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मैंने अपनी गर्लफ्रेंड की चूत की सील तोड़ी

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दोस्तो, मेरा नाम सुरेश है और ये कहानी उस दिन की है जब मैंने अपनी गर्लफ्रेंड जानिया की सील तोड़ी। मैं 25 साल का था और जानिया 22 की। तीन साल से हम दोनों साथ थे, लेकिन जानिया हमेशा मुझसे कतराती थी जब मैं सेक्स की बात करता।

कई बार मैंने उससे कहा, “चल, एक बार ट्राई करते हैं,” लेकिन हर बार उसका जवाब ना होता। उसे डर था कि बहुत दर्द होगा।

एक दिन, दीवाली के टाइम जब वह अपने गांव गई हुई थी, मैंने उसे फोन किया। पास ही मेरा गांव भी था और मैं अपनी बहन के यहां रुका था। मैंने कहा, “जानिया, आज मिलते हैं। कोई जगह है जहां हम दोनों शांति से टाइम बिता सकें?”

यह कहानी दी इंडियन सेक्स स्टोरीज डॉट की ओरिजनल सीरीज है, अन्य ओरिजनल सीरीज पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें : ओरिगनलस बाई दी इंडियन सेक्स स्टोरी डॉट कॉम

वह थोड़ी देर चुप रही। मैं समझ सकता था कि वह झिझक रही थी। लेकिन फिर उसने धीरे से कहा, “मेरे एक रिश्तेदार का घर है, वहां आ सकते हो।”

उसकी आवाज में हिचक थी, लेकिन मैं जानता था कि कहीं न कहीं वह भी यह चाहती थी।

अगले दिन, मैं 11 बजे उसके गांव पहुंचा। उसकी दादी घर पर थी। जब उसने दरवाजे के पास मुझे देखा तो थोड़ी घबराई हुई दिखी। मैं उसके साथ अंदर गया, लेकिन तभी उसकी दादी उठ गई।

वह घबरा गई और जल्दी से मुझे बाथरूम में छुपा दिया। हम दोनों वहीं चले गए। थोड़ी देर बाद जब दादी वापस चली गईं, तो वह मुझे रूम में ले गई।

उसकी आंखों में डर साफ नजर आ रहा था। मैं जानता था कि उसे आराम देने की जरूरत है।

हम दोनों बैठकर बात करने लगे। मैंने उससे पूछा, “इतने दिन से मना क्यों कर रही थी?”

वह बोली, “मुझे डर लगता था। मैंने सुना है कि पहली बार बहुत दर्द होता है।”

मैंने मुस्कुराते हुए कहा, “पहली बार में दर्द होता है, लेकिन उसके बाद मजा भी आता है। चिंता मत करो, आज ट्राई करते हैं। मेरा भी तो पहला अनुभव होगा।”

उसने कुछ नहीं कहा, लेकिन मैं देख सकता था कि वह सोच रही थी। मैंने धीरे से उसकी टांगों पर हाथ रखा और उसे सहलाने लगा।

वह हल्का सा मुस्कुराई और धीरे से ‘हां’ कह दिया।

मुझे लगा जैसे मेरा दिल जोर से धड़कने लगा हो।

उसके ‘हां’ कहते ही मैंने उसकी कमर के चारों ओर हाथ डाल दिया और उसे हल्के से अपनी तरफ खींचा। उसके बदन की गर्माहट मेरे सीने से महसूस हो रही थी।

मैंने उसकी गर्दन पर हल्के से किस करना शुरू किया। उसकी सांसें तेज होने लगीं। मैं जानता था कि उसे झिझक हो रही थी, लेकिन उसके जिस्म का हल्का कंपन बता रहा था कि वह भी मेरे करीब आना चाहती है।

मैंने उसे पीछे से पकड़ कर उसकी पीठ पर धीरे-धीरे अपने होंठ रखे। उसने आंखें बंद कर लीं और एक धीमी सांस ली, मानो उसे मेरे स्पर्श का इंतजार था।

वह मुझसे लिपट गई। मैंने उसके होंठों को अपने होंठों से छुआ और हम दोनों गहरी किस में डूब गए।

