नमस्कार फ्रेंड्स! मेरा नाम राहुल श्रीवास्तव है. मैं मुंबई में रहता हूँ. मेरी लिखी कई सारी कहानियां आपने पढ़ी हैं. लेकिन अभी जो कहानी मैं आपको बता रहा हूँ वो मेरे एक प्रसंशक राकेश जी ने नागपुर से भेजी है. इसी कहानी को, थोड़ा सा सम्पादित करके आप लोगों के लिए मैं प्रस्तुत कर रहा हूँ. ये कहानी मूलतः राकेश पेसिफिक नाम के शख्स की है, जो इस मंच के एक नियमित पाठक भी हैं.
आगे की सेक्स कहानी राकेश जी के शब्दों में लिख रहा हूँ … आनन्द लीजिएगा.
प्रिय मित्रो, नमस्कार … मैं राकेश, ये द इंडियन सेक्स स्टोरी पर मेरी पहली सेक्स कहानी है. मैं हमेशा से ही द इंडियन सेक्स स्टोरी का नियमित पाठक रहा हूँ. मैं नागपुर, महाराष्ट्र से हूँ … तथा 32 साल का नया नया एक शादीशुदा युवक हूँ.
द इंडियन सेक्स स्टोरी में मैंने काफी सारे लेखकों की कहानियां पढ़ी हैं. ये कहानियां इतनी अधिक कामुक और मनभावन होती हैं कि मेरा भी मन हो गया. इन्हीं सेक्स कहानियों से प्रेरित होकर मेरी झिझक खत्म हुई और आज मैं अपने साथ हुई सच्ची घटना को भी एक सेक्स कहानी के रूप में बता रहा हूँ. इस कार्य में राहुल जी ने मेरी मदद की है, मैं उनका आभारी हूँ
ये कहानी मेरी और मेरे ऑफिस की फ्रेंड कविता की है. तब मेरी उम्र कुछ 28 के आसपास थी और मैं कुंवारा था, तो ये मेरा पहला अनुभव था. तब मैं एक भवन निर्माण कंपनी में सेल्स मैनेजर के तौर पर कार्यरत था. कंपनी का काफी कुछ काम मुझे ही करना पड़ता था.
किसी कारणवश कुछ लड़कियों को कंपनी ने जॉब से निकाल दिया था. उसकी जगह मुझे कुछ नई लड़कियां काम पर रखने के लिए बोला गया.
मैंने एक अख़बार में विज्ञापन दे दिया और इंटरव्यू का टाइम और जगह भी दे दी. नियत समय और दिन पर, कोई 10-15 लड़कियां इंटरव्यू के लिए आई थीं. उन्हीं में कविता भी थी.
पहले मैं कविता से आपका परिचय करवा देता हूँ. कविता की उम्र 22 साल थी. उसकी हाइट 5 फुट 2 इंच की थी, रंग एकदम गोरा और उसके रसीले होंठ थोड़े बड़े थे. चेहरे पर गजब की मासूमियत. हर किसी का पहली बार में उसके उन्नत उरोजों पर ध्यान चला जाए, ऐसे तने हुए थे … शायद उसके मम्मों का साइज़ 34 इंच का रहा होगा.
मासूम चेहरे पर उसकी बड़ी बड़ी काली आंखें एक अलग ही छाप छोड़ने में सक्षम थीं. वो बड़े कमाल की माल दिखती थी. मुझे वो पहली नज़र में ही भा गई. हालांकि अन्य आई हुई लड़कियां भी एक से बढ़ कर एक थीं और काबिल भी थीं, शायद कविता से भी ज्यादा रही होंगी, पर पता नहीं क्यों, मेरा दिल कविता की तरफदारी कर रहा था.
पूरे दिन इंटरव्यू के बाद सभी लड़कियों को बोल दिया गया कि यदि आप सेलेक्ट होती हैं तो आपको एक या दो दिन में कॉल करके बता दिया जाएगा. ऐसा कह कर हमने सबको वापस भेज दिया.
