Virgin Student Pussy: हेलो दोस्तों, मैं आरोही, अपनी चटपटी और रसीली चुदाई की कहानी सुना रही हूँ। मेरी ये सेक्सी कहानी सुनकर यकीनन हर लड़के का लंड तन जाएगा और हर लड़की की चूत गीली हो जाएगी। तो चलो, बिना देर किए, कहानी शुरू करती हूँ।
मैंने उन दिनों लखनऊ यूनिवर्सिटी में नया-नया दाखिला लिया था। बीए में नाम लिखवाया था, और सब्जेक्ट्स में मैंने इंग्लिश, भूगोल और समाजशास्त्र चुने थे। लेकिन इंग्लिश मुझे हमेशा से कठिन लगती थी, जैसे कोई पहाड़ चढ़ना। मेरे प्रोफेसर थे राव सर, जो इंग्लिश पढ़ाते थे। वो साउथ इंडियन थे, तमिलनाडु के रहने वाले, और उनका पढ़ाने का तरीका गजब का था। उनकी क्लास में हर स्टूडेंट खींचा चला जाता था। उनके शब्दों में जादू था, और उनकी गहरी आवाज सुनकर मेरे रोंगटे खड़े हो जाते थे। मेरे घरवालों ने सलाह दी कि मैं उनसे ट्यूशन पढ़ लूँ, ताकि इंग्लिश में मेरे नंबर सुधर जाएँ।
बस, मैंने हिम्मत जुटाई और एक दिन उनके पास जा पहुँची। मैं उस वक्त सिर्फ 18 साल की थी, एकदम कमसिन कली, जिसके बदन में जवानी की ताजगी बस अभी-अभी खिली थी। मैंने गुलाबी रंग की चुस्त कुर्ती पहनी थी, जो मेरे बदन से चिपकी हुई थी। नीचे काली लेगिंग्स थी, जो मेरी पतली कमर और भारी गोल नितंबों को और उभारी थी। मेरा दुपट्टा इतना पतला था कि मेरे उभरे हुए मम्मों को ढकने का नाम नहीं ले रहा था। मेरे मम्मे, जो पिछले कुछ महीनों में अचानक बड़े हो गए थे, हर किसी की नजरों में आ रहे थे। गली का हर लड़का मुझे घूरता था, और साफ था कि वो मुझे सिर्फ देखना नहीं, बल्कि चोदना चाहता था।
राव सर के घर पहुँचकर मैंने उनसे पूछा, “सर, क्या आप मुझे ट्यूशन पढ़ाएँगे?”
उन्होंने मुझे सिर से पाँव तक ऐसी नजरों से देखा, जैसे मेरे बदन को नाप रहे हों। उनकी आँखों में एक चमक थी, जो मुझे थोड़ा असहज कर गई। फिर वो बोले, “क्या दोगी?”
मैं एकदम चौंक गई, “क्या, सर?”
“मेरा मतलब है, कितना पैसा दोगी?” उन्होंने अपनी बात साफ की।
मैंने कहा, “सर, मैं आपको हजार रुपये आराम से दे दूँगी।”
“शाम को मेरे घर आ जाओ, आरोही,” उन्होंने कहा और मैं खुशी से फूली नहीं समाई।
राव सर के बारे में कॉलेज में तरह-तरह की बातें चलती थीं। कुछ कहते थे कि वो बहुत अच्छे इंसान हैं, जो पढ़ाने में माहिर हैं। उनके स्टूडेंट्स हमेशा फर्स्ट क्लास पास होते हैं। लेकिन कुछ लोग गंदी बातें भी करते थे—कहते थे कि वो अपनी लड़की स्टूडेंट्स का यौन शोषण करते हैं। एक बार तो पुलिस ने भी उन्हें किसी ऐसे ही मामले में पकड़ा था, पर कोई सबूत नहीं मिला। फिर भी, मैंने सोचा कि अगर मैं उनसे पढ़ लूँ, तो मेरे नंबर पक्के हैं।
