भैया गए दुबई, भाभी देवर से चुदगई – 2

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यह कहानी का दूसरा भाग है, पहला भाग जरुर पढ़े : भैया गए दुबई, भाभी देवर से चुदगई – भाग 1

अगली सुबह जब उठी तो, मुझे पिछली रात की हर बात याद आ रही थी—कैसे राजू ने मेरी चूत का सील तोड़ा, मुझे एक असली औरत जैसा महसूस कराया, और हर वो ख्वाहिश पूरी की जो मेरे अंदर बरसों से दबी हुई थी। मैं सोच रही थी कि कल तक मैं बस नाम की एक औरत थी, लेकिन अब मैं पूरी तरह से एक असली औरत महसूस कर रही थी।

जैसे ही मैंने बिस्तर से उठने की कोशिश की, मेरी चूत और कमर में हल्का-हल्का दर्द महसूस हुआ। ये दर्द जैसे एक यादगार निशान बन चुका था, जो मुझे हर उस पल की याद दिला रहा था जब राजू ने मुझे पूरी तरह से अपना बनाया था। मेरे चेहरे पर हल्की मुस्कान आ गई, और मैं सोचने लगी कि आखिर मैं इतनी देर तक अपने आप को क्यों रोकती रही।

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मैंने धीरे-धीरे उठकर अपनी साड़ी को ठीक किया और वॉशरूम में गई। आईने में अपना चेहरा देखा, तो मेरी आँखों में एक अलग ही चमक थी। ये चमक उस संतोष की थी, जो मैंने शायद पहली बार महसूस किया था। मैंने ठंडे पानी से चेहरा धोया और खुद को सामान्य करने की कोशिश की, लेकिन अंदर से मैं अब भी उस रात को फिर से जीने की ख्वाहिश महसूस कर रही थी।

मैं किचन में जाकर चाय बनाने लगी। जब चाय का पानी चढ़ाया, तभी राजू अपने कमरे से बाहर निकला। उसकी नजरें मुझसे मिलीं। उसकी आँखों में अब भी वही ख्वाहिश थी, जो रात में मैंने देखी थी। मेरा दिल जोर से धड़कने लगा, और मैं नजरें झुकाकर अपने काम में लग गई।

राजू धीरे-धीरे किचन के पास आया और दरवाजे पर खड़ा होकर मुझे देखने लगा। मैंने उसे देखकर भी अनदेखा किया, लेकिन अंदर से मैं चाहती थी कि वो मुझसे कुछ कहे।

मैंने जल्दी से चाय बनाई और सबको चाय देने लगी। जब मैंने राजू को चाय दी, तो उसने हल्की मुस्कान के साथ मेरी तरफ देखा। उसकी आँखों में एक अलग सा आत्मविश्वास था, जैसे वो जानता हो कि अब मैं उसकी हूं।

“मैं थोड़ी देर में बाहर से आता हूं,” उसने कहा और घर से निकल गया।

मैंने खुद को काम में व्यस्त कर लिया, लेकिन मेरा मन बार-बार उस रात की यादों में डूब रहा था। उसके स्पर्श, उसकी गर्मी, और वो जुनून… हर बात मुझे फिर से उसे महसूस करने के लिए मजबूर कर रही थी।

मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं इन भावनाओं को कैसे संभालूं। एक तरफ मैं अपनी जिम्मेदारियों के बारे में सोच रही थी, और दूसरी तरफ मैं उसकी दीवानगी में खोई हुई थी। मैं जानती थी कि ये सब जितना सही महसूस हो रहा था, उतना ही गलत भी था। लेकिन मेरे दिल और दिमाग के बीच ये लड़ाई खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही थी।

जैसे ही मैंने किचन का काम शुरू किया, मेरे पति का फोन आ गया। रोज़ की तरह हमारी हल्की बातचीत शुरू हुई, और फिर उनका गंदा मूड चालू हो गया।

“कल रात कुछ किया तुमने?” उन्होंने पूछा, उनकी आवाज़ में शरारत साफ झलक रही थी।

मैंने धीरे से जवाब दिया, “नहीं, कल नहीं किया।”

“तो उंगली भी नहीं की?” उन्होंने दोबारा पूछा।

मैंने झूठ बोलते हुए कहा, “नहीं, कुछ नहीं किया।” लेकिन मन ही मन सोच रही थी, “कैसे बताऊं कि कल रात तो ऐसा कुछ हुआ कि अब उंगली की जरूरत ही नहीं बची।”

“और तुमने?” मैंने उनसे पूछा, उनकी बात का जवाब देने के लिए।

“हां, मुठ तो मारी। तुम्हारे बिना और कर भी क्या सकता हूं?” उन्होंने हंसते हुए जवाब दिया।

हमारी बातें धीरे-धीरे और गंदी होती गईं। वो पूछने लगे, “क्या पहन रखा है?” और मैंने झूठ-मूठ के जवाब दिए। मैं किचन का काम करते हुए उनकी बातें सुन रही थी, लेकिन मेरा ध्यान राजू पर था।

तभी राजू वापस आ गया। उसने मुझे अकेला देखा और तुरंत किचन में आ गया। वो मेरे पास आया, लेकिन मैंने इशारे से उसे चुप रहने को कहा। मैं जानती थी कि वो कुछ कहने वाला था, लेकिन फोन पर मेरे पति की मौजूदगी के कारण मैंने उसे रोक दिया।

राजू ने मेरी बात समझी और चुपचाप वहां से चला गया। लेकिन मैं जानती थी कि वो फिर आएगा। मैंने जल्दी से पति की बातों को निपटाया और कॉल खत्म की।

जैसे ही मैंने पति की कॉल खत्म की, राजू वापस किचन में आ गया। इस बार उसकी चाल में थोड़ी जल्दी थी। उसने अपनी जेब से एक छोटा सा मेडिकल पैकेट निकाला और मेरी तरफ बढ़ाया।

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“भाभी, ये जल्दी से खा लो। कल थोड़ी जल्दबाजी में प्रोटेक्शन लगाने का मौका नहीं मिला,” उसने कहा, उसकी आवाज़ में गंभीरता थी।

मैंने पैकेट को खोला और देखा कि उसमें चार अलग-अलग फ्लेवर के कंडोम के साथ-साथ एक iPill भी थी। मैं थोड़ी चौंकी और उसकी तरफ देखा।

“ये भी क्यों?” मैंने धीमी आवाज में पूछा।

“भाभी, एहतियात के तौर पर है। कल कुछ भी गड़बड़ हो सकती है, और ये सुरक्षित रहेगा। आप इसे अभी खा लो,” उसने बिना झिझक कहा।

मैंने पैकेट से iPill निकाली और पानी के साथ निगल ली। राजू मुझे देखते हुए हल्के से मुस्कुराया। “भाभी, आप इसे अपने पास ही रखो। मेरे पास रहेंगे तो दिक्कत होगी।”

मैंने पैकेट को चुपचाप किचन की दराज में रख दिया। उसके इस ख्याल ने मुझे अंदर तक छू लिया, लेकिन मैंने खुद को शांत रखते हुए अपनी जगह पर खड़े-खड़े काम में लगने की कोशिश की।

