Devar Bhabhi Chudai Kahani :मेरी चुदाई से माँ बनी फुफेरी भाभी

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Devar Bhabhi Chudai Kahani :

यह कहानी मेरी बुआ के छोटे लड़के की बीवी यानि मेरी भाभी की है. मेरी बुआजी हनुमानगढ़ में रहती हैं. अक्सर काम के सिलसिले में मेरा हनुमानगढ़ जाना होता रहता है. मैं जब भी हनुमानगढ़ जाता हूँ, भाभी को जरूर चोदता हूँ. वो भी मुझसे बहुत प्यार करती हैं.

भाइयो, मेरी भाभी की कुछ बातें आप लोगों बताता हूँ. उसके बिना कहानी में मज़ा नहीं आएगा.

मेरी भाभी का नाम सलोनी है. बिल्कुल नाम की तरह उनका बदन भी बहुत सलोना है. वो गांव से हैं, इसलिए बहुत शर्मीले स्वभाव की हैं. भाभी दिखने में दूध सी गोरी हैं, उनकी बॉडी एकदम स्लिम है, इसलिए उनके स्तन ज्यादा बड़े नहीं है. भाभी का फिगर 30-28-32 का है और उनकी हाईट 5 फुट 2 इंच है.

मैं दिखने में 6 फिट का जवान लौंडा हूँ. मेरा लंड भी 7 इंच लम्बा है, जो काफी मोटा भी है. मैं स्कूल टाइम से ही योग आदि करता रहा हूँ, जिससे मेरा बॉडी की स्टेमिना बहुत अच्छी है.

आप सभी दोस्तों को मैं ये बोलना चाहूँगा आप सभी को योगा करना चाहिए. इसका असर आप हर क्षेत्र में खुद ही देखेंगे. ये तो हुई मेरी बात.

अब मैं मेरे भाई के बारे में एक लाइन में लिख दूँ. उनका नाम सनी है. वो काम कुछ नहीं करता है और दिखने में बहुत मोटा है. पता नहीं ऐसे चूतियों को इतनी सुंदर बीबियां कहां से मिल जाती हैं.

भाभी को शादी के 3 साल बाद तक कोई औलाद नहीं हुई थी, जिसके कारण उन्हें घर वालों की बहुत बातें सुनना पड़ती थीं. मेरी बुआ उन्हें पीठ पीछे बांझ तक बोल देती थीं. मेरा भाई भी भाभी से बहुत झगड़ा करता था. वो कई बार भाभी को डॉक्टर के पास भी ले गया, पर साले ने खुद कभी अपने शरीर की कभी जांच नहीं करवाई.

मैं भाभी से उनकी शादी से पहले ही काफी हिल-मिल चुका था, इसलिए हम दोनों में काफी अच्छी दोस्ती थी.

वो अक्सर मुझसे फोन पर बातें करती रहती थीं. अपने सुख दुख को मुझसे सुनाती रहती थीं. उनकी बातें सुन कर मुझे उन पर बहुत दया आती थी.

मैंने कई बार उनसे बोल दिया था कि भाभी काश आपकी शादी मुझसे हुई होती, तो मैं आपको कभी कोई तकलीफ नहीं होने देता. पर वो मेरी इस बात को मजाक समझ कर इग्नोर कर देती थीं. पर मैं दिल से ये बात सच बोलता था.

दोस्तों मेरे अन्दर भाभी के लिए दिल से फीलिंग्स आती थी. मैं उनसे बहुत प्यार करता था.

एक दिन रात में भाभी का फोन आया. उन्होंने रोते हुए कहा- दीपक तुम अभी कहां हो?
मैंने बोला- भाभी मैं घर पर हूँ.
वो बोलीं- क्या तुम मुझसे प्यार करते हो?

मैं भाभी की बात इस अंदाज में सुनकर एक पल के लिए तो हिल गया.

मैंने भाभी से बोला- भाभी क्या हुआ है … आप रो क्यों रही हो? मैं आपसे दिल से प्यार करता हूँ, ये आपको मालूम भी है, पर आज आप मुझसे ये इस तरह क्यों जानना चाह रही हो?
उन्होंने बोला- मैं तुम्हारे भाई और उनके घर वालों से बहुत परेशान हो गई हूं … या तो तुम इन सबको समझा दो … या मैं सुसाइड कर लेती हूँ.

