कविता और उसके पति अरुण के मसालेदार जीवन का शुरुआत – 1

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कविता एक सादगी भरी, मासूम भारतीय गृहिणी थी। उसकी दुनिया घर और उसके पति अरुण के इर्द-गिर्द ही घूमती थी। उसका छोटा कद, गोरी निखरी त्वचा, और उसकी बड़ी-बड़ी भोली आँखें हर किसी का ध्यान खींच लेतीं, लेकिन कविता को कभी इसका अहसास नहीं था। वह हमेशा साड़ी में रहती थी, उसकी चौड़ी गोल कमर और उसके सुडौल नितम्ब साड़ी के भीतर ढके रहते, लेकिन फिर भी एक अलग आकर्षण पैदा करते थे। उसकी मासूम मुस्कान और शांत स्वभाव ने अरुण का दिल बरसों पहले जीत लिया था।

अरुण, जो आईटी सेक्टर में काम करता था, कविता से बहुत प्यार करता था। उसकी पत्नी की मासूमियत और उसका सादापन ही उसे सबसे ज्यादा भाता था। उनकी शादीशुदा जिंदगी अच्छी थी, लेकिन बहुत सामान्य—किसी बड़े रोमांच से कोसों दूर।

फिर एक दिन अरुण का पुराना दोस्त राहुल आया। राहुल अक्सर उनके घर आता-जाता था। लंबा, चौड़ा और सांवले रंग वाला राहुल दिखने में जितना मर्दाना था, उतना ही बातों में शरारती। जब भी राहुल आता, उसकी नज़रें कभी-कभी कविता पर ठहर जातीं। उसका पतला-सा पेट और सुडौल कूल्हे, जो हर बार जब वह रसोई में जाती, तो साड़ी के नीचे से हल्के से दिख जाते थे। लेकिन कविता, अपनी मासूमियत में, कभी ये नहीं समझ पाई कि राहुल उसे किस तरह से देखता है।

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एक दिन जब राहुल और अरुण बैठे थे, राहुल ने बातों-बातों में अचानक कहा, “तूने कभी सोचा है, अरुण… अगर तेरी बीवी को कोई और मर्द छुए तो कैसा लगेगा?”

अरुण चौंक गया और झट से गुस्से में बोला, “क्या बकवास कर रहा है? तू पागल हो गया है क्या?”

राहुल ने मुस्कुराते हुए कहा, “अरे, मैं बस मज़ाक कर रहा हूं। लेकिन सोच तो, कैसा होगा जब कोई और मर्द तेरी बीवी के शरीर पर हाथ रखेगा।”

अरुण ने उसकी बात को वहीं खत्म कर दिया और उसे अनसुना कर दिया। लेकिन राहुल की शरारती हंसी ने जैसे उसके दिमाग में कुछ बो दिया था। उस दिन तो अरुण ने बात को दबा दिया, लेकिन कहीं न कहीं वो बातें उसके दिमाग में घर करने लगी थीं।

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कुछ दिनों बाद, राहुल ने अरुण को कुछ खास तरह के पोर्न वीडियो भेजे, जिसमें पति अपनी बीवी को किसी और मर्द के साथ देख रहा था। अरुण ने ये वीडियो देखे बिना हटाने की कोशिश की, लेकिन जिज्ञासा ने उसे रोक लिया। वीडियो में वही दिख रहा था, जो राहुल ने कहा था—एक पति अपनी बीवी को किसी और के साथ देखकर खुश हो रहा था। अरुण को ये सब पहली बार अजीब लगा, उसने सोचा, “ये मेरे बस की बात नहीं है।” लेकिन फिर भी कहीं ना कहीं, वो वीडियो और राहुल की बातें उसके दिमाग के किसी कोने में रह गई थीं।

रात के अंधेरे में जब कविता और अरुण बिस्तर पर होते, तो अरुण का मन उन वीडियो के ख्यालों में उलझ जाता। कविता, अपनी हल्की गुलाबी नाइटी में बिस्तर पर सोने की तैयारी में होती, और उसका गोरा, मुलायम बदन हल्की रौशनी में और भी चमकने लगता। उसके गोल स्तन, जो नाइटी के नीचे से साफ झलकते थे, और उसकी पतली कमर अरुण के मन में एक नई हलचल पैदा कर देती थी। वह उसे प्यार से छूता, लेकिन अब उसके स्पर्श में कुछ अलग था—कुछ नया, कुछ ऐसा जिसे खुद अरुण भी पूरी तरह समझ नहीं पाया था।

कभी-कभी वह कविता से छेड़ते हुए पूछता, “क्या लगता है तुम्हें, अगर कोई और तुम्हें ऐसे छुए तो?”

