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विधवा किरायदारिन की रसीली बुर को कंडोम पहन कर चोदा

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हेलो दोस्तों, मैं अमन खत्री, उम्र 24 साल, कद 5 फीट 10 इंच, रंग गोरा, और शरीर फिट, क्योंकि मैं रोज जिम जाता हूँ। मैं राजस्थान के भरतपुर का रहने वाला हूँ। मेरे पापा एक ठेकेदार थे, जिन्होंने 30 कमरों का एक बड़ा मकान बनाया था, जो किराए पर चलता है। ये हमारी कमाई का इकलौता जरिया है। पापा के पास कोई और काम नहीं था, तो मैं भी उनके साथ किराए का काम संभालता हूँ। जब कोई कमरा खाली होता, तो मैं प्रॉपर्टी डीलर्स से मिलकर उसे किराए पर लगवाता। कुछ महीने पहले हमारे मकान में एक नई किरायदारिन आई, जिसका नाम शालिनी था। शालिनी आंटी, उम्र करीब 33 साल, रंग दूध सा गोरा, कद 5 फीट 4 इंच, और बदन ऐसा कि देखकर किसी का भी मन डोल जाए। उनकी साड़ी में लिपटा हुआ फिगर, 38-30-40, बिल्कुल मस्त माल लगता था। वो विधवा थीं, लेकिन उनकी खूबसूरती और जवानी में कोई कमी नहीं थी। उनके दो बच्चे थे—एक बेटा, 16 साल का, और एक बेटी, 18 साल की, जो कॉलेज में पढ़ती थी।

एक दिन शालिनी आंटी मेरे पास आईं, उनकी साड़ी का पल्लू हल्का सा सरक रहा था, और हवा में लहरा रहा था। उनकी गहरी क्लीवेज और ब्लाउस में कसे हुए 38 इंच के मम्मे साफ दिख रहे थे। मेरी नजरें बार-बार वहीं चली जाती थीं।

“बेटा, मुझे 2 कमरे चाहिए। किराया कितना लोगे?” आंटी ने अपनी मधुर आवाज में पूछा।

“8 हजार, एक कमरे का 4 हजार,” मैंने जवाब दिया, उनकी तरफ देखते हुए।

“अरे, ये तो बहुत ज्यादा है, बेटा। मैं विधवा हूँ, कमाई का कोई जरिया नहीं। थोड़ा कम कर दो,” आंटी ने थोड़ी उदासी के साथ कहा, लेकिन उनकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी।

दोस्तों, वो भले ही विधवा थीं, लेकिन उनका बदन ऐसा था कि किसी का भी लंड खड़ा हो जाए। उनकी साड़ी का पल्लू बार-बार हवा में उड़ रहा था, और मैं उनके ब्लाउस में उभरे मम्मों को देखकर पागल हो रहा था। मन में बस यही चल रहा था कि काश इन्हें अभी पकड़ लूँ और इनके मस्त मम्मे दबाकर इनकी चूत में लंड पेल दूँ। लेकिन मैंने अपने आपको कंट्रोल किया। मैं चाहता था कि आंटी हमारे मकान में रहें, ताकि खाली कमरे भर जाएँ और मुझे रोज उनके दर्शन हों।

“ठीक है, आंटी। आप विधवा हैं, तो मैं 2 कमरों का 6 हजार ले लूँगा। इससे कम नहीं हो पाएगा,” मैंने थोड़ा नरम होकर कहा।

अगले दिन आंटी अपना सारा सामान लेकर आ गईं और हमारे मकान में शिफ्ट हो गईं। उनके दोनों बच्चे अपने स्कूल और कॉलेज में व्यस्त रहते थे। आंटी अक्सर मुझे शाम को चाय पिलातीं, और धीरे-धीरे हमारी दोस्ती हो गई। मैं बाकी किरायदारों से किराया हर महीने की 1 तारीख को सख्ती से वसूलता था, लेकिन आंटी के साथ मैं नरम था। कहीं न कहीं मैं उन्हें पसंद करने लगा था। हर बार जब मैं उनसे मिलकर आता, रात को बस यही सोचता कि अगर उनका पति जिंदा होता, तो उनकी चूत को रोज कसकर चोदता। उनके 38 इंच के मम्मे चूसता और उनकी मस्त गांड में लंड पेलता।

धीरे-धीरे आंटी मुझे और ज्यादा अच्छी लगने लगीं। एक दिन, जब उनके बच्चे बाहर खेलने गए थे, मैंने हिम्मत जुटाकर अपने दिल की बात कह दी।

“आंटी, आप इतनी जवान और खूबसूरत हैं। कोई भी मर्द आपसे शादी करने को तैयार हो जाएगा। आप दोबारा शादी क्यों नहीं कर लेतीं? क्या आपको चुदाई का मन नहीं करता?” मैंने साफ-साफ पूछ लिया, थोड़ा डरते हुए।

