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प्यारी भाभी और प्यासी बहन

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Family Sex Story: विजय, जिसे घर में सब प्यार से विजू कहते थे, 20 साल का एक आकर्षक और स्मार्ट लड़का था। यह कहानी करीब एक साल पहले की है, जब वह पढ़ाई कर रहा था। विजय के परिवार में छह सदस्य थे – वह खुद, उसकी माँ, तीन भाई, बहन सुषमा, और भाभी सीमा। विजय के पापा का देहांत उसके छह साल की उम्र में ही हो गया था। वह भाइयों में सबसे छोटा था, और उसकी बहन सुषमा उससे एक साल छोटी थी।

बड़े भाई की नई-नई शादी हुई थी, और भाभी सीमा के घर आने से घर में एक नई रौनक आ गई थी। सीमा सभी को बहुत प्यार करती थीं। विजय और सुषमा दोनों उनसे बहुत खुश रहते थे, और गर्मी की छुट्टियों में घर में खूब मस्ती होती थी। एक दिन घर में सुषमा माँ के साथ बाजार गई हुई थी। विजय अकेले सीमा के कमरे में उनके साथ लूडो खेल रहा था।

सीमा ने खेलते-खेलते मजाक में विजय को हल्के से धक्का दिया। विजय संभल नहीं पाया और पलंग पर पीठ के बल गिर गया। गुस्से में उसने उठकर सीमा को पीछे धकेलने की कोशिश की, लेकिन सीमा उससे ज्यादा मजबूत थीं। विजय उन्हें गिराने के लिए पूरी ताकत लगाने लगा। इस कोशिश में उसके दोनों हाथ सीमा के कंधों से फिसलकर उनकी चूचियों पर आ गए। सीमा ने विजय को पीछे धकेल दिया, लेकिन विजय हार मानने वाला नहीं था। उसने सीमा को कसकर बाँहों में भर लिया और उन्हें पलंग पर गिरा दिया।

सीमा पलंग पर पीठ के बल गिरीं, और विजय उनके ऊपर आ गया। उसने सीमा के दोनों हाथ पकड़ लिए और उनके पैर अपने पैरों के बीच में फँसा दिए। सीमा की चूचियाँ विजय के सीने से दबी हुई थीं। सीमा ने खुद को छुड़ाने की कोशिश की और अपने हाथ विजय की पकड़ से छुड़ा लिए। अब उनके हाथ विजय की पीठ पर थे, और उन्होंने विजय के सिर को पकड़कर अपनी चूचियों के बीच में दबा लिया। विजय को लगा कि उसका दम घुट जाएगा। उसने छटपटाते हुए खुद को छुड़ाने की कोशिश की और चिल्लाने लगा। सीमा ने विजय की आवाज सुनकर उसे छोड़ दिया।

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विजय उठकर खड़ा हो गया और लंबी-लंबी साँसें लेने लगा। सीमा उसे देखकर मुस्कुरा रही थीं, जबकि विजय गुस्से में उन्हें घूर रहा था। सीमा मुस्कुराते हुए बाथरूम में चली गईं। दोपहर का समय था, और बाहर तेज़ धूप थी। विजय टीवी देखने चला गया। थोड़ी देर बाद माँ और सुषमा बाजार से वापस आ गईं।

सबने मिलकर खाना खाया। माँ खाना खाकर अपने कमरे में आराम करने चली गईं। विजय भी अपने कमरे में जाकर लेट गया। तभी सुषमा कमरे में आई और बोली कि सीमा उसे बुला रही हैं। विजय सुषमा के साथ सीमा के कमरे में गया। सीमा उस समय केवल ब्लाउज और पेटीकोट में पलंग पर लेटी हुई थीं।

यह विजय के लिए कोई नई बात नहीं थी क्योंकि सीमा अकसर उसके सामने इस रूप में रहती थीं। कभी-कभी तो वह विजय के सामने ही कपड़े भी बदल लेती थीं। विजय को सेक्स का कोई ज्ञान नहीं था, इसलिए यह सब उसे सामान्य ही लगता था।

जैसे ही विजय ने कमरे में कदम रखा, सीमा उठकर बैठ गईं। विजय ने उनसे पूछा, “क्या बात है?”