कविता हंसते हुए जवाब देती, “तुम कैसी बातें करते हो, ये क्या मजाक है?”

अरुण भी हंसकर बात बदल देता, लेकिन उसके मन में कहीं न कहीं राहुल की बातें और वो वीडियो जगह बना रहे थे। अब जब भी वो कविता के करीब होता, उसके मन में तरह-तरह के ख्याल आने लगते।

फिर एक रात, जब दोनों अपने कमरे में थे, अरुण ने हल्के से कहा, “चलो आज कुछ नया ट्राई करते हैं।” कविता, जो अरुण की भोली और चंचल बातें पसंद करती थी, हंसते हुए बोली, “क्या नया करना है?”

अरुण ने थोड़ा झिझकते हुए कहा, “मानो जैसे मैं कोई और हूं, और तुम किसी और के साथ हो।”

कविता इसे मजाक समझ कर खेल में शामिल हो गई। “ठीक है, आज तुम कोई और हो,” उसने हंसते हुए कहा। उसकी हंसी में मासूमियत थी, और उसे ज़रा भी अंदाजा नहीं था कि अरुण के मन में क्या चल रहा था।

अरुण थोड़ी देर चुप रहा, जैसे सोच रहा हो कि कौन सा किरदार निभाए। फिर धीरे से उसने कहा, “मान लो, मैं तुम्हारा बॉस हूं… और तुम मेरे ऑफिस में काम करती हो।”

कविता ने हल्के से हंसते हुए कहा, “अरे, ये क्या? मैं तुम्हारी पत्नी हूं, बॉस कैसे बन सकते हो?”

अरुण ने उसकी बात को मजाक में उड़ाते हुए कहा, “बस, मान लो। मैं तुम्हारा बॉस हूं, और तुम मेरी सेक्रेटरी। आज ऑफिस में लेट हो गई हो, और मुझे तुमसे बात करनी है।”

कविता ने इसे एक खेल के तौर पर लिया और थोड़ा गंभीर होकर बोली, “ठीक है, तो अब मैं तुम्हारी सेक्रेटरी हूं। क्या आदेश है, सर?”

अरुण के चेहरे पर एक शरारती मुस्कान थी। वह अब धीरे-धीरे इस खेल में खुद को खोने लगा था। उसने कविता को अपने पास बुलाया, “यहां आओ, बैठो मेरे पास।”

कविता, जो अभी तक इसे मजाक समझ रही थी, बिस्तर पर अरुण के पास आकर बैठ गई। उसकी सफेद नाइटी उसके गोरे बदन पर चमक रही थी। अरुण ने उसकी तरफ देखा—उसकी चिकनी, गोरी टांगें, जो नाइटी के नीचे से झलक रही थीं, और उसकी पतली कमर, जो उसकी मासूमियत के साथ एक अलग ही आकर्षण पैदा कर रही थी।

अरुण ने धीरे से उसके कंधे पर हाथ रखा, और उसे अपनी तरफ खींचते हुए बोला, “तुम्हें पता है, तुम लेट हो… और मैं इससे खुश नहीं हूं।”

कविता ने हंसते हुए कहा, “सॉरी सर, आगे से नहीं होगा।”

अरुण ने धीरे-धीरे अपने हाथ से उसकी नाइटी के ऊपर से उसकी कमर को सहलाया। “लेकिन मुझे माफी से काम नहीं चलेगा,” उसने धीरे से कहा, उसकी आवाज़ में अब एक गहरी खनक थी। “तुम्हें मुझे खुश करना पड़ेगा, ताकि मैं तुम्हें माफ कर सकूं।”

कविता, जो अब भी इसे खेल समझ रही थी, हंसते हुए बोली, “और आपको कैसे खुश करूं, सर?”

अरुण ने धीरे से उसकी नाइटी के ऊपर से उसकी कमर और पेट पर हाथ फेरना शुरू किया। “तुम्हें पता है, ऑफिस में बॉस को कैसे खुश किया जाता है।” उसने धीरे से उसकी नाइटी को और ऊपर करते हुए कहा, “क्या तुम जानती हो?”

