मेरा नाम सुनैना है, और मैं 32 साल की एक खूबसूरत, गोरी, और बेहद सेक्सी औरत हूँ। मेरा फिगर ऐसा है कि मर्दों की नजरें मुझ पर ठहर जाती हैं। 34 साइज की चूचियाँ, पतली कमर, मोटी जांघें, और बाहर को उभरी हुई गांड—मेरा जिस्म हर मर्द को पागल कर देता है। मैं रोज जिम जाती हूँ, हफ्ते में एक बार ब्यूटी पार्लर, और अपने खान-पान का खास ख्याल रखती हूँ। मेरे होठ नेचुरल पिंक हैं, मेरे नैन-नक्श इतने कातिलाना कि कोई भी मर्द मुझे देखकर बस तड़प उठे। मेरी शादी एक बड़ी गलती थी—लव मैरेज के चक्कर में मैंने एक ऐसे मर्द से शादी कर ली जो न देखने में अच्छा है, न कद में मेरे बराबर। अब उम्र के साथ वो बूढ़ा-सा लगने लगा है। उसका काला रंग, छोटा कद, और कमजोर जिस्म मेरी जवानी के सामने फीका पड़ता है। मेरी चूचियाँ दिन-ब-दिन और भारी हो रही हैं, मेरी गांड और हॉट हो रही है, पर मेरा पति बेकार होता जा रहा है। मेरी जवानी की आग बुझाने के लिए मुझे अब दूसरे मर्दों की तरफ देखना पड़ रहा है।
मेरे पति का दोस्त संजय हमारे अपार्टमेंट में हाल ही में आया है। वो एकदम हॉट, सेक्सी, और पैसे वाला मर्द है। उसका लाइफस्टाइल मुझे बहुत भाता है। उसकी बीवी मेरी अच्छी दोस्त है, पर सच कहूँ तो मुझे संजय की तरफ शुरू से ही जबरदस्त आकर्षण था। उसकी लंबी हाइट, चौड़ा सीना, और वो मर्दाना अंदाज मेरे दिल को चुरा लेता था। उसकी बीवी कुछ दिनों के लिए अपने मायके गई थी, और संजय अकेला था। कल सुबह उसका फोन आया, मेरे पति से बोला, “आज शाम को दारू पार्टी करते हैं, तुम और सुनैना दोनों आना।” मेरे पति ने बात मुझ पर टाल दी, और मैंने हँसते हुए कह दिया, “कोई दिक्कत नहीं, संजय, पार्टी रखो, खूब मस्ती करेंगे।”
शाम सात बजे हम उनके घर पहुँचे। मेरा बेटा अपनी नानी के यहाँ अपनी मौसी के साथ गया था, तो बस मैं और मेरा पति थे। मैंने एक टाइट लाल साड़ी पहनी थी, जो मेरी चूचियों और गांड के उभार को और निखार रही थी। संजय ने खाना ऑर्डर किया था—चिकन तंदूरी, रुमाली रोटी, और व्हिस्की की दो बोतलें। मैं उनके सोफे पर बैठी अपने मोबाइल पर एक हॉट सेक्स कहानी पढ़ रही थी। कहानी में एक औरत अपने पति के दोस्त से चुद रही थी, और वो सीन इतने कामुक थे कि मेरी चूत में गीलापन शुरू हो गया। मेरे निप्पल मेरी टाइट ब्लाउज में साफ उभर रहे थे। जब तक वो दोनों व्हिस्की लेने गए और लौटे, मैं पूरी तरह गरम हो चुकी थी। हम तीनों ने पीना शुरू किया। चिकन के साथ पेग पे पेग चढ़ते गए। रात गहरी होती गई, और नशा हम तीनों पर हावी होने लगा। करीब एक बजे तक हमने दो प्लेट चिकन और लगभग पूरी व्हिस्की की बोतल खत्म कर दी थी।
