kamasutra chudai मेरा नाम गौरी है। मैं 22 साल की हूँ और कॉलेज में फाइनल ईयर की स्टूडेंट हूँ। मेरा भाई गोपाल इंडियन आर्मी में है। वो 25 साल का है, कद में लंबा, गोरा, और बॉडी ऐसी कि जिम में घंटों पसीना बहाने वाला बॉडी बिल्डर लगे। उसकी मस्कुलर बाहें और चौड़ा सीना देखकर कोई भी लड़की पलटकर देख ले। आज मैं जो कहानी आपको सुनाने जा रही हूँ, वो मेरे और मेरे भाई के बीच की है। ये बिल्कुल सच्ची घटना है, और मैं इसे इसलिए शेयर कर रही हूँ क्योंकि मैंने कई लोगों की कहानियाँ पढ़ी हैं और सोचा कि अपनी बात भी दुनिया के सामने रखूँ। मेरे लिए ये अनुभव जितना चौंकाने वाला था, उतना ही रोमांचक भी।
मैं ब्राह्मण परिवार से हूँ, तो गोरा रंग तो बनता ही है, लेकिन मैं कुछ ज़्यादा ही गोरी हूँ। मेरा फिगर 38-30-38 है, और मैं दिखने में इतनी मस्त हूँ कि सड़क पर चलते वक्त लोग पलटकर देखते हैं। मेरी भरी हुई चूचियाँ और हिलती हुई गाँड हर किसी का ध्यान खींच लेती है। जब मैं टाइट कपड़े पहनती हूँ, तो मेरी चूचियों का उभार और गाँड की गोलाई लोगों की आँखों में चुभती है। मेरे भाई गोपाल के बारे में तो मैं बता ही चुकी हूँ। वो आर्मी में है, और साल में एक-दो बार छुट्टियों पर घर आता है। जब वो आता है, तो मोहल्ले की लड़कियाँ हमारे घर के चक्कर लगाने लगती हैं। कुछ तो इतनी बेशर्म थीं कि मुझसे कहती थीं, “गौरी, अपने भाई से मेरी सेटिंग करा दे!” एक लड़की ने तो हद कर दी, बोली, “बस एक बार तेरा भाई मुझे अपने मोटे लंड से चोद दे, तो मैं दुनिया की सबसे खुशकिस्मत लड़की बन जाऊँगी!” मैं सुनकर हँस देती थी, लेकिन मेरे मन में गोपाल के लिए कभी ऐसे खयाल नहीं आए।
मुझे सेक्स में ज़्यादा दिलचस्पी नहीं थी, लेकिन लड़कों के साथ घूमना-फिरना, बातें करना, और उनके साथ मस्ती करना मुझे बहुत पसंद था। मेरा एक सपना था कि मैं किसी हैंडसम, बॉडी बिल्डर लड़के के साथ लॉन्ग ड्राइव पर जाऊँ, और लोग हमें देखकर जलें। लेकिन न तो मेरा कोई बॉयफ्रेंड था, न ही ऐसा कोई दोस्त जो मेरी ये ख्वाहिश पूरी कर सके। एक दिन मैंने अपने भाई से बोरियत की शिकायत की। मैंने कहा, “भैया, घर में बैठे-बैठे मन उब गया है। कहीं घूमने चलो न!” भाई ने मज़ाक में कहा, “अरे, अपने बॉयफ्रेंड के साथ चली जा!” हम दोनों में ऐसी मज़ाक चलता रहता था। मैंने हँसकर कहा, “भैया, मेरा कोई बॉयफ्रेंड नहीं है!” वो बोला, “तो बना ले, पगली!” उसने प्यार से मेरी तरफ देखा और वादा किया कि अगली बार छुट्टियों में वो मुझे कहीं घूमने ले जाएगा। मैं खुशी से उछल पड़ी और उसके आने का इंतज़ार करने लगी।
दो महीने बाद गोपाल छुट्टियों पर घर आया। उसे देखकर घर में सब खुश थे, लेकिन मैं तो बस उसे देखकर दंग रह गई। उसकी बॉडी अब और भी मज़बूत और आकर्षक हो गई थी, बिल्कुल जॉन अब्राहम जैसी। चौड़े कंधे, मस्कुलर बाहें, और सीना ऐसा कि टाइट टी-शर्ट में हर मसल साफ दिखता था। हम दोनों गले मिले, और उसने मुझे एक प्यारा सा गिफ्ट भी दिया—एक सिल्क का स्कार्फ। रात को खाना खाने के बाद सब अपने-अपने कमरे में चले गए। मैं गोपाल के कमरे में जाने लगी, बस यूं ही उससे गप्पे मारने। रात के करीब 10 बजे थे। जैसे ही मैं उसके कमरे के दरवाजे के पास पहुँची, देखा कि दरवाजा हल्का सा खुला था। अंदर गोपाल कपड़े बदल रहा था और फोन पर किसी से बात कर रहा था।