कविता का चेहरा हल्का सा लाल हो गया, लेकिन वह खेल में शामिल रही। उसने मजाक में कहा, “नहीं सर, सिखाइए।”

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अरुण का दिल अब तेज़ी से धड़कने लगा था। उसने धीरे-धीरे अपनी उंगलियों से उसकी नाइटी को ऊपर खींचा, जिससे उसकी सुडौल जांघें अब पूरी तरह से दिखने लगीं। उसकी गोरी टांगें अब अरुण के सामने थीं, और वह धीरे-धीरे उसके घुटनों से ऊपर तक हाथ फेरने लगा।

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“तुम्हें ये सब सीखना होगा,” अरुण ने धीरे से उसकी जांघों को सहलाते हुए कहा।

कविता का दिल भी अब थोड़ा तेज़ी से धड़कने लगा था। उसे अरुण के इस नए रूप का अंदाजा नहीं था, लेकिन वह खेल में ही थी। उसने हंसते हुए कहा, “सर, मुझे सिखाइए।”

अरुण ने अब अपनी उंगलियों को उसकी नाइटी के नीचे और अंदर की तरफ बढ़ाया। उसकी उंगलियों ने कविता की नरम, चिकनी जांघों को छूते हुए धीरे-धीरे ऊपर की तरफ जाना शुरू किया। कविता हल्की सी सिसकारी भरते हुए कहने लगी, “सर, ये तो गलत है।”

अरुण ने हल्की सी हंसी के साथ कहा, “ऑफिस में जो बॉस कहे, वही सही होता है।”

अब तक अरुण का हाथ उसकी जांघों के ऊपर से होते हुए उसकी चूत के पास पहुँच चुका था। उसने हल्के से उसकी चूत पर उंगली फेरी, जो अब हल्की सी गीली हो रही थी। कविता ने हल्के से अपनी टांगें बंद करने की कोशिश की, लेकिन अरुण ने उसे कसकर पकड़ लिया और उसकी चूत को सहलाते हुए बोला, “तुम्हें सज़ा मिलनी चाहिए।”

कविता ने अब भी इसे एक खेल माना हुआ था, लेकिन अब उसके शरीर में भी एक अजीब सा एहसास भर रहा था। उसने हल्के से अरुण की तरफ देखा, उसकी साँसें तेज़ हो रही थीं। अरुण ने उसकी नाइटी को अब पूरी तरह से ऊपर खींच दिया, और उसकी गोरी, सुडौल जांघों के बीच उसकी चूत पूरी तरह से दिखने लगी। अरुण ने अब बिना किसी झिझक के उसकी चूत पर अपना हाथ रखा और धीरे-धीरे उसे सहलाने लगा।

“तुम्हारी चूत तो पहले से ही गीली हो रही है,” अरुण ने धीरे से कहा, उसकी आवाज़ में अब पूरी तरह से कामुकता थी।

कविता ने हल्की सिसकारी लेते हुए कहा, “सर, आप क्या कर रहे हैं?”

अरुण ने उसकी बात का जवाब दिए बिना धीरे-धीरे उसकी चूत में उंगली डाल दी। कविता का शरीर एक झटके में सिहर उठा। उसने अरुण का हाथ पकड़ने की कोशिश की, लेकिन फिर खुद को रोक लिया।

अरुण ने धीरे-धीरे उसकी चूत को सहलाते हुए कहा, “अब तुम मेरी सेक्रेटरी हो, तुम्हें मुझे खुश करना पड़ेगा।”

कविता, जो इसे अब भी हल्के में ले रही थी, उसके स्पर्श से धीरे-धीरे सिहरने लगी थी। अरुण की उंगलियां उसकी चूत के गीलेपन को महसूस कर रही थीं, और कविता का शरीर अब अरुण के हाथों में पूरी तरह से ढीला पड़ने लगा था।

“सर, मुझे माफ कर दीजिए,” कविता ने धीमी आवाज़ में कहा। उसकी सांसें तेज़ हो चुकी थीं, और उसकी नाइटी अब पूरी तरह से ऊपर सरक चुकी थी, जिससे उसकी जांघें और नंगी चूत पूरी तरह से अरुण के सामने थी।

अरुण ने उसकी बात का जवाब न देते हुए हल्के-हल्के उसकी चूत में उंगलियां चलानी शुरू कर दीं। “तुम्हें माफ तो करूंगा, लेकिन पहले तुम्हें मुझे खुश करना होगा,” अरुण ने उसके कान में धीरे से फुसफुसाते हुए कहा।