संजय ने शायद पहले से ही कुछ प्लान कर रखा था। उसने मेरे पति को जबरदस्ती इतना पिला दिया कि वो बर्दाश्त से ज्यादा पी गया। मेरे पति की हालत ऐसी हो गई कि वो सोफे पर ही लुढ़क गया, लग रहा था जैसे बेहोश हो गया। संजय ने उसे उठाकर बेडरूम में लिटा दिया। मैं और संजय वापस ड्राइंग रूम में आ गए। वो मेरे लिए फिर से पेग बनाने लगा। मैंने मना किया, “बस, संजय, अब और नहीं,” पर उसने जबरदस्ती मेरे हाथ में ग्लास थमा दिया और बोला, “एक पेग और, सुनैना, मस्ती में क्या जाता है।” जैसे ही मेरा पति कमरे में गया, संजय का मुझे देखने का तरीका बदल गया। उसकी नजरें मेरी चूचियों पर टिकी थीं, मेरे गुलाबी होठों को घूर रहा था। उसकी आँखों में वासना की आग साफ दिख रही थी। मेरे जिस्म में भी नशे और उस कहानी की वजह से गर्मी चढ़ रही थी। मेरी चूत गीली थी, और मेरे निप्पल मेरी ब्लाउज में सख्त होकर साफ दिख रहे थे।
वो मेरे करीब आया और बोला, “सुनैना, तुम इतनी हॉट और सेक्सी हो, काश मेरी बीवी भी तुम्हारी तरह होती।” मैंने नशे में बहकते हुए कहा, “अरे, तुम्हारी बीवी भी तो बहुत हॉट है।” वो हँसा और बोला, “नहीं, तुम्हारे जितनी नहीं। वैसे भी, उसका तो अब ढीला हो गया है।” मैं समझ गई वो किस ढीलेपन की बात कर रहा है। मैंने हँसते हुए पूछा, “क्या ढीला हो गया, संजय?” वो और करीब आ गया, उसकी गर्म साँसें मेरे चेहरे पर टकरा रही थीं। अचानक वो मेरे होठों पर झपटा और मुझे चूमने लगा। उसका एक हाथ मेरी चूचियों को जोर-जोर से दबाने लगा। “आआह्ह्ह… संजय…” मेरे मुँह से सिसकारी निकल गई। मैं नशे में थी, मेरी चूत पहले से ही गीली थी, और अब रहा नहीं गया। मैंने भी उसकी बाहों में खुद को सौंप दिया।
वो बोला, “चलो, सुनैना, दूसरे बेडरूम में चलते हैं।” मैंने पहले अपने पति को चेक किया। वो बेड पर लंबी-लंबी साँसें ले रहा था, पूरी तरह बेहोश। मैं जानती थी, वो शराब पीकर सो जाए तो सुबह तक नहीं उठता। मैं संजय के साथ दूसरे बेडरूम में चली गई। वहाँ पहुँचते ही उसने अपने कपड़े उतारे। मैंने भी अपनी साड़ी खींचकर उतार दी, और ब्रा-पैंटी में खड़ी हो गई। मेरे लंबे बाल खुले थे, मेरी चूचियाँ ब्रा में उभरी हुई थीं। संजय मुझे देखकर बोला, “सुनैना, तुम तो हूर की परी हो!” वो मेरे ऊपर टूट पड़ा। पहले उसने मेरे होठों को इतनी गहराई से चूसा कि मेरे मुँह से “आआह्ह्ह… उफ्फ्फ…” की सिसकारियाँ निकलने लगीं। उसने मेरे गाल, गर्दन, और कंधों को चूमना शुरू किया, फिर मेरी चूचियों को जोर-जोर से मसलने लगा। मेरे निप्पल टाइट हो गए, मेरी चूत पूरी तरह गीली थी, और मेरी आँखें लाल हो चुकी थीं।
