निकिता का स्वयंवर -भाग 6 – मेरे दो पति (अंत)

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नमस्कार दोस्तों मै रानी निकिता आप सब का स्वागत करती हूं

पिछली कहानी में अपने पढ़ा कि किस तरह मैने अपनी दूसरी सुहागरात प्रताप के साथ मनाई.. अब आगे
निकिता का स्वयंवर -भाग 6 - मेरे दो पति (अंत)
सुबह हो चुकी थी और सूरज की किरणें मेरे नंगे बदन पर पड़ रही थीं। मैं धीरे-धीरे जाग रही थी, और प्रताप की आँखें मुझ पर टिकी हुई थीं।
“सुप्रभात, मेरी प्यारी कुतिया,” उसने मेरे माथे पर चुंबन करते हुए बोला ।
मैंने मुस्कराते हुए कहा, “सुप्रभात, मेरे देसी कुत्ते।”
वह मुसकाया और मेरे स्तन पर चूमा ।
“पिचली रात कैसी रही रानी निकिता?” उसने मुझसे पूछा, अपनी आवाज में एक मधुरता लिए हुए। “क्या तुम्हें मेरी बाहों में सोना अच्छा लगा?”
मैंने मुस्कराते हुए कहा, “बहुत अच्छा लगा। कल रात मेरे लिए बहुत खास थी, और मैने शर्माते हुए मुंह झुका लिया और नज़र चुराने लगी ।
प्रताप ने मेरे माथे पर एक प्यारा सा चुंबन दिया और कहा, “तुम्हारी शर्मिंदगी मुझे बहुत प्यारी लगती है। मेरे शरीर पर कल रात के किस के निशान थे, साथ ही प्रताप की गर्दन पर भी मेरे दांतों के निशान दिखे जो मुझे और भी प्यारे लग रहे थे।
प्रताप ने मेरे बदन को चूमना शुरू किया, और मेरे शरीर पर अपने हाथ फेरने लगा। मुझे लग रहा था कि मैं उसके प्यार में खो जाऊंगी।
“तुम्हारा बदन मुझे बहुत प्यारा लगता है,” उसने कहा, अपने हाथ मेरे चूतड़ो पर रखकर। “तुम्हारी त्वचा मुझे आकर्षित करती है।”
मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं, और उसके प्यार में खो गई। मुझे लग रहा था कि मैं उसके साथ ही रहना चाहती हूँ।
“मैं कल रात की चुदाई में बहुत थक गई हूँ, और मुझे लगता है कि मैं तुम्हारे वीर्य से काफी गंदी भी हो गई हूँ,” मैंने कहा, अपने चेहरे पर एक हल्की मुस्कराहट लिए हुए। “मैं नहाने जाना चाहती हूँ।”
प्रताप ने मुस्कराते हुए कहा, “ठीक है, मैं तुम्हारे साथ नहाने जाऊंगा।
मैं नहाने के लिए महल में स्थित बहुत छोटे से कुण्ड पर चली गई, और प्रताप मेरे साथ आया। मैं अभी भी आधी नींद में थी, मैंने अपनी चोली उतारने के लिए अपने हाथ पीछे किए तो चोली हाथ में ही नहीं आई,मुझे कुछ समझ नहीं आया मै अपना घाघरा उतारने लगी तो हाथ मेरी चूत पर लगा तो मुझे याद आया कि अरे मैं तो नंगी हूँ।
प्रताप यह सब देख रहा था, मैं थोड़ी शर्मिंदगी महसूस कर रही थी, लेकिन प्रताप ने मुझे देखकर मुस्कराना शुरू कर दिया। “तुम्हारी शर्मिंदगी मुझे बहुत प्यारी लगती है,” उसने कहा।
मैंने अपनी आँखें नीची कर लीं, और प्रताप ने मुझे अपनी बाहों में ले लिया। “तुम्हारा बदन मुझे बहुत प्यारा लगता है,” उसने कहा, अपने हाथ मेरे नितंबों पर रखकर।
हम दोनों कुण्ड में आ गए। प्रताप पानी मैं बैठे और मुझे अपने ऊपर बैठा लिया।
हम दोनों पानी में बैठ कर आराम कर रहे थे और साथ ही साथ हम दोनों बातें कर रहे थे।
हम दोनों का शरीर पूरा पानी के अंदर था। प्रताप का लंड मेरी गांड में चुभ रहा था।
उनके दोनों हाथ मेरे बूब्स पर थे। वो मेरे चूचियों के साथ खेल रहे थे।
मुझे भी काफ़ी मजा आ रहा था।
तभी प्रताप खड़े हुए और मुझे भी खड़ी किया। उन्होंने मुझे पानी के कुण्ड में ही घोड़ी बना दिया और खुद मेरे पीछे आ गए।
उन्होंने अपना लंड मेरी चूत के छेद पर जमाया और एक धक्का लगा कर लंड अंदर डालने की कोशिश की।
मगर लंड अंदर नहीं गया क्योंकि हम दोनों पानी में भीग चुके थे इसलिए वो छेद से फिसल गया।
इस बार प्रताप ने अपना लंड दोबारा लगाया और फिर से धक्का दिया और उनका लंड मेरी चूत की दोनों पँखुड़ियों को चीरता हुआ अंदर चला गया।
मेरी एक आह निकली।
उनका आधा लंड मेरी चूत में उतर चुका था।
प्रताप ने एक और धक्का मारा और उनका पूरा लंड मेरी चूत में आ गया।
मैं थोड़ी सहम गई।
अब उन्होंने धक्के लगाने शुरू कर दिए।
वो मुझे चोदने लगे और मैं आहें भरने लगी- आह्ह … आहाहा … आह्ह प्रताप मेरे राजा … आह्ह … चोद दो … आह्ह … कितना मस्त चोदते हो … आह्ह चोद दो।
अब उनका लंड आराम से मेरी चूत में आर-पार हो रहा था। मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थीं। मैं जोर से उनका नाम ले लेकर चुद रही थी।
प्रताप के नाम से पूरा कुण्ड गूंजने लगा था।
हम दोनों की चुदाई से आस पास का वातावरण भी महक उठा था।
प्रताप ने अपना एक हाथ मेरी गांड पर रखा और दूसरे हाथ से मेरे बाल पकड़ लिए और धक्कों की स्पीड और तेज़ कर दी।
मैं और जोर जोर से चीखने लगी- आह … आह … आह … आह … आह्ह आह्ह आह्ह आह आह ।
वो मेरी गांड पर जोर जोर से थप्पड़ भी मार रहे थे जो कि मुझे और कामुकता का अहसास दिला रहे थे।
