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मायके से ससुराल लौटते ही पति ने मुझे लंड पर बिठाकर चोदा

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हेल्लो दोस्तों, मैं आप सभी का बहुत-बहुत स्वागत करती हूँ। मेरा नाम शबनम है। मैं कई सालों से रसीली चुदाई कहानियों की दीवानी हूँ और ऐसी कोई रात नहीं जाती जब मैं ऐसी गर्मागर्म कहानियाँ न पढ़ूँ। आज मैं आपको अपनी कहानी सुनाने जा रही हूँ। मुझे उम्मीद है कि ये कहानी आप सभी को बहुत पसंद आएगी।

मैं दो महीने के लिए अपने मायके गई थी। साल के दस महीने मैं अपनी ससुराल में ही रहती थी, लेकिन गर्मियों में दो महीने की छुट्टियाँ मिलती थीं, तब मुझे मायके जाने का मौका मिलता था। मैं अपने मायके चली गई थी और बीस दिन बीत चुके थे। तभी मेरे पति का फोन आया।

“शबनम जान… जल्दी घर आ जाओ। बीस दिन से मुझे चूत मारने को नहीं मिली!” पति ने उतावलेपन से कहा।

“सुनिए जी! मैं कम से कम दो महीने माँ के पास रहूँगी। तब तक आप अपने हाथ से मुठ मारकर काम चला लीजिए!” मैंने हँसते हुए जवाब दिया।

“अरे जान, तू तो जानती है कि मुठ मारने में वो मज़ा कहाँ जो चूत मारने में आता है। प्लीज़ जल्दी लौट आ!” पति ने मनुहार की, लेकिन मैंने उनकी बातें टाल दीं और मायके में ही रुक गई। मुझे अपने घर की बहुत याद आती थी और ससुराल में जरा भी अच्छा नहीं लगता था। दोस्तों, मेरे पति बहुत ही सेक्सी और जवान मर्द थे। वो दिन में दो बार और रात में तीन बार मेरी चूत मारते थे। उन्हें सेक्स करना बहुत पसंद था और मैं भी ऐसी ही औरत थी, जिसे रोज मोटा-मोटा लंड खाना बहुत अच्छा लगता था। मायके आए अब एक महीना बीत चुका था और मैं भी लंड के लिए तरस रही थी। मैं अपनी चूत में डिल्डो डालकर या उंगलियों से मज़ा ले लेती थी। उधर मेरे पति अपने हाथ से काम चला रहे थे, लेकिन उन्हें चूत वाला मज़ा नहीं मिल पा रहा था। धीरे-धीरे दो महीने बीत गए और मेरे बच्चों का स्कूल फिर से शुरू हो गया। मायके से लौटने का मन तो नहीं था, लेकिन हर शादीशुदा लड़की को एक दिन अपनी ससुराल तो लौटना ही पड़ता है। इसलिए मैं न चाहते हुए भी अपने पति के पास लौट आई।

बच्चों को लेकर मैंने ट्रेन पकड़ी और ससुराल पहुँच गई। जैसे ही मैं घर में घुसी, मेरी सास, ननद, देवर और ससुर मुझसे बातें करने लगे। उन्होंने पूछा कि ट्रेन के सफर में कोई दिक्कत तो नहीं हुई। मेरी सास ने मेरे लिए तुरंत चाय बनाई। मैंने चाय पी और सबके साथ बैठकर बातें करने लगी। मेरे बच्चे अपने दादा के साथ खेलने चले गए। मैंने अभी कपड़े भी नहीं बदले थे कि पति ने आवाज़ लगाई।

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“शबनम… इधर आना!” पति ने जोर से पुकारा। मैं सास और ननद के पास से उठकर उनके कमरे में चली गई। जैसे ही मैं अंदर पहुँची, उन्होंने मुझे बाहों में भर लिया Gottes

“शबनम! अभी चूत दे, मैंने दो महीने बिना तेरी गदराई चूत के कैसे गुज़ारे, तू नहीं जानती!” पति ने उतावलेपन से कहा और मुझे किस करने लगे।

“अरे, अभी मैं सास और ननद से बात कर रही हूँ। थोड़ी देर में आती हूँ!” मैंने हिचकिचाते हुए कहा।

