मैंने अपनी बेटी को उसके पापा से चुदवाया – पार्ट 1

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मेरा नाम सुमन है। मैं 40 साल की एक आत्मविश्वासी और समझदार महिला हूं। मेरे परिवार में मेरे पति अजय और मेरी 20 साल की बेटी रिया हैं। अजय और मेरी शादी को 22 साल हो चुके हैं। हमारी जिंदगी अब तक सामान्य रही है, लेकिन मैं हमेशा से एक खुले विचारों वाली महिला रही हूं।

मेरी बेटी रिया अब जवान हो चुकी है। उसका भरा-भरा बदन और मासूम चेहरा किसी को भी उसकी तरफ खींच सकता है। वह इतनी खूबसूरत हो गई है कि हर बार उसे देखते हुए मुझे उसकी सुरक्षा को लेकर चिंता होती है। लेकिन साथ ही, मैं यह भी जानती हूं कि एक उम्र ऐसी होती है जब घर के मर्द—चाहे वह बाप हो या भाई—एक लड़की को सिर्फ बेटी या बहन के रूप में नहीं, बल्कि एक औरत के रूप में देखने लगते हैं।

मैं अक्सर इंटरनेट पर चुदाई की कहानियां पढ़ती हूं। इन कहानियों में रिश्तों के अलग-अलग रूपों को देखकर मेरा नजरिया और भी खुला हो गया है। मैंने कई बार बाप-बेटी के रिश्ते और उनकी कहानियां पढ़ी हैं। मुझे हमेशा यह एहसास हुआ कि अगर इन रिश्तों को सही तरीके से संभाला जाए, तो यह गलत नहीं है।

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रिया अब 20 साल की हो चुकी है। वह कॉलेज जाती है, लेकिन उसकी चाल-ढाल और खूबसूरती ने घर में एक अजीब सा माहौल बना दिया है। मैंने देखा है कि अजय की नजरें अब उस पर टिकने लगी हैं। जब भी वह घर में शॉर्ट्स या टी-शर्ट पहनकर आती है, अजय की आंखें उसके पैरों और उभरे हुए बदन पर अटक जाती हैं।

एक दिन की बात है। रिया कॉलेज से लौटी थी और अपने कमरे में चली गई। उसने गुलाबी रंग की शॉर्ट टी-शर्ट और छोटे शॉर्ट्स पहन रखे थे। उसकी चाल और उसकी बेपरवाह मुस्कान देखकर कोई भी उसे देखकर मदहोश हो सकता था। मैं किचन में चाय बना रही थी और यह सब चुपचाप देख रही थी।

कुछ देर बाद, मैंने देखा कि अजय धीरे-धीरे रिया के कमरे की तरफ गया। दरवाजा थोड़ा खुला था। उसने अंदर झांका और फिर दरवाजे पर दस्तक दी। रिया ने अंदर से कहा, “हां, पापा?”

अजय ने बहाना बनाया, “तुम्हारी अलमारी का लॉक सही कर दूं? तुमने सुबह कहा था कि यह ठीक से बंद नहीं हो रहा।”
रिया ने जवाब दिया, “हां पापा, कर दीजिए।”

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अजय ने अलमारी खोली और अंदर कुछ देखने का नाटक करने लगा। उसकी नजरें बार-बार रिया पर जा रही थीं, जो बिस्तर पर बैठकर किताब पढ़ रही थी। फिर मैंने देखा कि अजय ने अलमारी से रिया की हल्की गुलाबी पैंटी उठाई और उसे अपनी जेब में रख लिया।

मैं यह सब दरवाजे के पीछे से देख रही थी। मेरे अंदर गुस्सा नहीं, बल्कि एक अलग सा उत्साह पैदा हुआ। मैं जानती थी कि अजय के मन में रिया के लिए अब पिता वाला प्यार नहीं, बल्कि एक मर्द की चाहत जाग चुकी है।

उस रात जब रिया सोने चली गई, मैंने अजय से बात करने का फैसला किया।

हम दोनों अपने कमरे में थे। मैंने कहा, “अजय, मुझे तुमसे कुछ बात करनी है।”
वह थोड़ा असहज हो गया। “क्या हुआ, सुमन?”

मैंने उसकी आंखों में देखा और कहा, “तुम्हें लगता है कि मैं कुछ नहीं देखती? मैंने आज तुम्हें रिया के कमरे में देखा। जब तुमने उसकी पैंटी अलमारी से निकाली और अपनी जेब में रखी। अब सच-सच बताओ, तुमने उसके साथ क्या किया?”

अजय घबरा गया और कुछ देर चुप रहा। फिर उसने कहा, “सुमन, मुझे खुद समझ नहीं आता कि मेरे साथ क्या हो रहा है। रिया अब इतनी बड़ी हो गई है कि मैं उसे कभी-कभी ऐसी नजरों से देख लेता हूं, जो नहीं देखनी चाहिए। मैं खुद को रोकने की कोशिश करता हूं, लेकिन…”

मैंने उसकी बात काटते हुए कहा, “लेकिन रोक नहीं पाते। मुझे सब पता है। और मैं इसे गलत नहीं मानती। अगर तुम्हारे मन में रिया को चोदने का ख्याल है, तो इसे स्वीकार करना बेहतर है।”

फिर मैंने उसके कान के पास धीरे से पूछा, “लेकिन एक बात सच-सच बताना, अजय। क्या तुम रिया की चुदाई करना चाहते हो?”