सीमा ने मुस्कुराते हुए कहा, “चलो, तीनों मिलकर लूडो खेलते हैं।”

विजय तुरंत तैयार हो गया, और वे तीनों लूडो खेलने लगे। कुछ देर खेलने के बाद विजय को नींद आने लगी। उसने कहा, “मैं अब नहीं खेलूँगा। मुझे नींद आ रही है, मैं सोने जा रहा हूँ।”

सीमा ने उसे रोकते हुए कहा, “यहीं पलंग पर सो जाओ।”

विजय पलंग के एक किनारे लेट गया, और सीमा व सुषमा लूडो खेलती रहीं।

थोड़ी देर बाद विजय की नींद खुलने लगी। उसे अपने लण्ड पर कुछ नरम-नरम सा महसूस हो रहा था। वह आधी नींद में ही था, लेकिन उसके हाथ अपने लण्ड की ओर बढ़ गए। जब उसने छूकर देखा, तो वह चौंक गया। उसके लण्ड पर दो हाथ फिसल रहे थे।

विजय ने अपनी आँखें बंद रखीं और लेटा रहा। उसे अजीब सा मज़ा आ रहा था। उसका लण्ड अब कड़ा होने लगा था, और पूरे शरीर में एक सिहरन सी महसूस हो रही थी। आखिरकार विजय से रहा नहीं गया। उसने आँखें खोलकर देखा, तो वह दंग रह गया। सीमा और सुषमा दोनों नंगी होकर पलंग पर बैठी थीं। वे एक-दूसरे की चूत सहला रही थीं और साथ ही विजय के लण्ड को भी सहला रही थीं।

विजय को जागते देख सुषमा घबरा गई और बिना कपड़ों के ही बाथरूम में भाग गई। विजय ने सीमा की तरफ़ देखा और गुस्से में पूछा, “आप लोग नंगे क्यों हो? और मेरे लण्ड को क्यों सहला रही थीं?”

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सीमा मुस्कुराते हुए बोलीं, “हम लोग एक नया खेल खेल रहे थे।”

विजय ने हैरानी से पूछा, “ये कौन सा खेल है जो नंगे होकर खेलते हैं?”

सीमा ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “यह खेल नंगा होकर ही खेला जाता है। तभी इसमें मज़ा आता है। तुम्हें मज़ा नहीं आ रहा था?”

विजय ने थोड़ी झिझक के साथ कहा, “मज़ा तो आ रहा था, लेकिन मैंने तो कपड़े पहने हुए थे।”

सीमा ने उसे समझाते हुए कहा, “अगर कपड़े उतारकर खेलोगे, तो और मज़ा आएगा। क्या तुम और मज़ा लेना चाहोगे?”

विजय को भी यह नया अनुभव अच्छा लग रहा था, लेकिन उसने कहा, “पर सुषमा मेरी बहन है। मैं उसके सामने कैसे नंगा हो सकता हूँ?”

सीमा ने मुस्कुराते हुए कहा, “अरे पगले, अपनों के सामने नंगा होने में कैसी शर्म? कोई बाहर वाला थोड़े ही देख रहा है। हम तीनों तो अपने ही हैं और यहाँ कोई और है भी नहीं।”

सीमा ने बात खत्म करते हुए विजय के कपड़े उतारने शुरू कर दिए।

सीमा ने विजय के कपड़े उतार दिए, और वह अब पूरी तरह नंगा था। उन्होंने विजय के लटके हुए लण्ड को अपने हाथों में पकड़ लिया और उसे मसलने लगीं। विजय को ऐसा महसूस हुआ जैसे उसके शरीर पर एक अजीब सा नशा छा गया हो। उसका लण्ड फिर से कड़ा होने लगा और लंबा भी होने लगा। मस्ती के कारण उसकी आँखें बंद हो गईं।

