Gay Sex Story :लड़की बने लड़के की गांड चुदाई

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Gay Sex Story:

नमस्कार, मैं आपका दोस्त मोहित हूँ. मैं बरेली में रहता हूँ अभी मेरी उम्र 25 साल है. मेरे पापा एक गवर्मेन्ट ऑफिसर हैं और माँ एक हाउसवाइफ हैं।

वैसे तो मैं एक लड़का हूँ लेकिन मुझे लड़कियों के कपड़े पहनना, मेकअप करना बहुत अच्छा लगता है। मेरा वजन अठावन किलोग्राम है, रंग गोरा, शरीर पर सिर्फ टाँगों पर बाल हैं और मैं थोड़ा सा स्लिम दिखता हूँ।

पहले मुझे लड़कियों के कपड़े पहनने में कोई इंटरेस्ट नहीं था। ये सब तब शुरू हुआ जब मैंने पॉर्न मूवी देखना शुरू कीं, मैं रोज पॉर्न मूवी देखने लगा। ऐसे ही एक दिन मैं अलग अलग तरह के वीडियो देख रहा था, तभी मेरी नजर क्रोस-ड्रेसर वाले कॉलम पर पड़ी, मैं उसे देखने लगा, मुझे उस दिन उन वीडियो को देखकर मुठ मारने में बहुत मजा आया।

इसके बाद मेरी जिंदगी ही बदल गयी। अब मेरा मन लड़कियों के कपड़े पहनने को करने लगा। मेरे पास लड़कियों के कपड़े तो थे नहीं, माँ के कपड़े मैं लेता तो उनको पता लग जाता इसलिए मैंने उन कपडों को हाथ भी नहीं लगाया।

तब एक दिन जब घर पर कोई नहीं था, मैं बाजार से ब्रा पैंटी खरीदने गया, लेकिन मेरी हिम्मत नहीं हो पा रही थी।
मैं जैसे तैसे दुकानदार के पास गया और उससे बोला- मुझे ब्रा पैंटी चाहिए!
वो बोला- किस साइज की दूँ?
मुझे कोई आईडिया नहीं था, तो मैंने उससे बोला 30 की ब्रा और 28 की पैंटी दे दो।
मैं उसे लेकर घर आ गया।

अब यहीं से मेरे क्रोस-ड्रेसर बनने की कहानी शुरू होती है। अब मैं लड़की बनने की राह पर चल पड़ा था। अब मैं पूरी कहानी लड़की बनकर ही लिखूँगा।

मैं अपने सारे कपड़े उतार कर नँगी हो गयी थी। मैंने पैंटी तो आराम से पहन ली, जैसे ही मैंने पैंटी पहनी, एक अजीब सी सनसनी मेरी नसों में दौड़ गयी। मेरा लंड खड़ा हो गया था। अब बारी ब्रा पहनने की थी वो मुझे पहननी नहीं आती थी। तो मैंने उससे यूट्यूब पर वीडियो देख कर पहना, जैसे ही मैंने उसे पहना, मुझे लगा जैसे कि कोई लड़की मेरे अन्दर आ गईं हो। उसे पहनकर मैंने मूठ मारी लेकिन मुझे कोई मजा नहीं आया।

मुझे ऐसा लग रहा था कि कोई मेरी गांड में कुछ डाल दे। मैंने अपनी एक उंगली गांड में डाली मुझे बहुत आनंद आया, मैंने फिर एक और उंगली डाली इससे मुझे दर्द हुआ क्योंकि मेरी गांड सूखी हुई थी।
मैंने सोचा तेल लगाने से दर्द कम होगा तो मैं किचन से तेल लेने गई, वहाँ से जब मैं तेल ला रहा थी तो मेरी नजर कच्चे केले पर पड़ी तो मैं उसे ले आई।

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अब मैंने अपने कमरे में आकर अपनी गांड खूब तेल लगाया और फिर दो उंगलियों डालीं अब वो आराम से चली गयी। कुछ देर बाद जब मेरी गांड थोड़ी सी ढीली हो गयी तो मैंने केले पर तेल लगाया और उसे अपनी गांड में डालने की कोशिश करने लगी.

