website banner-not ads-just-self-branding

मेरी सारी प्यास बुझा दो

5
(9897)

रश्मि ऑफिस में नई थी और उसने हाल ही में कस्टमर केयर की नौकरी शुरू की थी। अमर, जो अकाउंटेंट था, अक्सर उससे बातचीत करता था। रश्मि चुपचाप रहने वाली लड़की थी और ऑफिस में किसी से ज्यादा बात नहीं करती थी। जब भी अमर उससे मजाक करता, वह सिर्फ हल्की सी मुस्कान देती और चुप रहती। अमर को लगने लगा था कि उसके मन में कुछ ऐसा है, जो उसे परेशान करता है। धीरे-धीरे, वे दोनों लंच साथ करने लगे और रश्मि थोड़ा खुलने लगी, लेकिन पूरी तरह से नहीं।

एक दिन रश्मि अमर के पास आई और कहा कि उसे कुछ पैसों की जरूरत है। अमर ने उसे एडवांस दे दिया। अगले दिन रश्मि ऑफिस नहीं आई। अमर ने सोचा शायद घर का कोई काम होगा, लेकिन जब वह लगातार दो दिन तक नहीं आई, तो उसने उसके घर फोन किया। वहां से कोई जवाब नहीं मिला। उसी शाम, जब अमर बाइक पर घर जा रहा था, उसने रश्मि को बस स्टॉप पर खड़ा देखा। उसने बाइक रोकी और उससे पूछा, “तुम ऑफिस क्यों नहीं आ रही हो?” रश्मि ने जवाब दिया कि घर पर कुछ काम था।

अमर ने उसे अपनी बाइक पर बैठने को कहा और रास्ते में दोनों एक रेस्टोरेंट में रुक गए। कॉफी पीते समय, अमर ने उससे उसकी परेशानी पूछी। रश्मि थोड़ी देर चुप रही, लेकिन जब अमर ने जोर दिया तो उसकी आँखों से आँसू निकलने लगे। उसने अपनी कहानी बतानी शुरू की। उसने कहा कि वह शादीशुदा थी और उसकी एक बेटी थी। शादी के एक साल बाद उसके पति की मौत हो गई। उसके ससुराल वालों ने उसे और उसकी बेटी को तंग करना शुरू कर दिया। उसके देवर ने उसके साथ बलात्कार करने की कोशिश की थी। तंग आकर वह अपनी माँ के घर लौट आई। लेकिन यहाँ भी उसकी परेशानियाँ खत्म नहीं हुईं। उसके पिता इस सदमे को सहन नहीं कर सके और उनकी भी मौत हो गई। अब वह अपनी बीमार माँ और बेटी के साथ रह रही थी।

अमर ने उसकी पूरी कहानी सुनी और बहुत भावुक हो गया। उसने उसे हर संभव मदद का आश्वासन दिया। उस रात जब अमर घर गया, तो वह सो नहीं सका। रश्मि की कहानी उसके दिमाग में घूमती रही।

अगले दिन जब अमर ऑफिस पहुँचा, तो उसने रश्मि को अपने केबिन में बुलाया और उसकी माँ की तबीयत के बारे में पूछा। शाम को, वह उसे अस्पताल ले गया और उसकी माँ के लिए दवाइयाँ खरीद दीं। जब वह रश्मि को उसके घर छोड़ने गया, तो रात काफी हो चुकी थी। रश्मि ने उससे कहा, “आज रात आप यहीं रुक जाइए।” अमर अकेले रहता था, तो उसे कोई परेशानी नहीं हुई। रश्मि ने उसे खाना बनाने को कहा और खुद रसोई में चली गई।

अमर जब फ्रेश होकर बाथरूम से बाहर आया, तो उसने देखा कि रश्मि ने गाउन पहन रखा था। दोनों ने साथ में खाना खाया और फिर टीवी देखने लगे। रश्मि की बेटी सो चुकी थी। टीवी देखते हुए रश्मि ने अमर के कंधे पर सिर रख दिया और धीरे-धीरे उसकी जांघों पर सिर रखकर सो गई। अमर ने महसूस किया कि उसका सिर उसकी मर्दानगी के पास था। उसका मन विचलित होने लगा, लेकिन उसने खुद को रोक लिया।

रश्मि को भी अमर की उत्तेजना का अहसास हो चुका था। उसने अपना सिर हटाने के बजाय, धीरे-धीरे अमर के लंड पर अपने होंठ फेरने शुरू कर दिए। अमर ने उसके इस इशारे को समझा और धीरे-धीरे उसके शरीर को सहलाने लगा।