राजू मुझे कुछ देर तक देखता रहा, फिर धीरे से बोला, “कल रात आप बहुत सुंदर लग रही थीं… और आज भी।” इतना कहकर वो किचन से निकल गया।

राजू से बात करके उसकी मेरी तरफ इतनी केयर देखकर मेरी चूत पानी-पानी हो गई थी। मैंने खुद को संभाला और खाना बनाने लगी, क्योंकि कुछ ही देर में घर के सब लोग खेत जाने वाले थे, तो उन्हें खाना खाना होगा। फिर मैं खाना बनाने लगी और राजू फिर से बाहर चला गया, बोलकर कि वह एक घंटे में आएगा।

मैं सोचने लगी, कहाँ गया होगा? क्योंकि वह जल्दी कहीं जाता नहीं था। सब लोगों ने खाना खाया और खेत चले गए। मैंने भी नहा लिया और कल रात की चादर और कुछ कपड़े धोने के लिए डाल दिए, क्योंकि मेरी सील टूटने से जो खून निकला था, वह चादर पर लग गया था।

ये सब करके मैं टीवी देखने लगी। टीवी पर हॉटस्टार में अनुपमा देखने लगी। मैं राजू के ख्याल को दिमाग से हटाना चाहती थी, लेकिन आप सबने जब पहली चुदाई की होगी, तो उस वक्त का हाल समझ सकते हैं। कुछ दिनों तक बस दिल और दिमाग में चुदाई, चूत और लंड ही चलता रहता है।

तभी राजू वापस आ गया और उसके हाथ में एक थैली थी। वह मुस्कुराते हुए मेरे पास आकर बैठ गया। अब घर में कोई नहीं था, तो उसने मेरी चूची पर हाथ रखते हुए पूछा, “और मेरी जान, क्या हाल है?”

अब मैं शर्म से लाल हो गई और कुछ नहीं बोली। उसने मुस्कुराते हुए कहा, “अब तुम मेरी हो चुकी हो, अब शर्माने से कुछ नहीं होगा। तुम्हें भी पता है कि तुम्हारा असली पति मैं ही हूं। अब बताओ, कैसी हो तुम?”

मैं शरमाते हुए बोली, “ठीक हूं, बस थोड़ा दर्द है।”
उसने पूछा, “कहाँ दर्द है?”
मैं बोली, “वहीं,” और सिर झुका लिया।
उसने थोड़ा परेशान करते हुए पूछा, “वहीं कहाँ?”
तो मैं धीरे से बोली, “वहीं, जहां तुमने कल आक्रमण किया था,” और फिर हम दोनों हँस पड़े।

उसने मेरे हाथ में थैली थमाई। मैं थैली खोलकर देखती हूं, तो उसमें एक ब्रा और पैंटी थी। वह बेहद मॉडर्न और बोल्ड लग रही थी। मैंने हँसते हुए कहा, “ये तो बिल्कुल खुली-खुली सी है! इसे पहनने का क्या फायदा?”
तो उसने शरारती अंदाज में कहा, “ये सबके लिए नहीं, सिर्फ मेरे लिए पहनोगी। फिर इसे उतार कर तुम्हारी चुदाई करूंगा।”

इसके बाद उसने टीवी को अपने मोबाइल से कनेक्ट कर लिया और कहा, “ये अनुपमा क्या देखती रहती हो? तुम्हारी कोई उम्र है या सब देखने की? चलो, मैं तुम्हें तुम्हारे लायक चीज दिखाता हूं।”

उसने एक चुदाई की वीडियो प्ले कर दी। उस वीडियो में एक औरत एक मोटे, काले लंड को अपने मुंह में लेकर कस के चूस रही थी और गंदी-गंदी बातें कर रही थी। मैं वीडियो देख रही थी और वह भी वीडियो में खो गया था। अब वह मेरे पास आकर बैठ गया था और मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए मेरी चूची को धीरे-धीरे मसलने लगा।

मैं बेहद उत्तेजना महसूस कर रही थी। मेरी चूत पानी-पानी हो रही थी। उसने कहा, “भाभी, एक काम करो, जल्दी से अपने कमरे में जाओ और ये मेरा गिफ्ट पहनकर आओ। तब तक मैं वीडियो रोक देता हूं।”
उसने वीडियो रोक दिया।

मैं उठी और अपने कमरे में चली गई। मन में सोच रही थी, “अगर चुदाई करनी ही है तो खुलकर करनी चाहिए। क्यों फालतू में मजा खराब करूं?”
मैंने साड़ी उतार दी। फिर ब्लाउज और पेटीकोट भी उतार दिया। जो ब्रा और पैंटी मैंने पहले से पहनी थी, उसे भी उतारकर फेंक दिया। अब मैंने राजू द्वारा दी गई ब्रा और पैंटी पहन ली। वो बेहद सेक्सी और खुली-खुली थी। खुद को हल्का सा आईने में देखकर मैं भी मुस्कुरा पड़ी।

थोड़ी शरमाते हुए मैं उसके पास वापस आकर बैठ गई। उसने तुरंत कहा, “बैठो नहीं, सामने खड़ी हो जाओ।”
मैं धीरे-धीरे उठकर उसके सामने खड़ी हो गई। वह मुझे ऊपर से नीचे तक घूरने लगा। फिर बोला, “थोड़ा पीछे घूमकर अपनी गांड भी दिखाओ न।”

मैं शरमाते हुए धीरे-धीरे पीछे घूम गई। उसने कहा, “अब थोड़ा झुककर दिखाओ।”
मैं झुक गई। अब वह मेरे आसपास घूम-घूमकर मेरे जिस्म का बारीकी से मुआयना करने लगा। उसकी नजरें मेरी हर एक कर्व को महसूस कर रही थीं।

उसने पास आकर धीरे से कहा, “भाभी, तुम्हारा शरीर तो जैसे मेरे लिए ही बना है।”
उसकी ये बात सुनकर मेरे शरीर में एक सिहरन दौड़ गई। मेरा दिल तेज़ी से धड़कने लगा, और मेरी चूत पहले से भी ज्यादा गीली हो चुकी थी।

अब राजू ने भी अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए और कुछ ही पल में वह सिर्फ चड्डी में रह गया। उसने मुझे शरारती अंदाज में कहा, “आ जाओ अब मेरी गोदी में बैठ जाओ।”
मैं थोड़ी झिझक के साथ उसकी गोदी में जाकर बैठ गई। उसने मेरी तरफ देखते हुए पूछा, “तो, वीडियो प्ले करूं?”
मैंने हल्का सा सिर हिला दिया, और उसने वीडियो प्ले कर दिया।

वीडियो में एक औरत एक काले, मोटे लंड को अपने मुंह में लेकर चूस रही थी। वीडियो देखते हुए मेरी नजर उस लंड पर पड़ी, जो लगभग राजू के लंड के जितना ही बड़ा और मोटा था। यह देखकर मुझे वीडियो देखने में और भी मजा आने लगा।

कुछ देर बाद, वीडियो में वह लड़की अपनी चूत लड़के के मुंह पर रखकर बैठ गई और वह लड़का उसकी चूत को जोर-जोर से चूसने लगा। लड़की भी झुककर लड़के का लंड चूसने लगी। राजू ने वीडियो को रोकते हुए मुझसे पूछा, “भाभी, जानती हो इस पोजीशन को क्या कहते हैं?”
मैंने सिर हिलाते हुए कहा, “नहीं, मुझे इन सब का ज्यादा ध्यान नहीं है।”