मैंने सीधा उनका नाम ले कर बोला- सलोनी, पागलों जैसी बातें मत करो और मुझे बताओ कि हुआ क्या है?
भाभी ने कहा- तुम्हारे भाई की कमियों के कारण में माँ नहीं बन पाती और सब मुझे बांझ बुलाते हैं. अब मैं और नहीं सह सकती … क्या तुम मुझे अपनाओगे. … तुम हमेशा बोलते हो कि अगर मैं तुम्हारी बीवी होती, तो मुझे कोई तकलीफ नहीं होने देते. आज मैं तुम्हारी होने के लिए तैयार हूं … आ जाओ हम दोनों इन सबसे कहीं दूर भाग चलते हैं.

अब मेरी फट गई. हालांकि मेरे अन्दर भाभी के लिए फीलिंग थी, पर एक शादी-शुदा औरत के साथ भागना, वो भी भाभी के साथ … ये मुझे ठीक नहीं लगा.

मैंने भाभी को हर तरह से समझाया, बहुत देर तक समझाया. तब जा कर वो मानी. मैंने उनसे कहा- भाभी आपको अगर बच्चा ही चाहिए, तो वो तो ऐसे भी हो सकता है.
उन्होंने बोला- ठीक है, पर नहीं हुआ और मुझमें ही कोई कमी निकली … तो क्या होगा?
मैंने बोला- अगर ऐसा हुआ, तो मैं सच में तुम्हें भगा कर कहीं ऐसी जगह ले जाऊंगा, जहां कोई अपने को कोई नहीं जानता होगा.

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मेरी इस बात से भाभी खुश हो गईं.

इसके बाद कुछ दिनों तक हमारी फोन पर बच्चे को लेकर कुछ ज्यादा ही बातें होने लगी. इसी विषय पर मेरी भाभी से सेक्स की बातें भी होने लगीं.
एक दिन मैंने भाभी से कहा- भाई को दुकान जाने के लिए मनाओ, फिर देखना तुम कैसे प्रेग्नेंट होती हो.

मेरी बुआ जी की किराने की दुकान है, जो घर से 10 किलोमीटर दूर मालवा मिल के पास है. भाई दुकान पर नहीं जाता था, जिस कारण भाभी को एकांत नहीं मिल पाता था.

भाभी ने जल्द ही भाई को दुकान पर बैठने के लिए मना लिया. अब भाई और बुआजी दोनों दुकान पर बैठने लगे. वे दोनों दुकान से रात में 9 बजे घर आते.

मैंने लिखा है कि ये कहानी मेरी बुआ जी के छोटे लड़के की है, उनका एक बड़ा बेटा भी था … जो अब इस दुनिया में नहीं है. मेरी बुआ जी, जो कि 50 साल के लगभग की होंगी, उनके पति भी कुछ साल पहले भगवान को प्यारे हो चुके थे. जिस कारण बुआ अकेले ही दुकान सम्भालती थीं.

अब जब बुआ और भाई दुकान सम्भालने लगे, तो भाभी घर पर अकेली रहने लगीं. जिससे मैं मौके की तलाश में रहने लगा था.

एक दिन सोमवार की रात में मैं बुआ जी के घर पहुंचा. मुझे देख कर सभी लोग खुश हो गए. बुआ ने मुझे खूब प्यार दिया. भाई ने भी मुझे दारू ऑफर की. पर भाभी की नज़रें मुझसे नहीं हट रही थीं. उस रात में भाभी के साथ मेरा कुछ नहीं हो पाया. उस रात तो मैं यूं ही सो गया.

सुबह भाई और बुआ जी दुकान के लिए निकलने वाले थे. पर बुआ जी मेरे कारण रुक गईं. मेरा तो दिमाग़ ही खराब हो गया. मुझे लगा शायद मुझे कुछ और सोचना पड़ेगा. मैं 2 दिन के हिसाब से वहां गया था.

