Sexy bhabhi ki chudai sex story: नमस्ते दोस्तों, मेरा नाम राहुल है, और मैं उत्तर प्रदेश का रहने वाला हूँ। 21 साल का गबरू जवान, लंबा-चौड़ा कद, चौड़ी छाती और मजबूत बाजुओं वाला हूँ। रोज़ाना एक्सरसाइज और योग मेरी जिंदगी का हिस्सा हैं, जिससे मेरा शरीर फिट और चेहरा चमकदार रहता है। बारहवीं अच्छे नंबरों से पास करने के बाद मैं मेडिकल की तैयारी के लिए कोटा आ गया। यहाँ मैंने एक नामी कोचिंग संस्थान में दाखिला लिया और जवाहर नगर में एक पीजी में कमरा ले लिया। कमरा साफ-सुथरा था, और माहौल पढ़ाई के लिए एकदम सही। मैं रोज़ समय पर क्लास अटेंड करता, नोट्स बनाता और अपने सपनों को पूरा करने की जिद में जुटा रहता।
मेरा पीजी एक दो मंजिला मकान में था, और मकान मालिक की बीवी, जिन्हें मैं भाभी बुलाता था, एकदम परी जैसी थीं। उनका गोरा रंग, करीना कपूर जैसी काया, 34बी की भरी हुई चुचियाँ, 26 इंच की पतली कमर और 35 इंच की उभरी हुई गाँड—उनकी एक झलक ही मेरे दिल में आग लगा देती थी। उनकी स्माइल में एक अजीब सी कशिश थी, जो मुझे बेकाबू कर देती। मैं रात को छत पर योग करता, और अक्सर भाभी को याद करके मुठ मारता। उनकी चूचियों को पानी की बूंदों से भीगते हुए, उनकी चूत की फलकों को चमकते हुए सोचकर मेरा लंड तन जाता। मैं कल्पना करता कि भैया, जो मेडिकल रिप्रजेंटेटिव थे और दिनभर बाहर रहते, रात को भाभी की चूत को चूस रहे होंगे, उसकी फलकों को सहला रहे होंगे। भाभी की सिसकारियाँ, उनकी उंगलियाँ भैया के बालों में, ये सब सोचकर मैं खुद को शांत करता। लेकिन मेरे पास मुठ मारने के सिवा और कोई चारा नहीं था।
जिंदगी ऐसे ही चल रही थी। मैं सुबह योग करता, क्लास जाता, और रात को भाभी के ख्यालों में डूब जाता। भाभी से मेरी बातचीत कम ही होती थी। कभी-कभार उनकी स्माइल मिल जाती, और मैं उसी में खुश हो लेता। उनकी आँखों में एक शरारत सी झलकती थी, जो मुझे और बेचैन कर देती। मैं चोरी-छुपे उन्हें देखता, उनकी चाल, उनके कूल्हों का लचकना, उनकी चुचियों का हल्का सा उछलना—सब कुछ मेरे दिमाग में बस जाता।
एक सुबह मैं छत पर योग कर रहा था। सूरज की हल्की रोशनी में मैं सूर्य नमस्कार कर रहा था, तभी भाभी कपड़े सुखाने आईं। उनकी साड़ी का पल्लू हल्का सा सरका हुआ था, और उनकी गोरी कमर की एक झलक दिख रही थी। मैंने जल्दी से अपनी नजरें हटाईं और जाने लगा। तभी भाभी की आवाज़ आई, “अरे राहुल, कहाँ भाग रहे हो? मैं तुम्हें खा थोड़ी जाऊँगी!” उनकी आवाज़ में हल्की सी हँसी थी, जो मेरे दिल को छू गई। मैं रुक गया, थोड़ा झेंपते हुए बोला, “सॉरी भाभी, बस ऐसे ही…”
“अरे, ऐसे क्यों शरमाते हो? आओ, थोड़ा बात करते हैं,” भाभी ने कहा और कपड़े सुखाते हुए मेरे पास आ गईं। उनकी साड़ी का आँचल हवा में लहरा रहा था, और उनकी चुचियाँ साड़ी के नीचे हल्का सा उभर रही थीं। हमारी बात शुरू हुई। भाभी ने मेरी पढ़ाई, मेरे गाँव, मेरी आदतों के बारे में पूछा। मैंने भी हिम्मत करके उनसे उनके बारे में पूछा। पता चला कि भाभी का नाम रीना है, और वो 28 साल की हैं। उनकी शादी को चार साल हो चुके थे, लेकिन बच्चे नहीं थे। उनकी आवाज़ में एक हल्की सी उदासी थी, जो मुझे महसूस हुई।