कविता का दिल अब और तेज़ी से धड़कने लगा था। उसकी आंखें बंद हो गईं, और वह खुद को अरुण के हाथों में छोड़ने लगी। अरुण ने धीरे-धीरे उसकी चूत की लकीर पर अपनी उंगलियां फेरीं, जिससे कविता के शरीर में एक अजीब सी गुदगुदी होने लगी। उसकी साँसें अब और भी तेज हो रही थीं, और वह अरुण के इस नए रूप को महसूस करने लगी थी।

अरुण ने अब अपनी उंगली को उसकी चूत के अंदर धकेलना शुरू किया। कविता ने हल्की सिसकारी ली, “आह… सर… ये क्या कर रहे हैं?” उसकी आवाज़ में अब एक अजीब सी मस्ती और बेचैनी थी, जिसे वह खुद भी समझ नहीं पा रही थी।

अरुण ने हंसते हुए कहा, “तुम्हें मुझसे माफी चाहिए ना, तो तुम्हें इसके बदले में कुछ करना पड़ेगा।”

कविता ने धीरे से उसकी ओर देखा, उसकी आंखों में हल्की शरम और मस्ती की चमक थी। उसने हल्की आवाज़ में कहा, “क्या करना होगा, सर?”

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अरुण ने उसकी जांघों को और चौड़ा किया, जिससे उसकी चूत पूरी तरह से उसके सामने आ गई। “तुम्हें मेरा साथ देना होगा,” अरुण ने कहा और फिर धीरे-धीरे अपनी जीभ को उसकी चूत के पास ले गया। कविता ने अचानक हल्की सिसकारी लेते हुए अपनी टांगें कसकर बंद करने की कोशिश की, लेकिन अरुण ने उसे कसकर पकड़ लिया।

“सर, ये क्या कर रहे हैं?” कविता ने सांसों में बुदबुदाते हुए कहा।

अरुण ने अब उसकी चूत को अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया। उसका गीला और गरम लंड पहले से ही उसकी पैंट के अंदर तनकर खड़ा था, लेकिन फिलहाल उसका ध्यान सिर्फ कविता की चूत पर था। उसकी जीभ धीरे-धीरे चूत के लकीर के ऊपर से नीचे तक चलने लगी, और कविता का शरीर अरुण के इस नए रूप से पूरी तरह कांपने लगा।

“उम्ह… आह…” कविता की सिसकारियां अब और तेज़ हो गई थीं। उसकी उंगलियां बिस्तर की चादरों को कसकर पकड़े हुए थीं, और उसका शरीर अरुण की जीभ के हर स्पर्श पर झूम रहा था।

अरुण अब पूरी तरह से कविता की चूत में खो चुका था। उसने उसकी चूत को चाटते हुए अपनी उंगलियों से उसके नितम्बों को कसकर पकड़ा और उसे अपनी ओर खींच लिया। कविता की सांसें तेज हो रही थीं, और उसकी आंखें अब बंद हो चुकी थीं। वह खुद को इस खेल में पूरी तरह से खो चुकी थी।

कुछ देर तक चाटने के बाद, अरुण ने अपनी जीभ से उसकी चूत को चूमते हुए कहा, “अब बताओ, तुम कैसी लग रही हो? मेरी सेक्रेटरी बनकर मुझसे माफी मांगोगी या और कुछ करना पड़ेगा?”

कविता ने हल्की सांसों के बीच कहा, “सर, माफ कर दीजिए… मैं आपकी बात मानूंगी।”

अरुण ने अब कविता के शरीर को और भी करीब खींचते हुए कहा, “अभी तो खेल शुरू हुआ है, कविता।”

उसने अपनी पैंट खोली और अपना फनफनाता हुआ लंड बाहर निकाला। कविता की आंखें खुल गईं, और उसने अरुण के लंड को देखा। वह चौंक गई, क्योंकि उसने कभी अरुण को इस तरह से नहीं देखा था। अरुण ने उसके चेहरे पर एक शरारती मुस्कान के साथ कहा, “अब तुम्हें मेरी सेक्रेटरी बनकर मेरे साथ और मस्ती करनी होगी।”