रश्मि ने करवट ली और पीठ के बल लेट गई। उसकी वासना भरी आँखें अब अमर को देख रही थीं। अमर ने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उसे गहराई से चूमने लगा। उसके हाथ अब उसके गाउन के नीचे उसकी टांगों पर घूमने लगे।

इसे भी पढ़ें:  बहन की ग्रुप चुदाई दो भाई एक साथ मिलकर-2

रश्मि ने खुद को पूरी तरह से अमर के हवाले कर दिया। अमर ने उसका गाउन ऊपर खींच दिया और उसके शरीर को देखने लगा। वह ब्रा और पैंटी में थी। अमर ने उसे खड़ा किया और गाउन को उतार दिया। अब रश्मि केवल ब्रा और पैंटी में थी।

अमर ने रश्मि की ओर देखा और उसके परफेक्ट शरीर को देखकर मदहोश हो गया। रश्मि ने बिना झिझक के अमर के सारे कपड़े उतार दिए और उसके लंड को अपने हाथ में पकड़ लिया। वह धीरे-धीरे उसे सहलाने लगी। अमर के शरीर में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी। रश्मि ने अपना सिर झुका कर उसके लंड को अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। अमर ने उसका सिर पकड़कर अपने लंड को और अंदर कर दिया।

रश्मि पूरे जोश के साथ उसका लंड चूस रही थी। कुछ देर बाद अमर का वीर्य उसके मुँह में निकल गया। रश्मि ने बिना रुके उसे निगल लिया। अमर ने उसे गोद में उठाया और बैडरूम में ले गया। उसने रश्मि को बेड पर लिटाया और उसकी ब्रा और पैंटी उतार दी। रश्मि का शरीर एकदम निखरा हुआ और आकर्षक था। उसकी चूत गुलाबी और बिना बालों की थी।

अमर ने उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया। रश्मि ने उसकी पीठ पर हाथ रखकर उसे और जोर से अपनी चूत की ओर खींचा। “और जोर से चाटो,” रश्मि ने सिसकारी भरते हुए कहा। अमर ने अपनी जीभ उसकी चूत के अंदर डाल दी और गोलाई में घुमाने लगा। रश्मि जोर से सिसकारियां भरने लगी और एक बार में ही झड़ गई।

रश्मि ने झड़ने के बाद अमर के लंड को फिर से अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। अमर का लंड फिर से खड़ा हो गया। दोनों ने 69 की पोजीशन में एक-दूसरे को चाटना शुरू कर दिया। रश्मि ने उसकी गांड को अपनी उंगली से सहलाना शुरू कर दिया।

थोड़ी देर बाद अमर ने रश्मि को उठाकर बिस्तर पर लिटाया और अपना लंड उसकी चूत के दरवाजे पर रखा। उसने धीरे से एक धक्का दिया। रश्मि की चूत टाइट थी, इसलिए लंड अंदर जाने में थोड़ी मुश्किल हुई। अमर ने जोर से धक्का मारा और लंड पूरी तरह से अंदर चला गया।

रश्मि दर्द से कराह उठी, लेकिन उसने अपने होंठ काटकर दर्द को सहा। उसकी आँखों से आँसू निकल आए, लेकिन वह दर्द को सहती रही। धीरे-धीरे, उसे भी मजा आने लगा और उसने अपने चूतड़ों को उठाकर अमर का लंड और अंदर लेना शुरू कर दिया।

रश्मि ने अपनी दोनों टांगों से अमर को कस लिया और अपने हाथों से उसके चूतड़ों को खींचने लगी। पूरे कमरे में धप-धप और घचा-घच की आवाजें गूंजने लगीं। अमर ने पागलों की तरह रश्मि को चोदना शुरू कर दिया। वह उसके बूब्स को चूस रहा था, और रश्मि के मुँह से “सी…सी…हाय…आह…” की आवाजें निकल रही थीं।

कुछ देर बाद अमर ने रश्मि को अपने ऊपर लिया और नीचे से अपना लंड उसकी चूत में घुसा दिया। रश्मि ने थोड़े दर्द के साथ लंड को अपनी चूत में लिया और ऊपर से धक्के लगाने लगी। अमर ने उसके चूतड़ों को अपने हाथों से भींच लिया और जोर-जोर से धक्के लगाने लगा। रश्मि उत्तेजना के कारण अमर के सीने पर अपने नाखून गड़ा रही थी।

