पंकज ने आज सुबह से ही एक अलग ही योजना बना रखी थी। उसका मन हर बार की तरह एक बार फिर से अपनी भाभी, नीलम, पर अटक गया था। नीलम, जो उसकी भाभी होने के साथ-साथ उसके गांव की सबसे खूबसूरत औरतों में गिनी जाती थी, हमेशा उसकी नज़रों में रही थी। पंकज के मन में नीलम के लिए एक अनकहा आकर्षण था, जो वह हर बार छिपाने की कोशिश करता, पर आज उसका दिल कुछ और ही सोच रहा था।
नीलम का गोरा और सुडौल बदन, उसकी गोलाइयों से भरपूर काया, और सबसे खास उसकी आँखों में एक अलग सी चमक थी। पंकज का मन तो जैसे उसे देखकर हमेशा भटक जाता था। नीलम के लंबे काले बाल, गोरी रंगत, और उसकी हँसी में छिपी शोखी पंकज को हमेशा दीवाना बना देती थी। भाभी की कसी हुई कमर, उसकी गोल और मोटी जांघें, पंकज के दिल को हमेशा से धड़काने का काम करती थीं।
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आज पंकज को एक मौका मिल गया था, जब नीलम ने उसे खुद ही खेत पर साथ चलने को कहा। नीलम का इरादा तो शायद सिर्फ खेत के काम का था, लेकिन पंकज के दिमाग में कुछ और ही खिचड़ी पक रही थी। जैसे ही वह दोनों खेत पर पहुँचे, पंकज ने अपनी चालाकी से नीलम को खेत के उस हिस्से में ले गया, जहाँ कोई भी आसानी से नहीं पहुँच सकता था। खेतों के बीच में एक गुप्त कोना था, जहाँ दोनों के अकेले होने का मौका मिला।
पंकज ने मौके को हाथ से जाने नहीं दिया। नीलम की ओर देखते हुए उसने उसकी कमर के पास धीरे से अपना हाथ रखा। नीलम चौंक गई, पर उसने कुछ नहीं कहा। पंकज की हिम्मत बढ़ गई थी। उसने नीलम के कंधों को छुआ और फिर धीरे-धीरे उसके करीब जाने लगा।
“भाभी, तुम बहुत खूबसूरत हो,” पंकज ने धीरे से कहा, उसकी आवाज में चाहत की झलक साफ़ थी।
नीलम को इस तरह से पंकज का बोलना पसंद आया, लेकिन वह जानती थी कि वे खुले खेत में थे और किसी के भी देख लेने का खतरा था। उसने पंकज को धीमे से समझाया, “यहाँ कोई देख लेगा, पंकज, हम घर जाकर बात करते हैं।”
लेकिन पंकज का दिल अब रुकने का नहीं था। “भाभी, यहां कोई नहीं है, मैं देख चुका हूँ। बस थोड़ी देर… तुम्हारे बिना अब नहीं रहा जाता।”
नीलम की नज़रें थोड़ी झुकीं, वह कुछ कहने वाली थी कि तभी पंकज ने उसके होंठों पर अपनी उँगली रख दी। “चुप, बस एक बार, भाभी।” और फिर उसने बिना कुछ कहे नीलम के होंठों को अपने होंठों में समा लिया।
पंकज ने धीरे-धीरे अपनी उंगलियों से नीलम की साड़ी के पल्लू को उसके कंधों से हटाया और उसकी कमर को मजबूती से पकड़ा। उसका दिल जोर से धड़क रहा था, और उसके होश उड़े हुए थे। उसने नीलम की साड़ी को कुछ इस तरह से उठाया कि उसकी पूरी जांघें दिखाई देने लगीं। अब तक दोनों के दिलों की धड़कनें बहुत तेज हो चुकी थीं।
नीलम के पास अब कोई रास्ता नहीं था, उसे पंकज के इरादों का अहसास हो चुका था। लेकिन इस माहौल में वह भी खुद को रोक नहीं पाई।
पंकज ने नीलम की जांघों को अपने हाथों में पकड़ते हुए महसूस किया कि उसकी भाभी भी अब इस खेल का हिस्सा बनने के लिए तैयार हो चुकी थी। उसने बिना कुछ कहे धीरे-धीरे अपनी उंगलियों को उसकी जांघों पर ऊपर-नीचे फिराना शुरू कर दिया। नीलम की सांसें तेज हो चुकी थीं, और उसके होंठों से हल्की सिसकारियां निकल रही थीं।
पंकज ने नीलम को बिना पूरी तरह से कपड़े उतारे ही और ज्यादा पास खींच लिया। वह जानता था कि खुले खेत में यह खतरे से खाली नहीं था, लेकिन उसे यह जोखिम उठाने में बहुत मज़ा आ रहा था। उसने नीलम की साड़ी को उसके कमर से थोड़ा और ऊपर कर दिया, जिससे उसकी गोरी और मुलायम जांघें पूरी तरह से दिखाई देने लगीं।
नीलम ने अपनी नज़रें इधर-उधर घुमाई, यह देखने के लिए कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा, लेकिन पंकज ने उसे और ज्यादा अपनी ओर खींचते हुए कहा, “भाभी, डरने की कोई जरूरत नहीं है। हम यहाँ अकेले हैं। बस कुछ ही देर की बात है।”
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फिर पंकज ने नीलम के कंधों को अपने हाथों से दबाया और धीरे-धीरे उसे खेत के एक किनारे की तरफ ले गया। नीलम के पास अब कोई विकल्प नहीं बचा था, उसकी चाहत अब शर्म पर हावी हो चुकी थी। पंकज ने नीलम की पीठ पर हाथ रखा और उसे झुकाते हुए उसकी साड़ी को ऊपर कर दिया, जिससे उसकी गुलाबी चूत पूरी तरह से दिखाई देने लगी।
