दोस्तो, मेरा नाम रोमी है। जयपुर का रहने वाला हूँ। जवान जिस्म की चुदाई की ये कहानी बिल्कुल सच्ची है। बात 2 साल पहले की है जब मैं जयपुर की एक निजी कंपनी में काम कर रहा था। सुबह काम पर जाता और शाम को वापस घर आना … यही चलता था। लेकिन कभी कभी कंपनी मुझे टूर पे भी भेजती थी काम से!
और इसी काम के चक्कर में आपके लिए एक कहानी और बन गयी।
तो अब सीधा काम की बात पे आता हूं। बात तब की है आज से 2 साल पहले जब मैं कंपनी के काम से सफर कर रहा था। रात की बस थी लगभग 10 बजे की। मैं अपने घर से 9 बजे के आस पास निकला क्योंकि घर से बस के आफिस तक कि दूरी 40 मिनट की है। ताकि बस के टाइम से पहले पहुँच सकूँ। मैं 9:50 पे बस के आफिस तक पहुँच गया। बस अभी आयी नहीं थी। मैंने आफिस काउंटर पे बैठे व्यक्ति से बस का टाइम पूछा तो उसने बताया कि बस आने में अभी 10 मिनट हैं।
10 मिनट बाद आखिर बस आ गयी और मैं बस में चढ़ गया। टिकट मैंने पहले ही ले ली थी। मैंने डबल स्लीपर ली थी क्योंकि मुझे सिंगल स्लीपर में घुटन होती है और दूर जाना था और रात का टाइम था।
बस थोड़ी देर में वहाँ से रवाना हो गयी। तब मैंने घर फोन कर के बताया कि में बस में बैठ गया हूं और इधर उधर की कुछ बातें की, फिर फ़ोन काट दिया।
मैंने अपनी स्लीपर का गेट थोड़ा सा खुला रहने दिया था ताकि बाहर की हवा आती रहे। अब मैंने अपने बैग से ईयर फ़ोन निकाला ओर फ़ोन से लगा कर गाने सुनने लगा। मेरे शादी अभी नहीं हुई है दोस्तो! आप समझ सकते हैं कि जवान कुँवारा लड़का होता है तो उसका मन लड़की पटाने का उससे बात करने का करता है। लेकिन मेरी गर्लफ्रैंड तो थी नहीं।
रात बढ़ने लगी तो मैं सोने की तैयारी करने लगा।
मैंने मेरे स्लीपर के दरवाजे की तरफ करवट ली तो मैंने देखा कि नीचे सीट पर एक लड़की बैठी है, उम्र कुछ 21-22 साल होगी। वो क्या मस्त आइटम थी। मेरी स्लीपर ऊपर वाली थी तो वहाँ से उसे देख पा रहा था। लंबे बाल … कमर 28-30 की होगी। उसने पतली सी लेगी और कुर्ती पहनी थी। हाय क्या लग रही थी।
मेरी तो उसी पर नजर अटक गई। काफी देर तक मैं उसके जवान जिस्म से नजर नहीं हटा पाया। वो शायद थोड़ी परेशान लग रही थी … शायद सीट की वजह से। वो अकेली ही बैठी थी। शायद उसके साथ कोई नहीं था। मैं उसे देख रहा था। मैं उससे बात करना चाहता था पर डर लग रहा था।
थोड़ी देर सोचने के बाद मैंने आईडिया लगाया और मेरे फ़ोन के ईयरफ़ोन उसकी तरफ गिरा दिए। उसकी नजर मेरे ईयरफ़ोन पे पड़ी। उसने फिर ऊपर देखा। मैंने इशारा किया कि मेरे हैं। प्लीज मुझे वापस दो।
तो वो उठी, मुझे ईयरफ़ोन दिए और वापस अपनी जगह जा कर बैठ गयी।