उस दिन मैंने गुलाबी कुर्ती और लेगिंग्स पहनी थी। मेरे मम्मे कुर्ती में से साफ झलक रहे थे, और मेरा गोरा बदन उस चुस्त कपड़े में और चमक रहा था। मेरी चाल में एक अदा थी, और मेरे नितंब हर कदम पर लचक रहे थे। जब मैं राव सर के घर पहुँची, तो मैंने घंटी बजाई। सर बाहर निकले, और मैं दंग रह गई। उन्होंने सिर्फ एक रूआँसा अंडरवियर पहना था, जिसके नीचे उनका लंड और गोलियाँ साफ दिख रही थीं। उनका सीना चौड़ा था, और उस पर काले-सफेद घुंघराले बाल थे। मैंने एक पल के लिए उनका फूला हुआ लंड देखा, और मेरे दिमाग में बिजली सी कौंध गई। “हाय, ये तो कितना बड़ा होगा!” मैंने मन ही मन सोचा।
“एक सेकंड, बेटी,” सर ने कहा और जल्दी से अंदर जाकर शर्ट-पैंट पहन ली। फिर उन्होंने मुझे अंदर बुलाया और पढ़ाई शुरू कर दी। उस रात जब मैं अपने कमरे में लेटी, तो मेरे दिमाग में बार-बार सर का वो फूला हुआ लंड और उनकी गोलियाँ घूम रही थीं। मैं सोचने लगी कि सर की बीवी तो तमिलनाडु में रहती है, फिर वो अपनी इस गर्मी को कैसे शांत करते होंगे? आखिर वो भी मर्द हैं, उनका भी मन तो करता होगा किसी की चूत में अपना लंड पेलने का। ये सब सोचते-सोचते मेरी चूत गीली हो गई। मैंने अपनी पैंटी उतारी और राव सर को याद करके अपनी चूत में उंगली डाल दी। मैंने अपनी गुलाबी चूत को सहलाया, अपनी क्लिट को रगड़ा, और आहें भरते हुए झड़ गई।
इस तरह हमारी गुरु-चेली की पढ़ाई शुरू हो गई। सर मुझे बड़ी मेहनत से पढ़ाने लगे। एक दिन उन्होंने कहा, “आरोही बेटी, अगर तुम मेरे लिए एक प्याला चाय बना दिया करो, तो मैं तुमसे कोई फीस नहीं लूँगा।” मैं तो गरीब घर की लड़की थी, ये सुनकर मेरी खुशी का ठिकाना न रहा। मैं उनके लिए चाय बनाने लगी, और अपने लिए भी एक कप बना लेती। पढ़ाई के बाद हम दोनों साथ बैठकर चाय पीते और बातें करते।
एक दिन मैं सर के घर पर उनका इंतजार कर रही थी। उनका लैपटॉप ऑन था, और वो टॉयलेट गए हुए थे। मैंने लैपटॉप को छुआ तो देखा कि उसमें एक ब्लू फिल्म चल रही थी। एक गोरी लड़की की चूत में एक बड़ा सा लंड पेला जा रहा था, और वो आहें भर रही थी। मेरी चूत में भी खुजली शुरू हो गई। मैंने सोचा, सर तो टॉयलेट में हैं, क्यों न थोड़ा मजे कर लूँ? मैंने अपनी नीली स्कर्ट ऊपर की, अपनी पैंटी थोड़ी नीचे सरकाई, और अपनी चूत में उंगली डाल दी। मैं लैपटॉप की स्क्रीन देखते हुए अपनी क्लिट को रगड़ने लगी। मेरी साँसें तेज हो गईं, और मैं आँखें बंद करके मजे में खो गई।
अचानक मुझे एहसास हुआ कि कोई मुझे देख रहा है। मैंने आँखें खोलीं तो राव सर सामने खड़े थे, और उनकी आँखों में वासना की चमक थी। मेरा दिल धक-धक करने लगा। मैंने जल्दी से अपनी स्कर्ट ठीक की, लेकिन सर मेरे पास आ गए और मुझे अपनी बाहों में भर लिया।
“बेटी आरोही, अगर बुरा न मानो तो एक बात कहूँ?” सर ने धीमी आवाज में कहा।
मैंने शर्म से सिर झुका लिया और कहा, “बोलिए, सर।”
“आरोही, मैं तुमसे प्यार करने लगा हूँ,” उन्होंने कहा।
मैंने चौंककर उनकी ओर देखा, “पर सर, आप तो इतने बड़े हैं, और मैं इतनी छोटी…”