धीरे-धीरे हमारी बातें बढ़ने लगीं। हर सुबह छत पर मुलाकात होती। कभी वो मेरे योग की तारीफ करतीं, तो कभी मैं उनकी साड़ी की। एक दिन वो हँसते हुए बोलीं, “राहुल, तुम्हारा ये योग वाला स्टाइल देखकर तो कोई भी लड़की फिसल जाए!” मैं हँस पड़ा, लेकिन मेरे दिल में आग लग गई। भाभी की शरारती बातें, उनकी चुलबुली हँसी, सब कुछ मुझे उनकी तरफ खींच रहा था। लेकिन मैं डरता था। भैया को अगर कुछ पता चला तो? फिर भी, भाभी की एक झलक के लिए मैं तरसता रहता।
एक शनिवार की बात है। अगले दिन रविवार को मेरा क्लास टेस्ट था, तो कोचिंग की छुट्टी थी। मैं दिनभर पढ़ाई करके थक गया था और दोपहर को अपने कमरे में सो रहा था। मेरा कमरा हमेशा खुला रहता था, क्योंकि मुझे बंद कमरों में घुटन होती थी। अचानक मुझे कुछ खटपट की आवाज़ सुनाई दी। मैंने आँखें खोलीं तो देखा भाभी मेरे कमरे में खड़ी थीं। उनकी साँसें तेज़ थीं, और उनकी चुचियाँ ब्लाउज़ में ऊपर-नीचे हो रही थीं। वो लाल साड़ी में थीं, और उनका चेहरा हल्का सा लाल था, जैसे वो भागकर आई हों। मैं कुछ समझ पाता, इससे पहले भाभी ने दरवाज़ा बंद किया और मेरे पास आ गईं।
“राहुल…” उनकी आवाज़ में एक अजीब सी बेचैनी थी। मैं बिस्तर पर उठकर बैठ गया, लेकिन इससे पहले कि मैं कुछ कह पाता, भाभी ने मेरे चेहरे को अपने हाथों में लिया और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए। उनकी गर्म साँसें मेरे चेहरे पर टकराईं, और मेरे पूरे शरीर में करंट सा दौड़ गया। मैं स्तब्ध था, लेकिन भाभी की जीभ मेरे होंठों को चूस रही थी। मैंने भी हिम्मत करके उनके होंठों को चूमा। हमारी जीभें एक-दूसरे से उलझ गईं। उनका मुँह गर्म था, और हमारी लार एक-दूसरे में मिल रही थी। मैंने उनकी कमर को पकड़ा, और उनकी साड़ी का पल्लू सरक गया। उनकी चुचियाँ ब्लाउज़ में कैद थीं, लेकिन उनके उभार मेरे सीने से टकरा रहे थे।
“भाभी… ये… ये क्या…” मैंने हाँफते हुए कहा, लेकिन भाभी ने मेरी बात काट दी। “चुप रहो, राहुल… बस… मुझे चाहिए तुम…” उनकी आवाज़ में एक भूख थी, जो मुझे और उत्तेजित कर रही थी। हम फिर से चूमने लगे। मैंने उनकी साड़ी को धीरे-धीरे खींचा, और वो फर्श पर गिर गई। भाभी सिर्फ़ ब्लाउज़ और पेटीकोट में थीं। उनकी गोरी कमर, उनके गहरे नाभि के गड्ढे ने मुझे पागल कर दिया। मैंने उनका ब्लाउज़ खोला, और उनकी चुचियाँ ब्रा से आज़ाद हो गईं। उनकी गुलाबी निप्पल्स सख्त हो चुकी थीं। मैंने एक निप्पल को मुँह में लिया और चूसने लगा। “आह्ह… राहुल… और ज़ोर से…” भाभी सिसकारीं। उनकी आवाज़ में एक मस्ती थी, जो मेरे लंड को और सख्त कर रही थी।
मैंने उनकी ब्रा और पेटीकोट भी उतार दिया। भाभी पूरी नंगी मेरे सामने थीं। उनकी चूत बिना बालों की थी, और उसकी फलकें हल्की सी गुलाबी थीं। मैंने उनकी चूत को छुआ, तो वो मछली की तरह उछल पड़ीं। “राहुल… आह… छू ले… इसे चाट…” भाभी की आवाज़ में एक मादकता थी। मैंने उनकी टाँगें फैलाईं और उनकी चूत पर अपनी जीभ रख दी। उनकी चूत से एक हल्की सी खट्टी-मीठी खुशबू आ रही थी। मैंने उनकी फलकों को चाटना शुरू किया। “उउउ… आह्ह… राहुल… हाय…” भाभी की सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं। मैंने उनकी क्लिट को जीभ से सहलाया, और वो पागल सी हो गईं। “हाय… चूस ले… मेरी चूत को… आह्ह…” भाभी की चूत से रस टपकने लगा। मैंने हर बूँद को चाट लिया। उनकी चूत का स्वाद मुझे दीवाना बना रहा था।
