आरव और सरिता हाल ही में रिलेशनशिप में आए थे और वे अपने पहले सेक्स को यादगार बनाना चाहते थे। शहर की भीड़-भाड़ से दूर, वे एक शांत और एकांत जगह की तलाश में जंगल की ओर निकल पड़े। जंगल के भीतर उन्हें एक पुराना, सुनसान बंगला दिखाई दिया, जो रहस्य और सन्नाटे से भरा हुआ था।
अंदर जाते ही दोनों को बंगले का माहौल थोड़ा डरावना, पर रोमांचक भी लगा। एक कमरे में एक पुराना सा बेड था, जिसके आसपास की दीवारों पर धुंधली सी सीलन की परत थी। सरिता की सुंदरता उस कमरे में और भी निखर रही थी। उसकी उत्तेजना जो उसकी आकर्षक फिगर को उभार रहा था। उसके गोल गोल कूल्हे, उभरे हुए बूब्स, और मासूम चेहरा आरव को सम्मोहित कर रहे थे।
बिस्तर पर बैठते ही दोनों एक-दूसरे के करीब आ गए। माहौल में एक अजीब-सी गर्माहट थी, और सरिता की मुस्कुराहट और उसकी आंखों की चमक आरव को और पास खींच रही थी। दोनों ने एक-दूसरे में खोकर कुछ वक्त बिताया, और उनकी नज़दीकियां बढ़ती चली गईं।
आरव ने सरिता को बेड पर लेटा दिया.
सरिता अभी भी बहुत शर्मा रही थी और पर उसके चेहरे की मीठी मुस्कान से पता चल रहा था कि वह भी खुश थी और यही चाहती थी।
आरव भी उसके ऊपर लेट गया, और उसे पूरे चेहरे पर किस करनी शुरू कर दी।
वह भी पूरा साथ दे रही थी।
आरव ने 10 मिनट तक उसके होंठ चूसे।
इसके बाद उसने सरिता को शर्ट उतारने को कहा.
तो उसने कहा- थोड़ी देर बाद उतारती हूँ।
आरव ने उसको अपनी बांहों में भर लिया और उसकी गर्दन, चेहरे, आँखों पर किस करना शुरू कर दिया।
आरव ने शर्ट के अंदर से ही उसकी चूचियां छेड़ना शुरू कर दिया।
आरव का लंड भी अब पूरी तरह से खड़ा हो गया था और नीचे से उसकी चूत को टच कर रहा था।
आरव ने उसे थोड़ा सा खड़ा किया और उसको शर्ट उतारने को कहा तो उसने कहा- खुद ही उतार लो।
पीछे से आरव ने सरिता के कमीज की जिप खोली और उसके कंधे पर से थोड़ा कपड़ा हटाया तो उसकी ब्रा के स्ट्रेप दिखने लगे।
आरव ने वहाँ कंधों पर उसे किस किया।
वह बहुत ही गर्म होती जा रही थी।
आरव ने पूरा शर्ट उतार दिया. अब उसकी ब्रैस्ट सामने आ गई थी।
उसने काले रंग की ब्रा पहनी हुई थी।
आरव ने ब्रा के ऊपर से किस करना शुरू कर दिया.
वह भी गर्म हो रही थी, आरव के बालों में हाथ फेर रही थी और अपने ब्रैस्ट पर ज़ोर से दबा रही थी।
आरव पीछे से ब्रा की स्ट्रैप को खोल दिया और उसको ऊपर से पूरी नंगी कर दिया।
फिर से उसने उसको अपनी बांहों में लिया और उसके होंठों को बहुत अच्छे से चूसने लगा।
उसने आरव को भी अपनी टीशर्ट खोलने के लिए कहा।
आरव ने अपनी टीशर्ट उतारी और उसकी छाती से अपनी छाती मिला दी उसके ऊपर लेट कर!
सरिता ने कहा कि उसे बहुत मज़ा आ रहा है. वह नहीं चाहती कि ये पल कभी खत्म हों!