20-25 मिनट मुझे चुदते हुए हो चुके थे। इस दौरान मैं पानी में झड़ चुकी थी।
प्रताप झड़ने वाले थे तो उन्होंने अपने धक्के और तेज़ कर दिए।
मैं पानी में जोर जोर से हिलने लगी। मेरी हालत ख़राब हो चुकी थी। मेरे बूब्स हवा में जोर जोर से आगे पीछे हो रहे थे और हिल रहे थे।
प्रताप भी अपनी चरम सीमा पर आ गए।
उन्होंने मुझसे पूछा- कहां निकालूं?
मैंने बोला- अंदर ही निकाल दो।
फिर वो मेरी चूत के अंदर ही झड़ने लगे।
मेरी चूत उनके प्रेम रस से भर चुकी थी जिसका अहसास मुझे हो रहा था।
हम दोनों पानी में ही लेट गए। मैं प्रताप की बांहों में खुद को बहुत खुश महसूस कर रही थी।
कुछ देर आराम करने के बाद प्रताप खड़े हुए और मुझे घुटनों के बल बैठा दिया।
उन्होंने अपना लंड मेरे मुँह के सामने रखा और मुझसे उसे चूसने को कहा।
मैंने उनका लंड अपने हाथ में लिया और घप्प से उनके लंड को अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी।
उन्हें भी बहुत मजा आ रहा था।
मैंने उनका पूरा लंड मेरे मुँह में ले लिया था और अच्छे से उसकी चुसाई कर रही थी।
उनका लंड पूरा चिकना हो चुका था और गीला भी हो चुका था।
15 मिनट लंड चुसवाने के बाद उन्होंने अपना लंड बाहर निकाल लिया मगर मैं और चूसना चाहती थी।
मैंने बोला- बाहर क्यों निकाला?
तो वो बोले- अब चूत में डालना है इसलिए!
ये बोलकर वो पानी में ही लेट गए और मुझसे लंड के ऊपर बैठने को बोला।
अब मैं उनके पेट के ऊपर आ गई और उनके लंड को हाथ में लिया।
धीरे धीरे उस पर बैठ गई।
उनका पूरा लंड मेरी चूत में अब समा चुका था; मैं उनके लंड पर बैठी हुई थी।
प्रताप ने अपने दोनों हाथ मेरी गांड पर रखे और मुझे उछालना शुरू कर दिया।
अब मैं उनके लंड पर उछलने लगी थी और आहें भर रही थी।
इस बार चुदाई की स्पीड की कमान मेरे हाथ में थी इसलिए स्पीड मैं अपनी मर्ज़ी से तेज़ कर रही थी।
मैं उनके लंड पर उछलने लगी और आहें भरने लगी।
कसम से … केशव के साथ पिछले काफी समय से मेरी ऐसी चुदाई एक बार भी नहीं हुई थी।
मैं चीखे जा रही थी- आह प्रताप … राजा चोदो मुझे आप … आह्ह चोदो।
इस दौरान मैंने अपने दोनों हाथ हवा में कर रखे थे ,मेरे बूब्स हवा में बवाल कर रहे थे।
हम दोनों ही चुदाई का पूरा मजा ले रहे थे।
15-20 मिनट मुझे और चुदते हुए हो गए थे।
हम दोनों पानी में चुदाई कर रहे थे इसलिए पानी में ही फच फच की आवाज भी पैदा हो रही थी।
पानी में चुदने की वजह से प्रताप का लंड बार बार मेरी चूत से बाहर निकल रहा था इसलिए प्रताप उठे और मुझे हाथ पकड़ कर कुण्ड के बाहर ले आए
उन्होंने मेरी एक टांग उठा कर एक दीवार पर रख दी।
इस वक़्त मैं वी शेप में थी … मतलब एक टांग मेरी दिवार पर थी और दूसरी ज़मीन पर।
प्रताप ने मेरी दीवार वाली टांग पर अपना हाथ रखा ताकि वो हिले ना और कस कर मेरी टांग दबा ली।
उन्होंने अपना लंड मेरी चूत में रखा और अंदर डाल दिया और धक्के मारने शुरू कर दिए।
मैं अब जोर जोर से चीख रही थी क्योंकि मेरी एक टांग पर उनके हाथ का दबाव बना हुआ था।
प्रताप अपना लंड फचा-फच चला रहे थे और मुझे चोद रहे थे।
मुझे अब दर्द हो रहा था, मेरी जमकर ठुकाई हो रही थी।
वो मेरी एक नहीं सुन रहे थे, उन्होंने जोश में आकर अपने एक हाथ की चारों उंगलियां मेरे मुँह में डाल दीं ताकि मैं चीख ना सकूं और धक्के तेज़ कर दिए।
मैं उम्म्म … उम्म्म … उम्म्म … की सांसें ही निकाल पा रही थी।
अब बस मुझे ऐसे चुदते हुए 10 मिनट हो गए थे और मैं झड़ने लगी।
मेरी दोनों टाँगें मेरे रस की बूंदों से सन गई और प्रताप का लंड भी मेरे पानी से भीग गया।
प्रताप अभी भी लगातार चोदे ही जा रहे थे। मेरी आंखों में आंसू आने लगे थे और मैंने हाथ से इशारा करके उन्हें रुकने को बोला।
वो बोले- बस दो मिनट, होने वाला है।
ये बोलकर उन्होंने धक्के और तेज कर दिए।
वो दोबारा मेरी चूत में झड़ गए।
उन्होंने अपना लंड बाहर निकाला और मेरी टांग वापस ज़मीन पर लाये।
मेरी दोनों टाँगें काँप रही थीं और मुझसे खड़ी नहीं हुआ जा रहा था।
मैं नीचे गिरने लगी तभी प्रताप ने मुझे पकड़ कर अपने सीने से लगा लिया और हम वहीं खड़े रहे कुछ देर तक!
फिर प्रताप दोबारा मुझे कुण्ड के अन्दर ले आए
प्रताप ने मुझे खूब रगड़ रगड़ कर नहलाया और खुद भी नहा लिए ।
नहा कर हम वापस अपने कमरे में आए ।
मैं अभी पूरी नंगी ही थी, प्रताप ने मेरे शरीर को तौलिये से पोंछा।
मैं अलमारी से कपड़े लेने गई, लेकिन मुझे पता चला कि वहाँ कपड़े ही नहीं थे। मैं थोड़ी परेशान हो गई, लेकिन प्रताप ने मुझे देखकर मुस्कराना शुरू कर दिया।
“क्या हुआ?” उसने पूछा।
“कपड़े नहीं हैं,” मैंने कहा, अपनी आँखें नीची कर लीं।
निकिता का स्वयंवर -भाग 6 - मेरे दो पति (अंत)