उसके मम्मों पर मेरी उंगलियां फिसलने लगीं, हल्के-हल्के मैंने उनके ऊपर से सहलाना शुरू किया। उसकी सांसें अब और तेज हो रही थीं, और मैं जानता था कि वह पूरी तरह तैयार हो रही थी।

मैंने धीरे से उसके कुर्ते को ऊपर उठाया, लेकिन उसने झिझकते हुए मेरी हाथों को रोका।

“अभी नहीं…,” उसने धीमे से कहा।

मैंने मुस्कुराते हुए कहा, “डरने की जरूरत नहीं है, जान। बस मैं तुम्हें प्यार करना चाहता हूं।”

उसने हल्की मुस्कान के साथ मुझे देखा और धीरे से मेरे हाथ को छोड़ दिया। मैं उसके कुर्ते को धीरे-धीरे ऊपर करने लगा।

जब उसका कुर्ता पूरी तरह उतर गया तो मैंने देखा कि उसकी स्पोर्ट्स ब्रा उसके मम्मों को कसकर पकड़ रही थी।

मैंने धीरे से ब्रा के स्ट्रैप्स को सरकाना शुरू किया। उसने एक बार फिर हल्के से मना किया, लेकिन इस बार उसकी आवाज में वह दृढ़ता नहीं थी।

मैंने उसकी ब्रा को बस थोड़ा सा ऊपर किया और उसके मम्मों को अपने हाथों में भर लिया।

वह हल्का कांप रही थी, लेकिन अब उसका जिस्म मेरी पकड़ में था।

जैसे ही मैंने उसके मम्मों को सहलाना शुरू किया, उसकी आंखें धीरे-धीरे बंद होने लगीं। मैं उसके चेहरे की हर हलचल को देख रहा था। उसकी सांसें तेज हो रही थीं, और उसके होंठ हल्के से कांप रहे थे।

मैंने उसकी गर्दन पर फिर से अपने होंठ रखे और उसे धीरे-धीरे चूमने लगा। मेरी उंगलियां उसके मम्मों को दबा रही थीं, और मैं महसूस कर सकता था कि उसकी बुर में गर्मी बढ़ रही थी।

जब मैंने उसके पेट को चूमते हुए नीचे जाना शुरू किया, उसने हल्के से मेरी शर्ट पकड़ ली और कसकर बंद आंखों से मेरी तरफ देखने लगी।

“रुक जाओ सुरेश…,” उसकी आवाज धीमी थी, लेकिन मैं जानता था कि वह बस नाम के लिए मना कर रही थी।

मैंने उसकी आंखों में देखा और धीरे से मुस्कुरा दिया। “कुछ नहीं होगा, जानिया। मैं तुम्हारे साथ हूं।”

उसने अपनी पकड़ ढीली कर दी, और मैं उसकी सलवार की तरफ बढ़ गया। उसकी सांसें और तेज हो गईं।

मैंने उसके नाड़े को धीरे से खोला और उसकी सलवार को उसके घुटनों तक खिसका दिया।

उसकी बुर के ऊपर उसकी पैंटी अभी भी थी, लेकिन उसके उभार साफ दिखाई दे रहे थे। मेरी उंगलियां उसके मम्मों से फिसलकर उसके पेट पर आईं और धीरे-धीरे उसकी पैंटी की किनारे तक पहुंच गईं।

मैंने हल्के से उसकी पैंटी के ऊपर से उसकी बुर को सहलाना शुरू किया।

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“सुरेश…,” उसने धीमे से कहा और मेरी तरफ देखा।

मैंने धीरे से उसकी पैंटी नीचे खींच दी, और अब वह मेरे सामने पूरी तरह नग्न थी।

उसकी बुर हल्की सी गीली हो चुकी थी। मैंने धीरे से उसके पैरों को फैलाया और उसके चेहरे की ओर देखा।

वह हल्की मुस्कान के साथ मुझे देख रही थी, लेकिन उसकी आंखों में थोड़ी घबराहट थी।

मैंने धीरे से उसकी बुर को अपनी उंगलियों से सहलाया।

“अब ठीक है न?” मैंने पूछा।

उसने धीरे से सिर हिलाया और अपनी आंखें बंद कर लीं।

मैंने अपनी जींस और चड्डी उतारी। मेरा लंड पूरी तरह खड़ा हो चुका था, और जैसे ही उसने मेरी तरफ देखा, उसके गाल लाल हो गए।