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तो उसने मुस्कुराते हुए कहा, “इसे 69 पोजीशन कहते हैं। इसमें दोनों लोग एक-दूसरे को ओरल सेक्स का मजा दे सकते हैं।”
उसने फिर से वीडियो प्ले कर दिया।

कुछ देर तक वीडियो में यही चलता रहा। उसके बाद वीडियो में आदमी ने लड़की को अपनी गोद में उठा लिया और अपना लंड उसकी चूत में सेट करके जोर-जोर से चोदने लगा। यह देखकर मेरा शरीर गर्म होने लगा।

मेरी चूत से पानी निकलकर राजू की जांघ पर लगने लगा। उसने मेरी तरफ देखते हुए शरारती अंदाज में कहा, “भाभी, आप तो सच में बहुत गर्म हो गई हो।”

मैं झट से उसकी जांघ से उठ गई। मेरी नजर उसकी जांघ पर पड़ी, जहां मेरी चूत से निकला पानी लगा हुआ था। उसने अपनी उंगलियों से वह पानी उठाया और उसे अपनी जीभ से चाटने लगा। यह देखकर मेरी गर्मी और भी बढ़ गई।

फिर वह मेरे पास आया और मेरी आंखों में देखते हुए बोला, “भाभी, अब तुम्हारी चुदाई होगी।”
उसने मुझसे कहा, “कुत्तिया बन जाओ।”
मैंने हैरानी से पूछा, “यह कैसे बनते हैं?”
उसने हंसते हुए कहा, “घोड़ी जैसी ही पोजीशन होती है, लेकिन आज तुम घोड़ी नहीं, कुत्तिया रहोगी।”

मैंने फिर पूछा, “दोनों में क्या फर्क है?”
उसने शरारत से जवाब दिया, “घोड़ी को आराम से चोदा जाता है, लेकिन कुत्तिया को गंदे और जोरदार तरीके से। और आज मैं तुम्हें गंदे तरीके से चोदने वाला हूं। तो जल्दी से कुत्तिया बन जाओ।”

उसकी बात सुनकर मैं थोड़ा झिझकी, लेकिन फिर मैं जल्दी से कुत्तिया की पोजीशन में आ गई। वह मेरे पीछे आया और मेरी पैंटी को पकड़कर खींचा और उसे नीचे उतार दिया। मेरी चूत अब पूरी तरह उसके सामने थी। उसने अपनी हथेली से मेरी चूत पर एक जोर का चांटा मारा।

चांटे की आवाज और उस गर्म स्पर्श से मेरा पूरा शरीर सिहर उठा। मेरे मुंह से खुद-ब-खुद “आह!” निकल गया।

उसने मेरी चूत पर एक और हल्का सा चांटा मारा और पीछे से मेरी गांड को पकड़ते हुए बोला, “बोल मेरी कुतिया, क्या नाम है तेरा?”

मेरे पूरे शरीर में एक अजीब सी गर्मी दौड़ गई। मैं हल्की आवाज में शरमाते हुए बोली, “सविता।”
उसने हंसते हुए कहा, “सविता नहीं, जोर से बोल—कौन है मेरी कुतिया?”

मैंने थोड़ी हिम्मत जुटाकर कहा, “मैं… सविता, आपकी कुतिया।”
यह सुनते ही उसने मेरी गांड को कसकर दबाया और बोला, “यही तो सुनना चाहता था। अब बताओ, तुम्हारा मालिक कौन है?”

मैंने शरमाते हुए कहा, “राजू।”
वह और जोर से हंसा और बोला, “राजू नहीं, मालिक राजू बोलो।”

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मैंने धीरे-धीरे कहा, “मालिक राजू।”
उसने मेरी गांड पर एक और जोर का चांटा मारा, जिससे मेरे मुंह से एक बार फिर “आह!” निकल गया।

अब उसने मेरी चूत को अपने अंगूठे से रगड़ना शुरू किया और बोला, “देखो, मेरी कुतिया कितनी गीली हो रही है। तेरी चूत तो जैसे मुझे अंदर बुला रही है।”
मैंने हल्के से कराहते हुए कहा, “हां, मालिक।”

उसने अपनी चड्डी उतार दी, और उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था। वह मेरे पास आया, और अपनी गांड से चिपका कर बोला, “आज तेरी चूत और गांड दोनों को चोदकर ये साबित कर दूंगा कि तू सिर्फ मेरी है।”

उसने धीरे-धीरे मेरे ऊपर और अपना हक जताते हुए कहा, “बोल मेरी कुतिया, तेरी चूत किसके लिए गीली हो रही है?”
मैं शरमाते हुए लेकिन अंदर से बेहद उत्तेजित होकर बोली, “आपके लिए, मालिक।”

उसने मेरे बालों को पकड़कर मेरा चेहरा ऊपर उठाया और बोला, “जोर से बोल, मैं सुन नहीं पा रहा। तेरी चूत किसके लिए गीली है?”
मैंने अपनी सारी शर्म छोड़कर कहा, “आपके लिए, मालिक। मेरी चूत सिर्फ आपके लिए गीली हो रही है।”

यह सुनकर उसने मेरे गाल पर एक हल्का सा थपथपाया और फिर अपनी उंगली मेरी चूत पर घुसाते हुए बोला, “इतनी गीली है कि मेरी उंगली फिसल रही है। बोल, ये चूत अब किसकी है?”
मैंने कराहते हुए कहा, “ये चूत आपकी है, मालिक।”

वह अब और ज्यादा उत्तेजित हो गया और बोला, “और ये गांड? बोल, ये गांड किसकी है?”
मैंने शरमाते हुए जवाब दिया, “ये गांड भी आपकी है, मालिक।”

उसने मेरे कान के पास आकर धीरे से कहा, “अगर तेरी चूत और गांड मेरी है, तो मुझे बताना पड़ेगा कि इसे कैसे चोदूं। बोल, चूत में लूं या पहले गांड को चाटूं?”

मैं उसकी बातों से और पिघल चुकी थी। मैंने धीमे से कहा, “जो आप चाहें, मालिक। आप जैसा कहेंगे, वैसा करूंगी।”

यह सुनकर उसने मेरे कानों को हल्के से काटा और फिर मेरे चूत पर अपनी जीभ फेरते हुए कहा, “आज मैं तुझे ऐसा चोदूंगा कि तेरे शरीर का हर हिस्सा मुझे अपना मालिक मानेगा।”

उसकी हरकतों से मेरी सांसें तेज हो रही थीं। उसने मुझे और ज्यादा उत्तेजित करते हुए पूछा, “बोल सविता, पहले क्या चाहिए? मेरी जीभ तेरी चूत के अंदर या मेरा लंड सीधे तेरी गांड में?”
मैं अब पूरी तरह से उसके काबू में थी और मेरे मुंह से खुद-ब-खुद निकल गया, “मालिक, पहले आपकी जीभ मेरी चूत में।”

यह सुनते ही उसने मेरी चूत को चाटना शुरू कर दिया और मैं पूरी तरह उसकी पकड़ में थी।

राजू ने मेरी चूत चाटते हुए अचानक मेरे चेहरे की ओर देखा और शरारत भरी मुस्कान के साथ बोला, “तो मेरी कुतिया, बता, तेरा वो नकली पति अनिल अब तक तुझे खुश नहीं कर पाया, है ना?”
मैंने शर्म से अपना सिर झुका लिया। राजू ने मेरी चूची को जोर से मसलते हुए कहा, “बोल न, तू तो मेरी कुतिया है। जो सच है, उसे मानने में क्यों शरमाती है?”