लेकिन पति ने मेरी एक न सुनी। “देख शबनम, नाटक मत कर। मैंने साठ दिन बिना चूत मारे गुज़ारे हैं। अब मुझसे रहा नहीं जाता। पहले चूत दे, फिर सबसे बात कर लेना!” वो गुस्से में बोले।

“अरे यार, दिन में ऐसा नहीं अच्छा लगता। घर में सब क्या सोचेंगे?” मैंने झुंझलाते हुए कहा, लेकिन पति ने मेरी साड़ी उतार दी और मुझे बिस्तर पर लिटा दिया। उन्होंने मेरा ब्लाउज़, ब्रा और पैंटी उतार दी। अब मैं पूरी तरह नंगी थी। पति मेरे ऊपर लेट गए और मेरे दूध चूसने लगे। मुझे चुदाई बहुत पसंद थी, लेकिन सुबह के ग्यारह बजे, जब घर में सब मेरा इंतज़ार कर रहे थे, ये सब अजीब लग रहा था। फिर भी पति की चूत मारने की तलब इतनी थी कि वो रुके नहीं।

“सुनिए जी, सब लोग मेरा इंतज़ार कर रहे हैं। प्लीज़ मुझे छोड़ दीजिए!” मैंने फिर कहा।

“बस दो मिनट, जान! मैं तेरी चूत मार लूँ, बस दो मिनट!” पति ने कहा।

सुबह-सुबह चुदाई अजीब लग रही थी। अभी मायके से आए दस मिनट भी नहीं हुए थे और पति मुझे चोदने को तैयार थे। लेकिन वो मेरे पति थे, मैं उन्हें कैसे मना कर सकती थी? मैंने दोनों टाँगें फैलाकर लेट गई।

“ठीक है, चोद लीजिए, लेकिन जल्दी कीजिए। सब लोग मेरा इंतज़ार कर रहे हैं!” मैंने कहा।

पति मेरे मस्त-मस्त दूध पीने लगे। दोस्तों, मैं बहुत खूबसूरत औरत हूँ। मेरा रंग गोरा है, चेहरा करीना कपूर जैसा है और मेरा फिगर 38-36-34 है। मेरा भरा हुआ जिस्म हर किसी को चोदने का मन करता है। बाज़ार में लोग मुझे देखते रहते हैं और कहते हैं, “कितना मस्त माल है, काश इसकी चूत मारने को मिले!” दुकानदार भी मेरी खूबसूरती पर फिदा होकर डिस्काउंट दे देते हैं। मेरे पति मेरी खूबसूरती पर मरते हैं। वो मेरे 38 इंच के बूब्स चूस रहे थे, जो बड़े, गोल और रसीले थे। धीरे-धीरे मुझे भी मज़ा आने लगा। पति मेरे बूब्स चूसते हुए मेरी चूत पर आए और अपना 8 इंच का मोटा लंड मेरी चूत में डाल दिया। वो मेरी बुर को चोदने लगे। मुझे शर्मिंदगी के साथ-साथ मज़ा भी आने लगा। कमरे का दरवाज़ा बंद होने से सब समझ गए होंगे कि हम ठुकाई कर रहे हैं। साठ दिन बाद पति मुझे घपाघप चोद रहे थे।

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मैं पूरी तरह नंगी थी और पति का लंड मेरी चूत में तेजी से अंदर-बाहर हो रहा था। मैं “आआआह… ईईई… ओह्ह्ह… अई… अई… मम्मी…” की सिसकारियाँ भरने लगी। मैंने पति को कसकर पकड़ लिया। वो मेरे चिकने, सेक्सी बदन पर लेटे थे, मेरे दूध पी रहे थे और तेजी से ठोक रहे थे। मेरी आँखें चुदाई के नशे में बंद हो रही थीं। पति का लंड मेरी चूत में ट्रेन की तरह चल रहा था। मैं “मम्मी… मम्मी… सी सी सी… हा हा हा… ऊँ ऊँ ऊँ… उनहूँ…” की कामुक आवाज़ें निकाल रही थी। पति का 8 इंच का लंड मेरी गुलाबी चूत को फाड़ रहा था। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।