“मैं धीरे से करूंगा,” मैंने उसे भरोसा दिलाया।

उसने कुछ नहीं कहा, बस अपनी टांगों को और फैला दिया।

मैं उसके ऊपर आया और अपने लंड को उसकी बुर के दरवाजे पर सैट किया। उसकी बुर का गर्म अहसास मेरे लंड को छू रहा था।

“तैयार हो?” मैंने पूछा।

उसने धीरे से सिर हिलाया और अपनी आंखें कसकर बंद कर लीं।

मैंने धीरे से पहला झटका मारा। लंड बस उसकी बुर के मुहाने पर ही था, लेकिन उसके चेहरे पर हल्का सा दर्द साफ दिखाई दिया।

“आह…,” वह धीरे से कराह उठी और उसकी आंखों से आंसू की एक बूंद निकल पड़ी।

मैंने तुरंत रुककर उसके होंठ चूम लिए। “रुकूं?” मैंने पूछा।

“नहीं, करो…,” उसने धीरे से कहा और अपनी टांगों को मेरी कमर के इर्द-गिर्द लपेट लिया।

मैंने फिर से हल्का झटका दिया, और इस बार लंड उसकी बुर में थोड़ा और घुस गया। उसकी चीख दब गई थी, लेकिन मैं देख सकता था कि वह दर्द में थी।

मैंने उसके मम्मों को अपने हाथ में लेकर दबाना शुरू किया, ताकि उसका ध्यान बंट सके।

कुछ सेकंड तक मैं रुका रहा, फिर हल्के-हल्के झटके देने लगा।

अब उसकी बुर थोड़ी ज्यादा गीली हो गई थी, और लंड थोड़ी और आसानी से अंदर जाने लगा।

“अब ठीक है?” मैंने पूछा।

उसने धीरे से आंखें खोलीं और मुस्कुराकर कहा, “हां… अब ठीक है।”

मैंने अपनी स्पीड थोड़ी बढ़ा दी। उसके चेहरे से अब दर्द कम हो रहा था और मजा बढ़ रहा था।

उसके मुँह से हल्की सिसकियाँ निकल रही थीं, और मेरे कानों में उसकी आहें जन्नत जैसा अहसास दे रही थीं।

जैसे-जैसे मैं हल्के झटके मार रहा था, जानिया की सांसें गहरी होने लगीं। अब उसके चेहरे पर दर्द की जगह हल्की मुस्कान थी, और उसकी आंखें बंद थीं। मैंने उसकी जांघों को अपने हाथों से पकड़कर उसे और करीब खींच लिया।

उसकी बुर की गर्माहट मेरे लंड को पूरी तरह से घेर रही थी। हल्की गीलापन अब बढ़ने लगा था, और मैं महसूस कर सकता था कि उसकी बुर मेरी लंड को आराम से अंदर आने दे रही थी।

“सुरेश…,” उसने धीरे से मेरी पीठ सहलाते हुए कहा।

“क्या हुआ जान?” मैंने उसके चेहरे की तरफ देखते हुए पूछा।

“अब दर्द कम हो गया है… बस धीरे करना,” उसने हल्की मुस्कान के साथ कहा।

मैंने उसकी बात सुनी और अब धीरे-धीरे अपनी चाल बढ़ा दी। मेरा लंड पूरी तरह से उसकी बुर में समा गया था, और जब मैं उसे बाहर निकालता, उसकी बुर की पकड़ और कस जाती थी।

उसके मम्मों पर मैंने अपने होंठ रखे और उन्हें हल्के से चूसने लगा।

“आह…,” उसके मुँह से हल्की आह निकली, और मैंने महसूस किया कि उसका बदन और ज्यादा ढीला पड़ने लगा था।

अब मैं थोड़ी तेज़ी से झटके मारने लगा। कमरे में छप-छप की आवाजें गूंज रही थीं, और उसकी सांसें मेरे कानों में एक अलग ही सुर पैदा कर रही थीं।

