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उफ्फ्फ मेरे ससुर का 9 इंच का लण्ड – 1

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नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम दिशा है। मैं 25 साल की एक साधारण लड़की हूं, लेकिन मेरी कहानी साधारण बिल्कुल नहीं है। मेरी शादी को अभी सिर्फ छह महीने हुए हैं, और ऊपर से देखने पर सब कुछ परफेक्ट लगता है। लेकिन सच ये है कि मेरा पति राहुल बिस्तर पर एकदम बेकार है। उसकी वजह से मेरी रातें अधूरी रह जाती हैं, और मुझे मेरे कॉलेज के दिन याद आने लगते हैं।

 

शादी से पहले मैं बहुत बिंदास थी। पांच-छह लड़कों के लंड देख चुकी हूं, और उनमें से एक तो मेरा प्रोफेसर भी था। लेकिन अब मैं राहुल की वजह से अपनी इच्छाओं को दबाकर जी रही हूं।

मेरे सासुर रवि प्रताप सिंह घर में एक रौबदार मर्द हैं। 55 साल की उम्र में भी उनकी कद-काठी इतनी मजबूत है कि देखने वाले उन पर से नजरें नहीं हटा पाते। शुरू में मैं उनसे थोड़ा डरती थी, लेकिन धीरे-धीरे मुझे उनकी मौजूदगी अच्छी लगने लगी।

उस दिन रात के करीब 11 बज रहे थे। राहुल अपने काम से बाहर गया हुआ था, और घर में सिर्फ मैं और पापा जी थे। मैं अपने कमरे में सोने की कोशिश कर रही थी, लेकिन नींद नहीं आ रही थी। पानी लेने किचन की तरफ गई, तो लिविंग रूम में हल्की सी आवाज सुनाई दी।

मैंने झांक कर देखा, तो जो नजारा मैंने देखा, उससे मेरी सांसें थम गईं। पापा जी सोफे पर लेटे हुए थे, और उनकी धोती सरकी हुई थी। उनकी टांगें थोड़ी फैली हुई थीं, और उनका मोटा, लंबा लंड उनके हाथ में था। वो उसे ऊपर-नीचे कर रहे थे, और उनके चेहरे पर अलग ही नशा था।

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मैं छिपकर देखने लगी। मेरा गला सूखने लगा, और मुझे अपनी धड़कनें तेज महसूस होने लगीं। उनकी हल्की-हल्की कराहने की आवाज मेरे कानों में गूंजने लगी। उनके 9 इंच के लंड को देखकर मैं सोचने लगी,
“राहुल का तो इससे आधा भी नहीं है।”

उनकी मांसपेशियां कस रही थीं। उनकी एक हाथ की उंगलियां उनकी छाती पर थीं, और वो धीरे-धीरे अपनी गर्दन को पीछे की तरफ झुका रहे थे। उनकी आंखें बंद थीं, और उनकी मर्दाना आवाज मेरे अंदर अजीब सी गर्मी जगा रही थी।

मैं वही खड़ी थी, जैसे मेरे पैर जम गए हों। मेरी नजरें उनके लंड पर अटकी हुई थीं। मुझे अपनी चूत में हलचल महसूस होने लगी। मेरे गाल गर्म हो गए थे, और मेरे हाथ-पैर कांप रहे थे। मैंने महसूस किया कि मेरे पैंटी पहले ही गीली हो चुकी थी।

“मैं ये क्या कर रही हूं? ये सब ग़लत है,” मैंने मन में सोचा। लेकिन मैं वहां से हट नहीं पाई।

पापा जी ने अचानक अपनी पकड़ मजबूत की और तेज़ी से अपने लंड को ऊपर-नीचे करना शुरू कर दिया। उनके होठों से हल्की सी आवाज निकली,
“आह… हां… और तेज़…”

मैं जल्दी से पीछे हटी और अपने कमरे में लौट आई। लेकिन वो दृश्य मेरी आंखों से हट ही नहीं रहा था। बिस्तर पर लेटते ही मैंने खुद को महसूस किया। मेरी सांसें तेज थीं, और मैं अपनी चूत को मसलने लगी।