हम बस ऐसी ही एक दूसरे को प्यार करते रहे।
आरव थोड़ा सा नीचे हुआ और उसकी छाती पर किस करने लगा लेकिन उसे निप्पल को किस नहीं किया और ना ही हाथ लगाया।
वह उसको पूरी तरह से गर्म करना चाहता था और उसको पूरा मज़ा देना चाहता था।
उसके वक्ष के साथ आरव 10 मिनट अच्छे से खेला।
लेकिन उसके निप्पल को नहीं छुआ।
वह थोड़ा सा नीचे हुआ और उसके पेट और किस करने लगा।
तब आरव ने सरिता को उल्टा कर दिया।
इससे उसकी पीठ आरव की तरफ हो गई थी।
आरव ने उसकी कमर पर बहुत सारे किस किये।
वह किसी मछली की तरह तप रही थी। और उसकी कमर चूमते चूमते आरव ने गीली कर दी थी।
तब आरव ने उसे सीधा किया और उसके मुँह में जीभ डाल कर उसको किस किया।
वह भी वैसे ही किस कर रही थी।
उसने आरव से कहा- अब और मत तड़पाओ, इतना प्यार मत करो मुझसे कि मैं तुमसे दूर ही न रह पाऊं।
आरव ने उसे 5 मिनट अच्छे से किस किया और कहा- तुम बहुत ही अच्छी लग रही हो।
वह थोड़ा नीचे हुआ और उसके एक निप्पल को मुँह में भर लिया।
इस तरह अचानक हुए हमले से सरिता तड़पकर रह गई।
ऐसा लग रहा था कि वह नीचे से भी गीली हो रही हो क्योंकि वह अपनी टांगों को बहुत ज़ोर से हिलाने लग गई थी।
आरव ने कुछ देर तक उसके एक निप्पल को चूसा और दूसरों को हाथों से छेड़ता रहा।
फिर उसने दूसरे निप्पल को मुँह में ले लिया।
आरव किसी छोटे बच्चे की तरह आज उसके निप्पल चूस रहा था।
आज शायद पहली बार किसी ने उसके निप्पल को चूसा था और वह बहुत बुरी तरह से गर्म हो रही थी।
उसकी सलवार खोल कर जैसे ही आरव ने नीचे सरकाई, उसकी आँखें बंद हो गई।
वह सरिता का रिएक्शन देखना चाहता था।
आज कोई पहली बार उस चूत को देख रहा था पर अभी भी वह एक परदे में थी, पैंटी में थी।
आरव ने उसकी काली पैंटी पर किस करनी शुरू कर दी.
लेकिन उसकी योनि के पास से कुछ नहीं छेड़ा।
उसने आरव को भी अपनी पेंट खोलने के लिए कहा।
आरव ने अपनी पैंट खोली.
आरव का भी लंड बुरी तरह से अंडरवियर को फाड़ने वाला हो रहा था।
उसने कहा- तुम भी एक बार देख लो!
लेकिन वह शर्मा गई।
आरव ने उसका हाथ पकड़ा और अपने लंड पर रख दिया।
आरव ने चड्डी के ऊपर से उसकी चूत पर हाथ फेरा।
सरिता के मुख से बहुत ही मीठी और प्यारी सिसकारियां निकल रही थी।
आरव ने अंडरवियर के ऊपर से ही सरिता की योनि को छेड़ना शुरू कर दिया था।
उसे अपने पास बुला कर सरिता ने आरव के होठों पर ज़ोर से किस किया और बोली- अब मैं और सहन नहीं कर सकती।
आरव ने उसको किस किया और बोला- तुम बहुत ही प्यारी लग रही हो।
आरव ने सरिता के जांघ को मुँह में लिया और अपने दांतों से काट करके थोड़ा सा निशान बना दिया।
उस की टांगों को आरव ने ऊपर की तरफ उठा दिया।
सरिता की पैंटी में आरव ने अपनी उंगलियों को फंसाया और उतारना शुरू कर दिया।
पहले उसकी टांगें ऊपर थी तो आरव उसकी चूत नहीं देख पाया था।
फिर आरव ने उसकी टांगों को नीचे किया तो सरिता ने टांगों को एक साथ जोड़ दिया था।
पर वह उसकी चूत को देख पा रहा था।
उसकी अंडरवियर जो आरव ने उतारी … वो बहुत गीली हो रही थी।
आरव बोला- मेरी तरफ देखो मेरी जान!
और उसकी पैंटी को सूंघ लिया।
सरिता की आँखों में वासना अब साफ़ झलक रही थी.