उसकी टांगें अब मेरी कमर के इर्द-गिर्द कस चुकी थीं, और उसके नाखून मेरी पीठ पर धीरे-धीरे दबने लगे थे।

“सुरेश… जल्दी मत करो… ऐसे ही…,” उसने मेरी गर्दन पर अपने होंठ रखते हुए कहा।

“तुम्हें अच्छा लग रहा है?” मैंने उसके कान में फुसफुसाया।

“बहुत…,” उसने धीरे से कहा और अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए।

अब हम दोनों पूरी तरह एक-दूसरे में डूब चुके थे। मेरे लंड की हर हरकत उसके बुर की गहराई तक महसूस हो रही थी, और उसकी हर सिसकी मुझे और उत्तेजित कर रही थी।

करीब 10 मिनट तक इसी तरह प्यार से चोदने के बाद मैंने महसूस किया कि मेरा झड़ने का समय करीब आ गया है।

“जानिया, मैं बस… अब झड़ने वाला हूँ…,” मैंने हल्की सांसों के बीच कहा।

“अंदर मत करना…,” उसने जल्दी से कहा और अपनी टांगों की पकड़ ढीली कर दी।

मैंने तुरंत लंड बाहर निकाला और उसका रस उसके मम्मों पर गिरा दिया।

उसके मम्मों पर मेरा गर्म वीर्य गिरते ही वह हल्की-हल्की हंसने लगी।

“तुम बहुत तेज हो…,” उसने हंसते हुए कहा और मेरे वीर्य को अपने हाथों से साफ करने लगी।

हम दोनों कुछ देर तक वैसे ही लेटे रहे, बिना कुछ कहे। बस एक-दूसरे की गर्माहट महसूस कर रहे थे।

थोड़ी देर बाद वह उठी और बाथरूम की तरफ बढ़ गई।

जब जानिया वापस आई, मैंने उसे अपनी बाहों में खींच लिया और बिस्तर पर लिटा दिया। उसकी आंखों में हल्की थकान थी लेकिन होंठों पर मुस्कान बनी हुई थी। मैं उसके ऊपर झुका और धीरे-धीरे उसके होंठों को चूमने लगा।

मेरी उंगलियां उसकी कमर के चारों ओर घूम रही थीं, और उसकी नंगी पीठ की गर्मी मेरे हाथों में महसूस हो रही थी।

“तुम बहुत नटखट हो,” उसने धीरे से कहा, जब मैंने उसकी गर्दन पर हल्के-हल्के किस करने शुरू किए।

“तुम्हें तो पता ही है,” मैंने उसकी गर्दन से नीचे उतरते हुए जवाब दिया।

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मेरे होंठ उसके मम्मों तक पहुंचे और मैंने उन्हें हल्के से चूमना शुरू कर दिया। उसके निप्पल पहले से ही सख्त हो चुके थे। मैंने एक निप्पल को अपने होंठों में लिया और धीरे-धीरे उसे चूसने लगा।

“आह… सुरेश,” उसके मुँह से हल्की सिसकी निकली, और उसकी उंगलियां मेरे बालों में जकड़ गईं।

मैंने धीरे-धीरे उसकी दूसरी चूची को भी अपने होंठों में लिया और वहां भी चूसना शुरू किया। मेरा एक हाथ उसके दूसरे मम्मे को दबा रहा था, और दूसरा हाथ उसकी जांघों पर घूम रहा था।

जैसे ही मैंने उसके पेट पर अपनी जीभ फेरी, उसकी सांसें और गहरी हो गईं।

“तुम ये क्या कर रहे हो?” उसने हल्की मुस्कान के साथ कहा, लेकिन उसके बदन का कंपन कुछ और कह रहा था।

“बस तुम्हें और खुश कर रहा हूं,” मैंने उसकी नाभि के पास अपनी जीभ फेरते हुए कहा।

धीरे-धीरे मैं उसकी जांघों के पास पहुंच गया और मेरी जीभ उसके नाभि से नीचे उतरते हुए उसकी बुर के पास तक पहुंच गई।

उसने हल्के से अपनी टांगें बंद करने की कोशिश की, लेकिन मैंने धीरे से उसकी जांघों को फैलाया।