वो मेरे ऊपर चढ़ गया। उसने मेरी ब्रा खींचकर उतार दी और मेरी चूचियों को मुँह में लेकर चूसने लगा। उसका एक हाथ मेरी पैंटी में घुस गया, और उसने मेरी चूत को सहलाना शुरू किया। “ओह्ह्ह… संजय… उफ्फ्फ…” मैं सिसकारियाँ ले रही थी। मेरी चूत में आग लगी थी। उसने मेरी पैंटी उतारी और मेरी चूत पर अपनी जीभ रख दी। जैसे ही उसकी गर्म जीभ मेरी चूत के दाने को छुआ, मेरे मुँह से चीख निकल गई, “आआह्ह्ह… उफ्फ्फ… संजय, ये क्या कर रहे हो!” मैं पागल हो रही थी। उसने मेरी चूत को चाटना शुरू किया, जीभ को अंदर-बाहर करने लगा, मेरे चूत के दाने को हल्के से काटा। मैं चीख पड़ी, “ओह्ह्ह… संजय, मेरी चूत को खा जाओ!” मेरी टाँगें काँप रही थीं, मेरा जिस्म आग की तरह जल रहा था।
मैंने उससे कहा, “संजय, अपना पेल्हर मेरे मुँह में दो।” उसने तुरंत अपना 8 इंच का मोटा, काला लौड़ा मेरे सामने लहराया। मैंने उसे मुँह में लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी। उसका लौड़ा इतना मोटा था कि मेरा मुँह पूरा भर गया। मैं उसे पूरी शिद्दत से चूस रही थी, मेरी जीभ उसके लौड़े के टोपे पर गोल-गोल घूम रही थी। “आह्ह्ह… सुनैना, तू तो लंड चूसने की मास्टर है!” वो सिसकार रहा था। वो मेरी चूचियों को मसल रहा था, मेरे निप्पलों को चुटकी में काट रहा था। फिर उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी, और हम दोनों एक-दूसरे को पागलों की तरह चूमने लगे। मेरी चूत अब और बर्दाश्त नहीं कर सकती थी। मैंने इशारा किया, “संजय, अब चूत में अपना पेल्हर पेल दो।”
उसने मेरी दोनों टाँगें चौड़ी कीं, मेरी चूत के छेद पर अपना मोटा लौड़ा सेट किया, और एक जोरदार धक्का मारा। “आआह्ह्ह… मर गई… संजय, तेरा पेल्हर तो मेरी चूत फाड़ देगा!” मैं चीख पड़ी। उसका 8 इंच का लौड़ा मेरी चूत को चीरता हुआ अंदर घुस गया। मेरी चूत इतनी टाइट थी कि उसका पेल्हर पूरा अंदर जाने में थोड़ा वक्त लगा। वो धीरे-धीरे धक्के मारने लगा, और मैं अपनी गांड गोल-गोल घुमाकर उसके लौड़े को और गहराई में ले रही थी। “उफ्फ्फ… संजय… और जोर से… मेरी चूत को चोद!” मैं चीख रही थी। मेरे पति का लंड इतना मोटा नहीं था, और पहली बार इतने बड़े पेल्हर से मेरी चूत का भोसड़ा बन रहा था।
वो जोर-जोर से धक्के मारने लगा। हर धक्के के साथ मेरी चीखें कमरे में गूँज रही थीं, “आआह्ह्ह… ओह्ह्ह… संजय, मेरी चूत को फाड़ दो!” मैं नीचे से अपनी गांड उछाल-उछालकर उसके धक्कों का जवाब दे रही थी। उसने मुझे घोड़ी बनाया, मेरी गांड को जोर-जोर से थप्पड़ मारे, और पीछे से अपना पेल्हर मेरी चूत में पेल दिया। “उफ्फ्फ… संजय, तेरा लौड़ा मेरी जान ले लेगा!” मैं सिसकारियाँ ले रही थी। उसने मेरे बाल पकड़े और मुझे और जोर से चोदना शुरू किया। मेरी चूत से रस टपक रहा था, और कमरा मेरी सिसकारियों और उसकी गांड की थप-थप की आवाजों से भर गया।