वो बोला, “यार, अभी तो मैं यहाँ एक दिन भी नहीं बिता पाया, और बोर हो गया। घर में अब मज़ा नहीं आता।” फिर उसने कुछ सुना और हँसते हुए बोला, “अरे, चूत तो यहाँ भी मिल जाएगी, लेकिन तुम लोगों के साथ ग्रुप में चोदने का मज़ा ही अलग है!” मैं ये सुनकर सन्न रह गई। मेरा भाई? आर्मी कैंप में अपने दोस्तों के साथ मिलकर औरतों को चोदता है? मेरे दिमाग में हलचल मच गई, और साथ ही एक अजीब सी गुदगुदी भी होने लगी। तभी उसने अपना अंडरवेयर उतारा और कमर में तौलिया लपेटकर बाथरूम की ओर चला गया। ओह माय गॉड! उसका लंड! इतना मोटा, लंबा, और सख्त! मैंने पहले कभी इतना बड़ा औज़ार नहीं देखा था। डर और उत्तेजना के मारे मेरी साँसें तेज़ हो गईं। मैं तुरंत अपने कमरे में भाग आई और सारी रात उस नज़ारे को भूल नहीं पाई। मेरे दिमाग में बार-बार वही मोटा, लंबा लंड घूम रहा था। सुबह होते-होते मुझे नींद आ गई।
सुबह जब मैं उठी, तो गोपाल मेरे बेड के पास बैठा था। उसने कहा, “मम्मी-पापा कहीं जा रहे हैं, जाकर मिल ले।” मैं बाहर गई तो देखा मम्मी-पापा कार में बैठ चुके थे। पूछने पर पता चला कि मम्मी की आँखों का ऑपरेशन है, और वो दिल्ली जा रहे हैं। शायद एक-दो हफ्ते बाद लौटेंगे। उन्होंने कहा, “गोपाल तुम्हारा ख्याल रखेगा।” पहले तो मुझे गुस्सा आया कि मम्मी-पापा मुझे अकेले छोड़कर जा रहे हैं, लेकिन फिर कल रात की बात याद आई, और मेरे मन में एक अजीब सी खुशी दौड़ गई। उस वक्त मैं खुद नहीं समझ पाई थी कि गोपाल का लंड मेरे दिलो-दिमाग पर छा गया था।
मम्मी-पापा के जाने के बाद मैं नहाने चली गई। नहाते वक्त मेरे मन में बार-बार गोपाल का नंगा शरीर घूम रहा था। मैंने एक पतली सी नाइटी पहनी, जिसके नीचे सिर्फ़ पैंटी थी। ब्रा मैंने जानबूझकर नहीं पहनी। फिर मैंने नाश्ता बनाया—आलू के पराठे और चाय। हम दोनों डाइनिंग टेबल पर बैठकर नाश्ता करने लगे। मैंने बात शुरू की, “भैया, मम्मी-पापा तो चले गए। अब तुम मुझे घूमने कब ले जाओगे?” वो हँसा और बोला, “अरे, बस हम दोनों को ही तो जाना है न? चले जाएँगे। मैं कल ही आया हूँ, थोड़ा रेस्ट कर लूँ।” मैंने मज़ाक में कहा, “क्या भैया, यहाँ तुम्हारा मन नहीं लग रहा?” वो बोला, “अरे, अपने घर में किसका मन नहीं लगता, पगली?” मैंने चुटकी लेते हुए कहा, “यहाँ तुम्हारे दोस्त तो नहीं हैं न, इसलिए पूछा।”
वो मेरी बात सुनकर हँस पड़ा और बोला, “तू है न, मेरी प्यारी सी दोस्त!” मैंने मौका देखकर पूछा, “वैसे भैया, मोहल्ले की आधी लड़कियाँ तुमसे दोस्ती करना चाहती हैं। तुम किसी को अपनी गर्लफ्रेंड क्यों नहीं बना लेते? शादी भी हो जाएगी, और मुझे भाभी भी मिल जाएगी!” वो बोला, “इस मोहल्ले की कोई लड़की मुझे पसंद नहीं। कोई काली है, कोई मोटी है, किसी की नाक टेढ़ी है। मेरी पसंद वैसी नहीं है।” मैंने सेक्सी अंदाज़ में पूछा, “तो तुम्हारी पसंद कैसी है, मेरे प्यारे भैया?” वो हँसते हुए बोला, “तुझ जैसी!” उसकी बात सुनकर मैं थोड़ा सहम गई, लेकिन फिर मज़ाक में ले लिया। मैंने पूछा, “मुझमें ऐसा क्या है जो उन लड़कियों में नहीं?” वो बोला, “तू मेरी बहन है, तुझसे ऐसी बातें नहीं कर सकता। अगर मेरी गर्लफ्रेंड होती, तो बता देता। जा, अपने बॉयफ्रेंड से पूछ कि लड़कों को लड़कियों में क्या पसंद आता है!” मैंने हँसकर कहा, “मैं जानती हूँ भैया, तुम्हें क्या पसंद है। और मैं तुम्हारे लिए वैसी लड़की ढूंढूँगी!” ये कहकर मैं अपने रूम में चली गई।
