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सगे भाई से प्रेग्नेंट हुई एक नाजायज रिश्ते की सेक्स कहानी

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दोस्तों, जिंदगी में कई बार कुछ ऐसा हो जाता है, जो हमने कभी सपने में भी नहीं सोचा होता। हालात हमें ऐसे रास्ते पर ले जाते हैं, जहाँ समझौता करना पड़ता है, और कभी-कभी वो समझौता हमारी जिंदगी को हमेशा के लिए बदल देता है। मैं, संजना, आपकी नई दोस्त, आज अपनी एक ऐसी ही कहानी लेकर आई हूँ। ये कहानी शायद कुछ लोगों को गलत लगे, पर मेरे लिए ये नाजायज रिश्ता मेरी जिंदगी का सबसे हसीन और गहरा अनुभव बन गया। मैं 24 साल की हूँ, और तीन साल पहले मेरी शादी चंडीगढ़ के एक बड़े व्यापारिक परिवार में हुई थी। मेरे ससुराल में मेरे पति राजू, मेरे सास-ससुर रहते हैं। मैं एक गरीब परिवार से हूँ, और मेरी शादी इसलिए हुई क्योंकि राजू डिसेबल्ड हैं। उनका दिमाग कमजोर है, वो सुन्न से हैं, कुछ समझते ही नहीं। ऊपर से मेरी सास हर वक्त बच्चे की रट लगाए रहती थी, “अरे बहू, बच्चा दे दे! जल्दी से पोता-पोती दे!” अरे, भाई, बच्चा कहाँ से दूँ, जब तेरा बेटा मुझे चोद ही नहीं सकता!

मैं जवान हूँ, मेरी चूचियाँ 34D की, सख्त और तनी हुई, गाँड का उभार 36 इंच का, ऐसा कि सड़क पर चलूँ तो मर्दों के लंड अपने आप खड़े हो जाएँ। मेरे नैन-नक्श ऐसे कि किसी को भी घायल कर दें। ससुराल में जब मैं आई, तो सब कहते थे, “कहाँ बंदर के हाथ में परी आ गई!” मुझे सेक्स का गजब शौक है। तरह-तरह की पोजीशन में चुदवाना, चूत और गाँड मरवाना, मुझे सब बहुत पसंद है। शादी से पहले मैंने पड़ोस के एक भैया, विक्की, के साथ खूब मजे किए थे। वो मेरी चूत को ऐसे चोदते थे जैसे कोई जंग जीत रहा हो, और गाँड भी इतनी जोर से ठोकते थे कि मैं कई बार चीख पड़ी थी, “आह्ह… विक्की भैया, और जोर से! मेरी गाँड फाड़ दो!” पर शादी के बाद ये सब सपना बनकर रह गया।

शादी की रात को मेरा पलंग फूलों से सजा था। मैं लाल जोड़े में, घूँघट डाले, दुल्हन बनी बैठी थी। दिल में लड्डू फूट रहे थे कि आज रात जमकर चुदाई होगी। तीन महीने से मेरी चूत में आग लगी थी, मैं तो बस लंड के लिए तड़प रही थी। राजू आए, हकलाते हुए बोले, “स-स-संजना, त-त-तुम बहुत सुंदर हो।” मैंने सोचा, चलो, जैसा भी है, संपत्ति तो ढेर सारी है। मेरे और मेरे घरवालों ने तो सिर्फ इस परिवार की दौलत के लिए ही शादी की थी। मैंने सोचा, बस आज रात मुझे खूब चोद दे, और कुछ नहीं चाहिए। मैंने पहल की, अपना आँचल नीचे गिराया ताकि मेरी चूचियाँ दिखें। मेरा टाइट लाल ब्लाउज और ब्रा मेरी 34D की चूचियों को और उभार रहा था, जैसे वो बाहर निकलने को बेताब हों।

राजू का ध्यान गया। मैंने उन्हें गले लगाया, अपनी चूचियों को उनकी छाती से रगड़ दिया। “आह्ह… राजू जी, कितना अच्छा लग रहा है,” मैंने धीरे से कहा, उनकी गरम साँसें मेरे गले पर महसूस हो रही थीं। वो मेरी पीठ को सहलाते हुए मेरे गालों को चूमने लगे। मैंने और जोश दिखाया, ब्लाउज की ऊपर की दो हुक खोल दीं। मेरी चूचियों के बीच का गहरा दरार और गोरी-गोरी चूचियाँ आधी बाहर झाँक रही थीं। राजू के चेहरे पर हवस जागी, वो मेरी चूचियों को दबाने लगे। “उफ्फ… और जोर से दबाओ ना!” मैंने कहा, और ब्लाउज के सारे हुक खोल दिए। पीछे से ब्रा का हुक भी खोल डाला। राजू ने मेरा ब्लाउज और ब्रा उतार फेंका, मेरी 34D की चूचियाँ अब पूरी नंगी थीं। वो मेरे गोद में लेट गए, मेरी चूचियों को चूसने लगे। “आह्ह… उह्ह… राजू जी, और चूसो!” मैं कराह रही थी। वो मेरे निप्पल को दाँतों से हल्का-हल्का काट रहे थे। थोड़ा दर्द हो रहा था, पर मजा भी गजब आ रहा था।