आंटी ने मेरी तरफ देखा, उनकी आँखों में एक हल्की सी शरारत थी। “बेटा अमन, मेरा चुदवाने का बहुत मन करता है। मुझे चूत में लंड लेना बहुत पसंद है। शादी भी करना चाहती हूँ, लेकिन इन दोनों बच्चों का क्या करूँ? कोई मुझसे शादी करेगा, तो इनकी जिम्मेदारी नहीं लेगा,” आंटी ने उदास होकर कहा।

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“हाँ, आंटी, ये तो आपने सही कहा,” मैंने जवाब दिया, लेकिन मेरे दिमाग में बस उनकी चूत और मम्मे घूम रहे थे।

उस दिन आंटी ने मेरे लिए रवे का हलवा बनाया था। मैंने चाव से खाया। दो महीने बाद, आंटी के पास किराए के पैसे खत्म हो गए। मैंने अपने पास से पैसे भर दिए और पापा से कह दिया कि आंटी ने दे दिए हैं। फिर जुलाई का मौसम आया। बारिश का मौसम था, और झमाझम बारिश हो रही थी। एक दिन मैं बाजार में सब्जी खरीद रहा था, तभी आंटी से मेरी मुलाकात हो गई। वो भी सब्जी खरीद रही थीं। उनकी नीली साड़ी में वो और भी मस्त लग रही थीं। मैंने उन्हें एक दुकान पर चाय पिलाई। बारिश की वजह से मौसम ठंडा और रोमांटिक हो गया था। मेरा मन कर रहा था कि आंटी को अभी यहीं चोद दूँ।

हम दोनों घर की ओर निकले, तभी फिर से बारिश शुरू हो गई। हम किसी दुकान में छिप पाते, इससे पहले पूरी तरह भीग गए। मेरी पैंट की जेब में मोबाइल और पर्स सब भीग गया। मेरी नजर आंटी पर पड़ी। उनकी नीली साड़ी उनके बदन से चिपक गई थी। ब्लाउस उनके 38 इंच के मम्मों से चिपककर पारदर्शी हो गया था। उनके मम्मे साफ दिख रहे थे, और उनकी निप्पल्स उभरी हुई थीं। मैं उन्हें घूर रहा था, और आंटी ने मुझे पकड़ लिया। मैंने शर्मिंदगी में नजरें नीचे कर लीं। शायद वो समझ गई थीं कि मैं उन्हें पसंद करता हूँ और चोदना चाहता हूँ।

मैंने ऑटो किया, और हम दोनों उसमें बैठ गए। हमारे हाथों में सब्जियों के भारी-भारी थैले थे। बारिश की वजह से हवा ठंडी हो गई थी, और मौसम और मस्त हो गया था। मैं अब आंटी के भीगे ब्लाउस को नहीं देख रहा था, क्योंकि वो मुझे पकड़ चुकी थीं। तभी अचानक आंटी ने अपना हाथ मेरी जांघ पर रख दिया। मैं चौंक गया।

“आंटी?” मैंने धीरे से पूछा।

“अमन, क्या तुम मुझे पसंद करते हो?” आंटी ने धीमे से पूछा, उनकी आवाज में एक अजीब सी कशिश थी।

“हाँ,” मैंने हिम्मत करके जवाब दिया।

“मुझे आज चोदोगे? देखो, मौसम कितना मस्त है। ऐसे मौसम में अगर लंड खाने को मिल जाए, तो क्या बात हो,” आंटी ने शरारत भरे अंदाज में कहा।

“ठीक है,” मैंने धीरे से कहा, मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था।

दोस्तों, मैं इतना खुश था कि ऑटो में ही आंटी को पकड़कर चूम लूँ। लेकिन मैंने खुद को रोका। आज मुझे उनकी रसीली चूत चोदने को मिलने वाली थी। कुछ देर बाद हम घर पहुँचे। आंटी ने मेरे कान में धीमे से कहा, “2-3 कंडोम लेकर मेरे कमरे में आ जाओ।” मेरे पास पहले से 5 कंडोम थे। मैंने बैग से निकाले और उनके कमरे में पहुँच गया। उनके बच्चे कॉलेज और ट्यूशन गए थे, घर पर सिर्फ हम दोनों थे। मैंने दरवाजा अंदर से बंद कर लिया।

हम दोनों अभी भी बारिश में भीगे हुए थे। आंटी ने मुझे गले लगाया और अपनी बाहों में भर लिया। उनके गीले बदन की गर्माहट मेरे शरीर में सिहरन पैदा कर रही थी। उनके गाल गोरे और मुलायम थे। मैंने उनके गालों पर पहला किस किया। आज कोई हमें देखने वाला नहीं था। हम दोनों जैसे हसबैंड-वाइफ की तरह एक-दूसरे में खो गए। आंटी का बदन चोदने के लिए बना था। मेरे हाथ उनके 38 इंच के मम्मों पर चले गए, और मैं उन्हें धीरे-धीरे दबाने लगा। आंटी मुझसे लिपट गईं और मेरे होंठ चूसने लगीं।