जैसे ही मैंने उसे अन्दर किया मुझे बहुत दर्द हुआ, मैंने उसे बाहर निकाल लिया। मैं उस केले को वहीं रखकर कमरे से बाहर आ गई।

मेरे घरवाले 2 दिन तक आने वाले नहीं थे। मैं शाम को जब बाजार गयी तो कंडोम के दो पैकेट खरीद कर ले आयी। उस दिन के खाने की मुझे चिंता नहीं थीं, क्यूंकि वो फ्रिज़ में पहले से ही रखा था। मैं फ्रिज़ से खाना ले कर खाने लगी. खाने के बाद मैं अपने कमरे में गयीं और उस केले पर मैंने कंडोम चड़ाया, फिर मैंने केले पर और अपनी गांड में खूब तेल लगाया।
अब केला मेरी गांड की सैर करने को तैयार था.

मैंने उसे अपनी गांड के छेद पर लगाया और ताकत लगा कर अपनी गांड में डालने लगी वो जा ही नहीं रहा था।

अब मैं बिस्तर से नीचे आयी और जमीन पर केला रखकर उस पर बैठने लगी वो हल्का सा अन्दर गया ही था कि मेरे दूसरा हाथ जो जमीन पर था वो फिसल गया और मेरा पूरा वजन केले पर आ गया और पूरा का पूरा केला मेरी गांड के अन्दर चला गया।

मुझे ऐसा लगा कि मेरी गांड से खून निकल आया हो, मैं कुछ देर ऐसे ही उस केले को गांड में लिए पड़ी रही।

जब मुझे कुछ देर बाद थोड़ा आराम मिला तो मैंने उसे बाहर निकाला। मैंने उस पर देखा तो थोड़ा सा खून लगा हुआ था।

मैं उठकर बाथरूम गयी और अपनी गांड को साफ किया. वो सूज गयी थी और दर्द भी हो रहा था।

मैंने किचन में जाकर थोड़ा पानी गर्म किया और अपनी गांड की सिकाई की और पेनकिलर खा कर सो गई।

जब मैंने अगले दिन उठी तो मेरा दर्द खत्म हो गया था और गांड की सूजन भी कम हो गयी थी। मैं फ्रेश होने बाद नहाने जा ही रही थी तो मेरा दिमाग में एक आईडिया आया कि बाथरूम में मजे किये जायें।
मैं उस केले को ले आयी और उस पर चढ़ा हुआ कंडोम उतार कर फेंक दिया और उस पर दूसरा कंडोम चढ़ा कर बाथरूम में ले गयी।

वहां मैं शावर चला कर उसके नीचे बैठ गयी और उस केले को अन्दर डालने लगी, इस बार केला आराम से अंदर चला गया और दर्द भी कम हुआ।

अब मैं उसे तेज़ी से अन्दर बाहर करने लगी और जोर जोर से सिसकारियां ले रही थी। अपने छोटे छोटे बूब्स को मसल रही थी, जोर से दबा रही थी हालांकि मुझे दर्द हो रहा था लेकिन इस दर्द में भी मुझे मजा आ रहा था।

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करीब 20 मिनट तक मैं उसे अंदर बाहर करती रही और अपने बूब्स को दबाती रही। मेरा लंड तब तक दो बार पानी छोड़ चुका था.

मैं थोड़ी देर बाद नहा कर बाहर आई। अब मैं अपने आप को बहुत संतुष्ट महसूस कर रही थी।

अगली सुबह मेरे घरवाले आने वाले थे तो मेरे पास पूरी रात थी मजे करने के लिए।

रात को फिर मैंने अपनी लाई हुई ब्रा पैंटी पहनी। अब मेरा मन साड़ी पहनने और मेकअप करने को हो रहा था। माँ की आलमारी से मैं कपड़े ले नहीं सकती, लेती तो उनको पता लग जाता।
तभी मुझे याद आया कि माँ अपने पुराने कपड़ों को स्टोर रूम में रख देती थी जिससे कि किसी जरूरत मंद को दिए जा सकें। मैं तुरंत स्टोर रूम में गयी और वहां एक पॉलीथीन में मुझे माँ के पुराने कपड़े मिल गए।

