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Girlfriend ki maa bani meri rakhel

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नमस्कार दोस्तों मेरा नाम आनंद है और मेरी उम्र 32 वर्ष है, कद 5 फूट 9 इंच है, मैं सूरत का रहने वाला हूं। मैं सबसे पहले रितु जी को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने मेरी कहानी को आप सब तक पहुंचाया।
ये मेरे जीवन की सच्ची घटना है जो बता रहा हूं। बात तब की है जब मेरी आयु 23 वर्ष की थी, तब मैंने कॉलेज में दाखिला लिया था और हमारे जीवन में बहुत बड़ा बदलाव आया था। इसके पहले हमारी परिस्थितियां अच्छी नहीं थी।
मेरे परिवार में मेरे पापा, मां और मैं हम तीन लोग हैं। पारिवारिक संपति का विवाद था। आय के नाम पर एक दुकान थी कपड़े की लेकिन बाजार से दूर होने के कारण कमाई नहीं हो पाती थी। जिसके लिए पापा कपड़ों को साइकिल पर लेकर शहर के अलग अलग हिस्सों में जाकर बेचा करते थे साथ में मैं भी जाता था।
काफी कोशिशों के बाद हमें एक दुकान मिली पर किराया काफी था फिर भी पापा ने लिया क्योंकि मार्केट में अपनी पहचान बनाई जा सके। जब किराया लेने मकान मालिक आता तो उसके व्यवहार से मुझे काफी गुस्सा आता था। वो एक दिन की देरी होने पे भी काफी सुनाता था।
मुकदमे के कारण वकील से मिलना और बाते मालूम करना तथा दुकान के लिए थोक व्यापारी से सामान लेने मैं ही जाता था। इस कारण मेरी पढ़ाई ठीक से नहीं हो सकी लेकिन दुनिया का तजुर्बा काफी अच्छा हो गया था। मैं अपनी कई इच्छाओं को दबा दिया करता था आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण। जिससे पापा को काफी दुःख होता था।
फिर एक दिन किस्मत पलटी और कोर्ट का फैसला हमारे हक में आया तथा हरजाना भी प्राप्त हुआ। हमने वहां अपना खुद का दुकान बना लिया तथा कुछ दुकानें किराए पर दे दी। मैंने कॉलेज जाना शुरू किया क्योंकि अपनी पढ़ाई पूरी कर सकूं।
हमारा कॉलेज लडको का था तथा लड़कियों का अलग था जो बगल में ही है।कई लड़कों की लड़कियों से दोस्ती भी थी।एक दिन चौराहे से गुजरते समय मैंने एक महिला को देखा जिसकी खूबसूरती पे मैं फिदा हो गया वो मात्र 30 वर्ष की लग रही थी।
मैं अब हर समय उसे ही ढूंढने लगा, उसकी भूरी आंखे पतली और लचकती कमर,कद 5: 6 इंच की और बिलकुल दूध सी गोरी थी जैसे की कोई परी हो। मैं ज्यादातर महिला कॉलेज के पास ही खड़ा होने लगा उसे देखने के लिए। मेरी उम्र और स्वभाव के कारण दूसरे लड़के मुझसे डरते भी थे। इसलिए कोई कुछ बोलता नहीं था।
उसे देखने से मुझे अपार खुशी होती थी मैं देखता था कि वो अक्सर एक ही लड़की से बात करती है। लेकिन ये खुशी ज्यादा दिन नहीं रही जब मैंने देखा कि वो शादी शुदा है। फिर मैंने भी उसी लड़की से दोस्ती बनाई जिससे वो बात किया करती थी। उस लड़की का नाम प्रीति था और वो भी मेरे ही क्लास में थी। यहां तक कि हमारे विषय भी एक ही थे इसलिए आसानी से हम दोस्त बन गए।
प्रीति भी काफी खूबसूरत है उसकी उम्र तब 20 वर्ष थी कद 5:3 इंच और अपने फिगर के चलते बिलकुल पटाखा लगती है। उसका फिगर 32,28,30 का है बातों बातों में प्रीती से पता चला कि वो खूबसूरत महिला उसकी मां है जिसका नाम सुधा है तथा उसकी उम्र 37 वर्ष है।
मेरी और प्रीती की अच्छी दोस्ती हो गई थी और हमारी बाते भी खूब होने लगी थी। मैं प्रीती काफी करीब आ रहे थे एक दूसरे के मैं उसे घुमाने ले जाता तो कभी कुछ उसके पसंद के तौफे दे दिया करता।उस समय ये नहीं पता था कि प्रिती अब मुझे चाहने लगी है।
