मेरा नाम राधिका है। मैं 22 साल की हूँ, और अगर मैं खुद की तारीफ करूँ तो कहूँगी कि मैं एकदम सुंदर और आकर्षक औरत हूँ। मेरी शादी को तीन साल हो चुके हैं, लेकिन अभी तक मेरे कोई बच्चा नहीं हुआ। मेरा पति, राकेश, एक टूर जॉब करता है, जिसकी वजह से वो महीने में मुश्किल से 4-5 दिन घर पर होता है। बाकी समय वो बाहर ही रहता है, कभी दिल्ली, कभी मुंबई, कभी बैंगलोर। मेरे घर में मेरे सास-ससुर और मेरा छोटा देवर, विशाल, रहते हैं। मेरे सास-ससुर नीचे वाले फ्लोर पर रहते हैं, जबकि मेरा और विशाल का कमरा ऊपर है। मेरा कमरा छत के पास है, और विशाल का कमरा मेरे कमरे के ठीक बगल में। विशाल 20 साल का है, जिम जाता है, और उसका शरीर एकदम फिट और मस्कुलर है। उसकी हाइट 5 फीट 10 इंच है, और वो हमेशा टाइट टी-शर्ट और जींस में घूमता है, जिससे उसकी बॉडी और भी आकर्षक लगती है।
जब शादी के तीन साल बाद भी बच्चा नहीं हुआ, तो मेरे सास-ससुर मुझे ताने मारने लगे। वो कहते, “राधिका, तुममें ही कोई कमी होगी। हमारे बेटे में क्या गलत हो सकता है?” मैं चुप रहती, लेकिन मन में बहुत दुख होता। आखिरकार, मैंने और राकेश ने डॉक्टर से सलाह ली। डॉक्टर ने टेस्ट के बाद बताया कि प्रॉब्लम राकेश में है। उसकी स्पर्म काउंट बहुत कम है, और उसका इलाज लंबा चलेगा। मैंने ये बात अपनी सास को बताई। वो सुनकर चुप हो गईं, लेकिन उनके चेहरे पर शक और गुस्सा साफ दिख रहा था। उस वक्त विशाल भी वहीं था। उसने सब सुन लिया, लेकिन कुछ बोला नहीं। बस मेरी तरफ देखकर हल्का सा मुस्कुराया। उसकी वो मुस्कान मुझे अजीब लगी, जैसे वो कुछ सोच रहा हो।
उस रात, खाना खाने के बाद मैं छत पर टहल रही थी। गर्मी की रात थी, हल्की हवा चल रही थी, और चाँद की रोशनी में सब कुछ शांत और सुंदर लग रहा था। मैंने एक हल्का सा कुरता और पजामा पहना था, जो मेरे शरीर से चिपक रहा था। मेरे बाल खुले थे, और मैंने अपने पसंदीदा डिओड्रेंट का इस्तेमाल किया था, जिसकी खुशबू हवा में फैल रही थी। तभी विशाल छत पर आया। उसने एक टाइट ब्लैक टी-शर्ट और लूंगी पहनी थी। वो मेरे पास आकर बोला, “क्या बात है भाभी, आज तो आप बहुत सुंदर लग रही हो। ये डिओड्रेंट की खुशबू… उफ्फ, कोई भी लड़का आपके पास खींचा चला आएगा।”
मैंने हँसते हुए कहा, “चल झूठे, चुप कर। आज तुझे बड़ी शरारत सूझ रही है।” मैंने उसे तिरछी नजरों से देखा और बोली, “लगता ही नहीं कि तू मेरे पति का भाई है। वो तो मुझे देखता भी नहीं, और तू है कि मेरे डिओड्रेंट की खुशबू से चला आता है।”
विशाल ने बेशर्मी से मुस्कुराते हुए कहा, “तो क्या हुआ, भाभी? मैं बन जाऊँ तुम्हारा पति? जो चाहिए, वो सब मिलेगा।” उसकी बात सुनकर मैं चौंक गई। मैंने कहा, “नहीं जी, मैं वैसी औरत नहीं हूँ, जैसा तू सोच रहा है। मैं सिर्फ अपने पति की हूँ।”