फिर उसने मुझे बेड पर लिटाया और मेरे ऊपर चढ़ गया। उसका पेल्हर मेरी चूत में गहरे तक जा रहा था, और हर धक्के के साथ मेरी चूचियाँ उछल रही थीं। मैंने अपनी टाँगें उसकी कमर पर लपेट लीं, ताकि उसका लौड़ा और गहराई में जाए। “संजय… और जोर से… मेरी चूत को चोद डाल!” मैं पागल हो रही थी। उसने मेरी चूचियों को मुँह में लिया, मेरे निप्पलों को काटा, और साथ-साथ धक्के मारता रहा। उसने मुझे अमेजन स्टाइल में चोदा, फिर खड़े-खड़े मेरी चूत में पेल्हर पेला। मैं चीख रही थी, “संजय, तेरा पेल्हर मेरी चूत का बाप है!” करीब डेढ़ घंटे तक उसने मुझे अलग-अलग स्टाइल में चोदा—कभी मिशनरी, कभी डॉगी, कभी मैं उसके ऊपर, कभी वो मेरे ऊपर। मेरी चूत पूरी तरह लाल हो चुकी थी, और मेरा जिस्म पसीने से तर था।
आखिरकार, उसने एक लंबा धक्का मारा, और उसका गर्म माल मेरी चूत में छूट गया। मैं भी उसी वक्त झड़ गई, मेरी चूत ने उसके पेल्हर को जकड़ लिया। “आआह्ह्ह… संजय… क्या चुदाई की तूने!” मैं हाँफ रही थी। हम दोनों नंगे ही बेड पर लेट गए, एक-दूसरे की बाहों में। करीब आधा घंटा हम ऐसे ही बातें करते रहे। उसने बताया कि वो शुरू से ही मुझे चोदना चाहता था, और आज मौका मिल गया। मैंने हँसकर कहा, “संजय, तूने तो मेरी जवानी को फिर से जगा दिया। तेरा पेल्हर मेरी चूत का दीवाना हो गया।”
रात अभी बाकी थी। सुबह के चार बज चुके थे, और मुझे अपने फ्लैट जाना था। संजय ने मुझे फिर से पकड़ लिया, और बोला, “सुनैना, एक बार और चुदाई?” मैंने मना किया, पर उसकी आँखों की वासना ने मुझे फिर गरम कर दिया। उसने मुझे बेड पर पटका, मेरी टाँगें उठाईं, और फिर से अपना मोटा पेल्हर मेरी चूत में पेल दिया। “उफ्फ्फ… संजय… तू तो मेरी चूत का भोसड़ा बना देगा!” मैं फिर से सिसकारियाँ लेने लगी। इस बार वो और जोर से चोद रहा था, जैसे मेरी चूत को पूरा फाड़ देना चाहता हो। आधे घंटे की चुदाई के बाद वो फिर झड़ गया, और मैं भी दूसरी बार झड़ी। मेरी चूत से उसका माल टपक रहा था, और मेरी टाँगें काँप रही थीं।
मैंने कपड़े पहने और अपने फ्लैट में चली गई। सुबह नौ बजे मेरा पति आया, बेल बजाई। मैं सो रही थी, पर उठकर दरवाजा खोला। मैं उस पर बरस पड़ी, “जब बर्दाश्त नहीं होता, तो इतना क्यों पीते हो? तुम लुढ़क गए, और मुझे अकेले वापस आना पड़ा। मैं एक सभ्य औरत हूँ, मुझे ये सब पसंद नहीं!” उसने माफी माँगी और अपने कान पकड़ लिए। मैंने कहा, “ठीक है, अब ऐसी गलती मत करना।” लेकिन मेरे दिमाग में संजय का मोटा पेल्हर और उसकी चुदाई घूम रही थी। मैं जानती हूँ, मैं फिर से संजय से चुदवाऊँगी। उसका लौड़ा मेरी चूत का दीवाना हो गया है, और मैं भी उसकी चुदाई की दीवानी हो गई हूँ।