हेलो दोस्तों, मेरा नाम पायल है। मैं इस वेबसाइट को बहुत समय से फॉलो कर रही हूँ और यहाँ आने वाली कहानियाँ बड़े मन से पढ़ती हूँ। लेकिन आज जो कहानी मैं आपके साथ साझा करने जा रही हूँ, वह कोई काल्पनिक कहानी नहीं है। यह मेरे जीवन का पहला ऐसा अनुभव है, जिसने मेरे दिल-दिमाग को हिला दिया। इस अनुभव ने मेरी जिंदगी में एक नई शुरुआत की थी, और इसके बाद कई और अनुभव भी हुए, जिन्हें मैं धीरे-धीरे आपसे साझा करना चाहूँगी।
तो सबसे पहले आपसे एक गुज़ारिश है: अगर मेरी यह कहानी पसंद आए, तो मुझे कमेंट में सपोर्ट ज़रूर करें।
तो चलिए, शुरू करते हैं।
जैसा कि मैंने बताया, मेरा नाम पायल है। उस समय मैं 19 साल की थी और गाँव के पास वाले एक कॉलेज से बीएससी की पढ़ाई कर रही थी। मेरे परिवार में मेरी माँ, पिताजी और दादी हैं। पिताजी सरकारी नौकरी में हैं, तो वे ज़्यादातर समय काम में बिज़ी रहते हैं। माँ एक हाउसवाइफ हैं और दादी, जो मेरे सबसे करीब हैं, हाल ही में उनकी तबीयत कुछ ज़्यादा ही खराब रहने लगी थी।
एक दिन दोपहर में अचानक दादी की तबीयत बहुत बिगड़ गई। उन्हें तेज बुखार और खांसी हो गई। पास ही में एक नया क्लीनिक खुला था, तो मैंने उन्हें वहाँ ले जाने का फैसला किया। यह क्लीनिक करीब एक साल पहले ही खुला था, और गाँव में हर कोई उस डॉक्टर की तारीफ करता था। लोगों का कहना था कि डॉक्टर पहले दिल्ली के एक बड़े अस्पताल में काम करते थे, लेकिन शहर की जिंदगी उन्हें पसंद नहीं आई, इसलिए उन्होंने गाँव में आकर अपनी क्लिनिक खोल ली।
जब मैं दादी को लेकर वहाँ पहुँची, तो देखा कि क्लिनिक में ज़्यादा भीड़ नहीं थी। कुछ ही मरीज थे। दो-तीन लोगों के बाद हमारा नंबर आ गया। मैंने दादी को सहारा देकर डॉक्टर के सामने वाली कुर्सी पर बैठाया और खुद बगल में जाकर बैठ गई। डॉक्टर ने दादी का चेकअप किया और बताया कि यह सिर्फ मौसम के बदलाव की वजह से हुआ है। उन्होंने कुछ दवाइयाँ लिख दीं और साथ में परहेज भी बता दिया।
आप यह कुवारी लड़की की डॉक्टर से चुदाई की कहानी हमारे इंडियन सेक्स स्टोरीज की नम्बर 1 वेबसाइट(TheIndianSexStory.com) पर पढ़ रहे है।
डॉक्टर की बातों को सुनने के बजाय, मेरा ध्यान कहीं और ही था। मैं बस उन्हें देखती जा रही थी। वह इतने अच्छे लग रहे थे कि मैं अपनी नज़रें उनसे हटा ही नहीं पा रही थी। ऐसा पहली बार हुआ था मेरे साथ।
दवाइयाँ लेकर हम घर आ गए, लेकिन डॉक्टर की छवि मेरे दिमाग से जा ही नहीं रही थी। वह छवि मानो मेरे दिल-दिमाग पर छा गई थी। दिनभर तो घर के काम में व्यस्त रही, इसलिए ज़्यादा ध्यान नहीं गया। लेकिन जैसे ही रात को सोने गई, उनके बारे में ख्याल आने लगे।
मैंने खुद को रोका और खुद से ही कहा, “पागल हो गई है क्या पायल? वो एक अच्छे डॉक्टर हैं। उनके बारे में ऐसा क्यों सोच रही है?” लेकिन दिल को कौन रोक पाया है?
रात के अंधेरे में उनकी यादों के साथ मैं बिस्तर पर करवटें बदलती रही। सोचते-सोचते मैं खुद को सहलाने लगी। हालाँकि, मैं अब तक एक कुंवारी लड़की हूँ, लेकिन सेक्स के बारे में मुझे पूरा ज्ञान है। इसका श्रेय “The Indian Sex Story” जैसी साइट्स को जाता है, जहाँ मैं ऐसी कहानियाँ पढ़ा करती हूँ।
उस रात, मैं डॉक्टर के बारे में सोचकर खुद को रोक नहीं पाई। मेरे शरीर में एक अजीब-सी गर्मी उठ रही थी, और आखिरकार मैंने अपनी चूत के दाने को मसलना शुरू कर दिया। हालाँकि मेरी चूत में उंगली डालना थोड़ा मुश्किल होता था, लेकिन दाने को मसलते ही जो राहत मिली, उसे मैं शब्दों में बयाँ नहीं कर सकती। यह पहली बार था, जब मैंने किसी असली मर्द को सोचकर अपनी चूत का पानी निकाला था।
इससे पहले भी मैंने झड़ने का अनुभव किया था, लेकिन वो हमेशा पॉर्न वीडियो देखकर ही होता था। यह अनुभव बिल्कुल अलग था—डॉक्टर की छवि बार-बार मेरे दिमाग में घूम रही थी। शायद लड़कियों को पता होगा कि चूत का पानी निकालने के बाद नींद कितनी गहरी और सुकूनभरी आती है। मैं भी उस रात, झड़ने के बाद, गहरी नींद में डूब गई।
सुबह हुई, तो मेरा पहला ख्याल फिर से डॉक्टर का ही था। अब मैं सोचने लगी—क्या मुझे उनसे प्यार हो गया है? लेकिन मैं चाहती थी कि ऐसा ना हो, क्योंकि यह सब बहुत मुश्किल भरा हो सकता था। मैंने खुद को समझाने की कोशिश की, लेकिन दिल किसी की सुनता कहाँ है?
मैं फ्रेश हुई, और फिर घर का खाना बनाने में लग गई। आज कॉलेज की छुट्टी थी, तो मेरे पास पूरे दिन का समय था। खाना बनाकर मैंने सोचा कि पढ़ाई कर लूँ, लेकिन किताबों में मन ही नहीं लग रहा था। बार-बार बस डॉक्टर का चेहरा आँखों के सामने आ रहा था।
तभी मेरे दिमाग में एक आइडिया आया—क्यों ना दादी को आज फिर से डॉक्टर के पास ले जाया जाए? मैं दादी के पास गई और देखा कि वो जाग रही थीं। मैंने उनसे पूछा, “दादी, तबीयत अब कैसी लग रही है?”