तभी एक दिन पापा के एक परिचित ने मेरे रिश्ते के लिए बात की। जिस लड़की से शादी तय हुआ उसका नाम कल्पना था और मेरे परिवार को भी वो रिश्ता पसंद था। लेकिन मैं मना कर रहा था।पापा से मैंने कहा की मुझे अपनी पढ़ाई पूरी करनी है। पापा भी मान गए, लेकिन सगाई कर दी गई मेरी और कल्पना की, उस समय कल्पना भी 19 वर्ष की थी तथा ग्यारहवीं में पढ़ती थी। दोनो परिवारों में तय हुआ कि हमारी शादी पढ़ाई खत्म होने के बाद होगी।
इसके बाद मैने और कल्पना ने अपने नंबर साझा किया।लेकिन मैं ज्यादा बाते प्रिती के साथ ही करता था। अगले दिन कॉलेज में कलर्क ने मुझसे पूछा कि तुम्हारी सगाई थी न। मेरे होश उड़ गए कि कॉलेज में बात फैल गई तो मेरा मजाक उड़ाया जाएगा।इसलिए मैंने आग्रह किया की ये बातें किसी को न बताए। उसने अपना नाम धर्मदेव बताया और कहा कि वो कल्पना का मौसा है।
मैंने कल्पना से धर्मदेव के बारे में बात की तो पता चला कि वो उसका मौसा है लेकिन उसकी मौसी का देहांत हो चुका है।धर्मदेव कलर्क जरूर था लेकिन उसके पास संपति बहुत थी यानी एक रईस व्यक्ति था। कहते हैं न कि दुनिया बहुत छोटी है तो वही हुआ प्रिती धर्मदेव की ही बेटी निकली, सुधा धर्मदेव की दूसरी पत्नी है।
हमारे कॉलेज के पिछले हिस्से में एम. ए. की क्लास चलती है पर हर दिन नहीं। इसलिए लड़के लड़की वहीं मिलते थे।मैं भी प्रीति को लेकर उधर चला जाता था उसके गालों को छूता तो कभी किस करने लगा। मैं बातों बातों में उससे सुधा के बारे में जानकारी लेता था। प्रिती ने ही बताया कि सुधा और धर्मदेव के बिच अच्छी नहीं बनती है और उसकी मां बस रिश्ता निभा रही है । वहीं कॉलेज के साथियों से पता चला कि धर्मदेव एक फट्टू किस्म का इंसान है, कॉलेज के लड़कों से भी वो डरता था।
इधर मैं और प्रिती काफी करीब आ गए थे । एक दिन मैंने प्रिती से अपने प्यार का इजहार कर दिया पहले तो वो शरमा गई और बिना कुछ बोले चली गई। मैं सोचने लगा कि कहीं गलती तो नहीं कर दी? शाम को मेरे पास मैसेज आया कि कल कॉलेज के पिछे मिलो। मैं सोचने लगा कि वहां क्यों कह रही है, कहीं कल्पना से न बता दे? पर ऐसा कुछ नहीं था उसने सामने से कहा इतना समय लेते हो दिल की बात कहने में। इतना कहकर वो चली गई।
मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था, अब तो हम दोनों रात में भी चैट करने लगे, बात प्यार, दिल से होते हुए सेक्स तक पहुंच गई थी।एक दिन हम दोनों पिछे की क्लास में थे तभी उसे चूमते हुए मैं अपने हाथ उसकी लेगिन में ले गया वहां थोड़े बाल महसूस हुए।उसने मुझे रोका और कहा कि आज नहीं। मैं उसकी चूत उपर से ही सहलाते हुए मनाने लगा पर वो नहीं मानी। मैं थोड़ा नाराज़ हो गया तो उसने कहा कल कर लेना पर यहां नहीं।मैं एक हाथ से उसकी चूत को दबाया और उसे किस करने लगा। उसकी चूत गिलि हो रही थी।फिर हम दोनों वहां से निकल लिए।
रात को चैट करते हुए हमने सिर्फ सेक्स कि ही बात की मैं उसे चूत खोलने के लिए कहता तो वो भी लन्ड मांग रही थी।देर तक ऐसे ही एक दूसरे को फोन पर मजा देते हुए हम काफी गर्म हो गए थे।मुझसे अब इंतजार नहीं हो रहा था और रात काफी लंबी लगने लगी।उसने कहा कि वो कल किसी दूसरे जगह पे इंतजार करेगी और वहीं हमने मिलने का तय किया।
अगले दिन मैं उसकी बताए स्थान पर पहुंचा वो अभी नहीं आई थी।मैं कुछ जल्दी ही पहुंच गया था फिर एक सिगरेट पीने लगा।कुछ देर बाद प्रिती ने कॉल किया और मैंने देखा कि वो थोड़ी दूर खड़ी है। मैं उसके पास गया,वो हरे कुर्ती और लाल सलवार में खड़ी थी। मैं उसे देखता ही रहा की तभी वो बोली..