उस दिन 12 बजे भाई खाने के लिए घर आया. हम दोनों ने खाना खाया.

तभी सनी ने बुआ जी से बोला- मम्मी, आप दुकान चल सकती हो क्या?
बुआ ने पूछा- क्यों?
भाई बोले- आज दुकान पर लड़का भी नहीं आया है. काम ज्यादा होने के कारण दुकान पर बहुत दिक्कत आ रही है. अगर आप चल चलतीं, तो मदद हो जाती.
बुआ जी ने मुझसे कहा- तू सनी के साथ चला जा.
मैंने बोला- बुआ मुझे भी बस निकलना ही है. मुझे सियागंज में कुछ काम है.

अब बुआजी को ही जाना पड़ा. उनके जाने की तय होते ही मेरी तो जैसे मन की मुराद पूरी हो गई थी.

अब घर में भाभी और मैं ही रह गए थे. भाई और बुआ जी के जाते ही भाभी आकर मुझसे चिपक गईं. मैंने भी उन्हें पूरी शिद्दत के साथ अपनी बांहों में जकड़ लिया. मैं उनके मीठे और रसीले होठों का रसपान करने लगा. भाभी मुझसे ऐसे चिपक गई थीं, मानो वो जैसे मुझमें समा जाने की कोशिश कर रही हों.

उनका ये समर्पण देख कर मैंने उन्हें ‘आई लव यू सलोनी …’ बोल दिया.

उन्होंने भी मेरे प्यार को प्यार से स्वीकार करते हुए ‘आई लव यू टू दीपक …’ बोल दिया. भाभी ने कहा- दीपक मैं बहुत प्यासी हूँ … आज मेरी प्यास को अपने प्यार के पानी से बुझा दो.

भाभी ने साड़ी पहन रखी थी. मैंने उन्हें पहले भी कई बार स्पर्श किया था. पर उस समय जो अनुभव मुझे हुआ, वो तो शब्दों में लिखना संभव ही नहीं है. मैंने कभी खुद को इतना उत्तेजित होते हुए कभी नहीं महसूस किया था. मेरा लिंग पेंट फाड़ कर बाहर आने को हो रहा था.

मैं उनके ऊपर चढ़ने को आतुर हो गया.

तभी मुझे भाभी ने रोकते हुए कहा- यहां हॉल में नहीं … आओ बेडरूम में चलते हैं.

मैंने भाभी को छोटे बच्चे की तरह गोद में उठा लिया और उन्हें बड़े प्यार से रूम में ले गया. मैं भाभी को बेड पर लेटा के उन्हें बेइंतेहा चूमने लगा. वो भी मेरा साथ बिल्कुल एक प्रेमिका की तरह दे रही थीं.

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अब तक मैंने भाभी के शरीर से उनके कपड़ों को अलग करना चालू कर दिया था. पहले मैंने भाभी की साड़ी को खींचा. फिर ब्लाउज़ और अंत में पेटीकोट उतार कर उन्हें सिर्फ ब्रा और पेंटी में ले आया. सच में बड़ा ही कमाल का दृश्य था. मेरी भाभी मेरे सामने सिर्फ ब्रा और पेंटी में थीं.

मैंने भी अपने सारे कपड़ों को 2 मिनट में उतार फेंका. मेरा 7 इंच का लंड मानो आज मुझे ही बहुत बड़ा दिखने लगा था.

भाभी मेरे लंड को चोर नज़रों से निहार रही थीं.
मैंने इशारे से पूछा- क्या देख रही हो?
भाभी ने शरमा के हाथों से मुँह छुपा लिया.

फिर मैंने भाभी के स्तनों को ब्रा से अलग किया और उनके छोटे छोटे स्तनों पे मुँह लगा दिया. भाभी अब बल खाने लगीं. मैं उनके स्तनों से नीचे कमर और पेट पर चुम्बन करने लगा. उनके शरीर पर इतनी उत्तेजना चढ़ गई थी कि वो कांपने लगीं.