दादी बोलीं, “पहले से तो आराम है, लेकिन अभी भी थोड़ी तकलीफ है।”
मैंने तुरंत कहा, “तो चलो, एक बार डॉक्टर को फिर से दिखा लेते हैं। शायद वो दवाई कम कर दें, और तबीयत और ठीक हो जाए।”
दादी दिनभर घर में बोर हो जाती थीं, तो वो मान गईं। वो खुद भी तैयार थीं घर से बाहर निकलने के लिए। अब मेरे पास एक और मौका था डॉक्टर को देखने का, और मेरा दिल इस ख्याल से ही तेजी से धड़कने लगा।
मैंने मम्मी को बताया कि मैं दादी को डॉक्टर के पास ले जा रही हूँ। फिर मैं दादी को लेकर डॉक्टर के क्लिनिक पहुँच गई। समय फिर वही दोपहर का था। इस बार मैंने देखा कि क्लिनिक में ज़्यादा लोग नहीं थे। यहाँ तक कि उनके स्टाफ भी जा चुके थे।
मैंने दादी को सहारा देकर डॉक्टर साहब के सामने वाली कुर्सी पर बिठा दिया और खुद उनके बगल में जाकर बैठ गई। डॉक्टर साहब ने हमेशा की तरह दादी से उनके हाल-चाल पूछना शुरू कर दिया। लेकिन मेरी नज़रें फिर से उन्हीं पर टिक गईं। उनकी बातों में मैं खो गई थी।
मुझे लग रहा था कि इस बार डॉक्टर साहब ने मुझे नोटिस कर लिया है। उनकी आँखें कभी-कभी मेरी तरफ उठतीं और हमारी निगाहें मिल जातीं। जैसे ही हमारी नज़रें मिलतीं, मैं हल्की-सी शरमा जाती और अपनी आँखें झुका लेती। लेकिन फिर भी मेरा दिल नहीं मान रहा था। मैं बार-बार उनकी तरफ देखने लगती।
डॉक्टर साहब भी अब दादी से ऐसी बातें कर रहे थे, जिनका ज़्यादा मतलब नहीं था। मुझे लगने लगा कि वो सिर्फ बातों का सिलसिला बनाए रखना चाहते हैं। शायद वो चाहते थे कि मैं थोड़ी देर और वहीं बैठी रहूँ। या फिर… शायद उन्हें भी मेरा वहाँ होना अच्छा लग रहा हो। यह सब सोचकर मेरी धड़कनें तेज़ हो रही थीं।
मैं वहाँ बैठी, बस उन्हें देखती जा रही थी। मेरे मन में कई सवाल उठ रहे थे। “क्या यह आदमी शादीशुदा है?” “क्या यह कभी मेरा हो सकता है?” डॉक्टर की शालीनता, उनका स्वभाव और उनकी बातें मेरे दिल को बहुत भा रही थीं।
करीब 15 मिनट बाद, डॉक्टर साहब ने कहा, “पायल, मैं दवाइयाँ थोड़ी बदल रहा हूँ। आप इन्हें अच्छे से देख लो और दादी को समय पर दे देना।”
फिर उन्होंने मुस्कुराते हुए जोड़ा, “दादी अब लगभग ठीक हो गई हैं। जल्दी ही पूरी तरह से ठीक हो जाएँगी। बस आपको दवाइयों और परहेज का ध्यान रखना है।”
डॉक्टर साहब की यह मुस्कान और उनका नाम लेकर बात करना मेरे दिल को और छू गया।
दवाइयाँ लेने के बाद, मैंने दादी को सहारा देकर उठाया और क्लिनिक से बाहर निकलने लगी। आज मैंने सलवार के साथ एक फिटिंग शर्ट पहन रखी थी, ताकि मेरा फिगर डॉक्टर को अच्छे से दिख सके। जाते-जाते मैंने एक बार पीछे मुड़कर देखा, तो पाया कि डॉक्टर मुझे ही देख रहे थे। उनकी नज़रों का असर मेरे दिल और शरीर पर गहरा हो रहा था।
उस पल मुझे एक अजीब-सी खुशी महसूस हुई। ऐसा लग रहा था जैसे मेरी चाहत ने अपना पहला कदम बढ़ा लिया हो।
जैसे ही मैं घर पहुँची, मैंने दादी को उनके कमरे में छोड़ दिया और बिना देर किए अपने कमरे में चली गई। कमरे का दरवाज़ा अंदर से बंद किया और एक पल भी रुके बिना अपने सारे कपड़े उतार दिए। डॉक्टर का ख्याल मेरे दिलो-दिमाग पर छाया हुआ था।
मैं बिस्तर पर लेट गई और अपनी गीली चूत को हल्के-हल्के मसले लगी। मेरी चूत पहले से ही बहुत गीली थी, क्योंकि मैं डॉक्टर से मिलकर आई थी और मुझे यह भी पता था कि उन्होंने जाते वक्त मुझे पीछे से निहारा था। यह ख्याल मेरे अंदर की सारी वासना को और बढ़ा रहा था।
डॉक्टर के बारे में सोचते-सोचते मैंने अपनी चूत को इतनी जोर से मसलना शुरू किया कि मैं एक ही बार में झड़ गई। लेकिन मेरी प्यास अभी पूरी नहीं हुई थी। मैंने एक बार फिर अपनी उंगलियों से चूत को छुआ और अपनी कल्पनाओं में डॉक्टर को अपने करीब महसूस करने लगी। उनकी मुस्कान, उनकी आवाज़, और उनकी नज़रों का ख्याल मुझे फिर से झड़ने पर मजबूर कर गया।
इस बार मेरी साँसें तेज़ हो रही थीं और मेरा पूरा शरीर एक अजीब-सी राहत महसूस कर रहा था। दो बार चूत का पानी निकालने के बाद, मैंने जल्दी से अपने कपड़े पहने और दरवाज़ा खोल दिया।
गाँव में रहने का मतलब है हर चीज़ पर लोगों की नजरें। मैं नहीं चाहती थी कि मेरा बंद दरवाज़ा किसी के शक का कारण बने। इसलिए मैंने दरवाज़ा खोलकर सबकुछ सामान्य बना लिया और आराम से सोने चली गई। लेकिन मेरे ख्वाबों में डॉक्टर अभी भी मौजूद थे।