“अमन बेटे, मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ। आज मुझे कसकर चोद डालो,” आंटी ने कहा, उनकी आवाज में हवस और प्यार दोनों थे।

“आंटी, टेंशन मत लो। आज तुम्हारा ये बेटा तुम्हारी रसीली बुर को चोद-चोदकर फाड़ देगा,” मैंने जोश में कहा।

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हम दोनों पागलों की तरह एक-दूसरे को चूमने लगे। आंटी मुझे बिस्तर पर ले गईं। उन्होंने अपनी गीली साड़ी उतारनी शुरू की। मैंने भी अपनी शर्ट और पैंट उतार दी। अब मैं उनके सामने सिर्फ चड्डी में था। बारिश के ठंडे मौसम में मेरा 7 इंच का लंड पूरी तरह खड़ा था, और चड्डी में तंबू बना रहा था। आंटी ने जैसे ही अपनी साड़ी उतारी, उनका गोरा-चिट्टा बदन मेरे सामने चमकने लगा। वो अब ब्लाउस और पेटीकोट में थीं। उनके ब्लाउस से उनके मम्मे बाहर निकलने को बेताब थे।

आंटी ने जल्दी-जल्दी अपना ब्लाउस खोला। उन्होंने अंदर ब्रा नहीं पहनी थी। जैसे ही ब्लाउस उतरा, उनके 38 इंच के बड़े-बड़े मम्मे मेरे सामने थे। उनकी गुलाबी निप्पल्स और उनके चारों ओर के काले घेरे मेरे होश उड़ा रहे थे। मैं पागल हो गया। फिर उन्होंने अपना गीला पेटीकोट भी उतार दिया। जैसा मैंने सोचा था, उन्होंने पैंटी नहीं पहनी थी। उनकी चूत पर काली-काली झांटों का जंगल था। उनकी चूत की लकीर साफ दिख रही थी, और मैं उसे देखकर और चुदासा हो गया।

“अमन, आओ, मुझे चोदो,” आंटी ने हवस भरी आवाज में कहा।

मैं उनके साथ बेड पर चला गया। आंटी ने एक टॉवल लिया और पहले मेरा बदन पोंछा, फिर अपना। अब हम दोनों सूख चुके थे। मैंने उन्हें बाहों में भरा और चूमने लगा। एक 33 साल की चुदासी विधवा को बाहों में लेना किसी जन्नत से कम नहीं था। मैं उनके होंठ चूस रहा था, और वो मेरे होंठों को काट रही थीं। उनकी जीभ मेरे मुँह में थी, और हम दोनों एक-दूसरे के मुँह का रस पी रहे थे। मैं उनके मम्मों को दबा रहा था, और वो सिसकारियाँ ले रही थीं—आआह्ह… ऊऊह्ह…।

मैंने उनके एक मम्मे को मुँह में लिया और चूसने लगा। उनकी निप्पल को मैंने जीभ से चाटा, फिर धीरे-धीरे काटा। आंटी की सिसकारियाँ और तेज हो गईं—आआह्ह… अमन… और जोर से…। मैंने उनके दोनों मम्मों को बारी-बारी चूसा, दबाया, और उनके काले घेरों को जीभ से चाटा। आंटी का बदन गर्म हो रहा था, और वो मचल रही थीं। मैं नीचे की ओर बढ़ा और उनकी चूत पर पहुँच गया। उनकी झांटें घनी थीं, लेकिन उनकी चूत की खुशबू मुझे पागल कर रही थी। मैंने अपनी उंगलियों से उनकी झांटों को हटाया और उनकी चूत की लकीर को देखा। वो गीली थी, और उसका रस चमक रहा था।

मैंने अपनी जीभ उनकी चूत पर रखी और चाटना शुरू किया। आंटी की चूत का स्वाद नमकीन और मादक था। मैंने उनकी चूत के होंठों को उंगलियों से खोला और उनकी गुलाबी चूत को चाटने लगा। आंटी सिसकारने लगीं—आआह्ह… ऊऊह्ह… अमन… आआह्ह… और जोर से…। मैंने उनकी चूत को और तेजी से चाटा, और मेरी जीभ उनकी चूत के अंदर तक जा रही थी। तभी मेरी नजर पास पड़ी सब्जी की टोकरी पर पड़ी। उसमें एक लंबा, मोटा बैंगन था। मैंने उसे उठाया और आंटी की चूत पर रगड़ने लगा।

