Bhai-Bahan Chudai Kahani
नमस्ते दोस्तो, मैं रोमेश छत्तीसगढ़ के बैलाडिला का रहने वाला हूँ. हमारा छोटा सा परिवार है जिसमे मैं मेरे माता पिता एक छोटा भाई और बहन हैं. करीब साल भर पहले मेरी बहन की शादी पास ही के गाँव में हुई है.
ये बात करीब दस महीने पहले की है, तब हमारे दादाजी जीवित थे. वे हमारे घर पर ही रहते थे. उन दिनों दादाजी काफी बीमार रहने लगे. वे बार बार मेरी बहन को उसकी ससुराल से लाने की बात कहने लगे. चूंकि मेरी बहन घर में इकलौती लड़की होने के कारण सबकी लाड़ली थी. इसलिए दादा जी को उसकी ज्यादा याद आ रही थी.
मम्मी ने मुझे बहन को लाने उसके ससुराल भेजा, ताकि वो कुछ दिन दादाजी के साथ रह ले.
मेरी बहन के ससुराल जाने के लिए जंगल में से सड़क भी है और एक छोटा रास्ता पगडंडी से भी गुजरता है.
मैं बस से अपने बहन के ससुराल गया, तो वहां मेरे जीजा भी उसी दिन अपनी सर्विस से छुट्टी पर आये हुए थे. उन्होंने मेरी आवभगत की और बातचीत करते हुए मैंने अपने आने का कारण बताया.
जीजाजी एकदम से तनाव में आ गए, पर बात दादाजी की तबियत की थी, तो कुछ कहना भी संभव नहीं था.
उनकी माताजी ने बात संभालते हुए कहा- बेटा तू आज ही आया है, आज तू भी यहां रुक जा, अपने जीजा से बातें कर ले, सुबह जल्दी निकल जाना.
मैं भी उनकी स्थिति समझ कर मान गया. जीजा जी कभी कभी ही घर आ पाते थे और दीदी के साथ चुदाई का मजा ले कर चले जाते थे.
मेरे ये कहने पर कि मैं दीदी को आज ही ले जाने आया हूँ, जीजा जी का मूड ऑफ़ हो गया था. पर गनीमत थी कि दीदी की सासू माँ ने बात सम्भाल ली थी.
रात को खा पीकर थोड़ी देर बातें करके लगभग 8.30 पर सब सोने चले गए. मैं भी दीदी के देवर के रूम में सो गया.
अभी 9.00 ही बजे थे कि घर से कॉल आया कि पापा को अर्जेंट में आफिस के काम से जाना पड़ रहा है और छोटा भाई भी घर पर नहीं है. तो मुझे अभी रात में ही निकलना पड़ेगा.
सारी बात मैंने आँटी को बताई तो आँटी ने कहा- अपनी दीदी को जगा कर साथ ही ले जा और जीजा की बाइक से चला जा.
मैंने दीदी के कमरे को नॉक किया, तो दीदी थोड़ी अस्त व्यस्त हालत में बाहर आईं. मैं समझ गया कि अन्दर क्या हो रहा था. दीदी के ब्लाउज के बटन पूरे न लगे होने के कारण उनका एक निप्पल मुझे दिख गया. जिससे मेरा मूड बन गया.
खैर मैंने दीदी के निप्पल को देखते हुए उसको सब बताया और उससे अभी के अभी चलने को कहा.
वो मुझे रुकने का कह कर अन्दर चली गई. मैं दरवाजे से झांकने लगा, मैंने देखा कि दीदी अपनी पेंटी पहन रही थी और जीजाजी कुछ नाराज लग रहे थे.
मैं पूरा माजरा समझ गया और यह देख कर थोड़ा गर्म भी हो गया.
कोई दस मिनट में हम दोनों वहां से निकल गए. मैंने जानबूझ कर बाइक जंगल के रास्ते से ली और थोड़ा दूर जाकर बाइक बन्द कर दी.
दीदी बोली- क्या हुआ?
मैंने कहा- शायद पेट्रोल खत्म हो गया है.
दीदी बोली- अब क्या होगा?
तो मैंने कहा कि बाइक खींच कर पैदल ही चलना पड़ेगा.
हम दोनों चल दिए.
कुछ दूर ही चले होंगे कि मैं जानबूझ कर हांफने लगा और प्यास से बेहाल होने का नाटक करने लगा.
दीदी बोली कि यहीं कहीं आराम कर लेते हैं.
मैंने कहा कि दीदी जंगल में रुकना खतरनाक हो सकता है, आगे कोई सुरक्षित जगह देखते हैं.
