मेरा नाम सुमन है। मैं 40 साल की एक आत्मविश्वासी और समझदार महिला हूं। मेरे परिवार में मेरे पति अजय और मेरी 20 साल की बेटी रिया हैं। अजय और मेरी शादी को 22 साल हो चुके हैं। हमारी जिंदगी अब तक सामान्य रही है, लेकिन मैं हमेशा से एक खुले विचारों वाली महिला रही हूं।
मेरी बेटी रिया अब जवान हो चुकी है। उसका भरा-भरा बदन और मासूम चेहरा किसी को भी उसकी तरफ खींच सकता है। वह इतनी खूबसूरत हो गई है कि हर बार उसे देखते हुए मुझे उसकी सुरक्षा को लेकर चिंता होती है। लेकिन साथ ही, मैं यह भी जानती हूं कि एक उम्र ऐसी होती है जब घर के मर्द—चाहे वह बाप हो या भाई—एक लड़की को सिर्फ बेटी या बहन के रूप में नहीं, बल्कि एक औरत के रूप में देखने लगते हैं।
मैं अक्सर इंटरनेट पर चुदाई की कहानियां पढ़ती हूं। इन कहानियों में रिश्तों के अलग-अलग रूपों को देखकर मेरा नजरिया और भी खुला हो गया है। मैंने कई बार बाप-बेटी के रिश्ते और उनकी कहानियां पढ़ी हैं। मुझे हमेशा यह एहसास हुआ कि अगर इन रिश्तों को सही तरीके से संभाला जाए, तो यह गलत नहीं है।
रिया अब 20 साल की हो चुकी है। वह कॉलेज जाती है, लेकिन उसकी चाल-ढाल और खूबसूरती ने घर में एक अजीब सा माहौल बना दिया है। मैंने देखा है कि अजय की नजरें अब उस पर टिकने लगी हैं। जब भी वह घर में शॉर्ट्स या टी-शर्ट पहनकर आती है, अजय की आंखें उसके पैरों और उभरे हुए बदन पर अटक जाती हैं।
एक दिन की बात है। रिया कॉलेज से लौटी थी और अपने कमरे में चली गई। उसने गुलाबी रंग की शॉर्ट टी-शर्ट और छोटे शॉर्ट्स पहन रखे थे। उसकी चाल और उसकी बेपरवाह मुस्कान देखकर कोई भी उसे देखकर मदहोश हो सकता था। मैं किचन में चाय बना रही थी और यह सब चुपचाप देख रही थी।
कुछ देर बाद, मैंने देखा कि अजय धीरे-धीरे रिया के कमरे की तरफ गया। दरवाजा थोड़ा खुला था। उसने अंदर झांका और फिर दरवाजे पर दस्तक दी। रिया ने अंदर से कहा, “हां, पापा?”
अजय ने बहाना बनाया, “तुम्हारी अलमारी का लॉक सही कर दूं? तुमने सुबह कहा था कि यह ठीक से बंद नहीं हो रहा।”
रिया ने जवाब दिया, “हां पापा, कर दीजिए।”
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अजय ने अलमारी खोली और अंदर कुछ देखने का नाटक करने लगा। उसकी नजरें बार-बार रिया पर जा रही थीं, जो बिस्तर पर बैठकर किताब पढ़ रही थी। फिर मैंने देखा कि अजय ने अलमारी से रिया की हल्की गुलाबी पैंटी उठाई और उसे अपनी जेब में रख लिया।
मैं यह सब दरवाजे के पीछे से देख रही थी। मेरे अंदर गुस्सा नहीं, बल्कि एक अलग सा उत्साह पैदा हुआ। मैं जानती थी कि अजय के मन में रिया के लिए अब पिता वाला प्यार नहीं, बल्कि एक मर्द की चाहत जाग चुकी है।
उस रात जब रिया सोने चली गई, मैंने अजय से बात करने का फैसला किया।
हम दोनों अपने कमरे में थे। मैंने कहा, “अजय, मुझे तुमसे कुछ बात करनी है।”
वह थोड़ा असहज हो गया। “क्या हुआ, सुमन?”