आप तो समझ ही गए होंगे कि मेरी हालत अब कैसी हो गई थी। मेरे दिमाग में बस एक ही सवाल था—क्या ये सब सिर्फ मेरी तरफ से है, या फिर डॉक्टर भी मुझमें दिलचस्पी ले रहे हैं? मैं हर पल इस सोच में खोई रहती थी। सच कहूँ तो, मैं इतनी उतावली हो गई थी कि मैं जल्दी से जल्दी डॉक्टर को अपने शरीर का भोग चढ़ाना चाहती थी।
कई दिनों तक खुद को शांत करने और मन को समझाने के बाद, मैंने आखिरकार फैसला कर लिया कि अब मैं अपने कदम आगे बढ़ाऊँगी। जो होगा, देखा जाएगा।
उस सुबह मैंने उठकर सबसे पहले अपनी चूत की सफाई की। बालों को अच्छे से ट्रिम किया और अपने बगल के बाल भी पूरी तरह से साफ कर दिए। फिर मैंने खूब अच्छे से नहाया और अपने शरीर को ऐसा तैयार किया, मानो किसी खास मौके के लिए सजा रही हूँ।
मैंने सोचा कि दोपहर का समय सबसे सही रहेगा, क्योंकि उस वक्त डॉक्टर के क्लिनिक में ज़्यादा स्टाफ नहीं होता। जैसे ही वक्त करीब आया, मैंने घर में झूठ बोल दिया कि मैं अपनी सहेली के घर जा रही हूँ। माँ को मुझ पर पूरा भरोसा था, तो उन्होंने बिना किसी सवाल के मुझे जाने दिया।
अब मैं सीधे डॉक्टर के क्लिनिक पहुँच गई।
क्लिनिक पहुँचकर मैंने अंदर झाँका। मेरा अंदाज़ा बिल्कुल सही था—इस वक्त क्लिनिक लगभग खाली था। बस एक वार्ड बॉय मौजूद था, जो गिने-चुने भर्ती मरीजों का ध्यान रख रहा था। मैं सीधे डॉक्टर के केबिन में गई।
डॉक्टर साहब ने मुझे देखा और मुस्कुराते हुए पूछा, “अरे पायल, क्या हुआ? तुम्हारी दादी ठीक हैं न?”
उनकी आवाज़ सुनकर मेरा दिल फिर से तेज़ धड़कने लगा।
मैं नज़रें झुकाए हुए हल्की आवाज़ में बोली, “जी, दादी तो बिल्कुल ठीक हैं, लेकिन मुझे थोड़ी सी दिक्कत हो रही है। उसी के लिए आई हूँ।”
डॉक्टर ने पेशेवर अंदाज में पूछा, “क्या हुआ पायल? क्या परेशानी है?”
मैंने हल्के से शरमाते हुए कहा, “नीचे… वहाँ हल्की जलन हो रही है और थोड़ा दर्द भी महसूस हो रहा है।” मेरी आवाज़ इतनी धीमी थी कि शायद उन्होंने मुश्किल से सुना।
डॉक्टर थोड़ा सोचते हुए बोले, “पायल, अभी तो हमारे पास कोई फीमेल स्टाफ नहीं है। सब लोग लंच करने गए हैं। अगर तुम चाहो, तो शाम को आ जाओ। तब हम इसे देख लेंगे।”
लेकिन मेरे इरादे तो कुछ और ही थे। मैं तो चाहती ही यही थी कि वहाँ कोई और न हो—बस मैं और डॉक्टर। मन ही मन मुस्कुराते हुए, मैंने थोड़ा नाटक करते हुए कहा, “डॉक्टर साहब, शाम तक तो शायद मैं मर जाऊँगी! प्लीज, कुछ कीजिए। आप भी तो डॉक्टर हो, क्या आप नहीं देख सकते?”
डॉक्टर थोड़ा झिझकते हुए बोले, “पायल, ऐसा नहीं है। मैं यह कह रहा था कि यह लड़कियों से जुड़ी समस्या है, और अगर कोई महिला डॉक्टर इसे देखे, तो ज़्यादा सही होगा।”
मैंने उनके जवाब को हल्के से चुनौती देते हुए कहा, “अच्छा? फिर तो शहरों में जो विशेषज्ञ होते हैं, वे पुरुष डॉक्टर होते हैं। क्या वो गलत करते हैं?”
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यह सुनकर डॉक्टर ने कुछ पल मेरी आँखों में देखा। उनकी आँखों में हल्की झिझक थी, लेकिन उनके चेहरे पर गंभीरता बनी हुई थी। वह बोले, “पायल, ऐसा बिल्कुल नहीं है। लेकिन गाँव के लोग ऐसी बातों को लेकर बहुत संवेदनशील होते हैं। इसलिए मैं कह रहा था। लेकिन…” वह थोड़ी देर रुककर बोले, “अगर तुम्हें ज़्यादा दिक्कत हो रही है और तुम चाहो, तो मैं देख सकता हूँ।”
उनके यह शब्द सुनते ही मेरे दिल की धड़कन तेज़ हो गई। मेरे अंदर एक अजीब-सा उत्साह और नर्वसनेस दोनों भर गए। मैं मन ही मन मुस्कुराई, लेकिन ऊपर से अपनी झिझक बनाए रखते हुए सिर हिलाया और धीमी आवाज़ में कहा, “जी, डॉक्टर साहब, आप देख लीजिए।”
डॉक्टर ने मेरी तरफ गंभीर नज़रों से देखा और बोले, “ठीक है, आप अंदर वाले कमरे में जाएँ और बेड पर लेट जाएँ। मैं अभी आता हूँ।”
मैं धीमे कदमों से उस कमरे में गई। वहाँ का माहौल बिल्कुल शांत था। अंदर का हर कोना मेरे दिल की धड़कनों के साथ ताल मिला रहा था। मैंने बेड पर लेटते ही महसूस किया कि मेरा दिल जोरों से धड़क रहा है। मेरे अंदर एक अजीब-सा मिश्रण था—प्यार का, हवस का, और उस पल की उत्तेजना का। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि मैं सही कर रही हूँ या गलत।
तभी डॉक्टर कमरे में दाखिल हुए। उन्होंने धीरे से दरवाजे को अंदर से बंद किया और मेरी तरफ बढ़े। उन्होंने मेरी तरफ देखते हुए कहा, “आपको अपनी सलवार उतारनी पड़ेगी।”
