दोस्तों, आज मैं आपको अपनी जिंदगी की एक ऐसी सच्ची कहानी सुनाने जा रही हूँ, जो मैं शायद कभी नहीं भूल पाऊँगी। ये बात दिल को छू लेने वाली है, क्योंकि जब जिंदगी में मुसीबत आती है, तो वो पल हमेशा के लिए याद रह जाते हैं। मेरे पापा की तबीयत अचानक बिगड़ गई थी। वो काम नहीं कर पाए, और उनकी नौकरी छूट गई। कोरोना के उस दौर में दिल्ली जैसे शहर में सब कुछ ठप हो गया था। घर की हालत खराब हो गई। आप तो जानते हैं, दिल्ली में पैसा और काम हो तो सब अपने, वरना कोई किसी का नहीं होता।
हमारे साथ भी यही हुआ। घर की आर्थिक स्थिति इतनी खराब हो गई कि मम्मी ने एक दिन मुझे बुलाकर गंभीर बात की। वो बोलीं, “देख कोमल, अब हमें दोनों को मिलकर आगे बढ़ना होगा। तेरे पापा की हालत तो तुझे पता है, शायद वो अब कभी काम न कर पाएँ। तेरी छोटी बहन की पढ़ाई, घर का खर्चा, सब कुछ हमें ही देखना है। तेरी जिंदगी अभी बाकी है, तुझे अपने पैरों पर खड़ा होना है, और मुझे भी। इसलिए मैंने एक जगह बात की है। मेरे जान-पहचान में रवि नाम का एक आदमी है, उसकी अपनी कंपनी है। वो शायद हमारी मदद कर सकता है। मैं कल उससे मिलने जा रही हूँ।”
अगले दिन मम्मी रवि से मिलने गईं। जब वो लौटीं, तो उनके चेहरे पर एक अजीब सी चमक थी, लेकिन आँखों में कुछ अनकहा दर्द भी। वो बोलीं, “कोमल, नौकरी पक्की हो गई। मुझे 30,000 और तुझे 40,000 मिलेगा। दोनों मिलकर 70,000 की कमाई होगी। तेरा शिफ्ट अलग होगा, मेरा अलग। लेकिन एक शर्त है। रवि ने कहा कि नौकरी तभी मिलेगी, जब हम उसे… खुश करें।” मैं समझ गई कि खुश करने का मतलब क्या है। मम्मी ने साफ-साफ कहा, “उसके साथ जिस्मानी ताल्लुक बनाना होगा। मैंने तो हाँ कर दी।”
हम माँ-बेटी बैठकर लंबी बात करने लगे। मम्मी ने समझाया, “देख बेटी, जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए कभी-कभी ऊँच-नीच करना पड़ता है। अगर हम ये नहीं करेंगे, तो जिंदगी और मुश्किल हो जाएगी। पापा बीमार हैं, कोरोना ने सब कुछ बर्बाद कर दिया है। किसी के सामने हाथ फैलाने से बेहतर है कि हम मेहनत करें। और रही बात रवि को खुश करने की, तो इसमें कुछ गलत नहीं। मान लो तू कोई बॉयफ्रेंड बनाती, तो उसे सब कुछ दे देती, और वो फिर भी हरामखोर निकलता। लेकिन यहाँ तुझे नौकरी भी मिलेगी, पैसा भी, और इज्जत भी। दो-तीन साल में हम इतना कमा लेंगे कि अपना मकान ले लेंगे। 70,000 महीना कोई छोटी बात नहीं। तेरे पापा तो सिर्फ 15,000 कमाते थे।”
मम्मी की बातों ने मुझे हिम्मत दी। मैंने सोचा, अगर मम्मी ये कर सकती हैं, तो मैं क्यों नहीं। अगले दिन से मेरी जॉइनिंग थी। मैं ऑफिस पहुँची। रवि सर ने मुझे देखा, तो उनकी आँखों में एक चमक थी। वो बोले, “कोमल, आज दोपहर को मीटिंग है, तैयार रहना।” मैंने सोचा, मीटिंग तो ऑफिस में होगी, लेकिन दोपहर होते-होते रवि सर मुझे अपनी बीएमडब्ल्यू गाड़ी में कनॉट प्लेस के एक फाइव-स्टार होटल ले गए। कमरा पहले से बुक था। मेरे दिल में एक अजीब सी घबराहट थी, लेकिन साथ में उत्साह भी। नौकरी पक्की हो चुकी थी, और गाड़ी में घूमने का मजा, होटल का खाना-पीना, सब कुछ मुझे अच्छा लग रहा था।
होटल में पहुँचकर रवि सर ने पूछा, “कुछ खाएगी?” मैंने मना किया, लेकिन उन्होंने इटालियन खाना मँगवाया। हमने साथ में खाया। खाने के बाद वो बोले, “तेरी मम्मी ने तुझे सब बता दिया न? कोई दिक्कत तो नहीं?” मैंने शरमाते हुए सर हिलाया और कहा, “नहीं, मुझे कोई दिक्कत नहीं।” बस, यहीं से मेरी जिंदगी की नई शुरुआत हुई।