तभी विजय को अपने लण्ड पर कुछ गीला-गीला सा महसूस हुआ। उसने अपनी आँखें खोलकर देखा तो पाया कि सीमा उसका लण्ड अपने मुँह में लेकर चूस रही थीं। विजय को ऐसा महसूस हो रहा था जैसे उसका लण्ड किसी गर्म हवा भरे गुब्बारे में घुसा हुआ हो।

विजय ने सीमा के पूरे नंगे शरीर को गौर से देखा। उनकी गोल-गोल, गोरी चूचियाँ उनके छोटे-छोटे लाल निप्पलों के साथ उभर रही थीं। उनकी पतली कमर और चौड़े, गोल-गोल चूतड़ विजय को मंत्रमुग्ध कर रहे थे। चिकनी मोटी जाँघों के बीच काले-घुँघराले झाँट विजय को खींच रहे थे।

विजय का शरीर अकड़ने लगा, और उसे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे उसका पूरा अस्तित्व उसके लण्ड के रास्ते बाहर निकल जाएगा। अचानक उसने झटके से अपना लण्ड सीमा के मुँह से बाहर खींच लिया और उनका हाथ भी अपने लण्ड से हटा दिया। वह जोर-जोर से साँसें ले रहा था और उसका लण्ड अब भी झटके मार रहा था।

सीमा ने विजय के ऊपर चढ़कर अपने चूतड़ों को उसकी जाँघों पर रगड़ना शुरू कर दिया। उनके मुँह से “आह… आहह… आह… इसस्स… आ” की आवाजें निकलने लगीं। उन्होंने अपने पैरों को फैलाकर विजय के लण्ड को अपनी चूत के पास लाने की कोशिश की। विजय को अपने लण्ड पर हल्का-हल्का गर्म महसूस हुआ। उत्सुकतावश उसने हाथ से उस जगह को छू लिया। सीमा तुरंत उछल गईं और विजय को चूमने लगीं।

विजय ने हैरानी से पूछा, “ये क्या है?”

सीमा मुस्कुराते हुए बोलीं, “मेरे विजू राजा, इसे चूत कहते हैं, जिसमें मर्द अपना लण्ड घुसाकर चोदते हैं।”

विजय ने हैरानी से पूछा, “क्या वहाँ इतना बड़ा छेद होता है कि इतना बड़ा और मोटा लण्ड उसमें घुस सकता है?”

सीमा इस सवाल पर सिर्फ मुस्कुरा दीं। वह विजय की कमर पर बैठ गईं और अपनी गीली चूत को उसके लण्ड पर रगड़ने लगीं। उनकी चूत अब पूरी तरह से गीली हो चुकी थी, और विजय का लण्ड भी गीला हो गया था।

सीमा की चूत पूरी तरह गीली हो चुकी थी, और विजय का लण्ड भी अब चूत के रस से गीला हो गया था। सीमा ने अपनी आँखें बंद कर ली थीं और उनकी साँसें तेज़ हो रही थीं। उन्होंने अपने चूतड़ों को हल्का ऊपर उठाया और एक हाथ से विजय के लण्ड को पकड़कर अपनी चूत के मुँह पर रखा। फिर धीरे-धीरे लण्ड को अपनी चूत में अंदर घुसाने लगीं।

जब विजय का लण्ड सीमा की चूत के अंदर जाने लगा, तो वह एक अनोखे एहसास से भर गया। उसे ऐसा लग रहा था जैसे उसका पूरा शरीर सिहरन से भर गया हो। उसकी आँखें खुद-ब-खुद बंद हो गईं। सीमा ने अपने चूतड़ों को हिलाना शुरू किया, और विजय का लण्ड उनकी चूत के अंदर-बाहर होने लगा। दोनों के मुँह से “आह… आह… आहह… इसस्स…” की आवाजें निकल रही थीं।