कविता का चेहरा अब पूरी तरह से लाल हो गया था। उसकी सांसें अभी भी तेज़ थीं, और उसकी आंखों में एक अजीब सी चमक थी। अरुण ने धीरे से अपना लंड उसकी चूत के पास ले जाकर उसकी जांघों के बीच रगड़ने लगा। कविता का पूरा शरीर अब कांपने लगा था। उसने एक हल्की सिसकारी लेते हुए अपनी आंखें बंद कर लीं और अपने आप को अरुण के हवाले कर दिया।

अरुण का लंड अब कविता की चूत के पास रगड़ रहा था, और कविता का शरीर पूरी तरह से इस नई उत्तेजना में डूब चुका था। उसकी साँसें तेज़ हो गई थीं, और उसकी जांघें अरुण के हर स्पर्श पर सिहर उठती थीं। अरुण ने धीरे-धीरे अपने लंड को कविता की चूत के पास लाकर उसकी नमी को महसूस किया। उसकी चूत पहले से ही गीली हो चुकी थी, और उसकी मर्दानगी इस नजारे से और भी फनफनाने लगी थी।

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“अब तुम्हें मेरी सेक्रेटरी बनकर मुझे पूरी तरह से खुश करना होगा,” अरुण ने फुसफुसाते हुए कहा।

कविता ने हल्की सिसकारी लेते हुए अपनी आंखें बंद कर लीं, और उसका शरीर पूरी तरह से अरुण के हवाले हो गया। अरुण ने धीरे-धीरे अपना लंड उसकी चूत की लकीर पर रगड़ते हुए कहा, “देखो, कितनी गीली हो चुकी हो तुम… जैसे तुम्हें भी ये सब पसंद आने लगा हो।”

कविता ने बिना कुछ कहे बस अपनी टांगें थोड़ा और फैला दीं, जिससे अरुण का लंड उसकी चूत के और करीब आ गया। अरुण ने हल्के से अपनी उंगलियों से उसकी चूत को फैला दिया और धीरे-धीरे अपना लंड उसकी गरम चूत में धकेलना शुरू किया।

“आह… सर… ये तो बहुत…” कविता ने हल्की सिसकारी लेते हुए कहा, उसका शरीर अब इस नई अनुभूति से सुलगने लगा था।

अरुण ने धीरे-धीरे अपने लंड को उसकी चूत के अंदर और गहराई तक धकेल दिया। उसका लंड अब कविता की भीगी सुरंग में पूरी तरह से घुस चुका था। उसने हल्के-हल्के धक्के मारने शुरू किए, और कविता का शरीर हर धक्के पर हल्का सा ऊपर उठ जाता था।

“आह… अरुण… सर… उफ्फ…” कविता की सिसकारियां अब कमरे में गूंज रही थीं। उसका शरीर अब पूरी तरह से अरुण के धक्कों का साथ दे रहा था। उसकी जांघें अरुण के कमर के साथ टकरा रही थीं, और उसकी चूत अरुण के लंड को पूरी तरह से अपने अंदर समा रही थी।

अरुण ने अपने हाथों से कविता की कमर को कसकर पकड़ा और अपने धक्कों की रफ्तार तेज़ कर दी। कविता का शरीर अब धक्कों की इस बाढ़ में बहने लगा था। उसकी सांसें और तेज़ हो गई थीं, और उसकी आँखें बंद हो चुकी थीं। उसकी चूत अरुण के हर धक्के के साथ और भी गीली होती जा रही थी।

“तुम्हें ये सब अच्छा लग रहा है, है ना?” अरुण ने उसकी कमर को और कसकर पकड़ते हुए कहा।

“हाँ… आह… बहुत अच्छा… उफ्फ…” कविता ने हल्की सांसों के बीच कहा। उसका शरीर अब पूरी तरह से अरुण के धक्कों के साथ तालमेल बिठा रहा था। उसकी टांगें अब अरुण के लंड के साथ पूरी तरह से लिपट चुकी थीं, और उसकी चूत अब पूरी तरह से अरुण के लंड पर जकड़ी हुई थी।

अरुण ने अपने धक्कों की रफ्तार और तेज़ कर दी। उसके लंड के हर धक्के पर कविता की सिसकारियां और भी तेज़ हो रही थीं। “आह… अरुण… और जोर से… आह…” कविता अब पूरी तरह से इस खेल में खो चुकी थी। उसका शरीर पसीने से भीग चुका था, और उसकी चूत अब अरुण के हर धक्के का इंतज़ार कर रही थी।