अजय ने मेरी बात सुनकर हैरानी और हल्की शर्मिंदगी से मेरी तरफ देखा और कहा, “सुमन, तुम कैसी बातें कर रही हो? यह सब… यह तो गलत है।”

मैंने उसकी ओर शांत स्वर में देखा और कहा, “मैं वही बात कर रही हूं, जो तुम सोचते हो। देखो, हमारी बेटी अब जवान हो गई है। उसकी खूबसूरती ऐसी है कि हर कोई उसकी तरफ आकर्षित हो रहा है। यह जाहिर सी बात है कि कई लड़के उसके पीछे होंगे। तुम खुद जानते हो कि आजकल कैसे लड़कियों के वीडियो और फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो जाते हैं।”

मैंने अपनी बात को और स्पष्ट करते हुए कहा, “अगर उसे घर में ही संतुष्टि और मार्गदर्शन मिल जाए, तो हमें बाहर की दुनिया की चिंता करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। और एक और बात, अजय। मैं इसे केवल एक जिम्मेदारी की तरह नहीं देख रही हूं। सच कहूं, तो मैं खुद बाप-बेटी की चुदाई को लेकर बेहद उत्साहित हूं। यह सोचकर ही मेरा मन मचल रहा है। अगर तुम इसके लिए तैयार हो, तो मैं अगले कदम के लिए काम शुरू कर देती हूं। लेकिन एक शर्त है—जो भी होगा, वह मेरी मौजूदगी में होगा।”

अजय ने थोड़ी झिझक और हल्की मुस्कान के साथ कहा, “ठीक है। अगर तुम भी राजी हो, तो फिर मुझे भी कोई ऐतराज नहीं है। मैं तुम्हारे साथ हूं।”

यह सुनकर मैंने राहत की सांस ली। मुझे यकीन हो गया था कि अब सबकुछ ठीक से आगे बढ़ सकता है। मैंने अजय को समझाया, “मैं रिया से बात करूंगी। उसे यह बताने के लिए एक कहानी बनानी होगी। मैं उसे समझाऊंगी कि हमारे परिवार में एक प्रथा है, जो हर बेटी के 21वें जन्मदिन पर निभाई जाती है। इस प्रथा में पिता अपनी बेटी को एक खास आशीर्वाद देते हैं, जो उसकी आने वाली जिंदगी के लिए शुभ माना जाता है। यह प्रथा हर परिवार में नहीं होती, लेकिन हमारे परिवार में यह बेहद खास है। इसलिए हमें इसे निभाना होगा।”

अजय ने मेरी बात सुनकर सहमति में सिर हिलाया और कहा, “ठीक है, सुमन। तुम जैसा कहोगी, मैं वैसा करूंगा।” उसकी बात सुनकर मुझे यकीन हो गया कि अब सबकुछ मेरी योजना के मुताबिक होगा।

अगली सुबह रविवार का दिन था। रिया मेरे पास बैठी थी और अपने मोबाइल पर कुछ देख रही थी। मैं धीरे-धीरे उसके पास बैठ गई और मुस्कुराते हुए उससे कहा, “बेटी, परसों तुम्हारा जन्मदिन है, और यह जन्मदिन बेहद खास होने वाला है।”

रिया ने उत्साहित होकर पूछा, “कैसे खास, मां? क्या हम कुछ अलग करेंगे?”

मैंने उसे शांत स्वर में समझाते हुए कहा, “हां, इस बार तुम्हारा जन्मदिन घर पर नहीं मनाया जाएगा। हम एक खास स्थान पर जाएंगे और वहां एक प्रथा का पालन करेंगे। यह एक ऐसा प्रतिष्ठान है, जो हमारे परिवार में 21वें जन्मदिन पर निभाया जाता है।”

रिया ने उत्सुकता से पूछा, “कैसा प्रतिष्ठान, मां? मुझे और बताओ।”

मैंने उसकी आंखों में देखते हुए कहा, “यह एक बहुत खास प्रथा है। जब बेटी 21 साल की हो जाती है, तो पिता उसे एक विशेष आशीर्वाद देते हैं। यह आशीर्वाद उसकी शादीशुदा जिंदगी को सुखमय बनाने के लिए जरूरी माना जाता है। हालांकि, यह हर परिवार में नहीं होता, लेकिन हमारे परिवार में यह हमेशा से होता आया है। इसलिए तुम्हें इसे करना होगा।”

रिया थोड़ी असमंजस में थी, लेकिन उसने सिर हिलाते हुए कहा, “ठीक है, मां। अगर यह हमारे परिवार की परंपरा है, तो मुझे इसे करना होगा।”

मैंने उसे और गंभीरता से समझाते हुए कहा, “लेकिन बेटी, यह प्रतिष्ठान इतना आसान नहीं है। इसमें तुम्हें पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ भाग लेना होगा। और एक बात याद रखना, अगर यह प्रतिष्ठान सही तरीके से नहीं हुआ, तो इसका असर तुम्हारे शादीशुदा जीवन पर पड़ेगा। इसका मतलब यह है कि अगर यह ठीक से नहीं हुआ, तो तुम्हारी शादी के बाद तुम्हारा जीवन कठिन हो सकता है।”

रिया के चेहरे पर हल्की घबराहट दिखने लगी। उसने डरते हुए कहा, “मां, मैं पूरी कोशिश करूंगी कि यह प्रतिष्ठान सही तरीके से हो। लेकिन मुझे यह ठीक से समझा दो कि मुझे इसमें क्या करना होगा।”

मैंने उसकी पीठ थपथपाते हुए मुस्कुराकर कहा, “तुम्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है। तुम्हारे पापा और मैं तुम्हें हर कदम पर गाइड करेंगे। बस, तुम्हें हमारी बात माननी होगी और जो कहा जाए, वह पूरी श्रद्धा से करना होगा।”

उसने धीरे से सिर हिलाया और कहा, “ठीक है, मां। मैं पूरी तरह से तैयार हूं।”

मुझे यकीन था कि रिया को पूरी तरह विश्वास दिलाने के लिए इस प्रथा को असली और पारंपरिक दिखाना होगा। मैंने अपने दिमाग में एक योजना बनाई। पुरानी चीज़ों को वास्तविक और प्रभावी दिखाने का सबसे अच्छा तरीका है पुराने कागजात या दस्तावेज़ का इस्तेमाल करना।

मैंने एक पुराना कागज लिया, जिसे मैंने जानबूझकर हल्का पीला और जर्जर बना दिया ताकि वह पुराना लगे। उस पर मैंने बहुत सावधानी से पारंपरिक शब्दावली में इस प्रथा का वर्णन लिखा। कागज को ऐसा दिखाया, जैसे यह हमारे परिवार की कई पीढ़ियों से चली आ रही परंपरा का हिस्सा हो।