लण्ड और चूत के मिलन से कमरे में “फॅक फॅक… पछ पछ” की आवाजें गूँजने लगीं। लगभग पाँच मिनट तक सीमा अपनी चूत को विजय के लण्ड पर तेजी से हिलाती रहीं। फिर अचानक उन्होंने अपने चूतड़ों को और तेज़ी से हिलाना शुरू कर दिया। उनके मुँह से अजीब-अजीब सी आवाजें निकलने लगीं।

विजय का शरीर अकड़ने लगा। उसने सीमा के चूतड़ों को कसकर पकड़ लिया। उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि उसके लण्ड से कुछ निकल रहा है। सीमा ने भी अपने शरीर को विजय के लण्ड पर दबाना शुरू कर दिया।

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सीमा अचानक झटके लेने लगीं। विजय के लण्ड को महसूस हुआ कि गर्म-गर्म कुछ चूत से बाहर निकल रहा था और उसके लण्ड को भिगो रहा था। सीमा ने विजय को कसकर पकड़ लिया और उनके होंठों को चूमने लगीं।

कुछ देर ऐसे ही रहने के बाद सीमा विजय के ऊपर से उठ गईं। वह अपने चूतड़ों को मटकाती हुई बाथरूम में चली गईं। विजय बिस्तर पर लेट गया। उसे अब काफ़ी हल्का महसूस हो रहा था। उसकी साँसें गहरी और तेज़ थीं।

विजय अभी भी बिस्तर पर लेटा हुआ था और उसकी साँसें धीरे-धीरे सामान्य हो रही थीं। अचानक उसके दिमाग में ख्याल आया कि सुषमा भी कमरे में थी। उसने घबराकर सोचा, “क्या सुषमा ने ये सब देख लिया होगा?”

उसे यह सोचकर डर लगने लगा कि सुषमा कहीं यह बात माँ या किसी और को न बता दे। विजय को पेशाब करने की इच्छा हुई, इसलिए वह बाथरूम के पास गया और अंदर खटखटाया। उसने सीमा को आवाज़ दी, “भाभी, मुझे पेशाब करना है, आप बाहर आइए।”

सीमा ने अंदर से जवाब दिया, “हम बाहर नहीं आएँगी, तुम अंदर आ जाओ और पेशाब कर लो। कुछ नहीं होगा।”

विजय को शर्म आ रही थी, क्योंकि उसे पता था कि बाथरूम में सीमा के साथ सुषमा भी थी। लेकिन पेशाब की ज़रूरत ने उसे मजबूर कर दिया। उसने एक बार और कहा, “भाभी, प्लीज बाहर आइए।”

इस बार सीमा ने दरवाजा खोला, विजय का हाथ पकड़ा, और उसे बाथरूम के अंदर खींच लिया। अंदर का नज़ारा देखकर विजय के होश उड़ गए। सीमा और सुषमा दोनों नंगी खड़ी थीं। सुषमा अपनी नज़रें शर्म से नीचे किए हुए थी और अपनी चिकनी जाँघों के बीच अपनी चूत को ढकने की कोशिश कर रही थी।

सुषमा की चूत के चारों ओर भूरे रेशमी बाल थे, जो उसकी चूत को और आकर्षक बना रहे थे। उसने अपने हाथों से अपनी सन्तरे जैसी चूचियों को ढक रखा था। विजय को देखकर सीमा मुस्कुराई और बोली, “ऐसे क्या देख रहे हो? चोदेगा क्या इसे भी? ये भी चुदना चाहती है, लेकिन शर्मा रही है।”

विजय यह सब देखकर हैरान था और समझ नहीं पा रहा था कि क्या करे। उसने अपनी निक्कर से लण्ड बाहर निकालकर पेशाब करने की कोशिश की, लेकिन सीमा ने उसे रोक दिया। सीमा बोली, “रुको, एक नए तरीके से पेशाब करो, जिससे तुम दोनों की शर्म खत्म हो जाएगी।”

विजय ने पूछा, “कैसे?”