फिर हम दोनों छत पर ही बैठ गए। बातों-बातों में मैंने विशाल से पूछा, “देवर जी, तू तो बड़े मजे करता है। हमेशा घूमता रहता है, हिल स्टेशन जाता है, होटल में रुकता है। इतना पैसा कहाँ से लाता है?” विशाल ने हँसते हुए कहा, “भाभी, मैं जिगोलो हूँ। बड़े घरों की औरतें और उनकी बेटियाँ मुझे पैसे देती हैं, और मैं उनके साथ सेक्स करता हूँ।”
मैं अवाक रह गई। मैंने कहा, “अच्छा, कोई गलियों में लड़कियाँ पटाने के लिए भटकता है, और तू है जो सेक्स करके पैसे कमाता है?” वो बोला, “हाँ भाभी, मैं सेक्स के बदले पैसे लेता हूँ। लेकिन मजे की बात, मुझे इसमें मजा भी आता है।”
रात के 12 बज चुके थे। हम दोनों अपने-अपने कमरे में चले गए। लेकिन मेरे दिमाग में विशाल की बातें घूम रही थीं। उसकी बेशर्मी, उसकी वो मुस्कान, और उसका वो कहना कि “मैं तुम्हारा पति बन जाऊँ” – ये सब मेरे मन में हलचल मचा रहा था। मैं बिस्तर पर करवटें बदल रही थी। नींद नहीं आ रही थी। मेरे शरीर में एक अजीब सी गर्मी थी। मैं सोच रही थी कि क्या मैं सच में विशाल से… नहीं, ये गलत है। लेकिन फिर भी, मेरे मन में एक आग सी जल रही थी। मैंने अपने पति के बारे में सोचा, जो मुझे कभी वक्त नहीं देता। मेरे शरीर की जरूरतें, मेरी इच्छाएँ, सब दबकर रह गई थीं।
तभी मेरा फोन बजा। मैंने देखा, विशाल का कॉल था। इतनी रात को? मैंने फोन उठाया। उसने कहा, “सॉरी भाभी, इतनी रात को डिस्टर्ब किया। मन नहीं लग रहा। क्या मैं आपके कमरे में आकर सो जाऊँ?”
मैंने एक पल सोचा, फिर कहा, “ठीक है, आ जा।” मेरे दिल की धड़कन तेज हो गई थी। विशाल मेरे कमरे में आया। उसने वही लूंगी और टी-शर्ट पहनी थी। वो मेरे पास बिस्तर पर बैठ गया और बोला, “भाभी, तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो। मैंने बहुत सी लड़कियों और औरतों के साथ सेक्स किया है, लेकिन तुम्हें देखकर मेरा लन्ड खड़ा हो जाता है। तुम्हारी गांड, तुम्हारे चूच की उभार… उफ्फ, मैं कंट्रोल नहीं कर पाता। हर बार तुम्हें देखकर मूठ मारता हूँ। लेकिन सोचता हूँ, जब तुम्हें ही इसकी जरूरत है, तो मैं क्यों बर्बाद करूँ? मैं तुम्हारी जरूरत पूरी कर दूँ। तुम माँ भी बन जाओगी, और घर में एक नन्हा मेहमान भी आ जाएगा।”
उसकी बातें सुनकर मेरे शरीर में बिजली दौड़ गई। मेरे मन में जो आग जल रही थी, वो अब और भड़क गई। मैंने खुद को रोकने की कोशिश की, लेकिन मेरे शरीर ने मेरे दिमाग की नहीं सुनी। मैंने विशाल को गले लगा लिया और उसके होंठों पर एक गहरा चुम्बन दे दिया। मैंने कहा, “देवर जी, तुमने मेरे मन की बात कह दी। मैं तुम्हारी हूँ। जो करना है, करो। लेकिन ये बात हमारे बीच रहनी चाहिए।”
विशाल ने कहा, “कभी नहीं बताऊँगा, भाभी।” और उसने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए। उसका चुंबन इतना गहरा और गर्म था कि मेरे पूरे शरीर में सिहरन दौड़ गई। उसने पीछे से मेरे चूतड़ों को कसकर पकड़ा और मुझे अपनी ओर खींच लिया। उसका लन्ड लूंगी के ऊपर से ही मेरे पेटीकोट के खिलाफ रगड़ रहा था। मैंने कहा, “इतनी जल्दी क्या है? पूरी रात हमारे पास है। मम्मी-पापा नीचे सो चुके हैं। जो करना है, आराम से कर।”
