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बहन को चुदवाना पड़ा कॉलेज में एडमिशन के लिए

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हेलो दोस्तों, मैं अयान हूँ, और आज मैं अपनी जिंदगी की एक ऐसी कहानी सुनाने जा रहा हूँ, जो मेरे और मेरी बहन शुभावरी के बीच की है। मैं जयपुर का रहने वाला हूँ, और मेरी बहन शुभावरी, माँ कसम, एकदम मस्त माल है। वो अब 21 साल की हो चुकी थी, और उसका जिस्म ऐसा कि कोई भी देखकर पागल हो जाए। उसकी पतली कमर, गोरा रंग, और 36 इंच के कसे हुए दूध, जो संगमरमर जैसे चिकने और सफ़ेद थे, उसे देखकर मेरा लंड तो कई बार खड़ा हो चुका था। मैंने उसे कई बार ब्लू फ़िल्म दिखाकर चोदा था, और वो भी मुझसे चुदवाने में मजे लेती थी। हमारे माँ-पापा बहुत पहले गुजर चुके थे, इसलिए अब घर में सिर्फ़ मैं और शुभावरी ही थे। हम दोनों का प्यार इतना गहरा था कि कई बार हम पूरा दिन घर से बाहर नहीं निकलते, बस चुदाई में डूबे रहते।

शुभावरी का बदन एकदम परफेक्ट था। ना एक इंच एक्स्ट्रा चर्बी, ना ही कहीं कमी। उसकी कमर इतनी पतली और सेक्सी थी कि मैंने उसे कई बार गोद में उठाकर घंटों चोदा था। उसकी बुर को मैंने चोद-चोदकर फाड़ दिया था, और वो भी मेरे लंड की दीवानी थी। उसके दूध इतने मस्त थे कि मैं उन्हें चूस-चूसकर लाल कर देता। उसकी चूत इतनी रसीली थी कि हर बार चोदने में मजा आता था। एक बार हम दोनों ने पूरे一个月 घर में ही बिताया, और दिन-रात चुदाई करते रहे। मैंने उसकी चूत की तस्वीरें भी लीं, जब मेरा लंड उसकी बुर में था।

कुछ दिन बाद मैं साइबर कैफे गया और शुभावरी का रिजल्ट चेक किया। माँ कसम, उसने संयुक्त इंजीनियरिंग परीक्षा में धमाल मचा दिया था। उसे जयपुर के एक सरकारी कॉलेज में बी.टेक के लिए सीट मिल गई थी। लेकिन बात ये थी कि फीस के लिए 2 लाख रुपये जमा करने थे। हाँ, बाद में स्कॉलरशिप मिलने वाली थी, जिससे सारा पैसा वापस आ जाता, लेकिन अभी तो हमें तुरंत 2 लाख का इंतजाम करना था। मैंने अपने चाचा, मामा, मौसी, बुआ, और बाकी रिश्तेदारों से मदद माँगी, लेकिन सबने अपनी-अपनी मजबूरियाँ बताकर टाल दिया। कोई एक पैसा देने को तैयार नहीं हुआ।

हमें सिर्फ़ एक महीने का वक्त मिला था फीस जमा करने के लिए। जैसे-जैसे दिन बीतते गए, टेंशन बढ़ती गई। मैंने अपने दोस्तों से भी पैसे माँगे, लेकिन किसी के पास हजार-पाँच सौ से ज्यादा नहीं था। मैं और शुभावरी दोनों परेशान थे। एक दिन मेरा दोस्त पियूष मेरे साथ बैठा था। मैंने उससे अपनी परेशानी शेयर की, “यार, लगता है शुभावरी का बी.टेक छूट जाएगा। मैंने हर जगह कोशिश कर ली, लेकिन पैसे का इंतजाम नहीं हो पाया।”

पियूष ने थोड़ा सोचकर कहा, “भाई, एक रास्ता है, लेकिन शायद तुझे पसंद ना आए।”

“बता यार, पैसे के लिए मैं और शुभावरी कुछ भी करेंगे,” मैंने तुरंत कहा।

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पियूष ने धीरे से कहा, “भाई, अपनी जवान बहन को चुदवा दे। माँ कसम, शुभावरी इतनी मस्त माल है कि एक रात में 10-10 हजार मिल जाएँगे। कस्टमर का इंतजाम मैं कर दूँगा।”

मैंने चौंककर पूछा, “और तू इसमें से कितनी दलाली लेगा?”

पियूष ने हँसते हुए कहा, “20% मेरा बनेगा।”

“ये तो बहुत ज्यादा है!” मैंने आपत्ति जताई।

“चल, तू मेरा खास यार है। मैं दलाली छोड़ दूँगा, बस एक रात शुभावरी को मुझे चोदने के लिए दे दे,” पियूष ने कहा।

मैंने थोड़ा सोचा और फिर कहा, “डील डन!”