सीमा ने सुषमा को कमोड पर बैठा दिया और विजय को उसके सामने खड़ा कर दिया। सीमा ने विजय को कहा, “अपना लण्ड इसकी चूत के पास सटा दो और पेशाब करो।”

सुषमा ने शर्म से अपनी नज़रें झुका लीं, लेकिन सीमा ने उसके पैर उठाकर फैला दिए। विजय सुषमा की चूत को देखकर दंग रह गया। उसकी चूत गीली थी, और उसमें हल्की गुलाबी चमक थी। विजय का लण्ड फिर से खड़ा हो गया और सुषमा की चूत को सलामी देने लगा।

यह देख सीमा और सुषमा मुस्कुराने लगीं। विजय खुद को रोक नहीं पाया। वह फर्श पर उकडूँ बैठ गया और सुषमा की चूत को अपने हाथों से छूने लगा। यह विजय के लिए पहली बार था जब उसने किसी कुंवारी चूत को छूकर देखा। सुषमा सिसकारी लेते हुए मचलने लगी।

जैसे ही विजय ने सुषमा की चूत को छुआ, सुषमा सिसकने लगी और मचलते हुए कहने लगी, “आह… भाभी रे… आहह… इसस्स… भैया जी… आहह… मुझे भी… आह… चोदिए न… आहह… जैसे भाभी को… आह चोद रहे थे… आहह… मम्मी रे… आहह… चोदिए।”

सुषमा की आवाज़ें सुनकर विजय और उत्तेजित हो गया। उसने अपना लण्ड सुषमा की चूत से सटाकर घुसाने की कोशिश की, लेकिन लण्ड बार-बार चूत से फिसल जा रहा था। जब भी विजय का लण्ड सुषमा की चूत को छूता, सुषमा अपना गाण्ड ऊपर उछालती, जैसे वह लण्ड को निगल लेना चाहती हो।

यह सब देखकर सीमा जोर से हँस पड़ी और बोली, “ऐसे अंदर नहीं जाएगा, मेरे राजा। ला इधर लण्ड।”

सीमा ने विजय का लण्ड पकड़ लिया और उस पर ढेर सारा तेल लगाया। फिर उसने सुषमा की चूत में अपनी ऊँगली डालकर अंदर तक तेल लगाया। सीमा ने मुस्कुराते हुए कहा, “अब इसकी चूत तैयार है, तुम्हारे लण्ड को अंदर लेने के लिए।”

सीमा ने विजय का लण्ड पकड़ा और उसे सुषमा की चूत पर रगड़ने लगीं। लण्ड के रगड़ने से सुषमा तड़प उठी और चिल्लाने लगी, “आह… भाभी… इस्स आह… चोद आह… चोद दो न… आह!”

विजय अब खुद को और ज्यादा रोक नहीं पा रहा था। उसने अचानक अपना लण्ड जोर से सुषमा की चूत में चांप दिया। तेल की वजह से लण्ड “फच्च” की आवाज के साथ पूरी तरह सुषमा की चूत में घुस गया।

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सुषमा दर्द से चीख उठी, “माआंम्मय्ययई… मार गई… आऐईईईईईए!”