थोड़ी देर बाद जब मैं डाइनिंग रूम में वापस आई, तो गोपाल वहाँ नहीं था। मैं सीधे उसके रूम की ओर गई। दरवाजा बंद था, लेकिन कीहोल से अंदर का नज़ारा साफ दिख रहा था। मैंने देखा तो दंग रह गई—गोपाल मेरी पैंटी के साथ खेल रहा था! कभी उसे नाक से सूँघ रहा था, कभी अपने लंड पर लपेट रहा था। उसका लंड फिर से खड़ा था, और इस बार और भी साफ दिख रहा था—लगभग 8 इंच लंबा, मोटा, और नसों से भरा हुआ। मैं समझ गई कि मेरा भाई पूरा सेक्स का भूखा है, और शायद मुझे ही निशाना बनाना चाहता है। मेरे मन में डर और उत्तेजना दोनों थे। तभी मुझे एक आइडिया आया। मैंने बाहर से ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाना शुरू किया, “आह! आह! भैया, मेरा पेट दुख रहा है!”
गोपाल तुरंत बाहर दौड़ा आया और बोला, “क्या हुआ, गौरी? क्या बात है?” मैंने दर्द का नाटक करते हुए कहा, “भैया, मेरा पेट बहुत दुख रहा है। ऐसा अक्सर होता है। मम्मी गरम सरसों का तेल मल देती हैं, तो ठीक हो जाता है।” वो बोला, “चल, डॉक्टर के पास चलते हैं।” मैंने मना किया, “नहीं भैया, डॉक्टर की ज़रूरत नहीं। बस तेल मल दो।” वो बोला, “ठीक है, मैं तेल गर्म करके लाता हूँ।” जब वो रसोई में गया, मैंने जल्दी से अपनी नाइटी बदली। मैंने एक और पतली, पारदर्शी नाइटी पहनी, जिसके नीचे सिर्फ़ पैंटी थी। ब्रा तो मैंने पहले ही नहीं पहनी थी। मैं बेड पर लेट गई और इंतज़ार करने लगी।
गोपाल गरम तेल का कटोरा लेकर आया। वो बोला, “अरे, नाइटी में कैसे तेल लगाऊँ?” मैंने शरमाते हुए कहा, “भैया, तुम इधर मुँह घुमा लो, मैं नाइटी ऊपर कर देती हूँ।” उसने मुँह फेर लिया, और मैंने नाइटी को अपनी कमर तक ऊपर कर लिया। अपनी पैंटी के ऊपर एक छोटा सा तौलिया रख दिया, ताकि वो मेरी चूत को सीधे न देख ले। फिर मैंने कहा, “लगाओ भैया!” और आह-आह का नाटक शुरू कर दिया। मेरे चौड़े पेट और मोटी-मोटी जाँघें देखकर गोपाल की आँखें चमकने लगीं। उसने गरम तेल लिया और मेरे पेट पर मलना शुरू किया। जैसे ही उसका हाथ मेरे पेट को छुआ, मेरे शरीर में करंट सा दौड़ गया। “आउच!” मैंने हल्का सा चिल्लाया। मेरे रोंगटे खड़े हो गए, और मेरी चूचियाँ टाइट होने लगीं।
गोपाल का लंड भी उसके पजामे में साफ तन गया था। वो धीरे-धीरे मेरे पेट पर तेल मल रहा था, और उसकी उंगलियाँ बार-बार मेरी चूचियों के पास जा रही थीं। एक बार उसकी उंगली मेरी चूच को छू गई। मैं शरमा गई, लेकिन कुछ बोली नहीं। वो बार-बार मेरी चूचियों को “गलती से” छूने लगा। मैंने सोने का नाटक शुरू कर दिया, लेकिन मेरी साँसें तेज़ थीं। फिर उसने हिम्मत करके मेरी चूचियों को दोनों हाथों से पकड़ लिया और तेल मलने लगा। मेरी 38 साइज़ की चूचियाँ उसके बड़े-बड़े हाथों में मसल रही थीं। मेरी निप्पल्स सख्त हो चुकी थीं, और मेरी चूत गीली होने लगी थी। उसने मेरी पैंटी के नीचे हाथ डाला और मेरी चूत के आसपास तेल मलने लगा। मैंने अचानक आँखें खोल दीं और बोली, “भैया, ये क्या कर रहे हो?”