इन सब लड़कियों में कविता जॉब के लिए बहुत ज्यादा परफेक्ट तो नहीं लग रही थी, फिर भी उसमें क़ाबलियत थी.
मैंने अगले दिन अपने साथियों के साथ सारी लड़कियों के बारे में विचार विमर्श किया और कोई पांच लड़कियों को हमने चुन लिया और उनके नाम, आगे की कार्यवाही के लिए अपने हेड ऑफिस भेज दिए.
उस दिन पूरे समय मेरी आंखों के सामने कविता ही घूमती रही. उसकी मासूम सी आंखें, मखमल सा बदन बार बार मेरा लंड खड़ा कर दे रही थी.
उसी रात मैंने कविता को गुडनाईट का मैसेज भेजा, तो उसका भी रिप्लाई आ गया. हम लोग धीरे धीरे घुल मिल गए. धीरे धीरे हम दोनों मैसेज पर ही जॉब के बारे में बात करने लगे. उसने फिर मुझे मेरी जॉब का प्रोफाइल पूछा, तो मैंने बताया कि मैं कंपनी में मैनेजर के तौर पर हूँ और ये बहुत टेंशन वाला जॉब होता है.
मैसेज पर बात करते करते गलती से मैंने उसको बोल दिया कि सेल्स जॉब में हमेशा ही एल लग जाती है.
एल लगना मतलब लौड़े लगना, जब आपको जॉब पर आपके पीछे बहुत फटके लगते हैं.
उसने मुझसे पूछा कि एल लगना क्या होता है?
मैंने उसको ऐसे ही बोल दिया कि तुमको पता ही होगा, पर तुम ऐसे ही नाटक कर रही हो.
उसने बोला कि मैंने पहली बार ही ये शब्द सुना है.
मैंने उससे कहा कि ये एक व्यस्कों वाला शब्द है.
उसने कहा- हां तो … मैं भी तो व्यस्क हूँ.
शायद उसे सेक्स के बारे में ज़्यादा मालूमात नहीं थी. इसलिए वह भी बहुत खुल कर मुझसे सारी चीजें पूछ रही थी.
उसको सब कुछ बताते हुए मेरा लंड भी चड्डी में खड़ा हो गया था.
मैंने उसको बताया- एल लगना मतलब लौड़े लगना होता है.
इस पर उसने फिर से पूछा- ये लौड़े लगना मतलब क्या हुआ?
अब उसको क्या बताऊँ? मैसेज पर बात करते हुए ही मेरा लंड खड़ा होने लगा था. मैंने उसको बताया कि लंड या लौड़ा उसे कहते हैं, जहां से हम मर्द लोग सुसु करते हैं और चूत मतलब जहां से तुम सुसु करती हो.
उसने मैसेज किया कि मुझको चूत का तो पता है, पर लंड पहली बार सुना है. हालांकि अभी देखा नहीं है.
मैंने उससे ऐसे ही पूछा कि अगर तुम जॉब पर लगोगी, तो क्या मेरा लंड देखना चाहोगी?
इस पर उसने झट से हामी भर दी. मेरा दिल खुश हो गया.
फिर मैंने खुद से दिलचस्पी लेते हुए कंपनी से बात करके उसका सिलेक्शन पक्का करवा दिया.
मैंने उस बताया कि मुझे उम्मीद है कि तुम्हारा चयन हो ही जाएगा.
वो मेरी इस बात से बहुत खुश हो गई.
हम लोग अब रोजाना सेक्स और लंड चूत की बात करने लगे थे, पर अब भी हम दोनों ने फोन पर कभी बात नहीं की थी.
उसका चयन हो गया. उसके ऑफिस ज्वाइन करने के बाद मैंने उससे बोला कि चलो तुम्हें पूरी साइट दिखा देता हूं.
मैं उसको लेकर साइट पर सैंपल फ्लैट पर लेकर गया. सारी साइट दिखाने के बाद आखरी फ्लैट के बेडरूम में उसको लेकर गया और उससे पूछा कि लंड दिखाऊं क्या?
वो शरमाते हुए ना बोलते हुए निकल गयी. मुझे लगा अब ये नहीं आएगी.