प्रताप ने मुझे अपनी बाहों में ले लिया और कहा, “तुम्हें कपड़ों की जरूरत नहीं है। तुम मेरे लिए ऐसे ही सुंदर दिख रही हो।” और मेरी गांड़ पर हल्की सी चमाट मारते हुए बोले, “तुम फिर भूल गई कि कपड़े तो पहनने ही नहीं हैं। तुम्हारी आदत नहीं है, आदत डालने के लिए कुछ करना पड़ेगा।”

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मैंने अपनी आँखें नीची कर लीं, और प्रताप ने मेरे माथे पर एक प्यारा सा चुंबन दिया। “मैं तुम्हें आदत डालने में मदद करूँगा,” उसने कहा।

मैंने मुस्कराते हुए कहा, “कैसे?”

जब रोज के काम करोगी तो आदत पड़ जाएगी “चलो, सभा को संबोधित करते हैं।”

लेकिन फिर उसने सोचा और कहा, “नहीं, वे लोग तुम पर अभी भी नाराज हैं। मुझे लगता है कि हमें कुछ और करना चाहिए।”

मैंने पूछा, “क्या?”

प्रताप ने मुस्कराते हुए कहा, “हम बहार घूमने चलते हैं। इस बहाने तुम अपने राज्य को जान और देख भी लोगी।”

मैंने खुशी से कहा, “हाँ, यह अच्छा रहेगा ।

प्रताप बोला “लेकिन तुम लोगों के बीच रानी बनकर नहीं चल सकती क्योंकि जनता अभी भी तुम्हारे विरुद्ध है, और मुझे लगता है कि हमें थोड़ा समय लेना चाहिए।”

मैंने समझते हुए कहा, “तुम्हारा मतलब है कि मैं आम नागरिक बनकर चलूँ?”

