मैं वंदना गुप्ता, उम्र 32 साल, एक शादीशुदा औरत हूँ। मेरा रंग गोरा, भरा हुआ जिस्म, 36 इंच की छातियाँ, और गोल-मटोल नितंब मुझे एकदम सेक्सी लुक देते हैं। मैं हाउसवाइफ हूँ, सारा दिन घर पर ही रहती हूँ। खाली वक्त में मोबाइल पर सेक्सी वीडियो देखना और चटपटी चुदाई की कहानियाँ पढ़ना मेरा शौक है। मेरे पति श्याम, 35 साल के, एक मल्टीनेशनल कंपनी में मैनेजर हैं। वो मेरी हर ख्वाहिश पूरी करते हैं, लेकिन उनकी व्यस्त जिंदगी की वजह से मुझे अकेलापन महसूस होता है। हमारा एक बेडरूम वाला फ्लैट दिल्ली के पॉश इलाके में है, जहाँ मैं अकेले दिन काटती हूँ।
मेरे पति का दोस्त मोहन, 33 साल का, लंबा-चौड़ा, गठीला बदन वाला, और चेहरे पर हमेशा एक शरारती मुस्कान लिए रहता है। वो श्याम का बेस्ट फ्रेंड है और हमारे घर का रेगुलर मेहमान। मोहन कभी खाली हाथ नहीं आता। कभी मिठाई की डिब्बी, कभी गरमागरम समोसे, तो कभी पास की दुकान से गुलाब जामुन ले आता। उसकी ये आदत मुझे शुरू से पसंद थी। धीरे-धीरे उसकी बातों में, उसकी हँसी में, और उसकी छोटी-छोटी फिक्र में मुझे कुछ खास लगने लगा। मैं उसकी ओर खिंचने लगी।
एक दिन मेरे सीने में अचानक तेज दर्द उठा। मैं घबरा गई। दर्द इतना था कि मैं बिस्तर से उठ भी नहीं पा रही थी। मैंने तुरंत श्याम को फोन किया, लेकिन वो मीटिंग में बिजी थे। उन्होंने मोहन को फोन करके मेरी मदद के लिए भेज दिया। मोहन दस मिनट में घर पहुँच गया। उसका चेहरा परेशानी से भरा था।
“वंदना, क्या हुआ? सब ठीक तो है?” उसने घबराते हुए पूछा।
“मोहन… मेरे सीने में बहुत दर्द हो रहा है… प्लीज, मुझे हॉस्पिटल ले चलो,” मैंने कराहते हुए कहा।
मोहन ने बिना वक्त गँवाए मुझे अपनी बाहों में उठाया। उसकी मजबूत बाहों में मैं एकदम सुरक्षित महसूस कर रही थी, भले ही दर्द मुझे परेशान कर रहा था। उसने मुझे अपनी कार में बिठाया और तेजी से नजदीकी हॉस्पिटल ले गया। वहाँ डॉक्टर ने कुछ टेस्ट किए और बताया कि मेरे दिल की नसों में फैट जमा हो गया है, जिससे दर्द हुआ। मुझे कुछ इंजेक्शन और दवाइयाँ दी गईं। मोहन ने मुझे घर लाकर बिस्तर पर लिटाया और दिनभर मेरा ख्याल रखा। वो मेरे लिए हल्का खाना बनाता, मेरी दवाइयाँ समय पर देता, और तेल-मसाले वाला खाना खाने से सख्ती से मना करता। उसकी ये फिक्र मेरे दिल को छू गई।
धीरे-धीरे मैं मोहन के और करीब आने लगी। एक रात, हिम्मत करके मैंने उसे व्हाट्सएप पर “आई लव यू” लिखकर भेज दिया। मेरा दिल धड़क रहा था। कुछ मिनट बाद उसका जवाब आया, “वंदना, सच में? मैं भी तुम्हें बहुत पसंद करता हूँ।” बस, फिर क्या था, हमारी चैट्स रातोंरात रंगीन होने लगीं। पहले हल्की-फुल्की बातें, फिर सेक्स चैट। मैं उसे अपनी गहरे गले वाले ब्लाउज में तस्वीरें भेजती, और वो तारीफों के पुल बाँध देता।
“वंदना, तेरा लंड चूसने का मन है?” मोहन ने एक रात चैट में पूछा।