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मैंने लाल पेटीकोट पहना हुआ था, वो उसे धीरे-धीरे ऊपर उठाने लगे। मेरी लाल पैंटी दिखी, जिसे उन्होंने धीरे-धीरे उतार दिया। मेरी चूत के काले झाँटों को देखकर वो पागल से हो गए। “स-स-संजना, तेरी चूत तो मस्त है!” वो बोले, और उंगलियाँ मेरी चूत के आसपास फेरने लगे। मेरी चूत गीली होने लगी। “उफ्फ… राजू जी, और करो!” मैंने कहा, पर वो बस उंगलियाँ घुमा रहे थे। फिर बोले, “चूत में उंगली डाल दूँ?” मैं तड़प रही थी, मन तो किया कि चिल्लाऊँ, “मादरचोद, उंगली नहीं, लंड चाहिए!” पर मैंने खुद को काबू किया। उन्होंने मेरी चूत में उंगली डालना शुरू किया। “आह्ह… उह्ह…” मेरी चूत पानी-पानी हो गई, मेरे दाँत आपस में बजने लगे। मुझे लंड चाहिए था, और वो बस उंगलियाँ घुमा रहे थे।

मैंने उन्हें अपने ऊपर खींचा, उनका पजामा और अंडरवियर उतार दिया। लंड देखकर मैं सन्न रह गई। पतला सा, छोटा सा, मेरी उंगली जितना, सिर्फ़ 3 इंच का! “हे भगवान, ये क्या किया मेरे साथ!” मैंने मन में सोचा। फिर भी, उन्होंने अपना लंड मेरी चूत पर रखा और घुसा दिया। मैंने कहा, “जी, चूत के अंदर घुसाओ ना!” वो बोले, “प-प-पूरा चला गया है!” दो मिनट में ही वो बाहर निकालकर बोले, “ह-ह-हो गया आज के लिए!” मैं जल-भुनकर राख हो गई। “ये क्या था? मर्द हो कि नहीं?” मैंने गुस्से में पूछा। वो बोले, “म-म-मर्द भी हूँ, औरत भी हूँ!” साला, ये तो पागल निकला। उसकी उम्र भी 35 के आसपास थी, अब मैं क्या करती?

मुझे संपत्ति पर नजर थी। मैंने सोचा, कुछ तो करना पड़ेगा। मैं उनके साथ खूब हिलमिलकर रहने लगी, उनका और सास-ससुर का ख्याल रखने लगी। सास हर दिन बच्चे की बात करती, “संजना, बच्चा कब देगी?” मैं मन ही मन सोचती, “तेरा बेटा तो लंड भी नहीं चला सकता, बच्चा कहाँ से आएगा?” एक साल बीत गया, सास-ससुर और राजू बच्चे की रट लगाने लगे। राजू को तो ये भी नहीं पता था कि वो मुझे चोद ही नहीं पाते। वो सोचते थे कि मैं बहुत संतुष्ट हूँ। मैंने कभी शिकायत नहीं की, इसीलिए सास-ससुर को भी लगता था कि मैं खुश हूँ।

एक साल बाद मैंने अपने भाई विनय को बुलाया। उसकी उम्र 26 साल थी, और उसकी शादी नहीं हुई थी। मुझे याद आया कि तीन साल पहले उसने कई बार मुझे चोदने की कोशिश की थी। एक रात जब मैं सो रही थी, उसने मेरे कमरे में आकर मेरे ब्लाउज के ऊपर से चूचियाँ दबाई थीं। मैं जाग गई थी और उसे डाँट दिया था। एक बार तो उसने कहा भी था, “संजना, मुझे चोदने दे, गाँड मारने दे!” पर तब मुझे घर में चूत मरवाना ठीक नहीं लगा, क्योंकि मैं पहले से विक्की के साथ चुद रही थी। मैंने विनय को बुलाया और सारी बात बताई। “भाई, मेरे साथ ये-ये प्रॉब्लम है। अगर मुझे बच्चा हो गया, तो मैं इस महल की मालकिन बन जाऊँगी। इतनी दौलत मेरी हो जाएगी। ये बूढ़ा-बुढ़िया तो पाँच-दस साल और, और मेरा पति? पागल है, कब भाग जाए, कब क्या हो जाए, कुछ पता नहीं!” मैंने उसे समझाया।