मैंने पहले से ही इस पल के लिए सबकुछ सोच रखा था। असल में, मैं पहले स्कर्ट पहनने वाली थी, जो बस उठाने भर से डॉक्टर को मेरा शरीर दिखा देती। लेकिन मैंने जानबूझकर सलवार पहनी थी। मैं चाहती थी कि डॉक्टर को मेरी हर परत हटाने में वक्त लगे, और इस दौरान मैं उनके सामने हल्का-हल्का तड़पती रहूँ। मुझे शॉर्टकट में भरोसा नहीं था।
मैंने उनकी बात सुनते ही अपनी सलवार को धीरे-धीरे उतार दिया। फिर, अपने लाल रंग की पैंटी को भी हटाया और उसे बेड के पास ऐसे रखा कि डॉक्टर आसानी से देख सकें कि मेरी पैंटी पूरी तरह भीगी हुई थी।
अब मैं वापस बेड पर जाकर लेट गई। डॉक्टर ने पास रखी हुई टॉर्च उठाई और बोले, “अपने पैरों को घुटनों से मोड़कर थोड़ा दूर कर लीजिए।”
मैंने उनकी बात मानते हुए अपने दोनों घुटनों को मोड़कर अलग कर दिया। डॉक्टर ने मेरे पैरों के बीच झुककर मेरी चूत के होठों को अपनी उंगलियों से धीरे-धीरे फैलाया। जैसे ही उन्होंने टॉर्च से मेरी चूत को देखा, मेरे पूरे शरीर में एक अजीब-सी सनसनी दौड़ गई।
मेरे मुँह से हल्की-सी सिसकारी निकल गई, “Ahhh…”
मैंने तुरंत खुद को संभालते हुए अपने दाँतों से होठ दबा लिया, ताकि मेरी आवाज़ और न निकले। लेकिन डॉक्टर की उँगलियों का हल्का स्पर्श और उनकी नज़रों का ध्यान मेरी चूत पर महसूस करते हुए मैं पूरी तरह से बेकाबू हो रही थी।
डॉक्टर की निगाहें मेरी चूत पर टिकी थीं, और उनकी उँगलियों का स्पर्श मुझे पागल कर रहा था। मैं जानती थी कि यह पल सिर्फ शुरुआत थी।
डॉक्टर कुछ देर मेरी चूत को ध्यान से देखते रहे। वो अब तक समझ चुके थे कि मैं अंदर से कितनी गर्म हूँ, क्योंकि मेरी चूत से लगातार काम का रस बह रहा था। उनकी नजरें और उनका रुक-रुक कर मेरी चूत को देखना साफ बता रहा था कि वह खुद भी अब गर्म हो चुके हैं।
मैंने चोर नजरों से उनके पैरों की ओर देखा। उनकी पैंट में तंबू-सा बनता देख मैं समझ गई थी कि मेरा जाल पूरी तरह काम कर रहा है। अब बस मेरे अगले कदम का इंतजार था।
मैंने थोड़ा मासूमियत का नाटक करते हुए पूछा, “डॉक्टर साहब, कुछ समझ में आ रहा है? मैं बहुत दिनों से परेशान हूँ।”
फिर, बिना किसी झिझक के, मैंने अपने हाथ को अपनी चूत पर रखा और धीरे-धीरे अपने दाने को मसालने लगी। मैंने हल्की आवाज़ में कहा, “बस यही मन करता है कि मैं इसे ऐसे ही करती रहूँ।”
डॉक्टर ने एक पल को मेरी आँखों में देखा और पूछा, “ये परेशानी कब से हो रही है?”
मेरी जुबान से बिना सोचे-समझे निकल गया, “जब से मैं दादी को आपके पास लेकर आई थी। करीब तीन-चार दिन से।”
उनके चेहरे पर हल्की मुस्कान आई। वह समझ चुके थे कि मैं क्या चाहती हूँ। लेकिन वह जल्दीबाजी नहीं करना चाहते थे।
मैं अपनी चूत के दाने को उनके सामने और तेज़ी से रगड़ने लगी। कुछ ही पलों में मैं पूरी तरह झड़ गई। मेरा शरीर अकड़ गया और फिर ठंडा पड़ गया।
उन्होंने मेरी चूत से निकलने वाले रस को अपनी उँगली पर लिया और उसकी ओर देखते हुए कहा, “इसका तो सिर्फ एक ही इलाज है। अगर आप चाहें, तो मैं आपकी मदद कर सकता हूँ। और इसके लिए मैं कोई चार्ज नहीं लूंगा।”
मैं उनकी बातों को समझ रही थी। लेकिन मैं इतनी जल्दी उनकी बातों में नहीं आने वाली थी। मैंने चाहा कि जैसे मैं तड़प रही हूँ, वैसे ही अब उन्हें भी तड़पाऊँ।
मैंने थोड़ा मासूम बनते हुए पूछा, “कैसा इलाज, डॉक्टर साहब?”
उन्होंने गंभीरता से कहा, “आपकी चूत के अंदर एक दीवार है, जिसकी वजह से पूरा पानी बाहर नहीं निकल पा रहा है। देखो, ये पानी कितना धीरे-धीरे निकल रहा है। हमें उसे हटाना होगा।”
उन्होंने आगे कहा, “इसके दो उपाय हैं। पहला, आप ऑपरेशन करवा सकती हैं, लेकिन उसके लिए आपको शहर जाना पड़ेगा। दूसरा, एक देसी तरीका है, जिसमें मैं आपकी मदद कर सकता हूँ। लेकिन इसके लिए आपसे वादा चाहिए कि आप यह बात किसी और को नहीं बताएँगी। गाँव के लोग ऐसी चीजों को गलत समझते हैं।”
डॉक्टर थोड़ा रुके और फिर बोले, “शहरों में ऐसा आम है। वहाँ पुरुष डॉक्टर भी महिलाओं के प्राइवेट अंगों की जांच और इलाज करते हैं। लेकिन गाँव में यह सब अलग होता है। इसलिए, अगर आप चाहें, तो मैं आपकी मदद कर सकता हूँ। लेकिन आपको खुद तय करना होगा—क्या आप ऑपरेशन करवाना चाहती हैं या देसी इलाज?”
