College Girl sex story: निकिता को जीतने के लिए चुदना पड़ा -1
अब आगे
करीब 3-4 मिनट तक मैंने उसका लंड चूसा. और फिर ऊपर देख के कहा- अब तो ठीक है ना? चुदाई शुरू करें?
सुनील ने कहा- लगता है बहुत सेक्स है तुम्हारे अंदर? जो इतनी आग लगी हुई है।
मैंने कहा- सब में होता है. तुम ज्ञान मत दो बस चोदना शुरू करो।
सुनील ने कहा- ठीक है जानेमन, आओ ऊपर आओ.
तो मैं खड़ी हो गयी उसके सामने।
सुनील ने मेरी छाती पे हाथ रख के मुझे दीवार तक धकेल दिया और मुझे दीवार से सटा दिया. फिर वो एकदम मेरे करीब आया और लंड अपने हाथ में पकड़ के कहा- तैयार हो जानेमन?
मैं भी पूरे जोश में थी तो मैंने भी कहा- हम्म … बिल्कुल तैयार हूँ।
सुनील अब मेरी चूत के दरवाजे पे अपना गर्म लंड ऊपर नीचे ज़ोर ज़ोर से रगड़ने लगा और मुझे और बैचनी होने लगी- प्लीज ड़ाल दो ना अंदर … प्लीज।
मेरा इतना कहना था, उसने पूरी ताकत से एक झटके में चूत में लंड घुसा दिया कॉलेज गर्ल की और मुझे ऊपर को उठा दिया।
मेरे मुंह से ज़ोर की सीईईई … निकल गयी और मेरी आँखें बंद हो गयी।
मेरे चेहरे पे लंड डलने की एक अलग ही स्माइल आ गयी. मैंने आँख बंद करे करे ही कहा- आहह … बहुत मजा आया आहह … और डालो, चोद दो मुझे आज पूरी रात … प्लीज सुनील।
सुनील ने यह सुन के अपना लंड बाहर निकाला और फिर से पूरा घुसा दिया. और पूरा निकाल के पूरा डालने लगा और धक्के मारने लगा.
मैं उसके हर धक्के के साथ ऊपर को उठते हुए आहह … सीईईई … सीईई … आई … आहह … करने लगी।
सुनील मुझे ऐसे ही खड़े खड़े पट्ट पट्ट धक्के मार मार के चोदता रहा कुछ देर तक।
उसके मुंह से ज़ोर लगाने की हम्म … हम्म … हम्म … आवाजें आती रही.
मैं अब आँखें खोले उसे खुद को चोदते हुए देख रही. मैं आहह … आ … आ … आहह … सीईई … और तेज़. और तेज़ … बहुत मजा आ रहा है … करके चुदवाती रही।
लगभग 5-6 मिनट ऐसे ही खड़े खड़े चोदने के बाद हमने थोड़ा आराम किया और साँसें काबू करने लगे।
मैंने हांफते हुए ही कहा- तुम तो बहुत अच्छा चोदते हो, मुझे लगा था वैसे ही होगे।
उसने कहा- अरे जानेमन, आपको देख के तो मरे हुए आदमी का लंड खड़ा हो जाये, मैं तो फिर भी जिंदा हूँ. तुम्हें झाड़े बिना नहीं झड़ूँगा. देखती जाओ।
मैंने कहा- ये हुई ना बात! सुस्ता लिए हो तो आगे की चुदाई शुरू करें?
उसने कहा- ठीक है.
और मैं गद्दों पे जाकर टाँगें पूरी चौड़ी कर के लेट गयी और कहा- लो चोद लो जितना चोदना है, पर मुझे ही जिताना।
उसने कहा- फिक्र मत करो, तुम ही जीतोगी.
