मेरे प्यारे दोस्तों, मेरा नाम कजरी है, उम्र उन्नीस साल, और मैं लखनऊ की रहने वाली हूँ। मैं गोरी-चिट्टी, पतली कमर, भरे हुए कूल्हे और 34C की चूचियाँ, जो मेरी टाइट टी-शर्ट में हमेशा उभरी रहती हैं। मेरी आँखें बड़ी-बड़ी, काली, और होंठ गुलाबी, जो हर लड़के को पागल कर देते हैं। मैं कॉलेज में पढ़ती हूँ, मॉडर्न सोच वाली लड़की हूँ, और अपनी ज़िंदगी को अपने तरीके से जीती हूँ। मेरी माँ, राधा, उम्र सिर्फ अड़तीस साल, लेकिन उन्हें देखकर कोई नहीं कहेगा कि वो इतनी उमर की हैं। माँ की फिगर 36D-28-38 है, गोरा रंग, लंबे काले बाल, जो वो अक्सर खुले छोड़ देती हैं। उनकी आँखों में एक अजीब सी चमक है, जो किसी को भी दीवाना बना दे। माँ को देखकर लगता है जैसे वो मेरी बड़ी बहन हों, न कि माँ। मेरी दीदी, गीता, चौबीस साल की, मेरी और माँ की तरह ही खूबसूरत, लेकिन स्वभाव में थोड़ी शांत। उनकी फिगर 34B-26-36 है, और वो हमेशा साड़ी या सलवार सूट में सजी-धजी रहती हैं। उनकी शादी पिछले साल राहुल जीजू से हुई, जो तीस साल के हैं। जीजू लंबे, गोरे, मस्कुलर बॉडी, और उनकी आँखों में एक शरारती चमक, जो कुछ और ही कहानी कहती है। जीजू बंगलौर में एक बड़ी आईटी कंपनी में मैनेजर हैं, और दीदी भी वहाँ एक सॉफ्टवेयर फर्म में जॉब करती हैं।
पापा के जाने के बाद हमारी ज़िंदगी बदल गई थी। मैं और माँ लखनऊ के एक पॉश इलाके में नए फ्लैट में शिफ्ट हो गए। यहाँ कोई पुराना जानने वाला नहीं था, कोई उँगली उठाने वाला नहीं। हमारी ज़िंदगी आजाद थी, जैसे दो सहेलियाँ एक साथ मस्ती कर रही हों। पापा के जाने के बाद माँ ने कुछ समय तक विधवा जैसी ज़िंदगी जी, सादी साड़ियाँ पहनीं, सिंदूर छोड़ दिया। लेकिन धीरे-धीरे वो बदलीं। अब वो मेरी तरह टाइट जीन्स, डीप-नेक टॉप्स, और कभी-कभी साड़ी पहनतीं, जो उनकी कर्व्स को और उभारती थी। लोग हमें देखकर कहते, “लगता ही नहीं कि तुम माँ-बेटी हो, दो सहेलियाँ लगती हो।” हमने मिलकर एक ऑनलाइन बिज़नेस शुरू किया—हैंडमेड ज्वेलरी, डिज़ाइनर कपड़े, और कुछ कॉस्मेटिक्स। काम अच्छा चल रहा था, पैसे की कोई कमी नहीं थी। हमारी ज़िंदगी में हर सुख था—नया फ्लैट, शॉपिंग, घूमना-फिरना—लेकिन माँ की ज़िंदगी में एक कमी थी। उनकी आँखों में वो तड़प थी, जो एक औरत की शारीरिक भूख को दिखाती थी। मैं मॉडर्न सोच वाली हूँ, मुझे लगता था कि माँ को भी वो सुख मिलना चाहिए, जो हर औरत का हक है। मैंने कई बार माँ से इस बारे में बात करने की कोशिश की, “माँ, तुम इतनी खूबसूरत हो, अपनी ज़िंदगी क्यों नहीं जीतीं?” लेकिन वो हर बार हँसकर टाल देतीं, “कजरी, तू पागल है, ये सब मेरे लिए नहीं है।” पर उनकी आँखें कुछ और कहती थीं।