आरव ने भी अपना अंडरवियर उतार दिया।
फिर से वह उसके ऊपर आ गया और उसको किस करने लगा फिर वह नीचे आया।
सरिता की टांगों को आरव V शेप में खड़ा कर दिया।
अब उसकी चूत पूरी तरह से केशव के सामने आ गयी थी।
आरव ने चूत के ऊपर दो उंगलियों फिराई। सरिता सिहर कर रह गई।
उसकी चूत इतनी साफ लग रही थी … आरव बस उसको खा जाना चाहता था।
उसकी चूत के दो होंठ ऊपर वाले होंठों से भी अच्छे लग रहे थे।
आरव ने ज्यादा देर नहीं की और उसकी चूत के ऊपर जीभ रख दी।
इस अचानक हमले से सरिता ने अपनी टांगें बंद करनी चाही।
लेकिन आरव ने एक हाथ से उसकी एक टांग को दबा कर रखा।
वह किसी भी तरह पीछे हटने वाला नहीं था, आरव ने उसकी चूत के दोनों होठों एक एक करके चूसा।
रह रह कर सरिता की सिसकारियां निकल रही थी।
आरव ने सरिता की चूत के होठों को थोड़ा सा थोड़ा सा खोला और अंदर जीभ घुसा दी।
आरव को उसके अंदर जीभ डाले हुए एक मिनट भी नहीं हुआ था, सरिता उसके मुँह पर ही इतनी ज़ोर से झड़ गयी।
आरव ने उसका सारा पानी पी लिया।
और उसको चूसना जारी रखा।
आरव ने सरिता को पूछा- क्या हम 69 कर सकते हैं?
तो उसने कोई जवाब नहीं दिया।
सिर्फ आरव ने अपने लंड को सरिता के हाथ में दे दिया।
वह नहीं चाहता था कि वह झड़ जाए इसलिए सरिता की चूत पर चार पांच किस किए और उससे पूछा- क्या अब हम कर सकते हैं?
उसने हाँ में जवाब दिया।
आरव ने अपने लंड को अपने हाथ में लिया और सरिता की योनि पर सेट कर दिया।
सरिता की चूत इतनी गीली हो चुकी थी कि अब तेल की या किसी और चीज़ की जरूरत नहीं थी।
तब आरव ने देर ना करते हुए थोड़ा सा अपने लंड को उसकी चूत में सरकाया।
सरिता ने अपनी मुट्ठियों में चादर को भींच लिया।
तब सरिता ने आरव से कहा- अब रुकना नहीं है, चाहे मैं जितना भी दर्द से शोर करूँ।
उसको भी यह पता पता था कि पहली बार में दर्द होता है पर वह इसके लिए तैयार थी।
आरव ने एक झटका और दिया और लंड को आधा उसके अंदर तक पहुंचा दिया।
तब आरव ने अपने लंड को अंदर डाले डाले उसके होठों पर किस करना शुरू कर दिया।
नीचे कोई भी हरकत नहीं की।
बस वह हाथ से उसके बूब्स को छेड़ रहा था और उसको किस कर रहा था।
कूछ मिनट बाद नीचे से एक करारा झटका मारा और लंड को पूरा सरिता के अंदर कर दिया।
वह तड़पकर रह गई।
वह उसको किस करने लगा और उसके सिर पर हाथ फेरने लगा।
2 मिनट के बाद आरव ने धीरे धीरे अपने लंड को अंदर बाहर सरकाना शुरू किया।
उसके अभी भी दर्द हो रहा था।
कुछ देर तक ऐसे ही धीरे धीरे किया।
इसके बाद आरव ऊपर हुआ और उसकी टांगों को खड़ा कर लिया।
अब वह अच्छे से चुदाई के लिए तैयार थी।
आरव ने सरिता को मिशनरी पोजिशन में ही रगड़ना जारी रखा.
उसकी आहें निकल रही थी.
अब वह भी नीचे से थोड़ा साथ देने लगी थी.
आरव ने लंड को बाहर निकाला और साइड में पड़े हुए तौलिये से सरिता की चूत को अच्छे से साफ कर दिया।
मफिर दुबारा लंड सरिता की चूत के अंदर डाला।
पर अब उसके दर्द ज्यादा नहीं हुआ।
वह उसको थोड़े तेज झटके लगाने लगा।
2 मिनट ही हुए थे कि सरिता दोबारा झड़ गयी।
आरव भी बस झड़ने वाला ही था … वह उसके ऊपर आया और उसको ज़ोर ज़ोर से किस करने लगा और कस कस कर झटके लगाने लगा.