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मैंने लिखा:
“प्रथा: बेटी का 21वें जन्मदिन पर योनि पूजन और लिंग पूजन”

  1. “इस प्रथा के अनुसार, जब बेटी 21 वर्ष की हो जाती है, तो उसके विवाहिक जीवन को सुखमय बनाने के लिए योनि पूजन पिता के द्वारा किया जाता है।”
  2. “तत्पश्चात, पिता का लिंग पूजन बेटी के द्वारा किया जाता है।”
  3. “इस पवित्र कर्म के अंत में, पिता के लिंग से निकलने वाले वीर्य को बेटी को ग्रहण करना होता है, जिससे उसे सुखी और समृद्ध जीवन का आशीर्वाद मिलता है।”
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मैंने इस कागज पर थोड़ा सा धब्बे लगाए और किनारों को हल्का फाड़कर उसे ऐसा बना दिया, जैसे यह वर्षों पुराना दस्तावेज़ हो।

उसके बाद, मैंने अजय से बात की। मैंने कहा, “अजय, कल हमें अपने गांव के पुराने घर पर जाना होगा। वही जगह इस कार्यक्रम के लिए सबसे सही होगी। मैं चाहती हूं कि रिया को यह सब पूरी तरह से सच लगे। हमें यह ऐसा दिखाना होगा, जैसे यह एक बहुत पुरानी और महत्वपूर्ण परंपरा है।”

अजय ने मेरी बात ध्यान से सुनी और पूछा, “गांव क्यों, सुमन? क्या यहीं पर नहीं कर सकते?”

मैंने उसे समझाया, “नहीं, अजय। अगर हम इसे यहीं करेंगे, तो यह एक साधारण घटना लगेगी। गांव का घर और वहां का माहौल इसे और असली बनाएगा। वहां का माहौल रिया को यह यकीन दिलाने के लिए सबसे उपयुक्त है। और सुनो, यह बहुत जरूरी है कि एक बार रिया इस रस्म को पूरी श्रद्धा से कर ले। जब उसे चुदाई का मजा मिल जाएगा और वह इसे महसूस कर लेगी, तब उसे सच बताने में कोई दिक्कत नहीं होगी कि यह सब हमारी बनाई हुई योजना थी। लेकिन उससे पहले, हमें इसे पूरी तरह वास्तविक दिखाना होगा।”

अजय ने सहमति में सिर हिलाया और हल्की मुस्कान के साथ कहा, “तुम ठीक कह रही हो। मैं तुम्हारे साथ हूं। जैसा तुमने सोचा है, वैसा ही करेंगे।”

उस रात मैं इस योजना को और पुख्ता करने के लिए सोचती रही। मुझे यकीन था कि गांव का घर, वहां का शांत और अलग माहौल, और हमारी बनाई हुई यह कहानी रिया को पूरी तरह से इस रस्म में विश्वास दिलाएगी।

अगले सुबह, हम गांव के घर के लिए निकल पड़े। रास्ते में मैंने पहले से ही सारी तैयारियां कर ली थीं। मैंने अजय से कहा कि हमें कुछ दवाइयां, दर्दनिवारक और जरूरी चीजें जैसे कंडोम और आईपिल भी रख लेनी चाहिए। यह सब मैंने छुपाकर रखवाया, ताकि रिया को कुछ भी शक न हो।

रास्ता लंबा था, लेकिन गांव की हवा में एक अलग ही ताजगी थी। यह जगह सालों बाद आना हुआ था, और यहां का शांत माहौल मेरी योजना के लिए बिल्कुल सही था। जैसे ही हम गांव पहुंचे, हमने आसपास की जगहों को देखने और घूमने का फैसला किया। यह सब रिया के लिए भी एक तरह से अनुभव का हिस्सा था, ताकि वह इसे पूरी तरह से परंपरा का हिस्सा माने।

घूमते-घूमते शाम हो गई। मैं जानबूझकर हर चीज को धीमी गति से और व्यवस्थित तरीके से कर रही थी। जब हम घर लौटे, मैंने रिया से कहा, “बेटी, अब तुम जाकर नहा लो और फ्रेश हो जाओ। यह प्रथा आज रात ही होगी।”

रिया ने सिर हिलाया और अपने कपड़े लेकर बाथरूम की तरफ चली गई। तभी मैंने उसे रुकते हुए कहा, “और सुनो, यह मत भूलना कि तुम्हें अपने शरीर के हर हिस्से के बाल भी हटाने होंगे।”

उसने चौंकते हुए मेरी तरफ देखा और पूछा, “मां, हर हिस्से के बाल? क्यों?”

मैंने गंभीरता से कहा, “बेटी, यह प्रथा बहुत पवित्र है। अगर तुम्हारे शरीर पर कहीं भी बाल रह गए, तो इसे अपवित्र माना जाएगा। तुम्हें पूरी तरह से शुद्ध और तैयार होना होगा।”

उसने थोड़ी झिझक के साथ कहा, “ठीक है, मां।”

मैंने उसे एक हेयर रिमूवल क्रीम दी और समझाया कि इसे कैसे इस्तेमाल करना है। रिया ने इसे लिया और हल्की मुस्कान के साथ बाथरूम की तरफ चली गई। मैं जानती थी कि यह सब उसके लिए थोड़ा असामान्य लग रहा होगा, लेकिन मैं उसकी हर झिझक को धीरे-धीरे दूर करना चाहती थी।

अजय ने गांव के मार्केट में जाकर रिया के जन्मदिन के लिए केक का ऑर्डर दे दिया। दुकानदार ने कहा कि यह एक घंटे में तैयार होकर डिलीवर हो जाएगा। इस बीच, मैंने घर में बाकी तैयारियां पूरी कर ली थीं। माहौल को पूरी तरह से पारंपरिक और खास दिखाने के लिए मैंने हर छोटी-बड़ी बात का ध्यान रखा।

अब सबकुछ तैयार था। मैंने सोचा कि अगर यह प्रथा पूरी तरह से सफल होनी है, तो इसमें हर किसी को शुद्ध और साफ-सुथरा होना चाहिए। इसलिए, मैंने खुद को भी पूरी तरह से तैयार किया। मैंने बाथरूम में जाकर अपने शरीर के हर हिस्से के बाल साफ कर लिए, ताकि मैं भी पूरी तरह पवित्र दिखूं।