“इतना बड़ा लंड? राहुल के साथ मैंने कभी ये महसूस नहीं किया,” मैंने खुद से कहा। उस रात मैंने फैसला कर लिया कि मैं पापा जी के करीब जाने की कोशिश करूंगी।

अगली सुबह मैं उनके सामने जाने में थोड़ा झिझक रही थी। मैं उनके लिए चाय लेकर गई। वो हमेशा की तरह अखबार पढ़ रहे थे, लेकिन उनकी नजरें बार-बार मुझ पर उठ रही थीं। मैंने जानबूझकर साड़ी का पल्लू थोड़ा सरका दिया ताकि मेरी नंगी कमर दिख सके।

उन्होंने हल्की सी मुस्कान के साथ कहा,
“बहू, लगता है आज की सुबह कुछ ज्यादा ही खूबसूरत लग रही है।”

मैंने झिझकते हुए कहा,
“पापा जी, खूबसूरती देखने वाले की नजर में होती है।”

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उनकी मुस्कान और गहरी हो गई। मैं चाय रखते हुए थोड़ा झुकी, जिससे मेरी गोरे मम्मे उनकी नजरों के सामने आ गए। उनकी आंखों में एक अलग चमक थी, जो मैंने पहली बार महसूस की।

उस दिन से मैंने पापा जी को बहकाने की ठान ली। मैं घर के छोटे-छोटे काम करते हुए उन्हें ध्यान से देखने लगी। वो जब भी पास से गुजरते, मैं अपने मम्मे या गांड को थोड़ा उभारकर दिखाती। कभी झुककर सब्जी काटती, तो कभी साड़ी का पल्लू जानबूझकर सरका देती।

एक दिन मैं नहाने के बाद बाल सुखाने छत पर गई। मैंने सिर्फ ब्लाउज और साड़ी पहनी थी, बिना पेटीकोट के। पापा जी ने मुझे ऊपर जाते देखा और तुरंत पीछे-पीछे आए।

उन्होंने छत पर आते ही कहा,
“बहू, इतनी तेज धूप में बाल सुखाना ठीक नहीं। बीमार पड़ जाओगी।”

मैंने उनकी तरफ पलटकर मुस्कुराते हुए कहा,
“पापा जी, धूप में नमी जल्दी सूख जाती है।”

जब मैंने साड़ी को थोड़ा और खिसकाया, तो मेरी पूरी नंगी कमर दिख गई। उनकी नजरें वहीं अटक गईं। मैंने महसूस किया कि उनकी सांसें तेज हो गई हैं।

शाम को मैं उनके लिए खाना परोस रही थी। मैंने देखा कि उनकी नजरें मेरे हर मूवमेंट पर हैं। मैंने साड़ी का पल्लू जानबूझकर पीछे कर दिया, जिससे मेरी नंगी पीठ और ब्लाउज का डीप नेक दिखने लगा।

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खाना खाते हुए उन्होंने कहा,
“बहू, तुम बहुत अच्छी लग रही हो। तुम्हारा ख्याल रखने वाला बहुत किस्मत वाला होगा।”

मैंने हल्की हंसी के साथ कहा,
“पापा जी, लेकिन जिसे मेरी कदर करनी चाहिए, वो तो मेरी तरफ ध्यान ही नहीं देता।”

उन्होंने गहरी आवाज में कहा,
“अगर वो कदर नहीं करता, तो किसी और को करने दो।”

उनकी बातों में एक गहराई थी। मैं समझ गई कि अब मेरे इशारों का असर होने लगा है।

राहुल फिर किसी काम से बाहर गया हुआ था। मैं रात को पानी लेने किचन गई, तो देखा कि पापा जी लिविंग रूम में अकेले बैठे शराब पी रहे थे।

मैंने पूछा,
“पापा जी, आप अकेले क्यों पी रहे हैं?”