और अब चूत में लंड घुसा कॉलेज गर्ल की! उसने मेरे पास आकर सीधा लंड घुसाया और टाँगें पंजों के पास से पकड़ के चोदना शुरू कर दिया।
मैं उसके धक्कों से गद्दों में ऊपर नीचे पूरी हिलती हुई बोल रही थी- आहह … आहह … आह … सुनील. और चोदो … और तेज़ … मजा आ रहा है … और तेज़ और तेज़।
सुनील मुझे आहह … आहह … हम्म … हम्म … ये ले साली रांड. और चुद … ये ले … कहते हुए पूरी ताकत से चोदता रहा।
मैंने कहा- चोदो और तेज़ … आहह … आज अपनी इस रांड की प्यास बुझा दो … रुकना मत … बस तेज़ तेज़ चोदते रहो।
सुनील इस बार मुझे लगभग 10 मिनट तक लगातार चोदता रहा।
बीच में थोड़ा धीरे हो जाता पर फिर तेज़ हो जाता पर चोदना चालू रखा।
फिर जब उसकी और मेरी साँसें काबू से बाहर होने लगी तो दोनों रुक गए और सुस्ताने लगे। मैंने गद्दों पे पूरी लेट गयी और वो भी पैर लटका के सुस्ताने लगा.
और हम दोनों हम्म … हम्म … करते हुए हाँफने लगे।
उसने फिर कुछ देर बाद कहा- थोड़ी देर लंड चूसो यार!
तो मैंने बिना कुछ कहे घुटनों के बल उसके लंड के बीच आ गयी और गप्प गप्प चूसने लगी।
सुनील बस हाथ पीछे टिकाये उम्महह … उम्महह … करते हुए लंड चुसवाने लगा।
मैंने उसका लंड चूसने के बाद कहा- अब ठीक है?
उसने कहा- हाँ, आओ ऊपर, मेरी तरफ कमर कर के लेटो।
मैं उसके बगल में कमर कर के लेट गयी. उसने पीछे से लेट के मेरी एक टांग थोड़ी ऊपर उठाई और अपना लंड नीचे से चूत पे रखा और धीरे धीरे ऊपर करने लगा।
मैंने हल्की सी आह … करी.
और इतने में उसने अपना पूरा लंड अंदर डाल दिया।
अब उसने मेरे चूतड़ों पे हाथ रख के धक्के मारना शुरू कर दिया और मुझे पट्ट पट्ट चोदने लगा।
करवट लेके लेटने की वजह से मेरे बूब्स उसके धक्कों से थर थर काँप रहे थे.
और मैं बोल रही थी- आहह … आहह … और तेज़ सुनील. कमाल का चोदते हो तुम … और तेज़।
सुनील भी पूरी शिद्दत से मुझे हम्म … उम्म … उम्महह … करके चोदता रहा। पूरे कमरे में हम दोनों के जिस्म टकराने की पट्ट … पट्ट … की और आहह … आहह … की सिसकारियों की आवाज आ रही थी।
इस स्टोर रूम में शांति से चुदने की कोई जरूरत नहीं थी. क्यूँकि बाहर आवाज नहीं जा सकती थी इसलिए हम पूरे जोश के साथ चुदाई कर रहे थे।
मैंने उससे पूछा- हुआ नहीं क्या तुम्हारा? काफी देर हो गयी, अब तो मैं भी थकने लगी हूँ।
उसने कहा- अभी हो जाएगा. ऐसा करो डोगी स्टाइल में आ जाओ. तुम्हें कुतिया बना के चोदूँगा।
मैंने बोला- ठीक है.
मैं अपनी गांड घुमा कर घोड़ी बन गयी उसके सामने और कहा- लो, चोद लो अपनी कुतिया को।
सुनील ने पीछे से मेरी चूत पे लंड रखा और धीरे धीरे पूरा डाल दिया।
मेरी नज़र साइड की दीवार पे बन रही दोनों की परछाई पे पड़ी तो मुझे मुस्कुराना आ गया.