प्रताप ने हाँ में सर हिलाया और कहा, “हाँ, यही सही होगा। इस तरह तुम लोगों से मिल सकती हो और उनके दिलों में जगह बना सकती हो। रानी बनकर तुम्हें यह मौका नहीं मिलेगा।”

मै अपने आभूषण पहनकर तैयार होने लगी तो प्रताप ने मुझे देखकर मुस्कराना शुरू कर दिया और कहा, “आम नागरिक इतने आभूषण नहीं खरीद सकते, इसलिए आज तुम आभूषण मत पहनो। उसने अपने हाथ में कुछ पुष्प लिए और मुझे सजा दिया। “तुम्हारी सुंदरता को इन पुष्पों की जरूरत नहीं है, लेकिन मैं चाहता हूँ कि तुम मुझे याद रखो।”

फिर प्रताप ने मुझे कहा, “चलो, हम चलने के लिए तैयार हो जाएं।

मैंने हाँ में सर हिलाया और हमने एक साथ चलना शुरू कर दिया।

हमने शहर की सड़कों पर चलना शुरू किया और जल्द ही हम एक व्यस्त बाजार में पहुँच गए।

बाजार में सब लोग नंगधड़ंग ही घूम रहे थे और उन्हें इस बात की कोई परवाह नहीं थी ।

मैंने एक बुढ़िया को देखा, जो मेरी ही तरह नंगी थी पर उसके बूब्स काफी लटके हुए थे और वह इत्र बेच रही थी। उसने मुझे देखकर मुस्कराया और कहा, “नई-नई शादी हुई है लगता है। इत्र ले लो अपनी योनि के लिए। यह तुम्हारे पति को आकर्षित करेगा।”

बुढ़िया एक इत्र की शीशी निकाली और मेरी योनि पर लगाया। और प्रताप को सूंघने को कहा , फिर उसने कई प्रकार के इत्र लगाए और प्रताप ने सूंघ-सूंघ कर पसंद किए। प्रताप ने मुझे देखकर मुस्कराया और कहा, “मेहेक रही हो… तुम्हारी योनि से बहुत सुंदर गंध आ रही है।”

फिर प्रताप ने मेरी योनि से बात करना शुरू किया, “तुम मुझे बहुत पसंद हो, छोटी निक्की। तुम्हारी गंध मुझे बहुत आकर्षित करती है।”

मैंने उसकी बात सुनकर मुस्कराया और कहा, “तुम भी बहुत सुंदर दिख रहे हो। मैं तुम्हारे साथ बहुत खुश हूँ।”

बुढ़िया ने हमें आशीर्वाद दिया और कहा, “तुम दोनों बहुत खुश रहोगे। तुम्हारा प्यार कभी नहीं टूटेगा।”

हमने बाजार में आगे बढ़ना जारी रखा और एक अभूषण की दुकान पर पहुँचे।

मेरी नज़र एक छोटी सी लटकन पर पड़ी, जो बहुत ही सुंदर थी। मुझे वह बहुत पसंद आई और मैंने दुकानदार से पूछा, “यह लटकन कैसे पहनी जाती है?”

दुकानदार ने मुस्कराते हुए कहा, “मैं आपको दिखाता हूँ।” उसने लटकन को मेरी योनि पर पहना दिया, जिसमें घुंघरू भी थे।