उन्होंने कहा,
“बहू, अकेले पीने की आदत पड़ गई है।”

मैंने पास जाकर कहा,
“तो मुझे बुला लेते। मैं आपका साथ देने के लिए तैयार हूं।”

उन्होंने मुझे बैठने का इशारा किया। मैंने उनके पास बैठकर कहा,
“पापा जी, आप बहुत अकेले रहते हैं।”

उन्होंने मेरी तरफ गहरी नजरों से देखा और कहा,
“बहू, तुम्हारे जैसी खूबसूरत लड़की इस घर में है, फिर भी अकेलापन? ये कैसे हो सकता है?”

उस रात मैं उनके पास बैठकर बातें कर रही थी। उन्होंने शराब का एक घूंट लिया और मेरी तरफ गहरी नजरों से देखा।
“बहू, तुमसे बात करने से ऐसा लगता है जैसे मैं अपनी सारी परेशानियां भूल जाता हूं,” उन्होंने कहा।

मैंने मुस्कुराते हुए जवाब दिया,
“पापा जी, अगर मैं आपके चेहरे पर खुशी ला सकती हूं, तो ये मेरी सबसे बड़ी खुशी होगी।”

मैंने जानबूझकर अपनी साड़ी का पल्लू थोड़ा और पीछे कर लिया, जिससे मेरे गोरे मम्मे हल्के-हल्के झलकने लगे। मैंने देखा कि उनकी नजरें बार-बार मेरी तरफ जा रही थीं।

जब मैं उठने लगी, तो उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया।
“बैठो, बहू। इतनी जल्दी क्यों जा रही हो?” उनकी आवाज में हल्की कंपन थी।

मैंने बिना कुछ कहे उनके पास फिर से बैठ गई। उन्होंने धीरे-धीरे मेरे हाथ पर अपनी उंगलियां फेरीं। मेरा दिल तेज़ी से धड़कने लगा। मैंने महसूस किया कि मेरी चूत में हल्की गर्मी महसूस हो रही थी।

“बहू, तुम बहुत खास हो। लेकिन ये सब… ग़लत तो नहीं है?” उन्होंने कहा।
मैंने उनकी आंखों में देखा और कहा,
“पापा जी, ग़लत या सही का फैसला हालात करते हैं। बस दिल की बात सुननी चाहिए।”

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मैंने उनके करीब जाकर उनकी गोद में बैठने का इशारा किया। उन्होंने धीरे से मुझे अपनी गोद में खींच लिया। उनके हाथ मेरे कमर पर थे। मैंने हल्के से कहा,
“पापा जी, मैं अब और अकेलापन नहीं सह सकती।”

उन्होंने मेरी साड़ी को सरकाते हुए मेरी कमर को धीरे-धीरे सहलाया। उनकी उंगलियों की गर्मी मेरी त्वचा पर महसूस हो रही थी।
“बहू, तुम्हारे जैसी खूबसूरती का मैं हमेशा सम्मान करता था, लेकिन आज तुम्हें छूकर ऐसा लगता है जैसे खुद को रोकना मुश्किल है,” उन्होंने कहा।

मैंने धीरे से उनके कान में कहा,
“पापा जी, मुझे आपसे सब कुछ चाहिए। जो मेरा पति नहीं दे सकता, वो आप दीजिए।”

उन्होंने मुझे खड़ी किया, मेरी साड़ी को पूरी तरह से सरका दिया, मैंने अभी भी नीचे पेटीकोट और चड्डी नहीं पहनी थी। अब मेरे शरीर पर सिर्फ ब्लाउज था और मेरी गीली चूत अब पूरी तरह से उनकी नजरों के सामने थी।
“तुम्हारा शरीर तो देवी जैसा है, बहू।”

निशा उनके सामने खड़ी थी, साड़ी पूरी तरह से नीचे खिसक चुकी थी। उसकी गोरी, मुलायम चूत अब पूरी तरह से उजागर हो चुकी थी। रवि की आंखों में भूख साफ झलक रही थी। उनका 9 इंच लंबा मोटा लंड अपनी पूरी ताकत के साथ खड़ा था, मानो निशा को अपने अंदर समेटने को तैयार हो।