मैंने बस सीईईई … करते हुए कहा- चोद कुत्ते, चोद मुझे।
सुनील ने इतना सुनते ही मुझे ज़ोर ज़ोर से चोदना शुरू कर दिया पीछे से।
मैं उसके धक्कों से आगे पीछे हिलने लगी. बोलने लगी- आहह … आहह … आई … आह … आऊ … आहह … सुनील आहह।
सुनील ने मुझे ज़ोर ज़ोर से चोदना चालू रखा और घपघप चोदता चला गया।
अब तक हम दोनों का ही झड़ने का टाइम करीब आ गया था। मेरे भी पूरे शरीर में झुरझुरी सी होने लगी थी. मैं हकलाते हुए सी कह रही थी- आहह … शाबाशह … आह … और तेज़. और तेज़ जानु … आहह आहह … मजा आ गया … आह।
इसके साथ ही सुनील की आवाजें भी बहुत तेज़ हो गयी. वो भी आहह … आहह … सुहानी आहह … आ … आ … आहह … सुहानी!
पूरा लंड अंदर डाल के पूरी ताकत से अपनी जांघें मेरी गांड पे दबा के चूत के अंदर ही पिचकारी मार मार के अंदर झड़ने लगा. वो आहह … अहह … करने लगा।
वो झड़ जरूर गया था पर उसका लंड अब भी कड़क था. वो मुझे चोदता रहा। उसके लंड ने मेरे चूत के दाने को रगड़ना चालू रखा.
और अगले कुछ ही पल में मेरा शरीर भी अकड़ने लगा.
मैं हकलाती हुई आ … आहह … आहह … सुनील … आहह. बस्स … बस … बस … आहह. और इतना कह के फुच्च्ह फुच्च्ह … करके चूत से पानी निकलते हुए झड़ने लगी और काफी सारा झड़ने के बाद हाँफते हुए आगे गिर गयी।
सुनील भी मेरी बगल में आ के गिर गया।
मैं बहुत खुश थी चुदवा के! लेटे लेटे ही मैंने उसे लगे लगा लिया और उसकी छाती पे सिर रख लिया.
हम दोनों ही सुस्ताने लगे।
अब हमारे पास दुबारा सेक्स करने का न तो टाइम था न ही ताकत. इसलिए एक घंटे बाद हमने अपने कपड़े पहने. और स्टोर का समान जैसे था, वैसे ही करके चुपचाप अपने कमरों में चले गए। इतनी जबर्दस्त चुदाई से मेरी चाल ही बदल गयी थी. पर मैं धीरे धीरे सबकी नज़र बचा के अपने कमरे में जा के सो गयी।
उसके बाद मैं बड़ी आसानी से सेमीफ़ाइनल जीत गयी. और सुनील की टीम हार गयी. क्योंकि सुनील ने जानबूझ कर गलत उत्तर दिये।
सब लोग मुझे बहुत होशियार समझने लगे तो मेरा गुरूर भी बढ़ गया।
अब बस फ़ाइनल बचा था. और मेरे कॉलेज तक भी ये खुशखबरी पहुँच चुकी थी।
मेरी मम्मी का फोन आया और मुझसे पूछा- तो लड़की जीतने लगी है, तू इतनी होशियार है या चुदक्कड़, मैं क्या समझूँ?
मैंने कहा- मम्मी आप के कहने पर ही कर रही हु, कभी कभी जीतने के लिए चुदना भी पड़ता है।
सुनील ने मुझसे फोन कर के कहा- फ़ाइनल जीतने के लिए कब चुदवाओगी?
मैंने कहा- ऐसा करते हैं, फ़ाइनल जीत जाऊँ तब करते हैं. घबराओ मत, मना नहीं करूंगी, मेरा खुद मन है अब तो तुमसे चुदवाने का!
सुनील भी खुश हो गया और कहा- ठीक है।
इसके बाद फ़ाइनल प्रतियोगिता भी आ गयी और थोड़े बहुत मुश्किलों के बाद मैंने उत्तर देना जारी रखा और आखिरकार हमारे कॉलेज की टीम मेरी बदौलत जीत भी गया।
सब लोगों ने मुझे बधाई दी अपनी टीम को हारते हुए से जिताने के लिए।
जीतने के बाद प्रतियोगिता समाप्त हो गयी.