मैं अच्छे से जान चुकी थी कि डॉक्टर साहब के “देसी इलाज” का मतलब क्या है। उनके चेहरे पर हल्की झिझक देखकर, मैं अंदर ही अंदर मुस्कुरा रही थी। मैंने थोड़ा सोचने का नाटक करते हुए कहा, “डॉक्टर साहब, देसी इलाज ही बेहतर होगा। मैं शहर जाकर ऑपरेशन नहीं करवा पाऊँगी। मेरे घर की स्थिति इतनी अच्छी नहीं है।”
डॉक्टर मेरी बात सुनकर हल्का मुस्कुराए और बोले, “ठीक है, लेकिन इसके लिए तुम्हें वादा करना होगा कि तुम किसी को इस बारे में कुछ नहीं बताओगी। यह सिर्फ हमारे बीच रहेगा।”
मैंने उनकी बात सुनते ही मासूमियत से कहा, “डॉक्टर साहब, आपको मुझ पर भरोसा नहीं है क्या? मैं किसी को कुछ नहीं बताऊँगी। यह मेरा आपसे वादा है।”
डॉक्टर ने मेरी बात सुनते ही अपनी पैंट उतारनी शुरू की। मैं जानती थी कि अब क्या होने वाला है, लेकिन मैंने जानबूझकर मासूमियत का नाटक किया। जैसे ही उन्होंने अपनी पैंट उतार दी और अंडरवियर भी उतारने लगे, मैंने शरारती अंदाज में उनकी तरफ देखते हुए कहा, “डॉक्टर साहब, यह क्या कर रहे हो? यह इलाज में कहाँ आता है?”
डॉक्टर थोड़ा झेंप गए, लेकिन खुद को सँभालते हुए बोले, “पायल, यह देसी इलाज के लिए ज़रूरी है। अब ज़्यादा सवाल मत पूछो और जैसा मैं कह रहा हूँ, वैसा करो।”
जैसे ही उन्होंने अपना अंडरवियर उतारा, उनका लंड मेरी आँखों के सामने था—मोटा और लंबा। मैंने उसे ध्यान से देखा और अंदर ही अंदर चौंक गई।
मैंने उनकी तरफ हल्की मुस्कान के साथ कहा, “डॉक्टर साहब, ये… ये तो काफी बड़ा लग रहा है। क्या यह वाकई मेरे इलाज के लिए है, या सिर्फ मुझे डराने के लिए?”
डॉक्टर मेरी इस बात पर थोड़ा हड़बड़ा गए, लेकिन उन्होंने गंभीरता बनाए रखते हुए कहा, “पायल, तुम्हें डरने की ज़रूरत नहीं है। यह तुम्हारे इलाज के लिए ही है, और मैं ध्यान रखूँगा कि तुम्हें तकलीफ न हो।”
मैंने अपनी टाँगों को थोड़ा और फैला दिया, ताकि उनकी नजर मेरी गीली चूत पर टिक सके। मेरी चूत से लगातार काम रस बह रहा था, और मैं जानबूझकर अपनी उँगलियाँ हल्के-से चूत के पास ले जाकर उसे छूने लगी।
“डॉक्टर साहब,” मैंने शरारती आवाज़ में कहा, “आपका यह इलाज मुझे थोड़ा अजीब लग रहा है। कहीं ऐसा तो नहीं कि आप खुद भी घबरा रहे हों?”
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डॉक्टर ने मेरी बात सुनकर गहरी सांस ली और कहा, “पायल, मैं बिल्कुल नहीं घबराता। तुम आराम से लेटो। सबकुछ ठीक हो जाएगा।”
मैंने उनकी तरफ थोड़ा झुकते हुए हल्की आवाज़ में कहा, “डॉक्टर साहब, मुझे ऐसा लग रहा है कि आपका यह ‘इलाज’ पहले भी किसी ने कराया होगा। आप मुझे झूठ तो नहीं बोल रहे?”
डॉक्टर ने थोड़ा असमंजस में मेरी तरफ देखा, लेकिन फिर बोले, “पायल, तुम बहुत सवाल कर रही हो। अब चुप रहो और मुझे अपना काम करने दो।”
मैंने उनकी बातों का मजा लेते हुए कहा, “अरे, डॉक्टर साहब, गुस्सा क्यों हो रहे हैं? मैं तो बस पूछ रही थी। वैसे, एक बात बताइए, आपका यह ‘देसी इलाज’ कितने दिनों तक चलेगा? कहीं ऐसा तो नहीं कि मुझे बार-बार आना पड़े?”
यह कहते हुए मैंने अपनी उँगलियों से अपनी चूत के दाने को हल्के-हल्के मसलना शुरू कर दिया। मेरी सिसकारियाँ हल्की थीं, लेकिन इतनी थीं कि डॉक्टर का ध्यान और खींच सकें।
“डॉक्टर साहब,” मैंने हल्की सिसकारी लेते हुए कहा, “आप इतना ध्यान दे रहे हैं, तो जल्दी क्यों नहीं शुरू करते? या आपको अभी भी कुछ समझने की ज़रूरत है?”
डॉक्टर का चेहरा अब पूरी तरह लाल हो चुका था। उन्होंने गहरी सांस लेते हुए कहा, “पायल, अब चुप रहो। मैं इलाज शुरू करता हूँ। लेकिन तुम्हें पूरा मुझ पर भरोसा करना होगा।”
उसका खड़ा हुआ लंड अब हवा में लहरा रहा था। वह इतना मोटा और लंबा था कि मेरी आँखें उस पर टिकी रह गईं। मुझे लग रहा था कि वह किसी रोटी बनाने वाले बेलन से भी बड़ा होगा। मैंने बहुत कम पॉर्न वीडियो में ऐसा लंड देखा था, और अब यह मेरे सामने था।
मुझे हल्का डर लगने लगा। मेरी चूत इतनी टाइट थी कि मैं सोचने लगी, क्या मैं इसे सह पाऊँगी? मेरे चेहरे की घबराहट और झिझक को डॉक्टर ने भाँप लिया। वह धीरे-धीरे मेरे पास आए और पास रखे एक टेप को उठाया।
“यह क्या कर रहे हैं, डॉक्टर साहब?” मैंने मासूमियत भरी आवाज़ में पूछा, लेकिन मेरी आँखों में हल्की शरारत झलक रही थी।
डॉक्टर ने हल्की मुस्कान के साथ कहा, “पायल, यह तुम्हारे चिल्लाने की समस्या को ठीक करने के लिए है। मैं नहीं चाहता कि इलाज के दौरान तुम्हें ज़्यादा दर्द हो और कोई आवाज़ बाहर जाए। तुम इसे चुपचाप सहन करो, सब ठीक हो जाएगा।”
मैंने उनकी बात पर हल्की हँसी छिपाते हुए कहा, “अच्छा! तो डॉक्टर साहब, मतलब आप पहले ही मान चुके हैं कि मैं चिल्लाने वाली हूँ? लगता है, आपने पहले भी ऐसा किया है।”
डॉक्टर मेरी बात पर थोड़ा मुस्कुराए, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं कहा। उनकी आँखों में एक दृढ़ता थी, और इससे पहले कि मैं और कुछ कह पाती, उन्होंने मेरे होंठों पर टेप लगा दिया।
टेप लगाते समय उनकी उँगलियाँ हल्के से मेरे होठों को छू रही थीं। मेरे अंदर एक अजीब-सी सनसनी दौड़ रही थी। टेप लगने के बाद मेरी आवाज बंद हो गई, लेकिन मेरी आँखों ने अपनी बात कहना बंद नहीं किया। मैं उन्हें बार-बार घूर रही थी, जैसे पूछ रही हूँ, “अब क्या करने वाले हो, डॉक्टर साहब?”