जीजू को ऑफिस के काम से लखनऊ आना पड़ा। वो हमारे फ्लैट में ही रुके। जीजू का स्वभाव बड़ा खुला है। वो हमारी हर छोटी-बड़ी ज़रूरत का ख्याल रखते। मेरे लिए नया स्मार्टफोन, माँ के लिए सिल्क की साड़ी, घर का सामान—सब कुछ वो लाकर देते। लेकिन उनकी नज़रें कुछ और ही कहानी कहती थीं। वो मेरे साथ बात करते वक्त मेरी तारीफ करते, “कजरी, तू तो दिन-ब-दिन और हॉट होती जा रही है। तेरी दीदी को तो पीछे छोड़ दिया तूने।” कभी मेरे हाथ को हल्के से चूम लेते, तो कभी मेरी कमर पर हाथ फेर देते। मैं हँसकर टाल देती, लेकिन मेरे बदन में एक सिहरन सी दौड़ जाती। माँ के साथ भी उनका वैसा ही बर्ताव था। वो माँ के करीब बैठते, उनके कंधे पर हाथ रखते, और माँ भी हल्के से मुस्कुरा देतीं। उनकी नज़रों का मिलना, वो हल्की सी शरारत, मुझे कुछ-कुछ समझ आ रहा था।
एक दोपहर हम तीनों लिविंग रूम में बैठे थे। माँ ने एक टाइट कुर्ती और लेगिंग्स पहनी थी, जिसमें उनकी फिगर और उभर रही थी। जीजू ने उनकी तारीफ की, “राधा जी, आप तो गीता से भी ज्यादा जवान लगती हो।” माँ ने हँसते हुए कहा, “बस राहुल, अब तू मज़ाक मत कर।” लेकिन उनकी आँखों में वो चमक थी, जो कुछ और ही कह रही थी। मैंने देखा कि जीजू का हाथ माँ के कंधे से नीचे सरक रहा था, और माँ ने उसे रोका नहीं। मुझे अजीब सा लगा, लेकिन मैं चुप रही। उस रात डिनर के बाद जीजू ने माँ से कहा, “राधा जी, आपकी कॉफी बड़ी मस्त बनती है, एक कप और मिले?” माँ ने हँसकर कहा, “हाँ-हाँ, तुम्हें तो बस मौका चाहिए।” वो किचन में चली गईं, और जीजू उनके पीछे गए। मैं अपने कमरे में थी, लेकिन मुझे कुछ अजीब सा लगा। मैंने दरवाजे से झाँका तो देखा कि जीजू माँ के करीब खड़े थे, और माँ का चेहरा लाल था। वो हल्के से हँस रही थीं, और जीजू उनके कान में कुछ फुसफुसा रहे थे। मुझे शक हुआ, लेकिन मैंने कुछ नहीं कहा।
एक रात, मैं अपने कमरे में सो रही थी। रात के करीब दो बजे मेरी नींद खुली। मुझे कुछ अजीब सी आवाज़ें सुनाई दीं—जैसे कोई सिसक रहा हो, कराह रहा हो। मैं घबरा गई। मुझे लगा शायद माँ की तबीयत खराब हो गई। मैं फटाफट बेड से उठी और माँ के कमरे की ओर भागी। उनका दरवाजा हल्का सा खुला था। मैंने धीरे से और खोला, और जो देखा, उसने मेरे होश उड़ा दिए। माँ बेड पर पूरी नंगी लेटी थीं, उनकी टाँगें चौड़ी, और जीजू उनके ऊपर चढ़े थे, जोर-जोर से धक्के मार रहे थे। माँ की भारी-भारी चूचियाँ हर धक्के के साथ फुटबॉल की तरह उछल रही थीं। जीजू का मोटा, सख्त लंड माँ की चूत में बार-बार अंदर-बाहर हो रहा था। माँ की सिसकियाँ पूरे कमरे में गूँज रही थीं— “आह्ह… राहुल… और जोर से… मेरी चूत फाड़ दो!” जीजू कभी माँ के गुलाबी होंठों को चूसते, कभी उनकी चूचियों को जोर-जोर से मसलते, तो कभी उनके निप्पल को मुँह में लेकर चूसते। माँ की चूत गीली थी, और हर धक्के के साथ ‘चप-चप’ की आवाज़ आ रही थी।