बाथरूम से निकलने के बाद, मैंने अजय की तरफ देखा और कहा, “सुनो, अजय। अगर यह प्रथा पूरी तरह सफल होनी है, तो तुम्हें भी अपने हर हिस्से को साफ करना होगा। यह सिर्फ रिया के लिए नहीं है, बल्कि तुम्हारे लिए भी जरूरी है।”

अजय थोड़ा झिझका, लेकिन उसने मेरी बात मानी। “ठीक है, सुमन। मैं भी यह कर लूंगा। अगर यह सब तुम्हारी योजना का हिस्सा है, तो मैं पूरी तरह से तैयार हूं।”

मैंने उसे शेविंग क्रीम और रेजर दिया और कहा, “हर जगह साफ करना, कोई भी हिस्सा छूटना नहीं चाहिए। यह सिर्फ पवित्रता के लिए नहीं, बल्कि अनुभव को सही तरीके से करने के लिए भी जरूरी है।”

अजय ने हल्की मुस्कान के साथ सिर हिलाया और बाथरूम की तरफ चला गया।

रात के 11 बज चुके थे। घर के अंदर का माहौल अब पूरी तरह से शांत और गंभीर था। मैंने रिया को बुलाया और उसे पास बिठाते हुए कहा, “देखो बेटी, चाहे कुछ भी हो जाए, तुम्हें हम पर भरोसा रखना होगा। जो कुछ भी हम करेंगे, वह तुम्हारे भले के लिए होगा। हो सकता है कि तुम्हें यह शुरुआत में अजीब लगे या अच्छा न लगे, लेकिन बाद में तुम्हें समझ में आएगा कि यह सब तुम्हारे लिए कितना जरूरी था।”

रिया थोड़ी कंफ्यूज दिखी, लेकिन उसने सिर हिलाते हुए कहा, “ठीक है, मम्मी। मैं आप पर भरोसा करती हूं।”

यह सुनकर मैंने राहत की सांस ली। इसके बाद मैं घर के हर दरवाजे और खिड़कियां बंद करने चली गई। मैंने मुख्य गेट भी लॉक कर दिया, ताकि किसी भी बाहरी हस्तक्षेप की संभावना न रहे। घर का माहौल अब पूरी तरह से बंद और सुरक्षित था।

हम तीनों एक कमरे में बैठे थे। घड़ी में रात के 12 बजने वाले थे। मैंने माहौल को और गंभीर बनाने के लिए मोमबत्तियां और अगरबत्तियां जलाईं। जब सबकुछ तैयार हो गया, तो मैंने अपना ‘खेल’ शुरू किया।

मैंने अपने पास से वह पुराना कागज निकाला, जिसे मैंने पहले से ही तैयार किया था। मैंने कागज रिया की तरफ बढ़ाया और कहा, “यह हमारी पुरानी डायरी में मिला था। इसे पढ़ो और देखो कि इसमें क्या लिखा है। यही वजह है कि हमें यह प्रथा करनी होगी।”

रिया ने कागज लिया और उसे ध्यान से पढ़ने की कोशिश की। थोड़ी देर बाद उसने कहा, “मम्मी, मुझे इसमें लिखा हुआ कुछ खास समझ नहीं आ रहा। यह पुरानी हिंदी में लिखा है।”

यह सुनकर मैंने अजय की तरफ देखा और मुस्कुराते हुए कहा, “अजय, इसे तुम पढ़कर सुनाओ। शायद तुम इसे रिया को समझा सको।”

अजय ने कागज लिया और उसे ध्यान से पढ़ते हुए हल्की मुस्कान के साथ कहा, “यह बहुत आसान है, लेकिन थोड़ा सा ज्यादा ही खुले विचारों वाला है।”

रिया ने उत्सुकता से पूछा, “पापा, इसमें क्या लिखा है? आप मुझे समझाइए।”

अजय ने कागज को देखते हुए गंभीर स्वर में कहा, “इसमें लिखा है कि 21वें जन्मदिन पर बेटी का योनि पूजन उसके पिता के द्वारा किया जाना चाहिए। यह प्रथा बेटी के जीवन को सफल और सुखी बनाने के लिए जरूरी है। इसके बाद पिता का लिंग पूजन बेटी के द्वारा किया जाएगा, और अंत में इस प्रक्रिया का समापन पवित्र रस ग्रहण करने से होगा। यही रस बेटी के विवाहिक जीवन को सुखद और समृद्ध बनाता है।”

रिया ने यह सुनकर चौंकते हुए हमारी तरफ देखा। उसने हिचकिचाते हुए पूछा, “मम्मी, पापा… यह सब क्या है? यह तो…”

मैंने उसकी बात काटते हुए शांत स्वर में कहा, “बेटा, मैं समझती हूं कि यह तुम्हारे लिए नया और अजीब है। लेकिन यह प्रथा हमारे परिवार में पीढ़ियों से चली आ रही है। और यह तुम्हारे भले के लिए ही है। तुमने हम पर भरोसा किया है, और हमें पता है कि हम क्या कर रहे हैं। बस, हमें तुम्हारा सहयोग चाहिए।”

रिया ने थोड़ी देर सोचा, फिर हल्की घबराहट के साथ कहा, “ठीक है, मम्मी। अगर यह हमारे परिवार की परंपरा है, तो मैं इसे निभाने के लिए तैयार हूं। लेकिन… यह थोड़ा मुश्किल लग रहा है।”

मैंने उसकी पीठ थपथपाते हुए कहा, “चिंता मत करो, बेटा। हम हर कदम पर तुम्हारे साथ हैं। और हम इसे सही और सहज तरीके से करेंगे। बस हमें तुम्हारा विश्वास चाहिए।”

रिया ने सिर झुकाकर हामी भर दी। मैंने अजय की तरफ देखा, और उसने भी मुझे आश्वासन देते हुए सिर हिलाया। अब सबकुछ तैयार था। हमने तय किया कि यह प्रक्रिया अब शुरू की जाएगी।