फिर रात को उसने मैसेज पर बताया कि मुझको लंड तो देखना था, पर मैं न जाने क्यों घबरा गयी थी.
अगले दिन मैं फिर से उसे साइट दिखाने के बहाने सैंपल फ्लैट के बेडरूम में लेकर गया और झट से मैंने अपना पैंट और निक्कर नीचे कर ली. मेरा साढ़े पांच इंच का काला लंड देख कर कविता एकदम से शर्मा गयी.
फिर मैंने उसका हाथ अपने लंड पर रख दिया और उसको सहलाने के लिए बोला. वो मेरा लंड धीरे धीरे सहलाने लगी. वो शर्मा भी रही थी.
मैंने उसके कपड़ों के ऊपर से उसके मम्मों को दबाना शुरू कर दिया. उसके चूचे काफी बड़े थे, इसलिए हाथ में नहीं आ पा रहे थे. धीरे धीरे उसने लंड की चमड़ी को आगे पीछे करनी शुरू कर दी, इससे मुझे बहुत मजा आने लगा. उसको भी अपने मम्मे मसलवाने में मजा रहा था, वो भी उत्तेजित होती जा रही थी. हम दोनों को धीरे धीरे सेक्स चढ़ने लगा.
हम दोनों ने काफी देर तक एक दूसरे को सहलाया और मजा लेते रहे. इतने में ही हमने कुछ आवाजें सुनीं. ये आवाजें नजदीक से आ रही थीं. हम दोनों ने अपने अपने कपड़े ठीक किये और हम वहां से चले आए.
इसके तुरंत बाद कंपनी के काम के सिलसिले में कुछ दिनों के लिए दिल्ली चला गया. अब हम दोनों मैसेज पर हमेशा सेक्स चैट करने लगे थे.
मेरा लंड देखने के बाद से तो कविता मुझसे प्यार भी करने लगी थी. दिल्ली से आने के बाद जैसे ही मैं ऑफिस पहुंचा, तो उस वक़्त मेरे और उसके सिवा कोई नहीं था. मैंने उसको उसकी चूत दिखाने के लिए बोला. अब तक मैंने कभी भी चूत नहीं देखी थी. लेकिन वो चुत दिखाने में शर्मा रही थी.
मौका देख कर हम लोग एक दूसरे को किस करने लगे. किस करते हुए मैंने उसकी पैंटी में हाथ डाल दिया. उसकी चूत पूरी गीली हो गयी थी और मेरा लंड भी काफी टाइट हो गया था. हम दोनों पर सेक्स हावी होने लगा.
हम दोनों बेपरवाह होकर एक दूसरे को बेतहाशा चूमने लगे. उसकी चुत से उसकी पैंटी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी. काफी देर तक चूमा चाटी करने के बाद हम दोनों किसी की आहट पाकर अपने ऑफिस के काम में लग गए. हम दोनों के लिए ये नया अनुभव था.
उसके बाद हम रोजाना ऑफिस जल्दी आने लगे और एक दूसरे को किस करते रहे. मैंने काफी सारे ब्लू फिल्म डाउनलोड कर ली थीं और उसको हमेशा ही दिखा कर गर्म करता रहता था. हमारा ये रोज का ही काम हो गया. मैं रोज सुबह ऑफिस आने के बाद कविता ने कौन सी पैंटी ब्रा पहनी, ये देखता और उसे मम्मों को मसल देता. कभी कभी अकेले में मौका मिलता, तो उसकी चूत में उंगली भी डाल देता. उसे भी इस सब में मजा आता था. वो भी मेरे लंड से हमेशा खेलने लगी.
एक दिन ऑफिस में दोपहर को कोई नहीं था. किसी को आना भी नहीं था. सो मैंने अपना लंड निकाल कर उसके हाथ में दे दिया. साथ ही उससे लंड को मुँह में भी लेने के लिए बोला. चूंकि वो ब्लू फिल्म में लंड चूसना देख चुकी थी इसलिए उसे इसमें कोई गुरेज नहीं रह गया था. वो बड़े ही चाव से मेरे लंड को मुँह में लेने लगी.