उन्होंने उसे अपनी तरफ खींचा और कहा,
“तुम्हारी तरह की औरत हर मर्द का सपना होती है।”

निशा ने हिचकिचाते हुए कहा,
“पापा जी, आज मुझे वो सुख दीजिए जो मुझे राहुल कभी नहीं दे पाया।”

रवि ने निशा की कमर पर अपनी मजबूत उंगलियां फिराईं। उसकी नंगी पीठ को सहलाते हुए उन्होंने उसे अपने सीने से लगा लिया। निशा ने महसूस किया कि उनका सख्त लंड उसकी जांघों से टकरा रहा था। उसकी सांसें तेज हो गईं।

“तुम्हारी चमड़ी इतनी मुलायम है, बहू,” रवि ने कहा।
उन्होंने उसकी ब्लाउज को भी धीरे से उतर दिया और उसे पूरी नंगी कर दिया। उसकी गोरे मम्मों को अपने हाथों में लिया और धीरे-धीरे मसलने लगे।
“पापा जी, आह… ये बहुत अच्छा लग रहा है,” निशा ने कराहते हुए कहा।

उन्होंने उसकी गुलाबी चूत पर हाथ फेरा।
“ये तो इतनी गीली है। लगता है, तुम बहुत दिनों से ये चाहत दबा रही थी,” रवि ने गहरी आवाज में कहा।

रवि ने अपना मोटा लंड बाहर निकाला और निशा की चूत के करीब लाकर उसे सहलाने लगे। निशा का शरीर जैसे कांपने लगा।
“पापा जी, ये बहुत बड़ा है। मुझे डर लग रहा है,” निशा ने धीरे से कहा।

“डरो मत, बहू। मैं तुम्हें पूरी तरह संभाल लूंगा।”

उन्होंने लंड को चूत के मुहाने पर रखा और धीरे-धीरे अंदर धकेलने लगे।
“आह… पापा जी, धीरे-धीरे,” निशा ने कराहते हुए कहा।

रवि ने धीरे-धीरे पूरा 9 इंच का लंड निशा की चूत में उतार दिया। निशा की आंखें बंद हो गईं, और उसकी सांसें तेज हो गईं।
“पापा जी, इतना बड़ा… आह… मुझे मजा आ रहा है,” उसने कहा।

रवि ने उसके गोरे मम्मों को कसकर पकड़ा और जोर-जोर से चोदने लगे। हर बार जब उनका लंड उसकी चूत में गहराई तक जाता, निशा की कराहें बढ़ जातीं।

“तुम्हारी चूत तो इतनी गर्म है, बहू। ऐसा लग रहा है जैसे मैं पहली बार मर्द बना हूं,” रवि ने कहा।

रवि ने निशा को पलटा और उसे दीवार के सहारे खड़ा कर दिया। उसकी गांड गोल और मुलायम थी।
“अब तुम्हारी गांड को भी भरना पड़ेगा,” रवि ने कहा।

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उन्होंने पीछे से अपने लंड को उसकी चूत में डाला और तेज़ी से चोदने लगे। निशा की आवाजें और तेज हो गईं।
“पापा जी, आप तो कमाल के हो। मुझे इतना मजा कभी नहीं मिला,” उसने कहा।

रवि ने निशा को बिस्तर पर लेटा दिया और उसके गोरे मम्मों को चूसते हुए चुदाई जारी रखी। उनकी स्पीड बढ़ती गई।
“पापा जी, आह… मुझे और तेज चाहिए,” निशा ने कहा।

उन्होंने अपने लंड को उसकी चूत की हर तह तक पहुंचा दिया। कुछ ही देर में उन्होंने अपना गरम पानी निशा की चूत में छोड़ दिया। निशा भी पूरी तरह से संतुष्ट हो चुकी थी।