रवि सर ने धीरे-धीरे मेरे पास आना शुरू किया। उनकी आँखों में हवस साफ दिख रही थी। उन्होंने मेरे कंधे पर हाथ रखा, और मेरे दिल की धड़कन तेज हो गई। फिर धीरे-धीरे मेरे कपड़े उतारने शुरू किए। मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं, लेकिन मेरे जिस्म में एक अजीब सी गर्मी दौड़ रही थी। रवि सर ने अपने कपड़े भी उतार दिए। मैं बेड पर लेटी थी, मेरी बड़ी-बड़ी चूचियाँ और उनके ऊपर छोटे-छोटे निप्पल देखकर वो जैसे पागल हो गए। वो मेरे ऊपर टूट पड़े। उनके दोनों हाथ मेरी चूचियों को जोर-जोर से दबाने लगे। मेरे निप्पल को उंगलियों से मसलने लगे, कभी चूसने लगे। मेरे होठों को वो चूमने लगे, मेरी गर्दन पर चुम्मा लेने लगे, मेरे बाल खोल दिए। मैं तो जैसे पागल हो रही थी।
मेरा पहली बार था, दोस्तों। मैं ना तो उन्हें रोक रही थी, ना ही कुछ कह रही थी। मेरी साँसें तेज थीं, और मेरा जिस्म उनके हर स्पर्श से काँप रहा था। कभी मैं अपनी चूचियों को छुपाने की कोशिश करती, तो वो दूसरी पकड़ लेते। कभी मैं शरम से मुँह फेर लेती, तो वो मेरे होठों को चूम लेते। मेरी चूत पहले से ही गीली हो चुकी थी। रवि सर ने मेरे दोनों पैर फैलाए और मेरी चूत में अपनी उंगली डाल दी। दोस्तों, जैसे ही उनकी उंगली मेरी चूत में गई, मेरे पूरे जिस्म में करंट सा दौड़ गया। मेरे होठ काँपने लगे, मेरी साँसें रुकने लगीं। वो मेरी चूत को चाटने लगे, और मैंने उनके लंड को पकड़ लिया। उनका लंड इतना मोटा और सख्त था कि मेरे हाथ में पूरा नहीं आ रहा था। मैं उसे हिलाने लगी, और वो मेरी चूत को और जोर से चूसने लगे।
करीब आधे घंटे तक वो मेरे जिस्म के साथ खेलते रहे। फिर उन्होंने कंडोम निकाला, अपने लंड पर चढ़ाया, और मेरे पैरों को और चौड़ा कर दिया। मैं डर रही थी, क्योंकि ये मेरा पहला अनुभव था। उन्होंने अपना लंड मेरी चूत के मुँह पर रखा और धीरे-धीरे अंदर घुसाने लगे। मैं दर्द से चीख पड़ी। मेरी चूत इतनी टाइट थी कि उनका लंड मुश्किल से अंदर जा रहा था। मैंने तकिया कसकर पकड़ लिया। दो-तीन धक्कों के बाद उन्होंने अपना पूरा लंड मेरी चूत में घुसा दिया। मैं दर्द से तड़प रही थी, लेकिन वो रुके नहीं। वो जोर-जोर से धक्के मारने लगे। मेरी चूचियाँ उछल रही थीं, वो उन्हें मसलते, चूसते, और मेरे होठों को चूमते। मेरी गर्दन पर उनके दाँतों के निशान पड़ गए।
थोड़ी देर बाद मेरा दर्द कम हुआ, और मुझे मजा आने लगा। मैं भी अपनी गाँड उठा-उठाकर उनका साथ देने लगी। जब वो ऊपर से धक्का मारते, मैं नीचे से अपनी चूत को उनके लंड पर रगड़ती। वो बोले, “कमाल की चीज हो तुम, कोमल। तेरी चूत तो जन्नत है।” मैं भी पागल हो रही थी। मैं चाहती थी कि वो मुझे और चोदें। करीब दो घंटे तक वो मुझे चोदते रहे। मेरी चूत में दर्द होने लगा, मेरी कमर टूट रही थी। मेरी चूचियों पर उनके दाँतों के निशान और लाल निशान पड़ गए थे। मैं थक चुकी थी, लेकिन रवि सर का जोश कम नहीं हुआ। वो बोले, “तू बस ऐसे ही मजे देती रह, मैं तुझे जिंदगी भर खुश रखूँगा।”
जब हम कपड़े पहन रहे थे, मैंने उनसे पूछा, “रवि सर, एक बात बताइए। क्या मेरी मम्मी ने भी आपके साथ ये सब किया?” वो हँसने लगे और बोले, “हाँ, कोमल। तेरी मम्मी ने भी मुझे खुश किया। जिस दिन वो नौकरी की बात करने आई थी, उसी दिन मैंने उन्हें चोदा। और कल जब वो बोलीं कि वो मार्केट गई थीं, तो वो मेरे साथ थीं। मैंने कल भी उनकी चुदाई की। तुम और तेरी मम्मी बिल्कुल एक जैसी हो। दोनों की चूत एकदम टाइट और गरम। मुझे ऐसी ही औरतें पसंद हैं।”
उनकी बात सुनकर मुझे अजीब सा लगा, लेकिन साथ में एक सुकून भी। मम्मी और मैं अब एक-दूसरे की दोस्त बन गई थीं। हम अपनी बातें शेयर करते, अपनी चुदाई की कहानियाँ एक-दूसरे को सुनाते। रवि सर ने हम दोनों को खुश रखा। नौकरी पक्की थी, पैसा था, और जिंदगी में कोई कमी नहीं थी। बस एक बात थी—मेरा कोई बॉयफ्रेंड नहीं था। लेकिन जो मेरा था, वो मेरी मम्मी का भी था। हम दोनों मिलकर अपनी जिंदगी को मजे से जी रहे थे, और रवि सर हमें हर तरह से खुश रखते थे।