Devar Bhabhi Chudai Kahani
हेलो दोस्तो, मेरी यह सेक्स कहानी मेरी भाभी और मेरे बारे में है. मुझे मैरिड भाभियों के साथ चुदाई का बड़ा चस्का है. अभी अपनी पड़ोसन भाभी के बारे में लिखते हुए मेरा लंड ऐसे तन गया था कि मुझे मुट्ठ मारकर उसको शांत करना पड़ा. मैं भाभियों की चूत चुदाई का बहुत दीवाना हूँ. मेरे अंदर शादीशुदा भाभी की चूत मारने की इच्छा हमेशा बनी रहती है।
एक दिन मेरी ये इच्छा जब पहली बार पूरी हुई तो वही वाकया आज मैं आपको बताने जा रहा हूँ.
उसका नाम सोनल था. वो मेरे पड़ोस में ही रहती थी. उसकी उम्र करीब 28 के करीब थी. मैं हमेशा भाभी के सेक्सी बदन को ताड़ता रहता था और अपनी नजरों से ही उसके जिस्म का नाप लेता रहता था. उसका फीगर लगभग 34-30-34 के आस-पास रहा होगा जिसको देख कर किसी बूढ़े लंड में भी जवानी का जोश भर जाये.
कहानी को आगे बढ़ाने से पहले मैं आपको अपने बारे में भी बता देना चाहता हूं ताकि आपके मनोरंजन में इसके बाद कोई विघ्न न आए.
मेरा नाम रोमी है. मैं राजकोट का रहने वाला हूँ.मैं एक सामान्य कद काठी का लड़का हूँ. मेरी हाइट पांच फीट और 6 इंच है. लंड का साइज भी ठीक है. लंड की लम्बाई 6 इंच है और लंड तनाव में आने के बाद उसकी मोटाई 2.5 इंच तक हो जाती है. मेरे ख्याल से मेरा लंड एक प्यासी चूत की प्यास बुझाने के लिए एकदम फिट है.
तो दोस्तो, ये बात एक साल पहले की है. सर्दी का मौसम चल रहा था और मैं रोज सुबह अपने घर के पास टहलने के लिए जाया करता था.
एक दिन सुबह-सुबह मैंने देखा कि मेरी पड़ोसन भाभी एक गाउन पहने हुए अपने घर के बरामदे में खड़ी हुई थी. उनके घर का मेन गेट खुला हुआ था और चलते हुए मेरी नजर भाभी पर जा पड़ी. सोनल भाभी को मैंने इस सेक्सी लिबास में पहली बार ही देखा था.
उस दिन उसको देखा तो देखता ही रह गया. मन के अंदर आह्ह सी उठ पड़ी. मस्त माल लग रही थी वो गाउन में. मैं ठरकी था इसलिए नजर वहां से हट ही नहीं रही थी.
फिर भाभी ने मुझे उनको ताड़ते हुए देख लिया. फिर उसने अपना मेन गेट बंद कर लिया.
उस दिन के बाद तो मेरी सैर का मकसद भाभी के दर्शन करना ही हो गया था. मैं सेहत बनाने नहीं बल्कि आंखें सेकने के चक्कर में सुबह सैर पर जाने लगा. मैं रोज उनके घर में झांकते हुए जाता था इस आस में कि शायद भाभी के दर्शन हो जायें. मगर कई दिन तक वो मुझे दिखाई नहीं दी.
फिर एक दिन वो मुझे बाहर ही टहलती हुई दिख गई.
उस दिन उसने जोगिंग वाली ड्रेस पहनी हुई थी. उसके चूचे एकदम कसे हुए थे ट्रैक सूट में. मेरी नजर भाभी पर पड़ी तो मैं भी उसके पीछे-पीछे हो लिया. उसकी मटकती हुई गांड मस्त लग रही थी. एकदम गोल गांड थी सोनल की. उस दिन उसकी गांड को करीब से देखने के बाद मेरा लंड इतना जिद्दी हो गया कि मुझे घर जाकर मुट्ठ मारनी पड़ी.