मैंने हल्की आवाज में कहा, “हां, मालिक।”
उसने हंसते हुए कहा, “क्या, हां? साफ बोल, तेरा वो तीन इंच वाला पति तुझे कभी चोद नहीं पाया, है ना?”
मैंने धीमे से जवाब दिया, “हां, मालिक। वो मुझे कभी खुश नहीं कर पाया।”

राजू ने मेरी गांड पर एक जोरदार चांटा मारा और कहा, “और इसीलिए तेरी चूत अब सिर्फ मेरे लिए बनी है। बोल, तेरी चूत किसकी है?”
मैंने कराहते हुए कहा, “आपकी, मालिक।”

उसने मेरी चूत में उंगली डालते हुए कहा, “उस अनिल का नाम भी मत लिया कर। वो आदमी तेरे लायक ही नहीं है। सोच, वो तुझे सालों तक सुख नहीं दे पाया और आज, मैं तुझे सिर्फ कुछ ही घंटों में पागल कर दिया, है ना?”

मैंने उसकी बातों का जवाब देते हुए कहा, “हां, मालिक। आपने मुझे वो सुख दिया है, जो मैंने कभी नहीं पाया।”

वह हंसते हुए बोला, “और आज से, तेरा पति सिर्फ मैं हूं। वो अनिल तेरे लायक नहीं है। समझी, मेरी कुतिया?”
मैंने सिर झुका कर कहा, “हां, मालिक।”

अब उसने मेरे बालों को पकड़कर मेरा चेहरा ऊपर उठाया और कहा, “बोल, तुझे किसके लंड की जरूरत है? उस तीन इंच वाले अनिल के, या मेरे मोटे लंड की?”

मैंने बिना किसी झिझक के कहा, “मालिक, मुझे सिर्फ आपके लंड की जरूरत है। आप ही मेरे असली पति हो।”

उसने हंसते हुए कहा, “यही बात! आज से तू सिर्फ मेरी कुतिया है। अब वो अनिल सिर्फ नाम का पति रहेगा। चूत मैं भरूंगा, और तू मेरी होगी।”

राजू ने मेरी चूत में अपनी उंगलियां घुमाते हुए मेरी तरफ देखा और गहरी आवाज में बोला, “चल, मेरी कुतिया, अब एक काम कर। जो कंडोम मैंने तुझे दिया था, वो जाकर ले आ। लेकिन याद रखना, कुतिया बनी हुई ही जाना।”

मैंने उसकी बात सुनी और उसकी ओर देखा, मेरे अंदर एक अजीब सी बेचैनी और उत्तेजना थी। उसने मेरी गांड पर एक और चांटा मारते हुए कहा, “चल, जल्दी कर, मैं इंतजार नहीं कर सकता। और अगर सीधे चलने की कोशिश की, तो तुझे और जोर से मारूंगा।”

मैं धीरे-धीरे कुतिया बनी हुई, हाथों और घुटनों के बल रेंगते हुए कमरे की ओर बढ़ने लगी। राजू पीछे से मेरी गांड पर नजर गड़ाए हुए हंस रहा था। वह बोला, “वाह, मेरी कुतिया, तेरी गांड तो झूलती हुई मुझे और ज्यादा पागल कर रही है। जल्दी कर, वरना यहीं आकर तुझे चोद दूंगा।”

मैंने कमरे में पहुंचकर कंडोम उठाया और उसी तरह कुतिया बनी हुई उसके पास वापस आ गई। राजू ने मुझे देखकर जोर से हंसते हुए कहा, “यही बात! अब तू मेरी सच्ची कुतिया बन गई है। अब देख, तुझे कैसे चोदता हूं।”

उसने कंडोम मुझसे लिया और मुझे खींचकर अपनी गोद में बिठा लिया। फिर मेरी चूची को मसलते हुए बोला, “अब मैं दिखाता हूं कि असली चुदाई किसे कहते हैं। तेरा वो अनिल तो बस नाम का पति है, असली सुख तो मैं दूंगा। तैयार हो?”

मैंने पूरी तरह से उसकी बातों में डूबकर धीरे से कहा, “हां, मालिक। मैं आपकी कुतिया हूं, आप जैसा चाहें वैसा करें।”
राजू ने अपनी हंसी रोकते हुए कहा, “आज मैं तुझे ऐसा चोदूंगा कि तेरा शरीर भी मुझे ‘मालिक’ कहने लगे।”

राजू ने मुझे पीछे से पकड़ा और धीरे-धीरे मेरी गर्दन पर किस करने लगा। उसने मेरे कान में फुसफुसाते हुए कहा, “पहले तुझे मेरे लंड की पूजा करनी पड़ेगी, मेरी कुतिया। चल, नीचे बैठ और मेरा लंड चूस।”

मैंने उसकी बात सुनी और धीरे-धीरे घुटनों के बल बैठ गई। उसने अपनी चड्डी उतारी, और उसका मोटा, तना हुआ लंड मेरे सामने झूल रहा था। मैं उसे देखकर शरमा गई, लेकिन उसने मेरे बालों को पकड़कर कहा, “शर्म छोड़, कुतिया। अब इसे अपने मुंह में ले और चूस।”

मैंने अपने हाथ से उसका लंड पकड़ा। वह गर्म और भारी था। मैंने उसकी ओर देखा, और वह शरारती मुस्कान के साथ मुझे देख रहा था। मैंने अपनी जीभ बाहर निकाली और उसके लंड के सिर पर धीरे से फेरने लगी। उसने एक गहरी सांस लेते हुए कहा, “वाह, मेरी कुतिया, तेरी जीभ तो जैसे इसी काम के लिए बनी है।”

मैंने धीरे-धीरे उसका लंड अपने मुंह में लेना शुरू किया। उसकी गर्मी और मोटाई मेरे मुंह को भर रही थी। उसने मेरे सिर को पकड़कर कहा, “जोर से चूस, सविता। मुझे दिखा कि तू मेरी सच्ची कुतिया है।”

मैंने उसके लंड को गहराई तक लेने की कोशिश की। मेरी जीभ उसके लंड पर चारों ओर घूम रही थी। वह मेरे बालों को पकड़कर हल्के-हल्के मेरे सिर को अपने लंड पर आगे-पीछे कर रहा था। उसने कराहते हुए कहा, “वाह, तेरे मुंह में मेरा लंड ऐसा लग रहा है जैसे स्वर्ग में हो। जोर से चूस, मेरी कुतिया।”

मैंने अपने हाथ से उसकी जांघों को पकड़ा और उसकी बॉल्स को हल्के-हल्के सहलाना शुरू किया। उसने और गहरी आवाज में कहा, “सविता, तू आज मुझे पागल कर देगी। तू चूसती है या जादू करती है?”