शाम को सब टीमों के लिए डिनर पार्टी का प्रबंध किया गया।
सभी कॉलेज की टीम के सदस्य और अध्यापक पार्टी में आए और खूब एंजॉय किया। किसी को क्या पता कि चूत में लंड घुसा तो जीती हमारी टीम.
अगले दिन सबको अपने अपने कालेज वापस चले जाना था। मैंने और मेरी टीम ने भी बहुत एंजॉय किया, खूब खाया पिया और नाचे गए।
सुनील मेरी टीम के पास आया और हम सबको जीत की बधाई दी।
उसने कहा- आप सबने बहुत मेहनत की है इस जीत को पाने के लिए!
तो मेरी सहेली ने कहा- हाँ वो तो है. पर सबसे ज्यादा तो निकिता ने ही की है. इसी की बदौलत जीते है पहले बार।
उसने मुझे हाथ मिला के बधाई दी और मेरा हाथ थोड़ा ज़ोर से भींच के इशारा किया उसके पीछे आने को!
और वापस अपनी टीम के पास चला गया।
मैं उस पे नजर बनाए हुए थी।
लगभग 20 मिनट बाद वो जाने लगा तो मैं भी बहाना कर के छुपते हुए उसके पीछे चली गयी।
कॉलेज का ज़्यादातर स्टाफ पार्टी में मस्त था और गार्ड भी कम ही थे।
हम लोग छुप के बेसमेंट में बने स्टोर रूम की तरफ ही जाने लगे. पर देखा रास्ते में गार्ड आपस में गप्पे मार रहे हैं।
हम दोनों वापस आ गए.
मैंने सुनील से कहा- चलो कोई नहीं, जीत तो मैं गयी ही हूँ. लगता है आज नहीं हो पाएगा. अगले साल ही देख लेना।
सुनील ने कहा- नहीं यार, लूँगा तो आज ही … चाहे यहीं लेनी पड़े तेरी।
अब ऐसा तो था नहीं कि मेरा मन नहीं था. तो मैंने कहा- आओ मेरे साथ!
और उसका हाथ पकड़ के ले जाने लगी।
हम लोग कॉलेज बिल्डिंग के आपातकालीन सीढ़ियों से ऊपर की तरफ बिल्डिंग में चढ़ने लगे दबे पाँव. और चुपचाप छत पे पहुँच गए।
मैंने कहा- यहाँ कोई नहीं आने वाला सुबह तक! और लाइट भी ठीक है. और दूर दूर तक कोई इतनी ऊंची बिल्डिंग नहीं है कि कोई हमें देख सके. ऊपर से दीवारें भी ऊंची है इतनी कि कोई नीचे से भी ना देख सके। मेरे ख्याल से यहीं हो सकता है।
सुनील ने कहा- वाह निकिता वाह! तुम्हारा दिमाग इन सब में तो बहुत तेज़ चलता है. पर एक ही दिक्कत है. यहाँ कोई गद्दा नहीं है।
मैंने कहा- तो क्या हुआ? खड़े खड़े कर लेना।
उसने कहा- नहीं, रुको. मैं 5 मिनट में आया.
और भाग के नीचे चला गया।
मैंने लगभग उसका 15 मिनट इंतज़ार किया और मैं वापस जाने ही वाली थी.
तभी वो आता दिखाई दिया और उसके हाथ में एक कंबल था।
मैंने मुस्कुराते हुए पूछा- ये कहाँ से ले आए इस मौसम में? इतनी ठंड नहीं है।
उसने बोला- इवैंट मैनेजर से बोल के लेके आया हूँ. बोला कि हल्की सी ठंड लग रही है, बुखार सा है।
मैंने कहा- शाबाश ,ये हुई ना बात, लाओ मैं मदद कर देती हूँ.