विनय समझ गया। उसकी आँखों में चमक आ गई। “संजना, तू फिकर न कर, मैं सब संभाल लूँगा।” उसने कहा। उसने प्लान बनाया कि हम शिमला जाएँगे और सास-ससुर को बता देंगे कि इलाज के लिए जा रहे हैं। “वहाँ एक डॉक्टर है, जो बच्चा होने की सौ प्रतिशत गारंटी देता है,” विनय ने सास-ससुर को कहा। उन्हें बहुत अच्छा लगा कि भाई अपनी बहन के लिए इतना कर रहा है।

शिमला में विनय ने होटल वालों से कहा कि हम हनीमून पर आए हैं। हनीमून पैकेज लिया गया। कमरा गुलाब के फूलों और मोमबत्तियों से सजा था। मैंने लाल साड़ी पहनी थी, दुल्हन की तरह सजी थी, मेरे बाल खुले थे, लाल लिपस्टिक लगाई थी। कमरे में घुसते ही विनय ने मुझे बाहों में भर लिया। “संजना, तू आज कितनी हॉट लग रही है!” उसने कहा, और मेरी साड़ी का पल्लू धीरे-धीरे खींचा। मेरी 34D की चूचियाँ मेरे टाइट लाल ब्लाउज में उभरी हुई थीं। उसने मेरे ब्लाउज के हुक एक-एक करके खोले। “उफ्फ… संजना, तेरी चूचियाँ तो मस्त हैं!” वो मेरी चूचियों को दबाने लगा। “आह्ह… भैया, और जोर से!” मैं अंगड़ाई लेने लगी। इतने दिन बाद किसी मर्द का हाथ लगा था, मेरी चूत में आग सी लग रही थी।

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उसने मेरी साड़ी पूरी उतार दी, अब मैं सिर्फ़ ब्लाउज और पेटीकोट में थी। वो मेरे रसीले होंठ चूसने लगा। “मम्म… संजना, तेरे होंठ तो रसभरी जैसे हैं!” उसने कहा, और अपनी जीभ मेरे गले से लेकर मेरी चूचियों तक घुमाई। “आह्ह… उह्ह… भैया, और करो!” मैं कराह रही थी। उसने मेरा ब्लाउज और ब्रा उतार दी, मेरी 34D की चूचियाँ नंगी हो गईं। वो मेरे निप्पल को चूसने लगा, दाँतों से हल्का-हल्का काट रहा था। “उफ्फ… भैया, कितना मजा आ रहा है!” मैं चिल्ला रही थी। उसने मेरा पेटीकोट ऊपर किया, मेरी काली पैंटी उतार दी। मेरी चूत के काले झाँटों को देखकर वो पागल हो गया। “संजना, तेरी चूत तो बिल्कुल रसीली है!” उसने कहा, और जीभ से मेरी चूत को चाटने लगा। “आह्ह… उह्ह… भैया, और चाटो! मेरी चूत फाड़ दो!” मैं पानी छोड़ने लगी। वो मेरे चूत का पानी चाटने लगा, फिर उंगलियाँ डालकर और पानी निकाला। “मम्म… ये तो अमृत है!” वो मेरे चूत के रस को पीने लगा।

उसने मुझे पलंग पर लिटाया, मेरे चूतड़ सहलाते हुए बोला, “संजना, घर में इतनी खूबसूरत परी थी, और मैं बुढ़िया को चोद रहा था!” मैंने चौंककर पूछा, “बुढ़िया?” वो हँसा, “हाँ, अपनी माँ!” मैंने कहा, “मादरचोद, तूने तो माँ को भी नहीं छोड़ा!” वो बोला, “करता भी क्या? तूने तो मना कर दिया था। फिर मैंने माँ को पटाया, और आज तक…” मैं समझ गई कि ये कितना हरामी है। मैंने कहा, “चल, अब बहनचोद भी बन जा!”

उसने मेरी चूत के पानी से भीगी उंगली मेरी 36 इंच की गाँड में घुसा दी। “उफ्फ… आह्ह… भैया, ये क्या कर रहे हो!” मैं चीख पड़ी। वो मेरी गाँड को जीभ से चाटने लगा। “आह्ह… उह्ह… भैया, और चाटो!” मैं बेचैन हो रही थी। “भैया, अब देर मत करो! मुझे लंड चाहिए!” मैं तीन बार झड़ चुकी थी। विनय ने अपना 7 इंच का मोटा लंड निकाला, मेरी चूत पर सेट किया और जोर से धक्का मारा। “आह्ह… उह्ह… भैया, कितना मोटा है! मेरी चूत फट जाएगी!” लंड मेरी बच्चेदानी तक जा टकराया। “पच-पच… थप-थप…” की आवाजें कमरे में गूँज रही थीं। वो मेरी 34D की चूचियों को मसलने लगा, मैं गाँड उठा-उठाकर चुदवाने लगी। “चोद भैया, और जोर से चोद! आह्ह… उफ्फ… मेरी चूत को रगड़ डाल!” मैं चिल्ला रही थी।