उसके ऊपर रहते हुए ही वह सरिता की चूत के अंदर झड़ गया।
दोनो काफी थक चुके थे, और पसीना पसीना हो गए थे
आरव ने अपनी पैंट पहनी और मुस्कुराते हुए बोला, “मैं बस अभी पानी लेकर आता हूँ, एक मिनट में आता हूँ,” और कमरे से बाहर चला गया। सरिता उसे जाते हुए देखती रही और इंतजार करने लगी। पर जैसे-जैसे वक्त बीतता गया, उसकी बेचैनी बढ़ने लगी।
पांच मिनट, दस मिनट… आधा घंटा बीत गया लेकिन आरव वापस नहीं आया। सरिता अभी भी नंगी पड़ी हुई थी उसके बूब्स से पसीना टपक रहा था और अब सरिता की चिंता बढ़ने लगी।
जल्दी-जल्दी में उसने अपने कपड़े वापस पहने, पर घबराहट में उसकी ब्रा वहीं बेड पर छूट गई। उसके दिमाग में एक डरावना ख्याल आया, “कहीं आरव को यह तो नहीं पता चल गया कि मैं वर्जिन नहीं हूँ?” पर मैने तो पिछले बॉयफ्रेंड को अंदर डालने ही नहीं दिया था
सरिता सोचने लगी, उसने इस राज को हमेशा छुपा कर रखा था, लेकिन अब उसे डर था कि कहीं इस बात की वजह से आरव उसे छोड़कर चला न गया हो।
आरव का इंतजार करते-करते उसकी बेचैनी बढ़ती चली गई। आखिर उसने वहां से जाने का फैसला किया। सोचते-सोचते वह उस बंगले से निकल कर अपने घर लौट गई, मन में एक अजीब सा डर और बेचैनी लिए।
परंतु जब वह घर पहुंची, तो पता चला कि आरव अभी तक अपने घर नहीं लौटा था। यह सुनकर उसकी चिंता और बढ़ गई। उसके मन में सवाल उठ रहे थे कि आखिर आरव कहां है? क्या वह सच में नाराज होकर चला गया, या फिर उस बंगले में कुछ ऐसा हुआ जिससे वह वापस नहीं आ सका?
*****
सुबह के करीब दस बज चुके थे। सूरज की हल्की सुनहरी धूप जंगल में चारों ओर फैली थी। उसी जंगल के बीचो-बीच एक कच्ची सड़क पर सफेद रंग की कार धीरे-धीरे आगे बढ़ती दिखाई दे रही थी। कार के अंदर बैठे कॉलेज के लड़के लड़कियां जंगल के उस सन्नाटे को बिना कुछ बोले नजरों से ही समझने की कोशिश कर रहे थे। उन्हें सबसे अजीब बात ये लग रही थी कि उस जंगल में इतना सन्नाटा होने के बावजूद किसी भी जंगली जानवर की आवाज या आहट महसूस नहीं हो रही थी और ना पंछियों की आवाज आ रही थी। इंसान तो क्या, मानो जंगली जानवर और पक्षी भी उस इलाके में आने से डरते थे।
उनकी कार एक जगह आकर रुकी और धीरे-धीरे सभी दोस्त कार से बाहर निकलने लगे। ये सब आरव और सरिता के दोस्त थे जिन्हें सरिता लेकर आई थी सब हैरान नजरों से सिर्फ चारों ओर देख रहे थे। उनके सामने एक बड़ा सा आलीशान बंगला था। उस इलाके को गौर से देखते हुए सभी चलते-चलते बंगले के गेट से अंदर आये और सिढीया चढकर सभी दोस्त दरवाजे के बाहर रूक गये।
उनमें से एक लड़के ने सामने वाला पुराना लकड़ी का दरवाजा धिरेसे जैसे ही अंदर की ओर धकेला, कर्रर्रर्रर्रर्रर्र आवाज करते हुए वो दरवाजा आधा ही खुल गया। बंगला पुराना होने के बावजूद काफी खूबसूरत था। दिवारों का रंग काफी फिका पड़ चुका था शायद कई सालों से वो इसी तरह आग उगलती धुप, हड्डियां जमाने वाली ठंड और मुसलाधार बारीश को अरसे से झेलते हुए भी शान से अपनी जगह मजबूती से खड़ा था। पर सबसे अलग बात थी वह यह कि दीवारों पर चुदाई के बहुत से चित्र बने हुए थे।