और हमने छत की तरफ से चारों दरवाजों की कुंडी लगा दी सुरक्षा के लिए।
फिर मैंने और उसने कंबल को छत के बीचोंबीच बिछा दिया और चुदाई की तैयारी करने लगे।
मैंने उससे पूछा- तुमने कभी खुले आसमान के नीचे सेक्स किया है क्या?
सुनील ने कहा- नहीं तो! पर लगता है तुमने जरूर किया है।
मैंने कहा- हाँ, किया था अपने बॉयफ्रेंड के साथ।
सुनील मुस्कुराने लगा, बोला- अच्छा है यार!
उसने अपनी जीन्स की पैंट में से एक तेल की बॉटल निकाल के साइड में रख दी।
उसे देखते ही मैंने उसे हल्के से गुस्से से आंखें भींच के घूरा। मैं उसकी इच्छा समझ गयी थी।
उसने कहा- देखो, मैं जानता हूँ कि पीछे से करने में तेल की जरूरत पड़ती है. पर अगर तुम्हारा मन नहीं होगा तो नहीं करूंगा।
मैंने कहा- ठीक है. कोशिश करना कि ना करना पड़े! पीछे से दर्द होता है।
सुनील मुस्कुराने लगा और बोला- लगता है सब किया हुआ है?
मैंने कहा- हाँ, आज कल की दुनिया में सब ट्राइ करना चाहिए।
सुनील ने कहा- ठीक है तो शुरू करें?
मैंने कहा- ठीक है. सुबह 11-12 बजे तक सबको निकलना है।
सुनील ने कहा- ठीक है. फिर अपने कपड़े उतारो फटाफट … करते हैं।
उसने अपनी शर्ट के बटन खोलने शुरू किया और मैंने भी अपने कपड़े उतार दिए.
अब मैं सिर्फ ब्रा पैंटी में बची थी और सुनील अपने कच्छे में।
छत पे बड़ी बड़ी लाइट लगी हुई थी जो नीचे रोशनी फेंक रही थी. पर उनकी रोशनी छत पे भी काफी पड़ रही थी. पूरी छत उज्ज्वलित थी।
मैं हाथ पीछे करके अपनी ब्रा उतारने लगी. इतने सुनील ने अपना कच्छा उतार दिया।
मैंने देखा कि उसका लंड खड़ा होना शुरू हो गया है. पर अभी अपने पूरे जोश में नहीं आया है।
अब लड़का खेला खाया था शायद इसलिए इतनी जल्दी खड़ा नहीं हुआ होगा. वरना सुहानी चौधरी नंगी हो जाए तो मुरदों के भी लंड खड़े हो जायें।
फिर मैंने कहा- क्या हुआ? आज खड़ा नहीं हो रहा क्या?
उसने कहा- तुम्हारे नर्म गुलाबी होंठ की छुअन से ही खड़ा होगा अब तो!
मैंने कहा- सीधे सीधे बोलो ना मेरा लंड चूसो. बहाने क्या कर रहे हो।
सुनील हंस के कहने लगा- सुहानी चौधरी, मेरा लंड चूसो ना प्लीज।
वो मेरे सामने खड़ा था. मैं हल्का सा मुस्कुराई और उसकी टाँगों के बीच मुंह लेजाकर उसके लंड को हाथ से ऊपर से नीचे तक सहलाया और धीरे धीरे किस करने लगे।
सुनील ने हल्की सी आह … भरी और बोला- पूरा चूसो ना।
मैंने अब बिना देर किये ऊपर से उसका लंड अपने मुंह में लिया और हलक तक अंदर लेती चली गयी। मैंने अब ज़ोर ज़ोर से लंड को ऊपर नीचे चूसना शुरू कर दिया.
2 मिनट मैंने बड़े अच्छे ढंग से चूसा।
सुनील बस ‘आहह … अहह …’ करके आहें भरता रहा. उसका लंड पूरा तन गया और चुदाई करने को बिल्कुल तैयार हो गया।
मैंने कहा- अब ठीक है, अब शुरू करो।
सुनील ने कहा- रुको, मैं भी तो तुमको गीला कर दूँ.