मैंने उसकी आंखों में देखा और कहा, “तुम्हें लगता है कि मैं कुछ नहीं देखती? मैंने आज तुम्हें रिया के कमरे में देखा। जब तुमने उसकी पैंटी अलमारी से निकाली और अपनी जेब में रखी। अब सच-सच बताओ, तुमने उसके साथ क्या किया?”
अजय घबरा गया और कुछ देर चुप रहा। फिर उसने कहा, “सुमन, मुझे खुद समझ नहीं आता कि मेरे साथ क्या हो रहा है। रिया अब इतनी बड़ी हो गई है कि मैं उसे कभी-कभी ऐसी नजरों से देख लेता हूं, जो नहीं देखनी चाहिए। मैं खुद को रोकने की कोशिश करता हूं, लेकिन…”
मैंने उसकी बात काटते हुए कहा, “लेकिन रोक नहीं पाते। मुझे सब पता है। और मैं इसे गलत नहीं मानती। अगर तुम्हारे मन में रिया को चोदने का ख्याल है, तो इसे स्वीकार करना बेहतर है।”
फिर मैंने उसके कान के पास धीरे से पूछा, “लेकिन एक बात सच-सच बताना, अजय। क्या तुम रिया की चुदाई करना चाहते हो?”
अजय ने मेरी बात सुनकर हैरानी और हल्की शर्मिंदगी से मेरी तरफ देखा और कहा, “सुमन, तुम कैसी बातें कर रही हो? यह सब… यह तो गलत है।”
मैंने उसकी ओर शांत स्वर में देखा और कहा, “मैं वही बात कर रही हूं, जो तुम सोचते हो। देखो, हमारी बेटी अब जवान हो गई है। उसकी खूबसूरती ऐसी है कि हर कोई उसकी तरफ आकर्षित हो रहा है। यह जाहिर सी बात है कि कई लड़के उसके पीछे होंगे। तुम खुद जानते हो कि आजकल कैसे लड़कियों के वीडियो और फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो जाते हैं।”
मैंने अपनी बात को और स्पष्ट करते हुए कहा, “अगर उसे घर में ही संतुष्टि और मार्गदर्शन मिल जाए, तो हमें बाहर की दुनिया की चिंता करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। और एक और बात, अजय। मैं इसे केवल एक जिम्मेदारी की तरह नहीं देख रही हूं। सच कहूं, तो मैं खुद बाप-बेटी की चुदाई को लेकर बेहद उत्साहित हूं। यह सोचकर ही मेरा मन मचल रहा है। अगर तुम इसके लिए तैयार हो, तो मैं अगले कदम के लिए काम शुरू कर देती हूं। लेकिन एक शर्त है—जो भी होगा, वह मेरी मौजूदगी में होगा।”
अजय ने थोड़ी झिझक और हल्की मुस्कान के साथ कहा, “ठीक है। अगर तुम भी राजी हो, तो फिर मुझे भी कोई ऐतराज नहीं है। मैं तुम्हारे साथ हूं।”
यह सुनकर मैंने राहत की सांस ली। मुझे यकीन हो गया था कि अब सबकुछ ठीक से आगे बढ़ सकता है। मैंने अजय को समझाया, “मैं रिया से बात करूंगी। उसे यह बताने के लिए एक कहानी बनानी होगी। मैं उसे समझाऊंगी कि हमारे परिवार में एक प्रथा है, जो हर बेटी के 21वें जन्मदिन पर निभाई जाती है। इस प्रथा में पिता अपनी बेटी को एक खास आशीर्वाद देते हैं, जो उसकी आने वाली जिंदगी के लिए शुभ माना जाता है। यह प्रथा हर परिवार में नहीं होती, लेकिन हमारे परिवार में यह बेहद खास है। इसलिए हमें इसे निभाना होगा।”
अजय ने मेरी बात सुनकर सहमति में सिर हिलाया और कहा, “ठीक है, सुमन। तुम जैसा कहोगी, मैं वैसा करूंगा।” उसकी बात सुनकर मुझे यकीन हो गया कि अब सबकुछ मेरी योजना के मुताबिक होगा।
अगली सुबह रविवार का दिन था। रिया मेरे पास बैठी थी और अपने मोबाइल पर कुछ देख रही थी। मैं धीरे-धीरे उसके पास बैठ गई और मुस्कुराते हुए उससे कहा, “बेटी, परसों तुम्हारा जन्मदिन है, और यह जन्मदिन बेहद खास होने वाला है।”
रिया ने उत्साहित होकर पूछा, “कैसे खास, मां? क्या हम कुछ अलग करेंगे?”