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मैंने महसूस किया कि वह बहुत ही सुंदर लग रही थी और मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। प्रताप ने मुझे देखकर मुस्कराया और कहा, “तुम बहुत सुंदर दिख रही हो, और यह लटकन तुम्हें और भी सुंदर बनाएगी।”
मैंने लटकन खरीदी और उसे अपनी योनि पर पहन लिया। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था और मैंने प्रताप को धन्यवाद दिया कि उसने मुझे यह दुकान दिखाई। अब मैं चल रही थी तो मेरी चूत से घुंघरू बजने की आवाज आ रही थी ।
हमने बाजार में आगे बढ़ना जारी रखा और एक चित्रकार की दुकान पर पहुँचे। दुकान में कई लोग अपने शरीर पर चित्र बनवा रहे थे, और मुझे यह देखकर बहुत रुचि आई।
मैने बोला मुझे भी चित्र बनवाना है, वह बोला जरूर , बताओ कहा बना दूं?
एक लड़की ने मेरे सामने अपने कुल्हे पर एक रंगीन चित्र बनवाया।
मैने कहा मेरे भी कूल्हे पर चित्र बना दो… मुझे याद आया केशव को तितलियों से बहुत लगाव था तो मैने बोला कि एक बड़ी सी तितली बन दो ।
दुकानदार ने मुझसे कहा, “आपको अपना कुल्हा मेरी तरफ करना होगा और बैठना होगा।”
मुझे थोड़ी शर्म आ रही थी, लेकिन मैंने हिम्मत की और अपना कुल्हा दुकानदार की तरफ किया। दुकानदार ने मेरे कुल्हे पर तितली का रंगीन चित्र बनाना शुरू किया।
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जब वह बनकर तैयार हुआ, तो दुकानदार ने कहा, “अब आपको दूसरे कुल्हे पर भी बनवा लेना चाहिए।”
मैंने मना कर दिया, लेकिन प्रताप ने मुझे बहलाते हुए मुझे पूछे बिना ही दूसरे कुल्हे पर एक रंगीन चित्र बनवा दिया। मुझे नहीं पता था कि उसने क्या बनवाया है।
जब मैंने प्रताप से पूछा, तो उसने मुस्कराते हुए कहा, “तुम्हें पता चल जाएगा रात में।”
मैंने उसकी बात सुनकर मुस्कराया और कहा, “तुम बहुत शरारती हो।”
इसके बाद, हमने बाजार में और भी घूमा और कई दिलचस्प चीजें देखीं। मैंने प्रताप से कहा, “मैं आज बहुत खुश हूँ। तुमने मुझे शहर का इतना सुंदर दृश्य दिखाया है।”
प्रताप ने मुस्कराते हुए कहा, “मैं तुम्हें और भी बहुत कुछ दिखाना चाहता हूँ। तुम मेरे साथ हो और यह मेरे लिए बहुत खुशी की बात है।”
हमने बाजार से निकलकर समुद्र तट की ओर चल दिए। जब हम समुद्र तट पर पहुँचे, तो मैंने देखा कि वहाँ सभी लोग पहले से ही नंगे थे।
मैं और प्रताप भी उनके साथ मिलकर समुद्र तट पर घूमने लगे। वहां सब लोग नंगे घूम रहे थे क्या बच्चे क्या बूढ़े.. सब बहुत खुश थे ।
बीच पर कुछ मालिश करने वाले बैठे थे, जो लोगों को आराम और तनावमुक्ति प्रदान कर रहे थे। मैंने उनसे कहा, “मैं चलते चलते थक गई हूँ, मुझे भी मालिश करवानी है।” प्रताप ने बोला हा क्यों नहीं ।
मालिश करने वाले ने मुझे एक आरामदायक स्थान पर लिटाया और मालिश शुरू कर दी। उनके हाथ मेरे बदन पर छू रहे थे, जिससे मुझे एक अनोखा आनंद मिल रहा था। उनकी उंगलियों का स्पर्श मेरे शरीर पर बहुत आरामदायक था और मुझे लगता था कि मेरी थकान दूर हो रही थी।
उसने पहले तो मेरे बदन को बिना तेल के खूब दबा दबा कर मालिश की, फिर उसने तेल लिया और मेरे हाथों में, गर्दन में, गले में मालिश की.
मुझे अच्छा लगने लगा, मैं आराम को महसूस करने लगी।
फिर उसने मेरी पैरों की मालिश करना शुरू किया।
वह मेरी मोटी मोटी जाँघें अपनी तरफ खींच खींच कर मालिश करने लगा।
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उसकी उंगलियां लगभग मेरी चूत तक पहुँचने लगीं थी तो मुझे सुरसुरी होने लगी थी.
लेकिन मैं कुछ बोली नहीं, बस लेटी रही.
फिर अचानक मेरी नज़र उसके उछलते हुए लण्ड पर पड़ी।
लण्ड उसका साला खड़ा हुआ था।
मैं समझ गयी कि उसकी निगाह मेरी बड़ी बड़ी बाहर निकली हुई चूचियों पर है और वह कुछ गन्दा गन्दा सोच रहा है, तभी उसका लण्ड खड़ा हो गया है।
मैंने लण्ड बड़े गौर से देखा तो मेरी चूत की आग भड़क उठी.
मेरी गांड में भी खुजली होने लगी। और अब मुझे प्रताप की सख्त जरूरत थी ।
प्रताप मेरे पास बैठा था और मुस्कराते हुए देख रहा था। वह मुझे पूरी छूट देना चाहता था, जिससे मैं अपने आराम का पूरा आनंद ले सकूँ। यह बात मुझे बहुत अच्छी लगी ।
जब मालिश पूरी हुई, तो मैं बहुत तरोताजा महसूस कर रही थी। मैंने प्रताप से कहा, “मैं अब बहुत अच्छा महसूस कर रही हूँ, धन्यवाद।
फिर हम दोनों पानी की तरफ बढ़ने लगे, जब मैं पानी के पास गई, तो मेरा प्रतिबिंब दिख रहा था। मैंने अपना कुल्हा देखा और पाया कि मेरे दूसरे कूल्हे पर चित्रकार से प्रताप ने अपना नाम लिखवाया था। मुझे यह देखकर थोड़ी हैरानी हुई।
प्रताप ने मुझसे कहा, “आधा हक मेरा भी है तुम पर, तो एक कुल्हे पर मेरा नाम तो होना ही चाहिए ना।”
मैंने उसकी बात सुनकर मुस्कराया और कहा, “तुम बहुत शरारती हो।” तभी मेरा ध्यान प्रताप के लुंड पर गया..
मै बोली अरे तुम्हारा लण्ङ तो खड़ा हो गया.. चूस दु क्या ?
प्रताप बोला अरे वो तो तुम्हे मालिश करते देख कर हो गया था खैर अब हो गया है तो कहा लेकर जाऊ, चूस ही दो ।
मै प्रताप का लण्ङ चूसने लगी.. फिर उसके गोटे भी चूसने लगी पर तब भी प्रताप का पानी नहीं निकला । तो मैं हाथ से उसका लण्ङ हिलाने लगी… मै और नहीं हिला सकती थी मै बोली – चोद लो यार वैसे भी सब नंगे हैं यहां क्या ही फर्क पड़ता है ।
फिर प्रताप को कुछ सूझा वो मुझे समुद्र के पानी के अंदर ले गए हमारा आधा शरीर पानी में डूबा हुआ था और मेरी चूची तक पानी आ रहा था ।
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प्रताप ने मेरे पीछे बैठ गया और मेरी चूत में अपना लौड़ा घुसा कर झटके देना शुरू किया चुदाई के साथ साथ पानी भी हलचल कर रहा था पर चुदाई की आवाज और मेरी आवाज लहरों की आवाज के साथ कहीं खो गई, समुद्र की लहरों में झूलते हुए चुदाई का यह मेरा पहला अनुभव था । देखने वालों को लग रहा था कि दो पति पत्नी साथ में मस्ती कर रहे हैं और हमारा पानी भी समुद्र के पानी में मिल गया । और हम समुद्र के किनारे ही लेट गए ।