और वो कमर के बल लेट गया और मुझे 69 पोजीशन में आने को बोला।
मैं तुरंत वैसे ही आ गयी और हाथ से पकड़ के उसका लंड मुंह में ले लिया. दूसरी तरफ सुनील मेरी चूत की जीभ से चाट चाट के चुदाई करने लगा।
अब तो मुझे भी बहुत मजा आने लगा था. मैं उम्म … उम्म … उम्म … उसका लंड चूसते हुए मजे ले रही थी. मेरी चूत चिकनाहट से गीली हो गयी. पूरी तरह से और फूल के चुदवाने को तयार थी।
मैंने कहा- अब बहुत हुआ, चुदाई शुरू करते हैं.
और मैं लेटे लेटे ही घूम के उसके मुंह की तरफ आ गयी।
मेरे खुले बाल सुनील के चेहरे के साइड में झूल रहे थे और हम दोनों एक दूसरे की आंखों में देख के मुस्कुरा रहे थे।
मैंने हल्की सी आवाज में कहा- डालो ना यार प्लीज!
उसने बोला- ठीक है.
और उचक उचक के डालने की कोशिश करने लगा.
पर उसे चूत का रास्ता नहीं मिल रहा था.
मैंने कहा- रुको!
और मैंने खुद ही नीचे हाथ ले जा के उसका लंड ढूंढा और पकड़ के अपनी चूत पे लगा लिया।
फिर क्या था. हल्की हल्की सीईईई … करते हुए चूत में ले गयी और उस पे झुक के बैठ गयी।
सुनील ने हल्की सी आहह … भरी।
अब मैं खुद ही धीरे धीरे उसके लंड पे ऊपर नीचे सरक सरक के चुदवाने लगी।
धीरे धीरे मैं अपनी स्पीड बढ़ाने लगी और उसकी छाती पे हाथ रख के चुदवाने लगी। मेरे मुंह से आहह … आहह … अहह … सी … स्सी … स्सीईईए … की आवाज निकल रही थी. मेरे बाल, बूब्स सब कुछ ऊपर नीचे हिल रहा था।
हमने लगभग 5 मिनट तक ऐसे ही चुदाई की. फिर थक के थोड़ा आराम करने लगे. चूत में लंड पड़े पड़े ही।
अब सुनील ने कहा- तुम नीचे लेटो कंबल पे. मैं ऊपर से चुदाई करता हूँ।
मैं उसके सामने जांघें खोल के लेट गयी। सुनील मेरे सामने आया और मेरे ऊपर पूरा झुक के लंड चूत पे सटाया. और हाथ मेरे बगल में रख के लंड अंदर डालने लगा धीरे धीरे।
मुझे बहुत मजा आ रहा था और उसे भी।
फिर उसने बिना देरी किए लंड को चूत में अंदर बाहर करना शुरू कर दिया. वो मुझे घपाघप चोदने लगा। उसके पट्ट पट्ट के जोर के धक्के और उसका लंड मेरी चूत में गहराई में जा जा के मुझे पूरे मजे दे रहा था।
हम दोनों के ही मुंह से जोर ज़ोर से अहह … आ … आहह … निकल रही थी. खुले आसमान के नीचे कॉलेज की लाइट के बीच मेरी जबर्दस्त चुदाई चल रही थी।
फिर थोड़ी देर बाद जब वो थक गया तो लंड निकाल के बैठ गया और सुस्ताने लगा।
जब वो सुस्ता लिया तो फिर से लंड डालने के लिए मेरे ऊपर झुक गया और हाथ पकड़ के लंड को फिरने लगा पर मेरी गांड पे।
मैंने उसके हाथ में मारते हुए कहा- वहाँ नहीं, चूत में ही डालो।
उसने कहा- प्लीज यार, गांड में डलवा लो प्लीज प्लीज।
मैंने कहा- नहीं यार, समझा करो … नहीं नहीं नहीं।
उसने बोला- ठीक है. मैं नहीं चोदता फिर!