कुछ दिन बाद पियूष एक मोटे सेठ को लेकर आया। सेठ का नाम नहीं पता था, लेकिन वो देखने में रईस और तोंद वाला था। मैंने उसे घर में बिठाया, पानी पिलाया, और पियूष को एक तरफ ले जाकर पूछा, “ये सेठ शुभावरी को चोदने के लिए कितना देगा?”

पियूष ने बताया, “अगर शुभावरी ने सेठ के मनमुताबिक अपनी चूत खोलकर दी, तो 10 हजार देगा।”

“10 हजार?” मैंने आश्चर्य से मुँह खोलकर कहा।

“हाँ भाई, रंडीबाजी में बहुत माल है,” पियूष ने हँसते हुए कहा।

मैंने सेठ को शुभावरी के कमरे में भेज दिया। शुभावरी उस वक्त सलवार-सूट में थी, और उसका गोरा चेहरा, टाइट दूध, और पतली कमर सेठ को देखते ही ललचा गए। सेठ की आँखों में सिर्फ़ हवस थी। उसने धीरे-धीरे अपनी शर्ट के बटन खोलने शुरू किए, और कुछ ही देर में वो पूरी तरह नंगा हो गया। वो पलंग पर बैठ गया और शुभावरी को पास बुलाकर उसे चूमने लगा। उसका मोटा हाथ शुभावरी की कमर पर फिसल रहा था, और वो उसके सूट के ऊपर से ही उसके दूध दबाने लगा। शुभावरी ने हल्का सा विरोध किया, लेकिन सेठ की हवस के सामने उसकी एक न चली।

15 मिनट बाद सेठ ने शुभावरी का सूट उतार दिया। अब वो सिर्फ़ ब्रा और सलवार में थी। सेठ ने उसकी ब्रा के हुक खोल दिए, और शुभावरी के 36 इंच के कसे हुए दूध आजाद हो गए। सेठ ने बिना वक्त गँवाए उसके दूध मुँह में ले लिए और चूसने लगा। “आह्ह्ह…” शुभावरी के मुँह से हल्की सिसकारी निकली। सेठ ने उसके निप्पल को दाँतों से हल्का सा काटा, और शुभावरी ने दर्द में सिसककर कहा, “आउच… धीरे सेठ जी!” लेकिन सेठ पर तो हवस सवार थी। वो शुभावरी के दूध को चूसता रहा, और उसका मोटा हाथ उसके पेट पर फिसलने लगा।

सेठ ने शुभावरी की सलवार का नाड़ा खींचा, और उसे भी उतार दिया। अब शुभावरी सिर्फ़ पैंटी में थी। सेठ ने उसे पलंग पर लिटाया और उसके नर्म होंठ चूसने लगा। “उम्म्म… आह्ह…” शुभावरी की सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं। सेठ उसके ऊपर चढ़ गया, और उसे अपनी बाहों में कस लिया। वो शुभावरी को अपनी महबूबा की तरह चूम रहा था, लेकिन उसकी हरकतों में सिर्फ़ हवस थी। उसने शुभावरी के दूध फिर से चूसने शुरू किए, और इस बार इतनी जोर से चूसा कि शुभावरी की सिसकारियाँ तेज हो गईं। “आह्ह… सेठ जी… धीरे…” वो बार-बार कह रही थी, लेकिन सेठ रुका नहीं।

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सेठ का मोटा हाथ अब शुभावरी की चिकनी जाँघों पर था। उसने धीरे-धीरे उसकी पैंटी उतारी, और शुभावरी की गुलाबी चूत उसके सामने थी। शुभावरी ने पाँच दिन पहले अपनी चूत की झाँटें साफ की थीं, लेकिन अब हल्की-हल्की झाँटें उग आई थीं। सेठ ने अपनी उंगलियाँ उसकी चूत पर फेरनी शुरू कीं, और फिर धीरे से अपनी जीभ उसकी चूत के होंठों पर रख दी। “ओह्ह… माँ…” शुभावरी की सिसकारी निकली, और उसने अपनी गांड हल्की सी उठा दी। सेठ ने उसकी चूत को चाटना शुरू किया, और उसकी जीभ शुभावरी की चूत के अंदर-बाहर होने लगी। “आह्ह… उह्ह…” शुभावरी पागल सी हो रही थी। सेठ ने उसकी चूत के होंठों को उंगलियों से खोला और और गहराई तक चाटने लगा। उसकी चूत इतनी रसीली थी कि सेठ मस्ती में डूब गया।