मैंने उसे शांत स्वर में समझाते हुए कहा, “हां, इस बार तुम्हारा जन्मदिन घर पर नहीं मनाया जाएगा। हम एक खास स्थान पर जाएंगे और वहां एक प्रथा का पालन करेंगे। यह एक ऐसा प्रतिष्ठान है, जो हमारे परिवार में 21वें जन्मदिन पर निभाया जाता है।”
रिया ने उत्सुकता से पूछा, “कैसा प्रतिष्ठान, मां? मुझे और बताओ।”
मैंने उसकी आंखों में देखते हुए कहा, “यह एक बहुत खास प्रथा है। जब बेटी 21 साल की हो जाती है, तो पिता उसे एक विशेष आशीर्वाद देते हैं। यह आशीर्वाद उसकी शादीशुदा जिंदगी को सुखमय बनाने के लिए जरूरी माना जाता है। हालांकि, यह हर परिवार में नहीं होता, लेकिन हमारे परिवार में यह हमेशा से होता आया है। इसलिए तुम्हें इसे करना होगा।”
रिया थोड़ी असमंजस में थी, लेकिन उसने सिर हिलाते हुए कहा, “ठीक है, मां। अगर यह हमारे परिवार की परंपरा है, तो मुझे इसे करना होगा।”
मैंने उसे और गंभीरता से समझाते हुए कहा, “लेकिन बेटी, यह प्रतिष्ठान इतना आसान नहीं है। इसमें तुम्हें पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ भाग लेना होगा। और एक बात याद रखना, अगर यह प्रतिष्ठान सही तरीके से नहीं हुआ, तो इसका असर तुम्हारे शादीशुदा जीवन पर पड़ेगा। इसका मतलब यह है कि अगर यह ठीक से नहीं हुआ, तो तुम्हारी शादी के बाद तुम्हारा जीवन कठिन हो सकता है।”
रिया के चेहरे पर हल्की घबराहट दिखने लगी। उसने डरते हुए कहा, “मां, मैं पूरी कोशिश करूंगी कि यह प्रतिष्ठान सही तरीके से हो। लेकिन मुझे यह ठीक से समझा दो कि मुझे इसमें क्या करना होगा।”
मैंने उसकी पीठ थपथपाते हुए मुस्कुराकर कहा, “तुम्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है। तुम्हारे पापा और मैं तुम्हें हर कदम पर गाइड करेंगे। बस, तुम्हें हमारी बात माननी होगी और जो कहा जाए, वह पूरी श्रद्धा से करना होगा।”
उसने धीरे से सिर हिलाया और कहा, “ठीक है, मां। मैं पूरी तरह से तैयार हूं।”
मुझे यकीन था कि रिया को पूरी तरह विश्वास दिलाने के लिए इस प्रथा को असली और पारंपरिक दिखाना होगा। मैंने अपने दिमाग में एक योजना बनाई। पुरानी चीज़ों को वास्तविक और प्रभावी दिखाने का सबसे अच्छा तरीका है पुराने कागजात या दस्तावेज़ का इस्तेमाल करना।
मैंने एक पुराना कागज लिया, जिसे मैंने जानबूझकर हल्का पीला और जर्जर बना दिया ताकि वह पुराना लगे। उस पर मैंने बहुत सावधानी से पारंपरिक शब्दावली में इस प्रथा का वर्णन लिखा। कागज को ऐसा दिखाया, जैसे यह हमारे परिवार की कई पीढ़ियों से चली आ रही परंपरा का हिस्सा हो।
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मैंने लिखा:
“प्रथा: बेटी का 21वें जन्मदिन पर योनि पूजन और लिंग पूजन”
- “इस प्रथा के अनुसार, जब बेटी 21 वर्ष की हो जाती है, तो उसके विवाहिक जीवन को सुखमय बनाने के लिए योनि पूजन पिता के द्वारा किया जाता है।”
- “तत्पश्चात, पिता का लिंग पूजन बेटी के द्वारा किया जाता है।”