और कंबल पे घुटने मोड के बैठ गया जैसे हड़ताल पे बैठा हो कि नहीं चोदूँगा।
मैंने उसे बोला- प्लीज यार, चोदो ना। ऐसे बीच में मत छोड़ो।
पर वो माना नहीं रहा था।
मैंने ही आखिर हार मानते हुए उसे तेल की बोतल दे दी और घोड़ी बन गयी.
उसके सामने घूम के मैंने कहा- ले मार ले मेरी गांड, खुश?
वो एकदम से खुश हो गया और बोतल ले ली।
उसने ऊपर को उठा के मेरी गांड पे तेल उड़ेला और उंगली अंदर करके चिकनी करने लगा।
शुरू में तो जब उसकी उंगली गयी तो मैं भी हल्के हल्के स्सी … स्सी … कर रही थी।
फिर उसने अपने लंड को भी चिकना कर लिया और चोदने की पोजीशन में आ गया।
मैंने कहा- आराम से!
और उसने अपना लंड मेरी गांड के छेद पे रख दिया।
उसने पूछा- घुसाऊँ?
तो मैंने कहा- हम्म।
उसने हल्का सा धक्का लगाया पर चिकनाहट के बावजूद लंड नहीं घुसा।
फिर उसने मेरी कमर को पकड़ा और फिर धीरे धीरे ज़ोर लगाने लगा. तो चिकनाहट की वजह से उसके लंड का मुंह मेरी गांड में घुस के अटक गया.
और मेरी हल्के से दर्द से स्सीईई … आऊ … निकल गयी।
उसने कहा- अब चला जाएगा.
और धीरे धीरे अपना चिकना लंड मेरी गांड में उतारता चला गया. और अपने आँड तक घुसा के अटका दिया. तो मेरे मुंह से फिर आहह … स्सी … निकली. उसके झटके से मैं आगे को हिल गयी।
मैंने पीछे देखा और हाँ में सिर हिलाया कि चोद ले अब।
उसने शुरू में धीरे धीरे बाहर निकाला और अंदर डालना चालू करा. और धीरे धीरे धक्के मारने लगा।
फिर धीरे धीरे स्पीड बढा दी और पिच्छह … पिच्छह … की आवाज के साथ चोदने लगा।
वो खुद बोल रहा था- आहह … आहह … आहह … निकिता. आहह … थैंक्स निकिता … आहह।
मैं भी अब उसके जोरदार धक्कों से हिलते हुए आगे पीछे होने लगी और ज़ोर ज़ोर से आहह … आहह … स्सी … आई … आहह … करने लगी।
ऐसे ही वो लगातार 6-7 मिनट तक धक्के मारता रहा. और फिर एकदम से निकाल के चूत में लंड घुसा दिया और चोदने लगा।
मैं अब पूरे मजे ले रही थी- आहह … सुनील. आह … और तेज़ और तेज़ … और तेज़ सुनील. बहुत मज्जा … आ रहा है. चोदते रहो … आह … सुनील. थैंक्स मुझे जिताने के लिए … सारी मेहनत वसूल कर लो मुझे चोद चोद के।
सुनील भी बोल रहा था- आहह … आहह … निकिता … आहह. तुम्हें चोदने के लिए तो … आहह … ये प्रतियोगिता क्या जिंदगी हार जाऊँ. आहह … सुहानी … आहह।
अब हम दोनों ऐसे ही 5-6 मिनट तक फुल स्पीड वाली चुदाई करते रहे. और फिर झड़ने के करीब भी पहुँच गये।
मेरे पूरे जिस्म में आनंद ही आनंद भर गया. मैं पागलों की तरह चिल्लाने लगी- और तेज़ … आहह … सुनील और तेज़ और तेज़.