अरुण ने उसके नितम्बों को कसकर पकड़ा और उसके अंदर और गहरे तक अपना लंड घुसा दिया। “आह… आह…” कविता की सिसकारियां अब बेकाबू हो चुकी थीं। उसकी चूत अब पूरी तरह से अरुण के लंड पर कस गई थी, और उसके शरीर में एक अजीब सी थरथराहट पैदा हो रही थी।

“तुम्हारी चूत तो जैसे मेरा लंड निगलने को बेताब हो रही है,” अरुण ने हल्की हंसी के साथ कहा और फिर उसके अंदर और गहरे तक घुसने लगा।

कविता ने अपनी आंखें बंद करते हुए अपने नितम्बों को ऊपर उठाया और अरुण को और गहराई तक घुसने का मौका दिया। “आह… उफ्फ…” उसकी आवाज़ अब और भी कामुक हो चुकी थी।

अरुण ने अपने लंड को उसकी चूत में पूरी ताकत से धकेला, और फिर जोरदार धक्के मारने लगा। कविता का पूरा शरीर अरुण के हर धक्के पर हिलने लगा था। उसकी चूत अब पूरी तरह से अरुण के लंड पर फिसल रही थी, और उसकी सिसकारियां और भी तेज़ हो गई थीं।

अरुण ने उसकी कमर को कसकर पकड़ रखा था और अब उसकी चूत को अपनी पूरी मर्दानगी से भर रहा था। कविता का शरीर अब पूरी तरह से इस मस्ती में खो चुका था। उसकी चूत से रस टपकने लगा था, और उसके अंदर की आग अब और भी भड़क रही थी।

कुछ देर तक ऐसे ही धक्के मारने के बाद, अरुण ने अपने लंड को कविता की चूत से बाहर निकाला और उसे पलट कर बेड पर लिटा दिया। उसकी कूल्हों की गोलाई अब अरुण के सामने थी, और अरुण ने बिना समय गंवाए अपना लंड उसकी चिकनी गांड के ऊपर रखा। कविता ने हल्की सिसकारी लेते हुए अपनी गांड को थोड़ा और उठाया, और अरुण ने धीरे-धीरे अपना लंड उसकी गांड के पास ले जाकर रगड़ना शुरू किया।

कविता की गोरी, चिकनी और गोल नितम्ब उसके सामने थे, और उसकी सुलगती चूत से अब भी रस टपक रहा था। अरुण ने हल्के से अपनी उंगलियों से उसकी गांड की दरारों को छुआ और अपनी उंगलियों को उसकी गांड की दरारों में धीरे-धीरे फेरने लगा। कविता की हल्की सिसकारी उसकी मस्ती और तड़प को और बढ़ा रही थी।

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“अरुण… ये क्या कर रहे हो…” कविता ने हल्के से हांफते हुए कहा, उसकी आवाज़ में अब भी थोड़ा संकोच था।

अरुण ने हंसते हुए कहा, “तुम्हारी यह चिकनी गांड तो बहुत ही मस्त लग रही है। अब इसे भी भरने का वक्त है।” उसकी आवाज़ में एक अजीब सी मर्दानगी और जोश था, और वह अपने लंड को धीरे-धीरे उसकी नितम्बों के बीच रगड़ने लगा।

कविता ने हल्की सिसकारी ली और उसकी टांगें हल्की सी कांपने लगीं। उसने महसूस किया कि अरुण उसके शरीर के हर हिस्से को अब तक महसूस कर चुका था, और अब उसकी गांड की बारी थी। उसका दिल तेज़ी से धड़कने लगा था, और उसकी सांसें और भी तेज हो गईं।

“तुम्हें पता है, तुम्हारी ये गांड तो देखने में ही इतनी मस्त लग रही है,” अरुण ने धीरे-धीरे अपना लंड उसकी दरारों पर रखते हुए कहा। उसकी आवाज़ में अब एक अजीब सी खनक थी, और वह धीरे-धीरे उसकी गांड के गड्ढे के पास अपने लंड को ले जाने लगा।

कविता ने हल्की सी कोशिश की खुद को बचाने की, लेकिन उसकी मस्ती और अरुण के हाथों के स्पर्श ने उसे पूरी तरह से पिघला दिया था। उसने अपनी कमर थोड़ी सी ऊपर उठाई, और अरुण ने मौका पाते ही धीरे-धीरे अपना लंड उसकी गांड के पास धकेल दिया।