उन्होंने मेरी चूत के पास झुकते हुए कहा, “पायल, तुम्हारी चिल्लाने की आदत को रोकने के लिए ये ज़रूरी था। अब मैं तुम्हें ठीक से देख पाऊँगा।”
मैंने हल्के-से मचलते हुए अपनी जाँघें थोड़ा और फैला दीं। उनकी आँखें मेरी गीली चूत पर टिक गईं। वह झुके और अपनी जीभ मेरी चूत पर फेरने लगे। उनकी जीभ के हल्के-हल्के स्पर्श से मेरी पूरी देह में झनझनाहट हो रही थी।
थोड़ी देर चाटने के बाद, उन्होंने अपनी एक उँगली मेरी चूत के अंदर डालने की कोशिश की। मेरी चूत इतनी टाइट थी कि एक उँगली भी अंदर जाने में दिक्कत हो रही थी। जैसे ही उन्होंने थोड़ा ज़ोर लगाकर उँगली अंदर घुसाई, मुझे हल्का दर्द महसूस हुआ।
मैंने दर्द के मारे कराहने की कोशिश की, लेकिन टेप की वजह से मेरी आवाज बाहर नहीं आ पाई। डॉक्टर ने मेरी प्रतिक्रिया देखकर मुस्कुराते हुए कहा, “थोड़ा दर्द होगा, पायल। लेकिन यह तुम्हारे इलाज के लिए ज़रूरी है। आराम से रहो।”
अब उनकी उँगली मेरी चूत के अंदर थी। उन्होंने इसे हल्के-हल्के अंदर-बाहर करना शुरू किया। फिर उन्होंने उँगली को मेरी चूत के अंदर घुमाया, जिससे मेरी पूरी देह में अजीब-सी सनसनी फैलने लगी।
धीरे-धीरे मेरी चूत का दर्द कम होने लगा था। अब मेरी चूत डॉक्टर की दो उँगलियों को सहने लगी थी। उन्होंने बड़ी कुशलता से अपनी दो उँगलियों को मेरी चूत के अंदर घुसा दिया था और उन्हें अंदर-बाहर घुमाने लगे। यह मेरी चूत में लंड जाने की जगह बना रहा था। हल्का-सा दर्द अभी भी हो रहा था, लेकिन उस दर्द के साथ एक अजीब-सा आनंद भी महसूस हो रहा था।
डॉक्टर ने झुकते हुए मेरी चूत को फिर से अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया। उनकी जीभ मेरे चूत के हर कोने तक पहुँच रही थी। मेरा पूरा शरीर उनके हर स्पर्श पर मचल रहा था।
तभी वह मेरे कान के पास झुके और धीमी, मगर गहरी आवाज़ में बोले, “पायल, क्यों न तुम अपना शर्ट उतार दो? तुम्हें इससे और भी आराम मिलेगा।”
उनकी इस बात पर मैं थोड़ा झिझकी। लेकिन उनके उँगलियों और जीभ के जादू के आगे मैं खुद को रोक नहीं पाई। मैं बेड पर बैठी और धीरे-धीरे अपना शर्ट उतार दिया। मैंने उसे बेड के किनारे रखा और फिर अपना ब्रा भी उतार दी।
अब मैं डॉक्टर के सामने पूरी तरह से नंगी थी। यह मेरे लिए पहली बार था जब मैं किसी पुरुष के सामने इस तरह बिना कपड़ों के थी। मेरे स्तन हल्के-से काँप रहे थे, और डॉक्टर की नजरें अब मेरी चूत के साथ-साथ मेरे उभारों पर भी टिक गई थीं।
डॉक्टर ने एक पल को मेरी पूरी नंगी देह को देखा, और उनकी नजरों में साफ-साफ मेरी खूबसूरती और कुंवारीपन के लिए लालसा दिख रही थी। फिर उन्होंने मेरी चूत पर ध्यान दिया और उसे फिर से चाटने लगे। उनकी जीभ और उँगलियाँ अब और भी तेजी से चलने लगी थीं।
दो उँगलियाँ मेरी चूत के अंदर घूम रही थीं, और उनकी जीभ मेरे चूत के दाने को हल्के-हल्के चूम रही थी। मेरी चूत अब पूरी तरह भीग चुकी थी, और मेरा शरीर हर छुअन पर मचल रहा था।
“आह… डॉक्टर…,” मैं धीमे से कराहने लगी। मेरा मुँह टेप से ढका हुआ था, लेकिन मेरी आवाज़ डॉक्टर तक पहुँच रही थी।
यह मेरा पहला अनुभव था। अंदर से मैं डरी हुई थी, क्योंकि मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मेरा शरीर इतना मचल क्यों रहा है। लेकिन उस डर के साथ-साथ मुझे इतना आनंद आ रहा था कि मैं हर चीज़ भूल चुकी थी।
डॉक्टर ने मेरे चेहरे की ओर देखा और मुस्कुराए। फिर उन्होंने अपनी उँगलियों को और गहराई तक ले जाते हुए कहा, “पायल, तुम बहुत टाइट हो। लेकिन चिंता मत करो। सबकुछ आसान हो जाएगा। बस आराम से लेटी रहो।”
मैंने उनकी बात मान ली और अपनी टाँगों को थोड़ा और फैला दिया, ताकि वह और गहराई तक जा सकें।
समय मेरे लिए सबसे बड़ा मुद्दा था। मैं अपनी सहेली के यहाँ दो से तीन घंटे से ज़्यादा कभी नहीं रुकती थी। मुझे डॉक्टर के यहाँ आए हुए अब लगभग एक घंटा हो चुका था। मैं समझ रही थी कि अगले एक घंटे के अंदर मुझे यहाँ से निकलना होगा।
मेरे मुँह पर टेप चिपका हुआ था, जिसकी वजह से मैं बोलने की कोशिश करती, लेकिन मेरी आवाज़ बाहर नहीं निकल रही थी। मेरी चूत अब तक दर्द और आनंद के इस अजीब खेल में उलझी हुई थी।
डॉक्टर ने अपना खड़ा हुआ, मोटा लंड मेरी चूत पर सेट किया और धीरे से मेरे ऊपर झुक गए। उन्होंने मेरे कान के पास आकर कहा, “पायल, तैयार रहना। मैं तुम्हारी इस दीवार को तोड़ने वाला हूँ। यह तुम्हें दर्द तो देगा, लेकिन इसके बाद तुम्हें आराम भी मिलेगा। इसलिए मैंने तुम्हारे मुँह पर टेप लगाया है, ताकि तुम चिल्ला न सको। बस इसे सहन करने की कोशिश करना। मुश्किल से पाँच मिनट का समय लगेगा।”