मेरी नजर अब भी उस पर थी। मैं जानता था कि एक बार वो वापस जरूर देखेगी … और वही हुआ, उसने मेरी तरफ देखा, मैंने तुरंत स्माइल पास कर दी। उसने भी स्माइल पास की।
इस तरह पहली सीढ़ी मैंने पर कर ली।
वो अभी भी परेशान लग रही थी। शायद उसको सीट पे सही नहीं लग रहा था।
थोड़ी देर फिर उसने ऊपर देखा तो इस बार मैंने इशारा किया कि क्या हुआ।
उसने न कह दिया कि कुछ नहीं हुआ।
फिर मैंने उससे इशारे में पूछा- सोना है तो यहां आ जाओ, मैं नीचे चला जाता हूं।
थोड़ी देर तक उसका कोई रिप्लाई नहीं आया। मुझे लगा कि शायद वो बात नहीं करना चाहती है तो मैंने व जिद नहीं की।
लेकिन थोड़ी देर बाद उसने मेरी तरफ फिर से देखा और इशारा किया कि वो मेरे पास आ रही है।
मुझे लगा कि बस आज मेरे काम हो जाएगा। लेकिन मैं कोई जल्दी नहीं करना चाहता था।
वो ऊपर मेरे स्लीपर में आ गयी। जैसे ही वो अंदर आयी, मैंने पूछा- आप परेशान थी?
उसने पहले जवाब नहीं दिया और अपने आपको एडजस्ट करने लगी। फिर बोली कि उसे सीट पे सोने में दिक्कत हो रही थी।
मैंने पूछा- आपका नाम क्या है?
उसने उसका नाम सुमीना बताया। मैंने भी अपना परिचय दिया।
फिर मैंने कहा- आपको सही न लग रहा है तो मैं सीट पे चला जाता हूं।
लेकिन उसने तपाक से मना कर दिया और बोली- चलेगा, डबल स्लीपर है।
मैं समझ गया ‘आज तो रोमी बेटा तेरे मजे हैं। बहुत टाइम हो गया। मामा जी के यहाँ भी नहीं गया, मामा की बेटी की चूत भी नहीं मिली। आज बस हो जाये।’
मैंने उससे बात करना शुरू किया। मैंने पूछा- कहाँ से हो?
तो उसने कहा- कोटा।
मैंने कहा- आप जयपुर किसी काम से आये थे क्या?
उसने कहा- हाँ यहाँ मेरे भैया-भाभी रहते हैं, भाभी बीमार थी, कोई था नहीं संभालने को, भैया बिजी रहते हैं, इसलिए आयी थी 8-10 दिन के लिए। अभी भी भैया को काम था तो बस में बिठा के चले गए और अब अकेली जा रही हूँ कोटा घर पे।
मैंने कहा- ओके!
अब वो सोने लगी। मैं भी सोने लगा।
पर मुझे नींद कहाँ आ रही थी। लेकिन मैंने जल्दी नहीं की और सोने का नाटक करने लगा।
आधे घण्टे बाद मुझे लगा कि वो सो गई है। मैंने धीरे से उसकी तरफ करवट ली और उसके ऊपर जानबूझकर अपना हाथ डाल दिया जैसे मैंने ये सब नींद में किया हो।
उसने कुछ नहीं कहा। शायद वो सो गई थी।
फिर थोड़ी देर बाद मैंने अपना पैर भी ऊपर डाल दिया। उसने अब भी कुछ नहीं कहा। अगर कहती तो बोल देता कि पैर डालने की आदत है नींद में।
लेकिन उसने कुछ नहीं कहा।
अब मेरी हिम्मत और बढ़ गयी। सब जानते हैं कि बस में सफर करते हैं तो बस कितना हिलती है। इसी का फायदा उठा कर मैं उसके बिल्कुल चिपक के सो गया।
अब उसके होंठ मुझसे कुछ दूरी पर थे। उफ्फ … क्या होंठ थे एकदम लाल लाल। मन किया कि चूस लूं … लेकिन डर लग रहा था।