“आह… अरुण… आहहहहहहहहहहहहह…” कविता की आवाज़ में अब एक हल्की घबराहट और मस्ती की मिलावट थी। अरुण ने उसकी गांड के पास अपना लंड धीरे-धीरे धकेला, और उसके गुदा के पास हल्का सा दबाव बनाया। कविता का शरीर हल्का सा कांपने लगा था, और उसकी सांसें और भी तेज हो गई थीं।

“आराम से…” अरुण ने कहा और धीरे-धीरे अपना लंड उसकी गांड के अंदर धकेलने की कोशिश करने लगा। उसकी उंगलियां अब कविता के नितम्बों को कसकर पकड़ चुकी थीं, और वह अपने लंड को उसकी गांड में धंसाने लगा।

कविता ने एक हल्की सिसकारी ली और उसकी कमर हल्की सी ऊपर उठी। “आह… अरुण…” उसकी आवाज़ में अब हल्की जलन और तड़प थी, लेकिन उसकी चूत और भी ज्यादा गीली हो चुकी थी।

अरुण ने धीरे-धीरे अपने लंड को उसकी गांड के अंदर धकेला, और उसके नितम्बों को कसकर पकड़ लिया। कविता का शरीर अब और भी सुलगने लगा था। उसकी चूत से रस अब भी टपक रहा था।

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“तुम्हारी गांड तो बहुत तंग है,” अरुण ने हल्के से हंसते हुए कहा, और धीरे-धीरे अपने लंड को उसकी गांड में और गहराई तक धकेलने लगा।

“आह… अरुण… आह…” कविता की सिसकारियां अब कमरे में गूंजने लगी थीं। उसका शरीर अब अरुण के हर धक्के के साथ हिल रहा था। उसकी गांड अब अरुण के लंड को धीरे-धीरे समा रही थी, और उसकी चूत भी अब पूरी तरह से भीग चुकी थी।

अरुण ने अपनी पकड़ को और भी कसते हुए उसकी गांड में जोर से धक्का मारा, और उसका पूरा लंड अब कविता की गांड में घुस गया। कविता ने एक तेज़ सिसकारी ली और उसका शरीर हल्का सा झटका खा गया।

“आह… अरुण… ये तो बहुत…बड़ा है उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़ ….” कविता अब पूरी तरह से अरुण के हवाले हो चुकी थी। उसकी गांड अब अरुण के लंड को पूरी तरह से अपने अंदर समेट चुकी थी, और उसका शरीर अरुण के हर धक्के के साथ तड़पने लगा था।

अरुण ने अब अपनी धक्कों की रफ्तार बढ़ा दी। वह लगातार अपने लंड को उसकी गांड में जोर से धकेल रहा था, और कविता की सिसकारियां और भी तेज़ हो रही थीं।

“आह… अरुण… और जोर से… आह…” कविता अब पूरी तरह से इस मस्ती में खो चुकी थी। उसकी गांड अरुण के हर धक्के का जवाब दे रही थी, और उसकी चूत से लगातार रस टपक रहा था।

अरुण ने कुछ देर तक लगातार धक्के मारे और फिर धीरे-धीरे उसकी गांड से अपना लंड बाहर निकाला। कविता ने हल्की सिसकारी लेते हुए उसकी तरफ देखा। उसकी आंखों में मस्ती और तड़प साफ झलक रही थी।

अरुण ने उसे बिस्तर पर पलटकर उसकी चूत की तरफ देखा। उसकी चूत अब पूरी तरह से गीली हो चुकी थी, और उसके अंदर रस टपक रहा था। अरुण ने एक बार फिर अपने लंड को उसकी चूत के पास ले जाकर रगड़ना शुरू किया। कविता ने बिना कुछ कहे बस अपनी टांगें और चौड़ी कर दीं।

कविता का पूरा शरीर पसीने से तर-बतर हो चुका था। उसकी धड़कनें तेज़ थीं और उसकी सांसें भारी हो चुकी थीं। वह अब बिस्तर पर पूरी तरह से नंगी, अरुण के हर स्पर्श को महसूस कर रही थी। उसकी चूत और भी ज्यादा गीली हो चुकी थी, और वह अरुण के लंड के लिए अब और भी बेताब हो रही थी।