मैंने अपने दांतों से उनकी पेंटी उतारी और उनकी बिल्कुल साफ क्लीन शेव चुत देखी, तो मुझसे रहा नहीं गया. उनकी चूत लगभग गीली हो गई थी. उस पर टूट पड़ा. मैंने जैसे ही उनकी चुत पर मुँह लगाया, वो एकदम से उछल पड़ीं.

मैंने पूछा- क्या हुआ?
भाभी ने बोला- पहली बार किसी ने मेरी चुत पर अपने होंठों से प्यार किया है.

उनकी ये बात सुन कर मुझे और जोश आ गया. मैंने अपनी जीभ से उनके दाने को छेड़ना शुरू कर दिया.

बस दो मिनट ऐसा करने से ही भाभी झड़ गईं. उनकी चुत से नमकीन पानी निकलने लगा. मैंने सारा पानी पी लिया.

अब मैंने भाभी को बोला- भाभी, आप मेरे लंड को प्यार नहीं करोगी?
उन्होंने मुझसे कहा- मैंने कभी ऐसा नहीं किया.
मैंने बोला- अगर आप की इच्छा नहीं है, तो रहने दो.

पर प्रेमवश उन्होंने मेरे लंड को सहलाना शुरू कर दिया. कुछ पल बाद भाभी ने मेरे लंड का ऊपरी भाग अपने मुँह में ले लिया. उनके दाँत मुझे मेरे लंड पर महसूस हो रहे थे. मैं समझ गया कि भाभी सच में पहली बार किसी लंड को मुँह में ले रही हैं.

मैंने उन्हें अपनी ओर खींचा और अपने ऊपर लेटा लिया. मैंने भाभी को लम्बा लिप किस किया. फिर मैंने जैसे ही उनकी गर्दन पर किस किया, तो भाभी मदहोश होने लगीं. शायद वो उनका हॉट-स्पॉट था.

भाभी अब बड़ी तेजी से गर्म होने लगीं और मुझे किस करने लगीं.

भाभी कभी मेरे होंठों पर, कभी गालों पर और सीने पर चूमे जा रही थीं. इसके साथ ही भाभी मेरे लंड को पूरे मनोयोग से मुँह में लेकर अच्छे से चूसने लगी थीं. मैंने भाभी को 69 की पोजीशन में ले लिया और उनकी चुत चाटने लगा.

कुछ देर ऐसे ही करने के बाद मैंने भाभी को बोला- भाभी अब असली काम के लिए तैयार हो जाओ.

मैंने उन्हें सीधा लेटा दिया और उनकी गांड के नीचे तकिया लगा दिया. फिर भाभी की चुत के ऊपर वैसलीन लगा कर उसे चिकना कर दिया. साथ ही मैंने अपने लंड पर भी खूब सारी वैसलीन मल ली. फिर मैं भाभी की चुत पर अपने लंड को रगड़ने लगा.

भाभी अब तक पूरे जोश में आ गई थीं. वो बोलीं- दीपक अब और न तड़पाओ … जल्दी से डाल दो अपना लंड मेरी प्यासी चुत में.
मैंने लंड को चुत पर सैट किया और एक झटका दे मारा. मेरे लंड का सुपारा भाभी की चुत में घुस गया था.

भाभी ने इतनी मस्त अहह भरी कि मजा आ गया. उनकी चुत मुझे काफी तंग लग रही थी. इसलिए मैंने बिना रुके दूसरे झटके में लगभग आधा लंड मेरी भाभी की चुत में डाल दिया.

भाभी की आंखों से आंसू आने लगे, पर उन्होंने कमाल का कन्ट्रोल कर रखा था.
मैंने पूछा- भाभी आपको दर्द हो रहा हो, तो मैं रुक जाता हूँ. उन्होंने इशारे से ना बोलते हुए मुझे आगे करने की परमिशन दे दी.

एक झटके में मैंने अपना पूरा लंड भाभी की चुत की गहराई में उतार दिया. भाभी इस बार अपने कंट्रोल पर कंट्रोल नहीं कर पाईं और जोर से चिल्ला उठीं- उम्म्ह… अहह… हय… याह… मार डाला रे दीपक … अहह अहह मर गई … निकालो इसे बाहर!