“हाँ, चूसूँगी… तेरा मोटा लंड मेरे मुँह में लेना चाहती हूँ,” मैंने जवाब दिया, मेरी उंगलियाँ कीबोर्ड पर काँप रही थीं।
“चूत देगी?” उसने शरारत से पूछा।
“हाँ, दूँगी… जैसे तू चाहे, वैसे ले लेना,” मैंने लिखा।
हमारी चैट्स अब हर रात गर्मागर्म होने लगीं। मैं अपनी नंगी तस्वीरें भेजने लगी, और वो मेरी तारीफ में पागल हो जाता। मेरे मन में अब उससे चुदवाने की आग भड़कने लगी थी।
अगले महीने मेरी सास की तबीयत अचानक खराब हो गई। श्याम को गाँव जाना पड़ा। मैं घर पर अकेली थी। मौका देखकर मैंने मोहन को रात में घर बुला लिया। जैसे ही वो आया, मैंने दरवाजा बंद किया और उसकी बाहों में समा गई। हम दोनों बेडरूम में चले गए। मोहन ने मुझे अपनी बाहों में कस लिया और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए। उसकी गर्म साँसें मेरे चेहरे पर टकरा रही थीं। हम पागलों की तरह एक-दूसरे को चूमने लगे। उसकी जीभ मेरे होंठों को चाट रही थी, और मेरी जीभ उसके मुँह में थी।
“वंदना, श्याम कहाँ है?” मोहन ने चूमते-चूमते पूछा।
“गाँव गया है… सास की तबीयत खराब है,” मैंने हाँफते हुए जवाब दिया।
“तो आज रात तू मेरी है… हम मजे करेंगे,” उसने शरारती अंदाज में कहा।
“हाँ, मेरे राजा… आज मेरी चूत और गांड, सब तेरी है,” मैंने उसकी आँखों में देखते हुए कहा।
हम बिस्तर पर लेट गए। मोहन ने मेरे ब्लाउज के बटन धीरे-धीरे खोलने शुरू किए। उसकी उंगलियाँ मेरी त्वचा को छू रही थीं, और मेरे जिस्म में सिहरन दौड़ रही थी। उसने मेरा ब्लाउज उतार दिया, फिर मेरी साड़ी खींचकर निकाल दी। मेरी काली ब्रा और पैंटी में मैं बिस्तर पर थी। उसने मेरी ब्रा का हुक खोला, और मेरे 36 इंच के भरे हुए मम्मे आजाद हो गए। मेरी गुलाबी निपल्स तनी हुई थीं। मोहन ने मेरी पैंटी भी खींचकर उतार दी। अब मैं पूरी तरह नंगी थी, और मेरे जिस्म की गर्मी कमरे में फैल रही थी।
मोहन ने अपनी शर्ट और पैंट उतार दी। उसका 9 इंच का मोटा लंड मेरे सामने था। उसकी नसें उभरी हुई थीं, और सुपाड़ा गुलाबी और चमकदार था। मैंने उसे अपने हाथ में लिया और सहलाने लगी। “मोहन, ये तो बहुत मोटा है… मेरी चूत और गांड का क्या होगा?” मैंने शरारत से पूछा।
“वंदना, आज तुझे जन्नत दिखाऊँगा,” उसने हँसते हुए कहा और मुझे बिस्तर पर लिटा दिया।
वो मेरे ऊपर लेट गया और मेरे होंठों को फिर से चूमने लगा। उसकी जीभ मेरे मुँह में थी, और मैं उसका स्वाद ले रही थी। धीरे-धीरे वो मेरे गले पर, फिर मेरी छातियों पर आया। मेरे मम्मे भरे हुए थे, और मेरी निपल्स कड़क हो चुकी थीं। उसने मेरे एक मम्मे को अपने बड़े हाथ में लिया और धीरे-धीरे दबाने लगा। “आह्ह… मोहन… धीरे…” मैंने सिसकारी भरी। लेकिन वो कहाँ मानने वाला था। उसने मेरी निपल को अपने मुँह में लिया और चूसना शुरू किया। “चूं… चूं…” की आवाज कमरे में गूँज रही थी। उसकी गर्म जीभ मेरी निपल पर बार-बार टकरा रही थी, और मेरे जिस्म में करंट दौड़ रहा था।
