहा, लेकिन मेरी आवाज में सख्ती नहीं थी।

उसने मेरे चेहरे को अपने हाथों में लिया और मेरी आंखों में देखा।
“आंटी, आप मेरी जिंदगी हैं। मैं आपको हर वो खुशी दूंगा, जो आप मिस कर रही हैं।”

उसकी बातें सुनकर मेरी सांसें तेज हो गईं। मैंने उसे दूर करने की कोशिश की, लेकिन उसने मुझे अपनी तरफ खींच लिया।

उसने धीरे से मेरे होठों को अपने होठों से छू लिया। मैंने खुद को रोकने की कोशिश की, लेकिन मेरे अंदर की प्यास अब काबू से बाहर हो चुकी थी। मैंने भी उसके होठों का जवाब दिया।

उसने मेरे ब्रेस्ट को धीरे-धीरे सहलाना शुरू किया। उसकी उंगलियां मेरी साड़ी के पल्लू को हटाने लगीं।
“रोहित, नहीं। ये गलत है,” मैंने फिर से कहा।
“आंटी, बस मुझे एक बार महसूस करने दीजिए,” उसने धीमे से कहा।

उसने मेरी साड़ी को नीचे सरकाया और मेरी ब्लाउज के हुक को खोल दिया। मेरे ब्रेस्ट अब उसके सामने थे। उसने मेरे निप्पल को अपने मुंह में लिया और चूसना शुरू किया।
“रोहित…,” मैंने हल्के से कहा, और मेरी चूत से गीला रस बहने लगा।

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उसने धीरे-धीरे मेरे पैंटी को हटाया और अपनी उंगली मेरी चूत के अंदर डाल दी। मैं सिसकने लगी।

रोहित की उंगली जब मेरी चूत के अंदर गई, तो मैं अपनी सारी होश-हवास खो बैठी। उसकी हरकतें इतनी कोमल और मादक थीं कि मेरा शरीर खुद को उसके हवाले करने को तैयार था। उसने मेरी चूत के अंदर अपनी उंगली को धीरे-धीरे घुमाना शुरू किया, और मैं हल्के-हल्के सिसकने लगी।

“आंटी, आपकी चूत कितनी नरम और गीली है। मुझे पता था, आप मेरे लिए ही बनी हैं,” उसने गहरी आवाज में कहा।
मैंने उसकी बातों का जवाब नहीं दिया, बस अपनी आंखें बंद कर लीं और उसकी हर हरकत का मजा लेने लगी।

उसने मेरी साड़ी को पूरी तरह हटा दिया और मेरी नंगी देह को अपनी आंखों से जैसे पीने लगा।
“आंटी, आपकी यह खूबसूरत बॉडी मुझे पागल कर रही है। मैं इसे हमेशा के लिए अपना बनाना चाहता हूं,” उसने कहा।

उसने धीरे से मेरे बूब्स को अपने हाथों में लिया और उन्हें जोर से दबाने लगा। उसकी उंगलियां मेरे निप्पल को मरोड़ रही थीं।
“रोहित… और जोर से,” मैंने खुद को रोकने की कोशिश की, लेकिन मेरी आवाज में एक अजीब सी प्यास थी।

उसने अपनी जीभ मेरे निप्पल पर फिराई और उन्हें चूसने लगा। मेरी सांसें तेज हो रही थीं, और मेरी चूत अब और ज्यादा गीली हो चुकी थी।

“आंटी, अब मैं और इंतजार नहीं कर सकता। मैं आपकी चूत को अपने लंड से भरना चाहता हूं,” उसने कहा।
मैंने हल्के से उसकी तरफ देखा। उसका लंड उसकी पैंट से बाहर निकलने को तैयार था।
“रोहित, नहीं… ये गलत है,” मैंने कहा, लेकिन मेरी आवाज में कोई दम नहीं था।

उसने अपनी पैंट उतारी और उसका बड़ा, सख्त लंड मेरे सामने था। उसकी लंबाई और मोटाई देखकर मेरी चूत और भी ज्यादा गीली हो गई।
“आंटी, आपको पता है, मैं आपको खुश करने के लिए कुछ भी करूंगा,” उसने कहा।