मैं रिया के पास गई और उसका टॉप उतारने लगी। पहले तो उसने थोड़ा विरोध किया, लेकिन फिर वह शांत हो गई और कुछ नहीं कहा। मैंने उसके शरीर से टॉप पूरी तरह उतार दिया और फिर उसकी ब्रा की तरफ बढ़ी। मैंने उसकी ब्रा भी उतार दी, और उसके 34 के भरे हुए चूची अब खुले में हवा में झूल रहे थे।

यह नज़ारा देखकर अजय की आंखों में एक अजीब सी चमक आ गई, जैसे उसकी सभी इच्छाएं पूरी होने वाली हों।

मैंने अजय की तरफ देखा और कहा, “तुम भी अपने कपड़े उतारो, समय बर्बाद मत करो।”

इतना कहकर, मैंने रिया की जींस खोलना शुरू कर दिया। उसने हल्का विरोध किया, लेकिन मैं जानती थी कि उसे तैयार करना मेरी ज़िम्मेदारी थी। मैंने धीरे-धीरे उसकी जींस को नीचे खींचा और पूरी तरह उतार दिया। अब वह सिर्फ अपनी पैंटी में थी।

उसकी पैंटी हल्की गीली हो रही थी, और मैं समझ गई कि सब कुछ सही दिशा में जा रहा है। मैंने उसकी पैंटी के किनारे पकड़े और उसे धीरे-धीरे उतार दिया। पैंटी को उतारकर मैंने किनारे रख दिया और उसकी तरफ मुस्कुराते हुए कहा, “तुम बिल्कुल तैयार हो।”

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उधर, अजय भी अपने सारे कपड़े उतार चुके थे। अब वह पूरी तरह से नंगे थे, और उनका लंड लगभग खड़ा हुआ था। उनका 8 इंच का मोटा लौड़ा हवा में झूल रहा था, मानो वह बस रिया के लिए ही तैयार हो। यह देखकर रिया हल्का सा शरमा गई और उसने अपनी नजरें झुका लीं।

मैंने इस माहौल को और सहज बनाने के लिए पास ही में रखा पूजा का सामान उठाया। मैंने अजय की तरफ बढ़ते हुए कहा, “चलो, जल्दी से योनि पूजा संपन्न करो। इससे सबकुछ शुभ होगा।”

अजय ने मेरी बात सुनी और पूजा का सामान लेकर रिया के पास बैठ गए। रिया अभी भी थोड़ा झिझक रही थी, लेकिन मैं उसकी तरफ मुस्कुराते हुए बोली, “डरने की कोई जरूरत नहीं है, यह हमारे परिवार की परंपरा है। सबकुछ ठीक होगा।”

रिया ने मेरी बात सुनकर धीरे-धीरे अपनी झिझक कम की और खुद को स्थिति के लिए तैयार किया।

अजय ने धीरे-धीरे रिया की चूत पर अपनी उंगलियां फेरीं। उसकी उंगलियां बेहद नर्मी से रिया की त्वचा को छू रही थीं, जैसे वह हर स्पर्श का आनंद ले रहा हो। उसने दिखावे के लिए पास में रखी अगरबत्ती जलाई, लेकिन उसकी असली नीयत सिर्फ रिया के बदन को महसूस करने की थी।

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उसने चूत के बाहरी हिस्से को हल्के-हल्के मसलना शुरू किया, और फिर अपनी उंगलियों से उसके नाजुक हिस्से को सहलाने लगा। रिया का शरीर हल्का सा सिहरने लगा, और उसकी सांसें तेज हो गईं। उसकी आंखें शर्म से झुकी हुई थीं, लेकिन उसके शरीर की प्रतिक्रिया कुछ और ही बयां कर रही थी।

मैंने पास जाकर रिया को सहारा दिया और धीरे से उसकी टांगों को फैलाते हुए उसे आराम से बैठा दिया। मैंने उसकी तरफ देखा और मुस्कुराते हुए कहा, “सबकुछ ठीक है। खुद को इस पल में बहने दो। यह तुम्हारे लिए ही है।”

अजय ने अब अपनी उंगलियों से चूत के गीलेपन को महसूस करना शुरू किया। उसकी हरकतें धीरे-धीरे तेज हो रही थीं, और वह इस पल में पूरी तरह खो गया था। रिया के चेहरे पर हल्की सी बेचैनी थी, लेकिन उसकी सांसों की तेज़ी और हल्की कराहटें कुछ और ही बयान कर रही थीं।

मैंने रिया की तरफ देखा, उसकी झुकी हुई नजरों में थोड़ी झिझक थी, लेकिन मैंने उसे प्यार से सहारा दिया। उसकी सांसें तेज थीं, लेकिन मैंने उसकी पीठ थपथपाते हुए कहा, “अब तुम्हें अपने पापा की लिंग पूजा करनी होगी। यह एक पवित्र परंपरा है। खुद को रोकने की जरूरत नहीं, यह सब हमारे परिवार के लिए है।”

अजय ने थोड़ा पीछे हटते हुए अपने खड़े लंड को रिया के सामने कर दिया। उसका 8 इंच का मोटा और सख्त लंड हवा में झूल रहा था। रिया ने हल्के से अपनी नजर ऊपर उठाई, और जैसे ही उसने लंड को देखा, वह शरमाते हुए नजरें झुका ली।

मैंने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा, “डरने की कोई जरूरत नहीं है। यह पूजा तुम्हारे और हमारे परिवार के भविष्य के लिए है। बस अपनी झिझक छोड़ दो।”

धीरे-धीरे रिया ने अपने हाथ आगे बढ़ाए और अजय के लंड को हल्के से छू लिया। उसके हाथों की नर्मी को महसूस करते ही अजय की सांसें गहरी हो गईं। मैंने रिया को गाइड करते हुए कहा, “अब अपने दोनों हाथों से पकड़ो और लिंग को नीचे से ऊपर की ओर सहलाओ। यही लिंग पूजा का सही तरीका है।”