करीब 15 मिनट तक मैं उनकी चूत चाटता रहा। फिर भाभी ने मुझे बेड पर लिटाया और मेरी जींस उतार दी। मेरा 6 इंच का लंड तनकर खड़ा था। भाभी ने उसे अपने हाथों में लिया और हल्के से सहलाया। “राहुल… कितना मोटा है तेरा लंड…” वो शरारती अंदाज़ में बोलीं और मेरे लंड को मुँह में ले लिया। उनकी गर्म जीभ मेरे लंड के सुपारे को चाट रही थी। “आह्ह… भाभी… हाय…” मैं सिसकारी। भाभी ने मेरे लंड को पूरा मुँह में लिया और चूसने लगीं। उनकी जीभ मेरे लंड की नसों को सहला रही थी, और मैं सातवें आसमान पर था।
“भाभी… अब… अब डाल दूँ?” मैंने हाँफते हुए पूछा। भाभी ने अपनी टाँगें और फैलाईं और बोलीं, “हाँ राहुल… चोद दे मुझे… मेरी चूत को फाड़ दे…” मैंने अपनी लार से उनके चूत को और गीला किया और अपने लंड को उनकी चूत के मुहाने पर रखा। एक धक्का मारा, और मेरा लंड उनकी चूत की गहराइयों में समा गया। “आह्ह… हाय… राहुल… कितना गहरा गया…” भाभी की सिसकारी ने मुझे और जोश दिलाया। मैंने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। “पच… पच…” की आवाज़ कमरे में गूँज रही थी। भाभी की चुचियाँ मेरे हर धक्के के साथ उछल रही थीं। मैंने उनकी एक चूची को मुँह में लिया और चूसने लगा। “आह्ह… राहुल… चूस ले… मेरी चूचियों को… हाय…” भाभी की सिसकारियाँ मुझे और उत्तेजित कर रही थीं।
करीब 10 मिनट तक मैंने उन्हें मिशनरी पोज़ में चोदा। फिर भाभी ने मुझे नीचे लिटाया और मेरे लंड पर बैठ गईं। “अब देख… तेरे लंड की सवारी…” भाभी ने शरारती अंदाज़ में कहा और मेरे लंड पर ऊपर-नीचे होने लगीं। उनकी चूत मेरे लंड को जकड़ रही थी। “आह्ह… भाभी… कितनी टाइट है…” मैं सिसकारी। भाभी की चूत से हल्का सा खून निकलने लगा, शायद उनकी चूत की दीवारें मेरे मोटे लंड से रगड़ खा रही थीं। “राहुल… चोद… और ज़ोर से…” भाभी चिल्लाईं। मैंने उनकी कमर पकड़ी और नीचे से धक्के मारने शुरू किए। “पच… पच… पच…” की आवाज़ तेज़ हो गई।
हमने फिर पोज़ बदला। मैंने भाभी को घोड़ी बनाया। उनकी गोल गाँड मेरे सामने थी। मैंने उनकी चूत में पीछे से लंड डाला और धक्के मारने लगा। “आह्ह… राहुल… मेरी गाँड को थपथप… हाय…” भाभी की आवाज़ में मस्ती थी। मैंने उनकी गाँड पर हल्के से थप्पड़ मारा, और वो और जोश में आ गईं। “हाय… चोद… मेरी चूत को… फाड़ दे…” मैंने अपनी रफ्तार बढ़ा दी। उनकी चूत का रस मेरे लंड को भिगो रहा था।
करीब 20 मिनट की चुदाई के बाद मैंने भाभी की चूत में ही अपने वीर्य की धार छोड़ दी। “आह्ह… राहुल… गर्म है तेरा माल…” भाभी सिसकारीं। हम दोनों हाँफ रहे थे। मैंने भाभी को अपनी बाहों में लिया और उनकी चुचियों को सहलाने लगा। लेकिन तभी मेरे लंड में तेज़ दर्द हुआ। मैंने देखा कि मेरा अंडरवियर गीला था। मेरे लंड की चमड़ी फट गई थी, और हल्का सा खून निकल रहा था। मैंने जल्दी से उसे डेटॉल से धोया और मेडिकल स्टोर से दर्द की दवा ली।
इसके बाद मैं और भाभी काफ़ी करीब आ गए। जब भी मौका मिलता, मैं उनकी चुचियों को दबा देता, और वो मेरे लंड को हल्के से सहला देतीं। उनकी शरारती स्माइल मुझे पागल कर देती थी। लेकिन एक दिन भैया ने हमें देख लिया। वो गुस्से में थे। उन्होंने मुझसे कहा, “राहुल, तुम कहीं और कमरा ढूँढ लो। मैं रीना से बहुत प्यार करता हूँ।” मैं समझ गया कि मैं गलत कर रहा था। मैंने बिना कुछ कहे जवाहर नगर में दो गली छोड़कर दूसरा पीजी ले लिया।
ये थी मेरी जिंदगी की पहली चुदाई की कहानी। उम्मीद है आपको पसंद आई होगी। आपने ऐसी चुदाई का मज़ा लिया है? अपनी राय ज़रूर बताएँ।