“अमन, ये क्या कर रहे हो?” आंटी ने शरारत भरे अंदाज में पूछा।

“आंटी, पहले तुम्हारी चूत को गर्म कर दूँ, फिर लंड डालूँगा,” मैंने कहा और बैंगन को उनकी चूत में धीरे-धीरे डालना शुरू किया। आंटी की सिसकारियाँ और तेज हो गईं—आआह्ह… ऊऊह्ह… अमन… आआह्ह…। मैंने बैंगन को और तेजी से अंदर-बाहर किया। उनकी चूत से फच-फच की आवाज आने लगी। आंटी की कमर उछलने लगी, और वो अपने हाथ मेरे सिर पर रखकर मेरे बाल खींचने लगीं। मैंने करीब 20 मिनट तक उनकी चूत को बैंगन से चोदा। उनकी चूत से रस टपकने लगा, और वो जोर-जोर से सिसकार रही थीं—आआह्ह… ऊऊह्ह… बस अमन… अब लंड डाल दो…।

मैंने बैंगन फेंक दिया और कंडोम निकाला। मैंने जल्दी से कंडोम अपने 7 इंच के लंड पर चढ़ाया और आंटी की चूत पर रखा। उनकी चूत गीली थी, और मेरा लंड आसानी से अंदर चला गया। मैंने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। आंटी की चूत टाइट थी, और मेरा लंड उसमें पूरा फिट हो गया था। मैंने उनके दोनों हाथ पकड़े और जोर-जोर से धक्के मारने लगा। उनकी चूत से पट-पट की आवाज आ रही थी, और हमारे पेट आपस में टकरा रहे थे—खट-खट… खट-खट…। आंटी जोर-जोर से सिसकार रही थीं—आआह्ह… ऊऊह्ह… अमन… और जोर से… चोद डाल… आआह्ह…।

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मैंने उनके होंठ चूमे, उनके गालों पर किस किया, और उनकी चूत को और तेजी से चोदा। बारिश का मौसम और आंटी का गीला बदन मुझे और जोश दिला रहा था। मैंने उनकी चूत में और गहराई तक लंड पेला, और वो चिल्लाने लगीं—आआह्ह… ऊऊह्ह… अमन… फाड़ दे मेरी चूत… आआह्ह…। करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद मैंने अपना माल कंडोम में छोड़ दिया। मैंने लंड बाहर निकाला, और कंडोम में भरा माल बेडशीट पर गिर गया। आंटी ने मुझे बाहों में भरा और मेरे होंठ चूमने लगीं।

“अमन, तूने तो मुझे जन्नत दिखा दी,” आंटी ने कहा, उनकी साँसें तेज चल रही थीं।

“आंटी, अभी तो बस शुरुआत है,” मैंने हँसते हुए कहा।

थोड़ी देर बाद मैंने फिर उनके मम्मे चूसने शुरू किए। मैंने उन्हें घोड़ी बनाया। उनकी 40 इंच की गांड किसी पहाड़ की तरह थी। मैंने उनके चूतड़ों को चूमा, उनकी गांड के छेद को चाटा, और फिर उनकी चूत में लंड डाल दिया। मैंने जोर-जोर से धक्के मारने शुरू किए। उनकी चूत से फिर फच-फच की आवाज आने लगी, और वो सिसकार रही थीं—आआह्ह… ऊऊह्ह… अमन… और गहरा…। मैंने उनकी गांड पर थप्पड़ मारे, और वो और जोश में आ गईं। “हाँ, अमन… मार मेरी गांड… चोद मुझे…” वो चिल्ला रही थीं।

मैंने उस दिन आंटी को 4 बार चोदा। हर बार मैंने कंडोम बदला और उनकी चूत को अलग-अलग पोजीशन में चोदा। आखिरी बार चुदाई के बाद हम दोनों थककर बिस्तर पर लेट गए। आंटी ने मुझे गले लगाया और कहा, “अमन, तूने मेरी चूत की प्यास बुझा दी।”

“आंटी, एक बात कहूँ?” मैंने पूछा, उन्हें बाहों में भरे हुए।

“हाँ, बोल,” आंटी ने कहा।

“आंटी, मुझसे शादी करोगी?” मैंने हिम्मत करके पूछ लिया।

“क्या?” आंटी हैरान हो गईं।

मैंने कहा, “आंटी, मैं आपसे सच्चा प्यार करता हूँ। मैं ताउम्र आपकी चूत चोदना चाहता हूँ।”

आंटी खामोश हो गईं। शायद उन्हें मेरी बात पर यकीन नहीं हो रहा था। कुछ देर बाद वो बोलीं, “अमन, मुझे सोचने का वक्त चाहिए।”

उस दिन की चुदाई ने मेरी जिंदगी को खुशनुमा बना दिया। दोस्तों, आपको मेरी कहानी कैसी लगी? अपनी राय जरूर बताएँ।

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