इस तरह अब रोज ही सोनल मुझे पार्क में मिल जाया करती थी और मैं उसके इर्द-गिर्द मंडराता रहता था. फिर धीरे-धीरे मैंने उसको स्माइल देना शुरू किया. शुरू में तो उसने भाव नहीं दिया लेकिन फिर कुछ रोज बीत जाने के बाद धीरे-धीरे वो लाइन पर आने लगी.
जब मैं उसको देख कर स्माइल करता था तो वो भी मुझे देख कर स्माइल करने लगी थी. फिर गुड मॉर्निंग विश करना भी शुरू हो गया. मैं रोज उसको सामने से गुड मॉर्निंग विश करता था. बदले में वो भी मुझे विश करती थी.
कुछ दिन बीतने के बाद एक दिन वो अपनी पड़ोस की सहेली के साथ आने लगी.
उसकी सहेली मुझे चालू लग रही थी. लेकिन मेरी नजर तो सोनल के चूचों को ताकती रहती थी.
उसकी सहेली को इस बारे में पता चल गया था कि मैं सोनल के चूचों को हवस भरी नजरों से देखता रहता हूं. उसकी दोस्त शायद अपनी चूत चुदवाने के चक्कर में थी लेकिन मैं सोनल भाभी की चूत चोदना चाहता था.
फिर उसकी सहेली से भी बात होने लगी. उसने खुद ही एक दिन मुझे अपना नम्बर दे दिया. फिर मैंने सोचा कि क्यों न सोनल को इसकी सहेली के माध्यम से ही पटाया जाये.
मैंने उसकी सहेली पर ध्यान देना शुरू कर दिया.
फिर एक दिन उससे कहा कि वो सोनल का नम्बर शेयर कर दे. पहले तो वो मना करने लगी लेकिन फिर बाद में उसने कहा कि वो सोनल को ही बोल देगी कि वो अपना नम्बर मुझे (रोमी) दे दे. मैंने उससे पूछा- कि ये सब कैसे होगा?
तो वो बोली- वो सब मेरा काम है.
मगर मानना पड़ेगा कि जो उसकी सहेली ने कहा वो करके भी दिखा दिया. मुझे नहीं पता कि उसने सोनल से क्या बात की लेकिन एक दिन पार्क में सोनल ने खुद ही बहाने से मेरा नम्बर मांग लिया. मैं खुश हो गया और उसकी सहेली की तरफ देख कर मुस्करा दिया.
फिर मैं सोनल के फोन का इंतजार करने लगा.
दिन के करीब तीन बजे उसका कॉल आया. मैंने पूछा तो उसने बताया कि सोनल बोल रही हूँ.
मैं उसकी आवाज सुनकर खुश हो गया. फिर धीरे-धीरे हम दोनों में बातें होने लगीं. कुछ ही दिन में वो मुझसे खुलने लगी. फिर एक दिन उसने पूछा- तुम्हारी तो बहुत सारी गर्लफ्रेंड्स होंगी रोमी?
मैं- नहीं भाभी, मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है.
भाभी- क्यों?
मैं- मुझे कोई आपके जैसी मिली ही नहीं जिसे देख कर रातों की नींद हराम हो जाये.
भाभी- अच्छा रोमी जी, इसलिए तुम मुझ पर लाइन मारते रहते हो.
मैं- नहीं भाभी जी, बस मैं तो अपने दिल की बात बता रहा हूं.
भाभी- चल झूठा, मैं कोई हूर की परी हूं क्या जो तू ऐसे मुझ पर लाइन मारने की कोशिश कर रहा है?
मैं- भाभी आप सच में बहुत मस्त और एकदम सेक्सी हो, जब से आपको देखा है मेरी नींद गायब हो गई है.
भाभी- सच रोमी?