पति ने तेज-तेज झटके मारे और मैंने अपनी चिकनी टाँगें उनकी कमर में लपेट दीं। मैंने उन्हें सीने से चिपका लिया। वो मेरी चूत को अपने मोटे लंड से फाड़ रहे थे। मैं जन्नत में थी। बीस मिनट तक वो मुझे पेलते रहे। सास बाहर से पुकारने लगीं, “अरी बहू, कहाँ गई? तेरी चाय ठंडी हो रही है!” मैं घबरा गई।

“सुनिए जी, बीस मिनट से आप पेल रहे हैं। माँ जी बुला रही हैं, प्लीज़ छोड़ दीजिए!” मैंने कहा, लेकिन पति नहीं माने। उनका माल नहीं झड़ रहा था। साठ दिन की भूख थी शायद। उन्होंने अपना लंड निकाला और मेरे बूब्स फिर से पीने लगे। मेरी निपल्स के चारों ओर काले घेरे बहुत सेक्सी लगते थे। पति मेरी चूचियों को ऐसे पी रहे थे जैसे पहली बार मिली हों। वो निपल्स को हल्के-हल्के काटते, मैं “उई… उई… माँ… ओह्ह्ह माँ…” बोलकर कमर उठा देती। सास बार-बार पुकार रही थीं, लेकिन पति मुझे बजा रहे थे।

पति मेरी रसीली चूचियों को चूस रहे थे। मुझे दूध पिलाने में मज़ा आ रहा था। फिर उन्होंने मेरी टाँगें खोलीं और दो उंगलियाँ मेरी चूत में डाल दीं। वो मेरे भोसड़े को तेजी से फेटने लगे। मैं पागल हो रही थी। “आआह… स्स्स… मम्मी… रुकिए ना!” मैंने कहा, लेकिन वो नहीं रुके। उनकी उंगलियाँ मेरी चूत की गहराई में थीं। मैं बार-बार अपनी गाँड उठा रही थी। आधे घंटे बाद मेरी चूत से सफ़ेद मक्खन निकला, जिसे पति ने चाट लिया। फिर उन्होंने मुझे घोड़ी बनाया। मैंने घुटने मोड़े और अपना 34 इंच का पिछवाड़ा माउंट एवरेस्ट की तरह उठा दिया। पति मेरे गोल, चिकने पुट्ठों को सहलाने और चूमने लगे। मैं “उ उ उ… ऊँ ऊँ… अहह्ह… सी सी सी… हा हा हा…” की सिसकारियाँ ले रही थी। साठ दिन बाद मुझे भी सेक्स का मज़ा मिल रहा था।

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“शबनम, जान, बाय गॉड! तुमसे हसीन औरत मैंने कभी नहीं देखी!” पति ने तारीफ की। मैं खुश हो गई। वो मेरे मुलायम पुट्ठों को चूमते और चाटते रहे। फिर उन्होंने मेरी चूत को पीछे से चाटना शुरू किया। उनकी जीभ मेरी चूत की हर कली को चूस रही थी। मैं सिसक रही थी, “आआह… ओह्ह… मम्मी…” पति ने अपना मोटा लंड मेरी चूत में डाल दिया और कुत्ते की तरह चोदने लगे। मैं अपने रसीले होंठ काट रही थी। मेरा शरीर जल रहा था। पति को मुझे घोड़ी बनाकर चोदना बहुत पसंद था। वो मेरे पुट्ठों को कसकर पकड़े हुए थे और पीछे से पेल रहे थे। मैं “उ उ उ… ऊँ ऊँ… अहह्ह… सी सी सी… हा हा हा…” चिल्ला रही थी। पैंतीस मिनट तक वो मुझे चोदते रहे, लेकिन उनका माल नहीं झड़ा। फिर वो बिस्तर पर लेट गए और मुझे अपनी कमर पर बिठाया।

“जान, अब मेरे लौड़े की सवारी कर!” पति ने कहा। मैं उनकी कमर पर बैठकर उनके 8 इंच के लंड की सवारी करने लगी। धीरे-धीरे मेरी कमर तेज हुई। वो भी नीचे से धक्के मारने लगे। आधे घंटे बाद वो मेरी चूत में झड़ गए। मैंने कपड़े पहने और सास के पास गई, लेकिन वो सो चुकी थीं और ननद कॉलेज चली गई थी।

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