वो मुझे डॉगी स्टाइल में ले गया। मेरी गाँड में उसका 7 इंच का लंड घुसा। “उफ्फ… भैया, मेरी गाँड फाड़ दो!” मैं चीख रही थी। “थप-थप… फट-फट…” की आवाजें कमरे में गूँज रही थीं। उसने मेरी चूचियाँ पकड़कर जोर-जोर से धक्के मारे। “आह्ह… संजना, तेरी गाँड तो जन्नत है!” वो बोला। मैंने कहा, “भैया, और जोर से! मेरी चूत और गाँड दोनों फाड़ दो!” उसने मेरी गाँड पर थप्पड़ मारे, “चटाक-चटाक” की आवाज गूँजी। “आह्ह… भैया, और मारो! मेरी गाँड लाल कर दो!” मैं चिल्ला रही थी। उसने मेरी चूत में फिर से लंड डाला, “पच-पच… थप-थप…” की आवाजें तेज हो गईं। मैं बार-बार झड़ रही थी, “आह्ह… उह्ह… भैया, मेरी चूत में आग लगी है!” वो मेरी चूचियाँ चूसता, मेरे निप्पल काटता, और मैं हर धक्के के साथ पागल हो रही थी।

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उसने मुझे काउगर्ल पोजीशन में लिया। मैं उसके 7 इंच के लंड पर बैठ गई, मेरी चूचियाँ उछल रही थीं। “आह्ह… भैया, तेरा लंड मेरी बच्चेदानी को छू रहा है!” मैं चिल्ला रही थी। वो मेरी गाँड पकड़कर मुझे ऊपर-नीचे कर रहा था। “संजना, तू तो रंडी जैसी चुद रही है!” उसने कहा। मैं हँसी, “हाँ भैया, तेरी रंडी हूँ, और चोद!” मैंने अपनी चूचियाँ उसके मुँह में डाल दीं, वो उन्हें चूसने लगा। “मम्म… उह्ह… और चूसो!” मैं बार-बार झड़ रही थी। उसने मुझे मिशनरी पोजीशन में लिया, मेरी टाँगें ऊपर उठाईं और जोर-जोर से धक्के मारे। “पच-पच… थप-थप…” की आवाजें पूरे कमरे में गूँज रही थीं। “आह्ह… भैया, मेरी चूत फाड़ दो! और जोर से!” मैं चिल्ला रही थी। वो मेरे होंठ चूम रहा था, मेरी चूचियाँ मसल रहा था। “संजना, तू तो जन्नत की हूर है!” उसने कहा।

उस रात हमने घंटों चुदाई की। हर पोजीशन में—मिशनरी, डॉगी, काउगर्ल, स्पूनिंग। मैंने कहा, “भैया, मेरी गाँड फिर से मारो!” उसने मेरी गाँड में अपना लंड डाला, “उफ्फ… आह्ह… भैया, कितना टाइट है!” मैं चीख रही थी। “थप-थप… फट-फट…” की आवाजें गूँज रही थीं। मैं चार बार झड़ चुकी थी, पर विनय रुका नहीं। “संजना, तेरी चूत और गाँड दोनों मेरी हैं!” वो बोला, और मेरी चूचियाँ चूसने लगा। आखिर में उसने मेरी चूत में अपना माल छोड़ दिया। “आह्ह… भैया, कितना गरम है!” मैं कराह रही थी।

शिमला में हम आठ दिन रहे। दिन-रात बस चुदाई ही चुदाई। हर रात वो मेरी चूत और गाँड ठोकता। “आह्ह… भैया, तेरा लंड तो जादू है!” मैं कहती। मेरी चूचियाँ चूस-चूसकर लाल हो गईं, मेरी गाँड पर उसके थप्पड़ों के निशान पड़ गए। वापस आने के बाद मैंने सास को बताया कि मुझे कई हार्ड-हार्ड सुई लगी हैं, और डॉक्टर ने कहा है कि पाँच दिन तक पति के साथ रहना है। सास और राजू की खुशी का ठिकाना न रहा। रात में राजू मुझे चोदने की कोशिश करता, पर उसे लगता था कि वो मुझे चोद रहा है। मुझे पता था, इस चुदाई से कुछ नहीं होगा। अगले महीने मेरी माहवारी नहीं आई। मैं प्रेग्नेंट हो गई—पति से नहीं, अपने भाई विनय से।

घर में खुशी का माहौल हो गया। मुझे और ज्यादा प्यार मिलने लगा। नौ महीने बाद मैं अपने भाई के बेटे की माँ बन गई। ये नाजायज रिश्ता मेरी जिंदगी का सबसे हसीन तोहफा बन गया।

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