रिया ने मेरी बात मानी और दोनों हाथों से लंड को पकड़ लिया। उसने नीचे से ऊपर की ओर धीरे-धीरे लंड को रगड़ना शुरू किया। अजय अपनी जगह पर खड़ा था, और उसके चेहरे पर एक अजीब सी तृप्ति झलक रही थी।

मैंने कहा, “अब अपनी जीभ से स्पर्श करो। लिंग पूजा में यह बहुत जरूरी है। इससे पूरी प्रक्रिया पूरी होती है।”

रिया ने थोड़ा झिझकते हुए अपनी जीभ बाहर निकाली और धीरे-धीरे अजय के लंड की टिप को चाटना शुरू किया। यह देखते ही अजय के मुंह से हल्की कराहट निकल गई।

मैंने उसे और प्रोत्साहित करते हुए कहा, “बहुत अच्छा कर रही हो। इसी तरह जारी रखो।”

रिया अब लंड को अपने मुंह में लेने की कोशिश कर रही थी। मैंने उसे गाइड किया और कहा, “आराम से। धीरे-धीरे। कोई जल्दबाजी नहीं।”

अजय ने हल्के से रिया के सिर पर हाथ रखा और उसे प्रोत्साहित किया। रिया अब पूरी तरह से इस प्रक्रिया में शामिल हो चुकी थी। उसके होंठ लंड को गहराई तक समेटने की कोशिश कर रहे थे, और उसकी जीभ हर स्पर्श को जीवंत बना रही थी।

मैंने पास खड़े होकर देखा और कहा, “यह पूजा अब पूरी होने वाली है। रिया, तुमने बहुत अच्छा किया।”

मैंने रिया की तरफ देखा, उसके चेहरे पर अभी भी हल्की झिझक थी, लेकिन उसकी आंखों में अब एक नई समझ झलक रही थी। मैंने प्यार से उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा, “अब अगला कदम उठाने का वक्त है। तुम्हें अब अपने पापा के चेहरे पर बैठना होगा। यह भी पूजा का एक हिस्सा है, और इससे तुम्हें और भी ज्यादा आराम और आनंद मिलेगा।”

अजय पहले ही बिस्तर पर लेट चुका था, और उसकी नजरें रिया के हर मूवमेंट को ध्यान से देख रही थीं। मैंने रिया को उसकी चूत के पास से हल्के-हल्के सहलाते हुए उसकी झिझक कम करने की कोशिश की।

“आओ, रिया। अपनी टांगों को उनके सिर के दोनों ओर फैलाओ और धीरे से उनके चेहरे पर बैठ जाओ,” मैंने उसे गाइड किया।

रिया ने थोड़ी झिझकते हुए अपनी टांगें उठाईं और धीरे-धीरे अजय के चेहरे के ऊपर अपनी चूत को ले गई। अजय ने नीचे से उसकी चूत को निहारते हुए हल्की सी मुस्कान दी, और जैसे ही रिया ने खुद को उनके चेहरे पर टिकाया, अजय ने तुरंत अपनी जीभ से उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया।

रिया की सांसें तेजी से चलने लगीं। उसने हल्की कराहट के साथ अपनी आंखें बंद कर लीं और खुद को इस पल में बहने दिया। मैंने पास खड़े होकर रिया के सिर पर हाथ रखते हुए कहा, “बस खुद को छोड़ दो। इसे महसूस करो। तुम्हारे पापा तुम्हें पूरी तरह से सुकून देंगे।”

अजय ने अपनी जीभ को उसकी चूत के हर कोने पर घुमाना शुरू कर दिया। वह उसकी गहराई को महसूस कर रहा था, और रिया अब धीरे-धीरे अपनी झिझक को भूलते हुए आनंद में डूबती जा रही थी। उसने अपने हाथों से अजय के सिर को पकड़ लिया और खुद को और करीब लाने लगी।

“बहुत अच्छा कर रहे हो, अजय। रिया को पूरी तरह संतुष्ट करो,” मैंने कहा, जबकि रिया अब पूरी तरह से इस पल में डूबी हुई थी। उसकी कराहटें अब तेज हो रही थीं, और उसका शरीर हर पल के साथ कांप रहा था।

रिया अब पूरी तरह से अजय के चेहरे पर झुकी हुई थी। उसकी सांसें तेज थीं, और उसकी हल्की कराहटें कमरे की खामोशी को तोड़ रही थीं। अजय की जीभ उसकी चूत के हर हिस्से को चाट रही थी, जैसे वह इस पल को पूरी तरह से जी लेना चाहता हो।

मैंने रिया की तरफ देखा। उसका शरीर हल्का कांप रहा था, और उसकी पकड़ अजय के सिर पर और भी मजबूत हो गई थी। मैंने उसकी पीठ पर हाथ रखा और उसे सहारा देते हुए कहा, “डरने की जरूरत नहीं है, रिया। बस अपने पापा को करने दो। उन्हें तुम्हें इस आनंद में बहने देना है।”

अजय अब अपनी जीभ को गहराई तक ले जा रहा था। उसने अपनी जीभ से रिया की चूत के अंदर और बाहर का स्वाद लेना शुरू कर दिया। वह उसकी चूत के कोनों को, हर संवेदनशील हिस्से को छू रहा था। रिया की कराहटें अब और भी तेज हो गई थीं। उसने अपनी आंखें बंद कर लीं और खुद को पूरी तरह से इस अनुभव में खो दिया।

मैंने पास खड़े होकर कहा, “बहुत अच्छा कर रहे हो, अजय। इसे जारी रखो। रिया, तुमने बहुत अच्छी तरह से खुद को संभाला है। बस, सबकुछ बहने दो।”

रिया अब अपनी चूत को अजय के चेहरे पर रगड़ने लगी थी। उसने हल्के-हल्के अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया, जैसे वह अपनी मर्जी से इस पल का आनंद ले रही हो। अजय ने उसकी इस हरकत को महसूस किया और अपनी जीभ को और तेज चलाना शुरू कर दिया।

रिया की सांसें तेज हो गईं। उसने हल्के से अपने सिर को पीछे झुका लिया और एक गहरी कराहट के साथ बोली, “ओह… पापा…”