“तो क्या, मैं बूढ़ा हूँ, इसलिए तुम्हें पसंद नहीं?” सर ने थोड़ा गुस्से में कहा।
“नहीं सर, वो बात नहीं,” मेरे मुँह से निकल गया।
“तो क्या, तुम भी मुझे पसंद करती हो?” सर ने पूछा।
मैंने शर्माते हुए हल्का सा सिर हिलाया, “जी, सर।”
बस, फिर क्या था! राव सर ने मुझे अपनी मजबूत बाहों में जकड़ लिया और बेडरूम में ले गए। उन्होंने मुझे बिस्तर पर लिटाया और मेरे ऊपर झुक गए। उनकी गर्म साँसें मेरे चेहरे पर पड़ रही थीं। उन्होंने मेरे रसीले होंठों को चूमना शुरू किया, और मैं भी उनके जुनून में बह गई। उनके होंठ मेरे होंठों पर ऐसे टूट पड़े जैसे कोई भूखा शेर अपनी शिकार पर। मैंने भी कोई विरोध नहीं किया। कब से मैं उनके घुंघराले बालों वाले सीने को देखकर मुठ मारती थी, और आज वो मौका आ गया था जब उनका मोटा लंड मेरी चूत में घुसने वाला था।
सर ने मेरी सफेद चुस्त शर्ट के बटन खोल दिए। मेरी गोरी चमकती चूचियाँ अब सिर्फ सफेद कॉटन ब्रा में थीं। उनकी नजरें मेरे मम्मों पर टिक गईं, जैसे वो उन्हें निगल जाना चाहते हों। उन्होंने मेरी ब्रा का हुक खोला और उसे एक तरफ फेंक दिया। मेरी चूचियाँ अब पूरी तरह नंगी थीं—गोरी, गोल, और रसीली। मेरे निप्पल्स तनकर सख्त हो गए थे। सर की आँखों में एक पागलपन सा दिख रहा था। वो मेरे ऊपर चढ़ गए और मेरी एक चूची को अपने मुँह में ले लिया। उनकी गर्म जीभ मेरे निप्पल को चूस रही थी, और दूसरी चूची को वो अपने बड़े से पंजे से मसल रहे थे।
“आह… सर… धीरे…” मैंने कराहते हुए कहा, लेकिन वो रुके नहीं। उनकी जीभ मेरे निप्पल्स पर गोल-गोल घूम रही थी, और वो मेरी चूचियों को ऐसे चूस रहे थे जैसे कोई बच्चा अपनी माँ का दूध पीता है। मैं उनकी हरकतों से पागल हो रही थी। मेरी चूत में आग लगी थी, और मेरी पैंटी पूरी तरह गीली हो चुकी थी। सर का एक हाथ मेरी नीली स्कर्ट के नीचे गया, और उन्होंने मेरी लाल पैंटी को खींचकर उतार दिया। मेरी गोरी, गुलाबी चूत अब उनके सामने थी, जो गीली होकर चमक रही थी।
राव सर ने मेरी चूत को देखा तो उनकी साँसें और तेज हो गईं। वो मेरे पैरों के बीच झुक गए और अपनी जीभ मेरी चूत पर रख दी। हाय, ऐसा लगा जैसे बिजली का झटका लगा हो! उनकी गर्म जीभ मेरी चूत की फांकों को चाट रही थी, और वो मेरी क्लिट को ऐसे चूस रहे थे जैसे कोई रसीला आम खा रहा हो। मैं सिसकारियाँ ले रही थी, “आह… सर… ओह… कितना मजा आ रहा है…” मेरी आवाज में वासना भरी थी।
सर ने मेरी चूत को दो उंगलियों से फैलाया और अपनी जीभ को और गहराई तक ले गए। वो मेरी चूत के हर कोने को चाट रहे थे, मेरे पानी को पी रहे थे। उनकी जीभ मेरी क्लिट पर तेजी से घूम रही थी, और मैं अपने कूल्हे उछाल रही थी। “सर… और… और चाटो… हाय… मैं मर जाऊँगी…” मैं चीख रही थी। करीब 20 मिनट तक वो मेरी चूत को चूसते रहे, और मैं दो बार झड़ चुकी थी। मेरी चूत का पानी उनके मुँह पर लगा था, और वो उसे बड़े मजे से चाट रहे थे।