प्रिती ने कहा: कोई सुरक्षित स्थान है तो वहां चलो मैं ज्यादा देर तक यहां नहीं रुक सकती।

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मैं: पहले क्यों नहीं बताया मेरे पास बहुत ही सेफ जगह है।
प्रिती: वहीं चलो और मुझे घूरना बंद करो यहां पर वहां देख लेना अच्छे से।
मैंने भी तुरंत बाइक घुमाई और निकल पड़ा उसे लेकर।ये जगह हमारे कॉलेज से थोड़ी दूर थी और अभी बस रहा था। यहां मैंने भी जमीन खरीदी थी और दुकानें बनाकर छोड़ दिया था। इनकी चाभी मेरे पास ही रहती थी जब किसी को दिखाना होता था तो मैं आता था।
प्रिती: ये कौन सी जगह है?
मैं: तुम्हारे लिए महल बनाने वाला हूं देखती जाओ।
फिर एक गली में हम मुड़ गए जो दुकान के पिछे जाती थी। मैंने पिछे से दुकान को खोला और हम दोनों अंदर आ गए,वो अभी भी सहमी हुई थी अनजान जगह से।
मैंने कहा: ये मेरा ही है और पिछे से इसलिए आया ताकि किसी को पता न चले की हम अंदर है।वैसे भी वो खाली इलाका था पर मैं कोई दिक्कत नहीं चाहता था। रास्ते में ही हमने कुछ खाने का सामान भी ले लिया था।
हम दोनों एक दूसरे को कुछ देर देखते रहे और मैं मन ही मन खुश हो रहा था कि आज तो इसकी चूत अच्छे से फाड़नी है। तभी वो बोली……
प्रिती: तुम कबसे मुझे चाहते हो?
मैं: पहले तुम बताओ कि तुम कबसे?
प्रिती: जब तुम कॉलेज के बाहर फूल छिपाते हुए घूमते थे। और तुम!
मैंने उसे बाहों में लेकर कहा : याद है जब तुम अपने कॉलेज में टीचर बनी हुई थी और साड़ी पहन रखी थी तभी से। और उसे जोर से जकड़ लिया।
मैं: प्रिती मेरी जान बहुत तड़पा हूं तुम्हारे इस स्पर्श के लिए।
प्रिती: ओह आनंद अब ये प्रिती तुम्हारी ही है जब चाहे छू लेना ऐसे ही।
उसकी चूत सलवार के उपर से ही सहलाते हुए कहा कि कल क्यों छिपा रही थी इसे? अब इस पर सिर्फ मेरा हक है।मैंने महसूस किया कि आज उसकी चूत चिकनी लग रही है।
वो सिसकारने लगी : आह…आईईईई..हां आह….आनंद ये… तुम्हा…रा ही… है ओह….।
हम दोनों एक दूसरे के होंठ चूस रहे थे और मैं उसकी पीठ सहला रहा था। वो भी मेरे लन्ड को उपर से रगड़ने लगी। मतलब वो तयार हो कर आई थी कि आज उसे चूत का दरवाजा खुलवाना है।
वहां दुकान में कुछ सामान रखा था जिसमे एक फोम का गद्दा भी था। मैंने प्रिती की कुर्ती और सलवार दोनो निकाल दिया वो अब सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी।गोरे बदन पर लाल ब्रा और गुलाबी पैंटी कहर ढा रही थी।उसे इस रूप में देख मैं होश खो बैठा और उस पर चुंबनों की बारिश कर दी।
प्रिती भी साथ दे रही थी और मुझे जकड़ रखा था। हमारा चूमने और होठ चूसने का खेल 15 मिन तक चला। इसके बाद मैने भी कपड़े उतार दिए और सिर्फ कच्छे में खड़ा था। वो लन्ड को उपर से ही सहलाते हुए दबाने लगी।तभी उसके ब्रा खोल मैंने एक तरफ फेंक दिया और उसके बूब्स दबाने लगा।वो बस आह्ह्ह्ह उच्च कर रही थी।
मैंने कहा: तुम्हारा छोटा है! न..