“अभी नहीं सुरेश…,” उसने हिचकिचाते हुए कहा।

“चुपचाप लेटी रहो, जान। तुम्हें बहुत मजा आएगा,” मैंने उसके चेहरे की तरफ देखकर मुस्कुराते हुए कहा।

मैंने अपनी जीभ को उसकी बुर के ऊपर फेरा। उसकी सांसें तेज हो गईं और उसका बदन हल्का सा कांप उठा।

“आह… सुरेश, ये…,” वह अपनी सिसकियों को रोक नहीं पाई।

मैंने उसकी बुर के होंठों को अपनी जीभ से अलग किया और अंदर तक चाटना शुरू कर दिया।

“ओह…! सुरेश… आह!” उसने तकिए को पकड़कर अपने मुँह से आवाज दबाने की कोशिश की।

उसकी बुर अब पूरी तरह गीली हो चुकी थी, और मैं उसकी रस का स्वाद ले रहा था।

मैंने अपनी जीभ को उसकी बुर के अंदर तक डाला और गोल-गोल घुमाने लगा। उसकी टांगें मेरे सिर को दबा रही थीं, और उसकी उंगलियां मेरे बालों को खींच रही थीं।

“सुरेश… रुको… मैं…!” उसने सांस लेते हुए कहा।

लेकिन मैं रुका नहीं। मेरी जीभ उसकी बुर में गहराई तक जा रही थी और उसका रस अब मेरी जीभ पर महसूस हो रहा था।

कुछ ही देर में उसने जोर से अपनी टांगों को मेरी कमर पर कस दिया और उसका बदन कांप उठा।

उसकी बुर अब रस छोड़ रही थी, और मैंने धीरे से अपनी जीभ बाहर निकाली।

मैंने उसके चेहरे की तरफ देखा। उसकी आंखें बंद थीं और उसके चेहरे पर संतुष्टि की मुस्कान थी।

“तुम तो बहुत बढ़िया कर रहे हो,” उसने हल्की सांस लेते हुए कहा।

“अभी तो बस शुरुआत है,” मैंने मुस्कुराते हुए कहा और उसके ऊपर चढ़ गया।

इस बार, मैंने अपने लंड को उसकी बुर के मुहाने पर रखा, लेकिन डालने से पहले मैंने उसे चिढ़ाने के लिए अपने लंड के सिर से उसकी बुर के होंठों पर रगड़ा।

“सुरेश… प्लीज, अब और तड़पाओ मत,” उसने अपनी टांगों से मुझे जकड़ लिया और मेरी पीठ पर हाथ फेरने लगी।

“इतनी जल्दी हार मान ली?” मैंने हल्का हंसते हुए कहा और फिर से उसके मम्मों को चूसना शुरू कर दिया।

जब मैंने उसके मम्मों को चूसना शुरू किया, जानिया के हाथ मेरे बालों में उलझे हुए थे। उसकी सांसें अब काबू में नहीं थीं, और मैं देख सकता था कि उसकी बुर से अब लगातार रस बह रहा था।

“सुरेश… अब बहुत हुआ, मुझे और तड़पाओ मत,” उसने हांफते हुए कहा, उसकी आवाज़ में एक अजीब सी मादकता थी।

मैंने हल्की मुस्कान के साथ उसकी बात सुनी, लेकिन मैं उसे और छेड़ना चाहता था। मैंने धीरे से अपने लंड को उसकी बुर के बाहर रगड़ना जारी रखा।

“प्लीज, सुरेश…,” उसने अपने होंठ काटते हुए कहा और मेरी कमर की ओर हाथ बढ़ाया।

“ठीक है जान, लेकिन पहले तुम्हें भी कुछ करना होगा,” मैंने उसके कान में फुसफुसाया और धीरे से उसके मम्मों को अपने होंठों से छोड़ दिया।

“क्या करना होगा?” उसने हल्की मुस्कान के साथ पूछा।

मैंने उसकी कमर से हाथ फिसलाते हुए धीरे से कहा, “मेरा लंड चूसो।”