पंकज का दिल अब जोरों से धड़क रहा था। उसने अपनी पैंट को थोड़ा नीचे सरकाया और अपने लंड को नीलम की जांघों के बीच रखा। नीलम की सांसें तेज हो रही थीं, और उसकी चूत में भी गीलापन महसूस होने लगा था।
“भाभी, तुम सच में बहुत मस्त हो,” पंकज ने धीरे से कहा और फिर अपने लंड को नीलम की चूत के करीब ले गया। उसने नीलम की चूत को हल्के-हल्के सहलाया और फिर धीरे से अपने लंड का टोपा उसमें डाल दिया।
नीलम ने एक लंबी सिसकारी ली और पीछे मुड़कर पंकज की तरफ देखा। उसके होंठों से एक हल्की कराह निकल रही थी, लेकिन उसकी आँखों में अब एक अलग ही चमक थी। “ध्यान से, पंकज,” उसने धीमी आवाज़ में कहा, “दर्द हो रहा है।”
लेकिन पंकज अब अपने आप को रोक नहीं पा रहा था। उसने धीरे-धीरे और अंदर धकेला और नीलम के चूतड़ को अपने दोनों हाथों से कसकर पकड़ लिया। उसकी भाभी की चूत अब पूरी तरह से उसके लंड में समा चुकी थी।
खुले खेत में दोनों का यह खेल जोरों पर था। नीलम बार-बार पीछे मुड़कर देखती, लेकिन उसकी जांघों में पंकज की ताकतवर धक्कों का असर साफ़ दिख रहा था। खेत की हवा में उनकी सिसकारियों की आवाज़ें घुल रही थीं, और दोनों के शरीर पसीने से तरबतर हो चुके थे।
पंकज अब तेजी से धक्के मार रहा था, और नीलम ने अपने हाथों से एक पेड़ की टहनी को कसकर पकड़ लिया था। उसकी आंखें बंद थीं और उसका पूरा ध्यान पंकज के धक्कों पर था।
“पंकज… और जोर से,” नीलम ने अपने होंठों से धीमी सी आवाज़ में कहा, उसकी सांसें अब बेकाबू हो चुकी थीं। पंकज ने उसकी बात मानते हुए और जोर से धक्का मारा। अब दोनों के शरीर एक दूसरे से बुरी तरह से टकरा रहे थे, और उनकी उत्तेजना अपनी चरम सीमा पर थी।
अब पंकज ने अपनी गति को और तेज कर दिया। नीलम की चूत अब पूरी तरह से भीग चुकी थी और उसकी आवाज़ें तेज होती जा रही थीं। नीलम ने अपनी जांघों को और फैलाया और पीछे मुड़कर पंकज को देखने लगी। उसकी आँखों में अब सिर्फ और सिर्फ वासना की चमक थी।
“पंकज… रुको मत… और करो,” नीलम ने बेकाबू होकर कहा, उसकी आवाज़ में उत्तेजना की झलक साफ़ थी। पंकज ने उसकी आवाज़ सुनते ही और तेज धक्के मारना शुरू कर दिया। नीलम का पूरा बदन अब कांप रहा था।
खुले खेत में दोनों का यह खेल जारी था। किसी भी वक्त कोई उन्हें देख सकता था, लेकिन इस खतरे ने उनके रोमांच को और भी बढ़ा दिया था। पंकज के धक्कों से नीलम की चूत अब पूरी तरह से खुल चुकी थी और वह बार-बार गहरी सिसकारियां भर रही थी।
“आह… पंकज… ” नीलम ने कांपते हुए कहा। पंकज ने उसकी बात सुनते ही अपने आखिरी कुछ धक्के और मारे, और फिर एक ज़ोरदार झटके के साथ दोनों एक साथ झड़ गए।
पंकज ने अपनी भाभी को कसकर पकड़ रखा था, जबकि नीलम ने अपना सिर उसके कंधे पर रख दिया था। दोनों की सांसें तेज थीं और उनके बदन पसीने से भीग चुके थे।
“भाभी, तुम तो कमाल की हो,” पंकज ने हांफते हुए कहा। नीलम ने भी मुस्कुराते हुए उसकी ओर देखा। अब दोनों शांत हो चुके थे, लेकिन उनके चेहरों पर संतुष्टि की झलक साफ़ दिख रही थी।
थोड़ी देर तक वहीं खेत में बैठकर दोनों एक दूसरे को देखे जा रहे थे। नीलम ने अपनी साड़ी ठीक की और फिर पंकज के पास बैठ गई। “अब हमें वापस चलना चाहिए, पंकज। कोई देख लेगा तो मुसीबत हो जाएगी,” नीलम ने धीरे से कहा।
पंकज ने सिर हिलाया और दोनों ने खेत से बाहर निकलने का फैसला किया। लेकिन इस अद्भुत अनुभव के बाद, नीलम और पंकज दोनों के दिलों में एक अनकहा रिश्ता बन चुका था। वे जानते थे कि यह खेल यहीं खत्म नहीं होगा।
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खेत के उस कोने से बाहर निकलते वक्त, दोनों की आँखों में वही आग थी, जो इस रिश्ते को और आगे बढ़ाएगी। नीलम के चेहरे पर संतुष्टि का भाव था, और पंकज के मन में फिर से वही ख्याल आने लगा, कि अगली बार फिर से भाभी के साथ यह खेल कब होगा।
अंततः, दोनों ने खेत से बाहर निकलकर फिर से सामान्य जीवन की तरफ बढ़ने का फैसला किया, लेकिन उनके दिलों में उस लम्हे की यादें हमेशा ज़िंदा रहेंगी।
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