प्रिती अपने बूब्स दबाते हुए: ऐसा लगता है तो बड़ा कर दो अब तो तुम्हारा है ये।
मैं खूब तेजी से उसके बूब्स चूसने लगा और वो भी बालों को सहलाते हुए दूध पिला रही थी।
प्रिती: औह्ह्हह आनंद चूस लो आज मुझे ।
तभी जोश में एक चूंचे को दबाते हुए दूसरे पे मैंने काट लिया।प्रिती जोर से चीखी आह्ह्ह्ह्ह क्या कर रहे ह्ह्ह हो?

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मैंने उसे धक्का दे कर गद्दे पर गिरा दिया और उसके बूब्स मसलने लगा। तेजी से उसकी पैंटी भी निकाल फेंकी।गद्दा फोम का था तो प्रिती उसमे अंदर चली जाती थी।एक उंगली उसकी चूत में घुसा दी चूत काफी टाइट थी जिससे उसे हल्का दर्द हुआ।
प्रिती: क्या कर रहे हो?
मैं: अपने लिए गुफे में जाने का रास्ता बना रहा हूं।
वो हंसते हुए: ऐसे ही नहीं बनेगा।
मैंने उसके चिकनी चूत को चूमा और कहा कि आज तो बनेगा चाहे जो हो जाए। आज वो चूत अच्छे से साफ कर के आई थी और एक खुशबू आ रही थी उसकी चूत में। मैं उसकी चूचियों को दबाते और चूसते हुए निचे आ रहा था और वो सिसकते हुए आह्ह्ह… उह्ह्ह्ह… औह्ह्ह कर रही थी। फिर उसके पेट पर किस किया और अचानक उसकी चूत पर टूट पड़ा जिससे वह तड़पने लगी।
पूरे दुकान में बस आह्ह्ह्हह औह्ह्ह्ह क्या…. कर रहे… हो? की आवाज सुनाई दे रही थी। कुछ देर बाद वो मेरा सिर अपनी चूत पर दबाने लगी और आह्ह्ह् चूसो… इसे…आह्ह्ह्ह् और चाटो.. इसे जोर….से…और….तेज….आनंद! कहते हुए वो झड़ गई।
मैंने कहा: मजा आया मेरी जान?
प्रिती: बहुत आया ! ऐसे तो तुम अपनी दीवानी बना दोगे मुझे।
मैं: अभी कहां? असली मजा तो अभी बाकी है।
प्रिती: काफी हल्का शरीर लग रहा है।
मैं: तुम हो ही बिलकुल कली की तरह इसलिए।
वो शर्माते हुए हंसने लगी। मैंने अपने कच्छे को निकाल कर 6.5 इंच का लन्ड उसके मुंह में दिया। पहले तो उसने मना किया लेकिन मेरे बार बार कहने पर वो लन्ड चूसने लगी। थोड़ी देर बाद उसे भी मज़ा आने लगा वो बड़ी तेजी से चूसने लगी और लन्ड को उपर नीचे करने लगी।मेरा लन्ड भी एकदम कड़क हो गया था अब।
करीब पांच मिन बाद मैने लन्ड बाहर निकाल लिया और उसे सीधा लिटाया।अब अपने लन्ड को उसके चूत पर रगड़ने लगा जिससे वो फिर से गर्म हो गई और मछली की तरह तड़पने लगी।
मैंने कहा: मेरी जान थोड़ा सा दर्द हो तो बर्दाश्त कर लेना।
उसने हां में सर हिलाया। फिर मैंने अपना लन्ड उसके चूत में डाला पर नही गया। मैंने उस पर थोड़ा थूक लगाया और दुबारा डाला जिससे टोपा अंदर घुस गया।वो हल्का सा कराह उठी।उसकी चूत काफी गर्म थी,फिर मैं निश्चिंत हो गया और जोर से लन्ड को उसके चूत में घुसा दिया। वो काफी तेज चीख पड़ी।
प्रिती: आ…आह्ह्ह मर…. गई……ईई! निकालो…
इसे दर्द…. हो रहा…है। मुझे….नही… ईई करना। मर गई….ईई।
उसके आंसू निकल आए पर मैं बिना किसी परवाह के उसे चोद रहा था और उसके बूब्स को दबा रहा था।
मैं: प्रिती बस थोड़ा सा दर्द सह लो मेरी जान हो न तुम आह्ह कितनी टाइट चूत है ?