माँ तड़प रही थीं। वो जीजू से कह रही थीं, “राहुल, मुझे ऐसे ही खुश रखना। मुझे अपनी बड़ी बीवी समझो। सोचो कि तुमने मेरी बेटी के साथ-साथ मुझसे भी शादी कर ली है। अब जो मन आए, वो करो। मेरी चूत चोदो, मेरी गांड मारो, मैं कुछ नहीं कहूँगी। जब चाहे, जितना चाहे, मुझे चोदो!” जीजू और जोर से धक्के मार रहे थे। माँ की चूचियाँ अब और तेज़ी से हिल रही थीं। जीजू ने माँ की टाँगें और चौड़ी कीं, और उनका लंड माँ की चूत में और गहराई तक जा रहा था। माँ की सिसकियाँ अब चीखों में बदल गई थीं— “हाय… और जोर से… चोदो मुझे… मेरी चूत फट जाएगी!” जीजू ने माँ को घोड़ी बनाया, उनके कूल्हों को पकड़ा, और पीछे से अपना लंड उनकी चूत में डाल दिया। माँ का पूरा शरीर हिल रहा था, उनकी चूचियाँ नीचे लटक रही थीं, और वो हर धक्के के साथ चीख रही थीं, “हाय… राहुल… मेरी चूत… और गहरा… मुझे चोद डालो!” तभी माँ ने एक गहरी साँस ली, अपने शरीर को अकड़ाया, और जीजू को अपनी बाहों में जकड़ लिया। वो थरथराने लगीं, जैसे उनका पूरा शरीर झटके खा रहा हो। जीजू ने भी आखिरी बार जोर से धक्का मारा और अपना गर्म माल माँ की चूत में छोड़ दिया। दोनों पसीने से तरबतर, एक-दूसरे के पास लेट गए। माँ ने आँखें बंद कर लीं, शायद वो थकान से सो गईं।
मैं वहीँ दरवाजे के पास खड़ी थी, मेरे शरीर में आग लग गई थी। मेरी चूत गीली हो गई, मेरे निप्पल टाइट हो गए। मैंने अपने हाथ अपनी टाइट टी-शर्ट के अंदर डाले और अपनी चूचियों को मसलने लगी। माँ की हर सिसकी मेरे बदन में सिहरन पैदा कर रही थी। मैं अपनी जीन्स के ऊपर से अपनी चूत सहलाने लगी। मेरी साँसें तेज़ थीं, मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। ऐसा लग रहा था कि कोई मुझे भी अभी चोद दे, मेरी इस आग को शांत कर दे। मैंने अपनी जीन्स का बटन खोला, पैंटी के अंदर हाथ डाला, और अपनी चूत को रगड़ने लगी। मेरी चूत से गर्म-गर्म पानी निकल रहा था, और मैं सिसक रही थी।
जीजू कुछ देर बाद उठे और बाथरूम की ओर जाने लगे, पूरी तरह नंगे। उनका लंड अभी भी सख्त था, और उसे देखकर मेरी वासना और बढ़ गई। मैं वहीँ खड़ी थी, अपनी चूत सहलाते हुए। जीजू ने मुझे देखा और चौंक गए। “कजरी, तू यहाँ?” वो बोले। मैंने खुद को रोका नहीं। मैं सीधे जीजू से लिपट गई और सिसकते हुए बोली, “हाँ जीजू, मैंने सब देख लिया। अब मेरी बारी है। मेरी आग बुझाओ, प्लीज़!” जीजू पहले तो हैरान हुए, लेकिन फिर उनकी आँखों में वही शरारती चमक आ गई।