उसके चेहरे पर हल्की शर्म झलकने लगी, लेकिन उसकी आंखों में एक अलग ही चमक थी। उसने धीरे से सिर हिलाया और मेरी छाती को चूमते हुए नीचे सरकने लगी।

जब उसका चेहरा मेरे लंड के करीब आया, मैंने देखा कि उसके गाल हल्के लाल हो रहे थे।

उसने धीरे-धीरे मेरे लंड को हाथ में लिया और हल्के से सहलाने लगी। मेरा लंड पहले से ही पूरी तरह खड़ा था।

उसने मेरी ओर देखा, मानो पूछ रही हो कि आगे क्या करना है।

“बस, वैसे ही… धीरे-धीरे अपने होंठों से छूओ,” मैंने हल्की सांस लेते हुए कहा।

जानिया ने झिझकते हुए अपना मुंह खोला और धीरे-धीरे मेरे लंड के सिर को अपने होंठों से चूम लिया।

“ओह… जानिया,” मेरे मुँह से अपने आप निकल गया।

उसने मेरी प्रतिक्रिया को देखा और धीरे-धीरे मेरे लंड को अपने होंठों में लेना शुरू किया। उसकी गर्म सांसें मेरे लंड के सिर पर महसूस हो रही थीं।

धीरे-धीरे उसने मेरे लंड को अपने मुँह के अंदर लिया, और उसकी जीभ मेरे लंड के चारों ओर घूमने लगी।

“आह… हां, ऐसे ही,” मैंने उसकी पीठ पर हाथ रखते हुए कहा।

वह अब पूरे जोश में आ चुकी थी। उसकी जीभ मेरे लंड के नीचे फिसल रही थी और उसके होंठ कसकर मेरे लंड को पकड़ रहे थे।

मैंने उसके बालों को हल्के से पीछे किया ताकि उसका चेहरा साफ दिखाई दे। उसके होंठ मेरे लंड के ऊपर-नीचे हो रहे थे, और मैं उसकी हर हरकत का आनंद ले रहा था।

उसने मेरे लंड को अपने मुँह में पूरी तरह ले लिया और फिर धीरे-धीरे उसे बाहर निकाला।

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जब उसने अपने होंठों से मेरे लंड के सिर को हल्के से चूसा, मेरे बदन में झुरझुरी दौड़ गई।

“जानिया… तुम बहुत बढ़िया कर रही हो,” मैंने उसकी पीठ सहलाते हुए कहा।

उसने हल्के से मुस्कुराते हुए मेरी तरफ देखा और फिर से मेरे लंड को अपने मुँह में लिया।

अब वह तेजी से मेरा लंड चूस रही थी। उसके होंठों की गर्माहट और जीभ की नर्मी मुझे झड़ने के करीब ला रही थी।

“रुको, जान…,” मैंने उसकी पीठ थपथपाते हुए कहा।

उसने तुरंत अपना मुँह हटाया और मेरी तरफ देखने लगी।

“क्या हुआ?” उसने हल्की सांस लेते हुए पूछा।

“अगर तुमने ऐसे ही जारी रखा तो मैं झड़ जाऊंगा।”

उसने मुस्कुराते हुए कहा, “अभी नहीं, अभी तुम्हें मुझे चोदना है।”

मैंने उसकी बात सुनते ही उसे बिस्तर पर वापस लिटा दिया और उसके ऊपर चढ़ गया।

“तुम पूरी तरह तैयार हो?” मैंने उसकी आंखों में देखते हुए पूछा।

“हां… इस बार मुझे और मत तड़पाओ,” उसने धीरे से कहा और अपनी टांगें फैलाकर मेरी कमर के चारों ओर लपेट लीं।

मैंने अपना लंड उसकी बुर के मुहाने पर रखा और धीरे-धीरे अंदर डालना शुरू किया।

जैसे ही मैंने अपना लंड उसकी बुर के मुहाने पर रखा, जानिया की सांसें और तेज हो गईं। उसकी टांगें मेरी कमर के चारों ओर लिपटी हुई थीं और उसकी आंखें हल्के से बंद थीं, लेकिन उसके होंठों पर हल्की मुस्कान थी।