किसी लौंडिया से लंड चुसवाने का ये मेरा पहला अनुभव था. मैं कुछ ही देर में ही झड़ने को हो गया और मेरे लंड से पानी निकल गया.
इसके बाद मैंने ऑफिस के वाशरूम में ले जाकर उसकी पैंटी नीचे कर दी और उसकी चूत में उंगली फिराने लगा. वो अब सेक्स के लिए बहुत ही ज्यादा खुल गयी थी. उसकी चुत काफी गीली हो गयी.
थोड़ी देर के बाद वो नीचे बैठी और मेरे लंड को झट से अपने मुँह में ले लिया. वो बड़े प्यार से मेरे लंड को चूसने लगी. थोड़ी देर तक लंड चुसाई के बाद मैं झड़ने लगा. मेरा लंड अब काबू में नहीं आ रहा था और एक बड़ी पिचकारी मारते हुए मैंने उसके मुँह में वीर्य गिरा दिया. उसने भी पूरा वीर्य काफी अच्छे से पी लिया.
इसके बाद हम दोनों एक दूसरे से चूमाचाटी करते रहे. कुछ ही देर में हम दोनों की चुदास भड़क गई और चुदाई का मूड बन गया.
मैंने उसको वाशरूम में ही डॉगी स्टाइल में खड़ा कर दिया. फिर उसकी चूत में एक झटके के साथ लंड डाल दिया. उसकी चुत काफी टाइट थी, इसलिए वो रोने लगी. उसकी तो चीखने की आवाज़ भी निकल गयी. मैंने थोड़ी देर तक रुकने के बाद फिर से उसकी चुत में एक बड़ा धक्का दे मारा और अपना पूरा लंड उसकी चुत में पेल दिया. उसको काफी दर्द हो रहा था. मैं पूरा लौड़ा पेलने के बाद उसकी चूचियों को मींजता रहा और उसकी गर्दन पर चूमता रहा. इससे उसको राहत मिल गई और वो अपनी गांड हिलाने लगी.
मेरे लंड ने आगे पीछे होना चालू कर दिया था. अब वो भी मजे से चूत चुदवा रही थी.
काफी देर तक मैं उसकी चुत चोदता रहा. अचानक वो अकड़कर सख्त सी हुई और उसका रस निकल गया. उसकी चूत की बारिश से मैं भी पिघल गया और मैंने अपना पूरा वीर्य उसकी चुत में ही छोड़ दिया.
यह हमारा पहला सेक्स था.
इसके बाद हम दोनों ने आगे से कंडोम के साथ ही सेक्स करना मुनासिब समझा.
नया अनुभव होने के कारण पहली चुदाई के बाद उसकी चूत में तकलीफ बढ़ गयी थी और मेरा लंड भी दर्द करने लगा था.
हालांकि हम दोनों को हमारे पहले सेक्स में बहुत मजा आया. अब हम दोनों हफ्ते या 15 दिन में कम से कम एक बार सेक्स करने लगे. वो मुझसे 6 साल छोटी थी, पर फिर भी मुझसे प्यार करने लगी. मैंने उसको पहले ही बता दिया था कि मैं तुमसे शादी नहीं कर सकता और वो भी उस चीज के लिए पहले से ही तैयार थी. क्योंकि उसको भी बदनामी का डर था और इसलिए सिर्फ हमारी सेक्स भावना के लिए हम लोग एक हुए थे.
उसके बाद कुछ दिनों तक हम छिप छिप कर ऑफिस में चुदाई का खेल खेल लेते थे.
कुछ महीनों बाद उसको कंपनी ने निकाल दिया तो हमारा रिलेशन भी वहीं ख़त्म हो गया. वो आज भी मुझे मिलती है, पर सेक्स के बारे में बात करना नहीं चाहती.
आज भी मेरा मन करता है कि उसके बड़े मम्मों को फिर से प्यार करूँ. लेकिन शायद उसके मन में मेरे साथ फिर से सेक्स करना नहीं था.
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