‘आरव’ एक दोस्त ने आवाज लगाई और बंगले के भीतर चारों ओर नजरें घुमाते हुए चलने लगा। उसकी आवाज खाली बंगले की सुनसान पड़ी दीवारों से टकराकर अंदर ही अंदर घूमने लगी। तभी सरिता भी आवाज लगाते हुए बंगले के भीतर बढ़ने लगी। बंगले के अंदर एक अजीब सा जानलेवा सन्नाटा फैला हुआ था। दिन का उजाला होने के बावजूद सभी को अजीब सा डर लग रहा था।
तीन लड़के और दो लड़कियां अपने दोस्त को उस बंगले के हर एक कमरे में, बाथरूम में, लकड़ी कि अलमारी में, मतलब जहां छुपने की जगह है वहां ढुंढने की कोशिश करने लगे। पर आरव कहीं भी नजर नहीं आ रहा था। ना ही उसके होने की कोई निशानी उन्हें मिल रही थी। उसका मोबाइल तो कल रात से ही बंद था । ढूंढ ढूंढ कर वे सभी थक गए थे, लेकिन आरव का कोई अता-पता नहीं था।
सब परेशान हो गए। नाराज होकर खाली हाथ सब दरवाजे से बाहर निकले। सरिता की आंखों से आंसू छलकने लगे तभी जैसे उन्हें कोई उस बंगले के नीचे बने तहखाने के बंद झरोखे से देखने लगा। काले अंधेरे में हल्की रोशनी से वे लाल आंखें काफी डरावनी लग रही थी। वो आंखें सभी दोस्तों को घुरे जा रही थी। पर बंगले के नीचे उस जगह किसी का ध्यान नहीं गया।
सभी ने दुबारा एक नजर पुरे इलाके को गौर से देखा। दुर दुर तक घना जंगल, छोटे बड़े पेड़ों के बीच कांटों से भरी झाड़ियां, जंगल के सन्नाटे में हवा के हलके झोंको से पेड़ों के पतों की सरसराहट सब कुछ इतना खामोश था जैसे किसी कागज पर बना चित्र। ये सब देखकर हर्ष ने कहा। “यार, दिन के उजाले में, तुम लोग साथ होने के बावजूद मेरी फटी पड़ी है। आरव अकेला पुरी रात इस जगह रहा था। उसकी हिम्मत की दाद देनी पड़ेगी।”
उसकी बात सुनकर योगेश ने गाड़ी शुरू की। जंगल की कच्ची सड़क से उनकी गाड़ी धिरे धिरे आगे बढ़ने लगी। और पिछे बैठी सरिता ने एक नजर उस बंगले पर डाली। वो विरान पड़ा बंगला कुछ ज्यादा ही अजीब लग रहा था और यह क्या…. सरिता की ब्रा जो अंदर छूट गई थी वह बाहर पड़ी थी। और उस तहखाने से वो दो आंखें अभी भी सरिता को घूरे जा रही थी।
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“सर हमारा दोस्त ‘आरव’ लापता हो गया है।” सभी दोस्त पुलिस स्टेशन पहुंचे थे। हर्ष ने थोड़ी डरी सहमी आवाज में इंस्पेक्टर साहब को बताया।
“गायब हो गया…? मतलब?” इंस्पेक्टर साहब ने शक भरी नजरों से सबकी ओर देखा।
हर्ष एक एक बात इंस्पेक्टर सहाब को बता रहा था। बगल की कुर्सी पर बैठी सरिता “जिसने अभी भी ब्रा नहीं पहनी थी और उसके बूब्स उसके सूट के गले से साफ दिख रहे थे” को अपना सर पकड़े रोता देख अंकिता ने उसको थोड़ी हिम्मत दी। हर्ष की सारी बातें सुनकर इंस्पेक्टर सहाब अपनी कुर्सी पर थोड़ा पिछे सरकते हुए छत पर धीरे-धीरे घूमने वाले पंखे की तरफ देखते हुए मुस्कुराकर बोले।
“हवलदार इनकी एफआईआर रजिस्टर कर लो। आप लोग जा सकते हो अगर कोई जानकारी मिलेगी तो जरूर बताएंगे।”
“सर प्लीज कुछ भी करके हमारे दोस्त को ढूंढ लीजिए। मैं आपके आगे हाथ जोड़ती हूं” सरिता की आंखों से आंसू छलक ने लगे।
“फ़िक्र मत किजिए इंस्पेक्टर ने सरिता के बूब्स को घूरते हुए कहा। वैसे, आरव के घर वालों को उसके लापता होने के बारे में जानकारी है?” इंस्पेक्टर साहब कि वह बात सुनकर सब गंभीरता से एक दूसरे की तरफ देखने लगे।
“नहीं। पर उसके घर वाले उसके बारे में पूछ रहे हैं।” हर्ष ने कहा।
“तो तुम लोगों ने क्या कहा?”