अजय ने यह सुनकर और भी जोश में अपनी जीभ चलाई। उसने अपनी उंगलियों से रिया की जांघों को पकड़ लिया और उसे और भी करीब खींच लिया।

मैंने मुस्कुराते हुए कहा, “बहुत अच्छा। अब वह पूरी तरह से तुम्हारे नियंत्रण में है। रिया, तुम्हें इस पल को पूरी तरह से महसूस करना चाहिए। यह तुम्हारे लिए है।”

रिया का पूरा शरीर अब थरथराने लगा था। उसकी कराहटें और भी तेज हो गई थीं। मैंने देखा कि उसकी चूत अब पूरी तरह से गीली हो चुकी थी। अजय अपनी जीभ से हर बूंद को चाट रहा था, जैसे वह इस पल को कभी खत्म नहीं होने देना चाहता हो।

रिया की कराहटें अब पूरे कमरे में गूंज रही थीं। उसकी सांसें इतनी तेज हो गई थीं कि उसके सीने का उतार-चढ़ाव साफ दिखाई दे रहा था। उसने अपना सिर पीछे झुका लिया था और अपने हाथों से अजय के सिर को और कसकर पकड़ लिया था।

“पापा… ओह… प्लीज…,” उसकी आवाज अब थरथराने लगी थी। उसकी चूत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी, और अजय अपनी जीभ को और गहराई तक ले जाते हुए उसकी हर प्रतिक्रिया का आनंद ले रहा था।

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अजय ने अब अपनी जीभ को तेज़ी से चलाना शुरू कर दिया। वह रिया की हर कराहट का जवाब अपनी जीभ की हरकतों से दे रहा था। उसने अपनी उंगलियों से रिया की जांघों को मजबूती से पकड़ रखा था, ताकि वह उसे अपनी ओर और करीब ला सके।

रिया ने अपनी कमर को हल्का ऊपर उठाते हुए अजय के चेहरे पर और जोर से अपनी चूत रगड़नी शुरू कर दी। उसकी आवाजें अब और भी गहरी हो गई थीं।

“ओह… पापा… बस… और… ओह…,” उसने गहरी सांसों के बीच कहा। उसकी आवाज में अब दर्द और आनंद का मिश्रण साफ झलक रहा था।

मैंने रिया की पीठ पर हाथ रखते हुए उसे सहारा दिया और कहा, “डरने की कोई जरूरत नहीं है, बेटा। अपने पापा को सबकुछ करने दो। यह तुम्हारे लिए ही है। बस, खुद को इस पल में बहने दो।”

रिया ने मेरी बात सुनकर अपनी झिझक को पूरी तरह छोड़ दिया। अब वह अपनी चूत को अजय के चेहरे पर रगड़ने में पूरी तरह डूब चुकी थी। उसकी आवाजें और भी तेज हो गई थीं।

अजय ने अब अपनी जीभ को और गहराई तक ले जाते हुए रिया की चूत के हर कोने को चाटना शुरू कर दिया। उसने रिया के दाने को अपनी जीभ से दबाया और हल्के-हल्के गोल घुमाने लगा।

“ओह… पापा… ओह… मैं… बस…,” रिया ने गहरी कराहट के साथ कहा। उसका पूरा शरीर अब कांप रहा था। उसकी सांसें इतनी तेज हो गई थीं कि वह अब अपने शरीर को संभालने में भी कठिनाई महसूस कर रही थी।

मैंने पास खड़े होकर कहा, “अजय, बहुत अच्छा कर रहे हो। उसे पूरी तरह से महसूस करने दो। वह अब पूरी तरह तैयार है।”

रिया अब इतनी उत्तेजित हो चुकी थी कि उसने अपना पूरा शरीर अजय के चेहरे पर झुका दिया। उसकी आवाजें अब और भी तेज हो चुकी थीं।

“ओह… पापा… मैं… बस… रुक नहीं सकती… ओह…,” उसने तेज कराहट के साथ कहा। उसकी चूत से अब पानी बहने लगा था, और अजय इसे अपनी जीभ से पूरी तरह चाट रहा था।

यह सब देखकर मैंने महसूस किया कि रिया अब पूरी तरह से इस पल में खो चुकी है। उसकी आवाजों ने माहौल को और भी गरम कर दिया था। अजय अब पूरी तरह से उसे संतुष्ट करने में डूब चुका था।

मैंने रिया की ओर देखा, जो अब पूरी तरह से इस पल में खो चुकी थी। उसकी कराहटें धीरे-धीरे शांत हो रही थीं, लेकिन उसकी सांसें अभी भी तेज थीं। मैंने प्यार से उसकी पीठ पर हाथ फेरा और कहा, “अब चुपचाप लेट जाओ, बेटा। अब तुम्हारी चुदाई होगी। आज तुम्हारी सील टूटेगी।”

रिया ने हल्के से मेरी ओर देखा, उसकी आंखों में अब झिझक की जगह एक नई समझ थी। वह धीरे-धीरे लेट गई, और मैंने उसके बालों को प्यार से सहलाया।

मैंने कहा, “तुम्हारे पापा अब तुम्हें पूरा करेंगे। तुम इसे महसूस करना और इसे अपनाना। यह तुम्हारे लिए एक नई शुरुआत है।”

उधर अजय, जो अब पूरी तरह उत्तेजित हो चुका था, अपने लंड को अपने हाथों से सहला रहा था। उसका 8 इंच का सख्त लौड़ा अब रिया की चूत के लिए पूरी तरह तैयार था। मैंने अजय की तरफ मुस्कुराते हुए देखा और कहा, “अब संभाल लो अपनी बेटी को। उसे वो सब दो, जो उसे चाहिए।”

लेकिन इससे पहले, मैंने खुद को भी इस पल में शामिल करने का फैसला किया। मैंने धीरे-धीरे अपने सारे कपड़े उतार दिए। अजय और रिया दोनों मुझे नंगे देख रहे थे। मैंने रिया की तरफ बढ़ते हुए कहा, “अब तुम्हें मुझे भी खुश करना है। यह भी तुम्हारी पूजा का हिस्सा है।”