थोड़ा आगे चलकर हमें एक झोपड़ी दिखी, तो हमने वहीं रुकने का विचार बनाया. पर मुझे तो कुछ और ही चाहिए था, मैंने फिर से प्यास का बहाना बनाया और दीदी को कहीं से पानी ढूंढ लाने को कहा.
दीदी मोबाइल की रोशनी में पानी ढूंढने लगी, पर सुनसान जगह पर पानी कहां मिलता. दीदी परेशान हो गई.
मैंने दीदी से कहा- प्यास से हालत खराब हो रही है, मुझे गला तर करना है.
दीदी बोली- पानी तो नहीं है, फिर कैसे.
मैं बोला- एक आइडिया है आप थोड़ा मूत दो, तो मैं वही पी लूँगा और कुछ तो आराम मिलेगा.
दीदी- पर यह कैसे, मुझे शर्म आएगी.
मैं- यहां मैं और तुम ही तो हो, इसमें शर्म किससे . … मैं तो तुम्हारा भाई हूँ.
तो दीदी ने हां कह दिया.
मैं तो इसी की ताक में था. मैंने अपनी शर्ट और बनियान को खोल कर एक तरफ रख दिया.
दीदी- यह क्यों खोले?
मैं- क्योंकि यह भीग गए, तो घर पर क्या कहेंगे.
दीदी मान गयी, मैं जमीन पर सीधा लेट गया.
जैसे ही दीदी अपनी पेंटी उतार कर मेरे सामने आई, मैं तो पागल ही हो गया. क्या चूत थी. एकदम साफ, शायद जीजाजी के लिए ही साफ़ करके रखी थी.
जैसे ही दीदी ने मूतना चालू किया, मैंने मुँह खोल कर पूरा मूत पी लिया. मैंने मूत पीते समय दीदी की चूत को भी चाट लिया था. इससे दीदी भी गर्म हो गयी थी. वैसे भी वो अपनी चुदाई अधूरी छोड़कर ही आयी थी.
मूत पूरा होते ही मैंने अपना मुँह दीदी की चूत पर लगा दिया. दीदी इसके लिए तैयार तो नहीं थी, पर उसे यह अच्छा ही लगा और वो आह भर कर रह गयी.
अब मैं उसकी चूत से खेल रहा था और वो मेरे बालों से.
कुछ ही देर में हम दोनों पूरे मूड में आ गए थे. मैंने दीदी से कहा- क्या आपको प्यास नहीं बुझानी?
दीदी मेरा इशारा समझ गयी. उसने मेरी पेंट की जिप खोली और मेरा लंड बाहर खींच लिया. एक ही झटके में मेरा 7 इंच लंबा और 3 इंच छोड़ा लंड फुंफकारता हुआ बाहर निकल आया और अगले ही पल मेरी दीदी के मुँह में था.
दीदी पूरे मन से मेरा लंड चूस रही थी, पर मैं कुछ कर नहीं पा रहा था.
मैंने दीदी को खड़ा किया और उसके कपड़ों की ओर देख कर कहा- अब तो यह सब हटा दो.
दीदी बोली- अपने ही हाथों से हटा दो ना भईया.
मैंने दीदी की साड़ी और सब कपड़े जल्दी से खोल दिए.
फिर दीदी से मेरी पेंट की तरफ इशारा किया, तो दीदी ने झट से मेरी पेंट और अंडरवियर निकाल फेंका. उसने फिर से मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और मस्त चूसने लगी. मेरा एक हाथ उसके मम्मों और पीठ को नाप रहा था. वैसे तो दीदी कोई ज्यादा आकर्षक नहीं थी, पर जब चूत का भूत सवार होता है, तो सब आकर्षक ही लगता है.
दीदी के चूसने से लंड जल्दी ही झड़ गया और दीदी मेरा पूरा माल चट कर गयी. जैसे मैं उसका मूत पी गया.
फिर दीदी बोली- अब मेरी आग कैसे शांत होगी, जो तेरे जीजा ने लगाई थी.
मैंने कहा- मुझे पता है इसीलिए तो मैंने गाड़ी बंद की और यह प्रोग्राम बनाया.
सुन कर दीदी अचंभित हो गयी और मुझे प्यार से मुक्के मारने लगी.
दीदी- साले इतना कमीना है तू . … और मैं तुझ बहनचोद को सीधा समझ रही थी.
मैं- आप मुझे बहनचोद क्यों कह रही हैं . … मैंने कब अपनी बहन चोदी.
दीदी- तो अब चोद दे अपनी बहन को और बन जा बहनचोद.