विशाल ने मेरे कुरते के बटन खोलने शुरू किए। उसने धीरे-धीरे मेरा कुरता उतारा, और फिर मेरी ब्रा के हुक खोल दिए। मेरे 34C के चूच आजाद हो गए। उसने मेरे एक चूच को अपने मुँह में लिया और चूसने लगा, जबकि दूसरे को अपने हाथ से दबाने लगा। “आह्ह… विशाल…” मैं सिसकारियाँ लेने लगी। उसकी जीभ मेरे निप्पल्स पर गोल-गोल घूम रही थी, और मेरे शरीर में एक गर्म लहर दौड़ रही थी। मैंने उसके बालों को सहलाना शुरू किया, और मेरी साँसें तेज हो गईं।
विशाल ने मेरे पेटीकोट का नाड़ा खींचा और उसे नीचे सरका दिया। मेरी पैंटी भी गीली हो चुकी थी। उसने मेरी पैंटी उतारी और मेरी चूत को देखकर बोला, “भाभी, तुम्हारी चूत तो एकदम रसीली है।” उसने अपनी जीभ मेरी चूत पर रख दी और चाटने लगा। “उफ्फ… आह्ह…” मैं जोर-जोर से सिसकारियाँ ले रही थी। उसकी जीभ मेरी चूत के दाने को चाट रही थी, और मैं अपने कूल्हे हिलाने लगी। उसने मेरी चूत को 15 मिनट तक चाटा, और मैं दो बार झड़ चुकी थी। मेरी चूत पानी-पानी हो गई थी।
मैं अब और बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी। मैंने विशाल को बिस्तर पर धक्का दिया और उसकी लूंगी खोल दी। उसका जांघिया उतारते ही उसका 7 इंच का मोटा लन्ड बाहर आ गया। मैंने उसे अपने मुँह में लिया और चूसने लगी। “उह्ह… भाभी…” विशाल सिसकारियाँ ले रहा था। मैंने उसका लन्ड गले तक लिया और अपनी जीभ से उसके सुपारे को चाटा। फिर मैंने कहा, “विशाल, अब और मत तड़पाओ। चोदो मुझे। मुझे माँ बनाओ।”
विशाल ने मुझे बिस्तर पर लिटाया और मेरी टाँगें फैलाईं। उसने अपने लन्ड को मेरी चूत पर रगड़ा। “आह्ह… डाल दो ना…” मैं तड़प रही थी। उसने एक जोरदार धक्का मारा, और उसका मोटा लन्ड मेरी चूत में पूरा घुस गया। “आआह्ह… उफ्फ…” मैं चीख पड़ी। उसका लन्ड मेरी चूत की गहराइयों तक जा रहा था। हर धक्के के साथ मेरे मुँह से चीख निकल रही थी, “आह्ह… हाँ… और जोर से… चोदो मुझे…” विशाल ने अपनी स्पीड बढ़ा दी। “चट्ट… चट्ट…” की आवाजें कमरे में गूँज रही थीं। मैं अपनी गांड उठा-उठाकर उसका साथ दे रही थी।
करीब 20 मिनट की चुदाई के बाद विशाल ने कहा, “भाभी, अब मैं तुम्हारी गांड मारना चाहता हूँ।” मैंने हाँ में सिर हिलाया। उसने मुझे घोड़ी बनाया और मेरी गांड पर थूक लगाया। उसने अपने लन्ड को मेरी गांड के छेद पर रखा और धीरे-धीरे अंदर डाला। “आआह्ह… धीरे…” मैं दर्द से कराह रही थी। लेकिन धीरे-धीरे दर्द मजे में बदल गया। विशाल ने मेरी गांड को 15 मिनट तक चोदा, और मैं “उह्ह… आह्ह…” सिसकारियाँ लेती रही।
पूरी रात हमने अलग-अलग पोजीशन में चुदाई की। कभी मैं ऊपर, कभी वो ऊपर। सुबह तक मैं थक चुकी थी, लेकिन मेरे शरीर में एक अजीब सा सुकून था। ये सिलसिला उस रात से शुरू हुआ, और अब तीन महीने हो गए हैं। मैं रोज विशाल से चुदवाती हूँ। और अब एक खुशखबरी है – मैं माँ बनने वाली हूँ। मेरे बच्चे का बाप मेरा छोटा देवर, विशाल, है।
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