सीमा ने जल्दी से सुषमा का मुँह अपने हाथ से बंद कर दिया, लेकिन सुषमा की आँखों से आँसू बहने लगे। यह देखकर विजय डर गया और उसने लण्ड को सुषमा की चूत से बाहर निकाल लिया। सुषमा की चूत से खून बहने लगा था। खून देखते ही विजय का सारा जोश गायब हो गया। वह बाथरूम से बाहर निकलकर बिस्तर पर लेट गया और डर के मारे रोने लगा।

कुछ देर बाद सीमा और सुषमा बाथरूम से बाहर आईं। सुषमा लंगड़ाकर चल रही थी और अब भी रो रही थी। जब सीमा ने विजय को रोते देखा, तो वह हँसने लगी। सीमा ने विजय और सुषमा को समझाना शुरू किया कि चुदाई क्या होती है, इसमें क्या-क्या होता है और यह कैसे की जाती है।

उस रात, जब सुषमा और विजय डर और झिझक के साथ सीमा की बातें सुन रहे थे, सीमा ने उन्हें चुदाई का सही मतलब और तरीके समझाने शुरू किए। उसने दोनों को बताया कि चुदाई में दर्द शुरुआत में होता है, लेकिन धीरे-धीरे यह आनंद में बदल जाता है। उसने सुषमा से कहा कि यह उसका पहला अनुभव था, इसलिए उसे थोड़ा ज्यादा दर्द हुआ, लेकिन अगली बार यह और मजेदार होगा।

उस रात, विजय और सुषमा, दोनों सीमा के कमरे में सोने चले गए, क्योंकि बड़े भाई घर से बाहर गए हुए थे। सीमा ने विजय को अपने पास बुलाया और उसकी आँखों में देखते हुए कहा, “तुम्हें अभी सीखना होगा कि चुदाई कैसे की जाती है।”

सीमा ने विजय को बिस्तर पर लिटा दिया और उसके लण्ड को अपने हाथ में पकड़कर मसलने लगी। विजय का लण्ड फिर से खड़ा हो गया। सीमा ने सुषमा को पास बुलाया और कहा, “देख, ये है तेरा भाई, और आज ये तुझे चोदना सिखाएगा।”

सुषमा अब तक शर्म छोड़ चुकी थी और उसके चेहरे पर हल्की मुस्कान थी। सीमा ने विजय को सुषमा की चूत पर चढ़ा दिया। पहले सीमा ने सुषमा को शांत करने के लिए चूमा और उसकी चूत में अपनी ऊँगली डाली।

जब सुषमा थोड़ा सहज हो गई, तो सीमा ने विजय से कहा, “अब इसे चोदकर इसे मज़ा देना सीखो।”

विजय ने सीमा की बात मानी और सुषमा की चूत पर लण्ड सेट किया। सुषमा की चूत अब गीली और तैयार थी। विजय ने धीरे-धीरे लण्ड को अंदर डालना शुरू किया। सुषमा ने दर्द से सिसकारियाँ लीं, लेकिन सीमा ने उसे समझाया कि वह सब ठीक हो जाएगा।

कुछ देर बाद विजय और सुषमा दोनों चुदाई के खेल में रम गए। सुषमा का दर्द धीरे-धीरे आनंद में बदलने लगा। विजय ने सीमा के कहे अनुसार अपने धक्के तेज़ कर दिए, और सुषमा के मुँह से “आह… आह… भैया जी… और तेज़… आह… चोद दो!” जैसी आवाज़ें निकलने लगीं।

सीमा सुषमा के पास बैठकर उसकी चूचियों को मसल रही थी और विजय को देख-देखकर मुस्कुरा रही थी।

उस रात चुदाई का खेल बार-बार चला। सुषमा ने अपने दर्द को सहकर विजय को चुदने दिया, और विजय ने पहली बार सच्चे अर्थों में चुदाई का आनंद लिया। सीमा ने भी विजय और सुषमा के साथ खुद को शामिल कर लिया।

उस दिन के बाद से, जब भी मौका मिलता, तीनों अक्सर चुदाई का आनंद लेते।

तो दोस्तों, यह कहानी विजय, सीमा और सुषमा के पहले अनुभवों पर आधारित थी। यह उनकी जिंदगी के उस पल को दर्शाती है, जहाँ उन्होंने नए अनुभव किए और चुदाई का सही मतलब समझा।

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