“वंदना, तेरे मम्मे तो रसीले आम जैसे हैं… कितने नरम, कितने भरे हुए,” उसने मेरे मम्मे चूसते हुए कहा।
“तो पी ले मेरे राजा… ये सब तेरे लिए ही हैं,” मैंने उसका सिर अपनी छातियों पर दबाते हुए कहा।
वो मेरे दोनों मम्मों को बारी-बारी चूस रहा था। कभी मेरी निपल को अपने दाँतों से हल्का काटता, तो मैं “उई… माँ… आह्ह…” की सिसकारियाँ भरने लगती। मेरी चूत गीली होने लगी थी। उसने मेरे मम्मों को कसकर दबाया, जैसे कोई पके टमाटर को निचोड़ रहा हो। मेरी साँसें तेज हो रही थीं। फिर उसने अपने मोटे लंड को मेरे मम्मों के बीच रखा और उन्हें चोदने लगा। मैंने पहले कभी ऐसा नहीं किया था। उसका लंड मेरे मम्मों को रगड़ रहा था, और मैं सिहर रही थी। “मोहन… ये क्या कर रहा है… आह्ह… कितना मजा आ रहा है,” मैंने हाँफते हुए कहा।
“बस अभी तो शुरुआत है, मेरी रानी,” उसने कहा और अपने लंड को मेरे मम्मों पर तेजी से रगड़ने लगा। मेरे मम्मे लाल हो रहे थे, और मैं उत्तेजना से पागल हो रही थी। उसका मोटा लंड मेरे मम्मों को किसी आटे की तरह गूँथ रहा था। मैं “आह्ह… उह्ह… हाय…” की आवाजें निकाल रही थी।
कुछ देर बाद उसने मुझे बिस्तर पर सीधा लिटाया और मेरी जाँघें खोल दीं। मेरी चूत पूरी तरह गीली थी, और मेरे झाँटों पर नमी चमक रही थी। उसने अपनी जीभ मेरी चूत पर रखी और चाटना शुरू किया। “ओह्ह… मोहन… ये क्या… आह्ह… मर गई…” मैं चिल्ला उठी। उसकी जीभ मेरी चूत के दाने को बार-बार छू रही थी, और मेरे जिस्म में आग लग रही थी। वो मेरी चूत को किसी आइसक्रीम की तरह चाट रहा था। “फच… फच…” की आवाज कमरे में गूँज रही थी। मैं अपनी जाँघें और चौड़ी कर रही थी, ताकि वो और गहराई तक चाट सके।
“मोहन… अब बस… मुझे चोद दे… मेरी चूत तेरा लंड माँग रही है,” मैंने हाँफते हुए कहा।
“नहीं, मेरी जान… पहले तेरी गांड मारूँगा… तूने कहा था ना, तुझे गांड मरवानी है,” उसने शरारत से कहा।
मैंने हल्का सा डर महसूस किया। मेरी गांड कुंवारी थी। श्याम ने कभी मेरी गांड नहीं मारी थी। लेकिन मेरी चुदास इतनी बढ़ चुकी थी कि मैं तैयार थी। “हाँ, मोहन… मार ले मेरी गांड… लेकिन धीरे से,” मैंने काँपते हुए कहा।
उसने मुझे बेड के सिरहाने पर कुतिया की तरह झुका दिया। मैंने बेड के स्टैंड को कसकर पकड़ लिया। मोहन मेरे पीछे आया और मेरी गांड को चूमने लगा। उसकी गर्म जीभ मेरे गांड के छेद को चाट रही थी, और मैं सिहर रही थी। “ओह्ह… मोहन… ये तो… आह्ह… बहुत मजा आ रहा है,” मैंने सिसकारी भरी। उसने अपनी उंगली मेरी गांड में डाली और धीरे-धीरे अंदर-बाहर करने लगा। मैं दर्द और मजा दोनों महसूस कर रही थी। फिर उसने अपनी जीभ से मेरी गांड को और गीला किया, ढेर सारा थूक लगाया, और अपने लंड का सुपाड़ा मेरे गांड के छेद पर रख दिया।
