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पड़ोसन आंटी ने मुठ मारते पकड़ लिया मैंने उनकी चुदाई कर डाली

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दोस्तों, मेरा नाम राहुल है। मैं एक 22 साल का जवान लड़का हूँ, कॉलेज में पढ़ता हूँ और दिल्ली के एक मोहल्ले में अपनी माँ के साथ रहता हूँ। जवानी का जोश ऐसा चढ़ा कि मैं बहक गया और अपनी माँ की उम्र की एक औरत, अपनी पड़ोसन आंटी, सुप्रिया, के साथ अवैध शारीरिक संबंध बना बैठा। सुप्रिया आंटी 50 साल की हैं, लेकिन उनकी कातिलाना अदाएँ और मस्त माल जैसा बदन देखकर कोई भी पागल हो जाए। आज मैं आपको अपनी और सुप्रिया आंटी की पहली चुदाई की सच्ची कहानी सुनाने जा रहा हूँ, जो इसी साल की है। ये वो पल हैं जब मैंने पहली बार किसी औरत के साथ चुदाई का असली मजा लिया, और वो भी ऐसी औरत के साथ जो मेरी माँ की हमउम्र थी।

बात उस दिन की है जब मैं कॉलेज नहीं गया था। सुबह से ही मेरा मन बेकाबू था। जवानी का जोश और सेक्स की भूख ने मुझे बेचैन कर रखा था। मैंने कई बार मुठ मारकर अपनी आग बुझाई थी, लेकिन उस दिन कुछ अलग ही जोश चढ़ा था। मैं अपने घर की छत पर गया, जहाँ चारों तरफ ऊँची दीवारें थीं और कोई आसानी से देख नहीं सकता था। मैंने मोबाइल निकाला, उसमें इंडियन एक्ट्रेस श्रुति हासन की एक हॉट पोर्न क्लिप चलाई, और मुठ मारने लगा। मेरा लंड सात इंच का मोटा-तगड़ा है, और उस वक्त वो पूरी शान से खड़ा था। मैं श्रुति की नंगी तस्वीरों को देखकर पागल हो रहा था, और अपने लंड को जोर-जोर से सहला रहा था।

मैं इस कदर मस्ती में खोया था कि मुझे पता ही नहीं चला कि सुप्रिया आंटी छत पर कपड़े सुखाने आ गईं। अचानक उनकी नजर मुझ पर पड़ी। मैं मोबाइल में पोर्न देख रहा था, पैंट की ज़िप खुली थी, और मेरा लंड मेरे हाथ में था। आंटी ने मुझे मुठ मारते पकड़ लिया। मेरे होश उड़ गए। मैंने जल्दी से मोबाइल बंद किया, ज़िप ऊपर चढ़ाई, और शर्म से लाल होकर भागकर नीचे अपने कमरे में चला गया। मेरा दिल धड़क रहा था। मैं सोचने लगा कि आंटी मेरी माँ को बता देंगी कि मैं छत पर बैठकर पोर्न देख रहा था और मुठ मार रहा था। पूरा दिन मैं डर के मारे सहमा रहा। रात को नींद भी नहीं आई, बस यही सोचता रहा कि अब क्या होगा।

अगले दिन कॉलेज से लौटा तो आंटी ने मुझे बाहर देखा। उनकी नजरें मेरी आँखों से टकराईं, और मैं घबराकर जल्दी से घर में घुस गया। माँ उस वक्त सुपरमार्केट जाने की तैयारी कर रही थीं। उन्होंने आंटी से पूछा कि क्या वो साथ चलेंगी, लेकिन आंटी ने मना कर दिया। मैं अपने कमरे में बैठा ये सब सुन रहा था। माँ के जाने के बाद मैं टीवी देखने लगा। तभी बाहर से आंटी की आवाज आई, “राहुल, बेटा, इधर आना!” मैं डरते-डरते उनके घर गया। आंटी ने मुझे दूध लाने के लिए भेजा। मैं जल्दी से दूध लेकर वापस आया।