थोड़ी देर मैं वैसे ही रही। फिर उसने करवट ली और दूसरी तरफ मुख करके सोने लगी। मेरा हाथ अब भी उसकी कमर पे था। उसकी पीठ मुझे नजर आ रही थी। अब मेरे उस्ताद भी तन गए थे। रात का टाइम था तो मैंने लोअर पहना था।
मैंने फिर से अपना पैर उस पर डाल दिया और अपने लंड से उसको पीछे से सहलाने लगा। फिर मुझसे रहा नहीं गया और धीरे से उसकी पीठ पे किस किया। शायद उसको इस बात का पता चल गया था लेकिन वो कुछ नहीं बोली।
मुझे भी अब रहा नहीं जा रहा था, मैंने थोड़ा दबाव डाला और सुमीना को अपनी तरफ खींचा और अपने लंड से उसकी लेगी के ऊपर से उसको सहलाने लगा।
अब मेरे एक हाथ उसकी लेगी की तरफ बढ़ाया। तभी उसने मेरा हाथ पकड़ लिया। मैं एक बार तो बहुत डर गया लेकिन अगले पल उसकी आवाज आई- प्लीज ऐसा मत करो।
लेकिन उसकी आवाज में एक कशिश थी और आवाज फ्रेश लग रही थी। जैसे वो सोई ही नहीं थी।
मैं समझ गया कि लड़की का भी मन है। मैंने अपना हाथ रोक लिया और पीछे से उसको सहलाता रहा। फिर मैंने अपना लंड लोअर से बाहर निकाला और लेगी के ऊपर से सहलाने लगा। अब शायद उससे रहा नहीं गया, वो मेरी तरफ मुड़ गयी। हाय क्या लग रही थी वो … जन्नत की परी भी उसके सामने कुछ नहीं। उसकी आंखें बंद थी।
वो इसका आनंद ले रही थी. उसने मुझे पकड़ लिया। बस फिर क्या था। मैंने उसके होठों को प्यार से किस किया। क्या बताऊँ दोस्तो कि क्या अहसास था।
फिर हम दोनों बहुत देर तक किस करते रहे। वो बहुत गर्म हो गयी थी, मुझे भी रहा नहीं जा रहा था। पर मैंने जल्दी नहीं की, मेरे पास वक्त था। वो अपनी गांड हिला हिला के अपनी चुत को मेरे लंड पे छू रही थी।
मैंने उसकी लेगी उतार दी, उसने गुलाबी रंग की पैंटी पहनी थी।
हाय क्या लग रही थी।
हमारे स्लीपर का गेट पूरा बन्द नहीं हो रहा था इसलिए बस की लाइट हल्की अंदर आ रही थी।
अब बस रहा नहीं जा रहा था। लेकिन उसने मुझे धक्का दिया और वो उठ गई। फिर उसने मेरा लोअर निकाल दिया, फिर अपने हाथों से सहलाने लगी।
फिर धीरे से लंड की तरफ झुकी और मेरा लंड उसने अपने मुख में ले लिया।
‘आआ आ आह …’ क्या बताऊँ दोस्तो कि क्या अहसास था।
वो अब अपनी जबान मेरे लंड पे फिरने लगी। हय क्या मजा आ रहा था। बहुत देर तक उसने मेरे लंड को प्यार से चूसा। कैसे बताऊँ आपको वो आनन्द।
फिर मैंने उसकी टांगों को अपनी तरफ खींचा और अपने ऊपर लेटा दिया। उसकी चूत मेरे चेहरे के पास आ गयी तो मैं उसकी चूत चाटने लगा।
आह … क्या मस्त चिकनी चुत थी। शायद आज ही झांट साफ कर के आयी होगी।
अब मेरा लंड पत्थर सा तन गया था। उसकी चुत भी पानी छोड़ चुकी थी। मैंने उसको नीचे लिटाया, मैं उसके ऊपर आया। अब भी उसकी आंखें बंद थी। उफ्फ … उसकी ये अदा!