मैंने उन कपड़ों से एक गोल्डन रंग का ब्लाउज, पीले रंग का पेटीकोट और एक काले रंग की बॉर्डर वाली साड़ी निकाल ली और अपने कमरे में आ गयी।

मैं ब्रा पैंटी पहले से पहने रखी थी तो मैंने उसके ऊपर ब्लाउज पहन लिया, उसके बाद मैंने पेटीकोट पहना। इतना करते ही मेरे रोंगटे खड़े हो गए थे जबकि अभी तक मैंने साड़ी नहीं पहनी थी। मैंने साड़ी पहनना शुरू किया लेकिन मैं उसे पहन नहीं पा रही थी।

तब मैंने यूट्यूब पर वीडियो देख कर सारी पहनी। साड़ी पहनते ही मेरे शरीर में सनसनी सी दौड़ गयी, मेरा लंड पूरी तरह से तन चुका था। मैंने जब अपने आप को आईने में देखा तो मुझे कुछ अधूरा सा लगा, वो अधूरापन मेरे सीने के उभार और मेकअप का था।

मैं थोड़ी देर बाद अपनी माँ के कमरे में गई और वहाँ मेकअप टेबल से मेकअप का सामान लिया और मेकअप करने लगी।
ये सब मैं यूट्यूब से देख कर कर रही थी, लेकिन फिर भी मेकअप खराब हो गया। तब मैंने सारा मेकअप निकाल कर दोबारा किया.

अब मैं अपने मेकअप से संतुष्ट थी। उसके बाद मैंने दो स्माइली बॉल ली और उनको एक साइड से थोड़ा सा काट दिया जिससे वो सही से फिट आ जाएं। अब मैंने उन बॉल्स को ब्रा के कप में डाल लिया, अब मेरे उभार किसी लड़की तरह लग रहे थे।

जब मैंने अपने आप मेकअप टेबल में लगे आइने में देखा तो मैं खुद को देखती ही रह गयी, मैं किसी बीस साल की लड़की की तरह दिख रही थी। गोरे रंग पर काले रंग की साड़ी गजब ढा रही थी। मैंने अपनी 4-5 फोटो निकाल ली।

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मैं उसके बाद अपने कमरे में गयी, उसके बाद मैंने केले पर चढ़ा हुआ कंडोम उतार कर, दूसरा कंडोम चड़ाया। अब मेरा सामान तैयार था। मैंने कंडोम और अपनी गांड पर तेल लगाया और उसे अपनी गांड में डालने लगी, मुझे बहुत मजा आ रहा था.

लेकिन साड़ी में होने की वजह से बहुत दिक्कत हो रही थी। तब मैं जमीन पर केले को रख कर उस पर ऊपर नीचे होने लगी, अपने बूब्स को जोर जोर से दबा रही थी, उनको नोच रही थी।
अब मैं अपने लंड हिलाने लगी और थोड़ी ही देर में मेरा वीर्य निकल गया। मैं हाँफ रही थी, तो मैं बिस्तर पर जाकर लेट गयी।

जब मैं थोड़ी देर बाद नॉर्मल हुई, तब मैंने बाथरूम जाकर अपना मेकअप हटाया। अपने कपड़े बदल कर मैं सो गई।

अगली सुबह मेरे परिवार वाले आ गए तो मैं कुछ ज्यादा नहीं कर सकी। लेकिन अपने कमरे में रोज रात को कुछ न कुछ डालती रहती थी.

एक दिन मैंने डिओडरेंट की छोटी बोतल को कंडोम चढ़ा कर अपनी गांड में डाला। अब मेरी गांड पूरी तरह खुल चुकी थी। करीब पंद्रह बीस दिन ऐसा करने बाद मुझे इसमें मजा आना बंद हो गया। इसके बाद मैं अब असली लंड की तलाश करने लगी थी, मैं वहां आसपास किसी का भी तो लंड ले नहीं सकती थी क्योंकि इससे पकड़े जाने का खतरा था.

तो मैंने फेसबुक पर अपनी एक आईडी बनाई, और यहाँ से मेरे मोहित से मोहिनी क्रॉसी में बदलने की कहानी शुरू होती है।

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