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जब सुबह हुई, निशा ने अपनी आंखें खोलीं तो रवि को अपने पास पाया। उन्होंने उसे गले लगाते हुए कहा,
“अब ये रिश्ता हमेशा के लिए हमारा है। तुम्हारी हर ख्वाहिश मैं पूरी करूंगा।”

निशा ने मुस्कुराते हुए कहा,
“पापा जी, आपने मुझे वो खुशी दी, जो राहुल कभी नहीं दे सका। अब मैं सिर्फ आपकी हूं।”

वो किचन में नाश्ता बना रही थी, तभी रवि प्रताप वहां आए। उन्होंने पीछे से उसकी कमर पर हाथ रखा और धीमे से बोले,
“बहू, रात का मजा तो आ गया। लेकिन अब लगता है कि दिन की शुरुआत भी ऐसी ही होनी चाहिए।”

निशा ने हल्की मुस्कान के साथ उनकी तरफ देखा और कहा,
“पापा जी, आप कभी थकते नहीं क्या?”

रवि ने धीरे-धीरे निशा को किचन की दीवार से टिकाया और उसके पल्लू को खींचकर नीचे गिरा दिया। उसकी गोरी कमर और गोल मम्मे उनके सामने थे।
“तुम्हारा ये शरीर दिन-ब-दिन और ज्यादा खूबसूरत लगने लगा है,” रवि ने कहा।

उन्होंने निशा को दीवार से टिकाकर उसके मम्मों को कसकर मसलना शुरू कर दिया। निशा की सांसें तेज हो गईं।
“पापा जी, अभी… किचन में?” उसने हकलाते हुए कहा।
“क्यों नहीं? ये भी तो घर का हिस्सा है,” रवि ने मुस्कुराते हुए कहा।

उन्होंने निशा की साड़ी को पूरी तरह से नीचे उतार दिया और उसके गीले पैंटी को खींचकर नीचे फेंक दिया।
“तुम्हारी चूत तो हमेशा तैयार रहती है,” उन्होंने कहा और अपना 9 इंच का मोटा लंड बाहर निकाल लिया।

रवि ने निशा की चूत में अपना लंड घुसाया और उसे दीवार के सहारे जोर-जोर से चोदने लगे।
“आह… पापा जी, और तेज़… मुझे ये बहुत अच्छा लग रहा है,” निशा ने कराहते हुए कहा।

उन्होंने निशा की गोरी गांड को पकड़कर अपनी तरफ खींचा और अपनी स्पीड और बढ़ा दी। हर बार जब उनका लंड उसकी चूत के अंदर गहराई तक जाता, निशा की आवाज और बढ़ जाती।
“पापा जी, आप तो बिस्तर के भी बादशाह हो,” उसने कहा।

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रवि ने निशा को गोद में उठाया और कमरे में ले गए। उन्होंने उसे बिस्तर पर लिटाया और उसके गोरे मम्मों को चूसते हुए दोबारा चुदाई शुरू की।
“तुम्हारी चूत इतनी टाइट और गर्म है। ये सब तुम्हारे पति कभी नहीं कर सकते,” उन्होंने कहा।

“पापा जी, अब मुझे सिर्फ आपसे ये मजा चाहिए। राहुल मेरे लिए कुछ भी नहीं है,” निशा ने जवाब दिया।

रवि ने अपने लंड को उसकी चूत की हर तह तक पहुंचाया और तेज़ी से झटके देने लगे। निशा की कराहें पूरे कमरे में गूंजने लगीं।
“आह… पापा जी, और अंदर… मुझे और चाहिए,” उसने कहा।

कुछ ही देर में रवि ने अपनी पूरी ताकत के साथ निशा की चूत के अंदर गरम पानी छोड़ दिया। निशा ने भी अपनी चूत से गीला होकर उन्हें पूरा जवाब दिया। दोनों ने एक-दूसरे को कसकर पकड़ लिया और एक गहरी सांस ली।

कहानी जारी रहेगी……

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