आंटी ने मुस्कुराते हुए पूछा, “चाय पिएगा, बेटा?” मैंने शर्माते हुए मना कर दिया। फिर आंटी ने अचानक कल की बात छेड़ दी। “राहुल, कल छत पर क्या कर रहा था?” उनकी आवाज में एक अजीब सा लहजा था। मैं शर्म से जमीन में गड़ गया, सर झुकाए चुप रहा। बस इतना बोला, “आंटी, प्लीज किसी को मत बताना कि मैं मुठ मार रहा था।” आंटी मेरे पास सोफे पर बैठ गईं और बोलीं, “अरे बेटा, इस उम्र में सब करते हैं। इसमें शर्माने की क्या बात है? मैंने तो अपने बेटे राजेश को भी मुठ मारते पकड़ा था जब वो बारहवीं में था।” उनकी बात सुनकर मेरे होश उड़ गए। मैंने सोचा, ये 50 साल की औरत इतनी बेबाकी से ऐसी बातें कैसे कर रही है?

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आंटी ने फिर कहा, “मुझे थोड़ा काम है, तू यहीं बैठ।” वो टीवी चालू करके चाय बनाने किचन में चली गईं। मैं टीवी देखने लगा, लेकिन मेरा दिमाग उसी बात में उलझा था। थोड़ी देर बाद आंटी वापस आईं और मेरे पास बैठ गईं। अचानक उन्होंने मेरा पैर सहलाना शुरू कर दिया। मेरे रोंगटे खड़े हो गए। मैं समझ गया कि आंटी कुछ और ही चाहती हैं। उनका हाथ धीरे-धीरे मेरी जांघों पर गया, और फिर मेरे लंड को पैंट के ऊपर से सहलाने लगी। मेरा लंड, जो पहले से ही तनाव में था, और सख्त हो गया। मैं चुप रहा, लेकिन मुझे मजा आने लगा।

आंटी की आँखों में एक चमक थी। वो धीरे से बोलीं, “राहुल, तू तो बड़ा जवान हो गया है।” मैंने हिम्मत करके उनके मोटे-मोटे चूचों पर हाथ रख दिया। आंटी की साड़ी के ऊपर से उनके चूचे संतरे जैसे गोल और सख्त लग रहे थे। मैंने धीरे-धीरे उन्हें सहलाना शुरू किया। आंटी की साँसें तेज हो गईं। वो और गर्म हो रही थीं। मैंने उनकी साड़ी का पल्लू हटाया और उनके ब्लाउज के ऊपर से चूचों को दबाने लगा। आंटी ने आँखें बंद कर लीं और सिसकारियाँ लेने लगीं, “आह… राहुल… और जोर से…”

करीब दस मिनट तक मैं उनके चूचों को मसलता रहा। फिर मैंने हिम्मत करके अपना हाथ उनकी साड़ी के नीचे डाला और उनकी चूत पर रख दिया। आंटी की चूत पूरी तरह गीली थी। मैंने उनकी पैंटी के अंदर उंगली डाली और उनकी चूत को सहलाने लगा। आंटी की चूत पर एक भी बाल नहीं था; उन्होंने उसे बिल्कुल साफ कर रखा था। उनकी चूत गर्म और रसीली थी, जैसे कोई पका हुआ फल। मैंने एक उंगली अंदर डाली, तो आंटी उछल पड़ीं, लेकिन कुछ बोलीं नहीं। उनकी सिसकारियाँ और तेज हो गईं, “आह… बेटा… ऐसे ही… और अंदर…”

मैंने पोर्न फिल्मों में चूत चाटने के सीन देखे थे। मैंने सोचा, क्यों ना इसे भी आजमाया जाए? मैंने आंटी की साड़ी और पैंटी उतार दी। उनकी चूत मेरे सामने थी, गुलाबी, रसीली, और पूरी तरह खुली हुई। मैंने अपनी जीभ उनकी चूत पर रख दी और किसी जंगली कुत्ते की तरह चाटने लगा। आंटी की चूत का स्वाद नमकीन और नशीला था। मैं उनकी चूत के दाने को जीभ से सहलाने लगा। आंटी पागल हो गईं। उन्होंने मेरा सर अपनी चूत पर दबा लिया और चिल्लाईं, “आह… राहुल… चाट… और जोर से चाट… मेरी चूत को खा जा!”