“सुरेश… धीरे से करना, प्लीज,” उसने हौले से कहा, उसकी आवाज में एक अजीब सी कसक थी।

“मैं बहुत धीरे करूंगा, जान,” मैंने उसके मम्मों को सहलाते हुए भरोसा दिया।

धीरे-धीरे मैंने अपने लंड को उसकी बुर के अंदर धकेलना शुरू किया। उसकी बुर टाइट थी, और जैसे ही लंड अंदर जाने लगा, उसके चेहरे पर हल्का सा दर्द उभर आया।

“आह… सुरेश…!” उसने अपनी नाखूनों से मेरी पीठ को हल्के से दबा दिया।

“रुको, अगर ज्यादा दर्द हो रहा है तो,” मैंने फुसफुसाते हुए कहा।

उसने अपनी आंखें खोलीं और मेरी ओर देखा, “नहीं, रुको मत। बस थोड़ा धीरे करो।”

मैंने उसकी बात मानते हुए बहुत धीरे-धीरे अपना लंड अंदर डाला। उसकी बुर की पकड़ इतनी टाइट थी कि मेरा लंड अंदर जाते ही उसकी गर्मी से भर गया।

जब मेरा आधा लंड उसकी बुर में समा गया, उसने अपने सिर को पीछे की ओर झुका लिया और लंबी सांस ली।

“अब ठीक लग रहा है?” मैंने पूछा।

“हां… अब थोड़ा बेहतर है,” उसने हल्के से मुस्कुराते हुए कहा।

धीरे-धीरे मैंने अपनी कमर को हिलाना शुरू किया। लंड उसकी बुर के अंदर-बाहर हो रहा था, और जानिया की सिसकियां कमरे में गूंजने लगीं।

“ओह… सुरेश… ऐसा पहले कभी महसूस नहीं किया,” उसने मेरी पीठ पर अपनी उंगलियां फिराते हुए कहा।

“तुम बहुत टाइट हो, जानिया…,” मैंने उसके मम्मों को अपने हाथों में लेते हुए कहा और उनके निप्पल को हल्के से मरोड़ा।

“आह… सुरेश, और करो…,” उसने मेरी कमर को अपनी टांगों से और कस लिया।

अब मैं थोड़ा तेज झटके मारने लगा। उसकी बुर अब पूरी तरह से गीली हो चुकी थी, और मेरे लंड के अंदर-बाहर होने में कोई रुकावट नहीं थी।

“आह… सुरेश, और तेज़…,” उसने मेरी कमर को कसते हुए कहा।

मैंने उसकी बात मानते हुए अपनी गति और बढ़ा दी।

कमरे में हमारे जिस्मों की टकराहट और उसकी सिसकियों की आवाजें गूंजने लगीं।

“सुरेश… मुझे ऐसा लग रहा है कि कुछ होने वाला है…,” उसने हांफते हुए कहा।

“झड़ने वाली हो?” मैंने उसकी आंखों में देखते हुए पूछा।

“हां… सुरेश, प्लीज रुको मत…!”

मैंने अपनी गति और तेज कर दी। उसके मम्मों को जोर से दबाते हुए मैंने अपने लंड को उसकी बुर में गहराई तक धकेला।

“ओह… सुरेश…!” उसने जोर से चिल्लाते हुए अपनी टांगों से मेरी कमर को कस लिया। उसका बदन हल्का सा कांपा और उसकी बुर ने मेरे लंड को कसकर पकड़ लिया।

उसके साथ ही मैं भी अपने झड़ने के करीब पहुंच गया।

“जानिया… मैं अब…,” मैंने फुसफुसाते हुए कहा।

“बाहर निकालना…,” उसने जल्दी से कहा।

मैंने अपना लंड जल्दी से उसकी बुर से बाहर खींच लिया और उसके पेट पर सारा रस छोड़ दिया।

हम दोनों कुछ देर तक वैसे ही लेटे रहे, सांसें तेज थीं और जिस्म पसीने से भीग चुके थे।

“तुम बहुत अच्छे हो, सुरेश,” उसने मेरी तरफ मुस्कुराते हुए कहा और मेरे सीने पर सिर रख दिया।

“और तुम बहुत प्यारी,” मैंने उसके माथे को चूमते हुए कहा।

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