- “इस पवित्र कर्म के अंत में, पिता के लिंग से निकलने वाले वीर्य को बेटी को ग्रहण करना होता है, जिससे उसे सुखी और समृद्ध जीवन का आशीर्वाद मिलता है।”
मैंने इस कागज पर थोड़ा सा धब्बे लगाए और किनारों को हल्का फाड़कर उसे ऐसा बना दिया, जैसे यह वर्षों पुराना दस्तावेज़ हो।
उसके बाद, मैंने अजय से बात की। मैंने कहा, “अजय, कल हमें अपने गांव के पुराने घर पर जाना होगा। वही जगह इस कार्यक्रम के लिए सबसे सही होगी। मैं चाहती हूं कि रिया को यह सब पूरी तरह से सच लगे। हमें यह ऐसा दिखाना होगा, जैसे यह एक बहुत पुरानी और महत्वपूर्ण परंपरा है।”
अजय ने मेरी बात ध्यान से सुनी और पूछा, “गांव क्यों, सुमन? क्या यहीं पर नहीं कर सकते?”
मैंने उसे समझाया, “नहीं, अजय। अगर हम इसे यहीं करेंगे, तो यह एक साधारण घटना लगेगी। गांव का घर और वहां का माहौल इसे और असली बनाएगा। वहां का माहौल रिया को यह यकीन दिलाने के लिए सबसे उपयुक्त है। और सुनो, यह बहुत जरूरी है कि एक बार रिया इस रस्म को पूरी श्रद्धा से कर ले। जब उसे चुदाई का मजा मिल जाएगा और वह इसे महसूस कर लेगी, तब उसे सच बताने में कोई दिक्कत नहीं होगी कि यह सब हमारी बनाई हुई योजना थी। लेकिन उससे पहले, हमें इसे पूरी तरह वास्तविक दिखाना होगा।”
अजय ने सहमति में सिर हिलाया और हल्की मुस्कान के साथ कहा, “तुम ठीक कह रही हो। मैं तुम्हारे साथ हूं। जैसा तुमने सोचा है, वैसा ही करेंगे।”
उस रात मैं इस योजना को और पुख्ता करने के लिए सोचती रही। मुझे यकीन था कि गांव का घर, वहां का शांत और अलग माहौल, और हमारी बनाई हुई यह कहानी रिया को पूरी तरह से इस रस्म में विश्वास दिलाएगी।
अगले सुबह, हम गांव के घर के लिए निकल पड़े। रास्ते में मैंने पहले से ही सारी तैयारियां कर ली थीं। मैंने अजय से कहा कि हमें कुछ दवाइयां, दर्दनिवारक और जरूरी चीजें जैसे कंडोम और आईपिल भी रख लेनी चाहिए। यह सब मैंने छुपाकर रखवाया, ताकि रिया को कुछ भी शक न हो।
रास्ता लंबा था, लेकिन गांव की हवा में एक अलग ही ताजगी थी। यह जगह सालों बाद आना हुआ था, और यहां का शांत माहौल मेरी योजना के लिए बिल्कुल सही था। जैसे ही हम गांव पहुंचे, हमने आसपास की जगहों को देखने और घूमने का फैसला किया। यह सब रिया के लिए भी एक तरह से अनुभव का हिस्सा था, ताकि वह इसे पूरी तरह से परंपरा का हिस्सा माने।
घूमते-घूमते शाम हो गई। मैं जानबूझकर हर चीज को धीमी गति से और व्यवस्थित तरीके से कर रही थी। जब हम घर लौटे, मैंने रिया से कहा, “बेटी, अब तुम जाकर नहा लो और फ्रेश हो जाओ। यह प्रथा आज रात ही होगी।”
रिया ने सिर हिलाया और अपने कपड़े लेकर बाथरूम की तरफ चली गई। तभी मैंने उसे रुकते हुए कहा, “और सुनो, यह मत भूलना कि तुम्हें अपने शरीर के हर हिस्से के बाल भी हटाने होंगे।”
उसने चौंकते हुए मेरी तरफ देखा और पूछा, “मां, हर हिस्से के बाल? क्यों?”