उधर, आंटी ने मेरा लंड पैंट से बाहर निकाला और किसी रंडी की तरह चूसने लगीं। उनका मुँह गर्म और गीला था। वो मेरे लंड को पूरा अंदर ले रही थीं, और उनकी जीभ मेरे लंड के टोपे पर घूम रही थी। मैंने आंटी से कहा, “आंटी, 69 में और मजा आएगा।” मैंने ये सब पोर्न फिल्मों से सीखा था। आंटी तुरंत मान गईं। हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए। मैं उनकी चूत चाट रहा था, और वो मेरा लंड चूस रही थीं। आंटी की चूत से पानी निकल रहा था, और मैं उसे चाट-चाटकर पी रहा था।

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करीब पांच मिनट बाद आंटी ने मेरे सर को कसकर दबाया और जोर से सिसकारी, “आह… राहुल… मेरा निकलने वाला है!” उनकी चूत से गरम-गरम पानी निकला, और मैंने उसे पूरा चाट लिया। उधर, आंटी मेरे लंड को इतनी तेजी से चूस रही थीं कि मैं भी झड़ गया। मेरा गरम वीर्य उनके मुँह में भर गया, और उन्होंने उसे पूरा निगल लिया। हम दोनों हाँफ रहे थे, लेकिन आंटी की आँखों में अभी भी भूख थी।

आंटी ने मुझे गिलास में दूध पिलाया और मेरे लंड से खेलने लगीं। उनका हाथ मेरे लंड पर जादू कर रहा था। मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। आंटी बोलीं, “राहुल, अब मेरी चूत की प्यास बुझा दे। मैं दस साल से चुदाई के लिए तरस रही हूँ। रोज अपनी चूत और गांड में उंगली डालती हूँ। तुझे मुठ मारते पकड़ लिया, तभी मुझे हिम्मत आई कि तुझसे चुदवाऊँ। अब तेरा राज भी राज रहेगा, और मेरा भी।”

मैंने आंटी को बिस्तर पर लिटाया और उनकी टाँगें फैलाईं। उनकी चूत मेरे सामने थी, गीली और चुदाई के लिए बेकरार। मैंने अपना सात इंच का लंड उनकी चूत पर रखा और धीरे से रगड़ने लगा। आंटी की सिसकारियाँ फिर शुरू हो गईं, “आह… बेटा… डाल दे… मेरी चूत को फाड़ दे…” मैंने धीरे से लंड अंदर डाला, लेकिन उनकी चूत इतनी टाइट थी कि लंड आसानी से नहीं गया। आंटी बोलीं, “जल्दी कर, बेटा! मेरी चूत में इतनी खुजली है कि अब बर्दाश्त नहीं होता। फाड़ दे इसे!”

मैंने जोश में आकर एक जोरदार धक्का मारा। मेरा आधा लंड उनकी चूत में घुस गया। आंटी दर्द से चिल्ला उठीं, “आह… मर गई… धीरे…” लेकिन उन्होंने मुझे रुकने को नहीं कहा। मैंने उनके चूचों को दबाते हुए एक और धक्का मारा। इस बार मेरा पूरा लंड उनकी चूत में जड़ तक उतर गया। आंटी की चूत गर्म और टाइट थी, जैसे कोई कुंवारी लड़की की। मैंने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। आंटी की चीखें अब सिसकारियों में बदल गईं, “आह… राहुल… चोद… और जोर से… मेरी चूत को रगड़ दे…”

मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी। आंटी नीचे से अपनी गांड उछाल-उछालकर मेरा साथ दे रही थीं। उनकी चूत का पानी मेरे लंड को और चिकना कर रहा था। मैं उनके चूचों को चूस रहा था, उनके निप्पल को दाँतों से काट रहा था। आंटी पागल हो रही थीं, “आह… बेटा… मेरे निप्पल चूस… मेरी चूत को फाड़ दे… तेरा लंड बहुत मस्त है…” करीब पंद्रह मिनट तक मैंने उन्हें उसी पोजीशन में चोदा। फिर मैंने उन्हें घोड़ी बनाया। उनकी मोटी, गोरी गांड मेरे सामने थी। मैंने उनकी गांड पर थप्पड़ मारे और लंड उनकी चूत में पीछे से पेल दिया।

आंटी की चूत अब और गीली हो चुकी थी। मेरा लंड आसानी से अंदर-बाहर हो रहा था। मैंने उनकी गांड को पकड़कर जोर-जोर से धक्के मारने शुरू किए। आंटी चिल्ला रही थीं, “आह… राहुल… मेरी चूत को चीर दे… और जोर से… मेरी प्यास बुझा दे…” मैंने उनकी चूत में इतनी तेजी से धक्के मारे कि पूरा बिस्तर हिलने लगा। आंटी इस बीच दो बार झड़ चुकी थीं। उनकी चूत का पानी बिस्तर पर टपक रहा था।

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मैंने आंटी को फिर से पीठ के बल लिटाया और उनकी टाँगें अपने कंधों पर रखीं। इस पोजीशन में उनकी चूत और खुल गई। मैंने अपना लंड उनकी चूत में डाला और पूरी ताकत से चोदने लगा। आंटी की सिसकारियाँ पूरे कमरे में गूँज रही थीं, “आह… बेटा… तेरा लंड मेरी बच्चेदानी तक जा रहा है… चोद… और चोद…” मैं उनके चूचों को दबाते हुए, उनके होंठ चूसते हुए उन्हें चोद रहा था। करीब आधे घंटे की इस खतरनाक चुदाई के बाद मैं झड़ने वाला था। मैंने आंटी से पूछा, “आंटी, कहाँ निकालूँ?” वो बोलीं, “मेरी चूत में ही निकाल दे, बेटा। मैं बाद में गोली खा लूँगी।”

मैंने और तेज धक्के मारे और अपनी पूरी ताकत से उनका चूचों को मसलते हुए उनकी चूत में झड़ गया। मेरा गरम वीर्य उनकी चूत में भर गया। आंटी भी तीसरी बार झड़ चुकी थीं। हम दोनों हाँफते हुए बिस्तर पर लेट गए। आंटी ने मुझे गले लगाया और मेरे होंठ चूम लिए। वो बोलीं, “राहुल, तूने मेरी दस साल की प्यास बुझा दी। अब ये बात हमारे बीच ही रहेगी। तू मुठ मारता है, ये मेरा राज है। और मैं तुझसे चुदवाती हूँ, ये तेरा राज है।”

उस दिन के बाद मैंने सुप्रिया आंटी को कई बार चोदा। जब भी अंकल सो जाते हैं, मैं रात को उनके घर चला जाता हूँ। हम नई-नई पोजीशन में चुदाई करते हैं। कभी मैं उन्हें किचन में टेबल पर चोदता हूँ, कभी बाथरूम में शावर के नीचे। आंटी की चूत और गांड मेरे लंड की गुलाम हो चुकी हैं। मैंने उनकी गांड भी मारी, लेकिन वो कहानी फिर कभी। ये थी मेरी और सुप्रिया आंटी की पहली चुदाई की कहानी, जिसने मेरी जवानी को नया रंग दिया।

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