वो मुझे मेरे कमरे में ले गए। वहाँ उन्होंने मुझे बेड पर धकेल दिया और मेरी टी-शर्ट को खींचकर उतार दिया। मेरी ब्रा को फाड़कर फेंक दिया, और मेरी चूचियाँ आजाद हो गईं। “कजरी, तेरी चूचियाँ तो राधा जी से भी मस्त हैं,” वो बोले और मेरे निप्पल को मुँह में लेकर चूसने लगे। उनकी जीभ मेरे निप्पल पर गोल-गोल घूम रही थी, और मैं सिसक रही थी, “आह्ह… जीजू… और चूसो… मेरी चूचियाँ दबाओ…” जीजू ने मेरी जीन्स उतारी, मेरी गीली पैंटी को सूँघा, और फिर अपनी जीभ से मेरी चूत चाटने लगे। उनकी जीभ मेरी चूत के दाने को छू रही थी, और मैं तड़प रही थी। “जीजू… हाय… मेरी चूत… चाटो… और चाटो…” मैं चीख रही थी। जीजू ने मेरी चूत को इतना चाटा कि मैं पहली बार झड़ गई। मेरी चूत से पानी निकल रहा था, और मैं थरथरा रही थी।
जीजू ने अपने बैग से विआग्रा निकाला, उसे खाया, और फिर उनका लंड और सख्त हो गया। वो मेरे ऊपर चढ़ गए और अपना मोटा, गर्म लंड मेरी चूत में डाल दिया। पहले तो दर्द हुआ, लेकिन फिर मज़ा आने लगा। जीजू धीरे-धीरे धक्के मारने लगे, और फिर उनकी स्पीड बढ़ती गई। मेरी चूचियाँ हर धक्के के साथ उछल रही थीं। “कजरी, तेरी चूत कितनी टाइट है… मज़ा आ रहा है,” जीजू बोले। मैं भी चीख रही थी, “जीजू… और जोर से… मेरी चूत फाड़ दो… चोदो मुझे!” वो मुझे अलग-अलग पोजीशन में चोदने लगे। पहले मुझे घोड़ी बनाया, मेरे कूल्हों को पकड़कर पीछे से चोदा। फिर मुझे अपनी गोद में बिठाया, और मेरा चेहरा अपनी ओर करके मेरी चूत में लंड डाला। मेरी चूचियाँ उनके मुँह के सामने थीं, और वो उन्हें चूसते हुए मुझे चोद रहे थे। करीब तीन घंटे तक उन्होंने मुझे चोदा। मेरी चूत से पानी निकलता रहा, और मैं बार-बार झड़ती रही। आखिरकार, जीजू ने मेरी चूत में ही अपना गर्म माल छोड़ दिया, और मैं उनकी बाहों में निढाल होकर लेट गई।
उस रात जीजू ने मुझे और माँ को बारी-बारी से चोदा। वो कभी माँ के कमरे में जाते, तो कभी मेरे पास आते। बीच में एक बार मैं माँ के कमरे के पास गई, तो देखा कि जीजू माँ की गांड मार रहे थे। माँ घोड़ी बनी थीं, और जीजू का लंड उनकी गांड में अंदर-बाहर हो रहा था। माँ चीख रही थीं, “राहुल… हाय… मेरी गांड… और जोर से!” ये देखकर मेरी चूत फिर गीली हो गई, और मैं अपने कमरे में लौट आई। जीजू कुछ देर बाद मेरे पास आए, और फिर से मुझे चोदा। पूरी रात हमारी चुदाई का खेल चलता रहा। सुबह होने तक हम तीनों थककर चूर हो चुके थे, लेकिन हमारे चेहरों पर एक अजीब सा सुकून था।
तो दोस्तों, ये थी मेरी और मेरी माँ की चुदाई की कहानी, जिसमें जीजू ने हमें रात भर प्यार किया, चोदा, और हमारी हर ख्वाहिश पूरी की।