मैंने धीरे-धीरे रिया के चेहरे पर बैठते हुए अपनी चूत उसके मुंह के पास ला दी। मैंने उसकी आंखों में देखा और कहा, “चाटो, बेटा। इसे अच्छे से चाटो और खाओ। यह तुम्हारे लिए है।”

रिया ने हल्की झिझक के साथ अपनी जीभ बाहर निकाली और मेरी चूत को चाटना शुरू किया। उसकी जीभ की नर्मी ने मुझे अंदर तक झकझोर दिया। मैंने हल्की कराहट के साथ अपनी कमर को उसके चेहरे के और करीब लाया।

“हां, बेटा। ऐसे ही… इसे पूरी तरह से महसूस करो।”

उधर, अजय ने रिया की टांगों को और फैलाया और अपने लंड को उसकी चूत के दरवाजे पर सेट कर दिया। उसने हल्के से रिया की चूत के होंठों को अपने लंड से अलग किया और धीरे-धीरे उसे अंदर धकेलने लगा।

रिया ने मेरे नीचे से कराहते हुए हल्की आवाज निकाली, “आह… प्लीज… मम्मी… यह…”

मैंने उसके बालों को सहलाते हुए कहा, “कुछ नहीं होगा, बेटा। बस खुद को आराम से छोड़ दो। तुम्हारे पापा तुम्हें संभाल लेंगे।”

अजय ने धीरे-धीरे अपना लंड उसकी चूत में डालना शुरू किया। रिया का पूरा शरीर सख्त हो गया था, और उसकी चूत की तंग दीवारों ने अजय के लंड को कसकर पकड़ लिया।

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“ओह… सुमन, यह… यह तो बहुत ही टाइट है,” अजय ने कराहते हुए कहा।

मैंने मुस्कुराते हुए कहा, “धीरे-धीरे, अजय। यह उसकी पहली बार है। उसे दर्द नहीं होना चाहिए।”

अजय ने अपनी हरकतों को और नरम कर दिया, लेकिन उसकी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी। मैंने अपनी चूत को रिया के मुंह पर रगड़ते हुए उसकी जीभ का आनंद लिया।

रिया अब पूरी तरह से हमारे नियंत्रण में थी। उसके चेहरे पर हल्की तकलीफ के साथ-साथ एक नया अनुभव महसूस करने की झलक थी। मेरी चूत पर उसकी जीभ लगातार काम कर रही थी, और मैं उसकी हर हरकत का आनंद ले रही थी।

उधर, अजय ने धीरे-धीरे अपना लंड रिया की चूत में धकेलना जारी रखा। उसकी चूत की तंग दीवारें अजय के लंड को कसकर पकड़ रही थीं। रिया की हल्की कराहटें अब तेज होने लगी थीं।

“आह… पापा… बहुत टाइट है…,” उसने कराहते हुए कहा।

मैंने उसके बालों को सहलाते हुए कहा, “डरने की जरूरत नहीं है, बेटा। यह दर्द सिर्फ पहली बार के लिए है। उसके बाद तुम्हें सिर्फ आनंद मिलेगा। अपने पापा को अंदर जाने दो।”

अजय ने धीरे-धीरे अपने लंड को और अंदर धकेला, उसकी हरकतें अब और गहरी हो रही थीं। रिया का पूरा शरीर अब हल्के से कांपने लगा था। उसकी चूत अब गीली हो चुकी थी, जिससे अजय के लंड का अंदर-बाहर जाना थोड़ा आसान हो गया था।

मैंने रिया के चेहरे पर बैठकर अपनी चूत को उसकी जीभ पर और जोर से रगड़ा। “हां, बेटा, ऐसे ही। इसे अच्छे से चाटो। तुम इसे जल्दी सीख रही हो।”

अजय अब पूरी तरह से रिया की चूत में खो चुका था। उसने अपनी पकड़ और मजबूत कर ली थी और अब उसकी हरकतें तेज हो रही थीं। रिया की आवाजें और भी गहरी हो गईं।

“ओह… मम्मी… प्लीज… यह…,” उसने कराहते हुए कहा।

मैंने उसकी तरफ झुकते हुए कहा, “बस थोड़ा और सह लो, बेटा। यह तुम्हारे लिए जरूरी है। यह तुम्हारे पापा का प्यार है। इसे पूरी तरह से महसूस करो।”

अजय ने अब अपनी गति और बढ़ा दी। उसकी हर thrust के साथ रिया का शरीर थोड़ा ऊपर की तरफ उठता और फिर वापस नीचे गिरता। उसकी चूत अब पूरी तरह से अजय के लंड के हिसाब से खुल चुकी थी।

“ओह… सुमन… यह बहुत गीली और गर्म है,” अजय ने कराहते हुए कहा।

मैंने मुस्कुराते हुए उसकी तरफ देखा और कहा, “उसे अच्छा महसूस करा दो, अजय। यह उसकी पहली बार है। उसे इसे हमेशा याद रखना चाहिए।”

रिया की आवाजें अब और भी तेज हो गई थीं। उसकी सांसें बेकाबू हो रही थीं, और उसकी चूत से गीलेपन की आवाजें कमरे में गूंज रही थीं। मैं अब खुद को और संभाल नहीं पा रही थी। रिया की जीभ ने मुझे अंदर तक हिला दिया था।

मैंने रिया के सिर को थोड़ा और नीचे दबाते हुए कहा, “और गहराई तक, बेटा। इसे और जोर से चाटो। तुम इसे जल्दी सीख रही हो।”

उधर, अजय अब पूरी ताकत से रिया की चूत को चोद रहा था। उसका लंड रिया के अंदर गहराई तक जा रहा था, और हर thrust के साथ उसकी आवाजें और तेज हो रही थीं।

“पापा… आह… यह बहुत…,” उसने बमुश्किल बोलते हुए कहा।

अजय ने उसकी जांघों को पकड़कर उसे और कसकर पकड़ लिया। अब वह पूरी तरह से नियंत्रण में था। मैंने यह सब देखकर महसूस किया कि यह पल हमारे परिवार के रिश्ते को एक नए स्तर पर ले जा चुका है।

कहानी का अगला भाग: मैंने अपनी बेटी को उसके पापा से चुदवाया – पार्ट 2

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