रश्मि ने कहा, “अमर, मैं बहुत सालों से प्यासी हूँ। आज मेरी सारी प्यास बुझा दो।” दोनों की मुँह से सिसकारियां निकल रही थीं। रश्मि जोर से आह भरती हुई झड़ गई, लेकिन अमर का जोश अभी भी खत्म नहीं हुआ था। उसने रश्मि को फिर से अपने नीचे लिया और जोर-जोर से धक्के लगाने लगा।

इसे भी पढ़ें:  Meri Bahu Soumya ke Saath Suhagrat

कुछ देर तक लगातार जोरदार धक्के लगाने के बाद, अमर का लंड टाइट होने लगा। उसने रश्मि से कहा, “मैं अब झड़ने वाला हूँ!” रश्मि ने जवाब दिया, “चूत में ही झड़ जाओ।” यह सुनकर अमर ने अपनी गति तेज कर दी और आखिरकार सारा वीर्य रश्मि की चूत में छोड़ दिया। रश्मि ने अपने चेहरे पर सुकून और संतुष्टि के भाव के साथ अमर को देखा। उसने अमर को खींचकर अपने होंठों पर एक गहरा चुम्बन दिया और अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी।

अमर ने भी उसकी जीभ को चूसना शुरू कर दिया। दोनों थके हुए थे, इसलिए एक-दूसरे की बाहों में नंगे ही सो गए। अगले दिन सुबह जब अमर उठा, तो उसने देखा कि सुबह के पाँच बज चुके थे। रश्मि की बेटी अभी भी सो रही थी। रश्मि ने अमर से चाय के लिए पूछा, और उसने हामी भर दी।

रश्मि बिना कपड़ों के रसोई में चली गई। उसके हिलते-डुलते चूतड़ों को देखकर अमर का लंड फिर से खड़ा हो गया। वह चुपचाप रसोई में गया और रश्मि को पीछे से पकड़ लिया। उसने उसके चूतड़ों को अपने हाथों में ले लिया और सहलाने लगा। रश्मि मुस्कुराई और हल्की सिसकारी भरी।

अमर ने उसके चूतड़ों को सहलाते हुए कहा, “रश्मि, तुम्हारी गांड बहुत खूबसूरत है। आज मैं तुम्हारी गांड मारना चाहता हूँ।” रश्मि हँस पड़ी और बोली, “अमर, मैंने अपना पूरा शरीर तुम्हें सौंप दिया है, तो यह गांड भी तुम्हारी है।” यह कहते हुए वह आगे की ओर झुक गई।

अमर ने उसकी गांड के छेद पर थूक लगाया और धीरे-धीरे लंड अंदर डालने की कोशिश की। रश्मि ने कहा, “अमर, मेरी गांड अभी तक नहीं मरी है। धीरे-धीरे करना।” अमर ने हल्का सा धक्का दिया, और उसका लंड का टोपा अंदर चला गया। रश्मि ने सिसकारी भरते हुए कहा, “धीरे… अमर…”

जब रश्मि सहज हुई, तो अमर ने एक जोरदार धक्का मारा, और पूरा लंड उसकी गांड में समा गया। रश्मि की आँखें दर्द से भर गईं, और उसने एक तेज आवाज निकाली, जिसे अमर ने उसके मुँह पर हाथ रखकर दबा दिया।

कुछ देर बाद रश्मि को भी मजा आने लगा। उसने अपने चूतड़ों को पीछे धकेलना शुरू कर दिया। अमर ने उसकी एक टांग रसोई की स्लैब पर रख दी, जिससे उसकी गांड का छेद और खुल गया। अब अमर ने पागलों की तरह धक्के मारने शुरू कर दिए। रश्मि के मुँह से आह और सिसकारियों की आवाजें निकलने लगीं।

अमर का लंड अब पूरी ताकत से रश्मि की गांड का बाजा बजा रहा था। आखिरकार, उसने जोर से रश्मि की गांड के अंदर वीर्य छोड़ दिया। रश्मि ने संतुष्टि के साथ अमर को देखा। दोनों ने चाय पी और कपड़े पहन लिए।

इसके बाद रश्मि ने अपनी बेटी को तैयार किया और उसे स्कूल बस में बैठा कर वापस घर आ गई। अमर ने रश्मि से कहा, “अब हमें भी तैयार हो जाना चाहिए। मैं तुम्हें अस्पताल छोड़ते हुए ऑफिस चला जाऊंगा।” रश्मि अपने कपड़े लेकर बाथरूम की ओर चली गई।

बाथरूम में पहुंचकर उसने अपने कपड़े उतार दिए और नहाने लगी। उसने बाथरूम का दरवाजा बंद नहीं किया था, और अमर वहीं से उसे देख रहा था। रश्मि के नहाते हुए शरीर को देखकर उसका लंड फिर से खड़ा हो गया। वह तुरंत अपने कपड़े उतारकर बाथरूम में चला गया।