मैंने उसके लंड को अपने मुंह से निकाला, लेकिन तुरंत ही अपनी जीभ से उसके लंड की जड़ से लेकर टिप तक चाटने लगी। वह पूरी तरह मदहोश हो गया और बोला, “बोल, तेरे मुंह में कौन सा लंड है?”
मैंने हल्की आवाज में कहा, “आपका, मालिक।”

उसने मेरा चेहरा ऊपर उठाया और कहा, “अब मेरी कुतिया पूरी तरह तैयार है। चल, अब मैं तुझे चोदकर तेरा असली मालिक बनकर दिखाऊंगा।”

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फिर उसने मुझे कुतिया की पोजीशन में जाने को कहा। मैं झिझकते हुए कुतिया बनी।

जैसे ही उसने अपना मोटा लंड मेरी चूत में डालना शुरू किया, मैं कराहते हुए बोली, “आह, मालिक! बहुत बड़ा है।”
वह हंसते हुए बोला, “ये बड़ा है, तभी तो तू इसे हर दिन चाहती है। बोल, मेरी कुतिया, तुझे कैसा लग रहा है?”

मैंने कराहते हुए कहा, “बहुत अच्छा लग रहा है, मालिक। आप मुझे पूरा चोद रहे हैं।”
उसने अपनी रफ्तार और बढ़ाई और मेरी कमर को कसकर पकड़ा। हर जोरदार धक्के के साथ मेरे मुंह से “आह… मालिक, और जोर से चोदिए!” निकल रहा था।

थोड़ी देर बाद उसने मेरी गर्दन के पास झुकते हुए कहा, “बोल, तेरे मालिक ने तुझे कभी ऐसा चोदा है?”
मैंने गहरी सांस लेते हुए कहा, “नहीं, मालिक। आप ही मेरे असली मालिक हो।”

उसने मेरी चूची को जोर से मसलते हुए कहा, “यही बात सुनना चाहता था। अब बोल, और कितनी चुदाई चाहिए तुझे?”
मैंने कराहते हुए कहा, “जितनी आप चाहें, मालिक। बस आप मुझे ऐसे ही चोदते रहें।”

उसने मेरी गांड पर एक जोरदार चांटा मारा और कहा, “बोल, कब से मालिक की चुदाई चाहिए थी तुझे?”
मैंने शरमाते हुए कहा, “मालिक, शादी के बाद ही। जब मैंने पहली बार आपका लंड देखा था, तभी से।”

उसने हंसते हुए कहा, “तो ये तेरी चाहत आज पूरी कर रहा हूं। अब बोल, तेरा मालिक कौन है?”
मैंने पूरी तरह से उसकी गिरफ्त में आकर कहा, “आप हैं, मालिक। आप ही मेरे सबकुछ हैं।”

उसने अपनी रफ्तार और तेज कर दी, और मेरे पूरे शरीर को अपने नियंत्रण में ले लिया। मेरा सिर झुक चुका था, और मेरे मुंह से बार-बार “आह… मालिक, और जोर से चोदिए! और चोदिए मुझे!” निकल रहा था।

जैसे ही उसने मेरी चूत में जोरदार धक्के लगाने शुरू किए, अचानक वह रुक गया। मैं चौंकते हुए पीछे मुड़ी और कराहते हुए पूछा, “क्या हुआ, मालिक?”

वह मुस्कुराते हुए बोला, “अभी कुछ नहीं, मेरी कुतिया। लेकिन अगर मैं ऐसे ही चलता रहा तो तू मां बन जाएगी। और तुझे मां बनाना है, पर अभी नहीं। पहले मैं अपनी कुतिया को पूरी तरह भरूंगा, लेकिन उसके लिए कंडोम पहनना होगा।”

उसने पास रखे कंडोम को उठाया और उसे खोलते हुए मेरी तरफ देखा, उसकी आंखों में शरारत और अधिकार दोनों थे। उसने मुस्कुराते हुए कहा, “तुझे पता है, सविता? जब मैं तुझे मां बनाऊंगा, तो तेरे पति को भी यहीं होना होगा।”

मैंने हैरानी और शर्म के साथ उसकी ओर देखा। उसने आगे कहा, “मुझसे चुदने के बाद, तुझे उससे भी चुदना होगा, ताकि उसे लगे कि वही तुझे बच्चा देने वाला मर्द है।”

उसकी बातों ने मेरी सांसें तेज कर दीं। उसने मेरी ओर झुकते हुए कहा, “इससे हमारी पोल भी नहीं खुलेगी, और तू मेरी हमेशा के लिए कुतिया बन जाएगी।”
उसकी यह बात सुनकर मेरी चूत और ज्यादा गीली हो गई। मैंने हल्की आवाज में कहा, “हां, मालिक। मैं आपकी हर बात मानूंगी।”

वह हंसते हुए बोला, “यही बात सुनना चाहता था। अब तू सिर्फ मेरी है। और याद रख, जो मैं कहता हूं, वही होगा।”
उसने कंडोम पहनते हुए मेरे गांड पर एक जोरदार चांटा मारा और कहा, “चल, अब तुझे तेरे मालिक की चुदाई का असली मजा देता हूं। तैयार हो?”

मैंने उसकी बात पर सिर झुकाकर कहा, “हां, मालिक। मैं तैयार हूं।”
उसने कंडोम पहनकर फिर से अपनी पकड़ मजबूत की और अपने मोटे लंड को मेरी गीली चूत में डालना शुरू कर दिया। “आह… मालिक, और जोर से चोदिए!” मेरी आवाज कमरे में गूंज रही थी।

जैसे ही उसने मेरी चूत में जोरदार धक्का लगाया, मेरे मुंह से चीख निकल गई, “आह… मालिक, आप बहुत गहरे जा रहे हैं!”
उसने हंसते हुए कहा, “यही तो चाहिए तुझे, मेरी कुतिया। बता, तुझे और चाहिए या यहीं रुकूं?”

मैंने बेकाबू होकर कहा, “नहीं, मालिक! रुको मत। और जोर से चोदिए!”
उसकी रफ्तार और तेज हो गई, और मेरे शरीर ने जैसे खुद ही जवाब देना शुरू कर दिया। मेरी चूत बार-बार सिकुड़ रही थी, और मैंने हांफते हुए कहा, “मालिक… मैं… मैं झड़ने वाली हूं!”

उसने मेरे बालों को पकड़ते हुए कहा, “झड़! तेरी चूत का पानी मेरे लंड पर चाहिए। जल्दी झड़ और मुझे दिखा कि तू मेरी सच्ची कुतिया है।”

मैंने जोर से चीखते हुए कहा, “आह… मालिक! पानी निकल गया!”
मेरी चूत से बहते पानी ने उसकी जांघों और लंड को पूरा गीला कर दिया। उसने रुककर मेरी चूत को अपनी उंगली से छुआ और फिर अपनी उंगली चाटते हुए बोला, “वाह, तेरी चूत का स्वाद तो जादू जैसा है। लेकिन अभी और बाकी है, मेरी कुतिया। तैयार हो?”

मैंने शरमाते हुए कहा, “हां, मालिक। आप जैसे चाहें, वैसे चोदिए।”

थोड़ी देर उसने मेरी कमर को सहलाया और फिर अपनी रफ्तार को धीरे-धीरे बढ़ाना शुरू किया। हर धक्का मेरे अंदर तक असर कर रहा था। उसने मेरी गांड पर जोर से चांटा मारते हुए कहा, “तेरी चूत तो इतनी गीली है कि मेरा लंड अंदर-बाहर फिसल रहा है। बोल, ये चूत किसकी है?”