उसने कामुक होते हुए एक बार फिर अपने मुँह में मेरा लंड ले लिया और करीब पांच मिनट तक चूस कर फिर से कड़क कर दिया.
दीदी- अब नहीं रहा जाता भइया … जल्दी से मेरी प्यास बुझा दो, नहीं तो मैं तड़फ कर मर जाऊँगी.
मैं- नहीं दीदी, तेरे भाई के होते हुए तू प्यासी मर जाए … यह कभी नहीं हो सकता.
मैंने अपनी बहन को नीचे लिटा कर उसकी टांगें अपने कंधे पर रखीं और उसकी चूत पर अपना लंड सैट करके जोर से लंड पेलने की कोशिश करने लगा. मेरा यह पहला अनुभव था. उधर दीदी भी कई दिनों की प्यासी थी. उसकी चूत पहले से ही गीली हो चुकी थी. उसने अपने हाथ से मेरे लंड को चुत के छेद का रास्ता दिखाया और मुझे आँख मार दी. मैंने भी लंड को धक्का मारा, तो मेरा लंड दीदी की चूत में घुसता चला गया.
दीदी की आह निकल गई- उम्म्ह… अहह… हय… याह… मार दिया … भैनचोद … धीरे पेल साले तेरा लंड तेरे जीजा से बहुत बड़ा है.
मुझे यह सुनकर मजा आ गया. एक दो धक्के में ही मेरा पूरा लंड दीदी की चुत में खो गया था. मैंने लम्बे लम्बे झटके देने शुरू कर दिए. दीदी ने भी अपनी गांड उछाल कर लंड निगलना शुरू कर दिया.
हम दोनों जल्दी ही एक लय में आ गए थे. मैं दीदी की चुत में लंड पेलता, तो दीदी मेरी छाती से चिपक कर अपनी चूचियों का सुख मुझे देने लगती. और जब मैं लंड बाहर खींचता, तो दीदी भी अपनी गांड को दबा कर झटके के लिए तैयार कर लेती.
धकापेल चुदाई होने लगी. दीदी मुझे दूध चूसते हुए चुदाई की कहने लगी. मैंने दीदी की चूचियों को अपने हाथों से दबोच लिया और आटा जैसे गूँथते हुए दीदी की चुदाई का तूफ़ान चला दिया.
फिर तो वह घमासान मचा कि 20 मिनट की चुदाई के बाद ही शांत हो पाया.
अब तक मेरे घर से और दीदी की ससुराल से करीब 20 मिस कॉल आ चुके थे.
हम दोनों भाई बहन की चुदाई का तूफान थमा, तो हम दोनों को सब याद आया. मैंने समय देखा, तो रात के दो बज रहे थे. जल्दी से घर में फोन लगाया और गाड़ी की लाइट खराब होने का बोलकर देर होने की वजह बताई. अपनी कुशलता के समाचार भी दे दिए.
इसके बाद हम दोनों ने जल्दी से अपने अपने कपड़े पहने, एक दूसरे को चूमा और घर की तरफ निकल लिए.
गांव के पास पहुंच कर मैंने गाड़ी की लाइट बन्द की और धीमी स्पीड में घर पहुंच कर गाड़ी खड़ी की.
घर वाले टेंशन के मारे इंतजार कर रहे थे. कुछ देर बाद उन सबको बहाने से सुला कर हम भाई बहन भी सो गए. उसके बाद जब भी दीदी का या मेरा मूड होता, तो मैं दीदी से मिलने उसकी ससुराल पहुंच जाता और अपनी बहन को जम कर चोदता. उसे भी जीजा जी के कभी कभी मिलने वाले लंड से मेरा मोटा लम्बा लंड ज्यादा पसंद आ गया था.
Related Posts💋
Airhostess GF Ki Chudai |
बेटी की गलती के वजह से माँ को चुदना पड़ा – 2 |
ठरकी टीचर चुत के शिकार पर |
Hot bhabhi ki chudai bus me |
बेटी की गलती के वजह से माँ को चुदना पड़ा - 1 |
कैटेगरी: Bhai-Bahan Chudai Kahani | भाई बहन की चुदाई, Desi Girl Chudai, Family Sex Stories - परिवार में चुदाई, Hindi Sex Story, Teenage Girl, Virgin Girl - कुंवारी लड़की की चुदाई, असली चुदाई की कहानिया, देसी कहानियां - Desi Kahani.
टैग्स: 69, boobs show, Chudai ki kahani, Hardcore Chudai ki kahani, oral sex story, पोर्न सेक्स स्टोरी, ब्रा पैंटी, लंड चुसाई, हिंदी सेक्स कहानी.