रश्मि ने मुस्कुराते हुए उसकी ओर देखा, जैसे वह भी इसी का इंतजार कर रही थी। शॉवर के नीचे दोनों नहाने लगे और एक-दूसरे के जिस्मों को सहलाने लगे। अमर ने रश्मि के नंगे शरीर को चूमना शुरू कर दिया और उसकी चूचियों को अपने हाथों से भींचने लगा। रश्मि ने भी उसके लंड को पकड़ लिया और चूसने लगी।

इसे भी पढ़ें:  Bhai-Bahan Chudai Kahani :चाचा के लड़के से चूत चुदाई

अमर ने रश्मि को 69 की पोजीशन में ले लिया। दोनों एक-दूसरे के चूत और लंड को चूसने लगे। इस बीच अमर ने अपनी उंगली रश्मि की गांड के अंदर डाल दी। रश्मि ने भी उसकी गांड में उंगली डाल दी और उसे और उत्तेजित कर दिया।

इसके बाद अमर ने रश्मि को अपने ऊपर लिया और नीचे से अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया। रश्मि अब अमर के लंड की सवारी करने लगी। दोनों के मुँह एक-दूसरे के होठों से चिपके हुए थे। अमर ने उसके चूतड़ों को जोर से पकड़ा और रश्मि के साथ पूरी ताकत से चुदाई करने लगा।

थोड़ी देर बाद अमर ने रश्मि को अपने नीचे लिया और जोर-जोर से धक्के मारने लगा। रश्मि के मुँह से सिसकारियां निकलने लगीं, “हाय… मेरे अमर… चोद दो मुझे… सी…सी…” अमर के धक्के तेज होते जा रहे थे।

अमर ने आखिरकार जोर से धक्का मारा और अपना सारा वीर्य रश्मि की चूत के अंदर छोड़ दिया। दोनों के जिस्म अब थकान और संतुष्टि से एक-दूसरे में समा गए। कुछ देर तक वे बाथरूम में इसी अवस्था में पड़े रहे, फिर दोनों ने साथ में नहाया।

नहाने के बाद अमर ने रश्मि को गोद में उठाया और बाथरूम से बाहर आ गया। उन्होंने तैयार होकर नाश्ता किया। नाश्ते के दौरान अमर ने अचानक रश्मि से पूछा, “क्या तुम मुझसे शादी करोगी?”

रश्मि उसकी ओर देखती रह गई। उसकी आँखें भर आईं। उसने अमर को गले लगाकर जोर से रोते हुए कहा, “हां।”

इसके बाद अमर और रश्मि अस्पताल गए। अमर ने रश्मि की माँ से रश्मि का हाथ मांगा। रश्मि की माँ, जो उनकी बेटी की खुशियाँ चाहती थीं, ने बिना झिझक इसके लिए सहमति दे दी। रश्मि की माँ के अस्पताल से घर लौटने के बाद, अमर और रश्मि ने शादी कर ली।

शादी के बाद उनकी जिंदगी बदल गई। अमर ने रश्मि और उसकी बेटी को अपनी पूरी दुनिया बना लिया। रश्मि, जो अपने जीवन में दुख और कठिनाई झेल चुकी थी, अब खुशी और सुकून के नए रंग देख रही थी। अमर के प्यार और साथ ने उसे न केवल जीवन में आगे बढ़ने की हिम्मत दी, बल्कि उसने महसूस किया कि वह अब सुरक्षित और सम्मानित महसूस कर रही है।

कुछ सालों बाद, रश्मि और अमर के दो बच्चे हुए। उनका परिवार खुशी और प्यार से भर गया। रश्मि और अमर ने अपने बीते हुए दर्द को पीछे छोड़कर अपने बच्चों के साथ नई जिंदगी शुरू की।

रश्मि को अब अपने जीवन में कोई कमी नहीं लगती थी। अमर के प्यार और उसके समर्पण ने उसके सभी घाव भर दिए। वह हमेशा अमर को देखती और सोचती, “यह वही इंसान है जिसने मुझे फिर से जिंदगी जीना सिखाया।”

 

 

Related Posts💋

आपको यह कहानी कैसी लगी?

स्टार्स को क्लिक करके आप वोट कर सकते है।

Average rating 5 / 5. Vote count: 9897

अभी तक कोई वोट नहीं मिला, आप पहला वोट करें

We are sorry that this post was not useful for you!

Let us improve this post!

Tell us how we can improve this post?

Leave a Comment