नौकरानी खुद भी चुदी अपनी बेटी को भी चुदवाया मुझसे

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(18827)

मेरा नाम आकाश है, मैं दिल्ली में रहता हूँ। उम्र 24 साल, दिखने में ठीक-ठाक, गोरा, लंबाई 5 फीट 10 इंच, और कॉलेज में पढ़ाई कर रहा हूँ। दिल्ली की एक सोसाइटी में किराए के फ्लैट में रहता हूँ। फ्लैट छोटा-सा है, दो कमरे, एक किचन, और बाथरूम। अकेले रहता हूँ, तो घर का काम संभालने के लिए एक नौकरानी आती है, जिसका नाम कुसुम है। कुसुम 39 साल की है, लेकिन उसका बदन ऐसा है कि उम्र का अंदाजा लगाना मुश्किल है। गोरी, भरा-पूरा जिस्म, कसी हुई कमर, और चेहरा ऐसा कि किसी को भी दीवाना बना दे। उसकी चूचियाँ भारी और टाइट, गांड गोल और उभरी हुई, जैसे किसी मॉडल की हो। वो साड़ी पहनती है, जो उसके बदन को और भी सेक्सी बनाती है। लेकिन उसकी जिंदगी आसान नहीं है। उसका पति एक हादसे में अपाहिज हो चुका है, चल-फिर नहीं सकता। घर का सारा खर्चा कुसुम के जिम्मे है। वो मेहनती है, हमेशा हंसकर बात करती है, और उसकी आवाज में एक अजीब-सी मिठास है।

एक सुबह, कुसुम काम करने आई। उस दिन वो कुछ खास लग रही थी। लाल साड़ी, पारदर्शी, जिसके पीछे से उसका पेट और नाभि साफ दिख रही थी। हाफ स्लीव का ब्लाउज, जो उसकी चूचियों को टाइट पकड़े हुए था। ब्लाउज का गला इतना गहरा था कि जब वो झुकती, तो उसकी गहरी खाई साफ दिखती। उसने मेहंदी लगाई थी, बाल खुले थे, और चेहरे पर हल्का मेकअप। मैंने पूछा, “कुसुम, आज क्या बात है? इतनी सुंदर क्यों लग रही हो?” वो हंसते हुए बोली, “भैया, कल करवाचौथ था ना, तो थोड़ा सज-संवर लिया। मेहंदी लगवाई, फेशियल करवाया, बाल ठीक कराए। साल में एक दिन तो अपने लिए जी लेते हैं। गरीब आदमी को सुंदर दिखने के लिए भी पैसा चाहिए, जो हमेशा नहीं होता।” उसकी बात में दर्द था, लेकिन चेहरे पर हंसी। मैं उसकी सादगी और खूबसूरती में खो गया।

जब वो झाड़ू लगाने लगी, तो मैं उसकी हरकतों को गौर से देख रहा था। वो झुकती, तो उसकी चूचियाँ ब्लाउज से बाहर झांकने को बेताब थीं। उसकी साड़ी का पल्लू बार-बार सरक रहा था, और उसका नाभि वाला हिस्सा मेरे सामने चमक रहा था। मेरा लंड धीरे-धीरे टाइट होने लगा। मैंने सोचा, ये तो कयामत है! तभी कुसुम ने मुझसे कहा, “भैया जी, मेरे पति अब कुछ कमाते नहीं। घर का सारा खर्चा मेरे ऊपर है। आज मुझे 4 हजार रुपये की सख्त जरूरत है। क्या आप मेरी मदद कर सकते हैं?” मैंने मजाक में कहा, “कुसुम, मैं तो अपनी गर्लफ्रेंड को पैसे देता हूँ, क्योंकि वो मुझे मजे देती है।” ये सुनकर वो शरमाते हुए मुस्कुराई और बोली, “अच्छा? तो मैं भी आपको मजे दे सकती हूँ।” उसने साड़ी के पल्लू से मुँह ढक लिया, लेकिन उसकी आँखों में शरारत थी। मेरा दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। मैंने कभी किसी लड़की को इस नजर से नहीं देखा था, और अब कुसुम मेरे सामने थी, जैसे कोई खुला खजाना।

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मैंने तुरंत अलमारी खोली और 4 हजार रुपये निकालकर उसे दे दिए। वो बेड पर बैठ गई और बोली, “बताओ भैया, कैसा मजा चाहिए?” मैंने कहा, “कुसुम, तुम तो आज बहुत खूबसूरत लग रही हो। तुम्हारा पति तुम्हें देखता नहीं क्या?” वो उदास होकर बोली, “वो अब कमजोर हो गया है। मेरी तरफ देखता भी नहीं। भैया, आप मेरी थोड़ी मदद कर दो, मैं भी आपको किसी चीज की कमी नहीं होने दूँगी।” उसकी बात सुनकर मेरे बदन में आग-सी लग गई। वो मेरे पास आई, उसकी साड़ी का पल्लू सरक गया, और उसने मेरे करीब आकर मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए। उसका गर्म स्पर्श मेरे पूरे बदन में बिजली-सी दौड़ा गया। मैंने उसे बाहों में भरा, और हम दोनों के होंठ एक-दूसरे में खो गए। उसकी सांसें तेज थीं, और मेरे हाथ बेकाबू होकर उसके ब्लाउज के ऊपर उसकी चूचियों को दबाने लगे।