उसने धीरे-धीरे मेरे पैरों को खोला और अपनी जीभ मेरी चूत पर रख दी।
“ओह… रोहित…,” मैं तेज आवाज में सिसकने लगी। उसकी जीभ मेरी चूत को चाट रही थी, और मेरा शरीर कांपने लगा।

जब उसने अपनी जीभ से मेरी चूत को पूरी तरह भिगो दिया, तो उसने अपना लंड उठाया और उसे मेरी चूत के पास रखा।
“आंटी, अब मैं आपको पूरा महसूस कराना चाहता हूं।”
उसने धीरे-धीरे अपना लंड मेरी चूत के अंदर डाला।

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“ओह… रोहित… ये बहुत बड़ा है,” मैंने कराहते हुए कहा।
“आंटी, आपकी चूत इसे पूरी तरह से महसूस करेगी,” उसने जवाब दिया।

उसने धीरे-धीरे अपनी चुदाई शुरू की। उसका मोटा लंड मेरी चूत के अंदर हर बार और गहराई तक जा रहा था, जैसे उसने मेरी बरसों की प्यास को पहचान लिया हो। उसकी हर हरकत मेरी चूत को और गीला कर रही थी, और मेरी सिसकारियां कमरे में गूंज रही थीं।

“आंटी, आपकी चूत इतनी टाइट है, जैसे इसे आज तक किसी ने सही से चोदा ही नहीं। क्या आपके पति में दम नहीं है?” उसने गंदी हंसी के साथ कहा।

“हाँ रोहित, वो नाम का मर्द है। उसका छोटा लंड कभी मुझे तृप्त नहीं कर पाया। मुझे वो मजा कभी नहीं मिला जो तुम आज दे रहे हो। मेरी चूत हमेशा प्यास से तड़पती रही,” मैंने उसकी तरफ हांफते हुए कहा।

उसने अपनी पकड़ मेरी कमर पर और मजबूत कर ली और अपने लंड को जोर से अंदर डालते हुए कहा, “अब समझ में आया कि आपके बच्चे क्यों नहीं हुए। आपके पति का लंड तो शायद आपकी चूत के बाहर ही हांफने लगता होगा। वो आपकी प्यास कभी बुझा ही नहीं सकता।”

“हाँ रोहित, वो नाकारा है। उसका छोटा लंड सिर्फ नाम का लंड है। मुझे कभी तृप्त नहीं कर पाया। मैं हमेशा सोचती थी कि कमी मुझमें है, लेकिन अब समझ में आया कि कमी उसमें थी। उसने कभी मेरी चूत की प्यास को समझा ही नहीं,” मैंने मचलते हुए कहा।

उसने अब अपनी रफ्तार तेज कर दी। उसकी हर ठोकर मेरी चूत को जैसे झकझोर रही थी। मेरी आवाज कराहों में बदल चुकी थी। “आंटी, आपकी चूत तो अब भी किसी वर्जिन जैसी लगती है। लगता है आपके पति ने इसे कभी चोदा ही नहीं। मैं इसे असली मर्द का लंड दूंगा, आज इसे भर दूंगा,” उसने गंदी हंसी के साथ कहा।

“रोहित, मुझे चोद… मुझे वैसा मजा चाहिए जो मैंने कभी महसूस नहीं किया। मेरी चूत को वो सारा मजा दो जो आज तक इससे छीन लिया गया था,” मैंने मचलते हुए कहा।

उसने मुझे पलट कर पेट के बल लिटा दिया और मेरी गांड को अपनी ओर खींचा। “आंटी, आपकी गांड भी तो ऐसे ही पड़ी होगी। आपके पति जैसे छोटे लंड वाले इसे क्या समझेंगे। आज मैं इसे चखूंगा,” उसने गंदी हंसी के साथ कहा।

“हाँ रोहित, मेरी गांड भी तुम्हारे लंड के लिए तरस रही है। मुझे सब चाहिए। मुझे पूरी चुदाई चाहिए,” मैंने दर्द और मजे के बीच झूलते हुए कहा।