मैं- सच भाभीजी, मैं आपको बहुत पसंद करने लगा हूँ और हर पल आपके बारे में सोचता रहता हूं.
भाभी- रोमी, वैसे मैं सच कहूं तो तू भी मुझे अच्छा लगता है.
मैं- तो फिर इतने दिन से आप ने मुझे इतना क्यों तड़पाया हुआ है?
भाभी- बस मैं देखना चाह रही थी कि तुम मुझ पर लाइन मारते रहते थे या मेरी सहेली पर.
मैं- भाभी, मैं तो बस आपको ही पसंद करता हूं.
दोस्तो, इस तरह सोनल और मेरी प्यार भरी बातों का दौर चलने लगा.
एक दिन मैंने भाभी से पूछा- क्या भैया आपको पूरा मजा दे पाते हैं?
भाभी उदास होकर बोली- उनका तो डालते ही छूट जाता है और मैं प्यासी रह जाती हूँ.
मैं- तो फिर आप मुझे एक मौका दो ना भाभी आपकी सेवा करने का? अगर आपकी प्यास ठंडी न कर दी तो मेरा नाम बदल देना.
भाभी बोली- ठीक है, किसी दिन मैं घर पर अकेली रहूंगी तो तुम्हें बुला लूंगी.
मैं बेसब्री से उस दिन का इंतजार करने लगा.
फिर एक दिन भाभी का मैसेज आया कि उनके पति बाहर मीटिंग में जा रहे हैं, अगले दिन देर से ही लौटेंगे इसलिए उन्होंने मुझे रात 9 बजे के बाद तैयार रहने के लिए बोल दिया.
उन्होंने कहा कि जैसे ही मेरा मैसेज मिले तुम मेरे घर पर आ जाना.
उस दिन मुझे रात का इंतजार करना बहुत मुश्किल हो रहा था. रात को करीब 9.15 बजे भाभी का मैसेज आया कि लाइन क्लियर है. उन्होंने मुझे जल्दी से घर आने के लिए कहा.
मैं तुरंत घर से बाहर आ गया. फिर यहां-वहां देखा कि कोई देख तो नहीं रहा है. फिर मैं भाभी के घर के पास गया तो गेट हल्का सा खुला हुआ था.
मैं फटाक से अंदर घुस गया और घुसते ही भाभी ने गेट अंदर से बंद कर लिया. अंदर जाकर हम हॉल में गये. मैंने देखा कि भाभी ने पहले से ही सारी खिड़कियां बंद करके उन पर पर्दा लगा दिया था. उस दिन भाभी ने एक सेक्सी पारदर्शी गाऊन पहन रखा था. उस गाउन में से भाभी का पूरा जिस्म दिख रहा था. मैंने भाभी को अपनी बांहों में भर लिया और उनके होंठों को चूसना शुरू कर दिया.
भाभी जैसे मेरी पहल का ही इंतजार रही थी. जैसे ही मेरे होंठ भाभी के होंठों से लगे तो उन्होंने मुझे जोर से किस करना चालू कर दिया. ऐसा लग रहा था कि बहुत दिनों से भाभी एक मर्द के होंठों की प्यासी है. मैं भी जोर-जोर से सोनल भाभी के होंठों को चूसते हुए उनको काटने लगा.
मेरे हाथ भाभी की सेक्सी नर्म पीठ को सहला रहे थे. लगभग पंद्रह मिनट तक तो हम एक-दूसरे के साथ चुम्मा-चाटी में ही लगे रहे. फिर मैं भाभी को गोद में उठा कर उनके बेडरूम में ले गया. भाभी को बेड पर लिटा दिया और फिर से उनके होंठों को चूसने लगा. मेरा लंड पागल हुआ जा रहा था.