उनकी आवाज़ में गहराई और गंभीरता थी। इससे मेरा दिल और तेजी से धड़कने लगा।
फिर, उन्होंने मेरी चूची को चूसते हुए, एक जोर का धक्का लगाया। उनका लंड मेरी चूत में आधा घुस गया। मैं दर्द से बिलकुल पागल हो गई। मेरा पूरा शरीर छटपटाने लगा, और मैंने खुद को छुड़ाने की कोशिश की। लेकिन डॉक्टर ने मेरे दोनों हाथ कसकर पकड़ रखे थे और मेरे ऊपर पूरी तरह से लेटे हुए थे।
मैं दर्द के मारे खुद को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन मैं कुछ नहीं कर पा रही थी।
डॉक्टर ने एक और जोर का धक्का लगाया। इस बार उनका लंड मेरी चूत में थोड़ा और गहराई तक चला गया। दर्द इतना तेज था कि मुझे लगा, मैं बेहोश हो जाऊँगी।
उन्होंने यह महसूस करते हुए मेरी चूची को चूसना शुरू कर दिया, जिससे मेरा ध्यान दर्द से हट सके। वह वहीं रुक गए और करीब पाँच मिनट तक मेरी चूची को चूसते रहे। उनके इस कदम से मेरा दर्द थोड़ा कम होने लगा।
“पायल, बस थोड़ा और सहन करो। यह तुम्हारे लिए ज़रूरी है,” उन्होंने कहा।
जब मेरा दर्द थोड़ा कम हुआ, तो उन्होंने हल्के-हल्के धक्के लगाने शुरू किए। वह लंड को पूरी तरह से घुसाने की बजाय, धीरे-धीरे अंदर-बाहर करने लगे। इससे मेरी चूत लंड को सहने के लिए जगह बनाने लगी।
पाँच मिनट बाद, उनका लंड मेरी चूत में पूरी तरह घुस गया। यह अनुभव ऐसा था, जिसे मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकती। दर्द अभी भी हो रहा था, लेकिन अब उस दर्द के साथ एक अजीब-सा मजा भी मिलने लगा था।
मैंने अपने शरीर को उनके धक्कों के साथ तालमेल में लाने की कोशिश की और अपनी गांड को हल्का-हल्का ऊपर उठाने लगी, ताकि उनका लंड और गहराई में जा सके।
डॉक्टर ने मेरे मुँह से टेप हटाया, और जैसे ही मेरा मुँह खुला, मैंने उन्हें जोर से किस कर लिया।
“आई लव यू, डॉक्टर साहब,” मैंने हल्की हँसी के साथ कहा। “मैं आपको बहुत चाहती हूँ। इसलिए मैंने यह नाटक किया। मुझे माफ कर दीजिए।”
डॉक्टर ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “कोई बात नहीं, पायल। मैं भी तुम्हें बहुत पसंद करता हूँ। और मैं समझ गया था कि तुम नाटक कर रही हो। लेकिन मुझे पता था कि तुम क्या चाहती हो। इसलिए मैंने भी इसे समझदारी से संभाला।”
“तो क्या तुम्हें अब अच्छा लग रहा है?” उन्होंने पूछा।
मैं मुस्कुराई और हल्की सिसकारी के साथ कहा, “हाँ, बहुत अच्छा लग रहा है। लेकिन थोड़ा जल्दी कीजिए, डॉक्टर साहब। मुझे घर पर देर हो जाएगी, और मुझे वहाँ ज्यादा समय नहीं मिलता।”
डॉक्टर ने गहरी मुस्कान के साथ अपने धक्कों को तेज करना शुरू कर दिया। मेरी चूत अब उनके हर धक्के का पूरा मजा लेने लगी थी।
डॉक्टर अब और तेज़ी से मुझे चोदने लगे थे। उनकी हर धक्का मेरी चूत के अंदर गहराई तक जाता और मुझे दर्द और आनंद का अजीब मिश्रण महसूस होता। उनके मोटे और लंबे लंड का हर इंच मेरी चूत के अंदर ऐसा महसूस हो रहा था, जैसे वह मेरी दीवारों को पूरी तरह तोड़ रहा हो।
“पायल, तेरी चूत इतनी टाइट है… मजा आ गया। तेरे जैसी लड़की मैंने पहले कभी नहीं चोदी।” उन्होंने मेरी चूची को कसकर पकड़ा और चूसते हुए बोले।
मैं उनकी बात सुनकर और मचलने लगी। “डॉक्टर साहब… धीरे… धीरे… मुझे दर्द हो रहा है,” मैंने कहा, लेकिन मेरी आवाज में दर्द के साथ-साथ मजा भी साफ झलक रहा था।
“दर्द होगा, पायल। पहली बार में दर्द ही होता है। लेकिन देख, अब तो तेरी चूत मुझे अंदर तक ले रही है।”
करीब 2 मिनट तक उनके लगातार तेज़ धक्कों के बाद मेरा शरीर अकड़ने लगा।
“डॉक्टर… आह… मैं… मैं झड़ रही हूँ,” मैंने उनकी ओर देखते हुए मचलते हुए कहा। मेरी चूत से काम रस की तेज़ धार बहने लगी। लेकिन डॉक्टर, जैसे कि वो एक ताकतवर मर्द थे, बिना रुके मुझे चोदते रहे।
“पायल, तुम्हारी ये टाइट चूत मुझे और पागल कर रही है। तुमने मुझे इस कदर गर्म कर दिया है कि मैं रुक ही नहीं सकता।”
“डॉक्टर साहब, आप बहुत बड़े हो… आपकी हर धक्का मुझे अंदर तक महसूस हो रहा है,” मैंने दर्द और आनंद के बीच कहा।
“बड़े होने का यही फायदा है, पायल। मैं तुम्हारी हर दीवार तोड़ दूंगा। आज तुम मेरी हो,” डॉक्टर ने गहरी आवाज़ में कहा।
उन्होंने मेरी चूची को कसकर पकड़ा और मेरे कान में फुसफुसाए, “पायल, तुम्हारी ये चूत इतनी टाइट है कि मेरा लंड इसे खोलने के लिए लड़ाई कर रहा है।”