वो शांत रहा, अपनी एक उंगली मेरे होंठों पर रखी और बोला, “श्ह्ह्ह!” मैं चुप हो गई। उसने धीरे से मेरी पैंटी नीचे खींच दी। मेरी गीली चूत अब पूरी तरह नंगी थी। उसने मेरी नाइटी भी पूरी तरह उतार दी। अब मैं बेड पर पूरी नंगी थी। गोपाल ने अपना पजामा और अंडरवेयर उतारा, और उसका 8 इंच का मोटा लंड मेरे सामने लहरा रहा था। वो मेरे पास लेट गया और मेरी चूत को चाटने लगा। उसकी जीभ मेरी चूत के होंठों को चूस रही थी, और मैं “आह… ऊह…” करके सिसक रही थी। उसने मेरी चूचियों को ज़ोर-ज़ोर से मसलना शुरू किया। मेरी चूत अब इतनी गीली थी कि बेडशीट पर दाग पड़ने लगा। मैंने हॉर्नी होकर कहा, “भैया, अब देर मत करो!”
उसने अपना लंड मेरी चूत के मुँह पर रखा। उसका सुपाड़ा मेरी चूत के होंठों को छू रहा था। मैं डर रही थी, लेकिन उत्तेजना इतनी थी कि मैंने खुद अपनी टाँगें और चौड़ी कर दीं। उसने एक ज़ोरदार धक्का मारा, और उसका पूरा लंड मेरी चूत में समा गया। “आआह्ह!” मैं दर्द से चीख पड़ी। मेरी चूत टाइट थी, और उसका मोटा लंड मुझे फाड़ता हुआ सा लगा। वो धीरे-धीरे धक्के मारने लगा। “चटाक… चटाक…” की आवाज़ कमरे में गूँज रही थी। मैं “आह… ऊह… भैया… धीरे…” कर रही थी, लेकिन वो रुकने वाला नहीं था। उसने मेरी चूचियों को मुँह में लिया और चूसने लगा। मेरी निप्पल्स को वो दाँतों से हल्का सा काट रहा था, और मैं “आआह… ऊऊह…” करके सिसक रही थी।
फिर उसने लैपटॉप ऑन किया और कामसूत्र का वीडियो चला दिया। स्क्रीन पर एक के बाद एक सेक्स पोजीशन दिख रहे थे। गोपाल ने मुझे बेड पर घोड़ी बनाया और पीछे से मेरी चूत में लंड डाल दिया। “पच… पच…” की आवाज़ के साथ वो ज़ोर-ज़ोर से धक्के मार रहा था। मैं “आह… भैया… और ज़ोर से…” चिल्ला रही थी। उसने मेरी गाँड पर थप्पड़ मारे, और मेरी गाँड लाल हो गई। फिर उसने मुझे बेड पर लिटाया और मेरी टाँगें अपने कंधों पर रखीं। इस बार उसका लंड मेरी चूत की गहराई तक जा रहा था। “आआह… ऊऊह… भैया… चोदो मुझे…” मैं बेकाबू हो रही थी।
उसने मुझे कई पोजीशन में चोदा—मिशनरी, डॉगी, 69, और भी न जाने कितने। हर धक्के के साथ मेरी चूत से पानी टपक रहा था। “चट… चट… फच… फच…” की आवाज़ पूरे कमरे में गूँज रही थी। मैं बार-बार झड़ रही थी, और गोपाल का लंड अभी भी सख्त था। आखिर में उसने अपना लंड निकाला और मेरी चूचियों पर अपना गर्म माल छोड़ दिया। मैं थककर चूर हो चुकी थी, लेकिन इतना मज़ा आया कि मैं बता नहीं सकती।
आपको मेरी कहानी कैसी लगी, ज़रूर बताएँ। अगर कोई मेरी इस प्यास को बुझाना चाहता है, तो कमेंट करें। मैं फोन सेक्स के लिए तैयार हूँ।