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शाम हो चुकी थी और हम काफी दूर आ चुके थे समझ नहीं आ रहा था वापस कैसे जाएंगे । हमने एक जगह देखा, जहाँ नृत्य प्रतियोगिता हो रही थी। ऐलान हुआ कि जीतने वाले को एक नहीं बल्कि दो घोड़े मिलेंगे।

मैंने प्रताप से कहा, “मैं इस प्रतियोगिता में भाग लेना चाहती हूँ।” हमारी वापस जाने में मदद भी हो जाएगी ।

प्रताप ने मुझे देखकर मुस्कराया और कहा, “तुम बहुत साहसी हो। जाओ।

मैंने प्रतियोगिता में भाग लिया और अपने नृत्य कौशल का प्रदर्शन किया।

मैं मंच पर पहुँची और अपना पहला पैर आगे बढ़ाया और हल्के हल्के ठुमके लगाने लगी तो मेरी आधी चूत दिखने लगी, जिससे मेरे शरीर की सुंदरता और आत्मविश्वास से भरी मुद्रा ने दर्शकों को आकर्षित किया। मेरे स्तनों की सुंदरता और उनकी हल्की हल्की गति ने एक सुंदर लहर की तरह दिखाई दी, जैसे कि वे जल में तैर रहे हों।

निकिता का स्वयंवर -भाग 6 - मेरे दो पति (अंत)

मेरे मोटे चूतड़ों की दृढ़ता और उनकी हर गति ने एक सुंदर संगीत की तरह अनुभव कराया, जिससे दर्शकों को मोहित किया। जब मैंने अपने कूल्हों को घुमाया, तो मेरे चूतड़ों ने एक सुंदर तरंग की तरह हिलकर दर्शकों को आकर्षित किया, वे हल्के से खुल गए जिससे मेरी गांड़ का छेद दिखने लगा जैसे कि वे एक सुंदर फूल की तरह खिल रहे हों।

पर मै ठुमके लगाती रही फिर जब मैं नीचे झुकी, तो मेरे स्तन उभरकर नीचे को आए और लटक गए और मेरे नितंबों ने एक सुंदर आकार लिया, जैसे कि वे एक सुंदर कला का रूप ले लेते हों।

अब मैं मदमस्त हुई सबके सामने अपने चूचे हिलाती … गांड मटकाती नाच रही थी।
रह रह कर मेरे प्रतियोगिता में भाग लेने वाले अन्य लोग, मेरे साथ नाचने के बहाने मेरे नितंबों को छू छू के नाच रहे थे।

कोई पीछे खड़े होकर डांस करता और कमर पकड़ने के बजाए मेरे चूचे दबा के नाचता।

आसपास खड़े सभी लड़के मुझ नंगी अप्सरा के साथ नाचने लगे.
प्रताप दूर खड़े हो कर देख रहे थे और जानते थे कि मैं अब पूरी तरह खुल चुकी हूं।

मेरा पूरा शरीर पसीना पसीना हो चुका था.. मेरे स्तन के बीच से पसीना गिरते हुए मेरी चूत तक जा रहा था ।

मेरे साथ कई अन्य प्रतिभागी भी थे, लेकिन मैं अपने नृत्य से सबको मोहित करने में सफल रही।

जब परिणाम घोषित हुआ, तो मुझे पता चला कि मैं जीत गई हूँ। हमने वे दोनों घोड़े जीत लिए ।

हम दोनों वापस आने के लिये तैयार थे, प्रताप भी घोड़े पर बैठ गए।
मैं घोड़े पर बैठी, हल्का झुकने के कारण मेरे स्तन उभरे हुए थे, और मेरे नितंब घोड़े की पीठ पर आराम से रखे हुए थे। मेरे बाल हवा में लहरा रहे थे, जैसे कि वे एक सुंदर झंडे की तरह फहरा रहे हों।