मैंने कराहते हुए कहा, “ये चूत आपकी है, मालिक। सिर्फ आपकी!”

उसने और गहराई तक धक्का मारा, और मेरे शरीर ने फिर से प्रतिक्रिया देना शुरू कर दिया। मैंने हांफते हुए कहा, “मालिक… मैं फिर से झड़ने वाली हूं! बस… रुकिए मत!”
उसकी रफ्तार और तेज हो गई, और मेरी चूत ने फिर से जवाब दे दिया। मेरी आवाज कमरे में गूंजने लगी, “आह… मालिक! मैं फिर से झड़ गई। मेरा पानी निकल गया!”

उसने मेरी चूत से निकलते पानी को अपने लंड पर महसूस किया और हंसते हुए कहा, “तेरी चूत तो जैसे मेरे लंड के लिए ही बनी है। अब देख, तुझे और कितना भर सकता हूं।”

उसने थोड़ा रुककर मुझे अपनी ओर खींचा और कहा, “अब मैं तेरी चूत को तब तक चोदूंगा, जब तक तू खुद मुझसे भीख न मांगे। तैयार हो?”

मैंने हांफते हुए कहा, “हां, मालिक। चोदिए… और चोदिए!”

वह फिर से मेरी चूत के अंदर जोरदार धक्के लगाने लगा, और मैं उसकी पकड़ में पूरी तरह से बेकाबू थी।

उसने मेरी कमर को कसकर पकड़ा और मुझे ऊपर उठा लिया। मैं उसकी गोद में झूल रही थी, और उसने मुझे सीधा अपनी बाहों में उठा लिया।

“अब देख, सविता। अब मैं तुझे अपनी गोद में चोदूंगा, ताकि तुझे पता चले कि तेरा मालिक कितना ताकतवर है,” उसने शरारती मुस्कान के साथ कहा।

मैं उसके सीने से लगी हुई थी, और उसने अपने मोटे लंड को मेरी चूत के पास लाकर धीरे-धीरे अंदर डालना शुरू किया। मेरी कराह निकल गई, “आह… मालिक! ये तो और गहरा लग रहा है!”

उसने मेरी कमर को कसकर पकड़ते हुए कहा, “तुझे गहराई चाहिए थी, न? अब तुझे हर धक्का अंदर तक महसूस होगा। बोल, मेरी कुतिया, तैयार है?”
मैंने सांस रोकते हुए कहा, “हां, मालिक। और चोदिए, मैं आपकी हूं।”

अब उसने मुझे गोद में ऊपर-नीचे करना शुरू कर दिया। हर बार जब वह मुझे उठाता और फिर जोर से नीचे लाता, उसका लंड मेरी चूत के अंदर गहराई तक चला जाता। मेरे मुंह से बार-बार निकल रहा था, “आह… मालिक! और गहराई तक डालिए!”

उसने मेरी चूची को अपने मुंह में लेकर जोर से चूसा और कहा, “देख, तेरी चूत कितनी गर्म और गीली हो रही है। ये चूत मेरे लंड के बिना अधूरी है। बोल, तेरे अंदर कौन भरेगा?”
मैंने कराहते हुए कहा, “सिर्फ आप, मालिक! सिर्फ आप!”

उसने मेरी रफ्तार और तेज कर दी। उसकी हर हरकत मुझे और पागल बना रही थी। मेरी चूत बार-बार सिकुड़ रही थी, और मेरे पूरे शरीर में झटके लग रहे थे। मैंने बेकाबू होकर कहा, “मालिक… मैं फिर से झड़ रही हूं! मेरी चूत संभाल नहीं पा रही!”

वह जोर से हंसते हुए बोला, “झड़, सविता! तेरा पानी मेरे लंड पर चाहिए। झड़ और दिखा कि मेरी कुतिया क्या कर सकती है।”

मेरे पूरे शरीर ने एक बार फिर जवाब दिया। मैं उसकी गोद में हांफ रही थी, और मेरी चूत से निकला पानी उसके लंड और जांघों पर बहने लगा। वह मुझे अपनी गोद में कसकर पकड़े हुए बोला, “आज तो मैं तुझे ऐसा चोदूंगा कि तेरा शरीर मेरी हर धड़कन को महसूस करेगा।”

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उसने मुझे और जोर से अपनी गोद में ऊपर-नीचे करना शुरू कर दिया। मेरी हर सांस उसकी पकड़ में थी, और मेरी चूत अब पूरी तरह से उसकी गुलाम बन चुकी थी। “आह… मालिक, और चोदिए! मैं पूरी तरह से आपकी हूं!” मेरी आवाज गूंज रही थी, और वह मुझे अपनी मर्दानगी का हर अहसास करा रहा था।

उसने मेरी चूत को जोरदार धक्कों से भर दिया, उसने रुककर मेरी ओर देखा। उसकी आंखों में अब और भी ज्यादा शरारत थी। उसने मेरी कमर को कसकर पकड़ा और कहा, “अब तेरी चूत तो भर चुका हूं, सविता। अब बारी है तेरी गांड की। आज तुझे मेरी लंड की पूरी ताकत का अहसास होगा।”

मैंने थोड़ा झिझकते हुए कहा, “मालिक, वो… पहली बार होगा।”
उसने मेरी गांड पर हल्का सा चांटा मारा और मुस्कुराते हुए कहा, “यही तो मजा है, मेरी कुतिया। आज तेरी गांड को भी मेरी लंड की गुलामी करनी होगी। तैयार हो?”

मैंने धीरे से कहा, “हां, मालिक। जैसा आप चाहें।”

उसने मुझे गोद से नीचे उतारा और मुझे कुतिया की पोजीशन में जाने को कहा। मैं झिझकते हुए हाथों और घुटनों के बल झुकी। उसने मेरी कमर पकड़कर मुझे थोड़ा और झुकाया, जिससे मेरी गांड पूरी तरह से उसके सामने आ गई। उसने मेरी गांड पर अपनी उंगलियां फिराते हुए कहा, “देख, तेरी गांड तो मुझे खुद बुला रही है। बोल, ये गांड किसकी है?”