“वंदना, तैयार है?” उसने पूछा।
“हाँ… डाल दे… लेकिन धीरे…” मैंने डरते हुए कहा।
उसने एक जोरदार धक्का मारा, और उसका 9 इंच का लंड मेरी गांड में घुस गया। मैं चीख पड़ी। “आह्ह… माँ… मर गई… मोहन, निकाल ले… बहुत दर्द हो रहा है…” मेरी आँखों से आँसू निकल आए। लेकिन मोहन ने मेरी कमर पकड़ रखी थी। उसने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। “उई… आह्ह… स्सीई… माँ…” मैं चिल्ला रही थी। दर्द असहनीय था, लेकिन मोहन नहीं रुका। उसने फिर से मेरी गांड में थूक लगाया और धीरे-धीरे पेलना जारी रखा।
कुछ मिनट बाद दर्द कम होने लगा, और मुझे मजा आने लगा। “हाँ… मोहन… अब ठीक है… और जोर से… मार मेरी गांड…” मैंने चिल्लाते हुए कहा। मोहन ने स्पीड बढ़ा दी। उसका मोटा लंड मेरी गांड को चीर रहा था। “पट… पट…” की आवाज कमरे में गूँज रही थी। वो मेरी चूत में भी दो उंगलियाँ डालकर फेट रहा था। मैं पागल हो रही थी। “आह्ह… उह्ह… हाय… मोहन… चोद दे… और जोर से… फाड़ दे मेरी गांड…” मैं चिल्ला रही थी।
लगभग 45 मिनट तक उसने मेरी गांड मारी। मैं कई बार झड़ चुकी थी। आखिरकार, उसने अपना गर्म माल मेरी गांड में छोड़ दिया। मैं थककर बिस्तर पर लेट गई। मोहन मेरे पास लेट गया और मुझे बाहों में भर लिया।
आधे घंटे बाद उसका मन फिर से मचलने लगा। “वंदना, अब तेरी चूत की बारी है,” उसने कहा।
मैंने अपनी जाँघें खोल दीं। मेरी चूत पहले से ही गीली थी। मोहन ने अपनी जीभ मेरी चूत पर रखी और चाटने लगा। “फच… फच…” की आवाज फिर से गूँजने लगी। उसकी जीभ मेरे भगनासे को बार-बार छू रही थी, और मैं सिहर रही थी। “आह्ह… मोहन… और चाट… ओह्ह… माँ…” मैं चिल्ला रही थी। उसने मेरी चूत में दो उंगलियाँ डाली और तेजी से फेटने लगा। मेरी चूत इतनी गीली थी कि कमरे में “फचक… फचक…” की आवाज गूँज रही थी।
“मोहन… अब चोद दे… डाल दे अपना लंड…” मैंने गिड़गिड़ाते हुए कहा।
उसने मेरी जाँघें और चौड़ी कीं और अपना मोटा लंड मेरी चूत में डाल दिया। “आह्ह… उह्ह… हाय…” मैं सिसकारियाँ भर रही थी। उसका लंड मेरी चूत की दीवारों को रगड़ रहा था। वो तेजी से धक्के मारने लगा। “खट… खट…” की आवाज कमरे में गूँज रही थी। मैं “आह्ह… और जोर से… फक मी हार्ड… ओह्ह… यस…” चिल्ला रही थी। मेरे जिस्म में आग लग रही थी। मेरी चूत का रस बह रहा था, और उसका लंड उसमें फिसल रहा था।
वो लगातार दो घंटे तक मुझे चोदता रहा। मैं तीन बार झड़ चुकी थी। आखिरकार, उसने अपना माल मेरी चूत में छोड़ दिया। हम दोनों थककर एक-दूसरे की बाहों में लेट गए।
तीन दिन बाद श्याम गाँव से लौटे। तब तक मैं मोहन से 10 बार चुद चुकी थी। हर बार उसने मुझे नए अंदाज में चोदा। मेरी गांड और चूत दोनों उसकी दीवानी हो चुकी थीं।
दोस्तों, आपको मेरी कहानी कैसी लगी? अपनी राय जरूर बताएँ।