मैंने अपना लंड उसकी चुत पर लगाया और धक्का दिया लेकिन लंड फिसल गया। वो मुझे किस किये जा रही थी। वो शायद यह इशारा कर रही थी कि बस अब चोद दो।
वो भी अपनी गांड उठा कर मेरे लंड की तरफ धकेल रही थी।
सुमीना बहुत गर्म हो गयी थी लेकिन मेरा लंड बड़ा था। शायद उसकी अभी तक ढंग से चुदाई नहीं हुई थी।
मैंने उसे कस के पकड़ा और अपना लंड उसकी चुत पे सेट किया ही था कि उसकी मदहोश आवाज आयी। वो कहने लगी- प्लीज मेरे मुंह पे हाथ रख दो।
मैंने पूछा- क्यों?
उसने नशीली आवाज में कहा- आपका बहुत बड़ा है, मुझे दर्द होगा।
मैंने वैसा ही किया और धीरे से धक्का मारा। उसके मुंह से आवाज निकलना चाह रही थी पर वो चिल्ला नहीं पायी। उसकी आंखें बड़ी हो गयी। उसकी आँखों में दर्द नजर आ रहा था। मैं थोड़ी देर रुक गया। फिर धीरे धीरे धक्के मारने लगा. वो बहुत जल्द ही खुद को संभाल चुकी थी।
बस फिर क्या था … असली प्रोग्राम तो अब चालू हुआ था। वो अपनी कमर को हिला रही थी और मैं जोर जोर से धक्के मार रहा था। वो धीरे धीरे आवाज कर रही थी। क्योंकि हम दोनों बस में थे और कोई सुन जाएगा तो प्रोब्लम हो जाएगी। मैंने उसे कस के पकड़ रखा था और धक्के मार रहा था।
फिर में साइड में लेटा ओर फिर सुमीना की एक टांग उठा कर लंड को चूत में डाल दिया. सुमीना ने मुझे कस के पकड़ रखा था और मुझे किस कर रही थी, मेरे कान के पास आकर कामुक आवाज निकाल रही थी जो मुझे उकसा रही थी।
अब मेरा पानी निकालने वाला था, मैंने कहा- मैं आने वाला हूँ.
सुमीना ने कहा- अंदर ही कर दो।
मैंने अपनी धार अंदर ही छोड़ दी।
मैं पहली बार किसी चुत में अपना रस छोड़ रहा था। हाय क्या अहसास था।
फिर हमने अपने कपड़े पहन लिए।
अब मैंने पूछा- मैंने अंदर ही कर दिया है, अब क्या होगा?
उसने कहा- अभी 2 दिन में मेरे पीरियड आने वाले है। चिंता की कोई बात नहीं है।
तो मैंने राहत की सांस ली।
मैंने पूछा- आप सोयी नहीं थी क्या?
तो उसने बताया- आप मुझे अच्छे लगे थे तभी तो मैं स्लीपर में आयी थी। लेकिन इतना सब होगा, ये मैंने नहीं सोचा था। लेकिन जब आपने हरकत शुरू की तो मुझे अच्छा लगा।
फिर मैंने पूछा- आपका बॉयफ्रेंड नहीं है क्या?
तो उसने बताया- बॉयफ्रेंड है, मेरे कॉलेज में ही है. लेकिन उसका लंड छोटा है।
फिर हमने अपने नंबर एक दूसरे को दिए।
और कुछ देर बाद सुमीना का स्टेशन आ गया। उसने मुझे किस किया फिर मेरे लंड को हाथ से सहलाया, मैंने उसके जवान जिस्म को अपने आगोश में लेकर उसे चूमा और फिर उतर गयी। मुझे आगे जाना था तो मैं नहीं उतरा।
इससे तरह मैंने सुमीना को चोदा।
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