सुनील भी झड़ने को हो रहा था.
और थोड़ी देर में ही मेरे पूरे शरीर में करेंट दौड़ गया. मैं ज़ोर से आहह … करते हुए फच्च्ह फच्छ करके झड़ने लगी.
सुनील झड़ते हुए ही चोदता रहा. और फिर वो भी दम से चोदते हुए मेरी चूत में गर्म गर्म वीर्य गिराता हुआ झड़ गया।
हम दोनों एक साथ झड़ चुके थे और कंबल के ऊपर निढाल हो के गिर गए. हम ज़ोर ज़ोर से हाँफने लगे।
सुस्ताते हुए कब हमारी आँख लग गयी, हमें पता ही नहीं चला।
जब हमारी आँख खुली सुबह हो चुकी थी और हल्की धूप खिल चुकी थी।
पहले तो मुझे लगा लो मैं शायद हॉस्टल में हूँ.
फिर एकदम से मैं होश में आयी तो देखा कि मैं और सुनील खुली छत पे खुले असामान के नीचे बिल्कुल नग्न अवस्था में पड़े हैं.
मैंने उसे उठाया- सुनील उठो, देखो सुबह हो गयी. मुझे जल्दी से हॉस्टल पहुंचा दो प्लीज।
सुनील भी उठा और चौंक गया।
मैंने पानी की टंकी के पास जाकर टोंटी चला के खुद को साफ किया.
तो सुनील ने कहा- क्यूँ डर रही हो? देखो दूर दूर तक सिर्फ खुला असामान ही तो है. आसपास कोई बिल्डिंग नहीं है इतनी ऊंची कि कोई हमें देख सके। हम उस वाले गेट से निकल जाएंगे. वहाँ कोई नहीं होता।
फिर उसने बोला- सुहानी, एक आखरी बार और चुदवा लो प्लीज।
मैंने कहा- दिमाग खराब है? टाइम देख रहे हो?
उसने कहा- आज संडे है, कोई जल्दी नहीं उठेगा. आओ ना फटाफट कर लेते हैं।
मैंने सोचा कि बात तो सही है.
हम दोनों एक फिर एक दूसरे की बांहों में समा गये. और बहुत तेज़ तेज़, बहुत जल्दी जल्दी एक बार फिर सेक्स किया लगातार झड़ने तक।
फिर बस खुद को साफ किया और कपड़े पहने।
सुनील ने सुनिश्चित किया कि रास्ता साफ है.
और हम छत के दरवाजों की कुंडी खोल के चुपके से नीचे आ गए और तुरंत अलग हो गए.
सुबह घूमने का बहाना करते हुए हम अपने हॉस्टल में चले गए।
फिर बाद में सब अपने अपने कॉलेज के लिए निकल गए।
मैं और मेरी क्लास वाले सब मेरी जीत से बहुत खुश थे. और मैं भी अपनी जीत और चुदाई से बहुत खुश थी।
घर पहुंची तो मम्मी ने भी कहा- देखा जीत के आगे चुदाई कुछ नहीं।
और फिर मैं अगले कुछ दिनों में अपनी कॉलेज की दिनाचर्या में लग गयी।
तो दोस्तो, कैसे लगी आपको मेरी यह ट्रू हॉट सेक्स स्टोरी इन हिंदी?
उम्मीद करती हूँ कि आपको पसंद आई होगी।
हो सकता है कि आप में से कुछ जरूरत से ज्यादा समझदार लोगों को पसंद ना आया हो मेरा जीतने के लिए ऐसा करना।
पर कभी कभी जीतना ही सब कुछ होता है।
और वैसे भी सेक्स करना कोई अपराध नहीं है।
तो मजे करते रहें, सेक्स करते रहें. जिंदगी एक बार मिलती है. उसे एंजॉय करते रहें।
मिलते हैं अगली हॉट सेक्स स्टोरी इन हिंदी में।
बाय बाय
आपकी निकिता
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