उसने अपने लंड को मेरी चूत से बाहर निकाला और धीरे-धीरे मेरी गांड में डालने लगा। “आंटी, ये गांड तो और भी टाइट है। लगता है इसे तो किसी ने छुआ भी नहीं। मैं इसे भी ऐसा भर दूंगा कि आप मुझे कभी भूल नहीं पाएंगी,” उसने अपनी मर्दानगी दिखाते हुए कहा।

अब उसकी रफ्तार बेकाबू हो चुकी थी। मेरी चूत और गांड दोनों उसकी हर ठोकर पर गीली हो रही थीं। “आंटी, आपकी चूत और गांड दोनों ही मुझसे और मांग रही हैं। मैं आपको ऐसा चोदूंगा कि आप अपने पति को छोड़कर हर रात मेरी बाहों में आना चाहेंगी,” उसने गंदी आवाज में कहा।

“हाँ रोहित, मुझे यही चाहिए। मुझे तुम्हारी हर ठोकर, हर चुदाई चाहिए। मेरे पति जैसे नामर्द के साथ मैं और नहीं रह सकती। तुमने मुझे आज असली मजा दिया है,” मैंने अपनी चाहत को खुलकर जाहिर किया।

उसकी हर ठोकर के साथ मेरा शरीर कांप रहा था। उसकी गर्मी मेरी चूत और गांड दोनों में भर गई। मेरा शरीर थक कर बिस्तर पर गिर पड़ा।

जब सब खत्म हुआ, तो मैं बिस्तर पर निढाल पड़ी थी। रोहित मेरे पास बैठा हुआ मेरी तरफ देख रहा था। उसकी आंखों में वही आत्मविश्वास था, जैसे उसने जो किया, वो सही था। मेरा शरीर पूरी तरह थक चुका था, लेकिन मेरे दिल और दिमाग में एक अजीब सा सुकून था।

“आंटी, आप ठीक हैं?” उसने धीरे से पूछा।
“रोहित, तुमने ये सब… ये सब गलत है,” मैंने हांफते हुए कहा।
“गलत कुछ नहीं है, आंटी। मैंने आपको वो खुशी दी है, जो आप बरसों से मिस कर रही थीं,” उसने कहा।

मैंने खुद को समेटते हुए अपनी साड़ी को संभाला और खड़ी हो गई। “तुम्हें अब यहां से जाना चाहिए। अगर किसी को पता चला तो क्या होगा?”
“आंटी, कोई कुछ नहीं जानेगा। मैं आपकी इज्जत करता हूं और हमेशा करूंगा,” उसने कहा।

“बस, अब तुम जाओ। मुझे थोड़ा समय चाहिए।”
वो बिना कुछ कहे कपड़े पहनने लगा। लेकिन जाते-जाते उसने मेरे हाथ को हल्के से छुआ और बोला, “आंटी, आप मेरी जिंदगी की सबसे खास इंसान हैं। मैं आपको कभी अकेला महसूस नहीं होने दूंगा।”

वो चला गया, लेकिन उसके जाने के बाद कमरे में उसकी खुशबू और उसकी बातें रह गईं।

तभी मेरा फोन बजा। रोहित का मैसेज था:
“आंटी, मैं जानता हूं, आप खुद को दोषी महसूस कर रही हैं। लेकिन याद रखिए, मैं हमेशा आपके साथ हूं।”

मैंने मैसेज को अनदेखा करने की कोशिश की, लेकिन मेरी उंगलियां खुद-ब-खुद जवाब टाइप करने लगीं:
“रोहित, अब हमें ये सब बंद कर देना चाहिए। ये सब सही नहीं है।”

उसका जवाब तुरंत आ गया:
“आंटी, सही और गलत का फैसला दिल नहीं करता। अगर आपको लगता है कि ये गलत है, तो मैं कभी नहीं करूंगा। लेकिन आप ये कहकर खुद से झूठ मत बोलिए।”

उसकी बातें मुझे अंदर तक छू गईं। मैं जानती थी कि वो सही कह रहा था।

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