मैंने कराहते हुए कहा, “ये गांड आपकी है, मालिक। सिर्फ आपकी।”

उसने अपनी उंगली पर थोड़ा लुब्रिकेंट लगाया और मेरी गांड पर घुमाना शुरू किया। धीरे-धीरे उसने अपनी एक उंगली अंदर डाली। मेरी सांसें तेज हो गईं, और मैंने हल्की कराहते हुए कहा, “आह… मालिक! यह तो बहुत टाइट है।”

उसने धीरे-धीरे अपनी उंगली को अंदर-बाहर करते हुए कहा, “चिंता मत कर, मेरी कुतिया। आज मैं तेरी गांड को ऐसा भरूंगा कि यह भी मेरी चूत की तरह मेरा नाम पुकारेगी।”

जैसे ही उसने मेरी गांड पर अपना मोटा लंड रखा, मेरी सांसें थम गईं। मेरी गांड आज तक किसी ने छुई भी नहीं थी, और उसके लंड की मोटाई ने मुझे पहले ही डरा दिया। मैं थोड़ा पीछे हटने की कोशिश करने लगी, लेकिन उसने मेरी कमर कसकर पकड़ ली और मेरी गांड पर एक जोरदार चांटा मारा।

“कहां जा रही है, मेरी कुतिया? अब तेरी गांड भी मेरी है। इसे खाली छोड़ने का सवाल ही नहीं उठता,” उसने गहरी आवाज में कहा।

मैंने डरते हुए कहा, “मालिक, ये बहुत टाइट है… मैं नहीं सह पाऊंगी।”
उसने मेरी गर्दन के पास झुकते हुए कहा, “चुप रह, कुतिया। आज तेरी गांड मेरी लंड की ताकत देखेगी। दर्द होगा, लेकिन उसके बाद तू खुद इसे मांगने लगेगी।”

उसने अपनी उंगली से मेरी गांड को थोड़ी और चौड़ी करने की कोशिश की। मैं दर्द से तड़प उठी और चीखते हुए कहा, “मालिक, प्लीज… रुक जाइए। ये बहुत दर्द हो रहा है।”
लेकिन उसने मेरी बात अनसुनी करते हुए कहा, “ये दर्द ही तेरी गांड को मेरी बनाएगा। अब चुपचाप झेल।”

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उसने अपने लंड का सिर मेरी गांड पर फिर से रखा और धीरे-धीरे अंदर धकेलना शुरू किया। मेरी आंखों से आंसू निकल आए। मैंने चीखते हुए कहा, “मालिक, नहीं! बहुत बड़ा है! मैं नहीं सह पाऊंगी।”

जैसे ही उसका लंड मेरी गांड के अंदर थोड़ा और गया, मेरी तकलीफ बढ़ गई। मैंने हाथों से खुद को आगे खिसकाने की कोशिश की, लेकिन उसने मेरी कमर को कसकर पकड़ लिया। उसने मेरी गांड पर एक और चांटा मारते हुए कहा, “भागने की कोशिश की, तो और जोर से मारूंगा। कुतिया की तरह झुककर रह।”

मेरा दर्द इतना तेज था कि मेरी चीखें कमरे में गूंजने लगीं। मेरी गांड सिकुड़ रही थी, और हर बार जब वह थोड़ा और अंदर जाता, मेरी हालत खराब हो जाती। मैंने रोते हुए कहा, “मालिक, रुकिए… मेरी गांड फट जाएगी।”

उसने मेरी कमर को कसकर दबाते हुए कहा, “तेरी गांड को मेरी लंड की आदत डालनी ही होगी। और चुपचाप इसे झेल।”

जैसे ही उसने पूरा लंड अंदर धकेला, मेरी हालत ऐसी हो गई कि मेरी सांसें तेज हो गईं। मेरी गांड से हवा निकलने की आवाज आई, और मैं शर्म से और ज्यादा रोने लगी। “मालिक, ये क्या हो रहा है? प्लीज, रुक जाइए।”
वह हंसते हुए बोला, “देख, मेरी कुतिया की गांड ने खुद मेरा स्वागत किया है। अब आराम से इसका मजा ले। भागने की कोशिश मत कर, वरना और दर्द होगा।”

मैंने रोते हुए कहा, “मालिक, ये बहुत ज्यादा है… मैं सच में नहीं सह पाऊंगी।”
उसने मेरी बाल पकड़कर मेरे चेहरे को ऊपर किया और कहा, “जब तक मैं न चाहूं, तू भाग नहीं सकती। तू मेरी कुतिया है, और तेरी गांड भी मेरी है। समझी?”

वह धीरे-धीरे अपनी रफ्तार बढ़ाने लगा। मेरी चीखें और तेज हो गईं। हर धक्का मुझे दर्द और शर्म के बीच डाल रहा था। मैं बार-बार उसे रोकने की कोशिश कर रही थी, लेकिन वह और ज्यादा पकड़ मजबूत कर रहा था। मेरी गांड से बार-बार हल्की आवाजें निकल रही थीं, और उसने हंसते हुए कहा, “वाह, तेरी गांड तो अब मुझसे बात कर रही है। अब देख, इसे मैं कैसे अपना बनाता हूं।”

मेरी हालत खराब हो चुकी थी, लेकिन उसने मुझे पूरी तरह से अपने कब्जे में ले लिया।

मेरा दर्द असहनीय हो चुका था, लेकिन राजू ने मेरी एक भी बात सुने बिना अपनी रफ्तार बढ़ा दी। मेरी चीखें और तेज हो गईं, “मालिक, प्लीज… ये नहीं हो रहा मुझसे! मेरी गांड फट जाएगी!”

उसने मेरी कमर को और कसकर पकड़ लिया और मेरी गर्दन के पास झुकते हुए कहा, “चुप रह, कुतिया। अब ये दर्द तेरी पहचान बनेगा। तेरी गांड को मेरी लंड की आदत डालनी ही पड़ेगी।”
मैंने खुद को छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन उसने मेरी गांड पर एक और जोरदार चांटा मारते हुए कहा, “अगर भागने की कोशिश की, तो और जोर से मारूंगा। अब चुपचाप कुतिया बनकर झेल।”

हर धक्का मेरी गांड को और गहराई तक झकझोर रहा था। मेरे मुंह से बार-बार “आह… मालिक! रुक जाइए, प्लीज! बहुत दर्द हो रहा है!” निकल रहा था। लेकिन वह रुकने वाला नहीं था। उसने मेरी कमर को थोड़ा और नीचे दबाया और कहा, “तेरी गांड तो जैसे मेरे लंड को पकड़ने के लिए बनी है। देख, कितनी टाइट है। ये दर्द अभी है, लेकिन थोड़ी देर में तू खुद इसे मांगने लगेगी।”

मेरी हालत अब पूरी तरह से खराब हो चुकी थी। मेरी गांड से हवा की हल्की आवाजें बार-बार निकल रही थीं, और मैं शर्म से और ज्यादा रोने लगी। “मालिक, प्लीज… ये बहुत ज्यादा है!”
उसने मेरी गर्दन पकड़कर मेरा चेहरा ऊपर किया और कहा, “तेरी गांड से जो आवाज आ रही है, वो बता रही है कि इसे भी अब मेरे लंड की जरूरत है। अब रुकने की उम्मीद मत कर।”

उसने अपनी रफ्तार और बढ़ा दी। हर धक्का मेरे पूरे शरीर को झकझोर रहा था। मेरी गांड इतनी टाइट थी कि हर बार जब वह अंदर जाता, मेरा दर्द और बढ़ जाता। मेरी सांसें तेज हो चुकी थीं, और मेरे मुंह से सिर्फ चीखें निकल रही थीं। “आह… मालिक! बहुत गहरा लग रहा है!”