पहली बार शादीशुदा भाभी की चुदास की गर्मी महसूस हो रही थी मुझे. मैं एक हाथ से भाभी के चूचों को दबाने लगा तो भाभी एकदम से और ज्यादा गर्म हो गई. वो मेरे होंठों को और भी जोर से काटने और चूसने लगी. मुझे तो ऐसा लग रहा था कि वो मेरे होंठों से खून ही निकाल देगी. चुदासी भाभी की प्यास तेज होती जा रही थी.
होंठों की जोरदार चुसाई के बाद मैं नीचे की तरफ चला और भाभी की गर्दन को चूमने लगा. उसके मोटे चूचों को दबाते हुए उन पर अपनी पकड़ तेज करता जा रहा था मैं. फिर मैंने भाभी का गाउन खोल दिया और उसको अलग फेंक दिया.
सोनल भाभी अब ब्रा और पैंटी में मेरे सामने पड़ी थी और किसी नागिन की तरह तड़प रही थी बिस्तर पर लेटी हुई. उसकी ब्रा में से उसके चूचों की दरार देख कर मेरे अंदर की हवस और बढ़ गई. मैंने उसकी पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत को पकड़ कर सहला दिया. भाभी ने उठ कर मुझे फिर से अपने ऊपर खींच लिया.
मैं भाभी की चूत पर हाथ फिराता रहा और वो मुझे चूसती रही. फिर मैंने उसके होंठों से होंठ अलग किये और उसके चूचों की दरार पर अपनी नाक घुसा दी. नीचे हाथ ले जाकर मैंने उसकी ब्रा को खोल दिया और फिर उसके चूचों को नंगे कर दिया. उसके चूचे बाहर निकल कर डोल गये. मैंने उसके चूचों को मुंह में भर लिया. बारी-बारी से उसके तने हुए निप्पलों को अपने दातों से काटता हुआ चूसने लगा.
वो मदहोश होने लगी. उसने नीचे से मेरे लंड को अपने हाथ से सहलाना शुरू कर दिया. फिर मैंने अपनी लोअर और अंडरवियर एक साथ नीचे कर दिये और अपना लंड भाभी के हाथ में दे दिया. वो मेरे लंड को सहलाने लगी. उसके नर्म हाथों में जाकर लंड पगला गया.
मैंने उसके चूचों पर से मुंह हटाया और उसकी पैंटी को पकड़ कर खींच दिया. उसकी चूत नंगी हो गई. उसने अपनी चूत आज ही साफ की थी शायद. उस पर एक भी बाल नहीं था. सांवली सी चिकनी चूत पर मैंने अपने होंठ रख दिये और उसको चूसने लगा.
भाभी तड़पती हुई अपने हाथों में बिस्तर की चादर को लेकर भींचने लगी. उसके मुंह से कामुक सिसकारियां निकलने लगी थीं. आह्ह … रोमी … इस चूत की प्यास बुझा दो चाट-चाट कर. ये बहुत दिनों से लौड़े की प्यासी है. इसको चोद दो रोमी. आह्ह … वो पागल सी हो उठी थी.
आआ उम्म्ह… अहह… हय… याह… मम्म्मम्… रोमीईईई … इस तरह की सिसकारियां लेते हुए वो मेरे मुंह को अपनी चूत में दबाने लगी. मैंने उसकी चूत के दाने को अपने दांत में पकड़ लिया. जोर-जोर से उसकी चूत को चूसने लगा और वो जल्दी ही झड़ गई और फिर शांत हो गई.
मैं दोबारा से नंगी भाभी के ऊपर लेट कर उसको किस करने लगा.
उसने मेरे लंड को अपने हाथ में ले लिया और उसकी मुट्ठ मारने लगी.
मैंने उससे कहा- एक बार इसको मुंह में ले लो.
तो वो मुझे उठाती हुई खुद मेरे ऊपर आ गई और मुझे नीचे लिटा कर फिर मेरे तने हुए लंड को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी. आह्ह … स्सस्… मेरे मुंह से सिसकारी निकल गई. वो तेजी से लंड को चूस रही थी.