वो हल्के से कराहते हुए बोली, “भैया, जरा धीरे…” लेकिन उसकी आवाज में विरोध नहीं, बल्कि मस्ती थी। मैंने उसके ब्लाउज के हुक खोले, और उसकी भारी, टाइट चूचियाँ बाहर आ गईं। गोल, मुलायम, और निप्पल गहरे भूरे रंग के, जैसे कोई मिठाई। मैंने पहली बार किसी की चूचियों को इतने करीब से देखा था। मेरे हाथ कांप रहे थे। मैंने एक चूची को मुँह में लिया और निप्पल को धीरे-धीरे चूसने लगा। कुसुम की सिसकारियाँ शुरू हो गईं, “आह्ह… भैया… और चूसो…” उसने मेरे सिर को अपनी चूचियों में दबा लिया। मैं एक चूची को चूस रहा था, और दूसरी को हाथ से मसल रहा था। उसका बदन गर्म था, और उसकी सांसें मेरे कानों में मस्ती भरी आवाजें बन रही थीं।

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फिर वो बेड पर लेट गई। मैंने उसका पेटीकोट धीरे-धीरे ऊपर उठाया। उसकी जांघें गोल और चिकनी थीं, जैसे मक्खन। मैंने उसकी पैंटी को नीचे खींचा, और उसकी चूत मेरे सामने थी। काले-काले बालों से घिरी, बीच में गुलाबी दरार। मैंने उसकी टांगें चौड़ी कीं और उसकी चूत को गौर से देखा। मेरी धड़कनें तेज हो गईं। मैंने अपनी जीभ से उसकी चूत को चाटना शुरू किया। उसका स्वाद नमकीन और गर्म था। कुसुम कराह उठी, “आह्ह… भैया… क्या कर रहे हो… उफ्फ…” उसने मेरे सिर को अपनी चूत पर दबा लिया। मैं उसकी चूत को चाटता रहा, और वो सिसकारियाँ लेती रही। तभी उसने कहा, “बस करो भैया… अब लंड डालो… पागल कर दिया तुमने…”

मैंने अपने कपड़े उतारे। मेरा लंड, जो 6 इंच का है, पूरी तरह से टाइट था। मैंने उसे उसकी चूत के मुँह पर रखा और धीरे से धक्का दिया, लेकिन वो फिसल गया। कुसुम ने हंसते हुए मेरा लंड पकड़ा और अपनी चूत के छेद पर सेट किया। मैंने फिर धक्का मारा, और इस बार मेरा लंड धीरे-धीरे उसकी गर्म, गीली चूत में घुस गया। कुसुम के मुँह से सिसकारी निकली, “हाय… भैया… धीरे… आह्ह…” मैंने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। उसकी चूत टाइट थी, और हर धक्के के साथ उसका बदन हिल रहा था। वो अपनी गांड उठा-उठाकर मेरा साथ दे रही थी। “आह्ह… और जोर से… भैया… चोदो मुझे…” उसकी आवाज में वासना थी।

मैंने स्पीड बढ़ा दी। कमरे में फच-फच की आवाजें गूंजने लगीं। कुसुम की सिसकारियाँ तेज हो गईं, “उफ्फ… हाय… और तेज… आह्ह…” वो अपनी चूचियों को खुद ही मसल रही थी। मैंने उसके निप्पल को पकड़कर हल्का-सा खींचा, और वो चिल्ला उठी, “हाय… भैया… मार डालोगे क्या…” मैं लगातार धक्के मार रहा था। उसकी चूत गीली हो चुकी थी, और मेरा लंड आसानी से अंदर-बाहर हो रहा था। मैंने उसे और जोर से चोदा, और वो अपनी गांड को और ऊपर उठाकर मेरे धक्कों का जवाब दे रही थी। करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद कुसुम का बदन अकड़ने लगा। वो जोर से चिल्लाई, “आह्ह… भैया… मैं गई…” और उसका शरीर कांपते हुए झड़ गया। मैं भी अब रुक नहीं सका। मैंने एक गहरा धक्का मारा और सारा माल उसकी चूत में डाल दिया।

हम दोनों हांफ रहे थे। कुसुम ने मुझे गले लगाया और मेरे होंठों पर एक गहरा चुम्मा लिया। बोली, “भैया, मजा आ गया। ऐसा लगा जैसे जन्नत में हूँ।” मैंने हंसते हुए कहा, “कुसुम, तुम तो कमाल हो।” वो अपने कपड़े ठीक करके काम करने लगी और फिर चली गई।

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अगले दिन मैं उसका बेसब्री से इंतजार कर रहा था। सोच रहा था कि आज फिर वही मस्ती होगी। लेकिन कुसुम नहीं आई। उसकी जगह उसकी बेटी नैना आई। नैना 19 साल की थी, और उसकी खूबसूरती अपनी माँ से भी चार कदम आगे थी। गोरी, पतली कमर, लंबे बाल, और चेहरा ऐसा जैसे कोई मॉडल हो। उसने जीन्स और टाइट टॉप पहना था, जिसमें उसकी चूचियाँ साफ उभर रही थीं। मैंने पूछा, “नैना, कुसुम नहीं आई?” वो बोली, “नहीं भैया, माँ की तबीयत ठीक नहीं है। आज मैं काम करूँगी।” मैंने उसे गौर से देखा। वो किसी कामवाली की बेटी नहीं लग रही थी। उसकी आँखों में वही शरारत थी, जो कुसुम में थी।

मेरा दिमाग घूम गया। क्या नैना भी वही करेगी, जो कुसुम ने किया? मेरे मन में खयाल आने लगे। लेकिन ये कहानी यहीं रुकती है। अगली बार जब नैना काम करने आई, तो बातें आगे बढ़ीं, और जो हुआ, वो तो और भी वाइल्ड था। वो कहानी अगले हिस्से में।

आपको मेरी कहानी कैसी लगी? क्या आपको लगता है कि नैना भी अपनी माँ की तरह मस्ती करेगी? नीचे कमेंट में बताएँ!

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