मैं हल्के से हँसते हुए बोली, “डॉक्टर साहब, आपकी ये लड़ाई जीत रही है। लेकिन मुझे और भी चाहिए।”
डॉक्टर ने मेरे पेट पर हाथ फेरा और बोले, “पायल, मैं तुम्हारे इस पेट को अंदर तक भरने वाला हूँ। आज तुम्हारी चूत को असली मर्द का मजा मिलेगा।”
उन्होंने करीब 20 मिनट तक बिना रुके जोरदार धक्के मारे। मेरी चूत अब पूरी तरह से भीगी हुई थी और मैंने कई बार झड़ चुकी थी। आखिरकार, उन्होंने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाला और मेरे मुँह के पास आ गए।
डॉक्टर ने अपना खड़ा हुआ लंड अपने हाथ से पकड़कर मेरे मुँह के पास लाया। उन्होंने हल्के से कहा, “पायल, इसे देखो। यह तुम्हारे लिए खड़ा हुआ है। अब इसे आराम देने का समय है।”
वह मुठ मारने लगे, और मैं उनके लंड को देखती रही। उनका हर स्ट्रोक मुझे और गर्म कर रहा था। “पायल, मैं तुम्हारे मुँह पर खत्म करना चाहता हूँ। अपनी जीभ बाहर निकालो।”
मैंने उनकी बात मानते हुए अपनी जीभ बाहर निकाली। उन्होंने कुछ और स्ट्रोक मारे और फिर मेरे मुँह और चेहरे पर गर्म वीर्य की धारें फेंक दीं।
“डॉक्टर… यह तो बहुत सारा है,” मैंने कहा, और अपनी उँगली पर थोड़ा वीर्य लिया। मैंने उसे चखते हुए कहा, “यह हल्का नमकीन है।”
फिर, मैंने थोड़ा और वीर्य उठाया और अपने मुँह में डाल लिया। “डॉक्टर साहब, अगली बार मैं यह सब पूरा निगल जाऊँगी,” मैंने शरारती अंदाज में कहा।
मैं बाथरूम में गई और अपने शरीर को अच्छे से साफ किया। पानी की हर बूँद मेरे गर्म शरीर को ठंडा कर रही थी। मैं बाहर आई, अपने कपड़े पहने और डॉक्टर के केबिन में गई।
डॉक्टर मुझे देखकर हल्के-हल्के मुस्कुरा रहे थे। उन्होंने अपनी टेबल से मोबाइल उठाया और स्क्रीन मेरी तरफ बढ़ाई। यह कॉल वाला पेज था।
“तो, डॉक्टर साहब, आप मेरा नंबर चाहते हैं?” मैंने मुस्कुराते हुए कहा।
“हाँ, पायल। ताकि मैं तुम्हें फिर से देख सकूँ,” उन्होंने कहा।
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मैंने अपना नंबर टाइप किया और एक मिस्ड कॉल किया। “अब मेरा नंबर आपके पास है, डॉक्टर साहब,” मैंने शरारती अंदाज में कहा और मुस्कुराते हुए बाहर निकल गई।
घर पहुँचकर मैंने अपना व्हाट्सएप चेक किया। डॉक्टर का मैसेज था:
“तुम बहुत अच्छी हो, पायल। यह सिर्फ एक बार का नहीं होना चाहिए। मैंने तुम्हारे पर्स में एक दवा रख दी है। ध्यान से खा लेना, क्योंकि हमने बिना कंडोम के किया है। हो सकता है गलती से गर्भ ठहर जाए।”
मैंने मुस्कुराते हुए मैसेज पढ़ा और जवाब दिया:
“डॉक्टर साहब, अगली बार आप बिना सोचे मुझे बुला सकते हैं। मैं हमेशा आपके लिए तैयार हूँ।”
डॉक्टर के साथ बिताए उस पल के बाद, मैं घर आकर अपने कामों में व्यस्त हो गई। लेकिन मेरे मन में एक अलग ही खुशी थी। आज मैंने खुद को पूरी तरह से बदलते हुए महसूस किया था। आज मैं एक कली से फूल बन चुकी थी।
यह खुशी सिर्फ वही लड़कियां समझ सकती हैं, जिन्होंने अपने जीवन का यह पल जिया है। पहली चुदाई का अनुभव हर लड़की के लिए खास होता है। यह दर्द और आनंद का ऐसा संगम है, जो जिंदगी भर याद रहता है।
तो दोस्तों, यह मेरी पहली चुदाई की कहानी थी। यह मेरे जीवन का एक बेहद सुनहरा सच था, जिसे मैं हमेशा याद रखूँगी। हालांकि, डॉक्टर के साथ मेरा रिश्ता यहीं खत्म नहीं हुआ। हम करीब तीन साल तक रिलेशनशिप में रहे।
इन तीन सालों में हमने एक-दूसरे के साथ खूब मस्ती की। हमने साथ में कई और रंगीन पल बिताए, जो मेरी यादों का हिस्सा बन गए हैं।
लेकिन, जैसा कि हर कहानी का अंत होता है, हमारा भी हुआ। तीन साल बाद डॉक्टर साहब की शादी हो गई और मेरी भी। हमारी राहें अलग हो गईं, लेकिन उन यादों का स्थान मेरी जिंदगी में हमेशा रहेगा।
मैं इन तीन सालों में बिताए कई मजेदार और हसीन पलों को भी आपसे शेयर करूंगी। लेकिन शर्त सिर्फ इतनी है कि आप मुझे कमेंट्स में बताएं कि आपको मेरी यह कहानी कैसी लगी।
आपके कमेंट्स मेरे लिए प्रेरणा होंगे, ताकि मैं अपनी अगली कहानी में और ज्यादा ईमानदारी और रोमांच ला सकूँ।
तो मिलते हैं अगली कहानी में, जहाँ मैं आपको डॉक्टर के साथ बिताए उन तीन सालों के मजेदार पलों के बारे में बताऊंगी।
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अच्छा था पायल की चुत का उद्घाटन
बहुत बहुत धन्यवाद जी
इधर भी इस ही लण्ड है। है कोई जो अपनी बुर को मेरे लण्ड की सवारी करवा सके?