मुझे लगा कि मैं जल्दी ही झड़ जाऊंगा तो फिर मैंने भाभी को रोक दिया. मैंने दोबारा से नंगी भाभी को नीचे लिटाया और उसके चूचों को काटने लगा.
फिर मैंने उसकी चूत पर लंड को सेट किया. धीरे-धीरे उसकी चूत में लंड को उतारते हुए उसके ऊपर लेट गया. आह्ह … पूरा लंड उसकी चूत में उतर गया.
पूरा लंड सोनल भाभी की चूत में उतारने के बाद मैंने उसकी चूत में धक्के देने शुरू कर दिये. मेरा लंड भाभी की चूत को चोदने लगा. उफ्फ … बहुत मजा आ रहा था भाभी की चूत की चुदाई करने में.
कुछ ही मिनट के अंतराल के बाद भाभी भी अपनी चूत को उछाल कर मेरे लंड की तरफ फेंकने लगी और चुदाई के मजे लेने लगी.
मैं तेजी से अपना लौड़ा भाभी की चूत में अंदर-बाहर कर रहा था.
भाभी- अह्ह … अम्म … रोमी … और जोर से करो मेरे प्यारे … तुम्हारा लंड तो बहुत ही गर्म और मस्त है.
मैं- हाँ भाभी, आपकी चूत भी बहुत गर्म है. आज दोनों ही एक-दूसरे की प्यास बुझा देंगे. मैं बहुत दिनों से आपकी चूत चोदने के चक्कर में था. आज कहीं जाकर मेरे लंड को वो मजा प्राप्त हुआ है. मैंने कई बार आपके चूचों के बारे में सोच कर मुट्ठ मारी है. आज मैं इस चूत को फाड़ डालूंगा सोनल …
भाभी- हां, अपनी चुदक्कड़ भाभी को चोद दे रोमी. इस चूत का भोसड़ा बना दे आज… आह्ह … बहुत प्यासी है ये चूत तेरे लंड की।
इस तरह पंद्रह मिनट तक मैंने सोनल भाभी की चूत को जमकर चोदा और वो दो बार झड़ गई. मेरे लंड का पानी निकलने को हुआ तो मैंने उससे पूछा कि पानी कहां निकालना है तो वो बोली कि चूत के अंदर ही गिरा दे अपना माल. मैं तेरे माल को अपनी चूत में महसूस करना चाहती हूं रोमी.
मैंने पांच-छह धक्के तेजी के साथ लगाये और मेरे लंड ने चूत में पिचकारी मारनी शुरू कर दी. कई पिचकारियों के साथ पूरा लंड मैंने भाभी की चूत में निचोड़ दिया.
झड़ने के बाद मैं हांफता हुआ भाभी के नंगे जिस्म पर लेट गया. मैं तब तक लेटा रहा जब तक कि मेरा लंड सिकुड़ कर खुद ही भाभी की चूत से बाहर नहीं आ गया. दो मिनट तक मैं फिर उसके होंठों को चूसता रहा.
भाभी बोली- थैंक्स रोमी, ऐसा मजा तेरे भैया से आज तक नहीं मिला मुझे. अब से तू ही इस चूत का मालिक है. तू जब चाहे आकर इस चूत को चोद सकता है.
मैंने कहा- हाँ भाभी, जब भी आपका मन मेरा लंड लेने को करे तो मुझे बुला लेना, मैं हमेशा तैयार रहूंगा.
इतना कहकर फिर मैं उठ गया और मैंने अपने कपड़े पहन लिये.
तब तक रात के 10.30 बज चुके थे. मैं चुपके से भाभी के घर से बाहर निकल गया और भाभी ने गेट बंद कर लिया.
फिर तो हमारी चुदाई का खेल चलता ही रहा. जब मौका मिला मैंने भाभी की चूत जमकर चोदी. हम अक्सर अभी भी सेक्स का मजा लेते रहते हैं.
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