मेरी त्वचा घोड़े की गर्म पीठ से चिपकी हुई थी, और मैं उसकी गति से एकाकार हो गई थी। मेरे हाथ घोड़े की लगाम को पकड़े हुए थे, और मेरे पैर घोड़े की पीठ पर रखे हुए थे।

जब घोड़ा तेज़ दौड़ता है, तो मेरे स्तन जोर जोर से उछलने लगते हैं, जैसे कि वे एक सुंदर लहर की तरह हिल रहे हों। प्रताप देख कर हंस रहे थे मुझे थोड़ी परेशानी हो रही थी क्योंकि मेरे चूचे मेरे काबू में नहीं थे, लेकिन मुझे मजा आ रहा था। घोड़े की पीठ पर बैठने से उसके बाल मेरी चूत में चुभ रहे थे, यह एक अनोखा अनुभव था पर मजेदार था ।

जब मैं वापस आई, तो महल में कुछ अजीब सी हलचल थी। महल को सैनिकों ने घेरा हुआ था अंदर केशव मेरा इंतजार कर रहा था, उसके चेहरे पर चिंता और गुस्से के निशान थे।

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केशव मुझे नंगी देख कर चौंक गया ।

केशव ने मुझसे कहा, “यह क्या हालत बना रखी है? तुम कहाँ थी? मैं तुम्हारी तलाश में हर जगह गया, लेकिन तुम कहीं नहीं मिली।”

मैंने केशव को देखा और कहा, “मैं प्रताप के साथ थी, राजा प्रताप के साथ। वह मेरे लिए एक सच्चा साथी है और मैं उसके साथ खुश हूँ।”

केशव के चेहरे पर आश्चर्य और गुस्सा दोनों थे। उसने मुझसे पूछा, “तुम राजा प्रताप के साथ खुश हो? लेकिन तुम्हें पता है कि वह मेरा प्रतिद्वंद्वी है। वह तुम्हें कभी खुश नहीं रख पाएगा।”

तभी प्रताप अंदर आया और कहा, “केशव, आप मुझे हरा तो सकते हैं, लेकिन निकिता मेरे साथ खुश है। वह मेरी साथी है और मैं उसकी सुरक्षा के लिए हमेशा तैयार रहूंगा।”

मैंने कहा, “हाँ, मैं प्रताप के साथ खुश हूँ। वह मुझे खुश रखता है और मैं उसके साथ रहना चाहती हूँ।”

केशव ने अपने सैनिकों को बुलाया और कहा, “मैं अपने सैनिकों को हटा लेता हूँ। मैं निकिता की खुशी के लिए कुछ नहीं चाहता।”

प्रताप सीधा मुझे उठा कर बेडरूम में ले गया और बिस्तर पर मुझे पटक दिया और बोला- आज तो तुम ने कमाल कर दिया।

और वो मुझे पर टूट पड़ा.. मेरे बॉब्बे उसके हाथों में थे और वो कस के दबाने लगा।
मैंने भी प्रताप का साथ देना शुरू किया और उसका चेहरा पकड़ कर उसको होंठ पर किस करने लगी।

प्रताप आज सब बहुत तेज कर रहा था। तुरंत मेरी चूत पर टूट पड़ा और उसे चाटने लगा। मैं तो जैसे सातवें आसमान पर थी, उसकी जीभ मेरी चूत में गुदगुदी कर रही थी और मैं ‘आह. उमम्म.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… प्रताप.. आउउम्म..’ की आवाज निकालने लगी।

मैंने प्रताप को झटका देकर अलग किया और बिस्तर से उतर कर खड़ी हो गई। मैं उसके सामने एकदम नंगी खड़ी थी, वो मुझे देख रहा था उसकी नजरें मेरी चूत में खुजली मचा रही थी।

उसका लंड मेरी आँखों के सामने था.. वही तगड़ा और मोटा लंड जो मुझे सबसे ज़्यादा पसंद है। मैंने उसका लंड पकड़ा, वो अभी पूरी तरह से खड़ा नहीं था.. पर थोड़ा-थोड़ा जाग रहा था। मैंने उसके लंड को जीभ से चाटा और जीभ से सहलाने लगी।
प्रताप बोला- चूसो तो इसे मेरी जान!