“वाह… क्या मस्त चूत है तेरी, कबूतरी!” सेठ ने बुदबुदाते हुए कहा। वो आधे घंटे तक शुभावरी की चूत चाटता रहा, और शुभावरी की सिसकारियाँ कमरे में गूँजती रहीं। “आह्ह… सstation: सेठ जी… बस करो… अब चोदो मुझे!” शुभावरी ने तड़पकर कहा। सेठ ने उसकी दोनों टाँगें ऊपर कीं और अपना 7 इंच का मोटा लंड उसकी चूत पर रख दिया। “उफ्फ… सेठ जी… ये तो बहुत बड़ा है…” शुभावरी ने डरते हुए कहा। सेठ ने बिना रुके उसकी चूत में लंड डाल दिया। “आह्ह… धीरे… मर जाऊँगी…” शुभावरी की चीख निकली, लेकिन सेठ ने धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिए। “फट… फट… फट…” की आवाज कमरे में गूँज रही थी। सेठ का मोटा लंड शुभावरी की टाइट चूत में मुश्किल से घुस रहा था, लेकिन सेठ को मजा आ रहा था।

“आह्ह… सेठ जी… और तेज…” शुभावरी अब मजे ले रही थी। सेठ ने अपनी स्पीड बढ़ा दी, और उसकी तोंद हर धक्के के साथ हिल रही थी। “उह्ह… ओह्ह… माँ…” शुभावरी की सिसकारियाँ तेज हो गईं। सेठ ने उसे करीब एक घंटे तक चोदा, और उसकी चूत को पूरी तरह रगड़ दिया। “चट… चट… चट…” की आवाजें बाहर तक आ रही थीं। मैं और पियूष बाहर बियर पी रहे थे।

“हा हा… देख, सेठ तेरी बहन को कैसे पेल रहा है!” पियूष ने हँसते हुए कहा।

“हाँ यार, मैंने शुभावरी से कहा था कि खुलकर चुदवाए,” मैंने जवाब दिया।

“आज तो तेरी बहन रंडी बन गई!” पियूष ने मजे लेते हुए कहा।

“क्या करूँ यार, पैसे के लिए बहन को रंडी बनाना पड़ा,” मैंने उदास होकर कहा।

कमरे से “आह्ह… ओह्ह… सेठ जी… और तेज… उह्ह…” की आवाजें आ रही थीं। मेरा लंड भी खड़ा हो गया, और मन हुआ कि अंदर जाकर शुभावरी की गांड मार दूँ, लेकिन सेठ का मजा खराब होने का डर था। मैंने बाहर बैठकर अपनी पैंट में हाथ डालकर लंड फेटना शुरू कर दिया। सेठ शुभावरी को पूरी ताकत से चोद रहा था। “हपर… हपर…” की आवाज के साथ वो अपनी कमर चला रहा था। शुभावरी भी गांड उठा-उठाकर लंड ले रही थी।

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अचानक सेठ का बदन अकड़ने लगा। शुभावरी ने उसे कसकर अपनी बाहों में भर लिया। “आह्ह… सेठ जी… छोड़ दो मेरे अंदर…” उसने कहा। सेठ ने तेजी से लंड अंदर-बाहर किया, और फिर अपनी गाढ़ी मलाई शुभावरी की चूत में छोड़ दी। “उह्ह… आह्ह…” दोनों की सिसकारियाँ बंद हो गईं। दोनों पसीने से लथपथ थे। सेठ ने शुभावरी को बाहों में लिया और कहा, “जान, तू तो बनी हुई रंडी है, लेकिन देखने में अच्छे घर की लगती है।”

“सेठ जी, बी.टेक की फीस के लिए रंडी बनना पड़ा,” शुभावरी ने जवाब दिया।

सेठ ने फिर से उसके होंठ चूमे, और उसके दूध चूसने लगा। कुछ देर बाद उसने शुभावरी को घोड़ी बनाया और पीछे से उसकी चूत में लंड डाल दिया। “आह्ह… सेठ जी… फाड़ दो मेरी चूत…” शुभावरी चिल्लाई। सेठ ने उसके दोनों हाथ पकड़े और गपागप चोदने लगा। “पट… पट… चट… चट…” की आवाजें कमरे में गूँज रही थीं। सेठ ने करीब 50 मिनट तक शुभावरी को चोदा, और फिर एक बार फिर उसकी चूत में मलाई छोड़ दी। सुबह तक उसने शुभावरी को 5 बार चोदा, और मुझे 10 हजार रुपये दिए।

इस तरह मैंने कई दिन अपनी बहन को चुदवाकर 2 लाख रुपये जमा किए और उसकी बी.टेक की फीस भर दी। अब शुभावरी मजे से अपनी पढ़ाई कर रही है।

आपको मेरी बहन की चुदाई की कहानी कैसी लगी? क्या आपने भी कभी ऐसी मजबूरी में कोई बड़ा कदम उठाया? कमेंट में जरूर बताएँ!

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