राजू ने मेरी गांड पर और चांटे मारते हुए कहा, “अब तो तेरी गांड भी मेरी चूत की तरह मेरी गुलाम बन चुकी है। बोल, ये गांड किसकी है?”
मैं दर्द और शर्म के बीच कराहते हुए बोली, “आपकी, मालिक। सिर्फ आपकी।”

उसने हंसते हुए कहा, “यही सुनना चाहता था। अब तुझे ऐसा भरूंगा कि तेरी गांड भी मेरी लंड की गुलामी करती रहे।”

उसने अपने धक्के और तेज कर दिए। मेरी हालत ऐसी हो गई थी कि मैं पूरी तरह से उसकी गिरफ्त में थी। हर बार जब वह जोर से अंदर जाता, मेरी चीखें कमरे में गूंज जातीं। उसने मेरे कान के पास झुकते हुए कहा, “अब तू मेरी पूरी तरह से कुतिया बन चुकी है। तेरा हर हिस्सा अब सिर्फ मेरा है। समझी?”

मैंने हांफते हुए कहा, “हां, मालिक। मैं आपकी हूं। मेरी चूत और गांड दोनों आपकी हैं।”
उसने हंसते हुए अपनी रफ्तार और तेज कर दी, और मैं दर्द और आनंद के अजीब से मिश्रण में खो चुकी थी।

उसने अपनी रफ्तार बढ़ाई, मेरी चीखें धीरे-धीरे कराहों में बदलने लगीं। दर्द अब कम हो रहा था, और उसकी हर हरकत मेरे शरीर को एक अलग ही एहसास दे रही थी। उसने मेरी कमर को कसकर पकड़ा और अपनी उंगलियां मेरी चूत तक ले गया। उसने मेरी चूत के अंदरूनी हिस्से को सहलाते हुए कहा, “देख, मेरी कुतिया। तेरी गांड तो अब मेरी लंड की गुलाम बन चुकी है, लेकिन तेरी चूत भी अभी और मजा चाहती है।”

उसकी उंगलियों ने मेरी चूत के अंदरूनी हिस्से को छुआ, और मेरी चूत तुरंत जवाब देने लगी। मेरे मुंह से हल्की आवाज निकली, “आह… मालिक! अब ये अच्छा लगने लगा है। और करिए।”

उसने अपनी उंगलियों को मेरे क्लिट पर रखा और धीरे-धीरे रगड़ने लगा। मेरी चूत और गांड दोनों अब उसकी पकड़ में थीं। हर बार जब वह अपनी उंगलियों को रगड़ता और लंड से मेरी गांड में जोरदार धक्का मारता, मेरे शरीर में एक अजीब सी लहर दौड़ जाती। मैंने हांफते हुए कहा, “मालिक… मैं… मैं संभाल नहीं पा रही। ये बहुत अच्छा लग रहा है!”

वह जोर से हंसते हुए बोला, “अब समझी, सविता? जब दर्द और आनंद मिलते हैं, तब असली मजा आता है। अब झड़ने के लिए तैयार हो।”

उसने मेरी गांड में जोरदार धक्के मारते हुए मेरी चूत के क्लिट को और तेजी से रगड़ना शुरू कर दिया। मेरी सांसें तेज हो गई थीं, और मेरा पूरा शरीर कांपने लगा। मेरी चूत ने बार-बार जवाब देना शुरू कर दिया। मैं बेकाबू होकर चिल्लाई, “आह… मालिक! मैं झड़ रही हूं! मेरी चूत संभाल नहीं पा रही!”

मेरे शरीर ने एक जोरदार झटका महसूस किया, और मैं झड़ते हुए उसकी उंगलियों पर बहने लगी। मेरी चूत से निकलता पानी उसकी उंगलियों और मेरे पैरों तक फैल गया। मैंने थकी हुई आवाज में कहा, “मालिक… आप बहुत अच्छे हैं।”

वह जोर से हंसा और मेरी गांड में और गहराई तक धक्का लगाते हुए कहा, “अभी मैं खत्म नहीं हुआ हूं। अब तेरी गांड को भी मेरा पानी चाहिए। तैयार हो?”

मैंने कराहते हुए कहा, “हां, मालिक। मुझे सब चाहिए।”

उसकी रफ्तार और तेज हो गई। उसने अपनी पकड़ और मजबूत की, और हर धक्का मेरी गांड को और गहराई तक भेद रहा था। उसकी सांसें भी तेज हो चुकी थीं। कुछ ही देर बाद, उसने एक आखिरी जोरदार धक्का मारा, और मैं उसकी गर्मी को अपनी गांड के अंदर महसूस कर सकती थी। उसने जोर से कहा, “ले, सविता! तेरी गांड को मेरा पूरा प्यार मिल गया। अब ये भी मेरी है।”

हम दोनों थक चुके थे। मैं उसकी पकड़ में पूरी तरह से बंधी हुई थी, और मेरा शरीर उसकी मर्दानगी का हर एहसास कर चुका था। “अब तू मेरी सच्ची कुतिया बन चुकी है,” उसने शरारत भरी मुस्कान के साथ कहा।

उसने मुझे अपनी गोद में उठाया और सोफे पर ले जाकर बैठा, मैं उसके सीने से लगकर हल्की-हल्की सांसें ले रही थी। उसने मेरी कमर को अपनी बाहों में कसते हुए मेरे चेहरे को अपने करीब लाया और मुस्कुराते हुए पूछा, “भाभी, कैसा लगा आपको? मैंने आपको तकलीफ तो नहीं दी?”

मैंने हांफते हुए और शरमाते हुए कहा, “नहीं… बहुत अच्छा लगा। ऐसा पहले कभी महसूस नहीं किया।”

उसने हल्की हंसी के साथ कहा, “सच बताओ, अगर मैंने आपको ‘कुतिया’ कहा हो और बुरा लगा हो तो माफ कर देना। बस, मूड ऐसा बन गया था।”
मैंने धीरे से सिर हिलाया और कहा, “बुरा नहीं लगा। आप जैसा कहेंगे, मैं वैसा ही करूंगी।”

उसने मेरी गर्दन पर हल्का सा चुंबन देते हुए कहा, “देखो, कल रात मैंने तुम्हें आराम-आराम से चोदा था, क्योंकि पहली बार थी तुम्हारी। और घर में सब लोग थे, तो ज्यादा कुछ नहीं कर पाया। लेकिन आज…” उसने मुस्कुराते हुए मेरी आंखों में देखा और कहा, “आज तो मैंने तुम्हें असली चुदाई का मजा दिया। अब बताओ, तुम्हें कैसा लगा?”

मैंने शरमाते हुए धीरे से कहा, “बहुत अच्छा। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ।”

उसने मेरी चूची को हल्के से सहलाते हुए कहा, “अगर तुम्हें ये सब पसंद आया है, तो अगली बार मैं तुम्हें और नए-नए तरीके दिखाऊंगा। मेरे पास बहुत से आइडिया हैं, जिससे हर बार तुम्हें अलग मजा मिलेगा। बस, तुम तैयार रहना।”

मैंने उसकी आंखों में देखते हुए कहा, “मैं तैयार हूं। आप जैसा चाहेंगे, वैसा ही होगा।”

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उसने मुझे अपनी गोद में कसकर पकड़ लिया और मुस्कुराते हुए बोला, “यही बात सुनना चाहता था। अब तुम मेरी हो, सविता। सिर्फ मेरी। मैं तुम्हें हर बार कुछ नया एहसास दूंगा, ऐसा जो तुमने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा।”

मैं उसके सीने से लगकर पूरी तरह से उसके शब्दों में खो गई। अब मुझे कोई डर नहीं था, सिर्फ उसका साथ चाहिए था।

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