मैंने उसके बोलते ही लंड मुँह में भर लिया और चूसने लगी। फिर मुँह से निकाल कर मैंने उस पर थूक लगाया और उसे हाथ से रगड़ कर मुँह में ले लिया। मैंने करीब 5 मिनट उसका लंड इस कदर चूसा कि उसके लंड ने अपना पानी मेरे मुँह के अन्दर ही छोड़ दिया, जो मैं चाहती भी थी।

मैंने उसका सारा पानी पी लिया और उसका लंड निचोड़ कर चूसने लगी, उसके लंड की एक-एक बूँद में पी गई।

अब प्रताप उठा और मुझे लेटा कर मेरी चूत फिर से चाटने लगा, मैं मज़े से ‘आआमम्म्म.. आअहह..’ की आवाजें निकालने लगी।

प्रताप ने चूत चाटते हुए उसने अपनी एक उंगली मेरी गांड के छेद में घुसा दी। मैं इसके लिए तो तैयार नहीं थी तो मैं एकदम से चिहुंक गई और मैंने प्रताप का सर और कसके अपनी चूत में दबा दिया।

उसने करीब दस मिनट मेरी चूत चाटी.. फिर मेरी चूत का पानी निकल गया। चूत से पानी निकलने के बाद मैं ऐसे ही पड़ी रही। प्रताप मेरे बगल में आकर लेट गया। कब हम दोनों की आँख लगी, पता ही नहीं चला।

अचानक मेरी चूत चाटने की वजह से मेरी आँख खुली तो मैंने देखा प्रताप मेरे बगल में ही सोया था।
हे भगवान.. मैं दरवाजा बंद करना भूल ही गई और केशव अन्दर आ चुका था। वो पूरा नंगा होकर मेरी चूत चाट रहा था, मैं डर गई कि कहीं प्रताप जगा तो वो मुझे शायद दोबारा चोदने लग जाए।

मैं अपने मुँह पर हाथ रख कर उसको चूत चाटने दे रही थी। मैंने सोचा क्यों ना केशव को जल्दी से चुदाई करके जाने दूँ।
यह सोच कर मैंने उसका लंड पकड़ लिया और तुरंत अपने मुँह में डाल लिया और चूसने लगी।

मुझे लंड चूसना बहुत पसंद है इसलिए में चूसते-चूसते प्रताप के बारे में भूल ही गई। मैं केशव का लंड चूस रही थी कि किसी ने मुझे पीछे से दबोच कर मेरे चूचे दबाने शुरू कर दिए। मैंने लंड निकाला और पलट कर देखा तो प्रताप जाग चुका था।

निकिता का स्वयंवर -भाग 6 - मेरे दो पति (अंत)

उसने मुझे आँख मारते हुए घोड़ी बनने को कहा।
मैं मुस्कुराते हुए जल्दी से घोड़ी बन गई। अब केशव ने मेरे मुँह में अपना लंड घुसेड़ दिया और प्रताप मेरी चूत में अपना लंड डालने लगा। मेरी चूत गीली थी तो प्रताप का लंड थोड़ी सी मेहनत से ही अन्दर चला गया।
। मैंने चीखना चाहा.. लेकिन मुँह में एक और मोटा लंड घुसा था तो मेरी चीख घुट गई।
अब मेरी चुत चुदाई का दौर चालू हो गया था। मेरा मुँह और चूत चुद रहे थे और अचानक प्रताप ने अपनी उंगली मेरे गांड में डाल दी।
यह देख कर केशव ने कहा- अब तुम पोज़िशन चेंज कर लो।
यह कहते हुए वो चित लेट गया।
मैं तुरंत समझ गई कि वो क्या चाहता है, मैंने तुरंत उसका लंड पकड़ा और अपनी चूत में लंड लगाते हुए बैठ गई।
एक ‘फक्क..’ की आवाज के साथ पूरा लंड चूत की जड़ तक घुसता चला गया। पीछे से प्रताप आया और मेरी गांड में थूक लगा कर मेरी चूत में लंड डाल दिया। अब मैं तो समझो जन्नत में थी.. दो लंड मेरी जबरदस्त चुदाई कर रहे थे।
करीब 20 मिनट चोदने के बाद केशव का काम होने वाला था, उसने मुझे अलग किया और मेरे मुँह में लंड डाल कर मेरा मुँह चोदने लगा। उधर पीछे से प्रताप ने मेरी चूत में लंड डाल मेरी चुत चुदाई शुरू कर दी।
मैं चुदाई का मजा ले रही थी और तभी केशव मेरे मुँह में झड़ गया।
मुझे मजा आ गया.. आज फेस लंड का पानी पीने को मिला था। मैं वो सारा पानी गटक गई।
फिर केशव वहीं बैठ कर मुझे चुदते देखने लगा।
प्रताप मेरी चूत में लंड घुसा कर मेरी जबरदस्त चुत चुदाई कर रहा था, वो रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था। मेरी चूत 3 बार पानी छोड़ चुकी थी और कई मिनट की लम्बी चुदाई के बाद वो मेरी चूत में ही झड़ गया। हम तीनों थक कर उसी हालत में सो गए। जब आँख खुली तो देखा केशव जा चुका था.. और एक प्रस्ताव था जो प्रताप ने बनाया था और जिस पर केशव के हस्ताक्षर थे.. इसमें लिखा था कि निकिता आधा वर्ष प्रताप के साथ रह सकती है पर रागिनी अब सिर्फ केशव की है और वह उसे कुतिया की तरह रखेगा ।
तो दोस्तो यह कहानी यहीं समाप्त होती है..इस पूरी सीरीज को इतना प्यार देने के लिए धन्यवाद

 

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