फिर सर उठे और अपना पैंट उतार दिया। उनका लंड बाहर निकला—8 इंच लंबा, मोटा, और नसों से भरा हुआ। उनकी गोलियाँ बड़ी-बड़ी थीं, जैसे दो नींबू लटक रहे हों। मैंने उसे देखकर साँस खींच ली। “हाय, सर… ये तो बहुत बड़ा है…” मैंने डरते हुए कहा।
“डरो मत, आरोही… आज तुझे जन्नत की सैर करवाऊँगा,” सर ने कहा और अपना लंड मेरी चूत के मुँह पर रख दिया। उन्होंने पहले हल्के से मेरी चूत पर अपने लंड से थपकी दी, जैसे कोई दरवाजा खटखटा रहा हो। फिर अचानक उन्होंने एक जोरदार धक्का मारा। उनका लंड मेरी चूत में 2 इंच तक घुस गया।
“आह… सर… दर्द हो रहा है…” मैं चीख पड़ी। मेरी चूत अभी तक कुंवारी थी, और इतने मोटे लंड को लेने के लिए तैयार नहीं थी। लेकिन सर रुके नहीं। उन्होंने मेरे दोनों हाथ पकड़ लिए और अपने भारी शरीर से मुझे दबा लिया। फिर एक और जोरदार धक्का मारा। इस बार उनका पूरा 8 इंच का लंड मेरी चूत में समा गया। मेरी चूत से खून की बूँदें टपकने लगीं, और मैं दर्द से तड़पने लगी।
“सर… निकाल लीजिए… बहुत दर्द हो रहा है…” मैंने रोते हुए कहा। लेकिन सर पर जैसे जुनून सवार था। उन्होंने मेरे मुँह पर अपना बड़ा सा पंजा रख दिया, ताकि मेरी चीखें दब जाएँ। फिर वो मुझे चोदने लगे। उनका मोटा लंड मेरी चूत में अंदर-बाहर हो रहा था, और हर धक्के के साथ मेरी चूत में आग सी लग रही थी। धीरे-धीरे दर्द कम हुआ, और मुझे मजा आने लगा। मैं भी अपने कूल्हे हिलाने लगी, ताकि उनका लंड और गहराई तक जाए।
“आह… सर… और जोर से… चोदो मुझे…” मैं अब पूरी तरह वासना में डूब चुकी थी। सर के धक्के और तेज हो गए। उनका लंड मेरी चूत की दीवारों को रगड़ रहा था, और हर धक्के के साथ मेरी चूत में एक नया सुख जाग रहा था। कमरे में सिर्फ मेरी सिसकारियाँ और उनकी हल्की-हल्की गुर्राहट की आवाजें गूँज रही थीं। सर ने मुझे करीब 40 मिनट तक चोदा। कभी वो मेरी चूचियों को मसलते, कभी मेरे होंठों को चूसते, और कभी मेरे नितंबों को थपथपाते।
आखिरकार, सर ने एक जोरदार धक्का मारा और मेरी चूत में ही झड़ गए। उनका गर्म-गर्म वीर्य मेरी चूत को भर रहा था, और मैं भी उसी वक्त तीसरी बार झड़ गई। हम दोनों हाँफ रहे थे, और हमारे बदन पसीने से भीगे हुए थे। सर मेरे ऊपर ही लेट गए, और उनकी गर्म साँसें मेरे कानों में पड़ रही थीं।
“आरोही, तू तो जन्नत की हूर है…” सर ने हाँफते हुए कहा।
मैंने शर्माते हुए उनकी ओर देखा और कहा, “सर, आपने तो मुझे आज औरत बना दिया…”
दोस्तों, उस दिन के बाद मेरी और राव सर की पढ़ाई में एक नया रंग चढ़ गया। मैं उनकी चेली थी, लेकिन अब उनकी रंडी भी बन चुकी थी। हर ट्यूशन में हम पढ़ाई कम और चुदाई ज्यादा करते थे। मेरी चूत अब उनके लंड की आदी हो चुकी थी, और मैं हर बार उनके धक्कों का इंतजार करती थी।