“हमने कहा वह हमारे साथ नहीं है। अगर सच्चाई बता देते तो आरव के घर वाले उसके लापता होने के लिए सरिता को ही जिम्मेदार ठहराते क्योंकि ये दोनों ही वहां गए थे।”
“वैसे भी उसके लापता होने के लिए तुम लोग ही जिम्मेदार हो ना?”
“नहीं सर। हमने कुछ नहीं किया। वो अपनी गर्लफ्रेंड के साथ वहां गया था… सरिता शर्माते हुए अपना मुंह छुपाने लगी और उसके आंसू अभी भी नहीं रुके थे ।
सभी दोस्त नाराज होकर अपने अपने घर चले गए।
किसी का भी अपने काम में मन नहीं लग रहा था। सरिता सबसे ज्यादा दुखी थी क्योंकि आरव और सरिता एक दूसरे से बेहद प्यार करते थे।
आरव के मां-बाप सुबह से फोन कर के अपने बेटे के बारे में पूछ रहे थे मगर उनके सवाल का जवाब किसी के भी पास नहीं था। रात हो गई। सरिता गुमसुम सी डाइनिंग टेबल से सटी कुर्सी पर कहीं नजरें गड़ाए बैठी थी।
“सरिता, बेटा क्या हुआ।” पापा ने प्यार से सरिता के सिर पर हाथ रखते हुए पूछा।
“तबीयत ठीक नहीं लग रही, मैं जाकर आराम करती हूं।”
“बेटा कुछ तो खा लो, भूखे पेट सोओगी तो नींद नहीं आएगी।”
“भूख नहीं है पापा।” सरिता की उदासी भरा चेहरा देखकर मां ने कहा।
“सरिता, बेटा आरव अभी छोटा बच्चा थोडी ही है। अपने दोस्तों के साथ कहीं गया होगा। कल सुबह आ जाएगा। तुम फिक्र मत करो।”
मगर सरिता को पता था कि आरव ऐसा नहीं कर सकता।
मां की बातें सुनकर सरिता थोड़ी मुस्कुराई। और अपने कमरे में चली गई। उसने अपने कमरे का दरवाजा बंद कर लिया और अपनी पैंटी के अंदर अपनी चूत को देखने लगी और फूट- फूट कर रोते हुए अपने बेड पर लेटी गई। रह रह कर उसे आरव की याद आ रही थी। अपना मोबाइल लिया और आरव को फोन करने लगी। पता था कल रात से ही उसका मोबाइल बंद है पर दिल ये मानने को तैयार नहीं था। मोबाइल स्विच ऑफ था। मोबाइल बेड पर रखकर वो उसकी याद में रोने लगी।
“सब कुछ कितना अच्छा चल रहा था। घंटों एक दुसरे के साथ समय बिताना, जंगल में आरव का उसके बूब्स दबाना। साथ में ब्ल्यू फिल्म देखना। सरिता की जिद पर उस सुनसान बंगले में सेक्स के लिए जाना । बस एक पल में सब कुछ बदल गया।”
वो बेड पर लेटी जरूर थी पर आरव की यादों में उसकी आंखों से आंसू आ रहे थे। वह सोच रही थी कि क्या आरव वापस आएगा? क्या वह फिर से उसके साथ होगा?
कहानी जारी रहेगी ….💀💀💀
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