बस ऐसे ही चोदता रहा और वो तड़प रही थी। थोड़ी देर बाद उसने मुझे अपनी टांगो में फसा लिया और नाखून गड़ाने लगी।अब उसका दर्द कम हो गया था और वो चूत उछाल उछाल कर चुदने लगी। दर्द की चीख अब सिसक में बदल गई थी।
मैंने तेजी से चोदते हुए कहा: आह मेरी जान बहुत मजा आ रहा है तेरी चूत में, अब हर दिन चोदूंगा तुम्हे। मेरी जान रोज अपनी चूत दोगी ना।
प्रिती: हां ऐसे ही….. चोदो मुझे हर बार चुदूंगी तुमसे आह… ऐसे…ही।
करीब 15 मिन तक चोदने के बाद हम दोनों एक साथ झड़ गए। मैं उसके उपर ही लेटा रहा कुछ देर फिर उसने मुझे हटाया उसकी चूत से खून और मेरा वीर्य साथ में बह रहा था। खून देख कर वो डर गई।
मैंने कहा: पहली बार में होता है ऐसे, अब तुम कली से फूल बन गई हो।
प्रिती: कुछ होगा तो नहीं?
मैं: नही मेरी जान! तुम्हे मजा आया ना या नहीं?
प्रिती: हां लेकिन दर्द भी हुआ है। तुम्हारा पहली बार था न ये?
मैं: हां तुम्हारे साथ मेरा पहली बार ही है।
उसने सिने पे हाथ मारते हुए कहा धत्त बहुत कमीने हो।
प्रिती को गाली देने की आदत है वो जब भी ऐसा बोलती तो मैं नाराज हो जाता फिर वो मुझे चूम कर मनाती थी।
पर आज मैं उसे चूमने लगा और कहा कि अब नही होगा बस जब कहूं तो अपने पैरों को खोल देना मेरे लिए।वो मुस्करा कर उठी और चूत साफ करने लगी। आज उसकी चाल बदल गई थी।
फिर मैं भी उठा और लन्ड को साफ किया।इसके बाद मैं उसके गालों को चूमने लगा और चूचों को दबाने लगा जिससे वो गर्म होने लगी।हमारा एक राउंड और हुआ इस बार थोड़ा लम्बा चला। अबकी बार वो पूरा साथ दे रही थी और सारे हॉल में उसकी आवाज सुनाई दे रही थी। मैं भी मजे ले ले कर चोद रहा था।
मैं: मेरी जान जितना हो सके जोर से चीख यहां कोई नहीं आएगा ।
इसके बाद हम दोनों एक साथ झड़ गए और थक कर नंगे ही एक दूसरे की बाहों में सो गए। तीन बजे मेरी नींद खुली तो मैंने उसे भी जगाया और हमने नाश्ता किया। मैं वहां सिगरेट पीने लगा तो उसने कहा ये भी शोक है?
मैं: तुम भी ले सकती हो।
कहते ही मैंने सिगरेट उसके होठों में दबा दिया।वो कश लेते ही खांसने लगी।मैंने कहा रोज ट्राई करो तब होगा और एक कश और खिंचवा दी।
मैं फिर से उसकी चूत में उंगली करने लगा और उसे चूमने लगा। लेकिन उसने मुझे रोका और कहा कि वह अब घर जाएगी उसे देर हो रही है।
मेरे मनाने पर उसने कहा कि ठीक है अपना लन्ड दो। वो मेरा लन्ड चूस रही थी और मैं उसके सर को पकड़ कर अपने लन्ड पे दबा रहा था।
मैं: प्रिती आह… मेरी जान चूसो इसे अपने यार को मजा दो आह… हा. हा… औह्ह् करते हुए सारा पानी उसके चूचों पर गिरा दिया।
पहले उसने खुद को साफ किया और अपने कपड़े पहने फिर मैं भी तयार हो गया।
मैं: आज कैसा लगा मेरे साथ?
प्रिती: तुम बिलकुल अपने नाम की तरह ही हो सच में बहुत आनंद दिया मुझे।
मैंने उसे बाहों में भर लिया कुछ देर तक उसके बाद हम दोनों निकल गए। उसने कहा कुछ होगा तो नहीं हमने दो बार कर दिया है आज। मैंने उसे गर्भ निरोधक दवा दी जो साथ लाया था। फिर सारे रास्ते वो अपने चूंचे मेरे पीठ पर रगड़ते हुए आई।फिर उसे वहीं पर छोड़ा जहां से हम निकले थे।
वो अपने घर चली गई और मैं अपने । मुझसे चुदने के बाद उसके आवाज भी काफी सेक्सी लग रही थी।

यह कहानी दी इंडियन सेक्स स्टोरीज डॉट की ओरिजनल सीरीज है, अन्य ओरिजनल सीरीज पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें : ओरिगनलस बाई दी इंडियन सेक्स स्टोरी डॉट कॉम

इसके बाद क्या हुआ और कैसे मजे लेने लगा मैं? ये अगले भाग में बताउंगा। जल्द ही मिलेंगे नए भाग के साथ दोस्तों।

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