मैंने गंभीरता से कहा, “बेटी, यह प्रथा बहुत पवित्र है। अगर तुम्हारे शरीर पर कहीं भी बाल रह गए, तो इसे अपवित्र माना जाएगा। तुम्हें पूरी तरह से शुद्ध और तैयार होना होगा।”
उसने थोड़ी झिझक के साथ कहा, “ठीक है, मां।”
मैंने उसे एक हेयर रिमूवल क्रीम दी और समझाया कि इसे कैसे इस्तेमाल करना है। रिया ने इसे लिया और हल्की मुस्कान के साथ बाथरूम की तरफ चली गई। मैं जानती थी कि यह सब उसके लिए थोड़ा असामान्य लग रहा होगा, लेकिन मैं उसकी हर झिझक को धीरे-धीरे दूर करना चाहती थी।
अजय ने गांव के मार्केट में जाकर रिया के जन्मदिन के लिए केक का ऑर्डर दे दिया। दुकानदार ने कहा कि यह एक घंटे में तैयार होकर डिलीवर हो जाएगा। इस बीच, मैंने घर में बाकी तैयारियां पूरी कर ली थीं। माहौल को पूरी तरह से पारंपरिक और खास दिखाने के लिए मैंने हर छोटी-बड़ी बात का ध्यान रखा।
अब सबकुछ तैयार था। मैंने सोचा कि अगर यह प्रथा पूरी तरह से सफल होनी है, तो इसमें हर किसी को शुद्ध और साफ-सुथरा होना चाहिए। इसलिए, मैंने खुद को भी पूरी तरह से तैयार किया। मैंने बाथरूम में जाकर अपने शरीर के हर हिस्से के बाल साफ कर लिए, ताकि मैं भी पूरी तरह पवित्र दिखूं।
बाथरूम से निकलने के बाद, मैंने अजय की तरफ देखा और कहा, “सुनो, अजय। अगर यह प्रथा पूरी तरह सफल होनी है, तो तुम्हें भी अपने हर हिस्से को साफ करना होगा। यह सिर्फ रिया के लिए नहीं है, बल्कि तुम्हारे लिए भी जरूरी है।”
अजय थोड़ा झिझका, लेकिन उसने मेरी बात मानी। “ठीक है, सुमन। मैं भी यह कर लूंगा। अगर यह सब तुम्हारी योजना का हिस्सा है, तो मैं पूरी तरह से तैयार हूं।”
मैंने उसे शेविंग क्रीम और रेजर दिया और कहा, “हर जगह साफ करना, कोई भी हिस्सा छूटना नहीं चाहिए। यह सिर्फ पवित्रता के लिए नहीं, बल्कि अनुभव को सही तरीके से करने के लिए भी जरूरी है।”
अजय ने हल्की मुस्कान के साथ सिर हिलाया और बाथरूम की तरफ चला गया।
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