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सच में दोस्तो, भाभी की चुत इतनी टाइट थी कि मेरे लंड का सुपारा भी छिल गया था और मुझे भी जलन महसूस होने लगी थी. पर मैंने उसी अवस्था में भाभी के होंठ पर अपने होठों को लगा दिया. जिससे कुछ ही पलों में उन्हें थोड़ा आराम मिल गया.

भाभी थोड़ी बेसुध सी हो गई थीं, अभी भी उनकी आंखों से आंसू आ रहे थे. उनका बदन थर थर कांप रहा था. मैं ऐसे ही उन्हें एक मिनट तक किस करता रहा. उन्हें अब अच्छा लगने लगा था.

उन्होंने अपनी आंखों से आंसू पौंछे और मुझे किस करने लगीं.
भाभी मुझसे बोलीं- दीपक तुम सच में मर्द हो … तुमने आज मुझे पूरा कर दिया. अब से मेरे इस शरीर पर सिर्फ़ तुम्हारा राज होगा.

मैंने अपने लंड को थोड़ा बाहर खींचा और वापस अन्दर तक डाल दिया. भाभी फिर ‘अहहह..’ के साथ उचक गईं.
भाभी बोलीं- थोड़ा आराम से जान …
उनके मुँह से जान शब्द सुन कर मुझे भी बड़ा अच्छा लगा और मैं धीरे धीरे भाभी को चोदने लगा.

अब वो भी मेरे लंड का स्वागत अपनी चुत उठा कर कर रही थीं. मेरा लंड उनकी बच्चेदानी से टकरा रहा था. मैंने थोड़ी स्पीड तेज कर दी.
भाभी भी मजे से ‘अहह अहह … चोदो दीपक … और अन्दर तक चोदो … अहह हम्म्म … उइईई … सीईईई..’ कहने लगीं.

कुछ ही धक्कों में भाभी चरम तक पहुंच गईं और कांपने लगीं. उनकी आंखें चढ़ गई थीं और वो मदहोश होकर झड़ने लगी थीं. उनका झड़ना मुझे साफ महसूस हो रहा था. मैंने धक्के मारना बंद नहीं किया बल्कि और तेजी से उन्हें चोदने लगा. उनकी गर्मी से मुझसे भी रहा नहीं गया और मैं भी उनकी चुत में झड़ने लगा. मैंने भाभी की चुत को अपने वीर्य से भर दिया और उसी अवस्था में भाभी पर गिर गया.

कुछ देर के बाद हम लोग उठे और बाथरूम में गए. मैंने उन्हें सुसु करते हुए देखा. हम दोनों ने साथ नहाया और मैंने भाभी को शॉवर के नीचे घोड़ी बना कर चोदा.

अब तक शाम के 6 बज गए थे. हमें पता भी नहीं चला.

मैंने लगातार भाभी को उस दिन चार बार चोदा. उनकी गांड भी मारने की कोशिश की, पर उनकी गांड बहुत ज्यादा ही टाइट थी, इसलिए उसे छोड़ दिया.

फिर मैं तैयार होकर भाभी को किस दे कर वापस अपने घर भोपाल आ गया.

उसी महीने मेरी बुआजी खूब बीमार पड़ गईं और मुझे सनी ने भाग दौड़ के लिए हनुमानगढ़ बुला लिया.

इसी बीच में भाभी को लगभग 20 दिनों तक रोज चोदता रहा. उनकी गांड को भी खोल दिया.

एक दिन भाभी ने मुझसे बोला कि मेरा महीना नहीं आ रहा है. टाइम भी निकल गया है.
मैंने बोला- डॉक्टर को बताओ.

दूसरे दिन ही भाई और भाभी उसी हॉस्पिटल में गए, जहां बुआजी थीं. वहीं भाभी का चेकअप कराया.
डॉक्टर सनी से बोली- खुश खबरी है … आपकी बीवी प्रेग्नेंट हैं.

भाई को तो यकीन ही नहीं हुआ और जब हुआ, तो उनकी और बुआजी की खुशियां देखते बन रही थीं. भाभी को भी मैंने इतना खुश, बस चुदाई के टाइम ही देखा था. भाभी ने आंखों से मुझे बहुत शुक्रिया किया.

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