अरुण ने अपने फनफनाते हुए लंड को एक बार फिर से उसकी चूत की दरार पर रखा और धीरे-धीरे उसे उसकी गीली सुरंग में धकेलने लगा। “आह… अरुण… अब और मत तड़पाओ,” कविता ने हल्की सिसकारी लेते हुए कहा, उसकी आवाज़ में अब पूरी तरह से तड़प और मस्ती थी।

“तुम्हें तो माफ़ी के बदले और भी सज़ा मिलनी चाहिए,” अरुण ने हल्की हंसी के साथ कहा और अपना लंड उसकी चूत के अंदर जोर से धकेल दिया। कविता का पूरा शरीर एक बार फिर से सिहर उठा। उसकी चूत अब पूरी तरह से अरुण के लंड को समा चुकी थी, और उसकी सिसकारियां और भी तेज़ हो गईं।

“आह… अरुण… और जोर से… हां… आह…” कविता की आवाज़ अब बेकाबू हो चुकी थी। उसकी चूत अरुण के हर धक्के का साथ दे रही थी। उसकी जांघें अब अरुण की कमर से टकरा रही थीं, और उसका पूरा शरीर अरुण के साथ तालमेल बिठा रहा था।

अरुण ने अपनी पकड़ और कस ली। उसकी उंगलियां अब कविता के नितम्बों को कसकर पकड़ चुकी थीं, और उसका लंड पूरी मस्ती से उसकी चूत के अंदर-बाहर हो रहा था।

“तुम्हारी चूत तो जैसे मेरा लंड निगलने को तैयार बैठी है,” अरुण ने हंसते हुए कहा और अपनी रफ्तार और तेज़ कर दी।

कविता की चूत अरुण के हर धक्के पर और भी गीली होती जा रही थी, और उसकी सिसकारियां अब पूरे कमरे में गूंज रही थीं।

“आह… अरुण… और तेज़… उफ्फ…” कविता की आवाज़ अब बेकाबू हो चुकी थी। उसकी चूत से लगातार रस टपक रहा था, और उसका शरीर अरुण के हर धक्के पर मचल रहा था।

अरुण ने अब अपने लंड को पूरी ताकत से कविता की चूत में धकेला और लगातार जोर से धक्के मारने लगा। कविता का पूरा शरीर अरुण के हर धक्के पर ऊपर-नीचे हो रहा था, और उसकी सिसकारियां और भी तेज़ हो रही थीं।

“आह… आह… आह…” कविता की आवाज़ अब और भी ऊंची हो गई थी। उसका शरीर अब अरुण के धक्कों के साथ झूम रहा था, और उसकी चूत अरुण के लंड को कसकर जकड़े हुए थी।

अरुण ने कुछ देर तक लगातार जोरदार धक्के मारे और फिर अचानक से कविता की चूत के अंदर गहराई तक धंस गया। उसकी सांसें अब तेज़ हो चुकी थीं, और उसका लंड कविता की चूत के अंदर पूरी तरह से थरथराने लगा था।

“आह… अरुण… उफ्फ…” कविता की सिसकारी अब और भी तेज़ हो गई। उसकी चूत अब अरुण के लंड पर पूरी तरह से कस गई थी, और उसके अंदर से रस बहने लगा था।

अरुण ने आखिरी जोरदार धक्का मारा और फिर उसके लंड से वीर्य का फव्वारा कविता की चूत के अंदर फूट पड़ा।

कविता ने एक आखिरी जोरदार सिसकारी ली, और उसके शरीर ने अरुण के लंड को कसकर पकड़ लिया। उसकी चूत अब भीग चुकी थी, और उसके अंदर से बहता हुआ रस बिस्तर पर गिरने लगा था।

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दोनों के शरीर अब एक-दूसरे से लिपटे हुए थे। अरुण का लंड अब भी कविता की चूत के अंदर था, और उसका पूरा शरीर पसीने से भीग चुका था। कविता का चेहरा भी पसीने में लथपथ था, और उसकी सांसें अब धीरे-धीरे शांत होने लगी थीं।

कविता ने हल्की सांस लेते हुए कहा, “अरुण… ये तो बहुत मजेदार था।”

अरुण ने हंसते हुए कहा, “ये तो बस शुरुआत थी।”

दोनों एक-दूसरे के शरीर के साथ लिपटे हुए बिस्तर पर लेटे रहे, और उनकी धड़कनें धीरे-धीरे शांत हो गईं।

कहानी का अगला भाग:कविता और अरुण का रोल प्ले

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